Friday 25 August 2017

लालू प्रसाद यादव

*लालू प्रसाद यादव एक विचारधारा का नाम है,
 एक टेप चला कर उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता*
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*लालू यादव ने शंकराचार्य की नियुक्ति में की आरक्षण की मांग, ब्राह्म्णवादी तिलमिलाए ।*
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*लालू प्रसाद यादव' के नाम मात्र से सामन्तवाद की रूह कांप उठती है...*
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*बहुत जान बाकी है लालू यादव में , सारा सिस्टम…सारी सरकारी मशीनरी और कारपोरेट लालू यादव के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं| न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका तक , सड़क से लेकर संसद तक अगर ध्यान से देखा जाए तो लालू यादव को खलनायक साबित करने के लिए विरोधियों में गलाकाट प्रतियोगिता चल रही है| लालू यादव की हुंकार ने विरोधियों की नींद हराम कर दी है इसलिए साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिशें तेज है पर इन ताकतों को लालू यादव की ताकत का अंदाजा नहीं| लालू यादव की खासियत ये है कि जितना उन्हें परेशान करने की कोशिशें होती हैं वे और मजबूती के साथ उभर जाते हैं|*
*शहाबुद्दीन प्रकरण को कोर्ट देख रहा है और यह सर्वविदित है कि वे राष्ट्रीय जनता के नेता रहे हैं और हैं तो ऐसे में लालू यादव ने फोन फर उनसे बात करके कोई गुनाह कर दिया क्या ?*
*संविधान की कौन सी धारा में ऐसा लिखा है ? हाँ नैतिकता का तकाजा हो सकता है पर सारी नैतिकता का ठिका क्या लालू यादव ने ही ले रखा है ? नैतिकता तब क्यूँ नहीं सूझ रही थी जब सहारा बिरला कि डायरी में प्रधानमंत्री जी का नाम आया था |* *नरेंद्र मोदी सरकार लालू यादव के नाम से थरथर कांप रही है| राजगीर में लालू यादव के नए अवतार ने भाजपाईयों को भयभीत कर दिया है बस और कुछ नहीं|*
*लालू यादव सिर्फ एक व्यक्ति का नाम नहीं है । लालू यादव अपने आप में एक संस्थान है । आप साधारण घटना या साधारण तथ्यों से लालू यादव को सूचीबद्ध नहीं कर सकते है ।*
*आप एक घटना से अन्दाज लगाइए । लालू यादव जी को सांसद से हटाने और चुनाव लड़ने से रोकने के लिए देश का कानून बदल दिया जाता है ।*
 *संविधान में संशोधन कर दिए जाते है । आप मुझे बता दीजिए की विश्व इतिहास में ऐसा कभी हुआ था क्या ? अगर हाँ तो हमें ऐसी किसी घटना से लिंक कराइए । नहीं मिला न ।*
*और आप सोंचते है कि एक टेप चलाकर लालू यादव को सिमित कर देंगे तो फिर आप की बुद्धि विवेक पर हमें तरस आती है ।*
*लालू यादव को जेल में डाल दिए । संसद में रोक दिए । अब फांसी दे दीजिए । क्या फर्क पड़ेगा ? लालू को तो जो करना था वो कर चुके है ।*
*और बेहतर रोजगार -शिक्षा की बात कौन नहीं करना चाहता ? कौन नहीं चाहता की इस दिशा में बात हो ? मैंने स्वयं पिछले कई महीनो से बिहार की शिक्षा व्यवस्था और रोजगार पर बात करना चाहा । सैकड़ो पोस्ट भी लिखे । लेकिन कुछ लोगो को तो बस जाति पसन्द है । अर्णव जैसे लोग भी उसी कैटेगरी के है । नरेंद्र मोदी को लेकर अब तक दो टेप सार्वजनिक हुए है । एक लड़की के जासूसी तो दूसरा सहारा घोटाले की डील। लेकिन किसी मीडिया के लिए यह खबर नहीं बनी । क्यों नहीं बनी ? क्या मीडिया को मोदी का डर है ? और जो लोग लालू शहाबुद्दीन प्रकरण में हमें सिख दे रहे है वो मोदी वाले टेप की बात क्यों नहीं करते है ? आखिर वे उस मामले पर चुप क्यों है ? मोदी देश का पीएम है । उन पर ज्यादा चर्चा होनी चाहिए ।*
*लालू यादव क्या है ? कुछ भी तो नहीं है । विधायक तक वो बन नहीं सकते । फिर डर किस बात के ? इतनी जलन किस बात की ?*
*तो असल में यही जलन तो लालू यादव को बाकियो से अलग करता है । यही तो इन्हें महान बनाती है । आप जलन रखिये, क्या फर्क पड़ता है ?*
 *आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शंकराचार्य के पद पर चले आ रहे अघोषित आरक्षण पर प्रहार कर ब्राह्मणवाद पर हमला बोला है।*
 *उन्होंने कहा कि शंकराचार्य पद पर आरक्षण हो। शंकराचार्य के 4 में से 3 पद दलित, आदिवासी और पिछड़ों को मिले। हम इसके लिए आंदोलन करेंगे। उन्होंन सवाल उठाया कि क्यों ब्राह्मण ही शंकराचार्य बनते हैं? यह सामाजिक न्याय के खिलाफ है।*
*उनकी इस मांग के बाद सोशल मीडिया पर भी शंकराचार्य के पद को लेकर बहस तेज हो गई है।*
*इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर एक बहस शुरू हो गयी । लोग अपनी अपनी राय दे रहे थे । कुछ लोगों का मानना था कि लालू जी के इन बातों से सहमत है कि शंकराचार्य का पद किसी एक ही जाति के व्यक्ति को नहीं मिलना चाहिए । 1200 सालो से एक ही जाति के अंदर इस पद की मेरिट रही, विचारणीय है । ऐसा भला कैसे हो सकता है कि एक ही जाति के अंदर 1200 साल तक एक ही विशेष गुण समाहित रहे ।*
*वहीं कुछ लोग इस ट्वीट के बहाने लालू यादव की पार्टी में उनके परिवार के एकाधिकार पर सवाल उठा रहे थे । उनका कहना था कि ये कैसी सामाजिक न्याय की लड़ाई है जहां सिर्फ एक ही परिवार का आधिपत्य रहा है । वही दूसरी ओर भक्तों की एक बड़ी फौज लालूजी के परिवार और उनके निजी जीवन की धज्जियां उड़ाने व्यस्त थे और अपने संस्कार का परिचय दे रहे थे । बौखलाहट की तीव्रता इतनी अधिक थी मानों किसी परित्यक्ता स्त्री ने अपने अधिकार मांग लिए हो ।*
 *लोग कहते हैं कि हनुमान चालीसा पढ़ने से भूत-प्रेत भाग जाते हैं, अब यह तो निश्चित नहीं है कि कोई भूत-प्रेत है या नहीं अथवा हनुमान चालीसा पढ़ने से ऐसा कोई चमत्कार हो जाता है या नहीं पर यह तो निश्चित है कि वर्तमान सन्दर्भ में लालू प्रसाद यादव जी का नाम ऐसा नाम है जिसके उच्चारण मात्र से शोषण करने वाले अभिजात्य समाज का रोम-रोम फूट जाता है, अन्यायी मीडिया अपनी सारी मर्यादा भूल जाती है,साम्प्रदायिक ताकतें बिलबिला उठती हैं, सामाजिक न्याय विरोधी शक्तियां हाँफने और कांपने लगती हैं। लालू नाम ही इन धनजोर, मनजोर, बलजोर शक्तियों को कँपकँपी ला देता है क्योंकि यह लालू तनहीन, मनहीन, बलहीन, धनहीन लोगों की ताकत है, आवाज है और संघर्ष का प्रतीक है।*

