Wednesday 2 August 2017

बहुत बडा पाखंड है यह कावँड

 *बहुत बडा पाखंड है यह कावँड।।*

*कोई हमें बता सकता है हिन्दू धर्म शास्त्रों में जैसे गीता रामायण महाभारत वेद पुराण उप निशाद कावड यात्रा द्वारा जल चढ़ाने का जिक्र किसी धर्म शास्त्रों किया गया हो?*

 यदि आप शिवपुराण को मानते हो तो् शिवपुराण मे गँगा को शिव की पुत्री लिखा है',और आप उसे शिवलिगँ पर चढाते है।इसे आस्था बताते है।यह आस्था है या पागलपन जरा विचार करो।बहुत नोजवान यह मानते है कि काँवड लाने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं ,मित्रो  किसी भी शास्त्र मे काँवड लाकर शिव पर चढाना नही लिखा है वेद, गीता, रामायण,उपनिषद,दर्शन,यहाँ तक की पुराणो मे भी शिव पर काँवड चढाना नही लिखा है। यह केवल फिल्मी दुनिया वालो की मनघडँत कहानिया है।।।।।


कड़वा है लेकिन सत्य है 
🔵गौर करो चिंतन करो🔵 
🔵यदि *पृथ्वी* शेषनाग के फन पर टिकी है तो *शेषनाग* किस पर टिका है और बाकी दूसरे *ग्रह* किस पर टिके हैं❓ 
🔵यदि *भगवान* कण कण मे हैं तो थूक *मल,मूत्र*मे क्यों नहीं . .  
🔵अमरनाथ मे एक गुफ़ा है जिसके उपर सुराख से पानी टप टप टप टप गिरता रहता है जो सर्दी के मौसम जमकर*लिंग*का आकार ले लेता है 
तो उसे *भगवान* का *लिंग* कहा जाता है । 
 🔵मगर *_Switzerled *_Antarctica_* मे ऐसे लाखों आकार बनते है
🔵*_refrigerator_* मे ऐसे छोटे छोटे लिंग के आकार बनते हैं | आखिर ये सब किसके किसके *लिंग* हैं❓  
🔵और हाँ ये सारे *लिंग गर्मियों* मे क्यों *पिघल* जाते हैं❓
🔵आखिर *पिछले जन्म* की याद केवल *भारत* मे ही क्यों आती है लोगो को❓  
🔵ब्राह्मण* भगवान के सर से पैदा हुआ , शत्रिये छाती से,वैश्य पेट से, शुद्र तलवे से तो *जैन, क्रिसचन* किधर से पैदा हुए❓  
🔵यदि *गंगा* नदी *शिव* जी की जटाओ से निकलती है तो *यमुना,नील, अमेज़न, तिग्रिस, झेलम,*नदियां किसकी  *जटाओ* से निकली थी ?  
🔵देवी देवता लोग *_clean shave_* कैसे रहते हैं ❓ 
 🔵*_Gillete_* का इस्तेमाल करते थे ,करते है क्या❓  
🔵 मगर ब्रह्मा की दाढी मूँछें कैसे❓
🔵*देवी देवता* के खूबसूरत *ब्लाउज़,साड़ी,सूट* परिधान का *_designer_* कौन❓
🔵*फिटिंग* कौन सा टेलर करता है कहाँ रहता है वो टेलर❓  
🔵ये *देवी देवता* की *सवारी* केवल *भारतीय* जानवर *शेर, हाथी, चूहा, भैंस, उल्लू, गधा,* ही क्यों ,, विदेशी जानवर *कंगारू, ज़ेब्रा, डायनासौर,जिराफ* क्यों नहीं❓ 
🔵*क्या डायनासौर के युग के बाद देवी देवता पैदा हो पाये* ?  
🔵ये *देवी देवता* के हथियार *चाकू,तलवार, गदा, त्रिशूल* ही क्यों❓ अब तो ज़माना *बंदूक मशीन गन* का है. 
 🔵क्या आपको नही लगता कि ये प्राचीन *पाखंडी* लोगों के *दिमाग* की *उपज* थी❓  
 🔵क्योंकि वे भारत मे रहकर *विदेशों* के *जानवर , नदी , परिधान* से अंजान थे ..*धर्म का आविष्कार केवल शोषण के उद्देश्य से हुआ* क्या ?  
 🔵हमारे देश मे *लक्ष्मी ,कुबेर* की पुजा होती है मगर हम फिर भी गरीब क्यों ? जबकि अमरीका, अरब ,जापन, अमीर क्यों ?  
🔵हमारे देश मे *इन्द्र्देव* की पुजा होती है फिर भी हर साल बाड़ सूखा , भूस्खलन आपदा क्यों ? जबकि *यूरोप, इंग्लैंड* खुशहाल क्यों ?
🔵हमारे देश मे अन्न की देवी *अन्नपूर्णा* की *पूजा* होती है मगर फिर भी लाखों किसान भुखमरी* से *आत्महत्या* क्यों करते हैं ? ब्राज़ील ,रूस का किसान खुशहाल क्यों ?  
🔵विद्या की देवी *सरस्वती* की पुजा हमारे देश मे होती है फिर भी हम *अशिक्षा* से ग्रस्त क्यों ? जबकि अमरीका, इंग्लैंड अतिशिक्षित, 
 🔵हमारे देश मे पूजा पाठ के लिये उत्तराखंड(केदारनाथ) गये तो लाखों भक्तों बच्चे, बूढे महिलाओं को मार गये क्यों ? कभी *भक्तों* की *बस* खाई मे गिर जाती है कभी हादसा हो जाता है क्यों ? 
 🔵क्या आपको नही लगता की आपके द्वारा दान- धर्म का पालन सीधे तौर पे राजनेता एवं धर्म के ठेकेदारों को लाभ पहुंचाता है❓  
🔵यदि पूजा अर्चना करने से आपको मन की शांति मिलती है तो मुल्लाओं को मज़ार दर्गाह , ईसाई को चर्च मे भी तो मन की शांति मिलती है ।  🔵क्या आपको नही लगता की ये मात्र आपके *मस्तिष्क* का *भ्रम* है❓ 
 🔵आखिर *धर्म* ने हमे दिया ही क्या है आज तक❓ (छुआ- छुत, ऊँच- नीच, तू छोटा -हम- बड़े )  

