Saturday 5 August 2017

राजनीती -समाज का केंद्र- लालू

आखिर लालू यादव से ही डर क्यो लगता है?

जब से भारतीय राजनीती में लालू यादव जी का अभ्युदय हुआ है तब से लेकर आज तक कम से कम बिहार में लालू यादव के आस पास ही राजनीती -समाज का केंद्र रहा है | जब लालू राबड़ी सत्ता में थे तो एक भ्रामक प्रचार तंत्र बना कि यह जंगलराज है | सामंतो के लाठी मजदूरी के शरीर पर मारना एक सपना सा हो गया ,गरीब लाचार लोगो को उनके काम के बदले पैसे मिलने लगे और दरोगा बाबु एक आवाज पर FIR दर्ज करने लगे | इस तरह के तमाम ऐसे काम होने लगे जो सदियों से एक अराजक -असंविधानिक परम्परा का वाहक बने हुए थे | दुसरे शब्दों में कहिये तो कुछ वर्ग विशेष के जंगल राज समाप्त हुए जिसके लिए उन्हें यह सामाजिक न्याय की सत्ता को जंगलराज कहकर कुप्रचारित करने लगे | जंगलराज के इस कुप्रचार में अमुक वर्ग के सत्तावादी संसथान के अलावे बुद्धिजीवी पत्रकार ,मीडिया और कार्पोरेट ने भी खुब साथ निभाया |
लालू यादव भारतीय संविधान के अनुसार मुखिया भी नही बन सकते, फिर भी विरोधियों को इतना डर ? इतनी चर्चा ? टीवी से लेकर अखबार तक ! हर जगह सिर्फ लालू ही समस्या । लालू के अलावे देश मे सब ठीक है । तो यही बात तो लालू को मजबूत बनाती है । हम तो चाहते है कि लोग बिहार के बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था और रोजगार पर बात करे । लेकिन लोग तो सिर्फ लालू तक सीमित रहते है । चीन पाकिस्तान सब समस्या खत्म ! सिर्फ लालू ही सिर्फ लालू ही ।

कुछ उदाहरणों से लालू और भारतीय राजनीति को समझने का प्रयास करे ।

भारतीय रेल को लालू यादव जी ने कहा से कहा लाकर खड़ा कर दिए थे । हावर्ड तक ने इनके अभिभाषण को सुनना चाहा, और यह समझना चाहा कि रेल इतना फायदे में कैसे रहा ? लेकिन इस देश मे इस व्यक्ति को सम्मान नही मिला ।
बेचने की नौबत आ चुकी रेलवे को 25 हजार करोड़ का वार्षिक लाभ देने वाले लालूजी ने चारे घोटाले का पैसा रेल को दे दिया था : दुर्दिन भक्त ।

वर्तमान स्थिति नौटँकी की हद मचा चुका है । हर दिन सिर्फ किराया बढ़ाता है, लेकिन सुबिधा ? देश मे औसतन ट्रेने 7 घण्टे देरी से चल रही है । और तो और चलते चलते किराया बढ़ा दिया जाता है ।
 हद तो तब होती है जब आपको रेलवे अब यह कह रहा है कि सब्सिडी छोड़ दीजिए । यह राष्ट्रवाद का नया शिगूफा है । मजे की बात की दल और पार्टी की भक्ति में हम रेल के सरकारी पाप को भूले जा रहे है ।

दिक्कत ठेके के आवंटन को लेकर है । लेकिन इसमें भी पेंच है । स्पष्टता तो इसमें भी नही दिखाया गया है । चारा घोटाले की तरह इसमें भी अफसरशाही का गलत प्रयोग किया गया है । समझने वाली बात है कि Irctc का गठन 1999 में हुआ और 2004 में रेलमंत्री बने, ठेके का स्रोत स्पष्ट होने चाहिए । सीबीआई को बताना चाहिये की लालू जी के घर से सीबीआई को क्या मिला ? पिछली बार भी 22 ठिकाने की गलत न्यूज़ ब्रॉडकास्ट हुई थी । लेकिन किसी ने उसका नाम नही बताया । अब यह तो सिर्फ बदनामी ही हुई न ? 

लालू यादव में तमाम दिक्कत हो सकती है । लेकिन एक बेहतर मंत्री के लिए तो याद कर सकते है न ?
बताइये – हाजमोला किसको खाने की जरूरत है ? इतनी गन्दी बाते कौन पचा रहा है ?

भारतीय संसद में लालू यादव अपने अलग अन्दाज के लिए जाने जाते रहे है । लोकपाल से लेकर आरक्षण तक के मुद्दे को जितनी बारीकी से लालू यादव समझा दिया करते थे, यह अपने आप मे अनोखा था ।

हमे तो देश की न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए । मोर के आँशु से गर्भधारण करती न्यायपालिका का सम्मान ही तो करना चाहिए । मण्डल कमीशन के रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए कुटिल मुस्कान बिखेरते एटॉर्नी जनरल और जज का सम्मान तो करना ही चाहिये ।
बाकी जेल – सीबीआई ये सब कौन सी नई बात है ? 

विचारणीय होगा कि न्यूज चैनलों से आज चीन क्यो गायब है ? पाकिस्तान कब धूल में मिलेगा ? इजरायल से ड्रोन कब चलेगा चीन की ओर … विश्व मे भारत का डंका आज क्यो नही बज रहा है ?