*लालू प्रसाद यादव शोषक तबकों को गड़ते हैं क्योंकि वे पीड़ितों के लिए लड़ते हैं, सामंतवादियों को चुभते हैं क्योकि वे सामंती सत्ता को चोटिल करते हैं, साम्प्रदायिक लोगों को धँसते हैं क्योकि वे इन्हें छेड़ते हैं, पीड़ा देने वालो को अंदर तक सालते हैं क्योकि वे इन्हें ललकारते हैं। ऐसा हो भी क्यों नही क्योंकि लालू तो लालू हैं। लालू न झुकते हैं और न रुकते हैं। लालू को चाहे जितना दबाओ पर लालू ललकार हैं, हुंकार हैं और आंदोलन हैं।*
  *लालू प्रसाद यादव को इस देश का मुंहजोर तबका किसी कोण से बख्शा नहीं है पर लालू भी न हारे हैं और न थके हैं। लालू एक अपराजेय योद्धा की तरह अनवरत लड़ते रहे हैं और जंग फतह करते रहे है।*
*इस देश का अभिजात्य समाज लालू को क्या-क्या नहीं कहा और साबित किया है पर लालू ने निश्चिंत भाव से सदैव दलितों, पिछडो और अल्पसंख्यकों के हित में आवाज बुलंद की है, भले ही इसके एवज में उन्हें बहुत कुछ खोना पड़ा है लेकिन लालू न थके,न हारे और न निराश ही हुए है।*
*पटना विश्वविद्यालय का प्रेसीडेंट और कमेरे समुदाय का लोकतंत्र सेनानी जिसने देश मे तानाशाही के विरुद्ध सँघर्ष करते हुए अपना यौवन जेल में बिताया उसे अहीर होने की सजा भुगतनी पड़ी है।देश की अभिजात्य पोषक मीडिया लालू को चाराचोर सिद्ध करने में पूरी ताकत झोंक डाली।जिस लालू ने चाईबासा में स्कूटर के नम्बर पर ट्रक चलाने का फर्जीबाड़ा पकड़ा,मुकदमा लिखवाया,वही लालू चारा घोटाले के मुजरिम बना दिये गए।जगन्नाथ मिश्रा साहब के समय घोटाला हुवा और मुजरिम लालू जी भी बना दिये गए।एक ही अपराध में लालू जी को जेल और जगन्नाथ मिश्रा जी को बेल हो गयी।अद्भुत है यह इंतजाम जिसमे मिश्रा को बेल तो यादव को जेल हो जाता है।*
*लालू जी से अनायास ही मुंहजोर लोग नही जलते हैं,उसके पीछे कारण है क्योंकि लालू जी गलजोर लोगो की दवा हैं। लालू जी के शब्दो मे परमाणु बम सदृश विस्फोट है।लालू जी ने अपने राजनैतिक अभ्युदय काल मे जो ऐतिहासिक कार्य किये है वे देश की यथास्थितिवादी ताकतों के लिए नासूर है।लालू जी ने रामरथ रोक के देश की कम्युनल ताकतों को खुलेआम चुनौती दे डाली थी तो वहीं उन्होंने खुद को सोशल जस्टिश के मुद्दे में झोंक डाला था।मण्डल की लड़ाई को फतह करने के लिए लालू जी ने रामजेठमलानी जैसे ख्यातिप्राप्त वकील को खड़ा कर पिछड़े वर्गों को हक़ दिलाने की जोरदार पहल कर सम्पूर्ण सामाजिक न्याय विरोधी ताकतों को चुनौती दे डाली थी।*
 *कमेरे वर्गों को उनकी ताकत का अहसास दिलाने के लिए लालू जी कुर्ता के ऊपर बनियान पहन के सभाओं में जाते थे। सभा में जुटी भीड़ लालू जी के इस अनोखे अंदाज पर खूब लोटपोट होती थी लेकिन जब लालू जी इस अनोखे पहनावे की व्याख्या करते थे तो उसकी गूढ़ता का क्या पूछना? लालू जी कहते थे कि ऐ! शोषित-पीड़ित लोगों! यह बनियान हमेशा नीचे रहता है, पसीना खाता है और इसी की बदौलत कुर्ता और जैकेट इतराता है लेकिन बनियान को कभी भी तवज्जो नही मिलती है। यह लालू अब कुर्ता और जैकेट को नीचे तथा बनियान को ऊपर उठाने का संकल्प लेकर आपके बीच आया है।*
*लालू जी की 1990 के बाद  की कोई सभा बिना विवाद के सम्पन्न नही हुई क्योंकि लालू जी खरखोंच के बोलते थे। लालू जी बेलाग, बेलौस यथार्थ कहते थे और सामाजिक न्याय के लिए सतत संघर्ष करते थे। लालू जी की इसी अदा ने अन्य पिछड़े-दलित नेताओं की तुलना में उन्हें सर्वाधिक लोकप्रिय बनाया तो सामंती ताकतों का सबसे बड़ा प्रतिरोधक और मुखालिफ भी और यही कारण था कि देश की अभिजात्य समर्थक मीडिया,प्रशासनिक मशीनरी और दीगर ताकते उनको अपने दुश्मन की तरह ट्रीट कीं। लालू जी देश भर के चैतन्य समाज के आंख की किरकिरी बने तो वह तबका जिसके लिए लालू जी खलनायक सिद्ध किये गए उसने भी उनके ऊपर कहानियां बना डाली।बड़ा कठिन है भारतीय वर्ण व्यवस्था में इस जातिगत/वर्णगत अन्याय का प्रतिकार करना।*
*लालू जी ने एक बार ब्राह्मणवाद की खिल्ली उड़ाते हुए लालकिला के मैदान में कहा था कि ब्राह्मणवाद हमारे रोम-रोम में बसा हुआ है। जनेऊ पहनने वाले श्रेष्ठ तो जनेऊ न पहनने वाले को निम्न माना जाता है। उन्होंने कहा था कि कान पर जनेऊ लपेटके कुछ लोग छुल-छुल पेशाब करते हैं जबकि मैं बिना कान पर जनेऊ लपेटे हद-हद,हद-हद मूतता हूँ। लालू जी के इस व्यक्तव्य में कुछ लोग भद्दगी तलाशेंगे लेकिन लालू जी के इस ठेठ बोल में पाखण्ड, अंधविश्वास और ब्राह्मणवाद पर करारा प्रहार है। लालू जी पोथी-पतरा फूंकने, मठों और मंदिरों की जमीन गरीबो में बांटने की बात कह एक नयी क्रांति का आगाज किये थे जिसे मनुवादियो ने उन्हें अपने मकड़जाल में फँसाके गुम सा कर दिया।*
*लालू जी साम्प्रदायिकता के सबसे बड़े मुखालिफ के रूप में देश मे जाने जाते हैं। लालू जी ने आडवाणी जी के अश्वमेध के घोड़े सरीखे रथ को रोक के देश ही नहीं वरन दुनिया में एक ऐसा झंडा गाड़ दिया था जिसे हाल-फिलहाल शायद ही कोई दूसरा दुहरा पाए। लालू जी ने अकेले अपने वैचारिक प्रतिबद्धता और उस पर पूरी अक्खड़ता से कायम रहते हुए मोदी जी के कथित मोदी लहर को बिहार में फुस्स कर यह दिखा दिया कि लालू में अभी बहुत दम है।मोदी जी बिहार में हांकते रह गए पर लालू जी के सामने उनकी एक न चल सकी। लालू जी ने बिहार में मोदी जी को ऐसी पटखनी दी कि वे यूपी में जीत कर उससे उबर पाए हैं। लालू जी पर उनकी अक्खड़ता, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता एवं सेक्युलर प्रबृत्ति के कारण बराबर हमले होते रहते हैं। लालू जी के चरित्र हनन से लेकर उनके राजनैतिक जीवन पर कई-कई बार ग्रहण लगाए गए हैं पर लालू हैं कि एक नई स्फूर्ति के साथ हर बार बाहर निकल आते हैं। पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से जोड़के लालू जी की छबि को धूमिल करने की कुचेष्टा साम्प्रदायिक ताकतों के इशारे पर शुरू है लेकिन जनता सब जानती है।यह मीडिया लालू जी के ऊपर कीचड़ उछालने का कोई प्रयत्न छोड़ती नही है लेकिन लालू जी अपनी सामाजिक न्याय एवं सेक्युलरिज्म की प्रतिबद्धता से कभी किनारा नही करते हैं। लालू जी ने यदि अपने दल के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से बात कर लिया तो वह इशू बनता है लेकिन अमित शाह जी का अपराध उनके लिए स्वर्ण पदक होता है। लालू जी राजनेता होते हुए अपराधी सरीखे देखे जाते हैं जबकि केशव मौर्य जी दर्जनों आपराधिक मुकदमो में फंसे होने के बावजूद रामभक्त हैं।*
*लालू जी पर किसी भी तरह का हमला एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। लालू जी हम सबके नायक हैं, सामाजिक न्याय के मजबूत अलमबरदार हैं। हम सभी लालू जी के मुहिम को और तेज बनाएं और लालू जी के मिशन पर आगे बढ़ें वरना देश एक नए फासीवाद में फंस जाएगा।*
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*1988 से लेकर अब तक लालुजी को जो समझा है उसी  पर अधारीत मेरा  उपयुक्त संवाद*
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*प्रेषक-नरेंद्र मोहन*
*(a liaisoner)*