🔵सुख, शांति,संपत्ति, तो दुनिया के लाखों करोड़ो *नास्तिकों* के पास भी है.

8 comments:

  1. हरियाणा के कुछ गाँवों में अछूतों को मन्दिरों में और हवन इत्यादि धार्मिक स्थलोँ पर न जाने की रोक पर रोष में आये एस सी दलित लोगों ने और एस सी समाज के समर्थन में ओबीसी समाज के लोगों ने दमदार फैसला लिया उसको हम सल्यूट करते है।

    हम मन्दिर में या इनके किसी भी धार्मिक कार्य में नही जायेंगे।

    हमारे यहाँ डाक कावड़ लेकर आने वाले 60-70 युवाओं ने भी कसम उठाई है की अबकी बार हम कावड़ नही लाएंगे
    हर बार हम अपमान सहते आएं है

    लोगोँ ने कहा है कि जब हमें मन्दिरों में बैठा भगवान भी नही समझ सकता तो हम मन्दिरों में इन पण्डो को क्यों पाले ? आये दिन हमे घोड़ी से उतार कर पीटा जाता है तब भी भगवान कुछ नही बिगड़ता इनका ।

    छोटी सी बात पर ये दबंग लोग हम पर हावी हो जाते है हम बेकसूर भी होते है तो भी हमें गुनहगार बना दिया जाता है ।

    हमारी बहन बेटियों को ये दबंग लोग गन्दी नजर से देखते ।
    हमारे लोगोँ को नशा आदि ये लोग सिखाते है पहले तो पिलाते है ।
    फिर अपने खेतों में काम भी करवाते है और हमारे ही पैसों की शराब मंगवाते है

