क्रमिक असमानता –
जाति बंधन डालने के बाद उसे बनाये रखना संभव नहीं था। गुलाम को गुलाम बनाये रखने के लिए हर किसी के ऊपर किसी को रखना ही इस समस्या का समाधान था। सारे मूलनिवासी आपस में लड़ते रहे, मूलनिवासी कभी ब्राह्मणों के खिलाफ खड़े ना हो जाये। इसीलिए ब्राह्मणों ने मूलनिवासियों को ऊँची और नीची जातियों में बाँट दिया। उंच नीच की भावना मानवता की भावना को खत्म कर देती है। इसीलिए ब्राह्मणों ने क्रमिक असमानता के साथ जाति व्यवस्था का निर्माण किया है। और आज भी हर मूलनिवासी जाति और धर्म के नाम पर लड़ता रहता है और ब्राह्मण मज़े से तमाशा देख कर हँसता है।
अस्पृश्यता – जातिव्यवस्था बुद्ध पूर्व काल में नहीं थी इसीलिए उस समय के साहित्य में जाति या वर्ण व्यवस्था का वर्णन नहीं आता। इसीलिए यह भ्रान्ति फैली हुई है जिन बौद्धों ने ब्राह्मण धर्म का अनुसरण किया, और ब्राह्मणों ने जिन बौद्धों को अपना लिया वो आज के समय में ओबीसी में आते है। उन पर आज भी ब्राह्मणों का प्रभाव है जिसके कारण ओबीसी में आने वाले लोग दूसरे मूलनिवासियों से अपने आप को उच्च समझते है। ओबीसी भी पुष्यमित्र शुंग की प्रतिक्रांति के बाद बनाया गया मूलनिवासी लोगों का समूह है।
सिंधु घाटी की सभ्यता पैदा करने वाले भारतीय लोगो से इतनी बड़ी महान सभ्यता कैसे नष्ट हुई,जो 4500-5000 ईसा पूर्व से स्थापित थी?ये इंग्रेजो ने पूछा था, एक अंग्रेज अफसर को इस का शोध करने के लिए भी बोला गया था। बाद में इसके शोध को राघवन और एक संशोधक ने शुरू किया। पत्थर और ईंटों के परिक्षण में पता चला कि ये संस्कृति अपने आप नहीं मिटी थी। बल्कि सिंधु घटी की सभ्यता को मिटाया गया था। दक्षिण राज्य केरल में हडप्पा और मोहनजोदड़ों 429 अवशेष मिले। ब्राम्हण भारत में ईसा पूर्व 1600-1500 शताब्दी पूर्व आया।
ऋग्वेद में इंद्र के संदर्भ में 250 श्लोक आतें हैं। ब्राह्मणों के नायक इन्द्र पर लिखे सभी श्लोकों में यह बार बार आता है कि “हे इंद्र उन असुरों के दुर्ग को गिराओं” “उन असुरों(बहुजनों) की सभ्यता को नष्ट करो”। ये धर्मशास्त्र नहीं बल्कि ब्रहामणों के अपराधों से भरेदस्तावेज हैं।
भाषाशास्त्र के आधार पर ग्रिअरसन ने भी ये सिद्ध किया की अलग-अलग राज्यों में जो भाषा बोली जाती हैं,वो सारी भाषाओँ का स्त्रोतपाली है।
DNA के परिक्षण से प्राप्त हुआ सबूतनिर्विवाद और निर्णायक है। क्योकि वो किसी तर्क या दलील पर खड़ा नहीं किया गया है। इस शोध को विज्ञान के द्वारा कभी भी प्रमाणित किया जा सकता है। विज्ञान कोई जाति या धर्म नहीं है। इस शोध को करने वाले पूरी दुनिया से 265 लोग थे। बामशाद का यह शोध 21 मई 2001 के TIMES OF INDIA में NATURE नामक पेज पर छपा, जो दुनिया का सबसे ज्यादा वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त अंक है।
बाबासाहब आंबेडकर की उम्र सिर्फ 22 साल थी जब उन्होंने विश्व का जाति का मूलक्या है, इसकी खोज की थी। और 2001 में जो DNA परिक्षणहुआ था, बाबासाहब का और माइकल बामशाद का मत एक ही निकला था।
