एक पहेली?
बहुजन समाज पार्टी
की
विधानसभा एवं लोकसभा मे बुरी हार कैसे?
इस हार के अलग अलग तर्क लगाए जा रहे है।
1)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी खत्म हो गई?
2)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी के सुप्रीमो बहन मायावतीजी के घमंड एवं भ्रष्टाचार के कारण हार गई?
3)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी के कददावर नेता बाहर होने के कारण हार हुई?
4)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी का जनाधार कम होने के कारण हार हुई?
5)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी अंबेडकरवादी होने के कारण हार हुई?
6)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टीने
पार्को एवं पुतलो पर खर्च करने के कारण हार गईं?
7)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी मे ब्राह्मण को लेने के कारण हार गईं?
8)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी चुनाव टिकट बेचने के कारण हार गईं?
9)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी दुसरी पार्टीयो गठबंधन नहीं करने के कारण एवं अन्य दलित नेता को अहमियत नहीं देने के कारण हार गईं?
10)कोई कहता है।
मोदी लहर के कारण बहुजन समाज पार्टी हार गईं?
11)कोई कहता है।
E.v.m. घोटाला होने के कारण बहुजन समाज पार्टी हार गईं?
बहुजन समाज पार्टी के हार का कारण कुछ भी हो?
हमे बहुजन समाज पार्टी के बारे मे सच्चाई जानना जरूरी है।
बहुजन समाज पार्टी 1984 मे मान्यवर काशिरामजी द्वारा स्थापित की गई पार्टी है।
मान्यवर काशिरामजीने पूरे देश मे बामसेफ के माध्यम से पहले जनजागृती की फिर बहुजन समाज पार्टी का चयन कर युपी मे बहुजन समाज पार्टी को सत्ता दिलायी।
देश मे कहीं पार्टीया है।
इन पार्टीयो मे कांग्रेस भाजपा देश की बड़ी पार्टीया है।
अन्य छोटी मोटी पार्टीया बहुत है।
परंतु कांग्रेस भाजपा से लेकर यह सब पार्टीया लगभग एक ही विचारधारा एवं एक दुसरे को मददगार होने के कारण देश तथा राज्यों मे सफल रही है।
एकमात्र बहुजन समाज पार्टी इन सारे पार्टी से अलग विचारधारा लेकर चल रही है।
और बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा बहुजन यानी देश मे दलित पिछड़े के हित मे होने के बावजूद बहुजन यानी दलित पिछड़ा समाज पूरी तरह बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा नहीं।
बल्कि यह समाज के हितों के विरुद्ध विचारधारा से यह समाज जुड गया है।
और इसका एकमात्र कारण है।
यह दलित पिछड़ा समाज खुद को हिन्दू मानता है।
और इसी हिन्दू शब्द का फायदा कांग्रेस भाजपा से लेकर सभी पार्टीया करते है।
यह सब दलित पिछड़ा समाज को बहुजन समाज पार्टी हिन्दू विरोधी पार्टी लगती है?
बहुजन समाज पार्टी के सम विचार वाली पार्टी रिपब्लिकन है।
परंतु रिपब्लिकन के कहीं गुट होने के कारण एवं रिपब्लिकन के कहीं गुट कांग्रेस भाजपा से लेकर अन्य विरोधी विचार धारा से मिले है।
इसी कारण बहुजन समाज पार्टी एवं रिपब्लिकन गुटों का मिलाप नहीं हो पा रहा है।
और बहुत सारी कठिनाईया बहुजन समाज पार्टी के सामने है।
इसके बावजूद बहुजन समाज पार्टीने युपी मे चार बार सत्ता हासिल की और देश मे तिसरे नंबर की पार्टी बनी।
यही कारण कांग्रेस भाजपा को सलती रही।
और बहुजन समाज पार्टी को हराने केलिए कहीं तरह के हतकंडो का इस्तेमाल किया।
खासकर युपी मे।
वरना आप ही सोचिए।
जो पार्टी अपने प्रदेश मे विधान सभा मे हारने के बावजूद कम से कम 80 सिट लाती हो।
वो पार्टी उसी प्रदेश मे 20 सिट भी जुटा नहीं पाती।
जो पार्टी अपने प्रदेश मे 20 खासदार एवं कहीं जगह पर दो या तीन नंबर के वोट लेती हो।
वो पार्टी उसी प्रदेश मे 0 पर सिमट जाती है?