 हाल-फिलहाल सम्पूर्ण भारतवर्ष में लालू प्रसाद यादव जी से बड़ा सामाजिक न्याय का अलमबरदार और सेक्युलरिज्म का झंडाबरदार कोई नही दिख रहा है।यह लालू सचमुच लालू है जिसमे दुश्मनो से मुकाबला करने की असीम ऊर्जा,अनन्त दुश्वारियों को सहने की क्षमता,समता-समानता के लिए संघर्ष की अदम्य शक्ति,अपनो के प्रति अतुलनीय भक्ति,साम्प्रदायिकता के नाश का जज्बा,गरल पीने और अमृत बांटने की हिम्मत,एक साथ सहस्त्रो वार बर्दाश्त करने की ताकत इस लालू में है।यह लालू न डरने वाला है,न टूटने वाला है और न झुकने वाला है।इस लालू को जितना दबाया जाएगा,यह उतना ही उबाल खायेगा,उछलेगा और पहाड़ बनकर दबाने वालो पर गिरेगा।यह लालू अटल है,यह लालू अमोघ है,ये लालू अनश्वर है और यह लालू अपराजेय है।
       यह लालू कोई लाह का टोटा या कोई कुम्हड़ का बतिया थोड़े न है कि जो आंख तरेरने और तर्जनी दिखाने से मुरझा जाएगा।लालू पटना यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति का तपा हुवा कुंदन है,लालू जेपी मूवमेंट का ट्रेंड समाजवादी कार्यकर्ता है,लालू इमरजेंसी झेल चुका देश का लोकतंत्र सेनानी है,लालू अभिजात्य समाज की नफरत के खौलते कड़ाह से तलकर साबुत निकला योद्धा है,लालू वंचितों की वकालत के कारण केंद्र की सामंती हुकूमतों द्वारा क्रश किया गया ऐसा हीरा है जिसे जितना तोड़ो,वह उतना ही चटकदार बनता जाएगा।
       लालू में हिम्मत का विशाल भंडार है।लालू में जनमत का अपार खजाना है।लालू को गरीबो का असीम प्यार है।लालू को शोषितों का बेसुमार आशीर्वाद है।लालू को देश के अकलियत तबको का बेइन्तहा दुलार है।लालू कोई एक लालू थोड़े न है,लालू तो अथाह है,अनन्त है,असीम है।लालू इस देश के गरीबो,किसानों,मजलूमों, मजबूरों,शोषितों,पीड़ितों,पिछ्डों, दलितों,अकलियतों के दिलों में हैं।ऐ!सामंती लोगों! वहां तुम्हारा छापा कैसे पड़ेगा,जहां (करोड़ो दिलों में) लालू अमिट रूप में अंकित है।लालू तो अब अजर-अमर हो गया है गरीबो की आह में,उनके वाह-वाह में।लालू को दबाना,मिटाना,घटाना, हटाना अब दुरूह है मनुवाद के पोषक लोगो!लालू अब आलू की तरह है मतलब बकौल लालू प्रसाद यादव "जब तक आलू है तब तक लालू है।"
         देश की सरकार में कांग्रेस रही तो भी लालू पर सीबीआई का छापा, भाजपा की है तो भी सीबीआई का छापा,आखिर लालू में ऐसा क्या है कि कांग्रेस की सरकार हो तो भी और भाजपा की सरकार हो तो भी सीबीआई का छापा केवल लालू के वहां ही पड़ता है?आखिर क्यों लालू को ही चुनाव लड़ने से रोकने के लिए राहुल गांधी सन्सद में प्रस्तावित बिल फाड़ कर फेंक डालते हैं?
       क्या लालू का मण्डल प्रेम उन्हें सबकी नजर की किरकिरी बनाये हुए है?क्या लालू के आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में रामजेठमलानी जी सहित वकीलों का पूरा समूह खड़ा करना लोगो को सालता है?क्या धर्मनिरपेक्षता की नीति के लिए खुद के सरकार की कुर्बानी तक देने को तैयार रहे लालू सभी को गड़ते हैं?क्या लालू द्वारा वंचितों में नेतृत्व पैदा कर उन्हें राजसत्ता की भूख जगाना,सबको परेशान किये हुए है?क्या महिला आरक्षण बिल का प्रतिकार करना लालू को भारी पड़ रहा है?क्या जातिवार जनगड़ना का प्रबल समर्थन करना लालू को बैरी बनाये हुए है?क्या लालू का गरीबो के पक्ष में मजबूती से खड़े रहना सबको परेशान किये हुए है?आखिर लालू को ही दशकों से क्यो टारगेट की हुई हैं केंद्र की सरकारें?
         लालू प्रसाद यादव चारा चोर है क्योंकि उन्होंने चाईबासा कोषागार (अब झारखंड)में हुई लूट को संज्ञान में लेकर सबसे पहले जांच शुरू कराई थी और एफआईआर दर्ज कराया था।कोई बुद्धिजीवी या हमारे वंचित समाज का तथाकथित समझदार आदमी जो लालू जी का आलोचक है,प्रातः स्मरणीय श्री जगन्नाथ मिश्र जी को चारा चोर कहता है?अरे बौद्धिक बेईमानों! जिस जगन्नाथ मिश्र ने चारा घोटाला कराया ,उसे चारा चोर नही बोलते और बचपन से अब तक चारा खिलाने वाला लालू चारा चोर हो गया?जिस लालू के पुरखे गोपाल हैं,जिस लालू का पुश्तैनी पेशा पशुपालन और चारा खिलाना है वह लालू चारा चोर और वे लोग जो पशुओं का पशुशाला खोलके उनका अनुदान गटक जाते हैं,सैकड़ो गाये उनकी पशुशाला में मृतक पाई जाती हैं वे गोभक्त?अजब पैमाना है,गजब जमाना है?
       लालू जी जब दशक पूर्व रेलमंत्री थे तो उनके बेटे नाबालिग थे,बेटी पढ़ रही थी,पत्नी का रेल मंत्रालय से कोई मतलब नही था लेकिन दशक बाद रेल घोटाला के नाम पर ये सभी मुजरिम बनाये जा रहे हैं।लालू जी ने बिना किराया बढ़ाये घाटे में अरसे से चल रही रेल को मुनाफे में लाया।लालू जी के इस चमत्कार से चतकृत हो दुनिया की यूनिवर्सिटियां उन्हें ब्याख्यान पर बुलाईं।लालू जी विश्व मे ऐसे गुरु बनकर उभरे कि जो बिना दाम बढ़ाये जन सुविधाएं देते हुए विभाग को घाटे से मुनाफे में ला दे।यह तिलिस्म और जादू लालू जी की नीति,सोच और कार्यपरायणता में था।लालू जी ने लम्बे समय तक कोई किराया नही बढ़ाया लेकिन रेल को रेलकर मुनाफा दिलाया।
