Thursday 10 August 2017

रामविलास पासवान दलित विरोधी है

रामविलास पासवान वैचारिक दरिद्रता के शिकार हो गए मालूम पड़ते हैं। बोल रहे हैं कि जो कोविंद का विरोध करेगा, वो दलित विरोधी है। 

भाई साहब भाजपा की ही प्रवक्तई करनी है, तो अपनी पार्टी लोजपा का सीधे विलय ही क्यों नहीं कर देते भाजपा में ? इतनी अतार्किक बातें कैसे कर लेते हैं आप ? आप अपना ही इतिहास क्यों भूल जाते हैं ?

 84 के आमचुनाव के बाद 85 में बिजनौर सीट पर हुए उपचुनाव में आप ही थे न जिनको लोकदल से चरण सिंह ने मायावती जी और मीरा कुमार जी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़वाया था।

 त्रिकोणीय संघर्ष में मीरा कुमार ने तक़रीबन 5 हज़ार वोटों से आपको हराया था।

 बताइए, जब दो जुझारू, योग्य, कर्मठ व लगनशील दलित प्रत्याशी मैदान में थीं ही, तो आप क्या करने गए थे वहां ? 

गर आपके कुतर्कों पर चला जाए, फिर तो आप घोर महिला विरोधी करार दिए जाएंगे। यही सब अलबल बोलना है, तो बेहतर हो कि आप चुप ही रहें। कम एक्सपोज होइएगा।

दु:ख इस बात का नहीं कि रामविलास पासवान भाजपा के साथ चले गये​ (पहले भी गये हैं), दु:ख इस बात का है कि उन्होंने पुत्रमोह व भ्रातृप्रेम में लब सिल लिए हैं।

 दलितों के साथ कितना भी बड़ा अत्याचार हो जाए, उनका बयान तक नहीं आता। पासवान जी, एक वक़्त आपका क़द कैबिनेट मिनिस्टर से कहीं ज़्यादा बड़ा था.

 याद करो कि वीपी सिंह के आप विश्वासपात्र रहे, आपकी कार्यकुशलता देख, मंडल कमीशन को ज़ल्दी लागू करने के लिए पूरे मामले को दूसरे मंत्रालय से हटाकर उन्होंने आपके मंत्रालय में डाल दिया था।

 देवगौड़ा और गुजराल के समय आप लोकसभा में नेता, सदन थे, नेक्स्ट टू प्राइम मिनिस्टर का रुतबा हासिल था। क्या हाल बना लिया आपने अपना ? दलित सेना का गठन कर कभी हुंकार भरने वाला नेता आज ख़ामोशी ओढ़ने पर मजबूर है।

 अगस्त 1982 में सदन में मंडल कमीशन पर आपकी निरुत्तर कर देने वाली धारदार बहस कोई पढ़ ले, तो क़ायल हो जाए। आपके तेवर हमने देखे और सुने हैं, इसलिए शायद बुरा लगता है। 

यही सब अनापशनाप बोलना है, तो ख़ामोश रहने में क्या बुराई है.....

3 comments:

  1. दलित मुख्यमंत्री होने से फर्क पड़ता है. क्योंकि -
    * 25 साल पहले के मुकाबले आज यूपी के दलितों के पास दोगुनी से ज्यादा खेती की जमीन है - दलित मुख्यमंत्री के कारण.
    * आज लगभग 100% यूपी के दलितों के मकान पक्के हैं - दलित मुख्यमंत्री के कारण.
    * आज यूपी के दलितों-बहुजन के पास अपने समारक हैं, तीर्थस्थल है - दलित मुख्यमंत्री के कारण.
    * आज यूपी में "सावित्री बाई फुले कन्या विद्यालय" और "गौतम बुद्ध बाल विद्यालय" हैं और यहाँ के बच्चे टॉप कर रहे हैं - दलित मुख्यमंत्री के कारण.
    * आज यूपी के दलित शोषकों को बराबर की टक्कर देता है - ये भी दलित मुख्यमंत्री के कारण.
    दलित राष्ट्रपति बनने से कुछ नहीं बदलेगा लेकिन दलित DM, CM, PM होने से जरूर बदलेगा. इसी बदलाव के लिए शिक्षित, संगठित हो कर संघर्ष करना होगा.

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  2. अम्बेडकर नहीं, अंग्रेज महिला ने लिखा संविधान- जीतन राम मांझी
    https://youtu.be/wLGdI2Hc8sQ

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  3. बामसेफ, Ds4 और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशीरामजी आज इनका नाम और फोटो का इस्तेमाल करके बिकाऊ लोग अपने आपको मान्यवर साहब कांशीरामजी का हितैषी बताने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे है। जिस समय साहब को इनकी जरुरत थी,उस समय यह लोग जानवरो की तरह अपने आपको बेच रहे थे। लेकिन आज साहब की फोटो लगाकर जो लोग साहब के प्रति प्यार होने का नाटक कर रहे है वो नाटक समाज को बेचने के लिए हो रहा है। इसलिए बहुजन समाज के लोगोने ऐसे बिकाऊ मतलब परस्त लोगो से सावधानी बरतनी चाहिए। यह लोग जब बहुजन समाज में जाते हैं, तब बहुजन समाज पार्टी की और हमारी विचारधारा एकही है, ऐसा बताकर भोलेभाले बहुजन समाज को ब्लैकमेल करके समरसता प्रयोग करते है। समरसता यह बहुजन समाज को फसाने का मनुवादीयो का बहोत बडा फंडा है। इनके फंडे की पोल तब खुलती है, जब यह बहुजन समाज पार्टी की बात निकलती है। अगर हम इन्हें कहे कि आप लोग बहुजन समाज पार्टी मे क्यौ नही आते हो ? तब यह लोग बहनजी के तरफ उँगली दिखा कर कहते है कि मायावतीने ब्राम्हणो को पार्टी मे लिया है। इसलिए वो पार्टी हमारी नही है। लेकिन मै आप लोगो को यह बता देना चाहता हूँ कि ब्राम्हणो को पार्टी मे तो मान्यवर साहब कांशीरामजीने ही लिया था। क्या रामवीर सिंग उपाध्याय ब्राम्हण नही था। कांशीरामजीने बार बार यह बात खुलेआम जाहीर कि है कि बहुजन समाज पार्टी किसी जाति या धर्म के विरोध मे नही है। बल्कि बहुजन समाज पार्टी ब्राम्हणवादी मनुवादी विचारधारा के विरोध मे है। हम फुले, शाहु, अंबेडकर की विचारधारा से भारत मे समतामूलक समाज की रचना करने का काम कर रहे है। कांशीरामजी की यह बात कांशीरामजी के होते हुए इन लोगों के समझ में नही आयी। उस वक्त कांशीरामजी का विरोध करते थे। आज बहनजी का विरोध कर रहे है। कल बहनजी जाने के बाद यही लोग बहनजी के फोटो की पुजा करेंगे। उस वक्त जो भी पार्टी का नेतृत्व करेंगा उसका विरोध करेंगे। इसलिए भाईयों और बहनो इन कमीशन बाज लोगों के पिछे अपना समय बर्बाद ना करते हुए। आयर्न लेडी बहन कु. मायावतीजी के नेतृत्व मे आकर अपने महापुरुषो के कहने के मुताबिक मनुवादीयो से संघर्ष करके भारत को गुलामी से आझाद करके महापुरुषो के विचारो वाली बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनाने मे योगदान करे।

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