    मै कहता हूँ भगवान कहाँ है क्यों कुछ नही बिगड़ता इन लोगोँ का ।

    और लोगोँ ने यहां तक भी कह दिया की कोई भी दलित काँवड़ लेकर आया तो उसको भी हम उसकी जाती से बाहर करेंगे ,
    और न ही किसी मन्दिर में जायेंगे ।

    ये सभी बातें आज 10 गाँवों की लोगों ने पंचायत करके फैंसला लिया ।

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  2. अगर कांवड़ ढोने से बहुत लाभ मिलता तो सबसे आगे ब्राह्मण दौड़ते, उसके पीछे क्षत्रिय दौड़ते, फिर उसके पीछे वैश्य दौड़ते। पर, क्या आपने इन जातियों को कांवड़ ढोते कभी देखा या सुना है? नहीं न? क्यों? क्योंकि ये जागृत जातियां हैं और SC-ST-OBC-BC सुप्त (सोई हुई) जातियां हैं। जागो भाइयों और बहनों, जागो और इस तरह के 'पुजा-पाठ' नामक बिमारी से छुटकारा पाओ।

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  3. यदि तुम्हारी धार्मिक काँवड़ 'आरक्षण-विरोधी है? तो आग लगे तुम्हारी काँवड़ को !!!!

    हिंदू एकता वाले कहाँ मर गए ???कट्टर हिंदू, सच्चे हिंदू, सनातन हिंदू, वसुधैव कुटुंबकम वाले !!! अबे हरामखोरों ! कम से कम धार्मिक मंच पर, धार्मिक कार्यों में तो एकता दिखाते ???

    काँवड़ लेने जा रहे हो या रोने ???
    अरे ठगों ! सदियों से धर्म के नाम पर डराकर तुमने अपने स्वार्थों की पूर्ति की, हरामखोरी की आदत अब तो छोड़ो। ब्रिटिश काल मे विज्ञान और शिक्षा के प्रसार ने लोगों को जागृत किया, मन्दिर की बजाय स्कूल, कॉलेज, अस्पताल खोले गए, पाखण्ड और गलत रीति रिवाजों पर रोक लगी।
    इसी बीच प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित तबके को मानवीय अधिकार मिले। भारतीय संविधान बना, कानून बने, जो किसी एक वर्ग की बजाय मानव मात्र की भलाई के लिए थे और लागू किये गए। वंचित तबके को आरक्षण देकर देश के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की गई, उनका जीवन स्तर सुधरा और कुछ हद तक पाखंडी लोगों की बेगार बन्द हो गयी।

    यहीं से पेट दर्द शुरू हो गया इन हरामखोरों को। अब ये हर जगह रोते हैं, छाती पीट पीटकर रोते हैं। नया मामला ''काँवड़ के फ्लैक्स पर आरक्षण विरोधी स्लोगन लिखकर 'भोलेनाथ' के सामने गुहार लगाने का है। हो सकता है संविधान से अनजान, भाँग के नशे में भोलेनाथ हाँ कर भी दे, तो जो आरक्षित वर्ग के मतिमूढ़ काँवड़ लेने जा रहे हैं, उनका क्या ????
    क्या उनको मिल पाएगी वो नौकरी, जिसकी आस में मुहँ उठाये चले गए हरिद्वार !! धर्म और भगवान के दरबार मे शूद्र की दशा नीच की ही रहती है। ये मामला धार्मिक सामंतवाद का है। ये दिखाता है कि धर्म को ये पाखंडी लोग मनचाहे, तोड़-मरोड़ सकते हैं।

    मैं काँवड़ लेने गए SC/ST/OBC के भाइयों से कहता हूं कि एक बार तुम लिखकर ले जाओ अपनी काँवड़ पर कि "आरक्षण हटेगा, तो देश बंटेगा" यही हरामखोर तुम्हे धर्म की दुहाई देते हुए नजर आएंगे !! और हो सकता है तुम जिंदा ही वापस न आ पाओ, इस स्लोगन के साथ।