यह कैसे संभव है?
इसका मतलब अन्य पार्टी को नहीं बल्कि सिर्फ बहुजन समाज पार्टी को कांग्रेस भाजपा द्वारा टारगेट किया जा रहा है।
जिसका उदाहरण आपके सामने है।
1)कांग्रेस भाजपा से लेकर अन्य सभी पार्टीयो के नेतागण भ्रष्टाचार के मामले मे फंसे होने के बावजूद उन पर कोई चर्चा नहीं मीडिया मे?
परंतु बहनजी हर भ्रष्टाचार के मामले मे निर्दोष होने के बावजूद बहनजी का भ्रष्टाचार बार बार उछाला जाता है।
2) लगभग सभी पार्टीया टिकट बेचती है।
इस पर कोई चर्चा नहीं मीडिया मे?
परंतु बहुजन समाज पार्टी से जो बाहर जाते है।
वो बहनजी पर टिकट बेचने का आरोप लगाते है।
खास बात यह है के वो साबित नहीं करते और मजे कि बात है के विरुद्ध विचार धारा की पार्टी से जुड़ जाते है?
3)कांग्रेस भाजपा से लेकर अन्य सभी पार्टीयोने निजी फायदे केलिए सरकारी जमीने हडप ली।
परंतु इस पर कोई चर्चा मीडिया मे नहीं?
परंतु बहनजी द्वारा स्थापित पार्को एवं स्मारको की खुब चर्चा मीडिया मे उछाली जाती है? जबकि यह सारे पार्क एवं स्मारक सरकार की प्राॅपरटी है एवं इसके माध्यम से सरकार को आमदनी मिलती है।कहीं लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है।
4)जो सरकार बनती है।
वो चुनाव पहले कहीं वादे करती है।
जैसे रोजगार दिलाने के, गरीबो को घर दिलाने के,
महंगाई कम करने के,
अच्छी एवं मोफत शिक्षा दिलाने की,
अच्छी अस्पताल एवं बढीया इलाज की,
और इन सारी बातो को मीडिया मे बड़ा चढ़ाकर बताया जाता है?
वास्तव मे कुछ नहीं होता?
परंतु युपी मे बहनजीने यह सारी बाते उपलब्ध कराई
यहाँ तक के प्राइवेट सेक्टर मे सवर्ण से लेकर सबको आरक्षण उपलब्ध कराया परंतु इसकी कोई चर्चा नहीं मीडिया मे।
5) हर पार्टी के नेतागण एवं पार्टी के पास कहीं करोड़ों रुपए है।
इस पर कोई चर्चा नहीं मीडिया मे?
नोटबंदी काल मे 500 करोड़ नए नोट भाजपा नेता अपनी बेटी के शादी मे उडाता है?
परंतु बहनजी नियमों से बैंक मे 104 करोड़ पार्टी फंड के रुप मे भर्ती है तो मीडिया मे इसे खुब उछाल दिया जाता है?
6) जिस पार्टी का नाम पता नहीं होता उस पार्टी को चुनाव समय मीडिया प्रसिद्ध करती है?
परंतु बहुजन समाज पार्टी की कोई खबरें चुनाव वक्त दिखाई नहीं जाती यहाँ तक के बहनजी की रिकॉर्ड तोड़ सभाओ को भी नजरअंदाज किया जाता है।
जो कुछ दिखाते है वो सब बहुजन समाज पार्टी के विरुद्ध खबरें होती है।
भाजपा सत्ता में आते ही लंडन मे बाबा साहबजी रहे मकान को खरीदा?
मुंबई मे इंदू मिल की जगह ली?
दिक्षा भूमि मे महु मे मोदीने सभा ली?