ब्राम्हण सारी दुनिया के सामने पुरे बेनकाबहो चुके थे। फिर भी ब्राह्मणों ने अपनी असलियत को छुपाने के लिए अपनी ब्रह्माणी सिद्धांत को अपनाया और ऐसा प्रचारित किया कि भारत में दक्षिणी ब्राह्मण दो नस्लों के होते है। ब्राह्मणों ने DNA के परिक्षण को पूरी तरह ख़ारिज नहीं किया और एक और झूठ मीडिया द्वारा प्रचारित करना शुरू कर दिया कि अब कोई मूलनिवासी नहीं है सभी लोग संमिश्र हो चुके है। उन्होंने कहा मापदंड ढूंढा? ब्राह्मणों ने दलील देकर कहा कि अन्डोमान और निकोबार द्वीप समूह की जो आदिवासी जनजाति है वो अफ्रीकन के वंशज है, वो उधर से आया था, और यूरेशियन देशों में चला गया है, इस पर भी शोध होना चाहिए। बामशाद के द्वारा किये गये शोध को नकारने के लिए ब्राह्मणों ने सिर्फ विज्ञान शब्द का प्रयोग किया और उसे झूठा प्रचारित किया। ब्राह्मण अगर यह झूठी कहानी सुनाये तो उस से पूछो कि दोनों ब्राह्मण नस्लों में से विदेश से कौन आया है? विदेशी का DNA बताओ? DNA के आधार पर ब्राह्मण अपनी बातों को सिद्ध नहीं कर सकता।
ब्राह्मण मुसलमान विरोधी घृणा आंदोलन क्यों चलता है?
क्योकि ब्राह्मणवाद और बुद्धिज्म के टकराव के समय बहुत से बौद्धिष्ट मुसलमान बन गये थे उन्होंने ब्राह्मण धर्म को नहीं अपनाया था। ब्राह्मण जनता है कि आज भारत में जितने भी मुसलमान है वो सब मूलनिवासी है इसीलिए ब्राह्मण मुसलमानों के खिलाफ घृणा का आंदोलन चलता रहता है ताकि ब्राह्मण किसी भी तरह मूलनिवासियों की एक शाखा को पूरी तरह खत्म कर सके।
अंग्रेजों के गुलाम ब्राह्मण था और उनके गुलाम मूलनिवासी थे। आज़ादी की जंग में आज़ादी के लिए आंदोलन करने वाले लोगों के सामने यह सबसे बड़ी समस्या थी। इसीलिए डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने अंग्रेजों को कहा कि ब्राह्मणों को आज़ाद करने से पहले मूलनिवासी बहुजनों को जरुर आज़ाद कर देना चाहिए। अगर ब्राह्मण मूलनिवासियों से पहले आज़ाद हो गया तो ब्राह्मण मूलनिवासियों को कभी आज़ाद नहीं करेगा। ये आशंका सिर्फ डॉ. भीम राव अम्बेडकर के मन में ही नहीं थी बल्कि मुसलमान नेताओं के मन में भी थी। इसीलिए 14 अगस्त को पाकिस्तान बना। मुसलमानों ने अंग्रेजों को कहा कि गाँधी से एक दिन पहले हमे आज़ादी देना और हमारे बाद गाँधी को देना। अगर तुमने पहले गाँधी को आज़ादी दे दी तो गाँधी बनिया है हमको कुछ नहीं देगा। ब्राह्मणों ने अपनी आज़ादी की लड़ाई मूलनिवासियों को सीडी बनाकर लड़ी और वो अंग्रेजों को भगा कर आज़ाद हो गये।
DNA संशोधन से सामने आया कि ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य भारत के मूलनिवासी नहीं है। व्यवहारिक रूप से भी देखा जाये तो ब्राह्मणों ने कभी भारत को अपना देश माना भी नहीं है। ब्राह्मण हमेशा राष्ट्रवाद का सिद्धांत बताता आया है लेकिन खुद कितना देशभक्त है ये बात किसी को नहीं बताता। इसका मतलब एक विदेशी गया और दूसरा विदेशी मालिक हो गया, DNA ने सिद्ध कर दिया। दूसरे विदेशी ब्राह्मणों ने ये प्रचार किया कि भारत आज़ाद हो गया। लेकिन आज भी भारत पर आज भी ब्राह्मणों का राज है। इससे यह साबित होता है कि मूलनिवासियों को भविष्य में आज़ादी हासिल करने का कार्यक्रम चलाना ही पड़ेगा। DNA परिक्षण के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि आज भी देश के 130 करोड में से 32 करोड लोग बाकि 98 करोड़ लोगों पर राज कर रहा है। कल्पना करो कितना मुलभुत और महत्वपूर्ण संशोधन है।
