Friday 4 August 2017

अपना दल

 http://nationaljanmat.com/sonelal-patel-jayanti-apna-dal-bjp-lathicharge-allahabad-anupriya-pallavi/

कुर्मी-किसान-कमेरों- पिछड़ों को शोषण के विरुद्ध मंच उपलब्ध कराने और पिछड़ों-किसानों में राजनीतिक अलख जगाने के लिए डॉ. सोनेलाल पटेल ने जिस अपना दल की स्थापना की थी. आज वो दो धड़ों में बंट गया है.

डॉ. सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल के साथ उनकी एक बेटी पल्लवी पटेल हैं जो सत्ता से दूर रहकर अपने पिता के संघर्षों को आगे बढ़ा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल हैं जो सत्ता के साथ कदमताल करते हुए राजनीतिक सुख भोग रहे हैं।

आज सोनेलाल पटेल जयंती पर दोनोंं गुटों ने कार्यक्रम किए एक तरफ केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल-आशीष पटेल ने मंच पर सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी नेताओं की लंबी फौज बुलाकर अपनी सत्ता की ताकत का शक्तिप्रदर्शन बीजेपी के हवाले किया तो दूसरी तरफ कृष्णा पटेल-पल्लवी पटेल ने बीजेपी के धुर विरोधी नेता हार्दिक पटेल को मुख्यअतिथि बनाया।

हालांकि दावे तो दोनोंं तरफ से डॉ. सोनेलाल पटेल के सपनो को आगे ले जाने के किए जाते हैं लेकिन ये लंबे विमर्श का विषय  है कि दोनों में किसका रास्ता ठीक है और किसकी नियत। इस बात को पाठकों के विवके और समझदारी पर छोड़ना ही बेहतर होगा। आज उन्हीं अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती है तो उनके कार्यों और संघर्ष को नमन करते हुए #नेशनल जनमत आप तक कुछ जानकारी पहुंचाना चाहता है।

मूलत: फर्रुखाबाद के थे डॉ. सोनेलाल-

बोधिसत्व डा० सोने लाल पटेल का जन्म २ जुलाई 1950 को  फर्रुखाबाद जिले के ग्राम बबूलहाई तहसील छिबरामऊ में हुआ था। पिता गोविन्द प्रसाद पटेल व मां रानी देवी पटेल की संतानों  में आठ भाइयों में डॉ. सोनेलाल पटेल सबसे छोटे थे। शिक्षा पूरी करने के बाद आपने सेना में सेंकेंड लेफ्टीनेंट के पद पर नौकरी ज्वाइन की लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लगा। वे समाज की प्रगति के लिए चिंतित रहते थे इस कारण सेना की नौकरी छोड़कर खुद का बिजनेस प्रारम्भ किया।

कुर्मी महासभाओं में पदाधिकारी रहे-

डा0 सोनेलाल पटेल 1987 से लेकर 1996 तक अखिल भारतीय कुर्मी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।  इसके बाद 1991से 1998 तक अखिल भारतीय कुर्मी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष व महासचिव दोनो पदों पर थे। 1998 से लेकर 2000 तक अखिल भारतीय कुर्मी महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष की हैसियत से समाज की सेवा की।

1988  में आप कांशीराम के सम्पर्क में आए-

1988 में आप मान्यवर कांशीराम के संपर्क में आए और राजनीति में प्रवेश किया। बहुजन समाज पाटी ने डा० पटेल को उत्तर प्रदेश का प्रदेश महासचिव बनाया। आपकी राजनैतिक विचारधारा पिछड़ों दलितों व कुर्मी-किसान जातियों के विकास पर केंद्रित थी। सामाजिक रूप से डा० साहब प्रदेश में सत्ता मूलक समाज की स्थापना करना चाहते थे। वे समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की बुराईयों एव कर्मकांडी व्यवस्थाओां को समाप्त करने पर विशेष बल देते थे।

