Saturday, 5 August 2017

फेकने मे माहिर तुलसी दास

फेकने मे माहिर तुलसी दास के रोचक झूट

लंका मे जब लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा तब उनके प्राण बचाने के लिये सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान जी "संजीवनी बूटी" लेने #द्रोणागिरि पर्वत की ओर उड़े! 
लंका से द्रोणागिरि पर्वत की दूरी लगभग 3 हजार किमी० है!
हनुमान जी आधी रात को उड़े थे और रास्ते मे थोड़ा समय #कालनेमी ने बर्बाद किया, 
लौटते समय #भरत ने भी बाण मारकर कुछ समय नष्ट किया!

         हनुमान जी ने आने--जाने मे 6 हजार किमी० की यात्रा की, अगर ऐसा माना जाये कि उन्हे छः घन्टे लगे तब भी औसत चाल हुयी एक हजार किमी० प्रति घंटा,
अब पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 13 करोड़ 80 लाख किमी० है, तो हनुमान को बचपन मे कितना दिन लगेगा सूर्य तक पहुँचने मे,और फिर वापस पृथ्वी पर आने मे।

  तुलसीदास जी फेकने मे तो आप माहिर थे, अब जरा यह भी बताओ कि जो हनुमान जवानी मे हजार किमी० प्रति घंटा की चाल से उड़े, तो बचपन मे किस चाल से सूर्य की तरफ उड़े थे!

            बाबा तुलसी का झूठ देखो, वे लिखते हैं कि हनुमान सूर्य को निगलकर धरती पर वापस आकर बैठे थे और देवतागण विनती कर रहे थे कि सूर्य को बाहर निकालो! सूर्य, पृथ्वी से दर्जनो लाख गुना बड़ा है और उसे खाकर हनुमान जी पृथ्वी पर ही बैठे थे!

        दूसरी बात कोई भी बन्दर अगर केला भी खाता है तो उसे चबाकर खाता है, और हनुमान सूर्य को बिना चबाये ही निगल गये फिर देवताओं के कहने पर उसी स्थिति मे बाहर भी निकाल दिया!

    भला यह सम्भव है कि जो चीज मुँह से खायी जाये उसे मुँह से ही सही-सलामत वापस भी निकाल दिया जाये!

तुलसी बाबा के झूठ की झड़ी!!!!
मनुवाद के झूठ और पाखंड जिन पर हम आँख बंद करके  विश्वास कर लेते हैं। 
आईये जानते है कुछ ऐसी ही झूठी कहानियों को।
1- जब हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुंह में दबा लिया था तब सिर्फ भारत में अंधेरा हुआ था या पूरे विश्व में।

2- कृष्ण जी की गेंद यमुना में कैसे डूब गई, जबकि दुनिया की कोई गेंद पानी में नही डूब सकती।

3- कहा जाता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं जबकि उस समय भारत की कुल जनसंख्या भी 33 करोड़ नही थी।

4- भारत के अलावा और किसी देश में इन 33 करोड़ देवताओ में से सिर्फ भगवान बुद्ध के अलावा किसी देवताओ को नही पूजा जाता।

5- आरक्षण से पहले इनके बंदर भी उड़ते थे , ओर न जाने किस किस विधि से बच्चों का जन्म हो जाता था, परंतु जबसे आरक्षण लागू हुआ है इनके सारे आविष्कार बन्द हो गए।

6- जब एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति को बिना ग्रुप मिलाये हुए नही दिया जा सकता क्योंकि अगर  A positive वाले व्यक्ति को सिर्फ A positive वाले व्यक्ति का खून दिया जा सकता है अगर दूसरा खून दिया गया तो उस व्यक्ति की मौत हो सकती है। फिर इंसान रूपी गणेश के शरीर पर हाथी की गर्दन कैसे फिट हो गयी।

7- 33 करोड़ देवी देवताओं के होते हुए भी भारत हजारों साल कैसे गुलाम हो गया।

8- कोई भी देवता किसी शुद्र के घर पर पैदा क्यों नही हुआ।

9- इतने सारे देवी देवताओं के होते हुए भी शुद्र का विकास क्यों नही हुआ। उनके साथ भेदभाव क्यो हुआ।

जागो  और जगाओ साथियों


तुलसीदास ने रामचरित मानस मुगलकाल में लिखी , पर मुगलों की बुराई मे एक भी चौपाई नही लिखी ?
क्यों ?

