Tuesday 26 September 2017

संघ (RSS) परिवार

*संघ (RSS) परिवार के सभी सदस्यों को जानिये:*


*आर.एस.एस.* अपना सांप्रदायिक रूप छिपाने के लिये अपने संगठनों के सामने भारतीय राष्ट्रीय जैसे शब्द लगाता है. देशद्रोही क्रिया-कलापों के लिये उस पर कई बार पाबंदियाँ लगाई गयी.

*1. भारतीय जनता पार्टी (1980) कार्य:* पहले जनसंघ था, अब भाजपा है. राजनैतिक क्षेत्र में ब्राहमणवादियों का वर्चस्व एवं प्रभाव बनाना. बहुजनों को उनके अधिकारों से वंचित रखने के लिये यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है. ओबीसी के मंडल आयोग के खिलाफ रामरथ यात्रा निकालकर ओबीसी के खिलाफ होने का प्रमाण दिया. सत्ता की चाबी हाथ में रखकर पूरे देश पर नियंत्रण रखने का मकसद, फिलहाल कुछ राज्यों में भाजपा की सत्ता है, अतः मकसद में कुछ पैमाने पर कामयाब.

*2. विश्व हिन्दू परिषद (1964) कार्य:* जातिवादी ब्राहमण धर्म का प्रचार प्रसार कर वर्णव्यवस्था का समर्थन करना, देश में जातीय दंगे भड़काना, राममंदिर निर्माण का बहाना बनाकर देश में अशांति फैलाना.

*3. भारतीय मजदूर संघ (1955) कार्य:* कामगार क्षेत्र में घुसकर मनुवादी प्रवृत्ति को जागृत करना, बहुजनों को गुमराह करना.

*4. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (1948) कार्य:* स्कूल एवं कालेज के छात्रों में जातिवाद की प्रवृत्ति जागृत कराना, मंडल आयोग एवं आरक्षण का विरोध करना.

*5. भारतीय जनता युवा मोर्चा कार्य:* युवा पीढी को सांप्रदायिकता का प्रशिक्षण देकर बहुजनों के प्रति उनके मन में नफरत निर्माण करते रहना.

*6. दुर्गा वाहिनी कार्य:* कथित हाई कास्ट महिलाओं को हल्दी कुमकुम एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर संगठित कर मनुवाद के प्रचार प्रसार के लिये तैयार करना.

*7. राष्ट्रीय सेविका समिति (1936) कार्य:* सरकारी एवं चैरिटेबिल संस्थाओं का लाभ कथित हाईकास्ट की महिलाओं को पहुंचाना, देश सेवा के नाम पर मेवा खाना.

*8. वनवासी कल्याण संस्था (1972) कार्य:* आदिवासियों को गुमराह करके हिन्दुत्व के प्रभाव में रखना.

*9. राष्ट्रीय सिख संगत (1986) कार्य:* सिख धर्म के लोगों को हिन्दुत्व के प्रभाव में रखना.

*10. सामाजिक समरसता मंच कार्य:* सामाजिक समरसता की नौटंकी रचाकर बहुजनों में गुलामी की प्रवृत्ति को बढ़ाने का प्रयास करना.

*11. भारतीय किसान संघ (1977) कार्य:* किसानों की समस्याओं के लिये लड़ने का नाटक रचाकर उन्हें हिन्दुत्व की राह पर लाना.

*12. अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत कार्य:* संघ ने हर क्षेत्र के लोगों को संगठित किया है, यहां तक कि ग्राहक लोगों का भी संगठन तैयार किया है, अर्थात समस्याओं से उनका लेना देना नहीं. बस जातिवाद की भावना उनमें जागृत करना मुख्य मकसद है.



*13. सहकार भारती (1978) कार्य:* सहकार क्षेत्र में सांप्रदायकता एवं वर्णवाद की भावना प्रबल कर ब्राहमणों का वर्चस्व बनाना और कथित हाईकास्ट के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना.