बसपा को आगे बढ़ाने में यशःकायी डा0 सोनेलाल पटेल के योगदान को भुलाया नही जा सकता। जिस समय वो बसपा के प्रदेश महासचिव थे उन दिनो डा0 सोनेलाल पटेल कुर्मी क्षत्रिय महासभा उ0प्र0 के अध्यक्ष भी थे, विधायक रामदेव पटेल कुर्मी क्षत्रिय महासभा उ0प्र0 के महासचिव और इं0 बलिहारी पटेल संरक्षक थे तीनो लोग बसपा और कांशीराम से जुड़े हुए थे।

कुर्मी-किसानों की बात उठाने के लिए बना पार्टी का विचार-

कुर्मी महासभा के पदाधिकारी होने के नाते संगठन पर अधिकारियों कर्मचारियों का भारी दबाव था। इसके बाद महासभा के संरक्षक इं0 बलिहारी पटेल ने आनन फानन में महासभा की बैठक सचान गेस्ट हाउस कानपुर में बुलाई। जिसमें कुर्मी समाज में राजनैतिक चेतना जागृत करने हेतु समूचे प्रदेश में रथयात्रा निकाल कर रैली करने की योजना बनी।

1994 में निकाली पूरे प्रदेश में रथयात्रा-

30 अक्टूबर 1994 को कुर्मी स्वाभिमान रथ यात्रा के माध्यम से प्रदेश के 38 जिलों में भ्रमण कर रैली करने का निर्णय हुआ। 19 नवम्बर 1994 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में कुर्मी समाज की उमड़ी भीड़ ने देश के राजनैतिक दलों को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। इस रैली के मुख्य अतिथि डा0 सोनेलाल पटेल ही थे। रैली के माध्यम से संदेश देने की कोशिश की गई कि प्रदेश में कुर्मी समाज किसी से पीछे नही है स्वयं आगे चलने में सक्षम है।

नौ महीने बाद शुरू की राजनैतिक चेतना रथयात्रा-

लखनऊ रैली की सफलता के बाद लगभग 9 महीने तक घूम घूमकर लोगों में राजनीति के प्रति चेतना पैदा की गई। आखिरकार तय हुआ कि अब फिर से कुर्मी स्वाभिमान राजनैतिक चेतना रथ यात्रा के माध्यम से प्रदेश के कुर्मियों में राजनैतिक चेतना जगाई जाएगी। 47 दिन का कार्यक्रम तय किया गया जो 17 सितम्बर 1995 को कानपुर से शुरू हुआ। इसके बाद धुंआधार रथ यात्रा करके अधिकांश जिलों में जनसभा के माध्यम से कुर्मी समाज में राजनैतिक सोच पैदा की गई। जिसका समापन 31 अक्टूबर 1995 को पटेल जयन्ती के दिन खीरी जनपद से किया गया और रथ यात्रा को सीतापुर मे रोक दिया गया।

लखनऊ की ऐतिहासिक कुर्मी स्वाभिमान रैली-

4 नवम्बर 1995 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में कुर्मी स्वाभिमान राजनैतिक चेतना रैली प्रस्तावित थी लेकिन कुर्मियों में बढ़ती राजनैतिक चेतनी की आहट से सरकार ने रैली की अनुमति ही नहीं दी। बाद में बारादरी के मैदान में रैली की गयी। इस रैली को प्रदेश के कुर्मी समाज की सबसे बड़ी राजनैतिक रैली कहा जाता है। जिसमें लाखों लोगों की उपस्थिति थी। इस रैली को बीबीसी लंदन तक में स्थान मिला था।

इसी रैली में बना ‘अपना दल’ –

इसी कुर्मी स्वाभिमान रैली में ‘अपना दल’ नामक राजनैतिक पार्टी के गठन की घोषणा की गई। रैली के मुख्य अतिथि डॉ. सोनेलाल पटेल थे।अपना दल की घोषणा इं0 बलिहारी पटेल ने की जो मंच का संचालन कर रहे थे। दल की घोषणा होते ही कुर्मी समाज जिन्दाबाद के गगन भेदी नारे लगे और उपस्थित लाखों कार्यकर्ताओं ने खुशी का इजहार किया।

