Friday, 25 August 2017

लोककल्याण अब धर्म कल्याण

*■ लोकतंत्र में लोककल्याण अब धर्म कल्याण बनता जा रहा है... 

बड़े सामाजिक बदलाव की जरूरत...■*
                    ✍🏻 अशोक बौद्ध
*● आज भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धार्मिक कट्टरपंथी अपने अड़ियलपन के कारण अभी भी अपनी विधवाओं को सती करना चाहते हैं। लड़कियों की भ्रूण हत्याओं का विरोध नहीं करते।* *जब कभी समाज सुधार की बात होती है तो भगवाधारी हजारों की संख्या में 'धर्म ख़तरे में है' का नारा देकर सड़कों पर आ जाते हैं। आखिर यह स्थिति मोदी, योगी के राज्य में और भी विकराल रूप धारण करती जा रही है। "ऐसे धर्म ने और उसके बिचौलियों ने खासकर महिलाओं व बहुजन समाज का जीना हराम कर दिया है। आज देश के किसी भी कोने में दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहा। देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा अपने आपको भयभीत व डरा हुआ समझ रहा है। ऐसे में सामाजिक, आर्थिक विकास, प्रगति और शांति के मायने बहुजन समाज ने खो दिये है।* *अगर हमें समतामूलक समाज की स्थापना करनी है तो ऐसी क्रूरता से बाहर निकलना ही पड़ेगा। तभी यह देश सामाजिक न्याय के पुरोधा, महानायकों के सपनों का भारत कहलायेगा। हम अपने घरों में पूजा करें, नमाज़ अदा करें कौन मना कर रहा है, पर सार्वजनिक रूप से इनको ज्यादा बढ़ावा न दिया जाए। आज सरकार सिर्फ एक ही धर्म के लोगों को व एक ही धर्म को बढ़ावा दे रही है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरासर गलत है। अंधविश्वास, पाखंडवाद की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं होनी चाहिये, क्योंकि ये देश धर्मनिरपेक्ष है। धर्म, आस्था का अर्थ दूसरों को नुकसान पहचान तो बिल्कुल नहीं होता। किसी एक समुदाय की आस्था पूरे देश के संकट का कारण नहीं बन सकती। किसी भी शिक्षा संस्थान में प्रवेश या सरकारी, गैर सरकारी सेवा के लिए आवेदन या नौकरी के लिए धर्म आड़े नहीं आना चाहिए। पासपोर्ट और व्यक्तिगत दस्तावेजों में 'धर्म और जाति' के कॉलम को तुरंत खत्म कर दिया जाना चाहिए। जाति व धर्म  के बारे में घोषणा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।*
*भारत सही मायनों में धर्मनिरपेक्ष देश नहीं बनेगा तब तक हम आधुनिक, वैज्ञानिक युग में प्रवेश नहीं कर सकते। गांव, क्षेत्र, जिला, प्रदेश, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर मानव समाज को धर्म से ऊपर उठकर क़ानून व संविधान को अंगीकृत कर शक्तिशाली, प्रगतिशील, मजबूत भारत बनाने में अपनी अपनी महती भूमिका निभानी चाहिए, तभी हम आने वाली पीढ़ियों के दिलों पर राज्य कर सकेंगे, अन्यथा आपके कट्टरता वाले धर्म पर आने वाली पीढ़ियां सवालों की बौछारें खड़ा करेंगी और धर्म से बाहर निकल कर इंसान बनने में रुचि लेंगी।*


*📝 लेखक:-*
🔹 *सामाजिक कार्यकर्ता हैं*
*संपर्क- 9810726588*


*~महान हस्तियाँ~ शैतानो का सच* :

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[ कुछ प्रसिध्द मनुवादी लोग जिन्हें हम विज्ञापन, उनकी नाटकीयता व अज्ञान के कारण नायक मानते हैं, उन लोगों के नाम के साथ उनका कार्य ]

[1] *मोहनदास करमचंद गांधी*: गुजराती बनिया, कलयुग का मनु, मीठी छुरी, पाखंड़ी, छली, ऊपर से उदार, अन्दर घोर जातिवादी, साम्प्रदायिक, बाबासाहब व मूलनिवासीयों का पक्का विरोधी !

