Wednesday 2 August 2017

देश का सबसे बड़ा लुटेरा

सीबीआई की नज़र में देश का सबसे बड़ा लुटेरा एक मात्र लालू यादव है, बाकी गुजरात का महेश शाह, जिसके पास लगभग 14000 हज़ार करोड़ रुपयों के घोटालों का आरोप लगा था?* *अब वह कहां है उसका कोई पता नहीं। माल्या लन्दन में मौज कर रहा है, अडानी-अम्बानी के ऊपर हजारों करोड़ो रुपयों के घोटालों का आरोप है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। जनार्दन रेड्डी नोट बंदी में अपनी बेटी की शादी 500 करोड़ में करता है उसकी कोई जांच नहीं। अरुण जेटली भी 2015 में अपनी बेटी की शादी में 400 करोड़ ख़र्च करता है उसकी भी कोई जांच नहीं हुई। नितिन गड़करी के पास कांग्रेस की सरकार में अरबों रुपयों की संपत्ति कहाँ से आयी उसकी जांच चल रही थी वो बन्द हो गई। नोट बंदी के बाद यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, इन चुनावों में बीजेपी के जितने हेलीकॉप्टर हवा में उड़े उतने और किसी पार्टी के नहीं...?* *सीबीआई ने उसकी कोई जांच नहीं की। अब देश का सबसे बड़ा लुटेरा लालू है, उस पर बार सीबीआई छापा मार रही है। आज समाचार देख रहा था सभी न्यूज़ चैनलों से भारत-चीन विवाद गायब, जर्मनी में हो रहे G-20 सम्मेलन गायब। अब बस लुटेरा लालू ही दिखाई दे रहा है, जिससे देश को सबसे बड़ा खतरा है और तो और अब सीबीआई पिजरे का तोता नहीं रह गई है बल्कि अब सीबीआई स्वतंत्र होकर अपना काम कर रही है।* 
 *अब इसके बाद मायावती और अखिलेश यादव की बारी आयेगी.......■*