11  नवम्बर 1995 को बेगम हजरत महल पार्क में ‘अपना दल ’ का खुला अधिवेशन बुलाया गया। जिसमें डा0 सोनेलाल पटेल राष्ट्रीय अध्यक्ष, रामदेव पटेल उप्र के संयोजक और इं0 बलिहारी पटेल पार्टी के संरक्षक और हाई पावर कमेटी के चेयरमैन बनाये गये।

डॉ. सोनेलाल पटेल जुट गए कुर्मी-किसानों-कमेरों को एक करने के अभियान में-

उप्र के अलावा डा0 पटेल के नेतृत्व में बिहार, म0प्र0, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, दिल्ली, महाराष्ट्र, तक अपना दल के कार्यक्रम आयोजित हुए। डा0 पटेल राजनैतिक क्षितिज पर आगे बढ़ते चलते गये। इस पूरे समय चक्र में भले ही कागजों पर सत्ता की सफलता ना दिखाई देती हो लेकिन इस समय में डॉ. पटेल और इंजीनियर बलिहारी पटेल ने कुर्मी-किसानों को घरों से बाहर निकलकर राजनैतिक सत्ता हथियाने का सपना जरूर दिखा दिया। आज उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल जिस धरातल पर  खड़े होकर बीजपी से हाथ मिला रही हैं वो धरातल डॉ. सोनेलाल के संघर्षोंं और सिद्धांतों की मजबूत इमारत से ही खड़ा हुआ है।

विश्व हिन्दू परिषद की तर्ज पर बनाया विश्व बौद्ध परिषद-

विश्व हिन्दू परिषद की तर्ज पर डॉ. सोनेलाल पटेल ने विश्व बौद्ध परिषद की स्थापना की। जिसका प्रथम  दो दिवसीय अधिवेशन 14-15 फरवरी 1999 में हुआ। इसी अधिवेशन के दौरान डॉ. सोनेलाल पटेल ने लाखों किसान कमेरों के साथ हिन्दू धर्म को फैजाबाद के अयोध्या में सरयू तट पर श्रीलंका के राजदूत के समक्ष त्याग दिया और भंते प्रज्ञानन्द से बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर बोधिसत्व डा0 सोनेलाल पटेल कहलाए। उसी दिन से डां0 सोनेलाल पटेल कट्टर जातिवादी हिन्दू संगठनों की आँखों की किरकिरी बन गये ।

इलाहाबाद में आयोजित रैली में बीजेपी सरकार की जानलेवा साजिश-

1999 में डॉ. पटेल और उनके समर्थक पीडी टंडन पार्क इलाहाबाद में आयोजित नामाांकन रैली में इकट्ठे हुए। समर्थकों की भारी भीड़ को देखकर तत्कालीन बीजेपी सरकार के ताकतवर सांसद मुरली मनोहर जोशी के इशारे पर कुर्मी समाज के पुरोधा डॉ. सोनेलाल पटेल एवं वहां उपस्थित जन मानस पर लाठी चार्ज करवाया दिया गया।

एक राष्ट्रीय कद के नेता को इस लाठीचार्ज में इतना मारा गया कि उनके शरीर में जगह-जगह फ्रेक्टर हो गए। इतना ही नहीं इसके बाद डॉ. सोनेलाल पटेल को अन्य समर्थकों समेत घायल अवस्था में ही एक महीने के लिए जेल में डाल दिया गया। उस समय उनके साथ जेल गए मान सिंह पटेल बताते हैं कि बीजेपी सरकार की साजिश उस हमले में डाक्टर साहब को जान से मरवाने की थी लेकिन किसी तरह समर्थकों ने उनके ऊपर लेट कर उनकी जान बचाई।