मैं तो लालू के अग्रज नेतृत्व तेजस्वी यादव से यही कहना चाहूंगा कि तेजस्वी यादव जी जब अपना इतिहास लिखेगे तो वे नब्बे से शुरू करेंगे । लेकिन मैं कहता हूं उन्हें 70 से लिखना चाहिये । 70 से ही असल जाल है ।

किन किन पहलुओ को लिखा जाए । लेकिन इतना तो मोटे तौर पर समझा जाये कि
यह लालू यादव की ही सरकार थी जिसको हटाने के लिए दिल्ली से सेना बुलाने की बात की गई थी । और यह लालू यादव ही है जिसको संसद में जाने से रोकने के लिए देश का संबिधान बदल दिया जाता है ।
आपको फिर भी सब कुछ सहज लगता है तो मैं क्या कर सकता हूँ ?


गाँधीवादी क्रांग्रेस 1937 में सत्ता सम्भालने के बाद पूर्णतः जमीन्दारों , उनके वकीलों की पार्टी मे परिवर्तित हो चुकी थी । डा राजेन्द्र प्रसाद के संरक्षण प्राप्त जमीन्दार राहुल सांकृतियान ,स्वामी सहजानंद ऐसों को पीटते थे और सब चुप रहते थे । वैसे ही जयप्रकाश के सम्पूर्ण क्रांति यज्ञ से निकले नेतालोग लालू ,नीतीश ,चंद्रशेखर आदि आदि बिना अपराधी और माफिया के सागिर्दगी के एक इंच नहीं चलते । खास कर ये तीन नेता भयंकर अपराधियों के सहारे चुनाव जीतने से लेकर अवैध धन इकट्ठा कराने मे अपराधी तत्वों का खुलकर उपयोग करते रहे । इसी क्रम में नीतीश कुमार एक हत्या के केस में नामजद हुये जिसका न. है पंडारक पी एस केस न. 131 of 1991 जिसमें एक व्यक्ति चुनाव के सिलसिले मे गोली से मारा गया था बूथ पर ही । इस केह में कोर्ट ने संज्ञान ले रखा है और मामला पटना उच्चन्यायालय में लंबित है वैसे ही जैसे बड़े लोगों का केस पेंडीग रहता। cr .misc no. 3316 of 2009 and cr. Misc.no 11435 of 2009 are two pending cases. 

अब देखें सामाजिक न्याय का एक खंभा दुर्दान्त अपराधियों के अपराध से चुनाव जीतता तो दूसरा धन के लोभ अवैध धन के पहाड़ पर चढ़ गया जहाँ से परिवार सहित गर्त मे गिरने पर है और सामाजिक न्याय की चीख पुकार लगा  रहा है ।

इन दोनो मे मुख्य मंत्री पद के लायक कोई भी है ।क्या एक हत्या के दोषी को इस पद पर बना रहने का हक बनता ?????
फैसला नीतीश कुमार पर छोड़े?


यूपी CM और डिप्टी CM पर दर्ज हैं दर्जनों मुकदमे, तेजस्वी से इस्तीफा मांग रही BJP इनको कब करेगी बर्खास्त ??

लखनऊ, बिहार की राजनीति इन दिनों गर्म है। बिहार भाजपा नेता सुशील मोदी द्वारा रोज एक नया आरोप लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर लगाया जाता है। सुशील मोदी और भाजपा एंड कम्पनी द्वारा बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भी घोटाले के आरोप लगाए गए कि 14 वर्ष की उम्र में तेजस्वी यादव घोटालों में लिप्त थे।

तेजस्वी यादव को बिहार के उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग कर रही भाजपा किस मुंह से दूसरे नेताओं से इस्तीफा मांग सकती है। जबकि भाजपा नेता जिनपर दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं वो अहम पदों पर आसीन हैं। जैसे 14 साल बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा ने उत्तर प्रदेश सरकार के दो सबसे महत्वपूर्ण पदों जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद शामिल हैं।

मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री के रूप में केशव प्रसाद मौर्य पर दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं। जिनमें हत्या, दंगा भड़काने और लूट जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद भाजपा ने इन दोनों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया हुआ है। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग करने वाली भाजपा योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या से इस्तीफा कब लेगी।

योगी आदित्यनाथ का रिपोर्टकार्ड-

1999 – महाराजगंज जिले में आईपीसी की धारा 147 (दंगे के लिए दंड), 148 (घातक हथियार से दंगे), 295 (किसी समुदाय के पूजा स्थल का अपमान करना), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण), 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 307 (हत्या का प्रयास) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के मामले दर्ज हुए थे।

1999 – महाराजगंज में ही धारा 302 (मौत की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा 307 (हत्या का प्रयास) 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत भी उन पर मामला दर्ज हुआ था।

1999 – महाराजगंज में उन पर आईपीसी की धारा 147 (दंगे के लिए दंड), 148 (घातक हथियार से दंगे), 149, 307, 336 (दूसरों के जीवन को खतरे में डालना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत मामले दर्ज किए गए।

2006 – गोरखपुर में आईपीसी की धारा 147, 148, 133A (उपद्रव को हटाने के लिए सशर्त आदेश), 285 (आग या दहनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाही), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

2007 – गोरखपुर के एक अन्य मामले में वह जमानत पर रिहा हैं। यहां उन्हें धारा 147, 133A, 295, 297, 435 (100 रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक द्रव्य द्वारा शरारत) और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था।