[2] *जवाहर लाल नेहरू* : कश्मीरी ब्राह्मण, गांधी का चहेता चेला, सत्ता लोलुपता के कारण कारण विभाजन करवाया, रसिक, ऊपर से उदार, अन्दर से दृढ़ मनुवादी, ब्राह्मणी वर्चस्व की नींव रखी !

[3] *बाल गंगाधर तिलक* : चितपावन ब्राह्मण, मूलनिवासीयों का पक्का व खुला विरोधी, घोर जातिवादी व साम्प्रदायिक, मनुवादी वर्चस्व व पेशवा ब्राह्मणशाही का सपना देखता था !

[4] *रवीन्द्रनाथ टैगोर* : बंगाली ब्राह्मण, रंगा सियार, छिपा मनुवादी, अंग्रेजों का चाटुकार कवि, जार्ज पंचम का स्तुतिगान  'जन गण मन'  लिखा, मनुवादी शैतानों ने इसे राष्ट्रगान बना दिया !

[5] *लजपत राय* : पंजाबी बनिया, उदारता का नाटक, अछूतों का विरोधी, मनुवाद समर्थक, मनुस्मृति का प्रशंसक, हिन्दू महासभाईयों का गहरा मित्र, बगुला भगत, जनेव बांटकर मूर्ख बनाया !

[6] *वल्लभ भाई पटेल* : दृढ़ पिछड़े नेता, गांधी, नेहरू के चंगुल में, खुद को पिछड़ा न मानते, प्रधानमंत्री पद से वंचित हुए, पिछड़ों के आरक्षण, बाबासाहब तथा महार - बुध्दिष्ट व मुस्लिम के घोर विरोधी !

[7] *विनोबा भावे*: चितपावन ब्राह्मण, गांधी का पक्का शिष्य, गांधी के बाद गांधीवादी छल को आगे बढ़ाया, इसने भूदान का नाटक करके सरकार द्वारा वास्तविक भू-सुधार को रोका !

[8] *राम मोहन राय* : बंगाली ब्राह्मण, अंग्रेजों का सहयोगी, ब्रह्म समाज बनाकर समाज को मूर्ख बनाया, उसे सती-प्रथा व विधवा विवाह तो दिखा पर जाति-प्रथा व छुआछूत नहीं दिखा !

[9] *बंकिमचन्द्र चटर्जी*: बंगाली ब्राह्मण, साहित्यकार-कवि, घोर जातिवादी व साम्प्रदायिक, अंग्रेजभक्त, देश-भक्ति एवं मुस्लिम विरोध फैलाकर शूद्रों ध्यान भटकाने का प्रयास किया !

[10] *अरविन्द घोष* : बंगाली ब्राह्मण, उच्च आधुनिक शिक्षा प्राप्त मनुवादी, मनुवाद पर आध्यात्मिकता-दर्शन-तर्क-साहित्य का मुलम्मा चढ़ाया व इसने  'ब्राह्मण'  महामानव बताया है !

[11] *एनी बीसेन्ट*: आईरिश शैतान उपासक फ्रीमसेन, मनुवाद-जातिवाद में गहरी आस्था, थीयोसॉफिकल सोसायटी एवं कांग्रेस में सक्रिय, अंग्रेजों-मनुवादियों में गहरा भाईचारा बनवाया !

[12] *मदनमोहन मालवीय* : उत्तर भारतीय ब्राह्मण, चतुर किन्तु बहुत ही संकीर्ण, छुआछूत व जातिवाद में आस्था, अंग्रेजों का चहेता चाटुकार, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का संस्थापक !

[13] *दयानन्द सरस्वती* : सरयूपारी ब्राह्मण, जातिवाद-छुआछूत व वेदों का समर्थक, 'आर्य समाज'  बनाकर व 'सत्यार्थ प्रकाश'  लिखकर मनुवादी को जिंदा किया, जनेव बांटकर खूब मूर्ख बनाया !