पूरे प्रदेश में अलग-अलग टाइटल में बंटे समाज का पटेलीकरण किया-

डॉ. सोनेलाल पटेल के अपना दल के सिर्फ कुर्मी पदाधिकारी के लिए ये आवश्यक था कि वो अपने नाम के आगे पटेल लगाए भले ही उसका टाइटल कटियार, सचान, गंगवार, चौधरी, वर्मा, निरंजन, उमराव, उत्तम, कनौजिया हो लेकिन डॉ. साहब का साफ कहना था कि समाज की जागरूकता के लिए पूरे प्रदेश के कुर्मियों को पटेल टाइटल लगाना चाहिए।

समझौतावादी और सत्तालोलुप नहीं थे डॉ. सोनेलाल-

कुर्मी समाज व पिछड़ों के पुरोधा बोधिसत्व डॉ. सोनेलाल पटेल इस घटना से विचलित नही हुए और उन्होंने अपना सामाजिक व राजनैतिक आांदोलन जारी। लेकिन प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था 17 अक्टूबर 2009 को कानपुर में दिपावली के दिन डॉ. सोनेलाल पटेल का निधन एक कार दुर्घटना में हो गया।

डॉ. साहब हमारे बीच नहीं है लेकिन पिछड़ों, दलितों के उत्थान के लिए संघर्ष का रास्ता दिखा गए हैं.
[7/31, 9:30 PM] RAJNISH PRINCE: खोपड़ी ना हिल जाये तो कहना :-

15 साल की उम्र में गाँधी जी वेश्या की चोखट से हिम्मत न जुटा पाने के कारण वापस लौट आये|
16 साल की उम्र में पत्नी से सम्भोग की इच्छा से मुक्त नहीं हो पाए जब उनके पिता मृत्यु शैया पर थे।
21 साल की उम्र में फिर उनका मन पराई स्त्री को देखकर विकारग्रस्त होता है ।
28 साल की उम्र में हब्सी स्त्री के पास जाते है लेकिन शर्मसार होकर वापिस आ जाते है ।
31 साल की उम्र में १ बच्चे के पिता बन जाते है ।
40 साल की उम्र में अपने दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी के साथ आत्मीयता महसूस करते है ,
41 साल की उम्र में मोड नाम की लड़की से प्रभवित होते है .
48 की उम्र में 22 साल की एस्थर फेरिंग के मोहजाल में फंस जाते है ।
51 की उम्र में 48 साल की सरला देवी चोधरानी के प्रेम में पड़तेहै ।
56 की उम्र में 33 साल की मेडलिन स्लेड के प्रेम में फंसते है।
60 की उम्र में 18 साल की महाराष्ट्रियन प्रेमा के माया जाल में फंस जाते है ।
64 की उम्र में 24 साल की अमेरिका की नीला नागिनी के संपर्क में आते है ।
65 की उम्र में 37 साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल को कपडे पहनना सिखाते है ।
69 की उम्र में 18 साल की डॉक्टर शुशीला नैयरसे नग्न होकर मालिश करते है।
72 की उम्र में बाल विधवा लीलावती आसर,पटियाला के बड़े जमींदार की बेटी अम्तुस्स्लाम ,कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर तथा मशहूर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी महिलाओ के साथ सोते हैं।
76 की उम्र में 16 साल की आभा .वीणा और कंचन नाम की युवतिओं को नग्न होने को कहते है . जिस पर ये लडकिया कहती है की उन्हें ब्रह्मचर्य के बजाय सम्भोग की जरूरत है।
77 की उम्र मे महात्मा गाँधी अपनी पोती मनु की साथ नोआखाली की सर्द रातें शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सोकर गुजारते हैं और
79 के गाँधी जी महात्मा जीवन के अंतिम क्षणोंतक आभा और मनु के साथ एक साथ बिस्तर पर सोते है………………….
आपको इनके बारे मे क्या कहना है??