    क्यों ???
    क्योंकि धर्म में तुम सिर्फ सेवादार हो, गुलाम हो, नीच हो।
    धार्मिक मंच पर तुम्हे अपनी बात कहने, अपना हक लेने की इजाजत ही नही। तुम्हे धर्म पर सवाल करने का, अपने अनुसार बदलाव करने का हक ही नही है, तुम सिर्फ सिर झुकाकर धर्म के शिखर पर बैठे पाखण्डियों के स्वार्थपूर्ण आदेशों का फ़रमान मानते रहो, बस .....।

    तुमने थोड़ा सोचना शुरू किया, ये डी जे की आवाज तेज करेंगे, या फिर जयकारों की, बोल बम.... अरे कौन सा बम यार ???
    खामोश तार्किक सोच को आस्था का शोर निगल जाता है।
    आरक्षण विरोधी स्वर 'संविधान' से परेशान हैं, ये धर्म का झंडा सिर्फ इसलिए उठाए हुए हैं, क्योंकि धर्म ने इनको मलाई काटने का सबसे पहला मौका दिया। ये लोग समाज में सबसे पहले खाना अपना हक समझते रहे हैं, उच्च समझते हैं खुद को, लेकिन संविधान इन्हें भीड़ में शामिल कर देता है, कोई वरीयता नही देता, बस यहीं इनका रोना है और यहां याद आता है इनको धर्म आधारित सनातन आरक्षण।

    धर्म का झंडा इसलिए उठाये हैं, क्योंकि यह वसीयत है इनके लिए। जबकि हमारे लिए धर्म एक पाखण्ड है, ठगी का तरीका है, भेदभावपूर्ण व्यवस्था है, नीचता का अहसास है, जातिवाद है, लूट-खसोट है, अंधविश्वास है, दमनकारी है, अवैज्ञानिक है और बेवजह का खर्चा है।

    तो क्या आरक्षण बिना, काँवड़ लाकर एक चपरासी भी बन पाएंगे हम और आप ????

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  4. आप आजकल किसी भी सड़क या बड़े शिव मंदिर के सामने खड़े होकर कांवरियों के कई झुण्ड को ध्यान से देखिये और समझिये, इनमें 90 फीसदी पिछड़े, आदिवासी, एससी मिलेंगे। ये लोग वर्षों से कांवड़ उठा रहे हैं किंतु इनके जीवन स्तर में आज तक कोई सुधार नहीं आया।

    तदुपरांत आप एक उच्चस्तरीय होटल के बीयर बार में जाइए , वहां उपस्थित लोगों को देखिये-समझिये। आपको छोड़कर वहां लगभग सब के सब फॉरवर्ड कास्ट वाले मिलेंगे, जो मुर्गा-शराब का जमकर लुत्फ़ उठा रहे होंगे । साथ में लालू मुलायम, अखिलेश यादव और मायावती को जमकर गालियां निकाल देते मिलेंगे।

    इन दो वाक्यों से ये साफ़ जाहिर होता है कि पिछड़े,दलित वर्गों में अकर्मण्यता की वजह से चमत्कार का लोभ एवं ईश्वर का डर सिर चढ़ कर बोल रहा है वहीँ फॉरवर्ड आराम से बार का लुत्फ़ उठा रहा है।

    अगर कांवड़ ढोने से बहुत लाभ मिलता तो सबसे आगे ब्राह्मण दौड़ते उसके पीछे क्षत्रिय दौड़ते फिर उसके पीछे वैश्य दौड़ते ।
    पर क्या आपने इन जातियों को कभी कांवड़ ढोते देखा या सुना है नहीं न !!

