Saturday 5 August 2017

धार्मिक शोध

*कुछ अविश्वसनीय धार्मिक शोध....*
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1. सतयुग में शिव और गणेश थे... 
2. तेत्रायुग राम थे....
 3. द्वापरयुग में कृष्ण थे...
 तो जाहिर सी बात है इन तीनो युगो में समय का अंतर भी रहा होगा ?? लेकिन यहाँ  मन में एक प्रश्न उठता है कि परसुराम अवतार थे वो तीनो युगो में कैसे आ सकते है ??
 1. पहले सतयुग मे परसुराम का गणेश के साथ युद्ध इतिहास है,,, जो पार्वती के स्नान करते समय गणेश के साथ युद्ध होता है और गणेश का एक दांत परसुराम तोड़ देते है,,, तबसे गणेश एकदंत भी कहा जाता है,,,
 2. दूसरे तेत्रायुग मे रामायण काल में श्री राम जब शिव-धनुष उठाते है तब परसुराम गुस्से से आते है और राम से परसुराम का वार्तालाप होता है,,,,
 3... तीसरे द्वापरयुग में महाभारत काल में परसुराम भीष्मपितामह और कर्ण के गुरु थे ?? यहाँ मन में एक सवाल उठता है कि तीनो युगो में एक ही व्यक्ति कैसे आ सकता है ??  इस अंदाज से परसुराम की उम्र कितनी होनी चाहिये जो तीनो युगो में दिखायी पड़ते है ??

सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है



*यदि भारत के भविष्य निर्माण करना हो तो ब्राह्मणों को पैरों तले कुचल डालो ! - स्वामी विवेकानंद*

स्वामी विवेकानन्द शिकागो में जब "विश्व धर्म" सम्मेलन का आयोजन 1893 में हो रहा था तब स्वामी विवेकानन्द धर्म सम्मेलन  मे बोलने हेतु पहुंचे थे, उन्होने आयोजकों से विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण देने की इजाजत मांगी, तो आयोजकों ने उनसे हिन्दू धर्म के प्रवक्ता होने का प्रमाण पत्र मांगा, तो स्वामी विवेकानन्द ने वहां शिकागो से भारत के शंकराचार्य को तार भेजा और कहा की मुझे हिन्दू धर्म का प्रवक्ता होने का प्रमाण पत्र भिजवाने का कष्ट करें। इस पर शंकराचार्य (जो की ब्राम्हण जाति की आरक्षित उपाधि है) ने स्वामी विवेकानन्द को कहा की, "तुम ब्राम्हण जाति के नहीं हो बल्कि "शूद्र" जाति के हो; अत: तुम्हें हिन्दूओ का प्रवक्ता नहीं बनाया जा सकता है।"

शंकराचार्य के जातिवाद और भेदभाव से स्वामीजी का मन उदास हो गया , वे ब्राम्हणों के इस व्यवहार से काफी दुखी हुए । स्वामीजी की पीड़ा देख कर वहां शिकागो में मौजूद श्रीलंका से आए "बौद्ध धर्म" के प्रवक्ता अनागरिक धम्मपाल बौद्ध जी ने स्वामीजी को अपनी ओर से एक सहमति पत्र दिया कि स्वामी विवेकानन्द विद्वान है, एवं ओजस्वी वक्ता है। इन्हें धर्म ससंद मॆं अपनी बातें कहने का मौका दिया जाये। इस तरह स्वामी जी को हिन्दू धर्म पर बोलने का मौका दिया।

शास्त्रों में उल्लेख होने के कारण स्वामीजी को शिकागो की धर्म ससंद मॆं बोलने के लिये ब्राह्मणों ने अधिकृत नहीं किया। विवेकानंद को बोलने के लिए धम्मपाल के भाषण के समय में से सिर्फ पांच मिनट दिये गये। उस पाच मिनट में स्वामिजी ने अपनी बात रखी और इन्ही पांच मिनट की वजह से उनको सर्वोत्तम वक्ता का इनाम मिला ।ब्राह्मणों के दुर्व्यवहार के कारण ही स्वामी जी ने अपनी पुस्तक"भारत का भविष्य" में कहा है कि, यदि भारत के भविष्य निर्माण करना हो तो ब्राम्हणों को पैरों तले कुचल डालो !


लंका मे जब लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा तब उनके प्राण बचाने के लिये सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान जी "संजीवनी बूटी" लेने #द्रोणागिरि पर्वत की ओर उड़े! लंका से द्रोणागिरि पर्वत की दूरी लगभग 3 हजार किमी० है!
हनुमान जी आधी रात को उड़े थे और रास्ते मे थोड़ा समय #कालनेमी ने बर्बाद किया, लौटते समय #भरत ने भी बाण मारकर कुछ समय नष्ट किया!

