Thursday, 10 August 2017

देश में हिन्दुत्व पर जोर क्यों

*हमारे देश में हिन्दुत्व पर जोर क्यों दिया जा रहा है ?*

    जो लोग सन 1922 से पहले अपने आपको हिन्दु कहलाना तक पसंद नहीं करते थे बल्कि हिन्दु शब्द को गाली मानते थे और   जब सभी हिंदुओं पर जजिया कर लगाया गया था तो ब्राह्मणों ने कहा था कि हम लोग हिन्दु नहीं हैं इसलिये ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त किया जाए और इस सम्बंध में उन्होंने बहुत सारे प्रमाण भी दिए और अंत में ब्राह्मणों को जजिया कर से मुक्त किया गया था।  वे ही लोग आजकल हिंदुत्व को मजबूत करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं ,इसके पीछे जो कारण है उस पर विचार करना अति आवश्यक है।

     जैसा कि हम सब जानते हैं कि आजादी से पहले हमारा देश अंग्रजों का गुलाम था अर्थार्त ब्रिटेन की अंग्रेज सरकार हमारे देश पर राज करती थी उस वक्त ब्रिटेन में वोट डालने का अधिकार उन्हीं लोगों को था तो या तो पढ़े लिखे होते थे या फिर आयकर दाता थे या काफी मात्रा में जमीन के मालिक थे लेकिन ब्रिटेन की आम जनता को वोट डालने का अधिकार नहीं होता था इसलिए वहां एक जन आन्दोलन शुरू किया गया था कि वोट देने का अधिकार उन सभी लोगों को दिया जाये जो 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हों यानी कि वयस्क मताधिकार होना चाहिए,
उस जन आन्दोलन के सामने ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पड़े और ब्रिटेन में वयस्क मताधिकार लागू करना पड़ा।

   जब ब्रिटेन में अंग्रेजी सरकार ने वयस्क मताधिकार लागू कर दिया तो भारत में विदेशी आर्यों में भी खलबली मच गई क्योंकि उनको लगने लगा कि अंग्रेजी सरकार वयस्क मताधिकार का कानून भारत में भी लागू कर सकती है और यदि भारत में वयस्क मताधिकार लागू हो गया तो हमेशा 85 प्रतिशत मूल निवासी बहुजनों की ही सरकार बनती रहेगी और हम 15 प्रतिशत विदेशी आर्य लोग कभी भी सरकार नहीं बना पाएंगे इसलिये इन लोगों ने निर्णय लिया कि अब हमारे सामने हिन्दु बनने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है इसलिये सन 1922 में सबसे पहले इन विदेशी आर्य लोगों ने हिन्दु महासभा का गठन किया और अपने आपको हिन्दु स्वीकार कर लिया और हिन्दुओं के ठेकेदार बन गये, लेकिन इन विदेशी आर्यों को एक डर बहुत ज्यादा सत्ता रहा था कि यदि मुस्लिम लोग इस देश में रहेंगे तो हमारी सरकार बनने में बाधा उत्पन्न हो सकती है इसलिये  एक सोची समझी रणनीति के तहत अलग पाकिस्तान बनाने की साजिश रची गई और ये लोग अपनी साजिश में कामयाब भी हुए।

   सन 1947 में अंग्रेज सरकार चली गई और देश आजाद हो गया तभी  15 प्रतिशत विदेशी आर्य लोग   भारत पर राज कर रहे हैं और पूरे साधन और संसाधनों पर इन्होंने अपना कब्जा जमा रखा है लेकिन अभी भी इनको एक डर लगातार सत्ता रहा है कि मुस्लिम और दलित यदि एक साथ खड़े हो गए तो हमारी सरकार बनने में बाधा उत्पन्न हो सकती है इसलिये ये 15 प्रतिशत विदेशी लोग तीन काम एक साथ कर रहे हैं पहला काम हिन्दुत्व को मजबूत करने का कर रहे हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी विचारधारा से जोड़ा जा सके, दूसरा काम दलितों को कमजोर किया जाए जिससे वे लोग सरकार बनाने की बात अपने जीवन में सोचें भी नहीं और तीसरा काम मुस्लिमों के प्रति नफरत फैलाई जाये जिससे वे अलग थलग पड़े रहें ।

  अब आप समझ गये होंगे कि हमारे देश में हिंदुत्व पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है।
  ये सब 15 प्रतिशत विदेशियों की सरकार कायम रखने का राजनैतिक खेल है हमारे लोगों को इनकी इस गुप्त रणनीति को समझना जरूरी है और इस हिन्दुत्व को कमजोर करने के लिए संगठित होकर प्रयास करना जरूरी है।

बी एल बौद्ध

*क्या हमारा समाज के बुद्धिजीवी वर्ग और नेता बाबासाहेब के विचारों और सिद्धांतों के विरूद्ध तो नहीं।।*


आज कल दलित वंचित समाज संगठनोेें का एजेन्डा भी सिर्फ बाबासाहब डाॅ अम्बेडकर की जयन्ती मनाना, आरक्षण की मांग करना और सुख सुविधाओं की बढ़ोत्तरी की मांग ही रह गई है। सामाजिक परिवत्र्तन, दलितोें को मानवाधिकार दिलवाना ,मानवीय गरिमा से युक्त सामाज निर्माण की ललक कहीं पीछे छूट गई गयी है। यह दुखद है। आज देश मे कुछ संघटन बन गये हैं जो बाबा साहेब के नाम को अपने सामाजिक समूह का बड़ा व्यक्ति मान कर उनका नाम लेते हैं पर उनके विचारों को दूर दूर तक पालन नही करते हैं उनका केवल एक ही काम रहता है बस बाबा की मूर्ति के सामने फोटो खिचवाना और फिर उसका प्रचार करना !!