केशव प्रसाद मौर्या का रिपोर्टकार्ड –

धारा 302/120 B थाना कोखराज़, जनपद कौशांबी

धारा 153 A/188 थाना कोखराज़. जनपद कौशांबी

धारा 147/148/153/153 A/352/188/323/ 504 /506 थाना मंझनपुर, जनपद कौशांबी

धारा 147/295 A/153 थाना मोहम्मदपुर पाईसा, जनपद कौशांबी

धारा 420/467/465/171/188 थाना मोहम्मदपुर पाईसा, जनपद कौशांबी

धारा 147/352/323/504/506/392 थाना मंझनपुर, जनपद कौशांबी

धारा 153 A/353/186/504/147/332 थाना पश्चिम शरीरा, जनपद कौशांबी

धारा147/332/504/332/353/506/380 थाना कर्नलगंज, जनपद इलाहाबाद

धारा 147/148/332/336/186/427 थाना कर्नलगंज, जनपद इलाहाबाद

धारा 143/353/341 थाना सिविल लाइन, जनपद इलाहाबाद

चुनाव आयोग में दाखिल किये गए हलफनामे का विवरण

मामले जहां संज्ञान लिया

सीरीयल नम्बर।खिलाफ आईपीसी की धारा लागूअन्य विवरण / अन्य अधिनियमों / धारा लागू1147, 332, 353, 153 ए, 5047 C.LAW अधिनियम। मामला संख्या। 77/1996 पुलिस स्टेशन Paschimsharira जनपद कौशाम्बी उत्तर प्रदेश2143, 323, 504, 332, 353, 506, 380, 427,7 C.LAW अधिनियम। 3/5 सार्वजनिक संपत्ति निवारण PSKarnailganj इलाहाबाद अपराध सं 431/1998 पुलिस स्टेशन Karnalganj इलाहाबाद यूपी3147, 148, 427, 323, 504, 506, 342, 448प्रकरण No.548A / 1997 पुलिस स्टेशन JaurjTown इलाहाबाद यूपी4147, 295A, 153 एमुकदमा संख्या 82/2011 पुलिस स्टेशन Mohbatpur पैसा जनपद कौशाम्बी उत्तर प्रदेश5420, 467, 468, 471, 188मुकदमा संख्या 83/2008 पुलिस स्टेशन Mohbatpur पैसा जनपद कौशाम्बी उत्तर प्रदेश6147, 148, 153, 153 ए, 352, 188, 323, 504, 506मुकदमा संख्या 218/2011 थाना मंझनपुर जनपद कौशाम्बी उत्तर प्रदेश7302, 120 बी7 सीएलए एक्ट। मुकदमा संख्या 470/2011 थाना Kokhraj जनपद कौशाम्बी8153 ए, 188मुकदमा संख्या 571/2011 थाना Kokhraj जनपद कौशाम्बी उत्तर प्रदेश92/3 यूपी गैंगस्टर एक्ट मुकदमा संख्या 621/2011 थाना सैनी जनपद कौशाम्बी उत्तर प्रदेश

मामलों में जहां दोषी करार

सीरीयल नम्बर।खिलाफ आईपीसी की धारा लागूअन्य विवरण / अन्य अधिनियमों / धारा लागू——— कोई मामलों ——–

IPCs का संक्षिप्त विवरण

धर्म, जाति, जन्म, निवास, भाषा, आदि की जगह है, के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और कर से संबंधित 4 आरोपों सद्भाव के रखरखाव के प्रतिकूल कार्य करता है (भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए-)

रिहायशी घर में चोरी करने के लिए संबंधित 1 शुल्क, आदि (आईपीसी की धारा -380)

इसका धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, आक्रोश धार्मिक भावनाओं या किसी भी वर्ग के लिए इरादा से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-295A)

हत्या से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-302)

दंगे के लिए सजा से संबंधित 4 प्रभार (आईपीसी की धारा-147)

इरादे से जानबूझकर अपमान से संबंधित शांति भंग करने के आरोप भड़काने के लिए 4 (आईपीसी की धारा -504)

3 अवज्ञा से संबंधित आरोपों विधिवत लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित आदेश को (आईपीसी की धारा-188)

3 स्वेच्छा से चोट पहुंचाने से संबंधित आरोपों (आईपीसी की धारा-323)

3 आपराधिक धमकी से संबंधित आरोपों (आईपीसी की धारा-506)

2 आरोपों स्वेच्छा से अपने कर्तव्य से लोक सेवक रोकते चोट पहुंचाने से संबंधित (आईपीसी की धारा 332)

हमला या आपराधिक बल से संबंधित अपने कर्तव्य के निर्वहन से लोक सेवक रोकते 2 प्रभार (आईपीसी की धारा-353)

पचास रुपए की राशि को नुकसान हो सकता शरारत से संबंधित 2 प्रभार (आईपीसी की धारा-427)

दंगों से संबंधित 2 प्रभार, घातक हथियार से लैस (आईपीसी की धारा-148)

धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-468)

के रूप में वास्तविक फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उपयोग करने के लिए संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा 471-)

संबंधित 1 आरोपों बेहूदगी पैदा करने के इरादे से उत्तेजना देने के लिए दंगा-यदि दंगा करने के लिए प्रतिबद्ध है, अगर हो प्रतिबद्ध नहीं (आईपीसी की धारा-153)

कब्र पर उत्तेजना से अन्यथा हमला या आपराधिक बल से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-352)

आपराधिक साजिश की सजा से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा 120 बी-)

सजा से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-143)

गलत तरीके से बंधक से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-342)

घर-अतिचार से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-448)

धोखा से संबंधित 1 शुल्क और संपत्ति का बेईमानी से उत्प्रेरण वितरण 


(आईपीसी की धारा-420)


मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी से संबंधित 1 आरोपों होगा, आदि (आईपीसी की धारा-467)