     लालू पशुपालक घर के निकले नेता हैं।उन्हें पता है कि गाय के रूप में अपनी पूंजी सुरक्षित रख कैसे उससे दूध,दही,घी,छाछ,मक्खन,पनीर,राबड़ी,खोवा आदि निकाला जाता है,कैसे उसके गोबर तक से खाद और उपला बनाके अतिरिक्त मुनाफा कमाया जाता है?लालू जी ने अपनी बुद्धि से ऐसी तकनीक अपनायी कि "आम के आम,गुठलियों के दाम" की कहावत को चरितार्थ कर डाला।लालू जी ने रेलवे मिनिस्टर रहते हुए बुजुर्गों,महिलाओं,विकलांगो को खूब सुविधाएं दीं, स्टेशन,रेलपथ,कर्मचारी आदि सभी लालू जी के साथ सुकून पाए।लालू जी उद्योग गुरु बनके उभरे।दुनिया के उद्योगपति लालू जी के गुर को सीखने हेतु लालायित दिखे और अब भाजपा की सरकार को दशक भर बाद उस लालू में रेल घोटाला नजर आ रहा है।
         भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार ने दुनिया के इतिहास में अकेले भारत मे सरकारी कम्पनियों को बेचने हेतु विनिवेश मंत्रालय बना दिया था जिसने औने-पौने दाम में सरकार की मुनाफे तक कि कम्पनियों को बेच डाला था।बाल्को गवाह है इसकी जो लाभ में चल रही थी और अटल जी की भाजपा की सरकार ने उसे अत्यन्त ही न्यूनतम दाम में बेच डाला।क्या ऐसे साक्षात भ्रष्टाचारों की जांच और उन गुनाहगारो पर कार्यवाही होगी?नही होगी क्योंकि वे सभी प्रभु वर्ग के लोग हैं।ककड़ी का चोर फांसी पर लटकाया जाएगा जबकि विजय माल्या,ललित मोदी आदि प्रभु वर्ग का होने का लाभ उठाएंगे और मनु के विधान के अनुसार दुष्कर्म करने के बावजूद सम्मान पाएंगे।
        आखिर लालू जी को विधानसभा एवं लोकसभा में प्रविष्ट होने देने से क्यो रोका जा रहा है?लालू जी से किसे डर है?लालू जी किसकी सेहत के लिए फायदेमंद नही हैं?लालू जी को और उनके परिवार को तबाह करने की साजिश क्यो हो रही है?लालू जी मे ऐसा क्या है कि जमाने भर के लोग उन्हें समूल मिटाने पर तुले हैं?जो आदमी गरीबों की मदद करता हो,जो व्यक्ति विचारधारा पर अटल रहता हो,जिसकी सोच स्पष्ट हो उसे कांग्रेस या भाजपा क्यो तोड़ना चाहती है?यह लालू इनके लिए बला क्यो है?लालू ने क्या किसका बिगाड़ा है?लालू ही आंखों में किरकिरी क्यो है?लालू पर छापो का निहितार्थ क्या है?क्या इस देश मे लालू अकेला चोर है?
          असल मे लालू आधुनिक समुद्र मंथन का अकेला ऐसा आधुनिक राहु-केतु है जिसे पता है कि अमृत कौन चुराए हुए है।वंचितों का हक कौन लूटे हुए है।सत्ता की चाभी कहाँ है?कहाँ वॉर किया जाएगा तो शोषित लोग शोषण मुक्त होंगे?भाजपा मुखिया का प्राण किस तोते में है?लालू को सटीक इल्म है कि 2019 में भाजपाइयों को सत्ताच्युत करने का फार्मूला क्या है?
          लालू जी ने 2019 में भाजपा को परास्त करने का जो खाका तैयार किया है उससे पूरी भाजपा,संघ,पूंजीपति,मीडिया और मनुवादी जमात घबराई हुई है।बिहार के असेम्बली इलेक्शन को पूरा देश देख चुका है कि एक तरफ पूरी मोदी जी की सेना चाक-चौबंद हथियारों से लैश खड़ी थी तो दूसरी तरफ अभिमन्यु की तरह बूढ़ा लालू पहड़ रहा था।संघ,भाजपा,मीडिया,सामंती ताकतें,साम्प्रदायिकता का जहर बिहार में फुंफकार रहा था तो लालू जैसा गोपाल बंशज साम्प्रदायिकता के फुंफकार को विषहीन कर कालीनाग मर्दन कर रहा था।लालू ने मोदी लहर को बिहार में अकेले अपने बूते रोक दिया था।भाजपा बखूबी समझ रही है कि यदि 2019 में लालू छुट्टा रहा तो भाजपा को विषहीन कर उसके विषदंत निकाल डालेगा,इसीलिए केंद्र की सरकार चुनाव पूर्व ही लालू को निबटा देना चाहती है।
       दुनिया के इतिहास में ऐसा कभी नही दिखा कि कोई व्यक्ति लम्बे समय पूर्व किसी पद पर रहा हो,उसने अपने विभाग को घाटे से लाभ में लाया हो, उसे दशक भर बाद कहा जाए कि इसने अपने उस विभाग में घोटाला किया है।अजीब दास्तां है चारा चोरी की एफआईआर कराने वाला लालू मुजरिम हो गया,रेल को घाटे से उबार के बिना जनता पर भार बढ़ाये मुनाफे में लाने वाला लालू रेल घोटालेबाज हो गया?वाह भाई वाह! अजीब पैमाना है साकी तेरे मैखाने का?जो गुनहगार न हो वह सजा पाए और जिसके पोर-पोर में भ्रष्टाचार हो वह हरिश्चंद्र का तगमा लिए घूमे।
        लालू जी बिहार में राजद,जद यू एवं कांग्रेस गठबंधन को अटूट बनाये रखना चाहते हैं तो यूपी में सपा,बसपा और कांग्रेस का गठबंधन करवाना चाह रहे हैं।यूपी और बिहार में यदि यह गठबंधन बनकर कायम हो गया तो तय मानिए कि भाजपा की 120 सीटें उसी क्षण घट जाएंगी और भाजपा कुल के बावजूद लुल हो जाएगी।जिस दिन यूपी/बिहार में यह गठबंधन बन गया उसी दिन से भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।भाजपा की सबसे बड़ी बेचैनी यही है कि यह बूढ़ा लालू यदि परेशान न हुवा,निश्चिंत रहा तो यूपी/बिहार में यह गठबंधन करवाके "मोदी-मोदी" की हवा निकाल देगा।