तेजस्वी यादव का इस्तीफा चाहिए?
ठीक है, पर नरोत्तम मिश्रा को तो मंत्री पद से हटा दीजिए न. आरोप साबित हो गए हैं। कदाचारी साबित हुए हैं। विधायकी चली गई है। बहुत बदनामी हो रही है।
*-देखिए, वो मामला अलग है।
-तो सुषमा स्वराज को ही हटा दीजिए, ललित मोदी की हेल्पर हैं। उनकी बेटी ललित मोदी की वकील हैं। सुषमा ने इस भगोड़े के लिए सिफारिशी चिट्ठी लिखी थी।
*-वो मामला भिन्न है।
- जेटली जी .... डीडीसीए वाले मामले पर आपके ही सांसद कीर्ति आजाद जेटली जी के बारे में कुछ ..
*-वो मामला तो "उलटा" ही है।
-वसुंधरा को ही देख लेते..वो भी ललित की हेल्पर हैं। वसुंधरा के बेटे की कंपनी में ललित का इनवेस्टमेंट है। ललित मान चुका है कि वह वसुंधरा का साथी है।
*-वो भी मामला जुदा ही है।
-तो मंत्री निहालचंद तो बलात्कार के मामले में फंसा है. कम से कम उसे तो.
*-वो मामला तो डिफरेंट है।
-व्यापम और डंपर घोटाले वाले शिवराज को. इतने लोग मार डाले गए व्यापम में।
*-वो मामला तो एकदम अलहदा है।
- पर, रमन सिंह तो धान-नान घोटाले के साथ-साथ न जाने कितने आदिवासियों को खाए बैठे हैं...
*-वो मामला तो मुख्तलिफ है।
-येल यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट करने वाली ईरानी मैम का तो बनता है..
*-वो मामला तो एकदम ही "अनरिलेटेड" है। कुछौ रिलेशन हो तो बताइए, सिर काटकर चरणों में रख देंगे।
-पर, जो सुशील मोदी आगे-आगे उचक रहे हैं, ट्रेजरी घोटाले में तो वो भी...और अगर जुगाड़ बन गई तो डिप्टी सीएम भी वही बनेंगे न. यही कह दीजिए कि सुमो नहीं बनेंगे कुछ.
* ई तै अलग मामला है ना .....
-गडकरी जी तो साफ-साफ घोटाला किए, ड्राइवर को डायरेक्टर दिखाया..पूर्ति घोटाला तो उन्हीं का किया है न। सिंचाई स्कैम भी उसके सिर पर है। .
*- वो मामला तो अलग किस्म का है।
-उमा भारती के ऊपर तो चार्जशीट भी दाखिल हो गई है।कम से कम उन्हें तो..
* ये तो भिन्न मामला है ना...समझिए।
- जोगी ठाकुर आदित्यनाथ पर तो इतने केस हैं कि गिन ही नहीं सकते। अटैंप्ट टू मर्डर भी लगा है। उनकी अपनी एफिडेविट देख लीजिए..
*-वो मामला तो स्पेशल है
-उनके डिप्टी केशव मौर्या पर तो मर्डर तक का..
*-इसमें उसमें फर्क है
-खुद साहब पर भी तो दंगों समेत न जाने कितने केस में हैं। अनार पटेल को 400 एकड़ जमीन 92% डिस्काउंट में दे दी. सहारा डायरी में साहब के पैसा लेने का तो प्रमाण भी है. अडानी का प्लेन भी चुनाव में खूब उड़ाया था....
*वो तो मामला ही उस प्रकार का है. ..
देखिए.. ये सब छोड़िए..केवल तेजस्वी का इस्तीफा दिलाने से सब हो जाएगा। वो क्या है कि एक तरफ ये अकेला है..दूसरी तरफ इतनी लंबी फौज. एक तराजू पर तेजस्वी है..दूसरी पर ये सारे..
अब इतने सारे लोगों को इस्तीफा कराएंगे तो दिक्कत हो जाएगी न..इसलिए केवल तेजस्वी ही इस्तीफा दे दे तो उससे ही राजनीति स्वच्छ मान ली जाएगी।

 वो क्या है कि रहीम भी कह गए हैं-
एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।

नैतिकता की नंगई भी समझिए-
1- यूपी के मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ पर।धारा 506, 307, 147, 148, 297, 336, 504, 295, 153A, और 435 के तहत मुकदमा दर्ज है।

2-  यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर धारा 302, 120 B, 153 A, 188, 147, 148, 153, 153 A, 352, 188, 323,  504, 506, 147, 295 A,153, 420, 467, 465, 171, 188, 147, 352, 323, 504, 506, 392, 153 A, 353, 186, 504, 147, 332, 147, 332, 504, 332, 353, 506, 380, 147, 148, 332, 336, 186, 427, 143, 353 और 341 के तहत मुक़दमा दर्ज है।

3- बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर धारा 120B और 420 के तहत मुक़दमा दर्ज कराया गया है।

भाजपा स्तीफा केवल तेजस्वी से मांग रही है। क्योकि योगी और केशव मौर्य का फैसला अदालत करेगी और तेजस्वी का फैसला गिरोह करेगा।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

यह नैतिकता की नंगई नही तो क्या है ?


*आपको* *यह* *सब* *नहीं*  *दिखता* *नीतीश* *जी*?


*नरोत्तम* *मिश्रा* पर कोर्ट में आरोप साबित हो गए हैं। विधायकी चली गई है। बहुत बदनामी हो रही है।लेकिन मंत्री पद पर जमे हुए हैं।

*सुषमा* *स्वराज* ने ललित मोदी सहायता की। उनकी बेटी ललित मोदी की वकील हैं। सुषमा ने इस भगोड़े के लिए सिफारिशी चिट्ठी लिखी थी।


*जेटली* जी .... डीडीसीए वाले मामले पर आपके ही सांसद कीर्ति आजाद जेटली जी के बारे में कुछ कहा था न..इग्नोर करें?

