Thursday, 3 August 2017

अम्बेडकर बूटी

 🐘 🐘अम्बेडकर बूटी🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-६
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-६
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|

#मुर्दों_जाग_जाओं..!! #आगे_खतरा_है ..!!
                सीबीएसई ने नीट में सवर्णों छात्रों को आऱक्षित कर दिया है। इसे लेकर एक व्यापक बहस शुरू हो चुकी है। इस कदम को आरक्षण खत्म करने की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद सीबीएसई ने देशभर में इसे लागू कर दिया है। इसके अनुसार आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार चाहे सबसे ज्यादा नंबर ले  आए लेकिन वह सिर्फ आरक्षित कोटे में ही नौकरी पाएगा। यानि सवर्णों के लिए 50.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर दी गई है।

इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है…

अपने बच्चों को बचाओ!

SC, ST, OBC के ख़िलाफ़ आज़ादी के बाद का यह सबसे बड़ा फ़ैसला है, लेकिन हम चुप हैं, क्योंकि हम एक मरे हुए समाज के नागरिक हैं! यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं है।

बाबा साहेब ने कारवाँ को जहाँ तक पहुँचाया था, वह पीछे जा रहा है। आने वाली पीढ़ी हमें गालियाँ देंगी कि हम कितने रीढविहीन थे।

क़लम की नोक पर एक झटके में SC, ST, OBC के नौ हज़ार स्टूडेंट्स इस साल डॉक्टर बनने से रह जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 50.5% सीटों पर SC, ST, OBC का कोई नहीं आ सकता। जनरल मेरिट में टॉपर हो, तो भी नहीं।

केंद्र सरकार इसके ख़िलाफ़ अपील करने की जगह, तत्परता से इसे लागू कर रही है।

मामला सिर्फ़ मेडिकल का नहीं है। आगे चलकर यह आदेश इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और यूपीएससी और पीसीएस तक आएगा। कई राज्यों में यह पहले से लागू है। लाखों स्टूडेंट्स पर असर पड़ेगा।

मुझे नहीं मालूम कि समाज की नींद कैसे खुलेगी। हमारे पॉलिटिकल क्लास की चिंताओं में यह कैसे शामिल हो पाएगा।

जो नेता इस मुद्दे को उठाएगा, उस पर फ़ौरन भ्रष्टाचार का केस लग जाएगा। क्या हम उस नेता के साथ खडें होंगे? अगर नहीं, तो कोई नेता जोखिम क्यों लेगा?

पाँच हज़ार लोग भी सड़कों पर आ जाएँ, सारे लोग अपने जनप्रतिनिधियों पर दबाव डालें, तो आपके समाज के लाखों बच्चों का भविष्य बच जाएगा।


   भारत का अद्वितीय मौर्य शासन काल....