[14] *गोलवलकर* : चितपावन ब्राह्मण, फुले-शाहु - अम्बेडकरी आन्दोलन का विरोधी, मुस्लिम शत्रू, मुस्लिम भय उत्पन्न कर मूलनिवासीयों में मनुवादी वर्चस्व को बनाए रखने का प्रयास किया !

[15] *वी. ड़ी. सावरकर*: चितपावन ब्राह्मण, कट्टर व खुला मनुवादी, मनुवाद को जीवित करने के लिए हिन्दू महासभा बनाई, गांधी हत्या में आरोपित किन्तु सबूत अभाव से बच गया !

[16] *के. बी. हेडगेवार*: चितपावन ब्राह्मण, बहुत चतुर - चालाक, महाराष्ट्र के फुले-शाहु-अम्बेडकरी आन्दोलन को समाप्त करने के लिए मुस्लिम भय दिखाकर विषवृक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बनाया !


      इन सारे ब्राह्मण पुरूषों ने केवल ब्राह्मणों के हित के लिए काम [कार्य] किया, बहुजनों के लिए नहीं ?



      मनुवाद पर, 🐅 अम्बेडकरवाद का वार पे वार.......
"अक्ल के अंधे"
"मनुवादी"*********

🔻...जिस धर्म में पिता अपनी पुत्री से बलत्कार करे, बाद में उसे रखैल बनाएे, फीर भी "भगवान ब्रम्हा" कहलाये !
🔻... जिस धर्म में जो कोई अपनी स्त्री को जुआ में दॉव पर लगा कर हार जाये, वो फिर भी "धर्मराज" कहलाये !
🔻...जिस धर्म में बेटा अपनी निर्दोष माँ को फ़र्सा से हत्या कर दे वो तुच्छ "भगवान" का अवतार और परशुराम कहलाये|
🔻....जिस धर्म में एक हीं माता - पिता से जन्में संतान पुत्र "सवर्ण"और पुत्री "शुद्र" हो जाए, माता, बहन, पुत्री, पत्नी शुद्र और ताड़न की अधिकारी हो जाये !! फिर भी ऐसा पाखंडी धर्म का पाखंड उसके दुष्ट अनुयायियों को समझ में न आये!
🔻...जिस धर्म में मलभक्षी सुअर को भगवान का अवतार कहा जाये, किन्तु एक "मानव" ("शुद्र") को उस सूअर से भी "नीच" समझा जाये ! फिर भी ऐसा पाखंडी धर्म का पाखंड उसके दुष्ट अनुयायियों को समझ में न आये !
🔻...जिस धर्म में इंसान की बनायी हुई मुर्ति पर कुत्ता सुअर और चूहे अपना मल- मूत्र विसर्जन करते रहे, फिर भी वो पवित्र रहे | और यदि उसी मंदिर मे एक शूद्र दलित चला जाये तो मंदिर और भगवान दोनो अपवित्र हो जाये ! अर्थात जिस मंदिर की मूर्ति पर कुत्ते टांग उठा कर अपने मुत्र के द्वारा मूत्राभिषेक कर दे, फिर भी वह पत्थर की मुर्ति पवित्र है, किंतु शुद्र मानव की मात्रछाया से ये मेरुपर्वत व नित्यानंद के असंवैधानिक संतान, विदेशी आर्य ,मनुवादी, ब्रहमणवादी व देशद्रोही अशुद्ध एवं अपवित्र हो जांय ! और पवित्र होने के लिये गाय का मुत्र पीयें ! फिर भी ऐसा पाखंडी धर्म का पाखंड उसके दुष्टअनुयायियों को समझ में न आये !