*वसुंधरा* भी ललित की सहायता कर चुकी हैं। वसुंधरा के बेटे की कंपनी में ललित का इनवेस्टमेंट है। ललित मान चुका है कि वह वसुंधरा का साथी है। उनके बेटे पर लगे तमाम आरोप भी आपने ठंडे बस्ते में डाल दिये।

मंत्री *निहालचंद* तो बलात्कार के मामले में फंसा है. लेकिन आपको नहीं दिखेगा।


*व्यापम* और डंपर घोटाले वाले शिवराज को. इतने लोग मार डाले गए व्यापम में। उस पर कुछ कहिये।


*रमन* *सिंह* तो धान-नान घोटाले के साथ-साथ न जाने कितने आदिवासियों को खाए बैठे हैं...


■ येल यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट करने वाली *ईरानी* मैम का तो बनता है. या फ़र्ज़ी डिग्री भ्रष्टाचार नहीं है सर?


*सुशील* *मोदी* और आप खुद ट्रेजरी घोटाले में आरोपी हैं सर।

◆ *गडकरी* जी तो साफ-साफ घोटाला किए, ड्राइवर को डायरेक्टर दिखाया..पूर्ति घोटाला तो उन्हीं का किया है न। सिंचाई स्कैम भी उसके सिर पर है।

¶¶ *उमा* *भारती* के ऊपर तो चार्जशीट भी दाखिल हो गई है।कम से कम उन्हें तो..

◆◆ जोगी ठाकुर *आदित्यनाथ* पर तो इतने केस हैं कि गिन ही नहीं सकते। अटैंप्ट टू मर्डर भी लगा है। उनकी अपनी एफिडेविट देख लीजिए..

●● उनके डिप्टी *केशव* मौर्या पर तो मर्डर तक का..

-खुद साहब पर भी तो दंगों समेत न जाने कितने केस में हैं। अनार पटेल को 400 एकड़ जमीन 92% डिस्काउंट में दे दी. सहारा डायरी में साहब के पैसा लेने का तो प्रमाण भी है. अडानी का प्लेन भी चुनाव में खूब उड़ाया था....


*नैतिकता* *की* *नौटंकी* छोड़िये नीतीश जी। सत्ता के लालच में थूक के चाटा है आपने। स्वाद तो आया होगा लेकिन डी एन ए सच मे बदल गया होगा अब।

शर्म बची हो तो तुलना कर लीजियेगा।

1- यूपी के मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ पर।धारा 506, 307, 147, 148, 297, 336, 504, 295, 153A, और 435 के तहत मुकदमा दर्ज है।

2-  यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर धारा 302, 120 B, 153 A, 188, 147, 148, 153, 153 A, 352, 188, 323,  504, 506, 147, 295 A,153, 420, 467, 465, 171, 188, 147, 352, 323, 504, 506, 392, 153 A, 353, 186, 504, 147, 332, 147, 332, 504, 332, 353, 506, 380, 147, 148, 332, 336, 186, 427, 143, 353 और 341 के तहत मुक़दमा दर्ज है।

3- बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर धारा 120B और 420 के तहत मुक़दमा दर्ज कराया गया है।