*लालू प्रसाद यादव एक विचारधारा का नाम है, एक टेप चला कर उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता*
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*लालू यादव ने शंकराचार्य की नियुक्ति में की आरक्षण की मांग, ब्राह्म्णवादी तिलमिलाए ।*
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*लालू प्रसाद यादव' के नाम मात्र से सामन्तवाद की रूह कांप उठती है...*
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*बहुत जान बाकी है लालू यादव में , सारा सिस्टम…सारी सरकारी मशीनरी और कारपोरेट लालू यादव के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं| न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका तक , सड़क से लेकर संसद तक अगर ध्यान से देखा जाए तो लालू यादव को खलनायक साबित करने के लिए विरोधियों में गलाकाट प्रतियोगिता चल रही है| लालू यादव की हुंकार ने विरोधियों की नींद हराम कर दी है इसलिए साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिशें तेज है पर इन ताकतों को लालू यादव की ताकत का अंदाजा नहीं| लालू यादव की खासियत ये है कि जितना उन्हें परेशान करने की कोशिशें होती हैं वे और मजबूती के साथ उभर जाते हैं|*
*शहाबुद्दीन प्रकरण को कोर्ट देख रहा है और यह सर्वविदित है कि वे राष्ट्रीय जनता के नेता रहे हैं और हैं तो ऐसे में लालू यादव ने फोन फर उनसे बात करके कोई गुनाह कर दिया क्या ?*
*संविधान की कौन सी धारा में ऐसा लिखा है ? हाँ नैतिकता का तकाजा हो सकता है पर सारी नैतिकता का ठिका क्या लालू यादव ने ही ले रखा है ? नैतिकता तब क्यूँ नहीं सूझ रही थी जब सहारा बिरला कि डायरी में प्रधानमंत्री जी का नाम आया था |* *नरेंद्र मोदी सरकार लालू यादव के नाम से थरथर कांप रही है| राजगीर में लालू यादव के नए अवतार ने भाजपाईयों को भयभीत कर दिया है बस और कुछ नहीं|*
*लालू यादव सिर्फ एक व्यक्ति का नाम नहीं है । लालू यादव अपने आप में एक संस्थान है । आप साधारण घटना या साधारण तथ्यों से लालू यादव को सूचीबद्ध नहीं कर सकते है ।*
*आप एक घटना से अन्दाज लगाइए । लालू यादव जी को सांसद से हटाने और चुनाव लड़ने से रोकने के लिए देश का कानून बदल दिया जाता है ।*
 *संविधान में संशोधन कर दिए जाते है । आप मुझे बता दीजिए की विश्व इतिहास में ऐसा कभी हुआ था क्या ? अगर हाँ तो हमें ऐसी किसी घटना से लिंक कराइए । नहीं मिला न ।*
*और आप सोंचते है कि एक टेप चलाकर लालू यादव को सिमित कर देंगे तो फिर आप की बुद्धि विवेक पर हमें तरस आती है ।*
*लालू यादव को जेल में डाल दिए । संसद में रोक दिए । अब फांसी दे दीजिए । क्या फर्क पड़ेगा ? लालू को तो जो करना था वो कर चुके है ।*
*और बेहतर रोजगार -शिक्षा की बात कौन नहीं करना चाहता ? कौन नहीं चाहता की इस दिशा में बात हो ? मैंने स्वयं पिछले कई महीनो से बिहार की शिक्षा व्यवस्था और रोजगार पर बात करना चाहा । सैकड़ो पोस्ट भी लिखे । लेकिन कुछ लोगो को तो बस जाति पसन्द है । अर्णव जैसे लोग भी उसी कैटेगरी के है । नरेंद्र मोदी को लेकर अब तक दो टेप सार्वजनिक हुए है । एक लड़की के जासूसी तो दूसरा सहारा घोटाले की डील। लेकिन किसी मीडिया के लिए यह खबर नहीं बनी । क्यों नहीं बनी ? क्या मीडिया को मोदी का डर है ? और जो लोग लालू शहाबुद्दीन प्रकरण में हमें सिख दे रहे है वो मोदी वाले टेप की बात क्यों नहीं करते है ? आखिर वे उस मामले पर चुप क्यों है ? मोदी देश का पीएम है । उन पर ज्यादा चर्चा होनी चाहिए ।*
*लालू यादव क्या है ? कुछ भी तो नहीं है । विधायक तक वो बन नहीं सकते । फिर डर किस बात के ? इतनी जलन किस बात की ?*
*तो असल में यही जलन तो लालू यादव को बाकियो से अलग करता है । यही तो इन्हें महान बनाती है । आप जलन रखिये, क्या फर्क पड़ता है ?*
 *आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शंकराचार्य के पद पर चले आ रहे अघोषित आरक्षण पर प्रहार कर ब्राह्मणवाद पर हमला बोला है।*
 *उन्होंने कहा कि शंकराचार्य पद पर आरक्षण हो। शंकराचार्य के 4 में से 3 पद दलित, आदिवासी और पिछड़ों को मिले। हम इसके लिए आंदोलन करेंगे। उन्होंन सवाल उठाया कि क्यों ब्राह्मण ही शंकराचार्य बनते हैं? यह सामाजिक न्याय के खिलाफ है।*
*उनकी इस मांग के बाद सोशल मीडिया पर भी शंकराचार्य के पद को लेकर बहस तेज हो गई है।*
*इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर एक बहस शुरू हो गयी । लोग अपनी अपनी राय दे रहे थे । कुछ लोगों का मानना था कि लालू जी के इन बातों से सहमत है कि शंकराचार्य का पद किसी एक ही जाति के व्यक्ति को नहीं मिलना चाहिए । 1200 सालो से एक ही जाति के अंदर इस पद की मेरिट रही, विचारणीय है । ऐसा भला कैसे हो सकता है कि एक ही जाति के अंदर 1200 साल तक एक ही विशेष गुण समाहित रहे ।*
*वहीं कुछ लोग इस ट्वीट के बहाने लालू यादव की पार्टी में उनके परिवार के एकाधिकार पर सवाल उठा रहे थे । उनका कहना था कि ये कैसी सामाजिक न्याय की लड़ाई है जहां सिर्फ एक ही परिवार का आधिपत्य रहा है । वही दूसरी ओर भक्तों की एक बड़ी फौज लालूजी के परिवार और उनके निजी जीवन की धज्जियां उड़ाने व्यस्त थे और अपने संस्कार का परिचय दे रहे थे । बौखलाहट की तीव्रता इतनी अधिक थी मानों किसी परित्यक्ता स्त्री ने अपने अधिकार मांग लिए हो ।*
 *लोग कहते हैं कि हनुमान चालीसा पढ़ने से भूत-प्रेत भाग जाते हैं, अब यह तो निश्चित नहीं है कि कोई भूत-प्रेत है या नहीं अथवा हनुमान चालीसा पढ़ने से ऐसा कोई चमत्कार हो जाता है या नहीं पर यह तो निश्चित है कि वर्तमान सन्दर्भ में लालू प्रसाद यादव जी का नाम ऐसा नाम है जिसके उच्चारण मात्र से शोषण करने वाले अभिजात्य समाज का रोम-रोम फूट जाता है, अन्यायी मीडिया अपनी सारी मर्यादा भूल जाती है,साम्प्रदायिक ताकतें बिलबिला उठती हैं, सामाजिक न्याय विरोधी शक्तियां हाँफने और कांपने लगती हैं। लालू नाम ही इन धनजोर, मनजोर, बलजोर शक्तियों को कँपकँपी ला देता है क्योंकि यह लालू तनहीन, मनहीन, बलहीन, धनहीन लोगों की ताकत है, आवाज है और संघर्ष का प्रतीक है।*