धिक्कार है कि ऐसे अय्याश बुड्ढे को राष्ट्रपिता कहा जाता है। राष्ट्र के पुत्र होते हैं ना कि पिता

धन्यवाद पढ़ने के लिए (Y) अब दुसरो को पढ़ाये

गांधी को बापू मानने वाले अंधभक्त एक बार गांधी द्वारा लिखित Autobiography अर्थात आत्मकथा " My Experiment With Truth" अवश्य पढ़ें जिसमे स्वीकार किया गया है ऐसे ही बहुत सारे तथ्यों को और फिर उसके उपरांत अपने कुतर्क प्रस्तुत करें।


बीते दिनों यूपी के रायबरेली जिले के इटौरा गांव में ग्राम प्रधानपति रामश्री यादव की हत्या के इरादे से आऐ पांच बदमाशों की भागते समय बिजली के खम्भे से गाड़ी के टकराने से जलकर हुई मौत की सच्चाई जनता को बताना योगी सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को भारी पड़ गया।

योगी सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि ब्राह्मण जाति के पांचो हमलावर अपराधी किस्म के थे। और ग्राम प्रधान की हत्या करने आऐ थे। जब इन हमलावरों ने ग्राम प्रधान के घर पर गोलीबारी शुरू की तो गोली चलने की आवाज सुनकर गांव वाले इकट्ठे हो गए और हमलावरों को दौड़ा लिया। भागते वक्त इन बदमाशों की गाड़ी बिजली के खम्भे से टकरा गई , जिससे जलकर पांचों बदमाशों की मौत हो गई। इस मामले में निर्दोष लोगों को फसाया जा रहा है।

सच बोलने पर ब्राह्रणों ने फूंक दिया स्वामी प्रसाद मौर्या का पुतला

#स्वामी प्रसाद मौर्या ने इटौरा की घटना की सच्चाई क्या बताई, रायबरेली और आस-पास के विभिन्न ब्राह्मण संगठनों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। ब्राह्मण महासभा,परशुराम सेना, सर्व ब्राह्मण महासभा, परशुराम सेवादल आदि संगठनों के पदाधिकारियों ने स्वामी प्रसाद मौर्या का पुतला जलाया।

#यादव_सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष #शिव_कुमार_यादव ने सत्य के पक्ष में खड़े होने के लिए दिया स्वामी प्रसाद मौर्या का आभार प्रकट किया। और योगी सरकार के पुलिस प्रशासन पर इटौरा की घटना में निर्दौष यादव जाति के लोगों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में यादव और ब्राह्मण जाति के पांच बुद्धजीवियों का एक संयुक्त जांच दल बनाने की मांग की ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। उन्होंने कहा कि उन्हें पुलिस प्रशासन और अधिकारियों की जांच पर कोई भरोसा नहीं है। पूरा प्रशासन ब्राह्मण जाति के प्रभावशाली लोगों के दबाव में काम कर रहा है। यादव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार यादव ने इस मामले में सपा विधायक मनोज पांडे और कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी जातीय दंगा भड़काने का भी आरोप लगाया है. सूत्रों के हवाले से खबर तो ये भी है कि अगर  इटौरा के ग्राम प्रधान की  रामश्री यादव की गिरफ्तारी के विरोध में चार – पांच यादव यदि इटौरा के आस-पास दिखाई दें तो उनकी हत्या की योजना भी बनाई जा रही है। इसके अलावा प्रशासन यादवों को  इटौरा के आस-पास यादवों को किसी भी तरह की कोई जनसभा करने की भी इजाजत नहीं दे रहा है। कुल मिलाकर आस-पास के ब्राह्णम नेताओं की शह पर यादवों के खिलाफ जातीय युद्ध छेड़ने की पूरी तैयारी चल रही है। और नेताओं की इस शह को पुलिस प्रशासन और योगी सरकार के कुछ नेताओं और मंत्रियों का पर्दे के पीछे समर्थन दिख रहा है।
                http://nationaljanmat.com/raibareli-swami-prasad-maurya/