        सीबीआई के द्वारा केंद्र की भाजपा सरकार लालू जी को भयग्रस्त कर रही है।उनके पूरे परिवार को षणयंत्र के तहत फंसाने का दुष्चक्र कर रही है।लालू जी वैदिक  असुर नायक कृष्ण की तरह इंद्र और इंद्र की चालबाज सेना से भिंडे हुए हैं।इस देश के वंचितों के लिए अकेला लालू लड़ रहा है जिसका कहना है कि "हम मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा और मोदी सरकार को हटाकर ही दम लेंगे।"

 लालू जी को चाराचोर बनाने का सच-
एक आईपीएस एपी दुराई (जांच अधिकारी-पशुपालन घोटाला) ने माना कि लालू जी को षणयंत्र के तहत फंसाया गया.....
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        कर्नाटक के पूर्व डीजीपी एवं चारा घोटाले के मुख्य जांच अधिकारी श्री एपी दुराई (IPS) ने अपनी आत्मकथा "परसूट आफ ला एंड ऑर्डर"(Pursuit of law and order) में अध्याय 26 "द सीबीआई वर्सेज लालू प्रसाद यादव" (The CBI Vs Lalu Prasad Yadav)  में पृष्ठ 230,231,232 में लिखा है कि सीबीआई ने अपने द्वारा दायर 49 मुकदमो में से 7 में लालू प्रसाद यादव जी को मुजरिम बनाया है।उन्होंने लिखा है कि लालू प्रसाद यादव एवं कुछ आईएएस को फंसाने का गम्भीर षणयंत्र किया गया।देश की न्यायिक व्यवस्था में ऐसा होना ठीक नही है।मीडिया ने भी लालू प्रसाद यादव को बिना मुजरिम सिद्ध हुए खुद ही ट्रायल कर उन्हें अपराधी घोषित कर दिया।
         आईपीएस अधिकारी एपी दुराई की यह स्वीकारोक्ति इस देश के बहुजन,शोषित,दमित समाज को हजार वर्षों से अपराधी,नकारा,असुर,राक्षस आदि घोषित करने की निकृष्ट परम्परा को उद्घाटित करता है।एपी दुराई साहब ने जो कुछ भी अपनी किताब में खुद की आत्मकथा में लिखा है वह वंचित समाज की ऐसी व्यथा कथा है जो शायद ही सुनने को मिले।यह देश और इस देश का तथाकथित बुद्धिजीवी जो सदैव ही परजीवी रहा है कमरों/अर्जकों/उत्पादकों की कमाई का,वह सर्वदा ही श्रम करने वालो को हिकारत की नजर से देखता रहा है और गाहे-बगाहे जब भी मौका पाया है उन्हें अपमानित व लांछित कर ने का कुकर्म किया है जिसका एक घृणित उदाहरण लालू प्रसाद यादव जी को चारा चोर सिद्ध कर डालने का षणयंत्र करना है।
        एपी दुराई जी ने जो इस पशुपालन घोटाले के जांच अधिकारी थे ,स्पष्ट कर दिया है कि लालू जी को व कुछ आईएएस को फंसाने की गहरी साजिश हुई।आखिर लालू जी को फंसाने की साजिश क्यो हुई?आखिर वह लालू जिन्होंने शिवहर कोषागार में हुए खेल का खुलासा कर रपट दर्ज कराया वही लालू मुजरिम क्यो और कैसे हो गये?वह जगन्नाथ मिश्र जिसने इस पशुपालन घोटाले का सृजन किया वह चाराचोर न होकर पण्डित जगन्नाथ मिश्र और खेल को उजागर करने वाले लालू प्रसाद यादव चाराचोर?-अद्भुत ब्याख्या है इस देश का।
         मैं समझता हूं लालू प्रसाद यादव जी का अहीर/पिछड़ा होना ही उन्हें अपराधी घोषित करने के लिए काफी था।सीबीआई द्वारा लालू जी को क्रश करने की योजना को मूर्त रूप दिया गया क्योकि लालू जी इस देश की हजार वर्ष पुरानी सनातन एवं जड़ हो चुकी व्यवस्था को चुनौती दे दिए थे।लालू जी ने रामरथ रोक दिया था।लालू जी ने आरक्षण के लिए पुरजोर जोर लगा दिया था।लालू जी ने मण्डल कमीशन को लागू करवाने के लिए अपनी पूरी पूंजी/ताकत झोंक डाली।लालू जी ने रामजेठमलानी जी को मण्डल कमीशन के केस का वकील हायर कर सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर लड़ाई लड़ने का कार्य किया।लालू जी ने बिहार में मनहीनो को भी जीवंतता दी।दमित-पीड़ित लोग अब लालू जी के कारण बोलने लगे।
         लालू प्रसाद यादव जी वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य के ऐसे महानायक हैं जिन्हें घटा करके कोई राजनीतिक गठबन्धन नही हो सकता है। लालू जी सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सद्भावना के लिए अपरिहार्य  हैं।लालू जी के मान मर्दन का लगातार प्रयास जारी है ।
(आभार श्री जयंती भाई मनानी जी को जिन्होंने इस पुस्तक "परसूट आफ ला एन्ड आर्डर" के उक्त पन्नो को अपने फेसबुक अकाउंट पर डाला।)