*लालू प्रसाद यादव शोषक तबकों को गड़ते हैं क्योंकि वे पीड़ितों के लिए लड़ते हैं, सामंतवादियों को चुभते हैं क्योकि वे सामंती सत्ता को चोटिल करते हैं, साम्प्रदायिक लोगों को धँसते हैं क्योकि वे इन्हें छेड़ते हैं, पीड़ा देने वालो को अंदर तक सालते हैं क्योकि वे इन्हें ललकारते हैं। ऐसा हो भी क्यों नही क्योंकि लालू तो लालू हैं। लालू न झुकते हैं और न रुकते हैं। लालू को चाहे जितना दबाओ पर लालू ललकार हैं, हुंकार हैं और आंदोलन हैं।*
  *लालू प्रसाद यादव को इस देश का मुंहजोर तबका किसी कोण से बख्शा नहीं है पर लालू भी न हारे हैं और न थके हैं। लालू एक अपराजेय योद्धा की तरह अनवरत लड़ते रहे हैं और जंग फतह करते रहे है।*
*इस देश का अभिजात्य समाज लालू को क्या-क्या नहीं कहा और साबित किया है पर लालू ने निश्चिंत भाव से सदैव दलितों, पिछडो और अल्पसंख्यकों के हित में आवाज बुलंद की है, भले ही इसके एवज में उन्हें बहुत कुछ खोना पड़ा है लेकिन लालू न थके,न हारे और न निराश ही हुए है।*
*पटना विश्वविद्यालय का प्रेसीडेंट और कमेरे समुदाय का लोकतंत्र सेनानी जिसने देश मे तानाशाही के विरुद्ध सँघर्ष करते हुए अपना यौवन जेल में बिताया उसे अहीर होने की सजा भुगतनी पड़ी है।देश की अभिजात्य पोषक मीडिया लालू को चाराचोर सिद्ध करने में पूरी ताकत झोंक डाली।जिस लालू ने चाईबासा में स्कूटर के नम्बर पर ट्रक चलाने का फर्जीबाड़ा पकड़ा,मुकदमा लिखवाया,वही लालू चारा घोटाले के मुजरिम बना दिये गए।जगन्नाथ मिश्रा साहब के समय घोटाला हुवा और मुजरिम लालू जी भी बना दिये गए।एक ही अपराध में लालू जी को जेल और जगन्नाथ मिश्रा जी को बेल हो गयी।अद्भुत है यह इंतजाम जिसमे मिश्रा को बेल तो यादव को जेल हो जाता है।*
*लालू जी से अनायास ही मुंहजोर लोग नही जलते हैं,उसके पीछे कारण है क्योंकि लालू जी गलजोर लोगो की दवा हैं। लालू जी के शब्दो मे परमाणु बम सदृश विस्फोट है।लालू जी ने अपने राजनैतिक अभ्युदय काल मे जो ऐतिहासिक कार्य किये है वे देश की यथास्थितिवादी ताकतों के लिए नासूर है।लालू जी ने रामरथ रोक के देश की कम्युनल ताकतों को खुलेआम चुनौती दे डाली थी तो वहीं उन्होंने खुद को सोशल जस्टिश के मुद्दे में झोंक डाला था।मण्डल की लड़ाई को फतह करने के लिए लालू जी ने रामजेठमलानी जैसे ख्यातिप्राप्त वकील को खड़ा कर पिछड़े वर्गों को हक़ दिलाने की जोरदार पहल कर सम्पूर्ण सामाजिक न्याय विरोधी ताकतों को चुनौती दे डाली थी।*
 *कमेरे वर्गों को उनकी ताकत का अहसास दिलाने के लिए लालू जी कुर्ता के ऊपर बनियान पहन के सभाओं में जाते थे। सभा में जुटी भीड़ लालू जी के इस अनोखे अंदाज पर खूब लोटपोट होती थी लेकिन जब लालू जी इस अनोखे पहनावे की व्याख्या करते थे तो उसकी गूढ़ता का क्या पूछना? लालू जी कहते थे कि ऐ! शोषित-पीड़ित लोगों! यह बनियान हमेशा नीचे रहता है, पसीना खाता है और इसी की बदौलत कुर्ता और जैकेट इतराता है लेकिन बनियान को कभी भी तवज्जो नही मिलती है। यह लालू अब कुर्ता और जैकेट को नीचे तथा बनियान को ऊपर उठाने का संकल्प लेकर आपके बीच आया है।*
