Thursday 3 August 2017

 कभी-कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है...

कि

*अगर पनामा क़ालाधन कांड में बीजेपी के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह की जगह तेजस्वी, या अखिलेश या हेमंत सोरेन या आनंद या कनीमोझी जैसा कोई obc,sc,st & miniority  नाम होता*

*तो*

इस देश की न्यायपालिका, मीडिया, सरकार और जाँच एजेंसियाँ क्या करतीं?

मुझे लगता है कि आप ख़ुद SC, ST, OBC या माइनॉरिटी होने के बावजूद बहुत कड़ा स्टैंड लेते।

सवर्ण भ्रष्टाचार के प्रति SC, ST, OBC और माइनॉरिटी भी बहुत उदार है।

इनके लिए सारी ग़लतियाँ अपने लोगों में होती हैं।
सवर्णो के लिए हर गलती माफ़ है सीबीआई बनी है दलित-पिछडो के लिए है

हर बात पर सवर्णों की नक़ल करने वाले समाज ने सवर्णों का यह दुर्गुण नहीं सीखा।

अच्छा है!


*दिलिप सी मंडल*
*वरिष्ठ पत्रकार कि वाल से*

http://indianexpress.com/article/india/india-news-india/panama-papers-list-amitabh-bachchan-kp-singh-aishwarya-rai-iqbal-mirchi-adani-brother/

*#पनामा_पेपर्स_लीक_कांड_क्या_है ?*

आसान शब्दो मे समझाने का प्रयास कर रहा हूँ। नोट कर लीजिए, ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आवे।

पनामा मध्य अमेरिका का एक छोटा सा देश है। पनामा में विदेशी निवेश पर कोई टैक्स नहीं लगता है इसी वजह से पनामा में लगभग 3.5 लाख गोपनाीय कंपनीयां है। पनामा में सेक फाॅन्सेका नामक फर्म विदेशीयों को पनामा में शेल कंपनी बनाने में मदद करती है जिसके जरिये कोई भी व्यक्ति संपत्ति को अपना नाम या पता बताये बिना खरीद सकता है।
इसी कंपनी के लीक हुऐ दस्तावेजों में दुनिया भर के बडे नेताओं प्रमुख खिलाडियों और अन्य बडी हस्त्तियों के नाम सामने आये हैं जिन्होनें अरबो डॉलर की राशि पनामा में छुपाई हुई है।

इनमें आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ , यूक्रेन के राष्ट्रपति, सऊदी अरब के राजा और डेविड कैमरन के पिता का नाम प्रमुख है।

इनके अलावा लिस्ट में व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी है।
कथित तौर पर टैक्स फायदे के लिए अपनाए गए तरीकों में 500 भारतीयों के भी नाम है। फिल्मी हस्ती अमिताभ बच्चन-ऐशवर्या राय,अजय देवगन,डीएलएफ कंपनी के मालिक केपी सिंह और उनके परिवार के नौ लोगों, अपोलो टायर्स-इंडियाबुल्स के प्रमोटर और गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी के नाम हैं।

इस लिस्ट में राजनेताओं के भी नाम हैं जिसमें छतीसगढ़ के सीएम रमन सिंह के पुत्र भाजपा सांसद अभिषेक सिंह, पश्चिम बंगाल के शिशिर बजोरिया और लोकसत्ता पार्टी के अनुराग केजरीवाल का भी नाम है।
दाऊद के पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची भी इस लिस्ट में शामिल है, साथ ही इंडियाबुल्स के मालिक समीर गहलौत का नाम भी है।

पनामा पेपर्स में नाम आने पर आइसलैंड के पीएम इस्तीफा दे चुके है, पाकिस्तान के पीएम नवाज को वहां की कोर्ट ने अपदस्थ कर दिया है।

इस मामले में हमारे पनामा पेपर्स वाले भारतीय बहुत खुशनसीब है क्योंकि यहां सब #नमो_शरणम_गच्छामि चलता है। आरएसएस का कोष भी इन्ही लोगो से भरा जाता है इसलिए सब राम भरोसे छोड़ दिया गया है। जनता को सुनाने के लिये वो वाला जुमला तो है ही -
                       
