Thursday 10 August 2017

हिन्दुत्व से बुद्ध की ओर

*बाबासाहेब डॉ अंबेडकर  में हिन्दुत्व से बुद्ध की ओर तथा वंचित समाज का विकास*
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डॉ0 अम्‍बेडकर का स्‍पष्‍ट मानना था कि व्‍यापक अर्थों में हिन्‍दुत्‍व की रक्षा तभी सम्‍भव है जब ब्राह्मणवाद का खात्‍मा कर दिया जाय, क्‍योंकि ब्राह्मणवाद की आड़ में ही लोकतांत्रिक मूल्‍यों-समता, स्‍वतंत्रता और बन्‍धुत्‍व का गला घोंटा जा रहा है। अपने एक लेख *‘हिन्‍दू एण्‍ड वाण्‍ट ऑफ पब्‍लिक कांसस’ में डॉ0 अम्‍बेडकर लिखते हैं* कि- ‘‘दूसरे देशों में जाति की व्‍यवस्‍था सामाजिक और आर्थिक कसौटियों पर टिकी हुई है। गुलामी और दमन को धार्मिक आधार नहीं प्रदान किया गया है, किन्‍तु हिन्‍दू धर्म में छुआछूत के रूप में उत्‍पन्‍न गुलामी को धार्मिक स्‍वीकृति प्राप्‍त है। ऐसे में गुलामी खत्‍म भी हो जाये तो छुआछूत नहीं खत्‍म होगा। यह तभी खत्‍म होगा जब समग्र हिन्‍दू सामाजिक व्‍यवस्‍था विश्‍ोषकर जाति व्‍यवस्‍था को भस्‍म कर दिया जाये। प्रत्‍येक संस्‍था को कोई-न-कोई धार्मिक स्‍वीकृति मिली हुई है और इस प्रकार वह एक पवित्र व्‍यवस्‍था बन जाती है। यह स्‍थापित व्‍यवस्‍था मात्र इसलिए चल रही है क्‍योंकि उसे सवर्ण अधिकारियों का वरदहस्‍त प्राप्‍त है। 

उनका सिद्धान्‍त सभी को समान न्‍याय का वितरण नहीं है अपितु स्‍थापित मान्‍यता के अनुसार न्‍याय वितरण है।” यही कारण था कि 1935 में नासिक में आयोजित एक सम्‍मलेन में डॉ0 अम्‍बेडकर ने हिन्‍दू धर्म को त्‍याग देने की घोषणा कर दी। अपने सम्‍बोधन में उन्‍होंने कहा कि- ‘‘सभी धर्मो का निकट से अध्‍ययन करने के पश्‍चात हिन्‍दू धर्म में उनकी आस्‍था समाप्‍त हो गई। वह धर्म, जो अपने में आस्‍था रखने वाले दो व्‍यक्‍तियों में भेदभाव करे तथा अपने करोड़ोंं समर्थकों को कुत्‍ते और अपराधी से बद्‌तर समझे, अपने ही अनुयायियों को घृणित जीवन व्‍यतीत करने के लिए मजबूर करे, वह धर्म नहीं है। धर्म तो आध्‍यात्‍मिक शक्‍ति है जो व्‍यक्‍ति और काल से ऊपर उठकर निरन्‍तर भाव से सभी पर, सभी नस्‍लों और देशों में शाश्‍वत रूप से एक जैसा रमा रहे। धर्म नियमों पर नहीं, वरन्‌ सिद्धान्‍तों पर आधारित होना चाहिये।”

 *यहाँ स्‍पष्‍ट करना जरूरी है कि डॉ0 अम्‍बेडकर ने आखिर बौद्ध धर्म ही क्‍यों चुना?*
 वस्‍तुतः यह एक विवादित तथ्‍य भी रहा है कि क्‍या जीवन के लिए धर्म जरूरी है? डॉ0 अम्‍बेडकर ने धर्म को व्‍यापक परिप्रेक्ष्‍य में देखा था। उनका मानना था कि धर्म का तात्त्विक आधार जो भी हो, नैतिक सिद्धान्‍त और सामाजिक व्‍यवहार ही उसकी सही नींव होते हैं। यद्यपि बौद्ध धर्म अपनाने से पूर्व उन्‍होंने इस्‍लाम और ईसाई धर्म में भी सम्‍भावनाओं को टटोला पर अन्‍ततः उन्‍होंने बौद्ध धर्म को ही अपनाया क्‍योंकि यह एक ऐसा धर्म है जो मानव को मानव के रूप में देखता है किसी जाति के खाँचे में नहीं। एक ऐसा धर्म जो धम्‍म अर्थात नैतिक आधारों पर अवलम्‍बित है न कि किन्‍हीं पौराणिक मान्‍यताओं और अन्‍धविश्‍वास पर। 

