एक रोज एक नास्तिक के सपने में भगवान आया और नास्तिक से कहा माँग जो माँगना है, मैं तुझको देना चाहता हूँ ।
नास्तिक ने कहा तू मुझको कुछ नही दे सकता ।
उसने कहा क्यों ? दुनिया तो मुझसे माँगती है ।
नास्तिक ने कहा दुनिया तुझसे माँगती है तो फिर तू दुनिया से क्यों माँगता है ?
भगवान ने कहा मैंने किसी से कब माँगा है ?
नास्तिक ने कहा किसी से तू भोजन माँगता है, किसी से दूध माँगता है । किसी से घी माँगता है किसी से तेल माँगता है । किसी से वस्त्र माँगता है तो किसी से आभूषण माँगता है ।
उसने कहा ये कौन कहता है कि मैं माँगता हूँ ? क्या किसी ने कभी मुझको माँगते हुए देखा है ?
नास्तिक ने कहा ऐसा तेरे भक्त ही कहते हैं । तेरे पुजारी कहते हैं । तेरे एजेंट कहते हैं ।
उसने कहा मैंने तो उनसे नहीं कहा ।
नास्तिक ने कहा अगर तूने नही कहा तो फिर तू उनको रोकता क्यों नही ? क्या तू उनको रोक सकता है ?
अब भगवान चुप और सन्नाटा ।
नास्तिक ने कहा तू नही रोक सकता क्योंकि तू ही उनकी उपज है । उन्होंने तुझको बनाया है । लोगो के मन में तेरा भय पैदा कर । तेरी उत्पत्ति ही भय से हुई है । जिस दिन भय ख़त्म हो जायेगा । तू भी उसी दिन ख़त्म हो जायेगा । नास्तिक ने कहा तू किसी को क्या दे सकता है ? तू तो खुद कर्ज में डूबा है ।
उसने कहा मैंने किससे कर्ज लिया है ?
नास्तिक ने कहा जिन्होंने तुझको दिया है, क्या तूने उनको कभी वापिस दिया है ? नहीं ना ? तो फिर तू उनका कर्जदार कैसे नही है ? जो लेकर नही देता उसको बेईमान कहते हैं, ठग और धोखेबाज कहते हैं ।
और भगवान रेत के ढेर की तरह भरभरा कर गिर पड़ा । अब वहाँ कुछ शेष नही था क्योंकि भगवान का डर ख़त्म हो चुका था |
अंधविस्वास से नाता तोड़ो और ज्ञान विज्ञान से नाता जोड़ो।....जय भारत
मिशन---गर्व से कहो हम शूद्र है और उच्च है।
भाइयो और बहनों
ब्राह्मणों के भगवानो को नंगा करने की जरूरत क्यों पड़ी क्योकि यही भगवान जब आपके हक और अधिकार दिलाने की बात आती है तो ब्राह्मण इन भगवानो को आगे कर देता है।वो खुद तो किसी से लड़ नही सकता उल्टा रायबरेली में पिट के आ गया।मंडल कॉमिशन न लागू हो पाए उसके लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाया।गाय लव जेहाद कश्मीर नोटबन्दी gst और अब लालू प्रसाद यादव तथा 2019 के आते आते दंगा या इमरजेंसी या पाकिस्तान से युद्ध वाली रणनीति आपको देखने को मिलेगी जिससे कि आपका ध्यान आपकी समस्यायों से ध्यान हटा सके।
संविधान का उद्देश्य ही जो सरकार पूरा न करे उसको गद्दार घोषित कर देना चाहिए वो कांग्रेस हो बीजेपी हो या आम आदमी पार्टी ।
ब्राह्मण हमेशा अपने को majority में आने के लिए आंदोलन करता है और हम जाति को पकड़कर माइनॉरिटी में आने के लिए लालायित है।ब्राह्मणों के भगवान इतने शक्तिशाली थे तो गौरी गजनवी और बाबर से क्यों नही लड़े बल्कि असुर शूद्र और राक्षस लोगों से ही क्यो लड़े।
1--श्रीकृष्ण जी को क्या मुसलमान ने मारा।
2--राजा बालि को क्या किसी मुसलमान ने मारा।
3--शंकर जी को जहर क्या किसी मुसलमान ने दिया।
4--रोहित बेमुला को क्या किसी मुसलमान ने मारा।
5--नरसिंह यादव जी का अंगूठा क्या किसी मुसलमान ने काटा।
6--तेज बहादुर यादव को क्या किसी मुसलमान ने नौकरी से हटाया।
7--एकलब्य का अंगूठा क्या किसी मुसलमान ने काटा।
8--बृहद्रथ मौर्य की हत्या क्या किसी मुसलमान ने किया।
9--गोपीनाथ मुंडे की हत्या क्या किसी मुसलमान ने किया।
10--छगन भुजबल और लालू प्रसाद जी को जेल में क्या किसी मुसलमान ने डाले।
11--ओबीसी sc st का हक क्या किसी मुसलमान ने छीना।
12--कार्यपालिका विधायिका न्यायपालिका और मीडिया पर कब्जा क्या किसी मुसलमान ने किया।
13--पत्थरों की मूर्ति बनाकर और उसमें प्राण प्रतिष्ठा करके 81 लाख करोड़ क्या मुसलमान वसूल रहा।
14--भगत सिंह सुभाष चंद्र बोस को क्या किसी मुसलमान ने मारा।
15--पूरे देश की 96% जमीन जायदाद क्या मुसलमान ने छीना।
16--CM आवास का शुद्धिकरण क्या किसी मुसलमान ने किया।
17--जातिगत जनगणना क्या किसी मुसलमान ने रोका।
18--सती प्रथा क्या मुसलमान ने बनाये।
19--देवदासी प्रथा क्या मुसलमान ने बनाये।
20--शिक्षा संपत्ति और वोट के अधिकार से आपको 2200 साल क्या मुसलमान ने वंचित किये।
21--सिक्ख ईसाई और नक्सली क्या मुसलमानों के आतंक से बने।
22--ऋषि संभूक की हत्या क्या किसी मुसलमान ने किए।
23--इस अखंड भारत को अब तक 7 टुकड़ो में क्या मुसलमानों ने किए।
24--6743 जाति क्या मुसलमानों ने बनाये।
25--सीबीआई आई बी और रॉ को हर साल अलग से लगभग 1900 करोड़ क्या किसी मुसलमान को दिया जा रहा जिसका चीफ ब्राह्मण ही होता।
26--तीनो सेना का अध्यक्ष राष्ट्रपति और सभी राज्यो के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री RSS के रहते हुए पूरे देश मे बम क्या मुसलमान फोड़ रहा।
27--आपको अंग्रेजो द्वारा शिक्षा संपत्ति और वोट का अधिकार मिलने पर आजादी का फर्जी आंदोलन क्या मुसलमानों ने चलाये।
28--जगदेव बाबू कुशवाहा जी को क्या मुसलमानों ने 5 september 1974 को बिहार में गोली मारी जो कहते थे
दस का शाषन नब्वे पर नही चलेगा नही चलेगा।
सौ में 90 शोषित है
90 भाग हमारा है
धन धरती और राजपाट में
90 भाग हमारा है।
इसके बाद भी आपको ब्राह्मणों के भगवान और जाति प्यारी है तो अपने सीने से इनको चिपकाए रखे।
देवेंद्र यादव 7506679290
बैठक में टी॰वी॰ चल रहा था, जिस पर रामायण आ रही थी।
मेरे मित्र काफी गौर से रामायण देख रहे थे।
तभी रामायण में एक दृश्य ऐसा आता है जब रामायण के मुख्य पात्र राम किसी राक्षस को मारते हैं।
तभी मेरे दोस्त अशोक चौधरी मुझसे कहते हैं।
*लो हो गया इस दैत्य 'राक्षस' का भी काम तमाम*
अब इतना सुनते ही मैंने उनसे कहा श्रीमान इतना खुश होने की क्या आवश्यकता है?
