Thursday 7 September 2017

मनूवादी वायरस

मनूवादी  वायरस की
चपेट में आने के लक्षण
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जिसके अंदर मनुवादी वायरस आ जाता
है उसे सब ठीक-ठीक
ही नजर आता है । क्योंकि इस वायरस के
आने के बाद “ना” कहने की क्षमता
अत्यंत क्षीण हो जाती है ।
इसका एंटीडोज केवल अम्बेडकर वाद है ।
उसका भी पूरा टीकाकरण
जरूरी है।
क्या आपने लिया मनुवाद का
एंटीडोज ????
अभी लेना शुरू करें !!!
असर आने में समय लगता है वरना ये वायरस आपके
बच्चों को भी लग सकता है ।
यह वायरस दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस है ।
यह एड्स व् स्वाइन फ्लू से ज्यादा खतरनाक है।
इस वायरस से ग्रस्त व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण नजर
आते हैं–
1. इस देश का मूलनिवासी होने
की बजाय जाति विशेष का होने पर ज्यादा गर्व
करना !!
2. कर्म से ज्यादा भाग्य अथवा किस्मत में ज्यादा
यकीन करना !!
3 .कुछ भी गलत होने पर कारण जानने
की बजाय भगवान की
मर्जी मान लेना !!
4. अपने अधूरे कार्य करवाने के लिए विष्णु, भोले, माता,
हनुमान ,साईं आदि व पाखण्डी बाबाओ
की शरण में रहना
5. बाबा साहेब की शिक्षाओं में
इनकी रूचि अत्यधिक कम होती!बोद्ध धम्म मे रूचि न होना! बुद्ध की बात को मानने के बदले अपने गूरूमहाराज -पीर-पंथ की बात मानना, परिवर्तन  से डर हिन्दू होने का गौरव करना बाबासाहब  का बताया बोद्ध धम्म न अपनाना 22प्रकिग्नाओको न मानना, शराब-मास- जूआ -करना और जय माताजी ,जय गुरदेव बोलना! 
है तथा बाबा साहेब की बातों से किनारा करते
है !!
6. अपनी सफलता का श्रेय सदैव भगवान को
देना !!
7. पवित्र व अपवित्र की धारणा में
यकीन करना !!
8. मंगल, गुरुवार को बाल ना कटवाना !!
9. शनिवार का विचार करना !!
10. किसी भी काम के करने से
पहले पण्डित से महूर्त निकलवाना !!
11. शुभ ,अशुभ में विश्वास करना !!
12. व्रत पूजा पाठ में विश्वास करना !!
13. पूजा करते वक्त मूर्ति के सामने मन्नत मांगना !!
14. हमेशा अपनी ही बात को
सही मानना व दूसरों को मौका न देना। मतलब
अलोकतांत्रिक होना !!
15. किसी ऐसी बात पर विश्वास
करते रहना जिसके बारे में कभी
भी पता न किया हो !!
16. कभी समाज की समस्याओं
के बारे में चिंतित न होना !!
17. रात के सपनों का अर्थ अपने अनुसार अच्छा या बुरा
लगाना !!
18.औरतों को बुद्धि में सदैव कम ही
आंकना ।
पहचान करके निवारण करना शुरू करे !!!
मनुवाद नामक गंभीर
बीमारी से शीघ्र मुक्ति
की शुभकामनाओं सहित


 डॉक्टर अब्राहम कोवूर बहुत प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और नास्तिक थे, उन्होंने अन्धविश्वासों के ख़िलाफ़ लंबी लड़ाई लड़ी. 
उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, वे या तो ढोंगी हैं या मानसिक रोगी हैं.
उन्होंने विश्वभर के सारे चमत्कारी बाबाओं, संतों, गुरुओं और तान्त्रिकों, ज्योतिषियों को खुली चनौती दी..
उन्होंने 1963 में 22 चुनौतियाँ रखी और घोषणा की, कि जो व्यक्ति इनमें से एक चुनौती को पूरा कर देगा, वे उसको एक लाख रुपये का नकद इनाम देंगे, लेकिन उनके जीवन काल में कोई भी ईनाम नहीं जीत सका.

1984 में तर्कशील सोसायटी पंजाब की स्थापना हुई, तब से अब तक, उसके हज़ारों सदस्य अंधविश्वास के ख़िलाफ़ अथक लड़ाई लड़ रहे हैं. 