स्वाभिमानी अभिनेता दिलीप कुमार और डॉ अम्बेडकर *
संसमरण- डॉ सविता भीमराव आंबेडकर
************************************
नैतिकता,शील और चरित्र इन बातों का साहेब के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था।इस संदर्भ में एक घटना बताने की मेरी इच्छा है ।हमारी रिहाइश रेंस्वे होटल की ऊपरी मंजिल पर थी।सुयोग से सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार उसी होटल की निचली मंजिल पर ठहरे हुए थे ।मेरा भाई बालू और भालचंद्र वराले बाजार में कुछ खरीदने के लिए गए हुए थे ।वापसी में दिलीप कुमार से मिलकर उन्हें साहेब से मिलवाने के लिए लेकर आ गए। दिलीप कुमार को शैक्षणिक संस्थाओं के लिए मदद करने की इच्छा थी ।साहेब ने दिलीप कुमार से कहा था कि सिनेमा के बहुत से लोगों में नैतिकता और चरित्र न होने से उनके बारे में मुझे घृणा है तब दिलीप कुमार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सभी लोग ऐसे नहीं होते।इसपर साहेब ने अनेक अभिनेताओं और अभिनेत्रीयों के विवादों को बताकर उन्हें निरूत्तर कर दिया।तब दिलीप कुमार भी उत्तेजित हो गए और उन्होंने साहेब से कहा - " *मैं आपसे सहमत नहीं। उसका उत्तर सुनते ही साहेब ने कहा इसका कारण यह है कि मैं सत्य कह रहा हूँ ,सत्य हमेशा कडुवा होता है ,यह सुन दिलीप कुमार गुस्से में उठकर चला गया ।तब वातावरण बड़ा ही विचित्र हो गया।*"
उस शांति को भंगकर मेरा भाई डॉ साहेब से बोला - " आपको ऐसा स्पष्ट नहीं कहना चाहिए था ।" उससे आपकी संस्था को हजारों रूपये डोनेशन में मिल जाते,उनकी तो मदद करने की इच्छा थी ।यह सुनते ही साहेब अक्षरशः भड़क गए और गुस्से से बोले- " क्या कहते हो ? तू महामूर्ख हैं,*शील चरित्र बेचकर अनीति से और भ्रष्ट मार्ग से मिले पैसे मैंने कभी भी नहीं लिए और लूंगा भी नहीं ।मेरी संस्थाएं बंद हो गई तो भी कोई बात नहीं ।लेकिन अनीति के मार्ग से कमाए हुए पैसों से में ज्ञानार्जन जैसा पवित्र कार्य नहीं करूंगा।"
📕 संदर्भ- *डॉ आंबेडकर के संपर्क में*
पृष्ठ - 261
✒लेखिका- *डॉ सविता भीमराव आंबेडकर*
प्रकाशक - *सम्यक प्रकाशन*
जाति बंधन डालने के बाद उसे बनाये रखना संभव नहीं था। गुलाम को गुलाम बनाये रखने के लिए हर किसी के ऊपर किसी को रखना ही इस समस्या का समाधान था। सारे मूलनिवासी आपस में लड़ते रहे, मूलनिवासी कभी ब्राह्मणों के खिलाफ खड़े ना हो जाये। इसीलिए ब्राह्मणों ने मूलनिवासियों को ऊँची और नीची जातियों में बाँट दिया। उंच नीच की भावना मानवता की भावना को खत्म कर देती है। इसीलिए ब्राह्मणों ने क्रमिक असमानता के साथ जाति व्यवस्था का निर्माण किया है। और आज भी हर मूलनिवासी जाति और धर्म के नाम पर लड़ता रहता है और ब्राह्मण मज़े से तमाशा देख कर हँसता है।
अस्पृश्यता – जातिव्यवस्था बुद्ध पूर्व काल में नहीं थी इसीलिए उस समय के साहित्य में जाति या वर्ण व्यवस्था का वर्णन नहीं आता। इसीलिए यह भ्रान्ति फैली हुई है जिन बौद्धों ने ब्राह्मण धर्म का अनुसरण किया, और ब्राह्मणों ने जिन बौद्धों को अपना लिया वो आज के समय में ओबीसी में आते है। उन पर आज भी ब्राह्मणों का प्रभाव है जिसके कारण ओबीसी में आने वाले लोग दूसरे मूलनिवासियों से अपने आप को उच्च समझते है। ओबीसी भी पुष्यमित्र शुंग की प्रतिक्रांति के बाद बनाया गया मूलनिवासी लोगों का समूह है।