#InDefenceOfDemocracy

# भारतीयसत्यशोधकसमाज_ आरएसएस


पढ़िए तख़्तापलट पूरी कहानी
नीतीश नीति के ईश नहीं हैं।पद इनके लिए ईश, इष्ट और अभीष्ट हो गया है। तो समझ सकते हैं कि इनका नाम क्या होना चाहिए? कल 1 अणे मार्ग और राजभवन में लोकतंत्र, नैतिकता, जनादेश, विचारधारा का चीरहरण नहीं हुआ और जनादेश का चीरहरण ही नहीं हुआ, बल्कि उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। जनादेश के साथ हुए इस सामूहिक दुष्कर्म में मुख्य भूमिका नीतीश कुमार, नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, अरुण जेटली, सुशील मोदी और बिहार के केयरटेकर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी की है। आप गौर फरमाइये, जदयू के विधायकों को 1 अणे मार्ग बुला लिया जाता है और बैठक की जाती है। उधर बाहर संतरियों को यह कह कर तैनात किया जाता है कि इनमें से एक भी बाहर नहीं जाए। उसके बाद नैतिकता के तथाकथित मूर्तिमान नौटंकीबाज 1 अणे मार्ग से निकलते हैं, राजभवन जाते हैं और त्याग पत्र देते है। राज्यपाल से नैतिकता की दुहाई देते कहते हैं कि हम इस परिस्थिति में सरकार नहीं चला सकते, इसलिए पदत्याग करते हैं। त्याग, बलिदान और कुर्बानी की गाथाएं गायी जाती है।
इसी दरम्यान सुशील मोदी के आवास पर प्रदेश बीजेपी विधायकों की बैठक होती है जबकि बीजेपी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की दिल्ली में बैठक होती है। दोनों जगह बैठक समाप्त होती है। सुशील मोदी कहते हैं कि नीतीश कुमार के पदत्याग का स्वागत करते हैं। उन्होंने नैतिकता और सार्वजनिक जीवन में शुचिता को फिर से प्रज्जवलित करने का काम किया है। बीजेपी की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है जो दो-तीन दिन में जदयू से बातचीत कर समर्थन देने से संबंधित राजनीतिक कदम दो-तीन दिन में तय किया जायेगा।
उधर केंद्रीय संसदीय बोर्ड के प्रवक्ता जे पी नड्डा कहते हैं कि बोर्ड ने तीन सदस्यीय केन्द्रीय नेताओं की कमेटी गठित की है उसकी रिपोर्ट के आधार पर दो-तीन दिन में समर्थन देने पर फैसला किया जायेगा। इस पर नीतीश कुमार के हाथ-पांव फूल जाते हैं। विधायक 1 अणे मार्ग से बाहर निकल जाएंगे तो कहानी बिगड़ जायेगी। फिर दिल्ली फोन करते हैं - हमें मिट्टी में मिला देंगे क्या? समर्थन का बयान दीजिए। फिर सुशील मोदी का बयान आता है कि हम समर्थन दे रहे हैं। समर्थन की चिट्ठी राजभवन को भेज दी जाती है।
राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी चालू आदमी हैं। वे भी एक रंग दिखाते हैं, बीमार होने की नौटंकी कर आईजीआईएमएस पहुंच जाते हैं। लेकिन, समर्थन की घोषणा से नीतीश कुमार का भय दूर नहीं होता। वे फिर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष गुहार लगाते हैं कि सरकार में शामिल होने की घोषणा कीजिए। सुशील मोदी सरकार में शामिल होने की घोषणा करते हैं फिर भी नीतीश कुमार चिंतामुक्त नहीं होते। वे गुहार लगाते हैं कि दोनों दलों के विधायकों की संयुक्त बैठक कर उन्हें नेता चुना जाए। वे सब अभी राजभवन जा कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। इसी बीच राज्यपाल की तबियत ठीक हो जाती है तथा नीतीश कुमार और बीजेपी के नेता राजभवन जा कर दावा पेश करते हैं। उन्हें अगले दिन शाम 5 बजे शपथ लेने को कहा जाता है।
राज्यपाल ने बीमार होने की नौटंकी इसलिए किया कि इस बीच राजद-कांग्रेस सरकार बनाने दावा न कर सके। इसी बीच राजद और कांग्रेस द्वारा जब सरकार बनाने का दावा करने हेतु समय मांगते हैं तो उन्हें अगले दिन 11 बजे का वक्त मिलता है। इससे नीतीश कुमार के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। उन्हें मुख्यमंत्री पद छूटता दिखता है। वे नेतृत्व के समक्ष गुहार लगाते हैं और तब शपथ ग्रहण करने का निर्धारित समय शाम 5 बजे से घटा कर सुबह 10 बजे कर दिया जाता है। राजद- कांग्रेस को इसकी जानकारी होने पर तमाम नेता, माले विधायक और अन्य समर्थक-विधायक राजभवन के समक्ष धरना देते हैं। तब अंदर बुलाया जाता है। राजभवन द्वारा कहा जाता है कि जब जदयू-बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर सकेंगे तब उन्हें मौका दिया जायेगा।