1.चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य
     323 - 299 ई०पू०

2.सम्राट बिंदुसार मौर्य
    299 - 274 ई०पू०

3. प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान
     274 - 234 ई०पू०

4. सम्राट कुणाल मौर्य
     234 - 231 ई०पू०

5. सम्राट दसरथ मौर्य
     231 - 223 ई०पू०

6. सम्राट सम्प्रति मौर्य
     223 - 215 ई०पू०

7. सम्राट शालिशुक मौर्य
     215 - 203 ई०पू०

8. सम्राट देववर्मा मौर्य
     203 - 196 ई०पू०

9. सम्राट सतधन्वा मौर्य
    196 - 190 ई०पू०

10.सम्राट वृहद्रथ मौर्य
     190 - 184 ई०पू०

ये है ऐतिहासिक एवं गौरवशाली अखंड भारत में मौर्य वंश के अद्वितीय 10 सम्राटों/राजाओं के सर्वोत्तम शासन काल का विवरण। गौरवशाली सह अद्वितीय मौर्य शासन काल के 139 वर्ष विश्व इतिहास में एक अलग स्थान रखते हैं।
🌻इसी समय में "अखण्ड भारत का निर्माण" हुआ था।
🌻इसी समय में भारत "विश्व गुरु" कहलाता था।
🌻इसी समय में भारत "सोने की चिड़िया" कहलाता था।
🌻इसी 139 वर्षों में भारत "विश्व विजयी" कहलाता था।
🌻इसी समय चन्द्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में विश्व की प्रथम संयुक्त सेना का सफल सह विजयी सेना का निर्माण हुआ था।
🌻इसी समय विश्व में अखंड भारत की सेना सबसे विशाल और अजेय थी।
🌻इसी समय में भारत विदेशी आक्रमणकारियों से भयमुक्त/चिंतामुक्त था।
🌻इसी समय में सिकंदर-सेल्युकस जैसे आक्रमणकारी को चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने अपनी हार और भारत की विजय स्वीकार करनी पड़ी थी।
🌻इसी समय में भारत विश्व की सबसे मजबूत समावेशी, मानवीय, सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, मैत्री इत्यादि की ताकत होता था।
🌻इसी समय में भारत में विदेशी छात्रों का आगमन शुरू हुआ।
🌻इसी समय में भारत पूरे विश्व में व्यापार की शुरुआत किया।
🌻इसी समय मे सबको शिक्षा, स्वास्थ्य, संपति, समावेशी मौलिक जीवन का समान अधिकार होता था।
🌻इसी समय में समृद्धशाली भारत का निर्माण हुआ।
🌻इसी समय में भारत "प्रबुद्ध भारत" कहलाता था।
🌻इसी समय में भारत सत्य, अहिंसा, करुणा, प्रेम, मैत्री, बंधुत्व, शील, प्रज्ञा इत्यादि से शांतिमय सह सुखमय भारत था।
🌻इसी समय का शासन मानवता, समानता, लोक कल्याणकारी, राष्ट्रीयता, समावेशी समाज सह राष्ट्र विकास पर आधारित था।
🌻इसी समय का "अशोक स्तम्भ" स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय चिन्ह/प्रतीक है। जो प्रत्येक राष्ट्रीय मुद्रा एवं दस्तावेज पर अंकित रहता है।
🌻इसी समय का "सत्यमेव जयते" राष्ट्रीय वाक्य है।
🌻इसी समय का "अशोक चक्र" भारत के तिरंगे में प्रगति प्रतीक नीले रंग में चक्र एवं राष्ट्रीय सम्मान है।
🌻स्वतंत्र भारत का राजकीय पथ "अशोक पथ" एवं केन्द्रीय हॉल "अशोक हॉल" है।
🌻इसी समय का राष्ट्रीय पशु "शेर/सिंह" और राष्ट्रीय पक्षी "मोर" है।


 *हमारा देश भारत है, हिंदुस्तान नही!*
*रिजर्व केटेगरी के बाद ओपन केटेगरी होती है, जनरल नही!*