डॉ0 अम्‍बेडकर बौद्ध धम्म के *‘आत्‍मदीपोभव’* से काफी प्रभावित थे और मूलनिवासीों व अछूतों की प्रगति के लिये इसे जरूरी समझते थे। डॉ0 अम्‍बेडकर इस तथ्‍य को भलीभांति जानते थे कि सवर्णोंं के वर्चस्‍व वाली इस व्‍यवस्‍था में कोई भी बात आसानी से नहीं स्‍वीकारी जाती वरन्‌ उसके लिए काफी दबाव बनाना पड़ता है।

 स्‍वयं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहरलाल नेहरू ने डॉ0 अम्‍बेडकर के निधन पश्‍चात उन्‍हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि *–‘‘डॉ0 अम्‍बेडकर हमारे संविधान निर्माताओं में  थे। इस बात में कोई संदेह नहीं कि संविधान को बनाने में उन्‍होंने जितना कष्‍ट उठाया और ध्‍यान दिया उतना किसी अन्‍य ने नहीं दिया। वे हिन्‍दू समाज के सभी दमनात्‍मक संकेतों के विरूद्ध विद्रोह के प्रतीक थे। बहुत मामलों में उनके जबरदस्‍त दबाव बनाने तथा मजबूत विरोध खड़ा करने से हम मजबूरन उन चीजों के प्रति जागरूक और सावधान हो जाते थे तथा सदियों से दलित वर्ग की उन्‍नति के लिये तैयार हो जाते थे।”*

*जय भीम जय भारत दोस्तों *
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*इसलिए समय रहते सचेत हो जाओ तथा जागो और जगाओ मनुवाद ब्राह्मणवाद स्वर्ण वाद भगवा आतंक भगाओ समाज को जागरूक करो शिक्षित करो संगठित करो और अपनी सत्ता स्थापित करो*


*"1995 ई. तथा अब 2017 ई. में सुप्रीम कोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि हिंदू कोई धर्म नहीं है।"*

दोस्तों, आजकल हिन्दू हिन्दू हिन्दू हिन्दू , आप जिधर देखो उधर हिन्दू या हिन्दुस्थान ! यही नाम नजर आता है । खासकर ये जातिवादी पार्टियों कि एक बड़ी पहचान है। मगर क्या है ये हिन्दू ? कौन है ये हिन्दू ? हिन्दू शब्द कहा से आया ? कौन से धर्म ग्रन्थ में है ये हिन्दू शब्द? इस हिन्दू शब्द से किसको फायदा है ? किसको नुक्सान है ? हिन्दू होने का सबूत क्या है ?


ऐसे एक से एक सवाल कई बार उठाये गए है और इसका हमें जवाब मिलने के बजाय गालिया मिली। हमें आतंकवादी कहा गया। हमें पाकिस्तानी कहा गया। आई एस आई का एजेंट कहा गया। राष्ट्रद्रोही कहा गया। और गन्दी गन्दी गालिया मिली । तो क्या जो माँ बहनो पे गालिया देता है, आतंकवादी कहता है, राष्ट्रद्रोही कहता है, पाकिस्तानी कहता है, आई एस आई का एजेंट कहता है, किसी ख़ास राजनैतिक पार्टी से सम्बन्ध रखता है वो हिन्दू है ? जी नहीं, वह हिन्दू नहीं है। हम आपको सीना तान के बता सकते है कि इस देश में हिन्दू कोई नहीं है। कैसे ? चलो बताते है.……


*इस देश के 20 करोड़ से भी ज्यादा मुसलमान हिन्दू नहीं है। लगभग 2 करोड़ क्रिश्चियन हिन्दू नहीं है। लगभग 3 करोड़ सिख हिन्दू नहीं है। यानि की इस देश की 25 करोड़ आबादी हिन्दू नहीं है।* *अनुसूचित जाति और जनजाति-* हिन्दू नहीं है। अगर SC दलित हिन्दू होते तो उनको वेद, पुराण, रामायण और अन्य धर्मग्रन्थ पढ़ने का अधिकार होता। उनको मंदिर में जाने का अधिकार होता। पंडित बनने का अधिकार होता। वही बात आदिवासियों के बारे में भी है। अगर आदिवासी लोग हिन्दू होते तो उनको भी पुरे संस्कार होते, उनको भी पढने लिखने का अधिकार होता, उपनयन का अधिकार होता , लेकिन उनको भी ये सब अधिकार नहीं थे/है। इसीलिए अनूसूचित जाति के लोग भी हिन्दू नहीं है।
*sc और st आदिवासी लोगों कि जनसँख्या लगभग 25 करोड़ तक है। अर्थात sc, st और माइनॉरिटीज लगभग 50 करोड़ आबादी हिन्दू नहीं है।*