*लालू जी की 1990 के बाद  की कोई सभा बिना विवाद के सम्पन्न नही हुई क्योंकि लालू जी खरखोंच के बोलते थे। लालू जी बेलाग, बेलौस यथार्थ कहते थे और सामाजिक न्याय के लिए सतत संघर्ष करते थे। लालू जी की इसी अदा ने अन्य पिछड़े-दलित नेताओं की तुलना में उन्हें सर्वाधिक लोकप्रिय बनाया तो सामंती ताकतों का सबसे बड़ा प्रतिरोधक और मुखालिफ भी और यही कारण था कि देश की अभिजात्य समर्थक मीडिया,प्रशासनिक मशीनरी और दीगर ताकते उनको अपने दुश्मन की तरह ट्रीट कीं। लालू जी देश भर के चैतन्य समाज के आंख की किरकिरी बने तो वह तबका जिसके लिए लालू जी खलनायक सिद्ध किये गए उसने भी उनके ऊपर कहानियां बना डाली।बड़ा कठिन है भारतीय वर्ण व्यवस्था में इस जातिगत/वर्णगत अन्याय का प्रतिकार करना।*
*लालू जी ने एक बार ब्राह्मणवाद की खिल्ली उड़ाते हुए लालकिला के मैदान में कहा था कि ब्राह्मणवाद हमारे रोम-रोम में बसा हुआ है। जनेऊ पहनने वाले श्रेष्ठ तो जनेऊ न पहनने वाले को निम्न माना जाता है। उन्होंने कहा था कि कान पर जनेऊ लपेटके कुछ लोग छुल-छुल पेशाब करते हैं जबकि मैं बिना कान पर जनेऊ लपेटे हद-हद,हद-हद मूतता हूँ। लालू जी के इस व्यक्तव्य में कुछ लोग भद्दगी तलाशेंगे लेकिन लालू जी के इस ठेठ बोल में पाखण्ड, अंधविश्वास और ब्राह्मणवाद पर करारा प्रहार है। लालू जी पोथी-पतरा फूंकने, मठों और मंदिरों की जमीन गरीबो में बांटने की बात कह एक नयी क्रांति का आगाज किये थे जिसे मनुवादियो ने उन्हें अपने मकड़जाल में फँसाके गुम सा कर दिया।*
*लालू जी साम्प्रदायिकता के सबसे बड़े मुखालिफ के रूप में देश मे जाने जाते हैं। लालू जी ने आडवाणी जी के अश्वमेध के घोड़े सरीखे रथ को रोक के देश ही नहीं वरन दुनिया में एक ऐसा झंडा गाड़ दिया था जिसे हाल-फिलहाल शायद ही कोई दूसरा दुहरा पाए। लालू जी ने अकेले अपने वैचारिक प्रतिबद्धता और उस पर पूरी अक्खड़ता से कायम रहते हुए मोदी जी के कथित मोदी लहर को बिहार में फुस्स कर यह दिखा दिया कि लालू में अभी बहुत दम है।मोदी जी बिहार में हांकते रह गए पर लालू जी के सामने उनकी एक न चल सकी। लालू जी ने बिहार में मोदी जी को ऐसी पटखनी दी कि वे यूपी में जीत कर उससे उबर पाए हैं। लालू जी पर उनकी अक्खड़ता, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता एवं सेक्युलर प्रबृत्ति के कारण बराबर हमले होते रहते हैं। लालू जी के चरित्र हनन से लेकर उनके राजनैतिक जीवन पर कई-कई बार ग्रहण लगाए गए हैं पर लालू हैं कि एक नई स्फूर्ति के साथ हर बार बाहर निकल आते हैं। पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से जोड़के लालू जी की छबि को धूमिल करने की कुचेष्टा साम्प्रदायिक ताकतों के इशारे पर शुरू है लेकिन जनता सब जानती है।यह मीडिया लालू जी के ऊपर कीचड़ उछालने का कोई प्रयत्न छोड़ती नही है लेकिन लालू जी अपनी सामाजिक न्याय एवं सेक्युलरिज्म की प्रतिबद्धता से कभी किनारा नही करते हैं। लालू जी ने यदि अपने दल के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से बात कर लिया तो वह इशू बनता है लेकिन अमित शाह जी का अपराध उनके लिए स्वर्ण पदक होता है। लालू जी राजनेता होते हुए अपराधी सरीखे देखे जाते हैं जबकि केशव मौर्य जी दर्जनों आपराधिक मुकदमो में फंसे होने के बावजूद रामभक्त हैं।*
*लालू जी पर किसी भी तरह का हमला एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। लालू जी हम सबके नायक हैं, सामाजिक न्याय के मजबूत अलमबरदार हैं। हम सभी लालू जी के मुहिम को और तेज बनाएं और लालू जी के मिशन पर आगे बढ़ें वरना देश एक नए फासीवाद में फंस जाएगा।*
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*1988 से लेकर अब तक लालुजी को जो समझा है उसी  पर अधारीत मेरा  उपयुक्त संवाद*
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*प्रेषक-नरेंद्र मोहन*