शेरे बिहार लालू प्रसाद यादव को किस तरह से चारा घोटाला में फंसाया गया सुनिए पूर्व आईपीएस व चारा घोटाला के मुख्य जाँच अधिकारी एपी दुराई (IPS) की जुबानी

कर्नाटक के पूर्व डीजीपी एवं चारा घोटाले के मुख्य जांच अधिकारी एपी दुराई (IPS) ने अपनी आत्मकथा “परसूट आफ ला एंड ऑर्डर” (Pursuit of law and order) में अध्याय 26 “द सीबीआई वर्सेज लालू प्रसाद यादव” (The CBI Vs Lalu Prasad Yadav) में पृष्ठ 230, 231, 232 में लिखा है कि सीबीआई ने अपने द्वारा दायर 49 मुकदमो में से 7 में लालू प्रसाद यादव को मुजरिम बनाया है। उन्होंने लिखा है कि लालू प्रसाद यादव एवं कुछ आईएएस को फंसाने का गम्भीर षड़यंत्र किया गया। देश की न्यायिक व्यवस्था में ऐसा होना ठीक नही है। मीडिया ने भी लालू प्रसाद यादव को बिना मुजरिम सिद्ध हुए खुद ही ट्रायल कर उन्हें अपराधी घोषित कर दिया।

आईपीएस अधिकारी एपी दुराई की यह स्वीकारोक्ति इस देश के बहुजन, शोषित, दमित समाज को हजार वर्षों से अपराधी, नकारा, असुर, राक्षस आदि घोषित करने की निकृष्ट परम्परा को उद्घाटित करता है। एपी दुराई साहब ने जो कुछ भी अपनी किताब में खुद की आत्मकथा में लिखा है वह वंचित समाज की ऐसी व्यथा कथा है जो शायद ही सुनने को मिले। यह देश और इस देश का तथाकथित बुद्धिजीवी जो सदैव ही परजीवी रहा है कमरों/अर्जकों/उत्पादकों की कमाई का, वह सर्वदा ही श्रम करने वालो को हिकारत की नजर से देखता रहा है और गाहे-बगाहे जब भी मौका पाया है उन्हें अपमानित व लांछित कर ने का कुकर्म किया है जिसका एक घृणित उदाहरण लालू प्रसाद यादव को चारा चोर सिद्ध कर डालने का षणयंत्र करना है।

एपी दुराई ने जो इस पशुपालन घोटाले के जांच अधिकारी थे, स्पष्ट कर दिया है कि लालू को व कुछ आईएएस को फंसाने की गहरी साजिश हुई। आखिर लालू को फंसाने की साजिश क्यो हुई? आखिर वह लालू जिन्होंने शिवहर कोषागार में हुए खेल का खुलासा कर रपट दर्ज कराया वही लालू मुजरिम क्यों और कैसे हो गये? वह जगन्नाथ मिश्र जिसने इस पशुपालन घोटाले का सृजन किया वह चाराचोर न होकर पण्डित जगन्नाथ मिश्र और खेल को उजागर करने वाले लालू प्रसाद यादव चारा चोर? -अद्भुत ब्याख्या है इस देश का।