*14. विद्या भारती (1977) कार्य:* शैक्षणिक क्षेत्र में ब्राहमणों का वर्चस्व रखना. संशोधन के नाम पर अध्ययन की किताबों में गलत इतिहास लिखना, ब्राहमणों को श्रेष्ठ बनाना, बहुजनों को बदनाम करना.

*15. भारतीय अध्यापक परिषद कार्य:* अध्यापक लोगों को मनुवादी संस्कार छात्रों पर डालने के लिये तैयार करना, शिक्षण क्षेत्र में ऐसे अध्यापक बहुजन छात्रों को जानबूझकर फेल करते हैं और उन्हें पिछड़ा रखते हैं.

*16. हिन्दू सेवक संघ कार्य:* हिन्दुत्व रक्षा के लिये कार्यकर्ताओं का दल तैयार करना.

*17. भारतीय सेवक संघ कार्य:* देशभक्ति के नाम पर सांप्रदायिकता का प्रचार प्रसार करना.

*18. सेवा समर्पण संस्था कार्य:* विविध बैरायटी संस्था रजिस्टर कर ग्रान्ट का मलिन्दा खाना.

*19. संस्कार भारती (1981) कार्य:* संघ शाखा शिविर द्वारा बच्चों के कच्चे मन पर वर्गवाद के संस्कार डालना. उनके मन में धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा आरक्षण के खिलाफ नफरत के बीज बोना.

*20. भारत भारती कार्य:* देश सेवा के नाम पर संघ की प्रसिद्धि करना, इमेज बनाना, फोटोग्राफर एवं वार्ताकार लेकर भूकम्प, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाना और थोड़ा काम करके ज्यादा पब्लिसिटी करना.

*21. भारतीय विकास परिषद कार्य:* समाजसेवा के नाम पर शासकीय योजनाओं का लाभ उठाना.

*22. इतिहास संकलन समिति कार्य:* इतिहास संशोधव के नाम पर गलत इतिहास लिखाना, ब्राहमणों के अपराध छुपाकर उनका गुणगौरव करना.

*23. राष्ट्रीय लेखक मंच कार्य:* ब्राहमणवादी लेखकों को संगठित कर ब्राहमणों के पक्ष में साहित्य निर्मित करना.


*24. विश्व संवाद केन्द्र कार्य:* विश्व के विविध देशों में रहने वाले हिन्दुओं को संगठित कर हिन्दुत्व को बढ़ावा देना.

*25. विश्व संस्कृत प्रतिष्ठान कार्य:* संस्कृत को देववाणी का दर्जा देकर उसका प्रचार प्रसार करना.

*26. भारतीय सैनिक परिषद (1992) कार्य:* फौज में ब्राहमणवाद को बढ़ावा देना जो देश की एकता के लिये महा खतरा है.

*27 भारतीय अधिवक्ता संघ*
वकीलों को संगठित कर हाईकास्ट के लोगों को बड़े-बड़े अपराधों से बचाना. दलित बहुजनों को छोटे-छोटे गुनाहों पर कड़ी सजा दिलवाना.

*28. राष्ट्रीय वैद्यकीय संघ कार्य:* कथित हाईकास्ट के डाक्टरों को संगठित कर संघ की विचारधारा का प्रचार प्रसार करना.

*29. भारतीय कुष्ठ रोग निवारण संघ कार्य:* भाजपा की वोट बैंक मजबूत करने के लिये कुष्ठ रोगियों तक को संगठित करना.

*30. दीन दयाल शोध संस्थान कार्य:* सामाजिक एवं आर्थिक नीतियों पर रिसर्च करने हेतु आने वाले शोधकर्ताओं में ब्राहमणवादी व्यवस्था का ध्यान रखना.

*31. स्वामी विवेकानन्द मिशन कार्य:* अध्यापन के क्षेत्र में भी हिन्दुत्व प्रणाली को मजबूत करने हेतु कार्यरत संस्था.

*32. महामना मालवीय मिशन कार्य:* सामाजिक कार्य के नाम पर सांप्रदायिकता के बीज बोना.