*पिछड़ी जाति/OBC-* अब बात करते है पिछड़ी जाति कि यानि कि अन्य पिछड़ी जाती (Other Backward Castes) जैसे कि यादव, अहीर, भुजबल, वन्नियार, कश्यप, कुमहार, गडरिया, कोइरी, मौर्य, सैनी, आदि इनकी जिनकी आबादी लगभग 60 करोड़ तक कि अनुमानित की गयी है। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है। मगर इस देश कि जातिवादी सरकार उनकी गिनती नहीं करना चाहती है, क्यों कि अगर पिछड़ी जाति के लोगों की गिनती की जाती है तो उनको उनकी कितनी संख्या है पता चल जाएगा और मेजोरिटी होने के बावजूद उनकी भागीदारी नौकरी, मीडिया, और अन्य क्षेत्रों में कम ही है, इसीलिए उनकी जनगणना से सरकार के खिलाफ विद्रोह हो सकता है। अगर OBC लोग हिन्दू होते तो उनको भी उपनयन का अधिकार मिलता, उनका भी संस्कार होता। उनके लिए बनाये गए मंडल कमीशन के लिए विरोध ना होता। अगर वो हिन्दू होते तो कोई भी ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य की लड़कियो से शादी करता, लेकिन नहीं करते। इसीलिए इस देश के 60 करोड़ ओबीसी लोग भी हिन्दू नहीं है। यानि की 50 + 60 =110 करोड़ हिन्दू नहीं है।


*आप जान लिए न कि इस देश के 110 करोड़ लोग हिन्दू नहीं है।*

*भारत देश कि जनसँख्या करीब 125 करोड़ है। यानि कि 125-110=15 करोड़ लोग ही हिन्दू हैं। इस देश के 15 करोड़ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य लोग ही हिन्दू हैं।* मगर क्या ये 15 करोड़ लोग वाकई में हिन्दू है ? जी नहीं !

*यूनिवर्सिटी ऑफ़ युताहा (University Of Utaha) के माइकल बमशाद के मुताबिक जो खुद को ऊँची जाति के मानते हैं, वह ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य इनका DNA मध्य एशिया के कास्पियन सागर है। वहां के लोगों से 99.99% मिलता जुलता है। इसीलिए ये 15 करोड़ आबादी भी हिन्दू नहीं है।* इस प्रकार यह सिद्ध हुआ कि इस देश में हिन्दू कोई नहीं है।


यही नहीं दोस्तों, *हिन्दू या हिंदुस्तान शब्द भारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने नहीं माना है। भारतीय संविधान लिखते वक्त संविधान में हिन्दू शब्द नहीं डाला है। उन्होंने संविधान में इस देश का नाम इंडिया अर्थात भारत लिखा है। हिन्दू या हिंदुस्तान भारतीय संविधान के भी खिलाफ है। संविधान में बाबासाहब ने लिखा है कि इंडिया यानि भारत एक संयुक्त राज्य होगा। उन्होंने जान बुझकर India/भारत ऐसा इसलिए लिखा क्योंकि उनको पता था कि इस देश के कपटी शासक (Ruler) लोग इंडिया का ट्रांसलेशन हिन्दुस्तान करेंगे। इसीलिए बाबासाहब ने भारत लिखा। क्योंकि भारत 500 सालो से पूर्व से अस्तित्व में है।*

*Article 1(1) of the Indian Constitution : “India, that is Bharat, shall be a Union of States.”*

तो फिर ये हिन्दू क्या है ? हिन्दू या हिन्दुस्तान क्या बला है ? दोस्तों,  मुस्लिम और पर्शियन राजाओं ने जब भारत पर आक्रमण किया तब इस देश की जनता को गुलाम बनाया। जिस अरबी आदमी कि मातृभाषा अरबी है उनको पूछा जाए कि हिन्दू का क्या मतलब है ? *हिन्दू का मतलब अरबी और पर्शियन भाषा में गुलाम, दास, गाली इत्यादि होता है।* *स्वामी दयानंद सरस्वती भी अपने समाज को हिन्दू नहीं बल्कि आर्य समाज कहे हैं।*




हिन्दू शब्द इस देश के किसी भी *धार्मिक ग्रन्थ में, पुरानो में या स्मृतियों में नहीं पाया जाता है।* जिनको ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य लोग हिन्दू कहते है उसका असली नाम *आर्य या ब्राह्मण धर्म* है। ब्राह्मण बनिया और क्षत्रिय लोग खुद को और इस देश के सभी गैर मुसलमानो को हिन्दू इसलिए बोलते हैं ताकि उनका इस देश पर केंद्र की राजनीति, न्यायपालिका, मीडिया, सरकारी नौकरिया और अन्य क्षेत्रों में जो कब्ज़ा है वह बरकरार रखना है।  हिन्दू कहने से और कहलवाने से दुश्मन दिखायी नहीं देता है, दुश्मन छुप जाता है और भ्रम (Confusion) कि स्थिति बरकरार रहती है। यही भ्रम कि स्थिति हजारो सालों से अभी तक बरकरार है।

1 comment:

  1. *शरद यादव का आरक्षण और जातिव्यवस्था पर राज्यसभा में तार्किक और जबरजस्त बयान* https://youtu.be/H7L78uxWNjY

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