भारतीय संविधान में लिखे India शब्द का अनुवाद मनुवादी लोग  "हिंदुस्तान" करते है। किन्तु संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अंबेडकर ने हमे आगाह किया है, कि India का अर्थ "भारत" होगा, हिंदुस्तान नही। इसलिये हमें अपने देश को हिंदुस्तान नही बल्कि भारत ही बोलना चाहिए।
इसी प्रकार आरक्षण के संदर्भ में मनुवादी लोग एक शब्द प्रयोग करते है, *"जनरल कटेगरी"* जो कि बहुत ही गलत है। इसको हमे *'ओपेन कटेगरी'* शब्द प्रयोग करना चाहिए। यदि 22.5% रिजर्वेशन एस0सी0 और एस0टी0 के लिए है और 27% रिजर्वेशन ओबीसी के लिए है तो बाकी जो 50.50% बचता है, वह ओपेन कटेगरी में आता है, न कि जनरल कास्ट के लिए रिजर्व है। भारतीय संविधान के अनुसार रिजर्वेशन एस0सी0 के लिए है,एस0टी0 के लिए है और ओबीसी के लिए है। जनरल कास्ट के लिए कोई भी रिजर्वेशन नही है। इस रिजर्वेशन के बाद जो 50.50% की वैकेंसी बचती है, वह ओपेन कटेगरी में आती है। उसमें एस0सी0 को भी हिस्सा मिल सकता है, एस0टी0 को भी मिल सकता है और ओबीसी को भी मिल सकता है। ये बाते हमे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। अभी जो उत्तरप्रदेश में आरक्षण का मामला है, उसमे परीक्षा के तीन मेथड लागू थे। पहला प्री परीक्षा, दूसरा मेंन परीक्षा और तीसरा इंटरव्यू होता है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि रिजर्वेशन के बाद जो 50.50% सीटें बचती है तो जो एस0सी0, एस0टी0 और ओबीसी के बच्चे जो रिजर्व केटेगरी की कट ऑफ लिस्ट से ज्यादा नम्बर लाते है, उनको ओपेन कटेगरी में रखना चाहिए। ओपेन केटेगरी को जनरल कटेगरी कहकर सवर्णो के लिए रिजर्व नही बनाना चाहिए। ये हमारे समाज के पढ़े लिखे लोगो मे भी गलतफहमी है। हमारे समाज के वकीलो में भी गलतफहमी है और हमारे समाज के बुद्धिजीवी वर्ग में भी यह गलतफहमी है कि हम उसको 'ओपेन कटेगरी' कहने के बजाय 'जनरल कटेगरी' मानते है। इसका मतलब है कि ये जनरल कास्ट के लिए रिजर्व है। जबकि ऐसा नही है।
हमे किसी से बात करते समय या बोलते समय, यह ध्यान में रखना चाहिए कि हमे जनरल कटेगरी कहने के बजाय 'ओपन कटेगरी' कहना चाहिए। इस ओपन कटेगरी में सभी का हिस्सा होता है। चाहे वह एस0सी0 का हो, चाहे एस0टी0 का हो, चाहे वह ओबीसी का हो या सवर्ण हो।


बाबा साहब का बोधिसत्व होने का मतलब जानिए

● उससे पहले जान ले बोधिसत्व होता क्या है?
● बौद्ध धर्म में बोधिसत्व का मतलब प्रबुद्ध होता है। सीधे शब्दों में बुद्ध का अवतार कहा जाता है। गौतम बुद्ध का कहना था की न मैं पहला हूँ न अंतिम। बुद्ध पहले भी हुए और आगे भी होंगे। इसी को आधार बना कर बुद्ध के अवतार को बोधिसत्व कहा जाता है।
● बाबा साहब आंबेडकर जब बर्मा में बौद्ध सम्मलेन में भाग लेने के लिए गए तब वहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म पर काफी ओजस्वी भाषण दिया और भारत में बौद्ध धर्म की वापसी की बात कही उनका जब भाषण समाप्त हुआ तो वहाँ उपस्थित सभी भिक्षु अपना सिर झुकाकर डॉ. आंबेडकर को नमन करने लगे और कहा यही हैँ बोधिसत्व जिनका इन्तेज़ार सदियों से हो रहा है और सभी ने एक मत से डॉ. आंबेडकर में आस्था जताते हुए बौद्ध धर्म की सारी धर्म ग्रन्थ सौंप दी और उनके कहे अनुसार धर्म में परिवर्तन के लिए भी राजी हो गए।
ऐसा इसलिए हुआ की...