*33. बाबासाहेब आमटे स्मारक कार्य:* स्मारक के बैनर तले संघ की गतिविधियों को संचालित एवं मजबूत करना.

*34. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद कार्य:* अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर संघ की प्रतिभा उज्जवल करना.

*35. भारती अपना संघ कार्य:* संघ की गतिविधियों को संचालित करने हेतु रिसर्च करना.

*36. मीडिया कन्ट्रोल सेन्टर कार्य:* गोबेल्स प्रचार तंत्र से पेपर मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर कार्य करना, कथित हाईकास्ट की प्रतिभा उज्जवल करना, Sc, st,ओबीसी तथा अल्पसंख्यक समाज के बारे में गलतफहमियों का निर्माण करना, उन्हें नालायक, हीन, नाकाबिल एवं गुणवत्ताहीन बताना.
 अजय कुमार



FBP/17-238

RSS का असली इतिहास और गृहयुद्ध का प्रयास :-

1. मुंजे , हेडगेवार का गुरु था।

2. मुंजे 1920 से 1948 तक हिंदू महासभा का अध्यक्ष रहा।

3. हेडगेवार ने 1925 में 'रायल सीक्रेट सर्विस' का नाम 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' किया।

4. 1928 में जब देश के हिन्दू मुसलमान मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे तब "सावरकर" ने खुलेआम यह ऐलान किया था कि भारत में दो राष्ट्र, हिन्दू और मुसलमान बसते हैं, भारत के बँटवारे का विचार यहीं से जन्म लेता है।

5. 1930-31 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन से लौटते हुए मुंजे इटली के तानाशाह मुसोलिनी से मिला।

6. इसमें उसने भारत को इटली का गुलाम बना देने का वायदा किया।

7. आरएसएस का ढांचा और शाखाओं की रचना 1931 में मुंजे ने की।

8. संघियों ने 1930-31 में भगतसिंह के खिलाफ गवाही दी।

9. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को १९३४ में अंग्रेजों ने कलकत्ता विवि का कुलपति बनाया। उन दिनों बंगाल में बहुत से वरिष्ठ शिक्षाविदों का नजरअंदाज कर अंग्रेजों ने सिर्फ 33 साल की श्यामा प्रसाद मुखर्जी को इसलिए VC बना दिया था , ताकि गांधी के आह्वान पर हज़ारों की तादाद में विश्वविद्यालय के होनहार छात्रों द्वारा आज़ादी के लड़ाई में शामिल होने से रोका जा सकें।

10. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1937 में मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाई।

11. सावरकर ने 1940-41 नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का साथ छोड़ा।

12. 1940-41 में ही संघ ने घोषणा की कि कोई भी हिन्दू 'आज़ाद हिन्द सेना' में भर्ती न हो।

13. 1940-41 में ही सावरकर ने 'आज़ाद हिन्द सेना' के खिलाफ अंग्रेजों की सेना में हिन्दुओं की भर्ती की।

14. 1942 में अटल बिहारी बाजपाई ने देश के क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही दी और २ क्रांतिकारियों को 'कालापानी की सजा' हुई।

15. 11 फरवरी 1943, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था

"a Hindu rally that if Muslims wanted to live in Pakistan they should "pack their bag and baggage and leave India"

16. महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1942 में 9 अगस्त को जब ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया, तो हिंदु महासभा ने उसका विरोध किया था।

17. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल में मुस्लिम लीग के नेतृत्व में बनी सरकार के मंत्री के रूप में अंग्रेज सरकार को 26 जुलाई 42 को पत्र लिखकर कहा था कि युद्धकाल में ऐसे आंदोलन का दमन कर देना किसी भी सरकार का फ़र्ज़ है।

18. 1941-42 में हिंदु महासभा मुस्लिम लीग के साथ बंगाल मे फजलुल हक़ सरकार में शामिल थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस सरकार में वित्त मंत्री थे।

19. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में बंगाल को विभाजित कर देने की मांग रखी।

20. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में कहा, "बिना गृहयुद्ध के हिंदु-मुस्लिम समस्या का हल नहीं"।

21. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1947 में सरत बोस के बंगाल को एक करने के प्रयास का विरोध किया।

बताइए आज़ादी की लड़ाई में कौन शामिल था और कौन गद्दार थे ? आज यह देशप्रेम का प्रमाणपत्र बाँटने वाले अंग्रेजों की कभी आलोचना और निन्दा क्युँ नहीं करते ? सोचिएगा

ध्यान दें - अंग्रेजों ने हिन्दू महासभा और आरएसएस पर कभी प्रतिबन्ध नहीं लगाया - क्यों ???