मगर, नीतीश कुमार इतने बेचैन हो जाते हैं कि 1 अणे मार्ग में तमाम जदयू विधायकों को नजरबंद कर दिया जाता है। उनके लिए तकिया, चादर, जाजिम का इंतजाम किया जाता है, भोजन की व्यवस्था की जाती है, उनके मोबाइल को किसी संपर्क से दूर कर दिया जाता है। मकसद यही है कि जदयू विधायक दल में विभाजन न हो। नीतीश कुमार ने शपथ ग्रहण कर लिया मगर विधायक अभी भी नजरबंद हैं। इरादा के अनुसार अणे मार्ग से उन्हें सीधे विधान सभा ले जाया गया और मत विभाजन से बहुमत हासिल कर लिया गया। लोकतंत्र का ऐसा माखौल, ऐसा देश में शायद ही कभी हुआ होगा!


ये उन लोगो के लिए है जो कहते हैं कि लालू प्रसाद यादव केवल परिवार के लिए हीं सब कुछ किए हैं ।
 👉1990 में जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा की स्थापना करवाई ताकि केवल लालू यादव का ही परिवार उसमे पढेंगे । 
 👉1992 में विहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर का नाम बदलकर बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के नाम पर करने का दुस्साहस किया ।जिसे लगातार भुमिहार सामंत श्री कृष्ण सिंह के नाम पर करना चाहता था । 10 जनवरी 1992 को सिद्धू कान्हू विश्वविद्यालय दुमका की स्थापना करवाई ताकि केवल लालू यादव का ही परिवार उसमे पढेंगे । 
👉17 सितंबर 1992 को विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग की स्थापना करवाई ताकि लालू यादव का परिवार हीं उसमे पढ़ेंगे ।
 👉22 अक्टूबर 1992 को लालू यादव ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा की स्थापना करवाई ताकि केवल लालू यादव का ही परिवार उसमे पढेंगे । 
👉वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा और भूपेन्द्र नारायण मण्डल विश्वविद्यालय मधेपुरा की स्थापना भी लालू प्रसाद यादव ने की !
 👉UPA1 के कार्य काल में उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़ो को आरक्षण दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने PHD करने शोध करने केवल लालू यादव के परिवार उसमें शोध करेंगे । 👉1990 से पहले जहां चतुर्थ श्रेणी पद तक में पिछड़े वर्ग के कर्मचारी की संख्या नदारद थी वहीं लालू यादव ने मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू करवाने में महत्वपूर्ण अग्रणी भूमिका निभाई जिससे ग्रुप ए की केन्द्रीय सेवा से लेकर निचले स्तर तक के नौकरी मे 27% आरक्षण को लागू करवाने का काम किया ताकि केवल लालू यादव के परिवार हीं नौकरी में जाएंगे  
👉1990 से पहले तक जिस राजनीतिक वर्चस्व पर सवर्ण ब्राह्मण राजपुत भुमिहार का कब्जा था जहां वंचित दलित और पिछड़े समाज के लोगों की उपस्थिति न के बराबर थी उस जगह पर लालू यादव ने वंचित समाज के लोगों को विधानमंडल में पंहुचाने का काम किया। न सिर्फ सदन में पहुंचाया बल्कि मंत्रीमंडल में भी जगह दी। 
👉1990 से पहले तक ब्राह्मण भुमिहार और राजपुत सामंतवादियों के सामाजीक वर्चस्व को तोड़ने और वंचितों शोषितों, दबे कुचले लोगो को सामाजिक, मानसिक,धार्मिक गुलामी से आजादी दिलाने का काम लालू यादव ने किया ।जिस चप्पल को वो पहनकर उन सामंतो के दरवाजे के सामने से गुजर नहीं सकते थे उस व्यवस्था से आजादी दिलाने का काम किया ।
 👉साल 2001 में पंचायती राज को पुनः बहाल कर धरातल पर पंचायती शासन व्यवस्था को लागू करने का काम किया । 
👉जिस रेलवे को निजीकरण करने पर आज मोदी सरकार तुली है उसी रेलवे को 5 साल में लालू यादव ने रेल किराया घटाकर उस वक्त जब डीजल अंतराष्ट्रीय स्तर पर 148 डॉलर प्रति बैरल था रेलवे को 1 लाख करोड़ का शुद्ध लाभ देकर गये।भारतीय रेल को को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई

4 comments:

  1. 5 साल में BJP अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी की वृद्धि http://m.navbharattimes.indiatimes.com/uc_customised_page.cms?msid=59817956&utm_source=ucbrowsernew&utm_medium=referral&uc_news_item_id=3163393432333663&uc_news_app=browser_iflow&comment_stat=1 http://m.navbharattimes.indiatimes.com/uc_customised_page.cms?msid=59817956&utm_source=ucbrowsernew&utm_medium=referral&uc_news_item_id=3163393432333663&uc_news_app=browser_iflow&comment_stat=1

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  2. जनता: रोजगार चाहिए
    भाजपा: गाय, गोबर, गौमूत्र
    मीडिया: योगी जी सुबह 3 बजे उठते हैं

    जनता: 24 घंटे बिजली
    भाजपा: लव जिहाद
    मीडिया: मोदी जी सुबह 4 बजे उठते हैं

    जनता: पीने का साफ पानी
    भाजपा: अयोध्या विवाद
    मीडिया: योगी ने नाश्ता क्या किया

    जनता: साफ हवा और पर्यावरण
    भाजपा: ट्रिपल तलाक
    मीडिया: बाबा रामदेव ने रणवीर सिंह के साथ पुशअप किये

    जनता : आरक्षण मिलने के बाद भी शूद्र (दलित-पिछड़े-आदिवासी) नौकरियों में कम है और तथाकथित उच्च जात वाले ज़्यादा
    भाजपा : आदिवासी मतलब नक्सली
    मीडिया : पाकिस्तान फिर डर गया

    जनता: गिरता स्वास्थ्य, बढता हार्टअटैक और शुगर
    भाजपा: शिवाजी की मूर्ति
    मीडिया: योगी का सेवादार कौन?

    जनता: प्रति व्यक्ति आय
    भाजपा: गोरक्षा दल
    मीडिया: सुब्रह्मण्यम स्वामी क्या कर रहे है?

    जनता : मुसलमानों को धर्म के नाम पर मारा जा रहा है
    भाजपा : मंदिर वही बनाएंगे
    मीडिया : बग़दादी मारा गया

    जनता: अमीरो गरीबो के बीच बढती खाई
    भाजपा: एंटी रोमियो दल
    मीडिया: "दीया और बाती" सीरियल मे कहानी मे आया नया मोड़

    जनता: शिक्षा
    भाजपा: राष्ट्रवाद
    मीडिया: कोहली अनुष्का की जोड़ी साथ साथ दिखी

    खुद सोचिए और फैसला करिए कि देश के असल मुद्दे क्या हैं ?
    देश ने कितना हासिल किया और क्या क्या हासिल करना बाकी है?
    कहां कहां कमी रह गई?
    मुद्दे पर बात करिए और आलोचना करिए तभी बहस सार्थक होगी।