 ऐसे मित्र बाबा साहेब के अनुयायी नही बल्कि दुश्मन हैं !! जितनी जल्दी हो सके इस समस्या पर विचार कर इसे दूर करना होगा । पिछले 50-60 वर्षो से समाज की बढ़ी हुई ताकत को एक बार पुनः बटोरकर एकजुट करके बाबासाहब के सपनां का भारत जिसमेें न कोई उॅचा-नीचा हो, न कोई भूखा-नंगा हो न कोई अशिक्षित हो, न कोई भेद- भाव हो वाला जातिविहीन समाज बनाने के लिए लग जाना होगा अन्यथा इतिहास हमेें एक नकारा और गैर- जिम्मेदार पीढ़ी के रुप मेें याद करेगी!! 


लड़ना है तो सड़क पर उतरो बहुत हो गया मीटिंग मीटिंग ।
बन्द कमरे में मीटिंग करके पूरे दिन वही भाषण मेंबर बनाओ पैसे इक्कठा करो और एक साल में  एक बार रैली करके घर चले जाओ बस ।
अब इससे कुछ होने वाला नही है
अगर ईमानदारी से लड़ना है तो आओ मैदान में , बैठो धरने पर ।करो मुकाबला आरक्षण विरोधियो का।मनवाओ अपनी मांगे । आज तक  सिर्फ मूरख बनाया जाता है सिर्फ अपनो को धमकाया जाता है और दलित को आरक्षण का डर दिखा कर सपनो के आंदोलन को बेचा जाता है लोगो का समय बर्बाद किया जाता है समाज  में ऐसे कितने लोग होंगे जिनका 15 बरस  से ज्यादा  समय लग गया होगा सिर्फ  इन्ही मीटिंगों में,लेकिन नेताओ के पास सिर्फ उनके लिए ही समय नही होता है सिर्फ और सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए तररकी दिखाई देती है बाकी सब मूर्ख बनकर सारी जिंदगी भर काम करते रहे जैसे कॉन्ग्रेस में और अन्य पार्टियों में ऐसे ही दलित संगठनों में जीवन गुजार देते है लेकिन मिलता कुछ नही है और बाद मैं मिलता है एक तमका कि उनका नेता एक बात कह कर खत्म कर देता है कि फला आदमी जब यहां था तो बड़ा इज्जत मिलती थी लेकिन वो सब एक दिखावा होता था ऐसा कोई नेता नही जो दलित संगठन में जिसका अपमान मंच और मैदान में न किया हो 
किया जब अपने लोग अपनो की भीड़ दिखा कर  बेचते है तो  पार्टीयों मैं और  दलित संगठनों में फर्क क्या रह गया है तो फिर किसी पार्टी के ही नेता बनो जहां नेता भी वही माथा टेकते है तो जब नेता भी दबी जवान में बचकर  दलित अत्याचारो पर बोलते है और अपने आपको बचाते है तो फिर इसका मतलब तो फिर समझना चाहिए। अगर दलित प्रेम है तो आओ मैदान में बैठो धरने पर ।
या हम बैठने के लिए तैयार है दो मेरा साथ धरने के लिए  

अब बर्दास्त नही होता है दिन पर दिन अत्याचार आरक्षण के खिलाफ अदालतों के फैसले ,दलित जजो को जेल भेजने जैसी घटना सहारनपुर जैसी घटना क्या मीटिंगों से कुछ हल निकल रहा है नही ना, तो फिर मीटिंग   और फिर मीटिंग और जो मीटिंग में आये वो ही बेइज्जत ये सब किया है साथियो समझो हमको पहले सामंत वादी लोगो ने छला अब अपने छल रहे है और उनसे ज्यादा कुरुर है सबने धोका दिया है बहुत समय हमारा बर्बाद हुआ है मैं नही चाहता कि आपका भी कीमती समय बर्बाद न  हो बड़ा दुख होता है कि हमने अपना जीवन का वो पल बर्बाद किया जो कुछ बनाने का था कम से कम अपना समय वहां लगाओ जहां कुछ करके रिजल्ट निकले खाली मीटिंग नही। कुछ करो तो रचनात्मक करो जिससे आपको आत्म संतुष्टि मिले किसी एक को नेता बनाने के लिए नही समाज के ऊपर हो रहे अत्याचार के बदले के  लिए लड़ो।और अपने हक के लिए लड़ो।