प्वाईंट नंबर 21 पर ध्यान दीजिए "श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में कहा,

"बिना गृहयुद्ध के हिंदु-मुस्लिम समस्या का हल नहीं"

और संघी आजतक यही कोशिश लगातार कर रहे हैं , कभी मंदिर-मस्जिद तो कभी गाय , लव जिहाद और धर्मान्तरण के नाम पर , परन्तु गृहयुद्ध तब होगा जब इस देश का मुसलमान अनियंत्रित होगा जो कि नहीं होगा क्युँकि उसे कुरान में अल्लाह ने हुक्म दिया है

            "इन्नल्लाह मा अस्सा बेरीन"

अर्थात अल्लाह "सब्र" करने वालों के साथ है।

मुसलमान इस देश में कभी गृह युद्ध नहीं होने देगा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वंशजों । गाय के नाम पर चाहे जितने पहलू-उमर मार डालो।

•कापी और संशोधित
मो जाहिद

3 comments:

  1. Amir Khan के सवाल से घबराये BJP नेता Online News

    https://www.youtube.com/watch?v=4i6rWDpKTuE&app=desktop

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  2. *गर्व से कहो हम शूद्र है और उच्च है*

    *भाइयो और बहनो*

    *ब्राह्मणवाद हम लोगो को समझ मे आ गया इसलिए रोज एक आदमी को समझा रहे है और अपने सभी महापुरुषों की जयंती मना रहे है।हम लोग न तो इतिहास पढ़े है और न ही भूगोल।कोई ज्यादे तेज दिमाग के भी नही है*

    *सम्राट अशोक ने पशु हत्या पर प्रतिबंध लगा दिए थे।उनके लिए अस्पताल खोल दिये थे और लोगो को धूप न लगे उसके लिए अशोक बृक्ष भी लगवा दिए थे।किसी की हिम्मत नही हुई कि कोई पशु हत्या कर दे*

    *आज देखा जाए तो सभी 29 राज्य में ब्राह्मणों की सरकार है और बीफ निर्यात में भारत पूरे विश्व मे 1 नंबर पर पहुच गया है।गोवा का मुख्यमंत्री कहता है हम गाय खाएगे*

    *नालंदा विश्वविद्यालय 6 महीने जलता रहा और ब्राह्मणों ने लिख दिया कि मुसलमानों ने जला दिया और आप लोग मान लिए।जब ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने ईशा से 185 वर्ष पूर्व बृहद्रथ मौर्य की हत्या की तो उसी दिन को दशहरा के रूप में आप मना रहे है।दशहरा का मतलब 10 को हराया।2200 साल तक आपको शिक्षा और संपत्ति रखने का अधिकार नही मिला तो क्यों मुसलमान विश्वविद्यालय जलाएगा*

    *600 से ज्यादे मुगल नही आये आज 20 करोड़ मुसलमान है तो सीधी सी बात है वे ब्राह्मण धर्म से परेशान होकर मुस्लिम बने है क्योंकि यहाँ के मुस्लिम को दूसरे देश के मुस्लिम उसी नजरिये से देखते है*

    *आज शाषन प्रशाषन जुडिशरी और मीडिया पर उन्ही का कब्जा है तो आपको सही तश्वीर इस देश की नही बताई जाएगी।कश्मीर में सैनिकों पर पत्थर की सच्चाई भी आपको ठीक से जानने को नही मिलेगा*