    वरना मीडिया और राजनीतिक दल ऐसे ही व्यर्थ के मुद्दो पर आपको घुमाते रहेंगे , मुद्दे पर नही आने देंगे।

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  3. वास्तव में नीतीश जी जब बीजेपी से अलग होने का निर्णय लिया तो उनको ओवरकंफीडेंस हो गया था कि कोंग्रेस एवं निर्दलीय से मिलकर सत्ता तो मेरी बरकरार रह ही जायेगी, हुआ भी वही। और अगले बार हम अपने दम पर फुल बहुमत में आ जाएंगे।
    पार्लियामेंट इलेक्शन में बुरी तरह पीटने के बाद इनकी असली औकात समझ आ गयी। ये औंधे मुँह गिरकर लालूजी के पास अपनी कुर्शी बचाने के लिये जा पहुंचे। लालूजी भी बिना शर्त इनका समर्थन किया, इसके बाद सब कहानी आपके सामने है।
    उस समय भी नीतीश जी को मालूम था की लालू जी चारा घोटाला में सजायाफ्ता हैं। इनपर स्वर्ण मीडिया, सीबीआई एवं ज्यूडिशियरी का प्रहार होते रहेगा, क्योंकि ये शोशल जस्टिस के लड़ाई में सबसे मुखर हैं। यानी, नीतीश जी सबकुछ जानते हुए लालूजी के पास दण्डवत कर मुख्यमंत्री की ख़ुर्शी हाशिल की।
    महागठबंधन के प्रोटोकॉल के तहत सीट के अनुसार पद एवं सत्ता में भागीदारी का वादा सुनिश्चित किया गया। पर, शर्त के विरूद्ध नीतीश जी लालूजी को बिल्कुल हाशिये पर रखकर एवं बीजेपी से ऑफेंस करवा लालूजी एवं उनके समर्थकों को डैमेज करने का पूरा प्रयाश जारी रखें है। इनके इस पोलोटिक्स को एक अदना आदमी भी आसानी से समझ रहा है।
    लालूजी भी अपने अधिकार की मांग न कर, अपने स्वभाव के विपरीत डिफेन्सीव रहकर एवं सवर्णो के प्रहार को झेलते हुए भी किसी तरह गठबंधन बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
    क्योंकि नीतीश जी सिर्फ कुर्शी देख रहे, वहीं लालू जी पिछड़े, दलितों एवं अकलियतों का भविष्य देख रहे हैं। लालू जी सम्प्रदायिक ताक़तों को दूर रख सामाजिक न्याय को कायम रखने के लिये दृढ़संकल्प लिये शहीद होने के लिये भी तैयार हैं।
    अभी लालूजी का खोया जनाधार भी वापस आते प्रतीत हो रहा है। इनके साथ पूरा बैकवर्ड, दलित एवं मुस्लिम एकजुट है। वहीँ नीतीश जी का इमेज बिल्कुल फर्श पर आ गया है।
    नीतीश जी द्वारा आरएसएस संचालित नीति पर अपना समर्थन से सभी बंचित वर्ग के साथ कुर्मी समाज भी अचंभित हैं।
    इतने आराम से बिना हस्तछेप के सत्ता का सुख लेने के बावजूद सामाजिक न्याय के इतर बीजेपी की ओर जाने के लिये नीतीश जी इतने ज्यादा उतावले एवं ब्याकुल क्यों है? बहुत हीं विचित्र एवं अचंभित करने वाला प्रश्न है।
    ऐसा तभी होता है, जब आदमी का वजूद खतरे में आ जाता है।
    नीतीश जी का पहली एवं आखिरी राजनीतिक पूंजी स्वर्ण मीडिया द्वारा परोसा गया ईमानदारी एवं करप्शन पर जीरो टोलेरेंश है। अगर इनपर करप्शन एवं डिस्प्रोपोर्शनेट ऐसेट्स का पर्दाफाश हो गया तो उसी दिन इनकी राजनीतिक वजूद खत्म हो जाएगी।
    अमित शाह जैसे कब्र खुदाई करनेवाले के पंजे से 2004 में, जब तेजस्वी जी 13 साल के थे वो भी बिना किसी पोस्ट के। फिर भी इन्हें करप्ट बनाया जा रहा है।
    तो नीतीश जी जिनके पास सिंगापुर, मालदीव, होनकोंग के अलावा न जाने आरसीपी एवं अनन्त सिंह के साथ कितने सम्पति है। तो क्या वे शाह के चंगुल से बच पाएंगे?
    आखिर रेलवे के एक्सेल के साथ कई घोटाले के सीबीआई जांच एवं डिस्प्रोपोर्शनेट ऐसेट्स की शुरुआत नीतीश जी के खिलाफ अमित शाह द्वारा शुरू करवा दी गयी, तो 'स्वर्ण प्रेषित ईमानदार' नीतीश जी के पास आखिर क्या राजनीतिक विकल्प है? हमें बतायें, ये अपना वजूद कैसे बचा पायेंगे?