सिंधु घाटी की सभ्यता पैदा करने वाले भारतीय लोगो से इतनी बड़ी महान सभ्यता कैसे नष्ट हुई,जो 4500-5000 ईसा पूर्व से स्थापित थी?ये इंग्रेजो ने पूछा था, एक अंग्रेज अफसर को इस का शोध करने के लिए भी बोला गया था। बाद में इसके शोध को राघवन और एक संशोधक ने शुरू किया। पत्थर और ईंटों के परिक्षण में पता चला कि ये संस्कृति अपने आप नहीं मिटी थी। बल्कि सिंधु घटी की सभ्यता को मिटाया गया था। दक्षिण राज्य केरल में हडप्पा और मोहनजोदड़ों 429 अवशेष मिले। ब्राम्हण भारत में ईसा पूर्व 1600-1500 शताब्दी पूर्व आया।
ऋग्वेद में इंद्र के संदर्भ में 250 श्लोक आतें हैं। ब्राह्मणों के नायक इन्द्र पर लिखे सभी श्लोकों में यह बार बार आता है कि “हे इंद्र उन असुरों के दुर्ग को गिराओं” “उन असुरों(बहुजनों) की सभ्यता को नष्ट करो”। ये धर्मशास्त्र नहीं बल्कि ब्रहामणों के अपराधों से भरेदस्तावेज हैं।
भाषाशास्त्र के आधार पर ग्रिअरसन ने भी ये सिद्ध किया की अलग-अलग राज्यों में जो भाषा बोली जाती हैं,वो सारी भाषाओँ का स्त्रोतपाली है।
DNA के परिक्षण से प्राप्त हुआ सबूतनिर्विवाद और निर्णायक है। क्योकि वो किसी तर्क या दलील पर खड़ा नहीं किया गया है। इस शोध को विज्ञान के द्वारा कभी भी प्रमाणित किया जा सकता है। विज्ञान कोई जाति या धर्म नहीं है। इस शोध को करने वाले पूरी दुनिया से 265 लोग थे। बामशाद का यह शोध 21 मई 2001 के TIMES OF INDIA में NATURE नामक पेज पर छपा, जो दुनिया का सबसे ज्यादा वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त अंक है।
बाबासाहब आंबेडकर की उम्र सिर्फ 22 साल थी जब उन्होंने विश्व का जाति का मूलक्या है, इसकी खोज की थी। और 2001 में जो DNA परिक्षणहुआ था, बाबासाहब का और माइकल बामशाद का मत एक ही निकला था।
ब्राम्हण सारी दुनिया के सामने पुरे बेनकाबहो चुके थे। फिर भी ब्राह्मणों ने अपनी असलियत को छुपाने के लिए अपनी ब्रह्माणी सिद्धांत को अपनाया और ऐसा प्रचारित किया कि भारत में दक्षिणी ब्राह्मण दो नस्लों के होते है। ब्राह्मणों ने DNA के परिक्षण को पूरी तरह ख़ारिज नहीं किया और एक और झूठ मीडिया द्वारा प्रचारित करना शुरू कर दिया कि अब कोई मूलनिवासी नहीं है सभी लोग संमिश्र हो चुके है। उन्होंने कहा मापदंड ढूंढा? ब्राह्मणों ने दलील देकर कहा कि अन्डोमान और निकोबार द्वीप समूह की जो आदिवासी जनजाति है वो अफ्रीकन के वंशज है, वो उधर से आया था, और यूरेशियन देशों में चला गया है, इस पर भी शोध होना चाहिए। बामशाद के द्वारा किये गये शोध को नकारने के लिए ब्राह्मणों ने सिर्फ विज्ञान शब्द का प्रयोग किया और उसे झूठा प्रचारित किया। ब्राह्मण अगर यह झूठी कहानी सुनाये तो उस से पूछो कि दोनों ब्राह्मण नस्लों में से विदेश से कौन आया है? विदेशी का DNA बताओ? DNA के आधार पर ब्राह्मण अपनी बातों को सिद्ध नहीं कर सकता।
ब्राह्मण मुसलमान विरोधी घृणा आंदोलन क्यों चलता है?