    क्योंकि ये जागृत जातियां हैं और SC ST OBC सोई हुई जातियां हैं।

    ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य को ज़हा लाभ मिलता है यह वही पे दाैडते है!
    #बोल 85

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  5. *कोई हमें बता सकता है हिन्दू धर्म शास्त्रों में जैसे गीता रामायण महाभारत वेद पुराण उप निशाद कावड यात्रा द्वारा जल चढ़ाने का जिक्र किसी धर्म शास्त्रों किया गया हो?*

    यदि आप शिवपुराण को मानते हो तो् शिवपुराण मे गँगा को शिव की पुत्री लिखा है',और आप उसे शिवलिगँ पर चढाते है।इसे आस्था बताते है।यह आस्था है या पागलपन जरा विचार करो।बहुत नोजवान यह मानते है कि काँवड लाने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं ,मित्रो किसी भी शास्त्र मे काँवड लाकर शिव पर चढाना नही लिखा है वेद, गीता, रामायण,उपनिषद,दर्शन,यहाँ तक की पुराणो मे भी शिव पर काँवड चढाना नही लिखा है। यह केवल फिल्मी दुनिया वालो की मनघडँत कहानिया है।।।।।

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  6. बच्चा- पंडितजी एक बात पूछूँ ?
    पंडितजी- पूछो बच्चा ।
    बच्चा- क्या शिवजी का धनुष सचमुच बहुत भारी था ?
    पंडितजी- हाँ बच्चा, बहुत भारी था ।
    बच्चा- कितना भारी था ?
    पंडितजी- इतना भारी था कि बड़के-बड़के चच्चा भी उसे उठाना तो दूर, हिला तक न पाये ।
    बच्चा- रावण भी नहीं ?
    पंडितजी- नहीं, रावण भी नहीं हिला पाया था उस स्वयं वर में ।
    बच्चा- लेकिन सीता ने तो बचपन में ही उसे उठा कर इधर से उधर रख दिया था ?
    पंडितजी- हाँ बिलकुल । सीता बचपन से ही बहुत बलशाली थी । इसीलिए तो समकक्ष वर ढूंढने के लिए स्वयं वर में शिव-धनुष उठा कर प्रत्यंचा चढा़ने की शर्त रखी गयी थी ।
    बच्चा- फिर निर्बल रावण ने सबल सीता का अपहरण कैसे कर लिया ? वो भी तब जब सीता जी युवा थी, बच्ची नहीं ?
    पंडितजी- तू देशद्रोही है! तुझे पाकिस्तान भेज देना चाहिए ।