                                          #न_खाऊंगा_न_खाने_दूँगा

#सत्यार्थ
*1. विजय माल्या को CBI क्यों नहीं ढूंढ़ती है ?*
*2. व्यापम घोटाले में CBI क्यों नहीं जांच शुरू करती है ?*
*3. ललित मोदी को CBI क्यों नहीं ढूंढ़ती है ?*
*4. वसुन्धरा राजे से CBI क्यों नहीं पूछताछ करती है ?*
*5. आनंदी बेन पटेल और उनके बेटी पर CBI क्यों नहीं FIR करती है ?*
*6. येदुरप्पा से CBI क्यों नहीं पूछताछ करती है ?*
*7. BCCI घोटाले के आरोपी अनुराग ठाकुर पे CBI क्यों नहीं FIR करती है ?*
*8. अरुण जेटली पे CBI क्यों नहीं FIR करती है ?*
*9. नीतिन गडकरी को CBI क्यों नहीं आरेस्ट करती है ?*

*👉CBI सिर्फ लालू यादव और उनके परिवार के लिए ही बनी है क्या ?*
*👉अगर किसी के पास इन सवालों का जवाब है तो दो ।*

CBI का प्रयोग समय समय पर *Obc sc st & miniority* नेताओं को बदनाम करने के लिए किया जाता है
ताकि बहुजन पार्टियां सत्ता से वंचित रहे।

*👉यदि भ्रष्टाचार की बात है तो 99% सवर्ण भ्रष्टाचारी है भ्रष्टाचारियों की जातिगत जनगणना हो सब स्पष्ट हो जाएगा*


माननीय प्रधानमंत्री महोदय,
      आपको भारतीय संविधान के क्रियान्वयन की सर्वोच्च जिम्मेदारी संभालते तीन साल हो चुके हैं। आपने जिस समय में पदभार संभाला था उस समय देश के दलितों और पिछड़ों में उम्मीद की किरण जागी थी क्योंकि आपने चुनाव के समय इन वर्गों के समग्र कल्याण का वादा किया था।  किन्तु आज देश में संविधान के अनुच्छेद १६, खासकर १६(४), के खिलाफ परिस्थितियों का निर्माण बड़ी तेजी के साथ हो रहा है| आपको सूच्य है कि देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य विश्व विद्यालयों में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमानुसार २५ अगस्त २००६ से सभी शैक्षणिक पदों पर अनुसूचित जाति व जनजाति  एवं  अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था है| इसके लिए यूजीसी द्वारा जारी विस्तृत दिशा निर्देश आरक्षण पर भारत सरकार के नियमों व सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध निर्णयों (इंदिरा साहनी व आर के शबभरवल) से सम्पोषित थे| समय -समय पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी ने केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में सभी पदों पर रिजर्वेशन का निर्धारण विषयवार/विभागवार न करके विश्वविद्यालय स्तर पर करने के दिशा-निर्देश जारी किये थे, तथा विश्वविद्यालय तदनुसार नियुक्तियां भी कर रहे थे| यह आसानी से समझा जा सकता है कि विषयवार आरक्षण का निर्धारण करने पर अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित शैक्षिणिक पदों की संख्या ज्यादातर विभागों में लगभग नगण्य हो जाती है तथा छोटे विभागों में तो पूरी तरह समाप्त हो जाती है| हाल ही में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) व इलाहबाद विश्वविद्यालय के मामले में, इलाहबाद हाई कोर्ट ने आरक्षण का निर्धारण विषयवार करने को कहा है तथा यूजीसी को उचित दिशा निर्देश बनाने को कहा है| यह उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी है| दूसरे शब्दों में यह अनुच्छेद १६(४) को ख़त्म करने के बराबर है| इस अनिश्चितता में इलाहबाद विश्वविधालय में शैक्षणिक पदों पर नियुक्तियां बंद है जबकि बीएचयू के कुलपति आनन् - फानन में विज्ञापन निकालकर रात दिन एक करके धुआंधार नियुक्तियां करने में लगे है, तथा सभी शैक्षणिक पदों को अनारक्षित वर्ग के लोगों से भर रहे है| हम आपका ध्यान बीएचयू में हो रही निम्नलिखित अनियमितताओं की ओर आकर्षित कराना चाहता हैं-
१. जब बीएचयू से सूचना अधिकार के तहत वर्तमान में आरक्षण की स्थिति व रोस्टर के सम्बन्ध में जानकारी मांगी गयी तो उसने सूचना देने में असमर्थता दिखाई| इससे स्पष्ट लगता है कि बीएचयू ने रोस्टर बनाने में गड़बड़ी की है|
२. रिजर्वेशन रोस्टर व आरक्षित पदों की संख्या को बीएचयू की वेबसाइट पर नहीं डाला गया है जोकि कि शासन व यूजीसी के निर्देशो का उलंघन है|
3. इंटरव्यू के २१ दिन पहले साक्षातर पत्र देने की प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया जा रहा है| लोकल एक्सपर्ट को बुलाकर इंटरव्यू किया जाता है, तथा तुरंत ही कार्यकारी परिषद् की बैठक किये बिना ही नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाते है| ऐसा बीएचयू सहित किसी भी विश्वविद्यालय में पहले नहीं देखा गया है|  
४. ऐसा प्रतीत होता है कि कुलपति निजी स्वार्थ में ये सब जल्दबाजी कर रहे है| जैसा कि समय समय पर बीएचयू के कुलपतियों पर आरोप स्थानीय अख़बारों में प्रकाशित होते रहते है| इनका कार्यकाल भी तीन महीने बाद समाप्त हो रहा है|
आपको विदित हो कि दलित और पिछड़ों के मन में यह विश्वास तेजी से फैल रहा है कि ये सब आरक्षण विरोधी नियुक्तियां मानव संशाधन विकास मंत्रालय व बीएचयू के कुलपति की मिली-भगत से हो रही है| ऐसे में हमारा आपसे अनुरोध है कि निम्नलिखित कार्रवाही करके संविधान के अनुच्छेद १६(४) व ४६ को स्थापित करने का कष्ट करें:
१. आप देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी के माननीय सांसद होने के नाते, कुलपति द्वारा पिछले १ महीने में की गयी व की जा रही सभी नियुक्तियों पर रोक लगाने का कष्ट करे|
२. भारत के प्रधानमंत्री और क्षेत्र का सांसद होने के नाते मानव संशाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी को यथाशीघ्र अगस्त २००६ में आरक्षण पर यूजीसी द्वारा जारी किये गए दिशा निर्देशों को कानूनी रूप देने का कार्य अविलम्ब करने का कष्ट करें जो कि देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में समान रूप से लागू हो|
महोदय, इस मामले में आपके द्वारा की जाने वाली कार्यवाही, आपके लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है तथा बीएचयू में जो हो रहा है वह वाराणसी के सांसद के रूप में आपके कार्यों का भी आइना है|
सादर धन्यवाद