🔻... जिस धर्म में एक बंदर तथाकथित भगवान होकर पृथ्वी पर रहते हुए भी उससे कई गुना बड़ा 'सूर्य' को कोई फ़ल समझते हुये निगलने या खाने को सोचे और वह बंदर भगवान हनुमान कहाये ! फिर भी ऐसा पाखंडी धर्म का पाखंड उसके अज्ञानी एवं मानसिक गुलाम अनुयायियों को समझ में न आये !
🔻...जिस धर्म में दो भगवान विष्णु और शंकर सम्लैंगिक संभोग करने लगे और तीसरा बेटी को भी ना छोड़े फीर भी वो भगवान त्रिदेव कहलाएे ! थु है ऐसे धर्म पर, शर्म करो मनुवादीयों......
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वर्ण-व्यवस्था का भंडाफोड
चलो
चारो वर्ण का
पोस्टमोर्टम करे
🔵 ब्राह्मण  🔵
🐗 ब्राह्मण शब्द को तोड़कर देखें तो
बराह+मन=ब्राह्मण
बराह का मतलब सूअर होता है ( विष्णु ने दश अवतार धारण किया उसमें एक अवतार बराह का था ) यानि कि सूअर की तरह गंदगी से लथपथ और गंदगी का सेवन करने बाला मन मतलब जिसके दिमाग में सिर्फ गंदगी भरी पडी है...वो है ब्राह्मण )
🔵 क्षत्रिय  🔵
🐕 छाती+तिरिया=क्षत्रिय
छाती का मतलब वक्ष-स्थल
और तिरिया का मतलब स्त्री यानि की पराई बहु-बेटियो के सीने की सुंदरता पर मुग्ध होकर उनकी अस्मत लूट लेने बाला
( मतलब बहन बेटीयाँ की ईज्जत पे डाका डालने वाला )

🔵 वैश्य  🔵
वैश्य का मतलब
देह-व्यापारी....
ये सदियों पहले खुद कि बेहन बेटीयों की हीं देह-व्यापार करते थे....
फिर गुलामों का व्यापार किया और आज अपने ईमान का व्यापार कर रहे हैं
( मतलब जिसका कोई ईमान नही.... )
🔵 शूद्र  🔵
🐅 जब शूद्र शब्द को तोड़कर देखते हेैं तो हमारा गौरवशाली इतिहास हमारी आँखों के सामने
"दूध का दूध और
पानी का पानी" की तरह शुद्ध रूप में दिखाई देने लगता है।
शू=शूरवीर
द्र=द्रविड़
यानि शूरवीर द्रविड़
मतलब भारत देश के शांतिप्रिय जीवन व्यतीत करने बाले
दया के सागर

अन्याय के खिलाफ आर्यों से 1500 वर्षों तक वीरता के साथ लड़कर वीरगति को प्राप्त होने वाले उस वंश के संतान हेैं हम मुझे गर्व है कि हम हीं इस देश के मूलनिवासी है


कुछ दिन पहले एक धार्मिक प्राणी, हमारे पास रात गुज़ारने आया, वह थोड़ा बीमार था..
लेकिन धार्मिक स्कूल में पढ़ा था तो दिमाग़ी तौर पे बहुत बीमार था.
मैं रात को दूसरे लड़कों को जीव विज्ञान के बारे में कुछ बता रहा था,
धार्मिक प्राणी बोला, "ये सब झूठ है, साइंस की बातों के पीछे लगकर ज़िंदगी बर्बाद मत करो, साइंस-वाइंस कुछ नहीं होती "

मैंने उसकी दवा उठाकर अपनी जेब में डाली,  उसका मोबाइल ऑफ़ करके अपनी जेब में डाला.. और रूम की लाइट और पंखा बंद कर दिया.
धार्मिक प्राणी बोला, "ये क्या कर रहे हैं ?"
मैंने कहा, "ये दवाई, मोबाइल, पंखा, बल्ब ये सब साइंस के आविष्कार हैं.. अब अंधेरे में बैठकर मच्छर मार और बोल कि साइंस कुछ नहीं होती "
धार्मिक प्राणी खिसयानी हंसी हंसने लगा.
मैंने लाइट ऑन की और उससे कहा, "साइंस से जुड़ी हर चीज़ का सिर्फ़ दस दिन त्याग करके दिखा दे, उसके बाद बोलना कि साइंस कुछ नहीं होती "
वह प्राणी बिना कुछ बोले चुपचाप सो गया.
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ऐसे धार्मिक प्राणियों की कमी नहीं है, जो साइंस की हर चीज़ इस्तेमाल करते हैं और साइंस के विरुद्ध भी बोलते हैं.
साइंस के जिन अविष्कारों ने हमारे जीवन और दुनिया को बेहतर बनाया है, वे सब अविष्कार उन्होंने किये, जिन्होंने धार्मिक कर्मकांडों में समय बर्बाद नहीं किया.