इन बातों को दिन रात दिखाते है?
परंतु बहनजीने युपी मे बाबा साहबजी सहित अन्य महापुरुषों का उचित सम्मान किया है इसकी कोई चर्चा नहीं मीडिया मे।
अब दलित राष्ट्रपती देने की तैयारी की जा रही है?
इसे भी मीडिया उछाला जा रहा है?
अब इस दलित राष्ट्रपती के माध्यम से संविधान बदलने की साजिश है।
ऐसी भी चर्चा लोगों मे है।
और यह हो सकता है?
परंतु बहुजन यानी दलित पिछड़ो को एक बात समझनी चाहिए कांग्रेस भाजपा
अंबेडकरजी के हर बात को अब इतनी अहमियत कयो देते है?
यह सब बहुजन समाज पार्टी को रोकने केलिए हो रहा है।
ताकि आगे बहुजन समाज पार्टी सत्ता मे नहीं आए।
और संविधान के हिसाब से देश नहीं चले?
संविधान कब खत्म होगा उन्हें पता नहीं।
परंतु संविधान अमल करने वाली एवं संविधान बचाने वाली पार्टी को तो रोका जा सकता है। यही साजिश है।
इसीलिए वो चमचो का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहे है।
बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा समझे और जल्द से जल्द बहुजन समाज पार्टी से जुड़े।
जयभीम जय बहुजन
उपचुनाव में भाजपा की करारी हार, एक-एक सीट पर सपा व बसपा का कब्जा
गाजीपुर. यूपी में बीजेपी की योगी सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद उपलब्धियां गिनाने में मशगूल भारतीय जनता पार्टी को उपचुनाव में भारी झटका लगा है। उपचुनाव में कासिमाबाद सीट पर बसपा ने बाजी मारी तो करंडा सीट पर समाजवादी पार्टी ने भाजपा को करारी शिकस्त दे दी। करडा में बीजेपी तीसरे नंबर पर तो कासिमाबाद में चैथे नंबर पर जा पहुंची।
करंडा जिला पंचायत क्षेत्र में सपा के प्रत्याशी लाल बहादुर यादव 5,267 मत, बसपा के हीरालाल चक्रवर्ती 3,662 मत, भाजपा के जयप्रकाश बिंद 2848 मत, अजय कुशवाहा 1,096 मत, सत्यदेव यादव 84 मत, शिवपूजन उर्फ पांचू 72 वोट मिले। इस प्रकार सपा प्रत्याशी लाल बहादुर यादव ने बसपा के हीरालाल चक्रवर्ती को 1,605 मतों से पराजित कर दिया। मतगणना स्थल पर सदर तहसीलदार नंदप्रकाश मौर्या व बीडीओं करंडा निजला मौजूद थे।
कासिमाबाद जिलापंचायत क्षेत्र के मतगणना के अनुसार बसपा से रीता देवी 7,124 मत, भासपा की शीला देवी 3,076, सीपीएम व सपा के गठबंधन प्रत्याशी पुष्पा देवी 2,522 मत, भाजपा की गुडि़या पासी को 1,524 मत मिले। इस प्रकार बसपा के प्रत्याशी रीता देवी भासपा के प्रत्याशी शीला देवी को 4,048 मतों से पराजित कर दिया। ग्राम खजुआं में ग्राम प्रधान पद पर रमाकांत पांडेय 68 मतों से विजयी हुए।
चुनाव परिणाम आने पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा और बसपा ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब रहें। एक तरफ अंसारी बंधुओं के खासमखास कान्ता राम ने बसपा का झंडा लहराने में कामयाब रहें। वहीं विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव अंदर-बाहर विरोध के बावजूद अपने प्रत्याशी को जीताकर अपना दबदबा कायम रखने में सफल रहें। भाजपा की विधायक संगीता बलवंत अपने मंसूबों नाकामयाब रहीं उनका प्रत्याशी बुरी तरह से पराजित हो गया
https://youtu.be/GWcdp5-RT3s
https://youtu.be/5cHDatQkxjU
बहुजन समाज पार्टी
की
विधानसभा एवं लोकसभा मे बुरी हार कैसे?
