Saturday, 5 August 2017

रावण का ही दहन क्यो?

 _*रावण का ही दहन क्यो?*_

_इन्द्रदेव ने ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही?_
_राजा पाण्डु ने माधुरी के साथ बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही?_
_पराशर ऋषि ने केवट की लड़की सत्यवती के साथ बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही?_
_बृहस्पति की पत्नी तारा का चन्द्र ने अपहरण करके बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही?_
_ब्रह्मा ने अपनी पुत्री सरस्वती के साथ जबरदस्ती वर्षो तक बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही??_
_राजा नरक की रानियों के साथ कृष्ण ने जबरदस्ती सहवास/विवाह रचाया उसका दहन क्यो नही?_
_कृष्ण ने अपने मामा रामण की पत्नी के साथ खुल्लम खुल्ला अवैध सम्बन्ध बनाया उसका दहन क्यो नही?_
_भीष्म ने अम्बा;अम्बीका; अम्बालिका का अपहरण किया उसका दहन क्यो नही?_
_राम के पूर्वज राजा दण्ड ने शुक्राचार्य की पुत्री अरजा के साथ बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही?_
_वायु देवता ने राजर्षि कुशनाश की कन्याओं के साथ बलात्कार करने कि कोशिश की उसका दहन क्यो नही?_
_वीष्णु ने जालन्घर की पत्नी वृन्दा के साथ बलात्कार किया उसका दहन क्यो नही?_
_आज बलात्कार इसीलिए तो नहीं रूक रहा है क्योकि हम बलात्कारियों की पूजा करते है;और जिस रावण ने अपनी बहन का बदला लेने के लिए सीता को ले गया पर उसे छुआ तक नहीं उसे सम्मान पूर्वक संभाला उस रावण को जलाते हैं !_

2 comments:

  1. https://youtu.be/62pzstkZZgw

    *साथियो मै आपको बताना चाहता हुँ*।

    *कि जिन साथियो की मानसिकता आज भी पीछे है और जो आज तक भी वास्तविकता को नही जान पाए है*।

    *_वो लोग इस वीडियो को जरूर देखें_* ।।

    *साथियो सतीश बौद्ध जी ने मनुवादियों पर बहुत करारा भाषण दिया है*।।

    *ये भाषण 50 मिनट का है*- बस जरूरत है आपको इस भाषण को सुनने की ।।

    *उम्मीद करता हुँ कि आप इस भाषण को पूरा सुनने की कोशिश करेगे*।

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  2. *यदि भारत के भविष्य निर्माण करना हो तो ब्राह्मणों को पैरों तले कुचल डालो ! - स्वामी विवेकानंद*

    स्वामी विवेकानन्द शिकागो में जब "विश्व धर्म" सम्मेलन का आयोजन 1893 में हो रहा था तब स्वामी विवेकानन्द धर्म सम्मेलन मे बोलने हेतु पहुंचे थे, उन्होने आयोजकों से विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण देने की इजाजत मांगी, तो आयोजकों ने उनसे हिन्दू धर्म के प्रवक्ता होने का प्रमाण पत्र मांगा, तो स्वामी विवेकानन्द ने वहां शिकागो से भारत के शंकराचार्य को तार भेजा और कहा की मुझे हिन्दू धर्म का प्रवक्ता होने का प्रमाण पत्र भिजवाने का कष्ट करें। इस पर शंकराचार्य (जो की ब्राम्हण जाति की आरक्षित उपाधि है) ने स्वामी विवेकानन्द को कहा की, "तुम ब्राम्हण जाति के नहीं हो बल्कि "शूद्र" जाति के हो; अत: तुम्हें हिन्दूओ का प्रवक्ता नहीं बनाया जा सकता है।"

    शंकराचार्य के जातिवाद और भेदभाव से स्वामीजी का मन उदास हो गया , वे ब्राम्हणों के इस व्यवहार से काफी दुखी हुए । स्वामीजी की पीड़ा देख कर वहां शिकागो में मौजूद श्रीलंका से आए "बौद्ध धर्म" के प्रवक्ता अनागरिक धम्मपाल बौद्ध जी ने स्वामीजी को अपनी ओर से एक सहमति पत्र दिया कि स्वामी विवेकानन्द विद्वान है, एवं ओजस्वी वक्ता है। इन्हें धर्म ससंद मॆं अपनी बातें कहने का मौका दिया जाये। इस तरह स्वामी जी को हिन्दू धर्म पर बोलने का मौका दिया।

    शास्त्रों में उल्लेख होने के कारण स्वामीजी को शिकागो की धर्म ससंद मॆं बोलने के लिये ब्राह्मणों ने अधिकृत नहीं किया। विवेकानंद को बोलने के लिए धम्मपाल के भाषण के समय में से सिर्फ पांच मिनट दिये गये। उस पाच मिनट में स्वामिजी ने अपनी बात रखी और इन्ही पांच मिनट की वजह से उनको सर्वोत्तम वक्ता का इनाम मिला ।ब्राह्मणों के दुर्व्यवहार के कारण ही स्वामी जी ने अपनी पुस्तक"भारत का भविष्य" में कहा है कि, यदि भारत के भविष्य निर्माण करना हो तो ब्राम्हणों को पैरों तले कुचल डालो !

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