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  7. 🔵गौर करो चिंतन करो🔵
    🔵यदि *पृथ्वी* शेषनाग के फन पर टिकी है तो *शेषनाग* किस पर टिका है और बाकी दूसरे *ग्रह* किस पर टिके हैं❓
    🔵यदि *भगवान* कण कण मे हैं तो थूक *मल,मूत्र*मे क्यों नहीं . .
    🔵अमरनाथ मे एक गुफ़ा है जिसके उपर सुराख से पानी टप टप टप टप गिरता रहता है जो सर्दी के मौसम जमकर*लिंग*का आकार ले लेता है
    तो उसे *भगवान* का *लिंग* कहा जाता है ।
    🔵मगर *_Switzerled *_Antarctica_* मे ऐसे लाखों आकार बनते है
    🔵*_refrigerator_* मे ऐसे छोटे छोटे लिंग के आकार बनते हैं | आखिर ये सब किसके किसके *लिंग* हैं❓
    🔵और हाँ ये सारे *लिंग गर्मियों* मे क्यों *पिघल* जाते हैं❓
    🔵आखिर *पिछले जन्म* की याद केवल *भारत* मे ही क्यों आती है लोगो को❓
    🔵ब्राह्मण* भगवान के सर से पैदा हुआ , शत्रिये छाती से,वैश्य पेट से, शुद्र तलवे से तो *जैन, क्रिसचन* किधर से पैदा हुए❓
    🔵यदि *गंगा* नदी *शिव* जी की जटाओ से निकलती है तो *यमुना,नील, अमेज़न, तिग्रिस, झेलम,*नदियां किसकी *जटाओ* से निकली थी ?
    🔵देवी देवता लोग *_clean shave_* कैसे रहते हैं ❓
    🔵*_Gillete_* का इस्तेमाल करते थे ,करते है क्या❓
    🔵 मगर ब्रह्मा की दाढी मूँछें कैसे❓
    🔵*देवी देवता* के खूबसूरत *ब्लाउज़,साड़ी,सूट* परिधान का *_designer_* कौन❓
    🔵*फिटिंग* कौन सा टेलर करता है कहाँ रहता है वो टेलर❓
    🔵ये *देवी देवता* की *सवारी* केवल *भारतीय* जानवर *शेर, हाथी, चूहा, भैंस, उल्लू, गधा,* ही क्यों ,, विदेशी जानवर *कंगारू, ज़ेब्रा, डायनासौर,जिराफ* क्यों नहीं❓
    🔵*क्या डायनासौर के युग के बाद देवी देवता पैदा हो पाये* ?
    🔵ये *देवी देवता* के हथियार *चाकू,तलवार, गदा, त्रिशूल* ही क्यों❓ अब तो ज़माना *बंदूक मशीन गन* का है.
    🔵क्या आपको नही लगता कि ये प्राचीन *पाखंडी* लोगों के *दिमाग* की *उपज* थी❓
    🔵क्योंकि वे भारत मे रहकर *विदेशों* के *जानवर , नदी , परिधान* से अंजान थे ..*धर्म का आविष्कार केवल शोषण के उद्देश्य से हुआ* क्या ?
    🔵हमारे देश मे *लक्ष्मी ,कुबेर* की पुजा होती है मगर हम फिर भी गरीब क्यों ? जबकि अमरीका, अरब ,जापन, अमीर क्यों ?
    🔵हमारे देश मे *इन्द्र्देव* की पुजा होती है फिर भी हर साल बाड़ सूखा , भूस्खलन आपदा क्यों ? जबकि *यूरोप, इंग्लैंड* खुशहाल क्यों ?
    🔵हमारे देश मे अन्न की देवी *अन्नपूर्णा* की *पूजा* होती है मगर फिर भी लाखों किसान भुखमरी* से *आत्महत्या* क्यों करते हैं ? ब्राज़ील ,रूस का किसान खुशहाल क्यों ?
    🔵विद्या की देवी *सरस्वती* की पुजा हमारे देश मे होती है फिर भी हम *अशिक्षा* से ग्रस्त क्यों ? जबकि अमरीका, इंग्लैंड अतिशिक्षित,
    🔵हमारे देश मे पूजा पाठ के लिये उत्तराखंड(केदारनाथ) गये तो लाखों भक्तों बच्चे, बूढे महिलाओं को मार गये क्यों ? कभी *भक्तों* की *बस* खाई मे गिर जाती है कभी हादसा हो जाता है क्यों ?
    🔵क्या आपको नही लगता की आपके द्वारा दान- धर्म का पालन सीधे तौर पे राजनेता एवं धर्म के ठेकेदारों को लाभ पहुंचाता है❓
    🔵यदि पूजा अर्चना करने से आपको मन की शांति मिलती है तो मुल्लाओं को मज़ार दर्गाह , ईसाई को चर्च मे भी तो मन की शांति मिलती है । 🔵क्या आपको नही लगता की ये मात्र आपके *मस्तिष्क* का *भ्रम* है❓
    🔵आखिर *धर्म* ने हमे दिया ही क्या है आज तक❓ (छुआ- छुत, ऊँच- नीच, तू छोटा -हम- बड़े )
    🔵सुख, शांति,संपत्ति, तो दुनिया के लाखों करोड़ो *नास्तिकों* के पास भी है.

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  8. यदि तुम्हारी धार्मिक काँवड़ 'आरक्षण-विरोधी है? तो आग लगे तुम्हारी काँवड़ को !!!!

    हिंदू एकता वाले कहाँ मर गए ???कट्टर हिंदू, सच्चे हिंदू, सनातन हिंदू, वसुधैव कुटुंबकम वाले !!! अबे हरामखोरों ! कम से कम धार्मिक मंच पर, धार्मिक कार्यों में तो एकता दिखाते ???