         हनुमान जी ने आने--जाने मे 6 हजार किमी० की यात्रा की, अगर ऐसा माना जाये कि उन्हे छः घन्टे लगे तब भी औसत चाल हुयी एक हजार किमी० प्रति घंटा,
अब पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 13 करोड़ 80 लाख किमी० है, तो हनुमान को बचपन मे कितना दिन लगेगा सूर्य तक पहुँचने मे,और फिर वापस पृथ्वी पर आने मे।

  तुलसीदास जी फेकने मे तो आप माहिर थे, अब जरा यह भी बताओ कि जो हनुमान जवानी मे हजार किमी० प्रति घंटा की चाल से उड़े, तो बचपन मे किस चाल से सूर्य की तरफ उड़े थे!

            बाबा तुलसी का झूठ देखो कि लिखते है कि हनुमान सूर्य को निगलकर धरती पर वापस आकर बैठे थे और देवतागण विनती कर रहे थे कि सूर्य को बाहर निकालो! सूर्य, पृथ्वी से दर्जनो लाख गुना बड़ा है और उसे खाकर हनुमान जी पृथ्वी पर ही बैठे थे!

        दूसरी बात कोई भी बन्दर अगर केला भी खाता है तो उसे चबाकर खाता है, और हनुमान सूर्य को बिना चबाये ही निगल गये फिर देवताओं के कहने पर उसी स्थिति मे बाहर भी निकाल दिया!

    भला यह सम्भव है कि जो चीज मुँह से खायी जाये उसे मुँह से ही सही-सलामत वापस भी निकाल दिया जाये!

तुलसी बाबा झूठ की झड़ी!!!!
मनुवाद के झुठ ओर पाखंड जिन पर हम आँख बंद करके  विशवास् कर लेते हैं। 
आईये जानते है कुछ ऐसे ही झुठी कहानियों को।
1- जब हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुह में दबा लिया था तब सिर्फ भारत में अंधेरा हुआ था या पूरे विश्व में।

2- कृष्ण जी की गेंद यमुना में कैसे डूब गई जबकि दुनिया की कोई गेंद पानी में नही डूब सकती।

3- कहा जाता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं जबकि उस समय भारत की कुल जनसंख्या भी 33 करोड़ नही थी।

4- भारत के अलावा और किसी देश में इन 33 करोड़ देवताओ में से सिर्फ भगवान बुद्ध के अलावा किसी देवताओ को नही पूजा जाता।

5- आरक्षण से पहले इनके बंदर भी उड़ते थे , ओर न जाने किस किस विधि से बच्चों का जन्म हो जाता था, परंतु जबसे आरक्षण लागू हुआ है इनके सारे आविष्कार बन्द हो गए।

6- जब एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति को बिना ग्रुप मिलाये हुए नही दिया जा सकता क्योंकि अगर  A positive वाले व्यक्ति को सिर्फ आ positive वाले व्यक्ति का खून दिया जा सकता है अगर दूसरा खून दिया गया तो उस व्यक्ति की मौत हो सकती है। फिर इंसान के शरीर पर हाथी की गर्दन कैसे फिट हो गयी।

7- 33 करोड़ देवी देवताओं के होते हुए भी भारत हजारों साल कैसे गुलाम हो गया।

8- कोई भी देवता किसी शुद्र के घर पर पैदा क्यों नही हुआ।


9- इतने सारे देवी देवताओं के होते हुए भी शुद्र का विकास क्यों नही हुआ। उनके साथ भेदभाव क्यो हुआ।

4 comments:

  1. जब इतिहास लिखा जाएगा तब
    इतिहासकारों को लिखना होगा कि

    21वीं सदी में जब
    कोरिया ,अमेरिका जैसे मुल्क
    हाइड्रोजन बम का परिक्षण कर रहे थे,
    चीन ,जापान ,तकनीक की दुनिया के ,
    सुपर पॉवर बन रहे थे,,
    1.25करोड़ नौकरियां हर साल
    अपने नागरिकों को चीन दे रहा था,

    तब

    भारत की मीडिया ,और सरकार ,
    भोले और सीधे सादे अपने नागरिको को,,

    #गाय #गोबर, गऊमूत्र, #बीफ ,#मंदिर ,मस्जिद,# मुसलमान ,तलाक,
    #आंसू द्वारा मोरनी को गर्भवती करने , #गाय के लिए कत्ल करने ,
    आदि में
    उलझा कर सत्ता की मौज ले रहे थे .....


    जय हिंद 🇮🇳

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  2. कलक्टर पर गरम हैं एमपी के सीएम शिवराज... बोले हैं- डीएम को उल्टा टांग देंगे..
    https://goo.gl/9nXHL1

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  3. भारतीय मीडिया में दलित पत्रकार क्यों नहीं हैं?
    http://thewirehindi.com/12056/indian-media-newsroom-dalit-journalist-reporters/?utm_source=socialshare&utm_medium=whatsapp

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  4. stor kaha se li hai kripa karke kisi book ka refernce denge ya apni man se likh dali hai kahani ...

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