इस हार के अलग अलग तर्क लगाए जा रहे है।
1)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी खत्म हो गई?
2)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी के सुप्रीमो बहन मायावतीजी के घमंड एवं भ्रष्टाचार के कारण हार गई?
3)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी के कददावर नेता बाहर होने के कारण हार हुई?
4)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी का जनाधार कम होने के कारण हार हुई?
5)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी अंबेडकरवादी होने के कारण हार हुई?
6)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टीने
पार्को एवं पुतलो पर खर्च करने के कारण हार गईं?
7)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी मे ब्राह्मण को लेने के कारण हार गईं?
8)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी चुनाव टिकट बेचने के कारण हार गईं?
9)कोई कहता है।
बहुजन समाज पार्टी दुसरी पार्टीयो गठबंधन नहीं करने के कारण एवं अन्य दलित नेता को अहमियत नहीं देने के कारण हार गईं?
10)कोई कहता है।
मोदी लहर के कारण बहुजन समाज पार्टी हार गईं?
11)कोई कहता है।
E.v.m. घोटाला होने के कारण बहुजन समाज पार्टी हार गईं?
बहुजन समाज पार्टी के हार का कारण कुछ भी हो?
हमे बहुजन समाज पार्टी के बारे मे सच्चाई जानना जरूरी है।
बहुजन समाज पार्टी 1984 मे मान्यवर काशिरामजी द्वारा स्थापित की गई पार्टी है।
मान्यवर काशिरामजीने पूरे देश मे बामसेफ के माध्यम से पहले जनजागृती की फिर बहुजन समाज पार्टी का चयन कर युपी मे बहुजन समाज पार्टी को सत्ता दिलायी।
देश मे कहीं पार्टीया है।
इन पार्टीयो मे कांग्रेस भाजपा देश की बड़ी पार्टीया है।
अन्य छोटी मोटी पार्टीया बहुत है।
परंतु कांग्रेस भाजपा से लेकर यह सब पार्टीया लगभग एक ही विचारधारा एवं एक दुसरे को मददगार होने के कारण देश तथा राज्यों मे सफल रही है।
एकमात्र बहुजन समाज पार्टी इन सारे पार्टी से अलग विचारधारा लेकर चल रही है।
और बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा बहुजन यानी देश मे दलित पिछड़े के हित मे होने के बावजूद बहुजन यानी दलित पिछड़ा समाज पूरी तरह बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा नहीं।
बल्कि यह समाज के हितों के विरुद्ध विचारधारा से यह समाज जुड गया है।
और इसका एकमात्र कारण है।
यह दलित पिछड़ा समाज खुद को हिन्दू मानता है।
और इसी हिन्दू शब्द का फायदा कांग्रेस भाजपा से लेकर सभी पार्टीया करते है।
यह सब दलित पिछड़ा समाज को बहुजन समाज पार्टी हिन्दू विरोधी पार्टी लगती है?
बहुजन समाज पार्टी के सम विचार वाली पार्टी रिपब्लिकन है।
परंतु रिपब्लिकन के कहीं गुट होने के कारण एवं रिपब्लिकन के कहीं गुट कांग्रेस भाजपा से लेकर अन्य विरोधी विचार धारा से मिले है।
इसी कारण बहुजन समाज पार्टी एवं रिपब्लिकन गुटों का मिलाप नहीं हो पा रहा है।
और बहुत सारी कठिनाईया बहुजन समाज पार्टी के सामने है।
इसके बावजूद बहुजन समाज पार्टीने युपी मे चार बार सत्ता हासिल की और देश मे तिसरे नंबर की पार्टी बनी।
यही कारण कांग्रेस भाजपा को सलती रही।
और बहुजन समाज पार्टी को हराने केलिए कहीं तरह के हतकंडो का इस्तेमाल किया।
खासकर युपी मे।
वरना आप ही सोचिए।
जो पार्टी अपने प्रदेश मे विधान सभा मे हारने के बावजूद कम से कम 80 सिट लाती हो।
वो पार्टी उसी प्रदेश मे 20 सिट भी जुटा नहीं पाती।
जो पार्टी अपने प्रदेश मे 20 खासदार एवं कहीं जगह पर दो या तीन नंबर के वोट लेती हो।
वो पार्टी उसी प्रदेश मे 0 पर सिमट जाती है?