एक बार एक गांव में मंदिर का काम चल रहा था, मंदिर आदिवासी और गरीब लोग बना रहे थे, एक आदिवासी बड़ी मूर्ति बना रहा था! कुछ दिन बाद मंदिर बनकर तैयार हो गया, मंदिर में पुजारियो द्वारा हवन कार्य मूर्ति स्थापना और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा आदि कार्य सम्पन्न हो गया, अगले दिन मन्दिर दर्शन के लिए खोल दिया । बह मूर्तिकार जिसने मूर्ति बनाई वो भी दर्शन को आया था । बह ख़ुसी के मारे बिना चप्पल उतारे मन्दिर में प्रवेश कर गया । 
पुजारी उस पर क्रोधित हुआ और कहा -'मुर्ख तू जाहिल है क्या चप्पल पहनकर मन्दिर में नही आते जा चप्पल बहार उतार के आ '!
आदिवासी बोला -' पुजारी जी जब में चप्पल पहनकर मूर्ति बना रहा था और चप्पलों से उस पर चढ़ जाता था तब किसी ने मना नही किया :'!
पुजारी बोला -" बेबकूफ हमने अपने मन्त्रो से मूर्ति में प्राण डाल दिए है समझ गया ", बेचारा आदिवासी चुपचाप अपने घर चला गया, कुछ दिन बाद बह दोवारा मन्दिर गया तो देखा की मन्दिर में ताला लगा था, उसको किसी ने बताया की पुजारी जी का बेटा खत्म हो गया है। यह सुनकर वह दौड़ कर पुजारी के घर गया । वहा देखा सब लोग रो रहे थे । बह धीरे से पुजारी के पास जाकर बोला की आप रो क्यों रहे है, जैसे अपने मूर्ति में अपने मन्त्रो से प्राण डाल दिए वेसे ही अपने बेटे में प्राण डाल दीजिए, यह सुनकर सब अचंभे से उसकी तरफ देखने लगे । पुजारी बोला -'क्या ऐसा कभी होता है कोई मरा हुआ दुबारा जीवित होता है
आदिवासी बोला-' तो आपने मन्दिर में जो बात बोली क्या वो झूठ थी

और इस प्रश्न का उत्तर आज तक नही मिला है



2 comments:

  1. *अमरनाथ यात्रियों के आतंकी हमलों के विरोध में हिंदुत्व ठेकेदारों की की गुंडागर्दी!!*

    क्या कोई धर्म के ठेकेदार बता सकता है यह गुंडागर्दी कितना जायज है क्या यह उस हरामखोरों को इतना पता नहीं है कि उस अमरनाथ यात्रियों के बचाने में एक बस ड्राइवर मुसलमान है जो अपनी जान जोखिम में डालकर दर्जनों यात्रियों की जान बचाई और यह नहीं बता सकता है कि एक मनु के नाजायज औलाद संदीप शर्मा वह किस धर्म से ताल्लुक रखते हैं और उस आतंकी और उस धर्म के लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे कहां जाता है की आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता तो फिर यह क्यों गुंडागर्दी कर रहा है

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  2. देशहित में 33 करोड़ देवी देवता कब काम आएंगे ?? बॉर्डर पर 33 करोड़ देवी देवताओं की तैनाती करवाई जाए ये हथियारलेस है इनके हथियार "जादुई" है ये कभी खत्म भी नही हो सकते, ना ही हमे लड़ाकू विमान की आवश्यकता पड़ेगी क्योकि सभी देवी देवता तंत्र मंत्र से उड़ भी सकते है..!! वैसे हमारे पास "पुष्पक विमान" भी है जो अनेक शक्तियों से भरपूर है..आखिर फिर भी पाकिस्तान से डर कैसा ?? और लगे हाथ भगवान कृष्ण को बुला लीजिये क्योकि वही कहते है जब जब धर्म पर संकट आएगा तब ये अवतरित होंगे जब हम ही नही बचेंगे तो धर्म कहाँ से बचेगा तो लगे हाथ इन्हें भी बुलाया जाए..उनके पास "सुदर्शन चक्र" है जिससे पल भर में पाकिस्तान को मिटाया जा सकता है यहाँ तक की हमारे पास हनुमान जी जैसे इंटेलिजेंट बन्दर भी है जो पाकिस्तान को जलाने की क्षमता रखते है आखिर हमारे कब काम आएंगे तो हमारे सैनिक मरने से बच जाएंगे और हम आसानी से युद्ध जीत जायेंगे..!! हमारे पास "हनुमान रक्षा कवच" मार्किट में उपलब्ध है उसे खरीद कर भारतीय सीमा पर जगह जगह टाँग देना चाहिए जो हमारी आतंकियों से सुरक्षा करेगी और इनकी शक्ति का भी परिचय हो जायेगा वास्तव मे ये सही है या नही, अगर ये असर नही करते तो तुरंत प्रभाव से इसे बंद करवा कर अन्धविश्वाश रोकने में मदद करे..!! यज्ञ हवन से लेकर हमारे पास भविष्यवाणी के लिए टीवी चेंनल पर भारी संख्या में "ज्योतिष" मौजूद है..सभी को काम पर लगा दिया जाए.

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