तभी मेरे मित्र अशोक चौधरी बोलते हैं, मैं इसलिए खुश हो रहा हूँ की राम ने *राक्षस* का अंत किया।
तभी मैंने कहा 'तो फिर इसमें खुश होने की क्या बात?
*राक्षस तो आप भी हो।*
अशोक जी थोड़े गुस्से में, *आपने हमें राक्षस क्यों कहा?*
हम राक्षस थोड़े ही हैं? *मैंने कहा अशोक जी आप राक्षस नही तो और क्या हो?*
*आप भी राक्षस और आपका बेटा भी राक्षस?*
तभी अशोक जी गुस्से से 'लथपथ' आग-बबुला होकर बोले, *हम आपकी इज्जत करते हैं इसका मतलब यह नही की आप हमारी सरेआम बेईजत्ती करेगो।*
हमें आपसे यह उम्मीद नही थी। मैंने कहा अशोक जी मैंने आपको गलत ही क्या बोला?
मैं तो अभी भी आपको और आपके बेटे को राक्षस कहुंगा चाहे आप मुझे कुछ भी कहो, या मेरे बारे में कुछ भी सोचो। आप कहो तो मैं यह साबित भी कर सकता हूँ की आप राक्षस हो।
तभी अशोक जी कहने लगे आप कैसे साबित करेगो?
*मैंने पूछा आपकी जाति क्या है?*
अशोक जी ने कहा हम *पवार पाटील' हैं।*
मैंने कहा हिंदू धर्म में कितने वर्ण होते हैं।
अशोक जी ने कहा *चार*
मैंने कहा आप *ब्राह्मण* हो ?
अशोक जी का जवाब - *नही*
मैंने कहा आप *वैश्य* हो ?
अशोक जी का जवाब - *नही*
मैंने कहा आप *क्षत्रीय* हो ?
अशोक जी का जवाब - *नही*
मैंने कहा अब कौन सा वर्ण बचा?
*अशोक जी ने कहा 'शुद्र'*
मैंने कहा तो फिर आप *शुद्र* हो।
अशोक जी गुमसुम हो गए, तभी उनकी पत्नी *श्रीमती जी' चाय लेकर आईं, मैंने तुरंत उनकी पत्नी से कहा, भाभी जी आपके बेटे का अभी नामकरण हुआ था*, क्या आप मुझे अपने बेटे की *जन्मपत्रि-कुंडली* दिखा सकती हैं?
अशोक जी की पत्नी ने कहा, हाँ जरूर क्यों नही, आप चाय पीजिए मैं अभी लाती हूँ।
अब हम लोग चाय पीने लगे, *तभी उनकी पत्नी जन्मपत्रि-कुंडली लेकर आ गईं, मैंने जन्मपत्रि-कुंडल
ी अपने हाथ में ना लेकर उनकी पत्नी से कहा, इसे अशोक जी को दीजिए।*
अशोक जी कहने लगे की मुझे क्यों?
*मैंने कहा अशोक जी जन्मपत्रि-कुंडली में सब कुछ लिखा होता है।*
अब आप अपने बेटे की जन्मपत्रि-कुंडली में देखकर यह बताइए की उसका *वर्ण* क्या लिखा है?
अशोक जी धीमी आवाज में बोले *शुद्र*
तभी मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई,
मैंने कहा, अशोक जी अब आप जन्मपत्रि-कुंडली में देखकर यह बताइए की आपके बेटे को किस *गण* में रखा गया है।
अशोक जी शांत मुद्रा में, बहुत देर तक कुछ नही बोलो, मैंने कहा अशोक जी क्या हुआ? आप तो शांत हो गए, क्या जन्मपत्रि- कुंडली में लिखा आपको समझ नही आ रहा?
लाईए मैं पढ़कर बताता हूँ, तभी वह बोले की *गण राक्षस*लिखा हुआ है।
दोस्तों अब मैं ठहाके मारकर हँसने लगा और बोला की अभी तो *आप राक्षस के मरने पर खुश हो रहे थे*, और इतनी जल्दी जन्मपत्रि-कुंडली में खुद के *बेटे को राक्षस देखकर शांत हो गए,*
ऐसा क्यों?
अशोक जी यह जन्मपत्रि-कुंडली मैंने या आपने नही बनाई, यह एक *ब्राह्मण* ने बनाई है।
जिस वर्ण ने *शुद्रोँ* को हमेशा राक्षस ही कहा है,
*अशोक जी जातिवाद-भेदभाव तो 'शुद्र' वर्ण के बच्चों को साथ जन्म से ही शुरू हो जाता है,*
आप *शुद्र-वर्ण* के अधीन आने वाली किसी भी जन्मपत्रि-कुंडली को उठाकर देख लीजिए *गण राक्षस ही मिलेगा।*
क्योंकि इस एक विशेष वर्ण ने *शुद्र वर्ण' को हमेशा राक्षस-खलनायक* के रूप में ही दिखाया है। और स्वंय को *नायक* के रूप में प्रस्तुत किया है।
क्या आपको अभी भी खुद के राक्षस होने पर शक है?
*इतने उदाहरण देने के बाद भी समाज मुर्दा बना हुआ है। कब जागोगे......?
जय भीम
भारत मे ब्रामणवाद आदिवासी को क्यो मिटाना चाहती । ब्रामणवाद आदिवासी को इसलिए मिटाना चाहती है कि पांचवी और छटवीं सूची में जब संविधान में लिख दिया कि जिस जमीन पर आदिवासी रहते है। उस जमीन को गैर आदिवासी को नही दे सकते। उस जमीन में जो कुछ है । उस जमीन की खनिज संपदा पर आदिवासियों का अधिकार है तो उसके बाद दिक्कत स्टार्ट हुई देश के अंदर में। दिक्कत कहाँ से स्टार्ट हुई? 1931 के बाद स्टार्ट हुई। 1931 में जैसे भटके विमुक्तो की गलती के वजह से हट्टान ने उनको डाउट फूल क्लासिफिकेशन में घोषित किया । जब भारत का सँविधान बना तो संविधान में फंडामेंटल राईट्स का वायलेशन होता अगर क्रिमिनल करके घोषित किया होता तो उनको डीनोटिफाइड़ विमुक्त तो किया , नान क्रिमिनल तो बनाया लेकिन उनको शेड्यूल ट्राइब्ज के लिस्ट में जवाहर लाल नेहरू ने नही डाला । यही से यह बात स्टार्ट होती है।
1994 के इंडिजिनस पीपप्ल के मानवाधिकार को कानून स्वरूप आने के बाद भारत के जो तथाकथित ब्रामण वदी लोग है। उन लोगो के आगे दूसरी बड़ी समस्या खड़ी हो गई ? क्या समस्या खड़ी हो गई? समस्या ये खड़ी हो गई कि जिस बात को सयुक्त राष्ट (uno) 1994 में ये लगा कि आदिवासी मूलनिवासी (indigenous) है। उनके अधिकार सेकुआर्ड होना चाहिये । अब ब्रामण वादियों को ये समस्या खड़ी हो गई कि भारत के संविधान में आदिवासी की शेड्यूल ट्राइब्ज की लिस्ट है। पांचवी सूची है। छठवीं सूची है और अगर ये आदिवासी इंडिजिनस पीपप्ल है, जो इस देश के मूलनिवासी है। अगर संयुक्त राष्ट्र में इसको मान्यता मिल जाती है तो भारतीय संविधान के साथ साथ ग्लोबल इकॉनमी का जो डेवलपमेंट जो हो रहा है , भूमंडलीकरण में जो अर्थव्यवस्था निर्माण हो रही है । उसमें भी सोशियल राईट्स, एन्ड इकनॉमिक राइट्स ये आदिवासी को स्पेशली देने पड़ेंगे। संविधान में मूलनिवासी करके रेकग्नाइज हो गए तो आप इसको अगर बारीकी से देखेंगे तो जो आठ करोड़ आदिवासी है अब 11 करोड़ हो जाएंगे।