यह कैसे संभव है?
इसका मतलब अन्य पार्टी को नहीं बल्कि सिर्फ बहुजन समाज पार्टी को कांग्रेस भाजपा द्वारा टारगेट किया जा रहा है।
जिसका उदाहरण आपके सामने है।
1)कांग्रेस भाजपा से लेकर अन्य सभी पार्टीयो के नेतागण भ्रष्टाचार के मामले मे फंसे होने के बावजूद उन पर कोई चर्चा नहीं मीडिया मे?
परंतु बहनजी हर भ्रष्टाचार के मामले मे निर्दोष होने के बावजूद बहनजी का भ्रष्टाचार बार बार उछाला जाता है।
2) लगभग सभी पार्टीया टिकट बेचती है।
इस पर कोई चर्चा नहीं मीडिया मे?
परंतु बहुजन समाज पार्टी से जो बाहर जाते है।
वो बहनजी पर टिकट बेचने का आरोप लगाते है।
खास बात यह है के वो साबित नहीं करते और मजे कि बात है के विरुद्ध विचार धारा की पार्टी से जुड़ जाते है?
3)कांग्रेस भाजपा से लेकर अन्य सभी पार्टीयोने निजी फायदे केलिए सरकारी जमीने हडप ली।
परंतु इस पर कोई चर्चा मीडिया मे नहीं?
परंतु बहनजी द्वारा स्थापित पार्को एवं स्मारको की खुब चर्चा मीडिया मे उछाली जाती है? जबकि यह सारे पार्क एवं स्मारक सरकार की प्राॅपरटी है एवं इसके माध्यम से सरकार को आमदनी मिलती है।कहीं लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है।
4)जो सरकार बनती है।
वो चुनाव पहले कहीं वादे करती है।
जैसे रोजगार दिलाने के, गरीबो को घर दिलाने के,
महंगाई कम करने के,
अच्छी एवं मोफत शिक्षा दिलाने की,
अच्छी अस्पताल एवं बढीया इलाज की,
और इन सारी बातो को मीडिया मे बड़ा चढ़ाकर बताया जाता है?
वास्तव मे कुछ नहीं होता?
परंतु युपी मे बहनजीने यह सारी बाते उपलब्ध कराई
यहाँ तक के प्राइवेट सेक्टर मे सवर्ण से लेकर सबको आरक्षण उपलब्ध कराया परंतु इसकी कोई चर्चा नहीं मीडिया मे।
5) हर पार्टी के नेतागण एवं पार्टी के पास कहीं करोड़ों रुपए है।
इस पर कोई चर्चा नहीं मीडिया मे?
नोटबंदी काल मे 500 करोड़ नए नोट भाजपा नेता अपनी बेटी के शादी मे उडाता है?
परंतु बहनजी नियमों से बैंक मे 104 करोड़ पार्टी फंड के रुप मे भर्ती है तो मीडिया मे इसे खुब उछाल दिया जाता है?
6) जिस पार्टी का नाम पता नहीं होता उस पार्टी को चुनाव समय मीडिया प्रसिद्ध करती है?
परंतु बहुजन समाज पार्टी की कोई खबरें चुनाव वक्त दिखाई नहीं जाती यहाँ तक के बहनजी की रिकॉर्ड तोड़ सभाओ को भी नजरअंदाज किया जाता है।
जो कुछ दिखाते है वो सब बहुजन समाज पार्टी के विरुद्ध खबरें होती है।
भाजपा सत्ता में आते ही लंडन मे बाबा साहबजी रहे मकान को खरीदा?
मुंबई मे इंदू मिल की जगह ली?
दिक्षा भूमि मे महु मे मोदीने सभा ली?
