Wednesday 6 September 2017

युवा पता करो

युवाओं के मन मे एक प्रश्न का बना हुआ था *"कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ?"*
अब इसका उत्तर मिल गया है और सिनेमा चला भी अच्छा है जो चलना ही चाहिऐ था ।



अब इस देश के लिए ये जानना जरूरी है कि 
*नेताजी सुभाष चन्द्र बोस* को क्यूँ और किसने मारा, 
*श्री लाल बहादुर शास्त्री* को किसने और क्यों मारा? 
*महात्मा गांधी* की हत्या के वह कारण क्या थे? 
इन दुर्भाग्यशाली घटनाओं से देश की पटरी ही बदल गयी।

युवाओं! ज़रा विचारो कि कहाँ कहाँ गलतियां हुई हैं.. काल्पनिक चरित्र कटप्पा से बाहर निकलो और *वो_पूछो_जो_तुमसे_जुड़ा_हुआ_है.....*

पता करो कि हम लगभग 1000 साल तक गुलाम क्यों रहे..


*पता करो कि जो देश आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, और वैज्ञानिक रूप से सशक्त था.. विश्व गुरु था ...वो सब ज्ञान कहाँ और कैसे खत्म हो गया..*

पता करो कि सोने की चिड़िया के पंख कैसे कतर दिए गए...

पता करो कि हमारे बच्चों को आजादी के बाद भी क्या और क्यूँ पढ़ाया जाता है...

पता करो! पाकिस्तान का स्थायी रोग किसने भारत को दिया? तब हुआ क्या-क्या था?

पता करो..! कि कश्मीर को नासूर बनाने का बीज नेहरू ने क्यों और कैसे बोया..?

*पता करो..! नेपाल के महाराजा के भारत में विलय के प्रस्ताव को 1952 में नेहरू ने क्यों ठुकरा दिया था?*


पता करो..! कि 1953 में UNO में भारत को स्थायी सीट देने के ख़ुद अमेरिका के प्रस्ताव को नेहरू ने क्यों गुमा दिया था? और वह सदस्यता चीन को क्यों दिला दी?

*पता करो कि 1954 में नेहरू ने तिब्बत को चीन का हिस्सा भारत की ओर से मान लिया था? बाद में 1962 में उसी रास्ते से चीन ने भारत पर हमला किया, हम हारे, बेइज़्ज़त हुए।*

पता करो ..! तिब्बत हारने के बाद नेहरू ने क्यों कहा था कि वो तो बंजर जमीन है, कोई बात नही.. जाने दो

ज़रा मालूम करो कि चीन से भारत की हार का दोषी नेहरू को मन्त्रालय की संयुक्त समिति ने सिद्ध किया था? उसके बाद भी नेहरू को जरा भी लाज नहीं आई थी 

यह भी जानो कि जब चीनी सेना अरुणाचल, असम, सिक्किम में घुस आयी थी, तब भी 'हिन्दी चीनी भाई भाई' का राग अलापते हुए भारतीय सेना को ऐक्शन लेने से नेहरू ने क्यों रोका था?

आप ख़ुद बाहुबली बनकर कारण जानो कि हमारा कैलास पर्वत और मानसरोवर तीर्थ चीन के हिस्से में नेहरू की ग़लती से चले गए?
और भी बहुत सारी गलतियां हैं जिनमें कांग्रेस को जरा भी शर्म क्यों नहीं आती है?

हे_युवा_देश...! अपनी दिशा और दशा बदलो। यह समय मज़ाक़ों का नहीं है,  वह करो जो करणीय है।
चिन्तन का विषय है-


देश के लोग ये तो जानते है कि चीन ने हमें 1962 में हराया पर ये नहीं जानते कि 1967 में हमने भी चीन को हराया था।  
चीन ने "सिक्किम" पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी. नाथू ला और चो ला फ्रंट पर ये युद्ध लड़ा गया था. चीन को एसा करारा जवाब मिला था कि चीनी भाग खड़े हुये थे.  इस युद्ध में, 88 भारतीय सैनिक बलिदान हुये थे और 400 चीनी सैनिक मारे गए थे. इस युद्ध के बाद ही सिक्किम, "भारत का हिस्सा" बना था !
इस युद्ध में "पूर्वी कमान" को वही सैम मानेक शॉ संभाल रहे थे जिन्होंने बांग्लादेश बनवाया था।
इस युद्ध के हीरो थे राजपुताना रेजिमेंट के मेजर जोशी, कर्नल राय सिंह , मेजर हरभजन सिंह.
गोरखा रेजिमेंट के कृष्ण बहादुर , देवीप्रसाद ने कमाल कर दिया था !! जब गोलिया ख़तम हो गयी थी तो इन गोरखों ने कई चीनियों को अपनी "खुखरी" से ही काट डाला था ! कई गोलियाँ शरीर में लिए हुए मेजर जोशी ने चार चीनी ऑफिसर को मारा ! वैसे तो कई और हीरो भी है पर ये कुछ वो नाम है जिन्हें वीर चक्र मिला और इनकी वीरगाथा इतिहास बनी !!