संविधान के वजह से आदिवासी की जमीन कोई और नही ले सकता। आदिवासी की संस्कृति को मान्यता है । तो फिर रास्ता निकाला गया , क्या रास्ता निकला ? ब्रामण वादियों के षणयंत्र किया और रास्ता यह निकला कि अब इन्हें गैर आदिवासी बना दिया जाये । अगर ये गैर आदिवासी बन जाते है तो फिर कोई प्रॉब्लम नही। हम जो भी चाहे वो कर सकते है। क्योंकि की संविधान का प्रोटेक्शन है, पांचवी सूची का प्रोटेक्शन है , छटवीं सूची का प्रोटेक्शन है। अनुच्छेद 275 का प्रोटेक्शन है। ये संरक्षण जो है इनके वजह से हम उनको टच नही कर पायेगें । जो जिस आधार पर उनको अधिकार मिले है उस आधार को बदल दो। क्या आधार होते है? आदिवासी बनने के दो ही आधार होते है । एक होता है विशेष संस्कृति और दूसरा होता है टेरिटोरियल पजेशन । दुनिया भर में जो जो आदिवासी बनते है उनको मान्यता मिलती है। भारत मे भी जो मान्यता मिली वो दो ही आधार पर मिली । नही तो hill tribes and forest tribes की लिस्ट नही होती । हट्टन के 1931 के सेंसन में। टेरिटोरियल पजेशन है वो हिल ट्राइब्ज एन्ड फारेस्ट ट्राइब्ज और कुछ लोगो के पास हिल और फारेस्ट नही था तो वो भटकते रहे , इधर उधर इसलिए उधर से भी गए डाउटफुल क्लासिफिकेशन में आ गए। तो डिस्टिक कल्चर एन्ड टेरिटोरियल पजेशन यानी हमारी संस्कृति बिल्कुल भिन्न है । आदिवासी की संस्कृति भिन्न है। वो हिन्दू नही है ये बात भारत मे नही पूरी दुनिया मे क्लियर हुई और दूसरा जिस जमीन पर वो हजारो सालो से रह रहे है उसका जमीन के ऊपर का अधिकार उसे टेरिटोरियल पजेशन बोला जाता है । अब ये दो चीजें अगर खत्म कर दी जाए तो असिवासी , गैर आदिवासी बन जाएंगे । तो क्या किया? संस्कृति को कैसे खत्म किया जाए ? आरएसएस के लोगो ने धार्मिक आधार व वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से और बाकी कंपनी जो है उनकी उसके माध्यम से उनको वनवासी कहना चालू किया । हिन्दू बनाना चालू किया।
🤝जागो आदिवासी , जागो 🤝
🏹 उलगुलान का अंत नही , बिरसा का मरण नही । 🏹
⚖एक और उलगुलान का आगाज⚖
*भारत की प्राग ऐतिहासिक जन्म व्यवस्था को गिन्नीज ऑफ़ वर्ड बुक में स्थान क्यों नहीं ?*
जज महेश शर्मा का कहना है मोरनी आँख के आंसू से गर्भवती होती है ठीक बोला है, बाकी हम बताते हैं और केसे केसे पेदा हुए थे,,,?
बच्चे पैदा करने के अजीबो गरीब तरीके जानिए ब्राह्मण कैसे बच्चों को पैदा करवाने की Technology बताते है जो संसार में कही किसी देश में नहीं पायी जाती......
ब्रह्मा ने ब्राह्मण को अपने मुँह से पैदा किया,
छत्रिय को भुजाओ से,
वैश्य को जाँघो से और,
शुद्र को अपने पैरों से,
राम लक्षमण भरत शत्रुघ्न उनकी माताओ के द्वारा खीर खाने से पैदा हुए,
राजा जनक का एक नग्न स्त्री को देखकर वीर्य टपक गया जो धरती में गिरा अगले दिन सीता एक बलीहारे के खेत में पायी गयी,
हनुमान के पसीने से एक मादा मगरमच्छ pregnant हो गयी और उसने मगरधवज को जनम दिया,
हनुमान को पवन ने हनुमान की माता अंजनी को गर्भवती किया हनुमान हवा में पैदा हो गए ,
"यानि बैटिंग किसी और की छक्का कोई और मार गया"
कमल से ब्रह्मा पैदा हुए,
फिर ब्रह्मा ने अपनी पार्शव ( पसलिया ) रगड़ी तो दाई पसलियों से विष्णु और बाई से शिव पैदा किया,
इसी कड़ी में शिव ने अपने माथे का पसीना पोछकर जमीन की तरफ झटका तो विष्णु और अपनी जाँघ रगड़ी तो ब्रह्मा पैदा हुए,
"पता नहीं किसने किसको पैदा किया"
और ब्राह्मण क्या साबित करना चाहते है?????
पार्वती ने मिट्टी से गणेश की निर्माण किया,
विष्णु की नाक से सूअर का जन्म हुआ,
पांडवो की माता जंगल में गयी तो पाँच पांडवो का जन्म हुआ,
असुरो के अतिक्रमण की वजह से त्रिदेवो ब्रह्मा विष्णु महेश की बोहे तन गयी और तीनो देवो के मुख से एक तेज निकला जो एक हो गया और वैष्णवी (दुर्गा ) का जन्म हुआ ???
आखिर ये है क्या ?!ये क्या संस्कृति है ?? ऐसी गप्प टल्लो को क्यों थोपा गया ??
मकसद साफ था केवल इन गप्पों को लिखने वाला श्रेष्ठ था बाकि सब मानसिक गुलाम ।लेकिन अब तो !!
" "जागो जागो" जिन पाखंडियों की पाखंडी व्यवस्था ने तुम्हें सदियों तक जानवर बना रखा,
धिक्कार है तुम पर अगर ऐसी गंदी व्यवस्था को आज भी मान रहे हो , तो पढ़े लिखे होने का परिचय कब दोगे ।
*विज्ञान विरुद्ध अंधविश्वासी मान्यताओं और मिथकों का प्रचार ही संघी मानसिकता का लक्ष्य है।*
योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ियों के रास्ते में आने वाले गूलर के वृक्ष काटने का आदेश दिया है।
क्योंकि मुख्यमंत्री की समझ के हिसाब से गूलर का वृक्ष अशुभ होता है।
आज मैंने फिर से पढ़ा कि मुख्यमंत्री ने फिर कहा है कि बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए और बुरे ग्रहों के प्रकोप से बचने के लिए नव-ग्रह वृक्ष और शुभ वृक्ष लगाने चाहिए।
विज्ञान के अनुसार कोई भी वृक्ष अशुभ नहीं होता,
ख़ास तौर से गूलर तो बिल्कुल भी अनुपयोगी पेड़ नहीं है।
योगी आदित्यनाथ ने जो कहा है वह ज्ञान और विज्ञान के ख़िलाफ़ बात है।