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  4. ये नीतीश जी के साथ साँप एवं छुछुन्दर की स्थिति है।
    अगर नीतीश जी गठबंधन नहीँ तोड़ें तो, तत्काल आक्रामक अमित शाह द्वारा सीबीआई जाँच में फँसा लिये जाएंगे। ये फंसकर मुख्यमंत्री की राजनीतिक कुर्शी एवं ईमानदार की सामाजिक प्रतिष्ठा गवाँ घोटाले में फंस अपना वजूद खत्म कर लेंगे।
    नीतीश जी के ओवरकन्फिडेन्स के अनुशार, गठबंधन तोड़ने के बाद ये आरोपमुक्त एवं ईमानदार बनकर बीजेपी के संरक्षण में 2019 तक कम से कम सत्ता सुख लेने में कामयाब होंगे, क्योंकि स्पीकर इनका अपना खाश है।
    वैसे बाद में बीजेपी भी इन्हें कुचल देगी, पर इसकी रणनीति बाद में बनाई जाएगी। खैर, अभी इनके पास 71+52= 123 का नाटकीय बहुमत हो जाएगा।
    पर, खतरा भी है, क्योंकि इनके इस निर्णय से स्वर्ण छोड़ ज्यादातर बंचित समुदाय के लोग अचंभित हैं, कहीं न वे तेजस्वी की तरफ रुख बना लें।
    अभी तेजस्वी के पाले में 80+ 29 कोंग्रेस + निर्दलीय 2+ कम्युनिस्ट 3 = 114, अगर मांझी जी समर्थन कर दिये तो 115 का गणित इनके साथ होगा, फिर भी बहुमत से पिछे। पर, चुकि स्पीकर नीतीश जी का है इसीलिये फायदा नीतीश जी को हीं होगा।
    खेल काफी मजेदार हो सकता है, अगर लालूजी को शरद यादव एवं बंचितो का हृदय के आवाज का सपोर्ट मिल जाये। दूसरा कोई कोइरी या बंचितो से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दें।
    अगर जदयू के 17 विधायक स्तिफा दे दे। तो 243-17= 226 यानि अपने 113 विधायक के बल पर तेजस्वी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। जिसकी प्रबल संभावना लग रही है।
    यानि नीतीश जी का गेम कहीं उल्टा न पर जाय। खैर जो भी हो दोनो ही स्थिति में बीजेपी कामयाब होगी, क्योंकि गठबंधन टूटना मतलब बिपक्ष के आगे की लड़ाई का कमजोर हो जाना है।
    अगर सामाजिक लड़ाई को आगे बढ़ाना है, तो नीतीश जी को बीजेपी का प्रहार सहकर भी गठबंधन धर्म को निभाना चाहिए। क्योंकि मैनडेट गठबंधन एवं सामाजिक लड़ाई को आगे बढ़ने के लिये मिला है, न कि कमजोर करने के लिये।

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