    काँवड़ लेने जा रहे हो या रोने ???
    अरे ठगों ! सदियों से धर्म के नाम पर डराकर तुमने अपने स्वार्थों की पूर्ति की, हरामखोरी की आदत अब तो छोड़ो। ब्रिटिश काल मे विज्ञान और शिक्षा के प्रसार ने लोगों को जागृत किया, मन्दिर की बजाय स्कूल, कॉलेज, अस्पताल खोले गए, पाखण्ड और गलत रीति रिवाजों पर रोक लगी।
    इसी बीच प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित तबके को मानवीय अधिकार मिले। भारतीय संविधान बना, कानून बने, जो किसी एक वर्ग की बजाय मानव मात्र की भलाई के लिए थे और लागू किये गए। वंचित तबके को आरक्षण देकर देश के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की गई, उनका जीवन स्तर सुधरा और कुछ हद तक पाखंडी लोगों की बेगार बन्द हो गयी।

    यहीं से पेट दर्द शुरू हो गया इन हरामखोरों को। अब ये हर जगह रोते हैं, छाती पीट पीटकर रोते हैं। नया मामला ''काँवड़ के फ्लैक्स पर आरक्षण विरोधी स्लोगन लिखकर 'भोलेनाथ' के सामने गुहार लगाने का है। हो सकता है संविधान से अनजान, भाँग के नशे में भोलेनाथ हाँ कर भी दे, तो जो आरक्षित वर्ग के मतिमूढ़ काँवड़ लेने जा रहे हैं, उनका क्या ????
    क्या उनको मिल पाएगी वो नौकरी, जिसकी आस में मुहँ उठाये चले गए हरिद्वार !! धर्म और भगवान के दरबार मे शूद्र की दशा नीच की ही रहती है। ये मामला धार्मिक सामंतवाद का है। ये दिखाता है कि धर्म को ये पाखंडी लोग मनचाहे, तोड़-मरोड़ सकते हैं।

    मैं काँवड़ लेने गए SC/ST/OBC के भाइयों से कहता हूं कि एक बार तुम लिखकर ले जाओ अपनी काँवड़ पर कि "आरक्षण हटेगा, तो देश बंटेगा" यही हरामखोर तुम्हे धर्म की दुहाई देते हुए नजर आएंगे !! और हो सकता है तुम जिंदा ही वापस न आ पाओ, इस स्लोगन के साथ।

    क्यों ???
    क्योंकि धर्म में तुम सिर्फ सेवादार हो, गुलाम हो, नीच हो।
    धार्मिक मंच पर तुम्हे अपनी बात कहने, अपना हक लेने की इजाजत ही नही। तुम्हे धर्म पर सवाल करने का, अपने अनुसार बदलाव करने का हक ही नही है, तुम सिर्फ सिर झुकाकर धर्म के शिखर पर बैठे पाखण्डियों के स्वार्थपूर्ण आदेशों का फ़रमान मानते रहो, बस .....।

    तुमने थोड़ा सोचना शुरू किया, ये डी जे की आवाज तेज करेंगे, या फिर जयकारों की, बोल बम.... अरे कौन सा बम यार ???
    खामोश तार्किक सोच को आस्था का शोर निगल जाता है।
    आरक्षण विरोधी स्वर 'संविधान' से परेशान हैं, ये धर्म का झंडा सिर्फ इसलिए उठाए हुए हैं, क्योंकि धर्म ने इनको मलाई काटने का सबसे पहला मौका दिया। ये लोग समाज में सबसे पहले खाना अपना हक समझते रहे हैं, उच्च समझते हैं खुद को, लेकिन संविधान इन्हें भीड़ में शामिल कर देता है, कोई वरीयता नही देता, बस यहीं इनका रोना है और यहां याद आता है इनको धर्म आधारित सनातन आरक्षण।

    धर्म का झंडा इसलिए उठाये हैं, क्योंकि यह वसीयत है इनके लिए। जबकि हमारे लिए धर्म एक पाखण्ड है, ठगी का तरीका है, भेदभावपूर्ण व्यवस्था है, नीचता का अहसास है, जातिवाद है, लूट-खसोट है, अंधविश्वास है, दमनकारी है, अवैज्ञानिक है और बेवजह का खर्चा है।

    तो क्या आरक्षण बिना, काँवड़ लाकर एक चपरासी भी बन पाएंगे हम और आप ????

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