● बर्मा देश में यह मान्यता थी कि बुद्ध महापरिनिर्वाण के 2500 साल पूर्ण होनेे पर ‘भारत में बुद्ध का धर्म फिर से गतिमान होकर विश्वकल्याण के मार्ग को प्रसस्त करेगा और यह  बोधिसत्व भारत में प्रकट होगा और अपनी बौद्ध संस्कृति के गौरव को वापस अपने देश में लाएगा।
● यह बर्मावासीयों कि मान्यतता अकारण नही थी ?
इसका भी एक कारण है |
● सम्राट अशोक के गुरु महास्थवीर माेगलिपुत्त तिष्य द्वारा बर्मा देश में सोन और उत्तर नाम के दो अर्हंत बौध्द भिक्षुओं को धर्म प्रचार के लिए भेजते हुए ये यह भविष्वाणी कि थी कि बुद्ध के महापरिनिवार्ण से 500 साल बाद बुद्ध का धम्म लुप्त हो जायेगा एवं बुद्ध के महापरिनिर्वाण के 2500 साल बाद फिर से भारत में बुद्ध का धम्म मानव कल्याण के लिये पुनः जीवित होगा।
● तब तक इस धम्म को मूल रूप में जिन्दा रखना जब तक की कोई बोधिसत्व आकर अपने संपति को यानी धम्म (धार्मिक पुस्तकें) को वापस न ले जाये। यह मान्यता बर्मा में काफी प्रचलित थी।

● महास्थवीर मागलिपुत्त तिष्य की भविष्यवाणी सिर्फ काल्पनीक मान्यताओं का लेखा नही था,बल्कि वास्तिविकता थी।
● उलेखनीय है की डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने लाखों लोंगो को ‘धर्म दिक्षा’ दिया वह  दिन 14 October, 1956 था और बुध्द संवत् (Calendar) के अनुसार यह दिन अशोका विजयादशमी था और इसी दिन को ही 2500
साल पूर्ण होते हैं।
● महास्थवीर मोगलीपुत्त तिष्य के भविष्वाणी को भारत के धरती पर किसी ने क्रिर्यान्वित किया है वह मात्र डॉ.बी.आर.आंबेडकर है। इसलिए उनको बोधिसत्य कहा जाता है।
● डॉ.  बी.आर. आंबेडकर ने कभी यह नही कहा कि मै 14 october 1956 को ‘धम्मदिक्षा’ लेकर ‘धम्मदिक्षा’ दुंगा, बल्कि स्पष्ट रूप से कहा कि मै अशोक विजयादक्षमी को ‘धम्म दिक्षा’ लुंगा और दुंगा क्योंकि यह दिन सम्राट अशोक का ‘विश्व धम्म विजय’ दिन है।
● डॉ. बी. आर. आंबेडकर आगे यह भी स्पष्ट करते है कि ‘धम्मदिक्षा’ दिन को अशोक विजयादशमी के उपल्क्ष्य में हर्ष-उल्लहास के साथ मनाये ताकि यह ‘धम्मविजय’ दिन विश्वधम्म दिन बनकर चिर विस्मृत बना रहे।
● यह कोई संयोग नहीं था की अशोक विजयादक्षमी के दिन ही RSS कि भी स्थापना कि गई क्योंकि इनके पुर्वजों ने इस दिन को अंतिम मौर्य सम्राट ब्रहद्त कि हत्या की थी।
● डॉ. आंबेडकर भारत में बुद्ध धर्म के नायक के साथ साथ करोड़ों बहुजनों के भगवान भी है। आज सभी जगह उनकी प्रतिमाएं लगाई जा रही है। लोग उनके मूर्तियों को साक्षी मानकर शादी भी कर रहे है और अन्य धार्मिक काम भी कर रहे है। कोई भी प्रोग्राम होता है तो पहले डा. आंबेडकर और बुद्ध को श्रद्धासुमन अर्पित किया जाता है।
● डॉ. आंबेडकर के बोधिसत्व होने के कारण बोधगया में महाबोधि मंदिर के ही करीब उनकी बड़ी सी प्रतिमा लगायी गयी है। इस प्रतिमा में बाबा साहब की हाथ की ऊँगली मुख्य मंदिर की ओर इशारा करती हुई  लगायी गयी है जैसे वे अपने अनुयाइयों को कह रहे हो 'चलो बुद्ध की ओर' यही तुम्हारा धर्म है।

नमो बुद्धाय जय भीम


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