मैं समझता हूं लालू प्रसाद यादव का अहीर/पिछड़ा होना ही उन्हें अपराधी घोषित करने के लिए काफी था। सीबीआई द्वारा लालू को क्रश करने की योजना को मूर्त रूप दिया गया क्योंकि लालू इस देश की हजार वर्ष पुरानी सनातन एवं जड़ हो चुकी व्यवस्था को चुनौती दे दिए थे। लालू ने रामरथ रोक दिया था। लालू ने आरक्षण के लिए पुरजोर जोर लगा दिया था। लालू ने मण्डल कमीशन को लागू करवाने के लिए अपनी पूरी पूंजी/ताकत झोंक डाली। लालू ने रामजेठमलानी को मण्डल कमीशन के केस का वकील हायर कर सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर लड़ाई लड़ने का कार्य किया। लालू जी ने बिहार में मनहीनो को भी जीवंतता दी। दमित-पीड़ित लोग अब लालू के कारण बोलने लगे।



लालू प्रसाद यादव वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य के ऐसे महानायक हैं जिन्हें घटा करके कोई राजनीतिक गठबन्धन नही हो सकता है। लालू सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सद्भावना के लिए अपरिहार्य हैं। लालू के मान मर्दन का लगातार प्रयास जारी है ।


लालू यादव ये नहीं कहता कि हमको राजपूत से दिक़्क़त है। ब्राम्भन से दिक़्क़त है।
बल्कि लालू यादव ये कहता है की।  हमे उन जुलमियो से दिक़्क़त है।  जो हर एक जाती में हीन भावनाओ से अपनी अपनी जाती के गरीब लोगो को प्रताड़ित करते है।
 रघुवंश प्रसाद जी ने कहा है कि जो लालू के दिल को भावनाओ को समझ लेगा वो लालू को कभी नहीं छोड़ेगा । और  बहुत सारे  लोग है..इनके जाती से, जो राजनीती के Abcd के सुरुआत भी यही से मतलब(The politics institute of lalu) किये है ,और फिर बाद में MLA ,MP होने के बाद दलबदलू हो गए है। Bihar में बीजेपी तथा NDA में 75% नेता लालू के ही  प्रोडक्ट है। और इसका लिस्ट बहुत लंबा भी है। लालू जी हमेशा कहते रहे है की गरीब लोग हमारे साथ रहे चाहे वो किसी भी जाति से क्यों न हो, हमे समाज में समाज में किसी को प्रताड़ित करना देखा नहीं जाता
क्योंकि समाज में प्रताड़ित  वही होता है। जो धन तन बल से गरीब होता है। और उन गरीबो के साथ मैं हमेशा रहूँगा।,,, शायद आपको याद नहीं होगा ।
देश आजाद होने के बाद जब हम सब एक स्वतंत्र भारत के एक स्वतंत्र नागरिक थे तब भी हमारे समाज में सभी जाती के गरीब लोग वर्षो तक अमीरों को गुलामी करते रहे है ।,,,जिसका विरोध अगर कोई किया है। तो वो सिर्फ लालू यादव ही है।,उस प्रथा को हटाया है तो वो सिर्फ लालू यादव ही है । ।  गरीबो को आगे बढ़ने के लिए जो हौसला दिया है। जो आवाज दिया है। जो गरीबो को मान सम्मान से जीना सिखाया है। वो शख्स सिर्फ लालू यादव ही  है। हमें पता है कि आपको यकीन नहीं हुआ होगा,
आप इस चीज को अपने पूर्वजो से पूछिएगा, सच्चाई और इंसानियत के तराजू पर तौल के देखिएगा परिणाम सामने आ जायेगा
आज हम देखते है  जिनके बाप-दादा ब्राह्मणवादियों रूढ़िवादियों व सामांत्वादियों के सामने खटिया पर नहीं बैठता था, उसके बेटे पोते पूछता है लालू ने क्या किया,??
हा हा मैं बता देता हूं कि लालू ने क्या किया लालू तुझे आज बोलने के लिए जुबान दिया जिसके लिए तुम्हारे पूर्वज तरसते थे । और बताऊँ तो कान खोलकर सुन लो:-
लालू प्रसाद यादव को कोसने वाला पिछड़ा और दलित वर्ग के युवा तुम्हे 90 के दशक से पहले होश संभाल चुके अपने परिवार के सदस्यो से पूछना चाहिए कि कैसे उनके दादा व बाबा सामंतो के सामने चारपाई पर नहीं बैठते थे और सॉमंतो के ऐसे बच्चे जो अपना निक्कर तक नहीं बांध पाते थे उनके फससामने तुम्हारे बाप- दादा कैसे हाथ जोडकर मालिक कहकर नमस्ते किया करते थे?? बिहार के दलितो और पिछड़ों एक बात कान खोलकर सुन लो तुम्हारे मुँह मे जो 72 इंच की जुबान है न वह लालू जी की दी हुई है वरना तुम भी हाथ जोडे सामंती मालिक के सामने झुके रहते !!
लालू लालू है। न कोई दूसरा पैदा हुआ है  और न कोई होगा।। कितने मसहूर हो गए इनको बदनाम करते करते । नाम भी बता दे क्या(नितीश,रामबिलास,सुशिल मोदी)और बहुत सारे है । अभी भी होश है। सम्भल जाओ....?
नहीं तो रोज रोज कोई लालू पैदा नहीं होगा तुम्हारे आवजो को बुलंद करने के लिए,

और हमारे पूर्वज 90 और उसके पहले के दसक को देखे है ।  और उसके किस्से भी सुने है । कभी टाइम निकाल के तुम भी सुन लेना।मैंने तो तय कर लिया है।

3 comments:

  1. *राज्यसभा में हिन्दू वर्णव्यवस्था पर टिप्पणी समाजवादी पार्टी के सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने OBC वर्णव्यवस्था अनुसार शुद्र है और उनके साथ 5000 वर्षो से शोषण हो रहा है क्रीमीलेयर जैसे गम्भीर विषय पर तार्किक टिप्पणी साथ ही संविधान निर्माता के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त की एक बार हर ओबीसी को देखना अति आवश्यक है* https://youtu.be/48rK3H_-ItA