सोसायटी ने 22 चनौतियाँ रखीं, जिनमें से कोई एक पूरी करने पे 5 लाख का ईनाम रखा, जो अब बढ़कर 1 करोड़ हो गया है.
पिछले 33 साल में इस ईनाम को कोई हासिल नहीं कर सका. 
इस समय देश में अंधविश्वास विरोधी बहुत सारे संगठन काम कर रहे हैं, जिन्होंने चमत्कार दिखाने वाले को करोड़ों रुपये के ईनाम रखें हैं.
तर्कशील सोसायटी की कुछ आसान चनौतियाँ-

1. किसी सीलबंद करेंसी नोट की ठीक नकल पैदा करना.

2. किसी सीलबंद करेंसी नोट का नंबर पढ़कर बताना.
3. जलती आग में किसी चमत्कारी शक्ति की मदद से आधे मिनट के लिए नंगे पैर खड़ा होना.
4. सोसायटी मेम्बर के मांगने पे कोई चीज़ हवा में पैदा कर देना.
5. किसी अलौकिक शक्ति से दूर से किसी ठोस चीज़ को हिला देना या मोड़ देना.
6. योग शक्ति द्वारा हवा में उड़ना.
7.  योग शक्ति से पांच मिनट के लिये अपनी नब्ज़ रोकना.
8. पानी पर पैदल चलना.
9. अपना शरीर एक स्थान पर छोड़कर दूसरी जगह हाज़िर होना.
10.  योग शक्ति द्वारा 30 मिनट के लिये अपनी सांस रोकना.
11. ऐसी आत्मा या प्रेत हाज़िर करना, जिसकी फोटो खींची जा सकती हो.
12. फोटो खिंचने के बाद फोटो से गायब हो जाना.
13. ताला लगे कमरे से अलौकिक शक्ति द्वारा बाहर निकलना.
14. किसी वस्तु का भार बढ़ा देना.
15. छिपाई गयीं चीज़ को खोज लेना.
16. पानी को शराब या पेट्रोल में बदल देना.
17. शराब को ख़ून में बदल देना.
18. सोसायटी द्वारा दिये गये दस हस्तचित्रों को देख कर आदमियों तथा औरतों की अलग-अलग गिनती बताना, जीवित या मृत इन्सानों की अलग-अलग गिनती बताना, उनके जीवन के बारे में कुछ सवालों के सही जवाब देना.
या 10 जन्मपत्री देख-पढ़कर उनके जन्म और जीवन के बारे में कुछ आसान सवालों के जवाब देना.
इसमें 5 प्रतिशत की ग़लतियों की छूट होगी..

चनौती स्वीकार करने वालों के लिये कुछ आसान शर्तें है:

10 हज़ार रुपये की जमानत राशि जमा करनी पड़ेगी, जो कि जीतने पे ईनाम के साथ वापिस मिल जायेगी.. हारने पे जब्त हो जायेगी.
चनौती सोसायटी द्वारा तय स्थान और समय पे, धोखारहित हालात में पूरी करनी होगी..
एक चनौती एक से ज़्यादा बार पूरी करनी पड़ेगी..

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अलग-अलग अन्धविश्वास विरोधी संगठनों की कुल ईनाम राशि कई करोड़ है..
हमारे देश में हज़ारों बाबे, संत, गुरू, पीर-फ़क़ीर हैं, जो अपने-आपको चमत्कारी शक्तियों के स्वामी बताते हैं, उनके चमत्कारों की कहानियाँ भी भक्त सुनाते हैं.
देशभर में हज़ारों तांत्रिक, ज्योतिषी, हस्तरेखा विशेषज्ञ हैं, जो हाथ की रेखायें देखकर सबकुछ बता देने का दावा करते हैं.. ये चनौती उन सबके लिये है..
इन चनौतियों में से कोई एक चनौती वे स्वीकार करें, और करोड़ों रुपये के ईनाम जीतें..
ज्योतिष सम्राट या विश्व गुरु बनने का सुनहरी मौक़ा भी है.
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अगर कोई चनौती स्वीकार नहीं करेगा, तो इससे साबित हो जायेगा, कि सारे ज्योतिषी झूठ बोलते हैं.. हस्तरेखा, मस्तिष्क रेखा, जन्मपत्री वगैरह सब झूठ है..
कोई अलौकिक शक्ति नहीं होती, भूत-प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती.
धरती पे कोई चमत्कारी बाबा, संत, गुरू, पीर-फ़कीर वगैरह नहीं है..
वर्तमान में कोई चमत्कार नहीं होता, और न ही कभी अतीत में हुये.. आज की अफ़वाहों की तरह वे सदियों पुरानी अफ़वाहें या कहानियां ही थी.