    *आज भी जनेऊ संस्करण में जनेऊ को आंटे की गाय के पेट से आर पार कराया जाता है तो सीधा सा अर्थ है पहले गाय की अंतड़ी का जनेऊ बनता था*

    *1848 में ब्राह्मणों ने बताया आपका दुश्मन अंग्रेज है।उसके बाद मुसलमान उसके बाद यादव और चमार ।मीना मीणा का झगड़ा लगाया ही।मराठा को sc st से लड़ाया।जाठ को गुर्जर से*

    *जाति रहेगी तो नफरत भी बनी रहेगी इसलिए शूद्र नाम के सॉफ्टवेयर को हम लोग अपग्रेड कर रहे है*

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  3. *हमारा देश भारत है, हिंदुस्तान नही!*
    *रिजर्व केटेगरी के बाद ओपन केटेगरी होती है, जनरल नही!*


    भारतीय संविधान में लिखे India शब्द का अनुवाद मनुवादी लोग "हिंदुस्तान" करते है। किन्तु संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अंबेडकर ने हमे आगाह किया है, कि India का अर्थ "भारत" होगा, हिंदुस्तान नही। इसलिये हमें अपने देश को हिंदुस्तान नही बल्कि भारत ही बोलना चाहिए।
    इसी प्रकार आरक्षण के संदर्भ में मनुवादी लोग एक शब्द प्रयोग करते है, *"जनरल कटेगरी"* जो कि बहुत ही गलत है। इसको हमे *'ओपेन कटेगरी'* शब्द प्रयोग करना चाहिए। यदि 22.5% रिजर्वेशन एस0सी0 और एस0टी0 के लिए है और 27% रिजर्वेशन ओबीसी के लिए है तो बाकी जो 50.50% बचता है, वह ओपेन कटेगरी में आता है, न कि जनरल कास्ट के लिए रिजर्व है। भारतीय संविधान के अनुसार रिजर्वेशन एस0सी0 के लिए है,एस0टी0 के लिए है और ओबीसी के लिए है। जनरल कास्ट के लिए कोई भी रिजर्वेशन नही है। इस रिजर्वेशन के बाद जो 50.50% की वैकेंसी बचती है, वह ओपेन कटेगरी में आती है। उसमें एस0सी0 को भी हिस्सा मिल सकता है, एस0टी0 को भी मिल सकता है और ओबीसी को भी मिल सकता है। ये बाते हमे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। अभी जो उत्तरप्रदेश में आरक्षण का मामला है, उसमे परीक्षा के तीन मेथड लागू थे। पहला प्री परीक्षा, दूसरा मेंन परीक्षा और तीसरा इंटरव्यू होता है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि रिजर्वेशन के बाद जो 50.50% सीटें बचती है तो जो एस0सी0, एस0टी0 और ओबीसी के बच्चे जो रिजर्व केटेगरी की कट ऑफ लिस्ट से ज्यादा नम्बर लाते है, उनको ओपेन कटेगरी में रखना चाहिए। ओपेन केटेगरी को जनरल कटेगरी कहकर स्वर्णो के लिए रिजर्व नही बनाना चाहिए। ये हमारे समाज के पढ़े लिखे लोगो मे भी गलतफहमी है। हमारे समाज के वकीलो में भी गलतफहमी है और हमारे समाज के बुद्धिजीवी वर्ग में भी यह गलतफहमी है कि हम उसको 'ओपेन कटेगरी' कहने के बजाय 'जनरल कटेगरी' मानते है। इसका मतलब है कि ये जनरल कास्ट के लिए रिजर्व है। जबकि ऐसा नही है।
    हमे किसी से बात करते समय या बोलते समय, यह ध्यान में रखना चाहिए कि हमे जनरल कटेगरी कहने के बजाय 'ओपन कटेगरी' कहना चाहिए। इस ओपन कटेगरी में सभी का हिस्सा होता है। चाहे वह एस0सी0 का हो, चाहे एस0टी0 का हो, चाहे वह ओबीसी का हो या स्वर्ण हो।
    जागते भी रहो और जगाते भी रहो!

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