क्योकि ब्राह्मणवाद और बुद्धिज्म के टकराव के समय बहुत से बौद्धिष्ट मुसलमान बन गये थे उन्होंने ब्राह्मण धर्म को नहीं अपनाया था। ब्राह्मण जनता है कि आज भारत में जितने भी मुसलमान है वो सब मूलनिवासी है इसीलिए ब्राह्मण मुसलमानों के खिलाफ घृणा का आंदोलन चलता रहता है ताकि ब्राह्मण किसी भी तरह मूलनिवासियों की एक शाखा को पूरी तरह खत्म कर सके।
अंग्रेजों के गुलाम ब्राह्मण था और उनके गुलाम मूलनिवासी थे। आज़ादी की जंग में आज़ादी के लिए आंदोलन करने वाले लोगों के सामने यह सबसे बड़ी समस्या थी। इसीलिए डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने अंग्रेजों को कहा कि ब्राह्मणों को आज़ाद करने से पहले मूलनिवासी बहुजनों को जरुर आज़ाद कर देना चाहिए। अगर ब्राह्मण मूलनिवासियों से पहले आज़ाद हो गया तो ब्राह्मण मूलनिवासियों को कभी आज़ाद नहीं करेगा। ये आशंका सिर्फ डॉ. भीम राव अम्बेडकर के मन में ही नहीं थी बल्कि मुसलमान नेताओं के मन में भी थी। इसीलिए 14 अगस्त को पाकिस्तान बना। मुसलमानों ने अंग्रेजों को कहा कि गाँधी से एक दिन पहले हमे आज़ादी देना और हमारे बाद गाँधी को देना। अगर तुमने पहले गाँधी को आज़ादी दे दी तो गाँधी बनिया है हमको कुछ नहीं देगा। ब्राह्मणों ने अपनी आज़ादी की लड़ाई मूलनिवासियों को सीडी बनाकर लड़ी और वो अंग्रेजों को भगा कर आज़ाद हो गये।
DNA संशोधन से सामने आया कि ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य भारत के मूलनिवासी नहीं है। व्यवहारिक रूप से भी देखा जाये तो ब्राह्मणों ने कभी भारत को अपना देश माना भी नहीं है। ब्राह्मण हमेशा राष्ट्रवाद का सिद्धांत बताता आया है लेकिन खुद कितना देशभक्त है ये बात किसी को नहीं बताता। इसका मतलब एक विदेशी गया और दूसरा विदेशी मालिक हो गया, DNA ने सिद्ध कर दिया। दूसरे विदेशी ब्राह्मणों ने ये प्रचार किया कि भारत आज़ाद हो गया। लेकिन आज भी भारत पर आज भी ब्राह्मणों का राज है। इससे यह साबित होता है कि मूलनिवासियों को भविष्य में आज़ादी हासिल करने का कार्यक्रम चलाना ही पड़ेगा। DNA परिक्षण के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि आज भी देश के 130 करोड में से 32 करोड लोग बाकि 98 करोड़ लोगों पर राज कर रहा है। कल्पना करो कितना मुलभुत और महत्वपूर्ण संशोधन है।
स्वाभिमानी अभिनेता दिलीप कुमार और डॉ अम्बेडकर *
संसमरण- डॉ सविता भीमराव आंबेडकर
************************************
नैतिकता,शील और चरित्र इन बातों का साहेब के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था।इस संदर्भ में एक घटना बताने की मेरी इच्छा है ।हमारी रिहाइश रेंस्वे होटल की ऊपरी मंजिल पर थी।सुयोग से सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार उसी होटल की निचली मंजिल पर ठहरे हुए थे ।मेरा भाई बालू और भालचंद्र वराले बाजार में कुछ खरीदने के लिए गए हुए थे ।वापसी में दिलीप कुमार से मिलकर उन्हें साहेब से मिलवाने के लिए लेकर आ गए। दिलीप कुमार को शैक्षणिक संस्थाओं के लिए मदद करने की इच्छा थी ।साहेब ने दिलीप कुमार से कहा था कि सिनेमा के बहुत से लोगों में नैतिकता और चरित्र न होने से उनके बारे में मुझे घृणा है तब दिलीप कुमार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सभी लोग ऐसे नहीं होते।इसपर साहेब ने अनेक अभिनेताओं और अभिनेत्रीयों के विवादों को बताकर उन्हें निरूत्तर कर दिया।तब दिलीप कुमार भी उत्तेजित हो गए और उन्होंने साहेब से कहा - " *मैं आपसे सहमत नहीं। उसका उत्तर सुनते ही साहेब ने कहा इसका कारण यह है कि मैं सत्य कह रहा हूँ ,सत्य हमेशा कडुवा होता है ,यह सुन दिलीप कुमार गुस्से में उठकर चला गया ।तब वातावरण बड़ा ही विचित्र हो गया।*"