*मैं किसी पोस्ट को शेयर करने के लिये नहीं कहता पर इसे शेयर करो ताकि अधिक से अधिक लोग जाने,दुःख की बात है कि बहुत कम भारतीयों को इसके बारे में पता है !!   आप लोगो से निवेदन है कि कम से कम  चीनी वस्तुओ का उपयोग न करे*

6 comments:

  1. संसद मे उठा मूल निवासी का मुदा /मोदी के चेहरे का रंग उड़ा /most viral video

    https://youtu.be/l1KM0gK__D4

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  2. दुश्मन की संख्या बहुत कम हैं / Mn Umesh Rajak

    https://youtu.be/p6wtepKKOgg

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  3. मूलनिवासी' शब्द से ब्राह्मण दहशत में / World Indigenous Day

    https://www.youtube.com/watch?v=MLlt2UK4Uaw

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  4. 🍇🍇🍇🍇🍇🍇🤷‍♀🤷‍♀🤷‍♀🤷‍♀🤷‍♀🤷‍♀
    भारत मे अंग्रेज लोकतंत्र लाये इसके पहले यहाँ राजतंत्र था, जिसे ऑटोक्रेसी कहते हैं।
    *यानि राजा के पास ही सभी एडमिनिस्ट्रेटिव, न्याययिक, राजनीतिक, आर्थिक इत्यादि ताकत मौजूद रहते थे।*
    डेमोक्रैसी यानि डेमोस मतलब लोग एवं क्रैसी मतलब शासन। यानि आम लोग हीं शासक चुनेंगे। चुकि पहले राजन्त्र में राजा लोगों के द्वारा नहीं चुने जाते थे इसीलिए ये लोगों के प्रति उतना जबाबदेह नहीं थे।
    फिर भी, कई राजा जैसे अकबर एवं शेरशाह द्वारा एडमिनिस्ट्रेटिव एवं न्यायिक कार्य की मिशाल दी जाती है।
    आज डेमोक्रेटिक भारत में एडमिनिस्ट्रेटिव शक्ति प्रधानमंत्री के पास है, पर न्यायिक शक्ति सुप्रीम कोर्ट के पास है। *राजतन्त्र में राजा सुप्रीम होता था, पर आज संविधान सुप्रीम है*, जिसे 1947 के बाद भारत की अंतरिम सरकार बनायी थी।
    *आज इसमें निहित ज्यूडिशियल रिविव इंस्ट्रूमेंट द्वारा सुप्रीम कोर्ट हीं श्रेष्ठ है, जिसके के पास अथाह न्यायिक शक्ति है।*
    हम बात कर रहे हैं डेमोक्रैसी का जिससे लोगों द्वारा चुना हुआ शाशक बनता है। लोग एक तरफ एडमिनिस्ट्रेटिव शक्ति के लिये प्रधानमंत्री चुनेंगे, दूसरी तरफ इसी नागरिक द्वारा अपनों के बीच से न्याय के लीये न्यायधीश भी चुनेंगे।
    भारतीय परिपेक्ष्य में प्रधानमंत्री तो वोट से बनते हैं, पर न्यायधीश करीब ऑटोक्रेसीय व्यवस्था से हीं बनते हैं। यानि भारत में आधा भाग डेमोक्रैसी कह सकते हैं, तो आधा भाग ऑटोक्रेसी।
    चुकि संविधान श्रेष्ठ है एवं इस पर पूरा कब्जा ज्यूडिशियरी का है, क्योंकि पार्लियामेंट अगर अमेंडमेंट भी करती है तो उसे ज्यूडिशियल रिविव द्वारा ज्यूडिशियरी null and void कर दे सकती है। इसका ताजा उदाहरण NJAC आपके सामने है। यानि ज्यूडिशियरी ही सुप्रीम है।
    *निष्कर्ष: राजतन्त्र में राजा सुप्रीम तो भारतीय लोकतंत्र में सुप्रीम कोर्ट हीं सुप्रीम है, जिसके जस्टिस लोगों द्वारा चुने हुये नहीं हैं। तो फिर इसे डेमोक्रैसी कहा जाय या ऑटोक्रेसी या इसका नाम जजोक्रेसी दिया जाय?*
    वास्तव में बहुत सी बातें सही नहीं बताई जाती। हम तर्क नहीँ करते सिर्फ मान लेते हैं। जैसे हिंसक जीव शेर पर दुर्गा, आदमी के शरीर पर हाथी का मुंड लगा गणेश को चूहे पर सवार कर दी जाती है, हम मान लिया है।
    *तो फिर इस जजोक्रेसी को भी डेमोक्रैसी मान कर खुश रहें*
    डॉ निराला