अगर कोई इन बातों को ग़लत सिद्ध करना चाहता है तो इस चनौती को स्वीकार करे..

उसको बाकी की ज़रूरी जानकारी दे दी जायेगी..

जनहित प्रथमे,


सत्यमेव जयते...

2 comments:

  1. गर्भ धारण व शिशु पैदा होने का कोई मूहुर्त नही....
    मृत्यु का कोई मुहूर्त नही ., क्योंकि ये बातें प्राकृतिक हैं।

    विद्यालय मे प्रवेश ,परीक्षा मे प्रवेश , नौकरी हेतु इंटरव्यू, नौकरी की ज्वाइनिंग ,वेतन पाने इत्यादि का कोई मुहूर्त नही , पहले से तिथि निर्धारित होती है . इसके लिए मुहूर्त ढूंढते भी नहीं ...

    फिर नामकरण ,शादी ,मकान हेतु भूमि पूजन ,गृह प्रवेश , मृत्यु भोज ( तेरहवीं) इत्यादि कर्म कान्ड मे मुहूर्त कैसे घुस गया ???

    जाहिर है धूर्त , बेइमान लोगो ने अपने निहित स्वार्थ हेतु समाज को गुमराह किया व उनके दिमाग को खराब किया .....

    *"मुहूर्त ", पोंगापंथियों एवं गपोडशंखियों का एक कूटरचित शब्द है।*

    जब ऋषि वशिष्ठ द्वारा शोधा गया राम जानकी विवाह का मुहूर्त उन दोनों के लंबे अलगाव को नहीं रोक पाया, जब उनके द्वारा शोधा गया राम राज्याभिषेक का मुहूर्त राज्य की जगह वनवास लेकर आ गया तो बताइये कि आज ऋषि वशिष्ठ से बढकर मुहूर्त शोधने वाला कौन है?

    दुनिया में सबसे बडी आबादी ईसाईयों की है, उनके यहाँ कोई मुहूर्त नहीं होता है। दूसरी सबसे बडी आबादी मुसलमानों की है, उनका भी काम बिना मुहूर्त के हो जाता है।

    तो भाईयो, हमारा काम बिना मुहूर्त के क्यों नहीं हो पाता है?
    इतिहास उठाकर देखिये, मुहूर्त के चक्कर में हमने कई लडाईयां हारी हैं।

    अब आपको विचार करना है कि,

    आप और आपका परिवार कब इस मुहूर्त के चक्कर से मुक्त होगा?
    मंदिर का महंत, चर्च का पादरी, मस्जिद का इमाम या कोई ज्योतिष नक्षत्र का ज्ञाता बीमार होता है तो वह इतनी पवित्र जगह को छोड़ कर अस्पताल क्यों जाता है? और यदि जाता भी है तो मुहूर्त से क्यों नहीं जाता?
    कोई पाचवीं फेल एक ढोंगी ग्रह नक्षत्रों का ज्ञाता हो सकता है यह हमारा बीमार दिमाग मानता है । डाक्टर इंजिनियर बडे से बडा अधिकारी ,पाचवीं फेल एक व्यक्ति का गुलाम है , विज्ञानं पर अविश्वास कर रहे हो। *सभी दिन, तिथि, वार, दिशा खगोल और प्रकृति निमित्त है। कोई बुरा नहीं कोई अच्छा नहीं। जब संसार की सबसे बड़ी 2 घटनाएं जन्म और मृत्यु का कोई मुहूर्त नहीं है तो बाकी भी सब वहम् है।*

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  2. कई सालों से चले आ रहे नवरात्रा है फिर आज से स्टार्ट हुआ है*

    लेकिन इससे हमारे समाज को फायदा हुआ नहीं हमारे देश को फायदा होगा, फायदा सिर्फ और सिर्फ उसके निर्माणकर्ता पाखंडी ब्राह्मणों का हो रहा है बनियों का हो रहा है अगर हमारे समाज को वास्तविक फायदा हुआ है और हो रहा है तो बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी के लिए हुए अधिकारों के बदौलत।

    मैं उस पाखंडी मनुवादी तथा ब्राह्मणवाद पोषक दलितों से पूछना चाहता हूं कि याद करो आज से सौ साल पहले का दिन उस समय यह नवरात्रि वाले पाखंडी देवी कहां थी?
    क्या कर रही थी?