ऐसी बातें सिर्फ़ कोई अंधविश्वासी व्यक्ति ही कह सकता है।
भारत का संविधान कहता है कि "राज्य का कर्तव्य होगा कि वह अपने नागरिकों में वैज्ञानिक सोच का प्रसार करे,"
लेकिन जिस तरह शासन के शीर्ष पर बैठे हुए लोग अंधविश्वास और अवैज्ञानिक मूढ़ता का प्रचार कर रहे हैं
वह न केवल युवा मस्तिष्क को पीछे ले जाएगी बल्कि यह एक संविधान विरोधी कृत्य भी है।
संविधान की शपथ लेने वाला व्यक्ति संविधान के विरुद्ध काम नहीं कर सकता।
जनता ने अपने प्रदेश का विकास करने के लिए एक मुख्यमंत्री को चुना है,
न की पूजा-पाठ करवाने और शुभ-अशुभ का विचार करवाने के लिए किसी ज्योतिषी को नियुक्त किया है।
यह बहुत ही शर्मनाक हालत है की भारत के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री इस तरह की मूर्खतापूर्ण और अवैज्ञानिक बातें करे।
इससे न सिर्फ़ जनता का नुक़सान होगा बल्कि पूरी दुनिया में भारत की खिल्ली भी उड़ेगी।
इन्सान ने ही भगवान का निर्माण किया है इसके तार्किक सबूत निम्नलिखित है
1)~मनुष्य के अलावा दुनिया का एक भी प्राणी भगवान को नही मानता।
2)~जहाॅ इन्सान नही पहुॅचा वहाॅ एक भी मंदिर मस्जिद या चर्च नही मिला।
3)~अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देवता है।इसका मतलब इन्सान को जैसी कल्पना सुझी वैसा भगवान बनाया गया।
4)~दुनिया मे अनेक धर्म पंथ और उनके अपने-अपने देवता है। इसका अर्थ भगवान भी एक नही।
5)~दिन प्रतिदिन नये नये भगवान तैयार हो रहे है।
6)~अलग-अलग प्रार्थनायें है।
7)~माना तो भगवान नही तो पत्थर यह कहावत ऐसे ही नही बनी।
8)~दुनिया मे देवताओं के अलग-अलग आकार और उनको प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग पुजा।
9)~अभी तक किसी इन्सान को भगवान मिलने के कोई प्रमाण नही है।
10)भगवान को मानने वाला और नही मानने वाला भी समान जिंदगी जीता है।
11)~भगवान किसी का भी भला या बुरा नही कर सकता।
12)~भगवान भ्रष्टाचार अन्याय चोरी बलात्कार आतंकवाद अराजकता रोक नही सकता।
13)~छोटे मासुम बच्चों पर बंदुक से गोलियाॅ दागने वालों के हाथ भगवान नही पकड सकता।
14)~मंदिर मठ आश्रम प्रार्थना स्थल जहाॅ माना जाता है कि भगवान का वास होता है वहाॅ भी बच्चे महिलाए सुरक्षित नही है।
15)~मंदिर मस्जिद चर्च को गिराते समय एक भी भगवान ने सामने
आकर विरोध नही किया।
16)~बिना अभ्यास किये एक भी छात्र को भगवान ने पास किया हो ऐसा एक भी उदाहरण आज तक सुनने को नही मिला।
17)~बहुत सारे भगवान ऐसे है जिनको 25 साल पहले कोई नही जानता था। वह अब प्रख्यात भगवान हो गये है।
18)~खुद को भगवान समझने वाले अब जेल की हवा खा रहे है।
19)~दुनिया मे करोडों लोग भगवान को नही मानते फिर भी वह सुख चैन से रह रहे है।
20)~हिन्दु अल्लाह को नही मानते। मुस्लिम भगवान को नही मानते। इसाई भगवान और अल्लाह को नही मानते। हिन्दु मुस्लिम गाॅड को नही मानते। फिर भी भगवानों ने एक दुसरे
को नही पुछा कि ऐसा क्यो?
21)~एक धर्म कहता है कि भगवान का आकार नही।दुसरा भगवान को आकार देकर फेन्सी कपडे पहनाता है।तीसरा अलग ही बताता है।मतलब
सच क्या है?
22)~भगवान है तो लोगों मे उसका डर क्यों नही?
23)~मांस भक्षण करने वाला भी जी रहा है और नही करने वाला भी जी रहा है।और जो दोनो खाता है वह भी जी रहा है।
23)~रूस, अमेरिका भगवान को नही मानते फिर भी वे महासत्ता है। 24) जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो फिर चार वर्ण की व्यवस्था सिर्फ भारत में क्यों पाई जाती है? अन्य देशों में क्यों नही पाई जाती है ? जब पिछले जन्म के कर्म के आधार पर जातियों का निर्माण किया गया है तो भारतीय जातियां अन्य देशों में क्यों नहीं पायी जाती है ? 25) जब वेद ईश्वर वाणी है तो भारत के अलावा अन्य देशों में वेद क्यों नहीं हैं? तथा वेद सिर्फ ब्राह्मणों की भाषा संस्कृत में क्यों है अन्य भाषाओं जैसे बंगाली, उड़िया, उर्दू, अंग्रेजी, मलयालम, तेलगु, फारसी, आदि में क्यों नहीं है? क्या इन भाषाओं को बोलने वालों केलिए वेद नहीं है?
नास्तिक ने कहा तू मुझको कुछ नही दे सकता ।
उसने कहा क्यों ? दुनिया तो मुझसे माँगती है ।
नास्तिक ने कहा दुनिया तुझसे माँगती है तो फिर तू दुनिया से क्यों माँगता है ?
भगवान ने कहा मैंने किसी से कब माँगा है ?
नास्तिक ने कहा किसी से तू भोजन माँगता है, किसी से दूध माँगता है । किसी से घी माँगता है किसी से तेल माँगता है । किसी से वस्त्र माँगता है तो किसी से आभूषण माँगता है ।
उसने कहा ये कौन कहता है कि मैं माँगता हूँ ? क्या किसी ने कभी मुझको माँगते हुए देखा है ?
नास्तिक ने कहा ऐसा तेरे भक्त ही कहते हैं । तेरे पुजारी कहते हैं । तेरे एजेंट कहते हैं ।
उसने कहा मैंने तो उनसे नहीं कहा ।
नास्तिक ने कहा अगर तूने नही कहा तो फिर तू उनको रोकता क्यों नही ? क्या तू उनको रोक सकता है ?
अब भगवान चुप और सन्नाटा ।
नास्तिक ने कहा तू नही रोक सकता क्योंकि तू ही उनकी उपज है । उन्होंने तुझको बनाया है । लोगो के मन में तेरा भय पैदा कर । तेरी उत्पत्ति ही भय से हुई है । जिस दिन भय ख़त्म हो जायेगा । तू भी उसी दिन ख़त्म हो जायेगा । नास्तिक ने कहा तू किसी को क्या दे सकता है ? तू तो खुद कर्ज में डूबा है ।
उसने कहा मैंने किससे कर्ज लिया है ?