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  5. 8 नवम्बर 2016 - नोटबंदी से कालाधन, भ्रष्टाचार और टेरर फंडिंग रुकेगी (प्रधानसेवक)

    9 नवम्बर, 2016 - नोटबंदी का मकसद 'फेक करेंसी' और 'बेनामी संपत्ति' वापस लाना है (गजट अधिसूचना)

    इसके दो-चार दिन बाद - नोटबंदी का मकसद DIGITALISATION


    चुनाव करीब आते-आते प्रधानसेवक के भाषणों से नोटबंदी के मकसद गायब, बचा सिर्फ हवाबाजी (मित्रों कालाधन पर लगाम लगाया तो विपक्ष हमारी आलोचना कर रहा है)

    104 लोग लाइनों में 'शहीद' हो गए.

    Centre for Monitoring Indian Economy ने बताया कि 1.5 लाख नौकरियाँ ख़त्म हुई और उसका कारण नोटबंदी है.

    कल RBI ने बताया कि 99 फीसदी कैश बैंकों में वापस आ गया. 15.44 लाख करोड़ रुपये 8 नवम्बर, 2016 से 'लीगल टेंडर' नहीं रहे थे. 30 जून,2017 तक 15.28 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा हो गए.

    आँखों के सामने इतना बड़ा भ्रष्टाचार कर गई सरकार लेकिन मित्रों 2G कांग्रेस ने किया! कामनवेल्थ कांग्रेस ने किया.

    थेथरलॉजी के लिए बहुत हिम्मत चाहिए मित्रों.

    नोटबंदी अपने उद्देश्यों में सफल रही है. यूपी चुनाव में बीजेपी के 32 हेलीकॉप्टर्स के मुकाबले सपा+बसपा+कांग्रेस के 5 हेलीकॉप्टर थे. बीजेपी ने बाकी दलों से दस गुने से भी ज्यादा खर्च किया.

    और क्या चाहिए?

    दो लोकसभा चुनावों के बीच सबसे बड़ा चुनाव यूपी का विधानसभा चुनाव ही होता है. बीजेपी की रणनीति कामयाब रही.

    बीजेपी ने नोटबंदी की तैयारी कर ली थी. बीजेपी के नेता कहीं-कहीं नए नोटों के बंडल के साथ पकड़े भी गए. यह लोकल पुलिस वालों की बेवकूफी से हुआ.

    बीजेपी नेताओं तक नए नोट पहुंचा दिए गए थे.

    बीजेपी ने अपना काफी पेमेंट एडवांस भी कर लिया था.

    बाकी दल इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे. उनके नेताओं के पास जो पैसा बैंक में था भी, वह रकम निकालने की पाबंदियों के कारण रखा रह गया.

    सपा और बसपा को कंगाल करके बीजेपी ने बाजी मार ली.

    बीजेपी की रणनीति को राजनीति के नजरिए से मत देखिए. समझ में नहीं आएगा. इसे अपराधशास्त्र के नजरिए से देखिए.

    बीजेपी की कमान खांटी अपराधियों के हाथों में हैं. यह आडवाणी और वाजपेयी की बीजेपी नहीं है.

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  6. आप में से कितने लोगों को आठ महीने पुरानी यह खबर याद है. 27 दिसंबर, 2016 की यह लगभग हर अखबार में पहले पन्ने पर छपी थी. और चैनलों में प्रमुखता से चली थी.

    नोटबंदी के बाद हर दल ने अपना कैश बैंक में जमा कराया. बीएसपी ने भी कराया. बीएसपी के पैसे पर इनकम टैक्स की निगरानी लगा दी गई. पैसा बैंक में फंस गया.

    अखबारों ने यह सब कुछ इस अंदाज में छापा मानो काला धन पकड़ा गया हो.

    यह सब यूपी चुनाव के दौरान हो रहा था.

    बीजेपी ने यूपी चुनाव अपने अथाह पैसे से लड़ा. यह हजारों करोड़ का चुनाव था.

    चुनाव बाद इनकम टैक्स विभाग ने कहा कि बीएसपी के पैसा जमा कराने में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई.

    चुनाव आयोग ने 4 मई, 2017 को कहा कि बीएसपी ने पैसा जमा करके कुछ भी गलत नहीं किया है. अब वह रकम निकाली जा सकती थी.

    लेकिन तब तक तो खेल खत्म हो चुका था.

    बीजेपी की राजनीति को राजनीति विज्ञान नहीं, अपराधशास्त्र के नजरिए से समझिए.

    बीजेपी के शिखर पर इस समय नेता नहीं, छंटे हुए अपराधी है. उनका दिमाग अपराधियों की तरह ही काम करता है.

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