    हमारे समाज पर आमानवीए अत्याचार जुल्म शोषण बलात्कार हत्या होते रहा और अभी भी हो रहा है फिर भी क्यों सोती रही क्यों नहीं जागी।?

    हमारे देश में न जाने कितने कितने प्रकार के पाखंडी देवी-देवताओं है लेकिन इस किसी भी देवी देवताओं ने हमें उस गुलामी की जंजीरों से बाहर नहीं निकाला ना कभी हमें उस गुलामी की जंजीरों से निकलने के लिए कोई शक्ति दिया और जो हरामखोर हमें गुलाम बनाया था ना कभी उसको कोई सजा दिया लेकिन हमारे समाज के मंदबुद्धि अल्पज्ञानी मनुवादियों के पोषक ब्राह्मण बाद के गुलाम चमचे चाटुकार ना जाने कब इस पाखंडी दुनिया से निकलकर वास्तविक जीवन में प्रवेश कर अपने समाज का विकास कर पायेगा।?

    आज पूरा विश्व विज्ञान और अपने कार्य के भरोसे प्रगति की राह पर चल रही है लेकिन हमारा समाज वही पाखंडी धर्म ग्रंथों को अपनाकर मानसिक गुलाम बने हुए हैं शतप्रतिशत हमारे समाज के लोग पढ़ लिख कर महामूर्ख है जो वास्तविक को नहीं पहचानते हैं जो हमें हक और अधिकारों को अपने जीवन में कितनें जुल्म अत्याचार अपमान भुखे प्यासे रह कर के हमारे समाज दिलाया उसका कभी गुनगान तथा याद नहीं करते।।

    लेकिन जिसके कारण हम हजारों वर्षों तक गुलाम रहे यातनाएं जुर्म सहते रहे उसी के विचारधाराओं को हम अभी तक मानते आ रहे हैं आखिर कब हमारा समाज इस काल्पनिक किस्से-कहानियों से बाहर निकलेगा??

    *याद करो हमारे भाग्यविधाता परम पूज्य बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने क्या कहा था*

    *मुक्ति का मार्ग*

    तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मंदिर नही है बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा, व्यवसायी बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है | तीर्थयात्रा, व्रत, पूजा-पाठ व कर्मकांडों में कीमती समय बर्बाद मत करों |
    धर्मग्रंथों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व मन्दिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नही होगी, तुम्हारे गले में पड़ी तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नही दिलाएगी
    काल्पनिक देवी-देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से तुम्हारी भुखमरी, दरिद्रता व गुलामी दूर नही होगी |
    अपने पुरखों की तरह तुम भी चिथड़े मत लपेटो, दड़बे जैसे घरों में मत रहो और इलाज के अभाव में तड़फ-तड़फ कर जान मत गंवाओ | भाग्य व ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद ही करना है । धर्म मनुष्य के लिए है मनुष्य धर्म के लिए नही और जो धर्म तुम्हें इन्सान नही समझता वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है | जहाँ ऊँच और नीच की व्यवस्था है | वह धर्म नही, गुलाम बनाये रखने की साजिश है |
    *___ डॉ.भीमराव अम्बेडकर.*

    _ तो क्या दोस्तों हम कभी भी और हमारा समाज कभी भी उनकी बातों को थोड़ा भी अमल करते हैं उनके अधिकारों को तो हम सभी शत-प्रतिशत पा रहे हैं लेकिन उनके संदेशों और विचारधारा और सिद्धांतों को नहीं अपनाते हैं उन्हें उनके बताए गए रास्ते पर चलते हैं इसलिए दोस्तों अभी भी वक्त है हम इस मनुवादी व्यवस्था को ध्वस्त कर बाबा साहेब के बताए मार्ग पर चलें और अपने समाज को उन्नति की ओर ले चलें *!!
    🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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