 *प्रोफेसर* *खैरात* *को* *समर्पित*-
प्रोफेसर जी अपने बाप को जलाने वाले ऐसे बेटों के कारण ही देश में वृद्धाश्राम की संख्या बढ रही है ।
वर्तमान ग्रहमंत्री से पूछिए की पंथनिरपेक्ष क्या है--उन्होने एक कार्यक्रम में बताया था कि पंथनिरपेक्ष का मतलब है कि विभिन्न पंथो में भेद नही है दुसरी तरफ धर्मनिरपेक्ष में -धर्मो में भेद है।
रही बात पोस्टर छापने की तो तुम शायद संघी एजेंट हो।ऐसे खयाल प्रोफेसरों हो नही सकते सर!!!
सविता आंबेडकर को हत्यारन कहने वाले मेरी बात पर गोर करो मैं इसमे एक बङा कारण पाता हूं---
अगर सविता ये काम करती तो1948में ही कर सकती थी ।1956में ही क्यूं।
हमारे विरोधी चाहते थे कि जो देश मे जो समानता की लहर चली थी के बाबा की प्रेरणा से न जाने कितने ब्राह्मणो-बहुजनों में आपसी मतभेद भुलकर रोटी-बेटी का संबंध बनाने से ये लोग भी *बुद्धिज्म*की तरफ जाएंगे एेसे प्रचार से उनमें हीन भावना भरी गई थी कि जो बाबासाहब के साथ हुआ वो तुम्हारे साथ ना हो और ये लोग संबंध बनाने में कतराने लगे एेसा ही तो मानवता के दुशमन चाह रहे थे वे अपनी चाल में कामयाब हो गए।
प्रोफेसर साहब पीठ पीछे वार की आदत गई नही है छुपाछुपी बंद करो और सामने आकर के बता दो कि तुम्हारे दिमाग का रिमोट किसके हाथ में है।
रही बात प्रकाशकों को डराने की बात तो तुम्हे याद कराना चाहूंगा हम तुम्हारी तरह 1932के भारत में नही रह रहे है 2017के भारत में रह रहे है।
अंत में आपसे निवेदन है कि मानवता की कसोटी से आंबेडकरी वांगमय का अध्ययन करें।
सत्य कङवा होता है इसे सहन करने की आदत डाल लें।


तथाकथित संस्कारी और अपने आप को गौ माता का पुत्र मानने वाले ब्राह्मणों के द्वारा जिस प्रकार से गाय और बकरी के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाते हुए पकड़ा गया हैं, उससे इनके संस्कृति की पोल खुल गई है। मुझे ऐसे मैसेज भेजते हुए बहुत ही शर्म आ रही है. बावजूद इसके मैं यह संदेश आप तक भेज रहा हूं. मकसद सिर्फ इतना है कि आप सच्चाई को समझें उसको स्वीकार करें.

हाल ही में पिछले साल मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में ब्राह्मण #श्रवण_व्यास, (उम्र 35 साल) गाय के साथ #बलात्कार करते धरे गए, जो कि जेल की हवा खा रहे है।
http://www.nationaldastak.com/story/view/one-man-arrested-in-cow-rape-case-in-mp/

वो मामला शांत नही हुआ, एक कांड और सामने आया-
ब्राह्मण #केशव_उपाध्याय, (उम्र 45 साल)
उत्तर प्रदेश के जंगीपुर जिले का मामला है कि ये #हवसी इंसान बकरी के साथ #रेप करते पकड़े गए और बकरी की सदमे में मौत हो गयी।
http://dainikaaj.com/mau-a-drunken-middle-aged-man-rape-with-goat-death/

ये हैं इनका #आरक्षण, जो #जानवरों को भी नही छोड़ते और बोलते हैं कि #देश को #आरक्षणखोरों ने बर्बाद कर रखा है।

भारत देश मे #महिला सुरक्षित तो पहले से ही नही थी और अभी भी नही लेकिन अब तो न #गाय सुरक्षित, न #बकरी सुरक्षित, न #बिल्ली और न ही #कुतिया।

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