नास्तिक ने कहा जिन्होंने तुझको दिया है, क्या तूने उनको कभी वापिस दिया है ? नहीं ना ? तो फिर तू उनका कर्जदार कैसे नही है ? जो लेकर नही देता उसको बेईमान कहते हैं, ठग और धोखेबाज कहते हैं ।
और भगवान रेत के ढेर की तरह भरभरा कर गिर पड़ा । अब वहाँ कुछ शेष नही था क्योंकि भगवान का डर ख़त्म हो चुका था |
अंधविस्वास से नाता तोड़ो और ज्ञान विज्ञान से नाता जोड़ो।....जय भारत
मिशन---गर्व से कहो हम शूद्र है और उच्च है।
भाइयो और बहनों
ब्राह्मणों के भगवानो को नंगा करने की जरूरत क्यों पड़ी क्योकि यही भगवान जब आपके हक और अधिकार दिलाने की बात आती है तो ब्राह्मण इन भगवानो को आगे कर देता है।वो खुद तो किसी से लड़ नही सकता उल्टा रायबरेली में पिट के आ गया।मंडल कॉमिशन न लागू हो पाए उसके लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाया।गाय लव जेहाद कश्मीर नोटबन्दी gst और अब लालू प्रसाद यादव तथा 2019 के आते आते दंगा या इमरजेंसी या पाकिस्तान से युद्ध वाली रणनीति आपको देखने को मिलेगी जिससे कि आपका ध्यान आपकी समस्यायों से ध्यान हटा सके।
संविधान का उद्देश्य ही जो सरकार पूरा न करे उसको गद्दार घोषित कर देना चाहिए वो कांग्रेस हो बीजेपी हो या आम आदमी पार्टी ।
ब्राह्मण हमेशा अपने को majority में आने के लिए आंदोलन करता है और हम जाति को पकड़कर माइनॉरिटी में आने के लिए लालायित है।ब्राह्मणों के भगवान इतने शक्तिशाली थे तो गौरी गजनवी और बाबर से क्यों नही लड़े बल्कि असुर शूद्र और राक्षस लोगों से ही क्यो लड़े।
1--श्रीकृष्ण जी को क्या मुसलमान ने मारा।
2--राजा बालि को क्या किसी मुसलमान ने मारा।
3--शंकर जी को जहर क्या किसी मुसलमान ने दिया।
4--रोहित बेमुला को क्या किसी मुसलमान ने मारा।
5--नरसिंह यादव जी का अंगूठा क्या किसी मुसलमान ने काटा।
6--तेज बहादुर यादव को क्या किसी मुसलमान ने नौकरी से हटाया।
7--एकलब्य का अंगूठा क्या किसी मुसलमान ने काटा।
8--बृहद्रथ मौर्य की हत्या क्या किसी मुसलमान ने किया।
9--गोपीनाथ मुंडे की हत्या क्या किसी मुसलमान ने किया।
10--छगन भुजबल और लालू प्रसाद जी को जेल में क्या किसी मुसलमान ने डाले।
11--ओबीसी sc st का हक क्या किसी मुसलमान ने छीना।
12--कार्यपालिका विधायिका न्यायपालिका और मीडिया पर कब्जा क्या किसी मुसलमान ने किया।
13--पत्थरों की मूर्ति बनाकर और उसमें प्राण प्रतिष्ठा करके 81 लाख करोड़ क्या मुसलमान वसूल रहा।
14--भगत सिंह सुभाष चंद्र बोस को क्या किसी मुसलमान ने मारा।
15--पूरे देश की 96% जमीन जायदाद क्या मुसलमान ने छीना।
16--CM आवास का शुद्धिकरण क्या किसी मुसलमान ने किया।
17--जातिगत जनगणना क्या किसी मुसलमान ने रोका।
18--सती प्रथा क्या मुसलमान ने बनाये।
19--देवदासी प्रथा क्या मुसलमान ने बनाये।
20--शिक्षा संपत्ति और वोट के अधिकार से आपको 2200 साल क्या मुसलमान ने वंचित किये।
21--सिक्ख ईसाई और नक्सली क्या मुसलमानों के आतंक से बने।
22--ऋषि संभूक की हत्या क्या किसी मुसलमान ने किए।
23--इस अखंड भारत को अब तक 7 टुकड़ो में क्या मुसलमानों ने किए।
24--6743 जाति क्या मुसलमानों ने बनाये।
25--सीबीआई आई बी और रॉ को हर साल अलग से लगभग 1900 करोड़ क्या किसी मुसलमान को दिया जा रहा जिसका चीफ ब्राह्मण ही होता।
26--तीनो सेना का अध्यक्ष राष्ट्रपति और सभी राज्यो के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री RSS के रहते हुए पूरे देश मे बम क्या मुसलमान फोड़ रहा।
27--आपको अंग्रेजो द्वारा शिक्षा संपत्ति और वोट का अधिकार मिलने पर आजादी का फर्जी आंदोलन क्या मुसलमानों ने चलाये।
28--जगदेव बाबू कुशवाहा जी को क्या मुसलमानों ने 5 september 1974 को बिहार में गोली मारी जो कहते थे
दस का शाषन नब्वे पर नही चलेगा नही चलेगा।
सौ में 90 शोषित है
90 भाग हमारा है
धन धरती और राजपाट में
90 भाग हमारा है।
इसके बाद भी आपको ब्राह्मणों के भगवान और जाति प्यारी है तो अपने सीने से इनको चिपकाए रखे।
देवेंद्र यादव 7506679290
बैठक में टी॰वी॰ चल रहा था, जिस पर रामायण आ रही थी।
मेरे मित्र काफी गौर से रामायण देख रहे थे।
तभी रामायण में एक दृश्य ऐसा आता है जब रामायण के मुख्य पात्र राम किसी राक्षस को मारते हैं।
तभी मेरे दोस्त अशोक चौधरी मुझसे कहते हैं।
*लो हो गया इस दैत्य 'राक्षस' का भी काम तमाम*
अब इतना सुनते ही मैंने उनसे कहा श्रीमान इतना खुश होने की क्या आवश्यकता है?
तभी मेरे मित्र अशोक चौधरी बोलते हैं, मैं इसलिए खुश हो रहा हूँ की राम ने *राक्षस* का अंत किया।
तभी मैंने कहा 'तो फिर इसमें खुश होने की क्या बात?
*राक्षस तो आप भी हो।*
अशोक जी थोड़े गुस्से में, *आपने हमें राक्षस क्यों कहा?*
हम राक्षस थोड़े ही हैं? *मैंने कहा अशोक जी आप राक्षस नही तो और क्या हो?*
*आप भी राक्षस और आपका बेटा भी राक्षस?*
तभी अशोक जी गुस्से से 'लथपथ' आग-बबुला होकर बोले, *हम आपकी इज्जत करते हैं इसका मतलब यह नही की आप हमारी सरेआम बेईजत्ती करेगो।*
हमें आपसे यह उम्मीद नही थी। मैंने कहा अशोक जी मैंने आपको गलत ही क्या बोला?
मैं तो अभी भी आपको और आपके बेटे को राक्षस कहुंगा चाहे आप मुझे कुछ भी कहो, या मेरे बारे में कुछ भी सोचो। आप कहो तो मैं यह साबित भी कर सकता हूँ की आप राक्षस हो।
तभी अशोक जी कहने लगे आप कैसे साबित करेगो?
*मैंने पूछा आपकी जाति क्या है?*
अशोक जी ने कहा हम *पवार पाटील' हैं।*
मैंने कहा हिंदू धर्म में कितने वर्ण होते हैं।
अशोक जी ने कहा *चार*
मैंने कहा आप *ब्राह्मण* हो ?
अशोक जी का जवाब - *नही*
मैंने कहा आप *वैश्य* हो ?
अशोक जी का जवाब - *नही*
मैंने कहा आप *क्षत्रीय* हो ?
अशोक जी का जवाब - *नही*
मैंने कहा अब कौन सा वर्ण बचा?
*अशोक जी ने कहा 'शुद्र'*
मैंने कहा तो फिर आप *शुद्र* हो।
अशोक जी गुमसुम हो गए, तभी उनकी पत्नी *श्रीमती जी' चाय लेकर आईं, मैंने तुरंत उनकी पत्नी से कहा, भाभी जी आपके बेटे का अभी नामकरण हुआ था*, क्या आप मुझे अपने बेटे की *जन्मपत्रि-कुंडली* दिखा सकती हैं?
अशोक जी की पत्नी ने कहा, हाँ जरूर क्यों नही, आप चाय पीजिए मैं अभी लाती हूँ।
अब हम लोग चाय पीने लगे, *तभी उनकी पत्नी जन्मपत्रि-कुंडली लेकर आ गईं, मैंने जन्मपत्रि-कुंडल
ी अपने हाथ में ना लेकर उनकी पत्नी से कहा, इसे अशोक जी को दीजिए।*
अशोक जी कहने लगे की मुझे क्यों?
*मैंने कहा अशोक जी जन्मपत्रि-कुंडली में सब कुछ लिखा होता है।*
अब आप अपने बेटे की जन्मपत्रि-कुंडली में देखकर यह बताइए की उसका *वर्ण* क्या लिखा है?
अशोक जी धीमी आवाज में बोले *शुद्र*
तभी मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई,
मैंने कहा, अशोक जी अब आप जन्मपत्रि-कुंडली में देखकर यह बताइए की आपके बेटे को किस *गण* में रखा गया है।
अशोक जी शांत मुद्रा में, बहुत देर तक कुछ नही बोलो, मैंने कहा अशोक जी क्या हुआ? आप तो शांत हो गए, क्या जन्मपत्रि- कुंडली में लिखा आपको समझ नही आ रहा?
लाईए मैं पढ़कर बताता हूँ, तभी वह बोले की *गण राक्षस*लिखा हुआ है।
दोस्तों अब मैं ठहाके मारकर हँसने लगा और बोला की अभी तो *आप राक्षस के मरने पर खुश हो रहे थे*, और इतनी जल्दी जन्मपत्रि-कुंडली में खुद के *बेटे को राक्षस देखकर शांत हो गए,*
ऐसा क्यों?