उस शांति को भंगकर मेरा भाई डॉ साहेब से बोला - " आपको ऐसा स्पष्ट नहीं कहना चाहिए था ।" उससे आपकी संस्था को हजारों रूपये डोनेशन में मिल जाते,उनकी तो मदद करने की इच्छा थी ।यह सुनते ही साहेब अक्षरशः भड़क गए और गुस्से से बोले- " क्या कहते हो ? तू महामूर्ख हैं,*शील चरित्र बेचकर अनीति से और भ्रष्ट मार्ग से मिले पैसे मैंने कभी भी नहीं लिए और लूंगा भी नहीं ।मेरी संस्थाएं बंद हो गई तो भी कोई बात नहीं ।लेकिन अनीति के मार्ग से कमाए हुए पैसों से में ज्ञानार्जन जैसा पवित्र कार्य नहीं करूंगा।"
📕 संदर्भ- *डॉ आंबेडकर के संपर्क में*
पृष्ठ - 261
✒लेखिका- *डॉ सविता भीमराव आंबेडकर*
प्रकाशक - *सम्यक प्रकाशन*
http://www.saffronswastik.com/one-day-entire-country-will-cry-decision-sardar-vallabhbhai/
ReplyDeleteजिस तरह कहीं आतंकवाद पलता है ठीक उसी तरह भारत में ब्राह्मणवाद पल रहा है "आइऐ देखते हैं SC"ST"OBC के लोगो के अधिकारो रोजी-रोटी नोकरियो के उपर ब्राह्मणो का कहर " No 1' राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद 49' है जिसमे '45 ब्राह्मण "SC'ST 4" OBC 00 "
ReplyDeleteNo2 उप राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद 7' जिसमे 7 ही ब्राह्मण "SC00''ST00" BC 00
"No3 मंत्रियो के कैबिनेट सचिव कुल पद 20 ' जिसमे 19 ब्राह्मण "SC'ST 1 "OBC 00 "
No4 प्रधानमंत्री कार्यालय मे कुल पद 35 जिसमे 33 ब्राह्मण "SC'ST 2 "OBC 00 "
No 5 कृषि एवं सिचंन विभाग मे कुल पद 274 " जिसमे 259 ब्राह्मण "SC'ST 15" OBC 00" No 6 रक्षा मंत्रालय मे कुल पद है 1379 जिसमे 1331 ब्राह्मण" SC'ST 48 "OBC 00 है "
No 7 समाज कल्याण एवं हैल्थ मंत्रालय कुल पद 209 जिनमे 192 ब्राह्मण "SC'ST 17 "OBC 00 है
No 8 वित्त मंत्रालय मे कुल पद है 1008 " जिसमे 942 ब्राह्मण "SC'ST 66 " OBC 00 है
No 9 ग्रह मंत्रालय मे कुल पद है 409 जिसमें 377 ब्राह्मण " SC'ST 19" OBC 13 है
No 10 श्रम मंत्रालय मे कुल पद है 74 जिसमे 70 ब्राह्मण "SC'ST 4" OBC 00 है
No 11 रसायन एवं पेट्रोलियम मंत्रालय मे कुल पद है 121 जिसमे 112 ब्राह्मण " SC'ST 9" OBC 00 है
No 12 राज्यपाल एवं उपराज्यपाल कुल पद है 27 जिसमे 25 ब्राह्मण SC'ST 00" OBC 2
No 13 विदेश मे राजदूत 140 जिसमे 140 ही ब्राह्मण है "SC'ST 00 " OBC 00 है
No 14 विश्वविद्यालय के कुलपति पद 108 जिसमे 108 ही ब्राह्मण है " SC'ST 00" OBC 00 है
No 15 प्रधान सचिव के पद है 26 जिसमे 26 ही ब्राह्मण है " SC'ST 00" OBC 00 है
No 16 हाइकोर्ट के न्यायाधीश है 330 जिसमे 326 ब्राह्मण " SC'ST 4" OBC 00 है
No 17 सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 23 जिसमे 23 ही ब्राह्मण " SC'ST 00" OBC 00 है
No 18 IAS अधिकारी 3600 जिसमे 2950 ब्राह्मण " SC'ST 600 " OBC 50 है
No 19 "PTI कुल पद 2700 जिसमे 2600 ब्राह्मण " SC'ST 00" OBC 00 है "
No 20 शंकराचार्य कुल 05 जिसमे 05 ही ब्राह्मण है" SC'ST 00 OBC 00 है ।