इन बातों को दिन रात दिखाते है?
परंतु बहनजीने युपी मे बाबा साहबजी सहित अन्य महापुरुषों का उचित सम्मान किया है इसकी कोई चर्चा नहीं मीडिया मे।
अब दलित राष्ट्रपती देने की तैयारी की जा रही है?
इसे भी मीडिया उछाला जा रहा है?
अब इस दलित राष्ट्रपती के माध्यम से संविधान बदलने की साजिश है।
ऐसी भी चर्चा लोगों मे है।
और यह हो सकता है?
परंतु बहुजन यानी दलित पिछड़ो को एक बात समझनी चाहिए कांग्रेस भाजपा
अंबेडकरजी के हर बात को अब इतनी अहमियत कयो देते है?
यह सब बहुजन समाज पार्टी को रोकने केलिए हो रहा है।
ताकि आगे बहुजन समाज पार्टी सत्ता मे नहीं आए।
और संविधान के हिसाब से देश नहीं चले?
संविधान कब खत्म होगा उन्हें पता नहीं।
परंतु संविधान अमल करने वाली एवं संविधान बचाने वाली पार्टी को तो रोका जा सकता है। यही साजिश है।
इसीलिए वो चमचो का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहे है।
बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा समझे और जल्द से जल्द बहुजन समाज पार्टी से जुड़े।
जयभीम जय बहुजन
उपचुनाव में भाजपा की करारी हार, एक-एक सीट पर सपा व बसपा का कब्जा
गाजीपुर. यूपी में बीजेपी की योगी सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद उपलब्धियां गिनाने में मशगूल भारतीय जनता पार्टी को उपचुनाव में भारी झटका लगा है। उपचुनाव में कासिमाबाद सीट पर बसपा ने बाजी मारी तो करंडा सीट पर समाजवादी पार्टी ने भाजपा को करारी शिकस्त दे दी। करडा में बीजेपी तीसरे नंबर पर तो कासिमाबाद में चैथे नंबर पर जा पहुंची।
करंडा जिला पंचायत क्षेत्र में सपा के प्रत्याशी लाल बहादुर यादव 5,267 मत, बसपा के हीरालाल चक्रवर्ती 3,662 मत, भाजपा के जयप्रकाश बिंद 2848 मत, अजय कुशवाहा 1,096 मत, सत्यदेव यादव 84 मत, शिवपूजन उर्फ पांचू 72 वोट मिले। इस प्रकार सपा प्रत्याशी लाल बहादुर यादव ने बसपा के हीरालाल चक्रवर्ती को 1,605 मतों से पराजित कर दिया। मतगणना स्थल पर सदर तहसीलदार नंदप्रकाश मौर्या व बीडीओं करंडा निजला मौजूद थे।
कासिमाबाद जिलापंचायत क्षेत्र के मतगणना के अनुसार बसपा से रीता देवी 7,124 मत, भासपा की शीला देवी 3,076, सीपीएम व सपा के गठबंधन प्रत्याशी पुष्पा देवी 2,522 मत, भाजपा की गुडि़या पासी को 1,524 मत मिले। इस प्रकार बसपा के प्रत्याशी रीता देवी भासपा के प्रत्याशी शीला देवी को 4,048 मतों से पराजित कर दिया। ग्राम खजुआं में ग्राम प्रधान पद पर रमाकांत पांडेय 68 मतों से विजयी हुए।
चुनाव परिणाम आने पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा और बसपा ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब रहें। एक तरफ अंसारी बंधुओं के खासमखास कान्ता राम ने बसपा का झंडा लहराने में कामयाब रहें। वहीं विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव अंदर-बाहर विरोध के बावजूद अपने प्रत्याशी को जीताकर अपना दबदबा कायम रखने में सफल रहें। भाजपा की विधायक संगीता बलवंत अपने मंसूबों नाकामयाब रहीं उनका प्रत्याशी बुरी तरह से पराजित हो गया
https://youtu.be/GWcdp5-RT3s
https://youtu.be/5cHDatQkxjU
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