अशोक जी यह जन्मपत्रि-कुंडली मैंने या आपने नही बनाई, यह एक *ब्राह्मण* ने बनाई है।
जिस वर्ण ने *शुद्रोँ* को हमेशा राक्षस ही कहा है,
*अशोक जी जातिवाद-भेदभाव तो 'शुद्र' वर्ण के बच्चों को साथ जन्म से ही शुरू हो जाता है,*
आप *शुद्र-वर्ण* के अधीन आने वाली किसी भी जन्मपत्रि-कुंडली को उठाकर देख लीजिए *गण राक्षस ही मिलेगा।*
क्योंकि इस एक विशेष वर्ण ने *शुद्र वर्ण' को हमेशा राक्षस-खलनायक* के रूप में ही दिखाया है। और स्वंय को *नायक* के रूप में प्रस्तुत किया है।
क्या आपको अभी भी खुद के राक्षस होने पर शक है?
*इतने उदाहरण देने के बाद भी समाज मुर्दा बना हुआ है। कब जागोगे......?
जय भीम
भारत मे ब्रामणवाद आदिवासी को क्यो मिटाना चाहती । ब्रामणवाद आदिवासी को इसलिए मिटाना चाहती है कि पांचवी और छटवीं सूची में जब संविधान में लिख दिया कि जिस जमीन पर आदिवासी रहते है। उस जमीन को गैर आदिवासी को नही दे सकते। उस जमीन में जो कुछ है । उस जमीन की खनिज संपदा पर आदिवासियों का अधिकार है तो उसके बाद दिक्कत स्टार्ट हुई देश के अंदर में। दिक्कत कहाँ से स्टार्ट हुई? 1931 के बाद स्टार्ट हुई। 1931 में जैसे भटके विमुक्तो की गलती के वजह से हट्टान ने उनको डाउट फूल क्लासिफिकेशन में घोषित किया । जब भारत का सँविधान बना तो संविधान में फंडामेंटल राईट्स का वायलेशन होता अगर क्रिमिनल करके घोषित किया होता तो उनको डीनोटिफाइड़ विमुक्त तो किया , नान क्रिमिनल तो बनाया लेकिन उनको शेड्यूल ट्राइब्ज के लिस्ट में जवाहर लाल नेहरू ने नही डाला । यही से यह बात स्टार्ट होती है।
1994 के इंडिजिनस पीपप्ल के मानवाधिकार को कानून स्वरूप आने के बाद भारत के जो तथाकथित ब्रामण वदी लोग है। उन लोगो के आगे दूसरी बड़ी समस्या खड़ी हो गई ? क्या समस्या खड़ी हो गई? समस्या ये खड़ी हो गई कि जिस बात को सयुक्त राष्ट (uno) 1994 में ये लगा कि आदिवासी मूलनिवासी (indigenous) है। उनके अधिकार सेकुआर्ड होना चाहिये । अब ब्रामण वादियों को ये समस्या खड़ी हो गई कि भारत के संविधान में आदिवासी की शेड्यूल ट्राइब्ज की लिस्ट है। पांचवी सूची है। छठवीं सूची है और अगर ये आदिवासी इंडिजिनस पीपप्ल है, जो इस देश के मूलनिवासी है। अगर संयुक्त राष्ट्र में इसको मान्यता मिल जाती है तो भारतीय संविधान के साथ साथ ग्लोबल इकॉनमी का जो डेवलपमेंट जो हो रहा है , भूमंडलीकरण में जो अर्थव्यवस्था निर्माण हो रही है । उसमें भी सोशियल राईट्स, एन्ड इकनॉमिक राइट्स ये आदिवासी को स्पेशली देने पड़ेंगे। संविधान में मूलनिवासी करके रेकग्नाइज हो गए तो आप इसको अगर बारीकी से देखेंगे तो जो आठ करोड़ आदिवासी है अब 11 करोड़ हो जाएंगे।
संविधान के वजह से आदिवासी की जमीन कोई और नही ले सकता। आदिवासी की संस्कृति को मान्यता है । तो फिर रास्ता निकाला गया , क्या रास्ता निकला ? ब्रामण वादियों के षणयंत्र किया और रास्ता यह निकला कि अब इन्हें गैर आदिवासी बना दिया जाये । अगर ये गैर आदिवासी बन जाते है तो फिर कोई प्रॉब्लम नही। हम जो भी चाहे वो कर सकते है। क्योंकि की संविधान का प्रोटेक्शन है, पांचवी सूची का प्रोटेक्शन है , छटवीं सूची का प्रोटेक्शन है। अनुच्छेद 275 का प्रोटेक्शन है। ये संरक्षण जो है इनके वजह से हम उनको टच नही कर पायेगें । जो जिस आधार पर उनको अधिकार मिले है उस आधार को बदल दो। क्या आधार होते है? आदिवासी बनने के दो ही आधार होते है । एक होता है विशेष संस्कृति और दूसरा होता है टेरिटोरियल पजेशन । दुनिया भर में जो जो आदिवासी बनते है उनको मान्यता मिलती है। भारत मे भी जो मान्यता मिली वो दो ही आधार पर मिली । नही तो hill tribes and forest tribes की लिस्ट नही होती । हट्टन के 1931 के सेंसन में। टेरिटोरियल पजेशन है वो हिल ट्राइब्ज एन्ड फारेस्ट ट्राइब्ज और कुछ लोगो के पास हिल और फारेस्ट नही था तो वो भटकते रहे , इधर उधर इसलिए उधर से भी गए डाउटफुल क्लासिफिकेशन में आ गए। तो डिस्टिक कल्चर एन्ड टेरिटोरियल पजेशन यानी हमारी संस्कृति बिल्कुल भिन्न है । आदिवासी की संस्कृति भिन्न है। वो हिन्दू नही है ये बात भारत मे नही पूरी दुनिया मे क्लियर हुई और दूसरा जिस जमीन पर वो हजारो सालो से रह रहे है उसका जमीन के ऊपर का अधिकार उसे टेरिटोरियल पजेशन बोला जाता है । अब ये दो चीजें अगर खत्म कर दी जाए तो असिवासी , गैर आदिवासी बन जाएंगे । तो क्या किया? संस्कृति को कैसे खत्म किया जाए ? आरएसएस के लोगो ने धार्मिक आधार व वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से और बाकी कंपनी जो है उनकी उसके माध्यम से उनको वनवासी कहना चालू किया । हिन्दू बनाना चालू किया।
🤝जागो आदिवासी , जागो 🤝
🏹 उलगुलान का अंत नही , बिरसा का मरण नही । 🏹
⚖एक और उलगुलान का आगाज⚖
*भारत की प्राग ऐतिहासिक जन्म व्यवस्था को गिन्नीज ऑफ़ वर्ड बुक में स्थान क्यों नहीं ?*
जज महेश शर्मा का कहना है मोरनी आँख के आंसू से गर्भवती होती है ठीक बोला है, बाकी हम बताते हैं और केसे केसे पेदा हुए थे,,,?
बच्चे पैदा करने के अजीबो गरीब तरीके जानिए ब्राह्मण कैसे बच्चों को पैदा करवाने की Technology बताते है जो संसार में कही किसी देश में नहीं पायी जाती......
