Tuesday 8 August 2017

देश और समाज के प्रति सोच

*देश और समाज के प्रति सोच*

बाबा साहेब ने नॅशनल प्लाॅनिंग कमिसन मे सन 1940 मे सभी उद्योगों का राष्ट्रीयकारण तथा सामूहिक एवं  सरकारी खेती की बात की थी वो चाहते थे कि सामाजिक और आर्थिक क्रांति के साथ साथ राज्य निर्माण का काम भी एक साथ चले !! इस विचार को मूलभूत अधिकार मे तो स्थान नही मिला पर राज्य के नीति निदेशक सीधांतों मे जरूर शामिल किया गया!! अतः संविधान मे इसका व्यावहारिक द्रष्टी से कोई विशेष असर नही है !! बाबा साहेब मानते थे कि भूमि बटवारे से दलितों की समस्या हल नही होगी इस लिए वो भूमि का राष्ट्रीयकारण चाहते थे !! 

बाबा साहेब ने 1947 मे एक लेख प्रांत और अल्पसंख्यक प्रस्तुत किया जिसमे उन्होने लिखा हमारी समस्या है कि हमारे यहाँ बिना तानाशाही का राजकीय समाजवाद हो, हमारा समाजवाद संसदीय प्रणाली के साथ हो ! और सुझाव दिया कि आर्थिक शोषण को समाप्त करने की द्रष्टी से मूल उद्योगों का स्वामित्व और प्रबंध राज्य के हाथ मे रहे और बीमा-कंपनियों का राष्ट्रीयकारण हो !! इसके साथ साथ ये भी कहा कि खेती मे मालिकों, कश्तकारों आदि को मुआवजा देकर राज्य भूमि का अधिग्रहण करे और उस पर सामूहिक खेती की जाए जिससे ना कोई जमींदार होगा, ना कोई कष्तकार और ना कोई भूमिहीन मजदूर !! 
तो दोस्तों ए सोच और विचारधाराओं से थे परम पूज्य बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी 
तो भाइयो आए हम सब उनके विचार धाराओं सिद्धांतों से जुड़े और अपने समाज को जागरूक करें शिक्षित करें संगठित करें और संघर्ष करें।


*शेड्यूल्ड  कास्ट और  आंबेडकरी विचारधारा को माननेवाले  अनुयायीयों और  धर्मांतरीत  बौद्ध  समाज*  ! 

*निकट भविष्य मे भारत यदि ब्राह्मणराष्ट्र ( लेबल - हिन्दूराष्ट्र ) मे तब्दील होता है और भारतीय  संविधान यदि मनूस्मृती मे तब्दील होता है !!  तो उसके लिए जिम्मेवार किसी और को नही बल्कि आप को ही माना जाएगां ।*
  
 इसका कारण यह हैं की, जनगणना 2011 के मुताबिक लगभग 120 करोड़ भारत की कुल जनसंख्या है !! 

 *हिन्दू* शब्दछल  असल मे सिर्फ़ *विदेशी  ब्राह्मणों द्वारा  मूलनिवासी भारतीय जनता को  गुमराह करने  के लिए दलाल मिडिया का दुरुपयोग कर जनता का  शोषण करने के लिए पाखंडी  षडयंत्रपूर्वक  उछाला जाता है* !!  

लेकिन क्यूंकि लगभग  करोड़ अछुत  इत्यादी  जाति के लोग भी अपने नाम के आगे हिन्दू  लिखते हैं ! इसीलिए *हिन्दूओं की संख्या* बढा चढाकर दिखाते है और इस *बडीं हिन्दू संख्या* को दुनिया के सामने लगातार पेश करके विदेशी  ब्राह्मणवादी  भारत को ब्राह्मणराष्ट्र लेबल *हिन्दूराष्ट्र* और संविधान को *मनूस्मृती* मे तब्दिल करने मे लगे हुऐं हैं ।
    
 निकट भविष्य मे विदेशी  ब्राह्मणवादी यदि उनकें मकसद मे कामयाब हो जातें हैं , तो इसके लिए जानें अंजाने *अपने नाम के आगे धर्म - हिन्दू  लिखनेवाले शूद्र OBC , ST , SC - अतिशूद्र अछुत  जातीयों  की इस पिढी को ही दोषी माना जायेगा* , जिम्मेवार माना जाएगां ।
जागों मूलनिवासी  सभी  भारतीयों  !!