भवदीय
अनिसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के समस्त छात्र एवं छात्राएं
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
वाराणसी          


आदरणीय प्रधान मंत्री जी माफ कीजिएगा पाकिस्तान की तारीफ कर रहा हूं. बुरा लगे तो और माफ कर दीजिएगा लेकिन आज पकिस्तान की तारीफ का दिन है पाकिस्तान ने साबित कर दिया है कि वहां कानून का शासन है. कोई कितना भई करप्शन कहे लेकिन वहां करप्शन के मुद्दे पर माफी नहीं हैं. वहां घोटाला करके प्रधानमंत्री भी नहीं बचता लेकि हमारे यहां प्रधानमंत्री का कृपापात्र होने भर से कई की नैया पार हो जाती है. जिस पनामा लीक केस में नवाज शरीफ की सरकार गई है उसी पनामा लीक में मोदी जी के देश के 500 नाम हैं. इंडियन एक्सप्रेस बाकायदा लिस्ट भी छाप चुका है.
नाम जानना चाहते हैं तो फिर बता देता हूं. लिस्ट में मोदी जी के सगे गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम है. मोदी के सबसे नज़दीकी सितारे अमिताभ बच्चन का नाम है. उनकी हू ऐश्वर्या राय का नाम है. देशभक्त एक्टर अजय देवगन का नाम है.
मोदी जी आपके सगे चीफ मिनिस्टर रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का नाम भी उसी केस में है जिसमें पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ को दोषी माना गया और उन्हें सज़ा भी होगी. बंगाल के शिशिर बजोरिया का नाम है और अनुराग केजरीवाल का भी नाम है. रमन सिंह के बेटे के पास ये दौलत कहां से आई होगी इसके लिए अलग से जानकारी देने की ज़रूरत नहीं हैं. मोदी जी सबसे समझदार पीएम हैं . अंदाज़ा आसानी से लगा सकते हैं.
चलो ये सब तो मोदी जी और उनकी पार्टी के सगे हैं. लेकिन इकबाल मिर्ची का आपकी सरकार कुछ क्यों नही बिगाड़ सकी. इंडिया बुल्स के मालिक भी पनामा में नोटों का खेल खेलकर इस मजे में हैं.
आप ईमानदारी के नाम पर बिहार की सरकार पलट देते हैं लेकिन इस मामले में कुछ नहीं कर पाते. ज़रा पाकिस्तान से सीखिए. जहां की सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को सलाखों का रास्ता दिखा दिया . आइसलैंड से सीखिए जहां के पीएम ने इस्तीफा दे दिया. आप तो कहते थे कि मैं न खाऊंगा न खाने दूंगा लेकिन ये नोटों का अजीर्ण लिए घूम रहे नाम क्या आपने अखबार में नहीं पढ़े. क्या पनामा लीक्स के बारे में आपको कुछ नहीं पता.
खैर नहीं पता तो बता देता हूं. वैसे भी ये वो देश है जहां का टूर अभीतक आपने नहीं कियाहै.
पनामा मध्य अमेरिका का एक छोटा सा देश है. पनामा में विदेशी निवेश पर कोई टैक्स नहीं लगता है इसी वजह से पनामा में लगभग साढ़े तीन लाख सीक्रेट कंपनियां है. पनामा में सेक फाॅन्सेका नामक फर्म विदेशियों को पनामा में शेल कंपनी( फेक कंपनी) बनाने में मदद करती है जिसके जरिये कोई भी व्यक्ति संपत्ति अपना नाम पता बताए बगैर यहां संपत्ति खरीद सकता है.
इसी कंपनी के लीक हुऐ दस्तावेजों में दुनिया भर के बडे नेताओं प्रमुख खिलाडियों और अन्य बडी हस्त्तियों के नाम सामने आये हैं जिन्होनें अरबो डॉलर की राशि पनामा में छुपाई हुई है.
इनमें आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ , यूक्रेन के राष्ट्रपति, सऊदी अरब के राजा और डेविड कैमरन के पिता का नाम प्रमुख है