आज कोई भी धार्मिक प्राणी साइंस से संबंधित चीज़ों के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता, लेकिन ये एहसान फ़रामोश साइंसदानों का एहसान नहीं मानते.. ये उस काल्पनिक शक्ति का एहसान मानते हैं, जिसने मानव के विकास में बाधा डाली है.. जिसने मानवता को टुकड़ों में बांटा है.

साइंसदान, अक्सर नास्तिक होते हैं... लेकिन जाहिल प्राणी कहेंगें," साइंसदानों को अक्ल तो हमारे God ने ही दी है"
लेकिन ऐसे मूर्ख इतना नहीं सोचते कि उनके God ने सारी अक्ल नास्तिकों को क्यों दे दी, धार्मिक प्राणियों को मन्दबुद्धि क्यों बनाया ?

पिछले 150 साल में, जिन अविष्कारों ने दुनिया बदल दी, वे ज़्यादातर नास्तिकों ने किये या उन आस्तिकों ने किये जो पूजा-पाठ, इबादत नहीं करते थे.

अंधविश्वास और कट्टरता से भरे धर्म वालों ने ऐसा कोई अविष्कार नहीं किया, जिससे दुनिया का कुछ भला होता.

इन्होंने अलग किस्म के आविष्कार किये, ऊपरवाला ख़ुश कैसे होता है ? .. ऊपरवाला नाराज़ क्यों होता है ?..स्वर्ग में कैसे जायें ? ..नरक से कैसे बचें ? स्वर्ग में क्या-क्या मिलेगा ?.. नरक में क्या-क्या सज़ा है ?..हलाल क्या है, हराम क्या है ?..बुरे ग्रहों को कैसे टालें ? .. मुरादें कैसे पूरी होती है ?.. पाप कैसे धुलते हैं ?.. ऊपरवाला किस्मत लिखता है.. वो सब देखता है.. वो हमारे पाप-पुण्य का हिसाब लिखता है.. जीवन-मरण उसके हाथ में है.. उसकी मर्ज़ी बगैर पत्ता नहीं हिलता.. ऊपरवाला खाने को देता है.. वो तारीफ़ का भूखा है.. वो पैसे लेकर काम करता है.. 
पित्तरों की तृप्त कैसे करें ? मंत्रों द्वारा संकट निवारण.. हज़ारों किस्म के शुभ-अशुभ.. हज़ारों किस्म के शगुन-अपशगुन.. धागे-ताबीज़.. भूत-प्रेत.. पुनर्जन्म.. टोने-टोटके.. राहु-केतु.. शनि ग्रह.. ज्योतिष.. वास्तु-शास्त्र...पंचक. मोक्ष.. हस्तरेखा..मस्तक रेखा..मुठकरणी.. वशीकरण.. जन्मकुंडली..काला जादू.. तंत्र-मन्त्र-यंत्र.. झाड़फूंक.. वगैरह.. वगैरह..
इस किस्म के इनके हज़ारों अविष्कार हैं..
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इन्सान को उसके विकसित दिमाग़ ने ही इन्सान बनाया है, नहीं तो वह चिंपैंजी की नस्ल का एक जीव ही है,
जो इन्सान अपना दिमाग़ प्रयोग नहीं करते, वे इन्सान जैसे दिखने वाले जीव होते हैं.. वे इन्सान नहीं होते..