अपने  स्वाभिमान , आत्मसम्मान के लिए    जाति समेत *दुनिया  का  सर्वश्रेष्ठ  मानवतावादी  बौद्ध धर्मान्तरण करकें* अपने आपको, अपने परिवार को,अपनी जाति समाज को *विदेशी  ब्राह्मणधर्म याने लेबल हिन्दू धर्म* से अलग करके 


अपने  सुखी संपन्न जीवन के लिए  भारत देश  और भारतीय संविधान को बचाईए !


बताने की कोशिश जरूर करें कि वह बाबा साहेब का नाम और जय जयकार उनके विचारधाराओं और सिद्धांतों से प्रभावित होकर करते हैं या सिर्फ दिखावे के लिए और दूसरी बात सावन के महीने में कितने व्यक्ति है जो इस समूह के जो अपने  कार्य और खुद पर भरोसा नहीं करते लेकिन भगवान पर भरोसा करके कावड़ यात्रा में शामिल होंगे अगर ऐसा होगा तो वह व्यक्ति अपनी दोगली नीति को दर्शाएगा

 बाबा साहेब का सच्चे अनुयाई तो वही ही हो सकता है जो उनके विचारधारा और सिद्धांतों को सच्चे मन से ग्रहण किए हो और अंधविश्वास पाखंड मनुवादी ब्राह्मणवाद जै से मानव बिरोधी व्यवस्था को लात मारता हो बहुत ऐसे व्यक्ति है 

जो सिर्फ दिखावा के लिए जय भीम का प्रयोग करते हैं ऐसे व्यक्ति को एक कहावत है मुंह में राम बगल में छुरी एक तरफ बाबा साहेब का नाम की जय-जयकार करेंगे और दूसरी ओर उनके विचारधाराओं और सिद्धांतों का हहन।। पाखंडी देवी-देवताओं को पूजा करेंगे और बाबासाहेब के जय जय कार भी करेंगे तो ऐसे व्यक्ति बाबा साहेब के मिशन के लिए कामयाब नहीं हो सकते इसलिए दोस्तों अगर आप जिसे चाहते हो उसे दिल से चाहिए और उनके सपनों को साकार कीजिए सिर्फ जय जय भीम बोलने से हम बाबासाहेब और अपने समाज का उद्धार नहीं कर सकते एक बार फिर आप लोगों से बताना चाहता हूं कि बाबा साहेब के सिद्धांतों को और विचारों को आत्मसात करें और उनके 22 प्रतिज्ञाओं का पालन करने की कोशिश करें 

प्रतिज्ञाएँ निम्न हैं:

1- मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
2- मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
3- मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
4- मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ
5- मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ
6- मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा.
7- मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा
8- मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा
9- मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ
10- मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा
11- मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा
12- मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.
13- मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा.
14- मैं चोरी नहीं करूँगा.
15- मैं झूठ नहीं बोलूँगा
16- मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा.
17- मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा.
18- मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा.
19- मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ
20- मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.
21- मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा).
22- मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा

*डा बी.आर. अम्बेडकर*
 तो दोस्तों बाबा साहेब को जवाब गहराई से अध्ययन करेंगे तब आपको पता लगेगा कि उन्होंने हमारे समाज के लिए क्या-क्या नहीं किए उन्होंने हमारे समाज के लिए वह सभी कर के दिखाए और करके चले गए जो आज तक किसी भी देवी देवता  दुर्गा लक्ष्मी शंकर गणेश हनुमान न जाने कितने देवी देवता है वह सब नहीं किया जो हमारे परम पूज्य बाबा साहेब ने हमारे समाज को देकर गये और बहुत कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन में खो कर गये तो दोस्तों बाबा साहेब की तुलना हम अपनी मां से करेंगे तो कोई शक नहीं होना चाहिए क्योंकि मैं अपने विचार से बताना चाहता हूं कि मैं ऐसे महामानव का कर्ज नहीं अदा कर सकता एक परम पूज बाबासाहेब दूसरा अपनी मां का यह तो ऐसे महान इंसान हैं


 इसकी महानता का हम व्याख्या नहीं कर सकते इसलिए दोस्तों मैं ज्यादा नहीं लिख पाऊंगा सभी व्यक्ति समझदार है बुद्धिजीवी है

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