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  2. मोदी जी की शिक्षा का अता-पता नही है पर वे मोदी जी है क्योंकि वे अभिजात्य समाज की पार्टी के एक कार्यकर्ता हैं पर लालू जी, ललुआ हैं जबकि वे पटना यूनिवर्सिटी से स्नातक ही नही है बल्कि उसके छात्रसंघ प्रेसीडेंट भी रहे हैं वह भी तब जब किसी पिछड़े/दलित का छात्रसंघ चुनाव लड़ना दूभर था, जीतना तो दूर की बात है लेकिन लालू जी कभी भी सामन्तो, दबंगो या अभिजात्य समाज के लोगो द्वारा सम्मानजनक तरीके से सम्बोधित नही किये गए। आखिर इसका कारण क्या है कि सभी के सभी लालू जी के पीछे पड़े हुए हैं? जरूर कोई गम्भीर कारण होगा कि लालू जी को देश का सम्पन्न, शिक्षित, अभिजात्य तबका हर क्षण अपमानित करने पर तुला रहता है।लालू जी ने किसी का न खेत काटा है,न जान मारा है,न नुकसान किया है लेकिन फिर भी लालू जी के प्रति दुर्भावना का कारण जरूर अत्यंत ही गम्भीर होगा।

    भारतीय धर्म शास्त्र इस देश के मूल निवासियों को गुलाम बनाने के लिए जिस शस्त्र का ईजाद किये है वह यह है कि इन 85 फीसद भारत के मूल निवासियों को शिक्षा से वंचित कर दो, इसके लिए एक से एक क्रूरतम उपाय ढूंढे गए और उन्हें क्रियान्वित किया गया है। मेरी समझ से लालू प्रसाद यादव जी का सबसे बड़ा गुनाह यही है कि उन्होंने वंचितों को शिक्षा से वंचित करने के नुस्खों को फाड़ डाला तथा इन वंचित तबकों को शिक्षा से सिंचित करने का इंतजाम कर डाला।


    बिखण्डित बिहार में कुल 14 विश्वविद्यालय हैं जिनमे एक मुक्त विश्वविद्यालय,दो प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एक संस्कृत व एक अरबी फारसी तथा नौ अन्य विश्वविद्यालय हैं। लालू प्रसाद यादव जी ने इन नौ अन्य विश्वविद्यालयो में 1990 में जयप्रकाश विश्वविद्यालय-छपरा,1992 में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय-आरा एवं वी एन मण्डल विश्वविद्यालय- मधेपुरा खोला। संस्कृत विश्वविद्यालय के मुकाबले अकलियत के लोगो के लिए अरबी-फारसी पढ़ने हेतु मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय-पटना का निर्माण 1998 में करवाया। इस तरीके से लालू जी ने विभाजित बिहार में 4 विश्वविद्यालय दिया इसलिए वे ललुआ हैं।
    लालू जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए अविभाजित बिहार और अब के झारखंड में 1992 में विनोवा भावे विश्वविद्यालय-हजारीबाग तथा सिद्धू कांहू मुरमू विश्विद्यालय-दुमका का निर्माण करवाया। ज्ञातव्य हो कि इस आदिवासी इलाके में एक कृषि विश्वविद्यालय,दो प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एक माइंस विश्वविद्यालय तथा चार अन्य विश्वविद्यालय हैं। इन चार अन्य विश्वविद्यालयो में दो लालू जी ने ही खोला है।

    अविभाजित बिहार में कुल 22 विश्वविद्यालय हैं जिनमे सात कृषि/माइंस/प्राद्यौगिकी विश्वविद्यालय हैं। तेरह अन्य विश्वविद्यालयो व दो संस्कृत/अरबी-फारसी विश्वविद्यालयों में छः विश्वविद्यालय लालू प्रसाद यादव जी द्वारा बनवाये गए हैं लेकिन लालू जी की छबि अपढ़, अशिक्षित, जोकर, मसखरा आदि की प्रस्तुत की जाती है, आखिर क्यों? यदि यही कार्य किसी अभिजात्य समाज के व्यक्ति ने किया होता तो वह स्तुत्य होता लेकिन एक भैंसवार के बेटा व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भाई ने बिहार में विश्वविद्यालयो का सौगात देने के बावजूद आलोचना ही पाया है, इसलिए कि उसने शिक्षा को जनसुलभ बनाने को अपने सरकार का एजेंडा बनाया था।लालू जी ने वंचितों को शिक्षित होने का रास्ता बनाया इसलिए पीढ़ियों से शिक्षित-दीक्षित लोग लालू जी को अपने निशाने पर रखे हुये हैं।

    http://www.nationaldastak.com/opinion/why-does-manuvian-people-call-lalua-for-laloo-yadav/

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  3. *जानें मायावती ने राजद की पटना रैली में शामिल होने के लिए रखीं शर्तें*

    पटना में 27 अगस्त को प्रस्तावित राष्ट्रीय जनता दल की रैली में शामिल होने से पूरी तरह किनारा कर बसपा प्रमुख मायावती ने विपक्षी एकता के प्रयासों को तगड़ा झटका दिया है। *आज गुरुवार* को पत्रकार वार्ता में मायावती ने स्पष्ट किया कि सीटों का सम्मानजनक बंटवारा न होने तक बसपा किसी स्थानीय या राष्ट्रीय दल के साथ मंच साझा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि बसपा सेक्युलर ताकतों की एकजुटता की प्रबल पक्षधर रही है लेकिन, पिछले चुनावी अनुभव अच्छे नहीं रहे। टिकटों के बंटवारे के वक्त पीठ में छुरा भोंकने वाले दलों के कारनामे जनता को भी मायूस करने वाले रहे हैं।

    पटना रैली से तीन दिन पहले मायावती ने गुरुवार दोपहर बाद अचानक पत्रकार वार्ता बुलाकर बसपा का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि पटना रैली में बसपा के शामिल कराने को राजद नेतृत्व द्वारा विशेष कोशिश की जाती रही है। रैली में बसपा के शामिल होने के सवाल पर सबकी निगाह लगी है। इसको लेकर तमाम भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। मायावती ने बताया कि इस बारे में राजद नेतृत्व को साफतौर पर बता दिया गया था कि बसपा अपने सिद्धांत, नीति और अलग कार्यशैली वाली पार्टी है। बाबा साहब का मिशन पूरा करने के लिए संघर्षरत रहती है।

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