इनके अलावा लिस्ट में व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी है. दुनिया भर में इन दस्तावेजों के आधार पर एक्शन हो रहे हैं. मोदी जी आप क्या कर रहे हैं. कुछ कर डालिए. आपसे देश को इतिहास में सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं.


पाकिस्तान भी भारत जैसा ही एक देश है,

पाकिस्तान में भी भारत जैसे ही देशभक्त लोग रहते हैं,

पाकिस्तान में भी भारत की तरह कुछ लोग साम्प्रदायिकता फैलाते हैं,

पाकिस्तान में भी भारत की तरह कुछ सेक्युलर लोग होते हैं,

पाकिस्तान में भी भारत की तरह सेक्युलर लोगों को देशद्रोही कहा जाता है,

जैसे भारत में हिन्दुत्व साम्प्रदायिकता का विरोध करने वालों को पाकिस्तानी एजेंट कहा जाता है,

वैसे ही पाकिस्तान में भी मुस्लिम साम्प्रदायिकता का विरोध करने वालों को भारतीय एजेंट कहा जाता है,

जैसे भारतीय फिल्मों में आतंकवादी पाकिस्तानी होते हैं,

वैसे ही पाकिस्तानी फिल्मों में आतंकवादी भारतीय होते हैं,

जैसे भारत में गाना है कि 'आओ बच्चों तुम्हें दिखायें झांकी हिन्दुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की,

ठीक वैसा ही पाकिस्तान में भी गाना है कि ' आओ बच्चों सैर करायें तुम को पाकिस्तान की, इसकी खातिर हमने दी कुर्बानी लाखों जान की,

जैसे आपके यहां गाना बना कि ' दे दी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढ़ाल,
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, '

ठीक वैसा ही गाना पाकिस्तान में बना कि 'यूं दी हमें आज़ादी कि दुनिया हुई हैरान, ऐ कायदे आज़म तेरा अहसान है अहसान, '

दोनों देश एक जैसे हैं,

अब ज़रूरत है कि भारत पाकिस्तान और बंगलादेश के युवा मिलकर अपने देश की जनता की गरदनों पर बैठे पूंजीपतियों, धार्मिक कट्टरपंथियों और भ्रष्ट नेताओं के विरुद्ध मिलकर आन्दोलन करें,

मेहनत करने वाले गरीब मेहनतकश, मज़दूर किसान और कारीगरों की ताकत बढ़े,

तीनों मुल्कों के नौजवान दुश्मनों की तरह नहीं दोस्तों की तरह सोचें,

इसके अलावा अफगानिस्तान, भूटान बर्मा और श्रीलंका के साथ मिलकर दक्षिण एशिया के नागरिकों का साझा आन्दोलन खड़ा होना चाहिये,

जो जातिवाद, धार्मिक कट्टरता, गरीबी और पूंजीवाद के खिलाफ हो,

कट्टरपंथियों को अपनी जिंदगी और अपने इलाके को बर्बाद मत करने दीजिये,

नफरत में मज़ा नहीं है,

प्यार में मज़ा है,

इससे पहले कि नफरत के सौदागर युद्ध और घृणा से हमारी जिंदगी बर्बाद कर दें,

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