6 comments:

  1. जिनकी जनसंख्या साढ़े तीन प्रतिशत है, जिनका वोट साढ़े तीन प्रतिशत है, अगर वो लोग ग्राम पंचायत के सदस्य का भी चुनाव लड़ें और चुनाव ईमानदारी से हो जाय, गैर कानूनी न हो, भ्रष्टाचार का कोई उपयोग न हो, गुण्डा गर्दी का उपयोग न हो, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव हो जाय तो क्या ग्राम पंचायत के चुनाव में ब्राह्मण अपना सदस्य भी चुन पायेगा? पूरे यकीन के साथ यह कहा जा सकता है कि एक भी ब्राह्मण चुनाव नहीं जीत पायेगा। तो जो ग्रामपंचयात में अपना सदस्य नहीं चुन सकता तो वो ग्राम पंचायत पर काबिज कैसे हो सकता है? नहीं हो सकता। जो ग्रामपंचायत पर कब्ज़ा नहीं कर सकते उन्होंने देश की महापंचायत पर कब्ज़ा कर लिया। अब सवाल यह है कि जो ग्राम पंचायत पर काबिज नहीं हो सकता वो देश की महापंचायत पर कब्ज़ा कैसे कर लिया?

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  2. बिहार मे अपनी करारी हार से तनतनाये भाजपा एक लालू यादव के घोटाले के दम पर अगले इलेक्शन मे वोट बैँक पाने की राजनीति कर रही है...!!
    भाजपा आरएसएस संघी और सीबीआई के पिछवाङे मे दम है तो खुद की मोदी सरकार के घोटाले के आरोप की जांच करे जो पिछले 3 साल मे हो गये और भाजपा के हाथो बिक चुके भांड बिकाउ वेश्या दलाल न्यूज मीडिया इसको छिपाती रही घोटाले नही पता तो मै बता देता हू ये बेचारे साले राजनीति मे अंधे लूले बहरे लंगङे है और आगे भी रहेँगे -छत्तीसगढ़ मे रमन सिँह सरकार का 36000करोड का चावल घोटाला ,
    पंजाब का प्रकाश सिँह बादल सरकार का 12000 करोड का गेहुं घोटाला,
    राजस्थान का माईंस खदान घोटाला ,
    मप्र का व्यांपम घोटाला,
    मनुस्मृति का बुक्सघोटाला,
    ललित मोदी गेट ,
    गुजरात का जमीन घोटाला (अनारा),
    हेमा मालिनी जमीन आवंटन घोटाला,
    एल ई डी बल्बघोटाले
    गुजरात में मोदी ने 1लाख 25 हजार करोड का हिसाब सी नही दिया सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार ।
    गंगा सफाई के नाम पर उमा भारती का 2958 करोङ का घोटाला ,
    36000 करोड़ का चावल घोटाला छत्तीसगढ़ मेंमुख्यमंत्री, उनका पूरा परिवार, उनके रिश्तेदार, स्टाफ, पीए सब शामिल,
    महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे का 206 करोड़ का घोटाला,
    271 करोड़ का कार बाइक घोटाला हैदराबाद में वैंकया नायडू के पुत्रआरोपी,
    मोदी राज में गुजरात का 27000 करोड़ का टैक्स घोटाला,
    1 रुपये मीटर के भाव अदानी को 16000एकड़ जमीन का घोटाला।
    स्मार्ट सिटी की बिना किसी जमीनी आधार दस्तावेज वाली योजना के नाम पर 1 लाख करोड़ का आवंटन एक और घोटाला।
    पिछली सरकार ने 2Gस्पेक्ट्रम का 20% भागबेचा था 62000 करोड़रुपए में, तब CAG ने 1,76,000 करोड़ का घाटा बताया था, अब भाजपा ने बचा हुआ 80% स्पेक्ट्रम1,10,000 करोड़ में 20साल की उधारी में बेच दिया जिसकी ब्याज सहित 21 लाख करोड़ कीमत थी,
    भाजपा के इशारे पर विरोधियो के यहा छापेमारी कर रही CBI इसकी भी जांच करे तब ना देश की जनता जानेगी नरेँद्र मोदी जी के 56 इंच मे दम है वरना ये डरपोक की सरकार है ।ये सत्यवादी राजा हरिशचंद्र वाली भाजपा पार्टी के राष्ट्रवादी देशभक्ति वाली कुकर्मो की कहानी है ।