ब्रह्मा ने ब्राह्मण को अपने मुँह से पैदा किया,
छत्रिय को भुजाओ से,
वैश्य को जाँघो से और,
शुद्र को अपने पैरों से,
राम लक्षमण भरत शत्रुघ्न उनकी माताओ के द्वारा खीर खाने से पैदा हुए,
राजा जनक का एक नग्न स्त्री को देखकर वीर्य टपक गया जो धरती में गिरा अगले दिन सीता एक बलीहारे के खेत में पायी गयी,
हनुमान के पसीने से एक मादा मगरमच्छ pregnant हो गयी और उसने मगरधवज को जनम दिया,
हनुमान को पवन ने हनुमान की माता अंजनी को गर्भवती किया हनुमान हवा में पैदा हो गए ,
"यानि बैटिंग किसी और की छक्का कोई और मार गया"
कमल से ब्रह्मा पैदा हुए,
फिर ब्रह्मा ने अपनी पार्शव ( पसलिया ) रगड़ी तो दाई पसलियों से विष्णु और बाई से शिव पैदा किया,
इसी कड़ी में शिव ने अपने माथे का पसीना पोछकर जमीन की तरफ झटका तो विष्णु और अपनी जाँघ रगड़ी तो ब्रह्मा पैदा हुए,
"पता नहीं किसने किसको पैदा किया"
और ब्राह्मण क्या साबित करना चाहते है?????
पार्वती ने मिट्टी से गणेश की निर्माण किया,
विष्णु की नाक से सूअर का जन्म हुआ,
पांडवो की माता जंगल में गयी तो पाँच पांडवो का जन्म हुआ,
असुरो के अतिक्रमण की वजह से त्रिदेवो ब्रह्मा विष्णु महेश की बोहे तन गयी और तीनो देवो के मुख से एक तेज निकला जो एक हो गया और वैष्णवी (दुर्गा ) का जन्म हुआ ???
आखिर ये है क्या ?!ये क्या संस्कृति है ?? ऐसी गप्प टल्लो को क्यों थोपा गया ??
मकसद साफ था केवल इन गप्पों को लिखने वाला श्रेष्ठ था बाकि सब मानसिक गुलाम ।लेकिन अब तो !!
" "जागो जागो" जिन पाखंडियों की पाखंडी व्यवस्था ने तुम्हें सदियों तक जानवर बना रखा,
धिक्कार है तुम पर अगर ऐसी गंदी व्यवस्था को आज भी मान रहे हो , तो पढ़े लिखे होने का परिचय कब दोगे ।
*विज्ञान विरुद्ध अंधविश्वासी मान्यताओं और मिथकों का प्रचार ही संघी मानसिकता का लक्ष्य है।*
योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ियों के रास्ते में आने वाले गूलर के वृक्ष काटने का आदेश दिया है।
क्योंकि मुख्यमंत्री की समझ के हिसाब से गूलर का वृक्ष अशुभ होता है।
आज मैंने फिर से पढ़ा कि मुख्यमंत्री ने फिर कहा है कि बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए और बुरे ग्रहों के प्रकोप से बचने के लिए नव-ग्रह वृक्ष और शुभ वृक्ष लगाने चाहिए।
विज्ञान के अनुसार कोई भी वृक्ष अशुभ नहीं होता,
ख़ास तौर से गूलर तो बिल्कुल भी अनुपयोगी पेड़ नहीं है।
योगी आदित्यनाथ ने जो कहा है वह ज्ञान और विज्ञान के ख़िलाफ़ बात है।
ऐसी बातें सिर्फ़ कोई अंधविश्वासी व्यक्ति ही कह सकता है।
भारत का संविधान कहता है कि "राज्य का कर्तव्य होगा कि वह अपने नागरिकों में वैज्ञानिक सोच का प्रसार करे,"
लेकिन जिस तरह शासन के शीर्ष पर बैठे हुए लोग अंधविश्वास और अवैज्ञानिक मूढ़ता का प्रचार कर रहे हैं
वह न केवल युवा मस्तिष्क को पीछे ले जाएगी बल्कि यह एक संविधान विरोधी कृत्य भी है।
संविधान की शपथ लेने वाला व्यक्ति संविधान के विरुद्ध काम नहीं कर सकता।
जनता ने अपने प्रदेश का विकास करने के लिए एक मुख्यमंत्री को चुना है,
न की पूजा-पाठ करवाने और शुभ-अशुभ का विचार करवाने के लिए किसी ज्योतिषी को नियुक्त किया है।
यह बहुत ही शर्मनाक हालत है की भारत के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री इस तरह की मूर्खतापूर्ण और अवैज्ञानिक बातें करे।
इससे न सिर्फ़ जनता का नुक़सान होगा बल्कि पूरी दुनिया में भारत की खिल्ली भी उड़ेगी।
इन्सान ने ही भगवान का निर्माण किया है इसके तार्किक सबूत निम्नलिखित है
1)~मनुष्य के अलावा दुनिया का एक भी प्राणी भगवान को नही मानता।
2)~जहाॅ इन्सान नही पहुॅचा वहाॅ एक भी मंदिर मस्जिद या चर्च नही मिला।
3)~अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देवता है।इसका मतलब इन्सान को जैसी कल्पना सुझी वैसा भगवान बनाया गया।
4)~दुनिया मे अनेक धर्म पंथ और उनके अपने-अपने देवता है। इसका अर्थ भगवान भी एक नही।
5)~दिन प्रतिदिन नये नये भगवान तैयार हो रहे है।
6)~अलग-अलग प्रार्थनायें है।
7)~माना तो भगवान नही तो पत्थर यह कहावत ऐसे ही नही बनी।
8)~दुनिया मे देवताओं के अलग-अलग आकार और उनको प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग पुजा।
9)~अभी तक किसी इन्सान को भगवान मिलने के कोई प्रमाण नही है।
10)भगवान को मानने वाला और नही मानने वाला भी समान जिंदगी जीता है।
11)~भगवान किसी का भी भला या बुरा नही कर सकता।
12)~भगवान भ्रष्टाचार अन्याय चोरी बलात्कार आतंकवाद अराजकता रोक नही सकता।
13)~छोटे मासुम बच्चों पर बंदुक से गोलियाॅ दागने वालों के हाथ भगवान नही पकड सकता।
14)~मंदिर मठ आश्रम प्रार्थना स्थल जहाॅ माना जाता है कि भगवान का वास होता है वहाॅ भी बच्चे महिलाए सुरक्षित नही है।
15)~मंदिर मस्जिद चर्च को गिराते समय एक भी भगवान ने सामने
आकर विरोध नही किया।
16)~बिना अभ्यास किये एक भी छात्र को भगवान ने पास किया हो ऐसा एक भी उदाहरण आज तक सुनने को नही मिला।
17)~बहुत सारे भगवान ऐसे है जिनको 25 साल पहले कोई नही जानता था। वह अब प्रख्यात भगवान हो गये है।
18)~खुद को भगवान समझने वाले अब जेल की हवा खा रहे है।
19)~दुनिया मे करोडों लोग भगवान को नही मानते फिर भी वह सुख चैन से रह रहे है।
20)~हिन्दु अल्लाह को नही मानते। मुस्लिम भगवान को नही मानते। इसाई भगवान और अल्लाह को नही मानते। हिन्दु मुस्लिम गाॅड को नही मानते। फिर भी भगवानों ने एक दुसरे
को नही पुछा कि ऐसा क्यो?
21)~एक धर्म कहता है कि भगवान का आकार नही।दुसरा भगवान को आकार देकर फेन्सी कपडे पहनाता है।तीसरा अलग ही बताता है।मतलब
सच क्या है?
22)~भगवान है तो लोगों मे उसका डर क्यों नही?
23)~मांस भक्षण करने वाला भी जी रहा है और नही करने वाला भी जी रहा है।और जो दोनो खाता है वह भी जी रहा है।
23)~रूस, अमेरिका भगवान को नही मानते फिर भी वे महासत्ता है। 24) जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो फिर चार वर्ण की व्यवस्था सिर्फ भारत में क्यों पाई जाती है? अन्य देशों में क्यों नही पाई जाती है ? जब पिछले जन्म के कर्म के आधार पर जातियों का निर्माण किया गया है तो भारतीय जातियां अन्य देशों में क्यों नहीं पायी जाती है ? 25) जब वेद ईश्वर वाणी है तो भारत के अलावा अन्य देशों में वेद क्यों नहीं हैं? तथा वेद सिर्फ ब्राह्मणों की भाषा संस्कृत में क्यों है अन्य भाषाओं जैसे बंगाली, उड़िया, उर्दू, अंग्रेजी, मलयालम, तेलगु, फारसी, आदि में क्यों नहीं है? क्या इन भाषाओं को बोलने वालों केलिए वेद नहीं है?