अपने दिमाग़ का बेहतर इस्तेमाल कीजिये..अंदर जो अंधविश्वासों का कचरा भरा है, उसको जला दीजिये.. अंधेरा मिट जायेगा.. आपके अंदर रौशनी हो जायेगी...
पहले खुद जागो फिर दूसरों को जगाओ अन्धविश्वास को दूर भगाओ



IBN7 पर डिबेट में आज एंकर सुमित अवस्थी ने दलित
चिंतक चन्द्रभान प्रसाद जी से प्रश्न किया कि
दलित उत्पीड़न कब खत्म होगा ?
चन्द्रभान जी - आरएसएस के राकेश सिन्हा और
सम्बित पात्रा जब मृत गौ माता की लाश कंधे पर
उठा कर ले जाएंगे उस दिन दलित उत्पीड़न अपने आप खत्म हो जाएगा।
यह सुनके सन्न रह गए सुमीत अवस्थी ने उसी टाईम
डिबेट को ख़त्म कर दिया। बहुत बहुत खूब चन्द्रभान
जी।
NEWS 24 चैनल पर बहस में चंद्रभान प्रसाद जी ने
कहा कि दलित अब मरे जानवर उठाने और गंदगी साफ करने का काम छोड़ रहा है गाय को जो
माता मानते हैं वो उसे कंधो पर उठाकर ले जायें और
अपनी माँ का अंतिम संस्कार करें तब इनको समझ
आयेगा।
बीजेपी के संबित पात्रा वीएचपी के तिवारी

जी और आरएसएस के राकेश सिन्हा के मुंह बंद हो गये जो देखने लायक थे फिर वहीं डिबेट भी खत्म कर दी

2 comments:

  1. ओबीसी समाज नहीं है हिन्दू धर्म का हिस्सा... शरद यादव (जे.डी.यू)
    https://youtu.be/MoeRpOtyNzg

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  2. धर्म और शास्त्र विवेक और विज्ञान के दुश्मन हैं। कैसे, आईये देखते हैं:-

    1. विज्ञान व भूगोल:-
    गंगा हिमालय के गंगोत्री हिमनद (ग्लेशियर) से निकलती है।

    जबकि धर्म व शास्त्र:-
    गंगा शिवजी की जटा से निकलती है और भगीरथ इसे स्वर्ग से धरती पर लाया था।

    2. विज्ञान व भूगोल:-
    जल-वाष्प भरे बादल जब हवाओं के सम्पर्क में आते हैं तो वर्षा होती है

    जबकि धर्म व शास्त्र:-
    वर्षा इंद्र देवता कराते हैं।

    3.विज्ञान व भूगोल:-
    पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 डिग्री झुकी हुई है। जब दो tectonic plates आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है।

    जबकि धर्म व शास्त्र:-
    पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है और जब वह करवट बदलता है तो भूकम्प आता हैं। दूसरी जगह लिखा है कि प्रथ्वी बैल/गाय के सीगं पर टिकी हुई है और थक कर जब वह सीगं बदलता/ती है तो भूकम्प आता है।

    4.विज्ञान व भूगोल:-
    पृथ्वी और चन्द्रमा परिक्रमा करते हुऐ जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के मध्य आ जाती है तो चंद्र ग्रहण होता है।

    जबकि धर्म व शास्त्र:-
    चंद्र ग्रहण के समय राहु चन्द्रमा को खा जाता है।

    5.विज्ञान:-
    हवाई जहाज के माध्यम से मानव हवाई सैर करता है।

    जबकि धर्म व शास्त्र:-
    बिना किसी माध्यम के तथाकथित देवी देवता और राक्षस हवा में उड सकते थे।

    6.विज्ञान:-
    यहां कौसो दूर भी दूरसंचार के माध्यम से मानव एक दूसरे से मन की बात कर सकते हैं।

    जबकि धर्म व शास्त्र:-
    केवल साधु- संत ही बिना किसी माध्यम के ही मन की बात उन्हीं के बनाये ईश्वर से कर लिया करते थे।

    अब फैसला आपका? आप अपने बच्चों का बौद्धिक विकास करने के लिए उन्हें विज्ञान पढ़ाते हैं या अंधविश्वासी बनाने के लिए उन्हे अप्रमाणिेत धर्म व शास्त्र ||

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