क्या उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था ? हां उस समय हिंदू मुसलमान का मामला नहीं था
क्योंकि उस समय हिंदू नाम का कोई धर्म ही नहीं था

*तो फिर उस समय कौनसा धर्म था ?*

उस समय ब्राह्मण धर्म था और ब्राह्मण मुगलो के साथ मिलजुल कर  यहाँ तक कि आपस में रिश्तेदार बनकर भारत पर राज कर रहे थे उस समय वर्ण व्यवस्था थी , वर्ण व्यवस्था में शुद्र अधिकार वंचित था कार्य सिर्फ सेवा करना था मतलब सिधे शब्दों में गुलाम था

*तो फिर हिंदू नाम का धर्म कब से आया ?*

ब्राह्मण धर्म का नया नाम हिंदू तब आया जब वयस्क मताधिकार का मामला आया , जब इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार का कानून लागू हुआ

*तो ब्राह्मण धर्म खतरे में पड गया क्यों ?*

क्योंकि भारत में उस समय अँगरेजों का राज था वहाँ वयस्क मताधिकार लागू हुआ तो फिर भारत में तो होना ही था

ब्राह्मण 3.5% है
अल्पसंख्यक है
राज कैसे करेगा ?

ब्राह्मण धर्म के सारे ग्रन्थ शुद्रों के विरोध में मतलब  हक अधिकार छिन ने के लिए शुद्रों कि मानसिकता बनाने के लिए षड्यंत्र के रूप में आज का ओबीसी ही ब्राह्मण धर्म का शुद्र है

SC (अनुसूचित जाति)) के लोगों को तो अछुत घोषित कर वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा क्योंकि उन्होंने ही युरेशियन आर्यों से सबसे ज्यादा संघर्ष किया ,

ST (अनुसूचित जनजाति)के लोग तो जंगलों में थे उनसे ब्राह्मण धर्म को क्या खतरा उनको तो युरेशियन आर्यों के सिंधु घाटी सभ्यता  से संघर्ष के समय से ही वन में जाने रहने को मजबूर कर दिया उनको  वनवासी कह दिया

इसलिए ब्राह्मणों ने षड्यंत्र से हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया जिससे सबको समानता का अहसास हो
परन्तू ब्राह्मणों ने समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म कि ही रखी उसमें जातियां रखी जातियां ब्राह्मण धर्म का प्राण तत्व है इसके बिना ब्राह्मण का वर्चस्व खत्म है

इसलिए  उस समय हिंदू मुसलमान कि समस्या नहीं थी ब्राह्मण धर्म को जिंदा रखने के लिए वर्ण व्यवस्था थी
उसमें शुद्रों को गुलाम रखना था

इसलिए
तुलसीदास जी ने मुसलमानों केविरोध में नहीं शुद्रों के विरोध में गुलाम बनाए रखने के लिए लिखा

*ढोल गवार शुद्र पशु नारी*
*सकल ताडन के अधिकारी*

अब जब मुगल चले गये देश में SC/ST/  OBC के लोग ब्राह्मण धर्म के विरोध में ब्राह्मण धर्म के अन्याय अत्याचार से दुखी होकर इस्लाम अपना लिया तो ब्राह्मण  अगर मुसलमानों के विरोध में जाकर षड्यंत्र नहीं करेगा तो   SC/ST/OBC  के लोगों को प्रतिक्रिया से हिंदू बना कर
बहुसंख्यक लोगों का हिंदू के नाम पर ध्रूवीकरण करके अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक बनकर राज कैसे करेगा

इसलिए आज हिंदू मुसलमान कि समस्या देश में खडी कि गई तथा कथित हिंदू(  SC ST OBC) मुसलमान लडे तथाकथित हिंदू (SC ST OBC )मरे या मुस्लिम दोनों तरफ मूलनिवासी का मरना तय है

क्या कभी सुना है की किसी दंगे में
कोई ब्राह्मण मरा है जहर घोलनें वाले कभी जहर नहीं पिते हैं

इसलिए, युरेशियन सेफ का सेफ कोई दर्द नहीं


ना करो वन्दना उनकी, जिनको तुम जानते नही हो....
ना डरो तुम उनसे, जिनको तुम पहचानते नही हो...!!
क्यु उलझे हुए हो तुम, पाखंडियो के बनाये हुए भ्रम जाल मेँ...
जरा बाहर निकल कर तो देखो, बहुत सुखी रहोगे तुम संसार मेँ....!!
ना राम ने कुछ दिया है, ना कृष्ण ने कुछ दिया है...
हमको जो कुछ भी दिया है, #बाबा तेरे संविधान
 ने दिया है...!!
पूजते हो क्यु उनको, जिन्होने तुम्हारा शोषण किया है...
पुजते क्यु नही उनको, जिन्होने तुमको जीने का अधिकार दिया है...!!
पुजना है तो बेशक पूजो, लेकिन उनको जिन्होने तुम्हारे लिए संघर्ष किया है...
जिन्होने तुम्हारे लिए अपने जीवन का हर सुख और परिवार को भी न्यौछावर किया है....!!

"मैँ कैसे भूलूं उनके ऐहसानो को जिन्होने मुझे जीने का अधिकार दिया है"

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