भगवान ने सब कुछ दिया 😜😜😜
ReplyDelete1,नशा करना भोलेनाथ ने सिखाया।
2,बेईमानी,छल,कपट को श्री कृष्ण ने सिखाया।
3,तलाक देकर नारी को बेघर करना श्री राम ने सिखाया।
4,झूठ बोलना नारदमुनि ने सिखाया।
5,स्त्री को बुरी नजर से देखना श्री कृष्ण ने सिखाया।
6,जानवरो की हत्या करना श्री राम ने सिखाया।
7,नारी पर अत्याचार करना लक्ष्मण ने सिखाया।
8, जुऑ खेलना पांडवो ने सिखाया
9,नारी का सटा लगाना भी पांडवो ने सिखाया ।
अगर भगवान नही होता तो दुनिया में एक भी अपराध नही होते!
जनहित में जारी
जय भीम*
भगवान नही विज्ञान बडा ?
ReplyDeleteवैज्ञानिक युग में तर्को का छिडा हुआ धमसान है।
दुनिया में भगवान बडा या कि बडा विज्ञान है।
पहले जब अनजान रहा नर प्रकृति नियम के वारे में।
जो कुछ भी घटता था जग मे, सबका सब अंधियारो मे।
आग,हवा,धन,गर्जन नभ मे चपला की चंचल चमकन ।
कारण समझ न पाया क्यों रुक जाती है दिल की धडकन ।
मान लिया ईश्वर को कर्ता जो कि निरा अज्ञान है ।
दुनिया मे भगवान बडा या कि बडा विज्ञान है।
किन्तु आज तो वैज्ञानिक ने मानव का भम्र तोड दिया।
सभी अंधविश्वासों का पूरा भंडा फोड दिया ।
जन्म मृत्यु दर हुई नियंत्रित,क्लोंन टयुव शिशु उपजाए
अंधों को दे दिये नेत्र अरु,बहरे सब कुछ सुन पाए।
पंगु चढ गये परवत पर सचमुच नूतन अनुसंधान है ।
दुनिया मे भगवान बडा या कि बडा विज्ञान है।
मंगल,चंद्र शूक्र ,शनि भेद खुल गया है सारा
क्राति हो रही आज धरा पर अणुपि उर्जा के द्बारा ।
डोल रहा ईश्वर सिंहासन अब कम्प्युटर के कारण,
शेष नाग कर नही सकेंगे फन पर अब पृथ्वी धारण।
कोरी गप सूर्य को निगला,बाल समय हनुमान है।
दुनिया मे भगवान बडा या कि बडा विज्ञान है।
आज मशीनों के कलयुग मे वैज्ञानिक खोजों द्वारा ,
चमत्कार करनेवाला बेचारा भगवन है हारा।
वैज्ञानिक चेतना आज जन जन के मुख से बोल रही,
तर्क कसौटी पर कस कर के पोल ढोंग की खोल रही।
भगवन का वचन अब जग मे रहा नही असान है,
दुनिया मे भगवान बडा है या बडा विज्ञान है।
सिंहनाद विज्ञान कर रहा झूठ अलौकिक सत्ता है।
सृष्टि नही पदार्थ से विकसित जग का पत्ता पत्ता है,
मानव खुद पदार्थ का सबसे श्रेष्ट संगठित परिवर्तन।
दृष्टिकोण वैज्ञानिक रख कर समझें हम यथार्थ दर्शन,
प्रेमी भंते बुद्ध प्रकाश है भगवन कल्पना सच्चाई विज्ञान है।
दुनिया मे भगवान बडा या कि बडा विज्ञान है।
भंते बुद्ध प्रकाश ,साइंस फार सोसाइटी बिहार पटना।
कुंडलियो का मिलान कर के,
ReplyDeleteपंडित बोला बधाई हो,
कुंडली तो एसे मिली हे,
जेसे राम ओर सीता
की मिली थी।।
इतना सुनते ही लड़की बोली :- माँ,
मे इस लड़के से शादी नहीं करूंगी,
.
मेने तो यूरोप घूमने के सपने देखे हे ,
वन में भटकने के नहीं और इस दोनों
ने सारा जीवन अलग अलग बिताया
हे। राम ने तो सीता को जंगल
में ही छोड़ दिया।
जब पंडित ने राम और सीता के
छतीस गुण मिलाये तो इन दोनों का
तलाक क्यों हुआ। हे किसी
मनुवादियो के पास जवाब।
दोस्तों तर्क करो की जब सात फेरे
लेने और ब्राह्मण द्वारा अनगिनत
मन्त्र पढ़ने तथा कुंडली ग्रहः छतीस
गुण सबकुछ मिलाने पर भी जब राम
का ही भला नही हुआ
तो आपका क्या
खाक होगा...??????
*कुछ अविश्वसनीय धार्मिक शोध....*
ReplyDelete-------------------------------
1. सतयुग में शिव और गणेश थे...
2. तेत्रायुग राम थे....
3. द्वापरयुग में कृष्ण थे...
तो जाहिर सी बात है इन तीनो युगो में समय का अंतर भी रहा होगा ?? लेकिन यहाँ मन में एक प्रश्न उठता है कि परसुराम अवतार थे वो तीनो युगो में कैसे आ सकते है ??
1. पहले सतयुग मे परसुराम का गणेश के साथ युद्ध इतिहास है,,, जो पार्वती के स्नान करते समय गणेश के साथ युद्ध होता है और गणेश का एक दांत परसुराम तोड़ देते है,,, तबसे गणेश एकदंत भी कहा जाता है,,,
2. दूसरे तेत्रायुग मे रामायण काल में श्री राम जब शिव-धनुष उठाते है तब परसुराम गुस्से से आते है और राम से परसुराम का वार्तालाप होता है,,,,
3... तीसरे द्वापरयुग में महाभारत काल में परसुराम भीष्मपितामह और कर्ण के गुरु थे ?? यहाँ मन में एक सवाल उठता है कि तीनो युगो में एक ही व्यक्ति कैसे आ सकता है ?? इस अंदाज से परसुराम की उम्र कितनी होनी चाहिये जो तीनो युगो में दिखायी पड़ते है ??
सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है
हाँथ में ब्राह्मण से धागा बंधवाने वाले शूद्र अपना इतिहास पढ़ें और ध्यान दें धागा बांधते समय ब्राह्मण कौन सा श्लोक पढता है
ReplyDelete*येन बद्धो दान वेन्द्रो बलिराजा महाबल: तेन त्व: प्रतिबद्धमे नमो रक्षे मा चल मा चल*
इस श्लोक का अर्थ है!!!!!
ये धागा तुझे इस उद्देश्य से बांधता हूँ जिस उद्देश्य से तेरे सम्राट बलि राजा को बांधा गया था आज से तू मेरा गुलाम है मेरी रक्षा करना तेरा कर्तव्य है अपने समर्पण से हटना नही'!!!!!
भगवान ने सब कुछ दिया 😜😜😜
ReplyDelete1,नशा करना भोलेनाथ ने सिखाया।
2,बेईमानी,छल,कपट को श्री कृष्ण ने सिखाया।
3,तलाक देकर नारी को बेघर करना श्री राम ने सिखाया।
4,झूठ बोलना नारदमुनि ने सिखाया।
5,स्त्री को बुरी नजर से देखना श्री कृष्ण ने सिखाया।
6,जानवरो की हत्या करना श्री राम ने सिखाया।
7,नारी पर अत्याचार करना लक्ष्मण ने सिखाया।
8, जुऑ खेलना पांडवो ने सिखाया
9,नारी का सटा लगाना भी पांडवो ने सिखाया ।
अगर भगवान नही होता तो दुनिया में एक भी अपराध नही होते!
जनहित में जारी