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  3. यह वही लिस्ट है जिसका पैसा CBI लालू जी के घर में ढूढ़ रही है। 1987 - बोफोर्स तोप घोटाला, 1960 करोड़ 1992 - शेयर घोटाला, 5,000 करोड़।। 1994 - चीनी घोटाला, 650 करोड़ 1995 - प्रेफ्रेंशल अलॉटमेंट घोटाला, 5,000 करोड़ 1995 - कस्टम टैक्स घोटाला, 43 करोड़ 1995 - कॉबलर घोटाला, 1,000 करोड़ 1995 - दीनार / हवाला घोटाला, 400 करोड़ 1995 - मेघालय वन घोटाला, 300 करोड़ 1996 - उर्वरक आयत घोटाला, 1,300 करोड़ 1996 - यूरिया घोटाला, 133 करोड 1997 - बिहार भूमि घोटाला, 400 करोड़ 1997 - म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, 1,200 करोड़ 1997 - सुखराम टेलिकॉम घोटाला, 1,500 करोड़ 1997 - SNC पॉवेर प्रोजेक्ट घोटाला, 374 करोड़ 1998 - उदय गोयल कृषि उपज घोटाला, 210 करोड़ 1998 - टीक पौध घोटाला, 8,000 करोड़ 2001 - डालमिया शेयर घोटाला, 595 करोड़ 2001 - UTI घोटाला, 32 करोड़ 2001 - केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला, 1,000 करोड़ 2002 - संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला, 600 करोड़ 2002 - कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला, 120 करोड़ 2003 - स्टाम्प घोटाला, 20,000 करोड़ 2005 - आई पि ओ कॉरिडोर घोटाला, 1,000 करोड़ 2005 - बिहार बाढ़ आपदा घोटाला, 17 करोड़ 2005 - सौरपियन पनडुब्बी घोटाला, 18,978 करोड़ 2006 - पंजाब सिटी सेंटर घोटाला, 1,500 करोड़ 2008 - काला धन, 2,10,000 करोड 2008 - सत्यम घोटाला, 8,000 करोड 2008 - सैन्य राशन घोटाला, 5,000 करोड़ 2008 - स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र, 95 करोड़ 2008 - हसन् अली हवाला घोटाला, 39,120 करोड़ 2009 - उड़ीसा खदान घोटाला, 7,000 करोड़ 2009 - चावल निर्यात घोटाला, 2,500 करोड़ 2009 - झारखण्ड खदान घोटाला, 4,000 करोड़ 2009 - झारखण्ड मेडिकल उपकरण घोटाला, 130 करोड़ 2010 - आदर्श घर घोटाला, 900 करोड़ 2010 - खाद्यान घोटाला, 35,000 करोड़ 2010 - बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला, 2,00,000 करोड़ 2011 - 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, 1,76,000 करोड़ 2011 - कॉमन वेल्थ घोटाला, 70,000 करोड़ शेयर करें। ये सब घोटाले कोई विदेशी ने नही, या किसी मुसलमान ने नही किया, कोई SC ST ने नहीं, ये सब घोटाले उन्ही तथाकथित उच्चजाति के देशभक्तों ने किया हैं। पर सारा पैसा CBI लालू जी के घर में ढूढ़ रही है।

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  4. 1. रॉबर्ट वाड्रा से CBI क्यों नहीं पूछताछ करती है ?
    2. विजय माल्या को CBI क्यों नहीं ढूंढ़ती है ?
    3. व्यापम घोटाले में CBI क्यों नहीं जांच शुरू करती है ?
    4. ललित मोदी को CBI क्यों नहीं ढूंढ़ती है ?
    5. वसुन्धरा राजे से CBI क्यों नहीं पूछताछ करती है ?
    6. आनंदी बेन पटेल और उनके बेटी पर CBI क्यों नहीं FIR करती है ?
    7. येदुरप्पा से CBI क्यों नहीं पूछताछ करती है ?
    8. BCCI घोटाले के आरोपी अनुराग ठाकुर पे CBI क्यों नहीं FIR करती है ?
    9. अरुण जेटली पे CBI क्यों नहीं FIR करती है ?
    10. उमा भारती को CBI क्यों नहीं आरेस्ट करती है ?

    CBI सिर्फ लालू यादव और उनके परिवार के लिए ही बनी है क्या ?

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  5. आज सारे के सारे स्वर्ण लालू के पीछे पड़े हुये हैं क्यों...
    माननीय श्री लालू प्रसाद यादव जी पर कार्रवाई बदले की भावना से RSS bjp वाले ने किया
    1) लालू ने मंडल के आगे कमंडल को ध्वस्त किया।
    2) लालू ही पहले आदमी हैं जिन्होंने मन्दिरों के आरक्षण पर अंगुली उठाई, और पुजारी के पदों पर दलितों की नियुक्ति हो कहा जी नहीं, पटना के प्रसिद्ध मंदिर में दलित को पुजारी नियुक्ति भी किया था अपने समय में।
    3) रेलवे में कमलापति त्रिपाठी और उनकी बहू द्वारा नियुक्त लांखो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों जो बिना काम के रेलवे से वेतन लेते थे और स्टेशनों पर चाय या अखबार बेंचते थे उन्हें काम के लिये मजबूर करके रेलवे के घाटे को खत्म किया था।
    4) जनता की नब्ज को पहचान कर लालू ने ही माया और मुलायम को एक हो जाने और उस पर सार्थक पहल भी किया।
    5) लालू ने हमेशा संघ और RSS के जहरीले मंसूबों पर प्रहार और बेनकाब किया है।

    *मोदी एंड कंपनी rss को सबसे ज्यादा किसी से डर लगता है तो वह हैं लालू।*

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  6. *बी.जे.पी. ने जैसे ही देखा कि... लालू प्रसाद यादव जी पूरे विपक्ष को इकठ्ठा करके बीजेपी की लुटिया डूबा कर मायावती जी को प्रधान मंत्री बनाने मे एक अहम रोल निभा सकते हैं तो तुरंत ही बी.जे.पी. ने सी.बी.आई. की पूरी टीम को लालूजी के और उनके पूरे परिवार के पीछे लगा दिया है ।*

    *इसको कहते है पावर का दुरुपयोग..!!*

    *अरे बहुजनो अब से सम्भल जाओ और एक हो के अपनी सरकार बना लो नही तो मिटा दिया जाएगा तुम्हारा नामोनिशान ।*

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