*{ मूलनिवासीयों जागो }
[ SC . St Obc . व धर्म प्रवर्तित मुस्लिम वर्ग ]*
भाईयो 2019 में Bjp . Rss . ई०वी० एम ०( मशीनो ) के द्धारा सरकार बनायेगी ।
2022 मे वर्तमान संविधान को खत्म कर के नया संविधान (जो मनुस्मृति पर आधारित होगा ) लागु होगा। तब राम राज्य आयेगा भाईयो तुम्हे वर्तमान संविधान से ओर ज्यादा अधिकार मिलेंगे और तुम्हारा दब कर विकास होगा।
*राम राज मे अधिकार इस प्रकार होंगे* ।
1. राम मन्दिर बन जायेगा ......
2. अहीर यादव भैस चरायेगा...
3. कुनभट खेती करेगा..............
4. मल्लाह मछली मारेंगे............
5. लोधा सब्जी बोऐगा.............
6. चमार मजदूरी करेंगा , मरे हुऐ जानवरों की खाल उतारेंगे......... . 7. धोबी कपडा धोयेग...............
8. नाई बाल काटेगा............
9. लुहार लोहा पिटेगा …..............
10. कुम्हार गधें हांकेगा.............
11. कहार पानी भरेगा..............
12. धुना रुई धुनेगा..................
13. जुलाहा कपडें बुनेगा...........
14. पासी सुअर चरायेगा..........
15. वैश्य कारखाने चलायेंगे व बडें बडें शोरूम व मौल चलायेंगे..16. क्षत्रिय राज्य करेंगा..........
17.. ब्राम्हण मन्दिरों मे धंटा बजायेंगा और कानुन बनायेंगा और - - - - - मूलनिवासीयों आप की आने वाली पीढ़ी इस सब की जिम्मेवार आपको मानेंगी और वो कहेगी की अगर हमारे मूलनिवासी लोग एक जुट होकर उन हालातों का मुकाबला करते तो शायद ये दिन नही आते। भाईयो अभी कुछ भी नही बिगड़ा है। भाईयो आप को पता है कि आप के एक भाई ने अकेले उस समय इन से टक्कर ली थी जब
हालात उन के विपरित थे। और आज तो हालात आप के साथ हैे। और भाईयो उसी आप के भाई ने रात दिन का चेन गवां कर परिवार का सुख नही देखा और आप के अधिकारों के लियें संविधान बनाया । आज स्थिति ऐसी हो गयी हैे कि एक दलित(राष्ट्रपति) आप का भाई ही अपने हाथों से उसी संविधान को खत्म करेगा और आप आवाज तक भी नही निकाल पाओगे। क्योकि वो भी दलित है।
भाइयों बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञा को नहीं मान पा रहे हो तो कम से कम दो प्रतिज्ञा ही मान लो मंदिरों में जाकर घंटा बजाना इनके तोहार बनाना छोड़ दो और संगठित रहो इतने में ही इनको समझ आ जाएगी।
जागो भाईयो जागो मूल निवासी हित में जारी
जय भीम नमौ बुद्धाय जय मुल निवासी जय भारत
जय शाहू जी महाराज जय रावण जय ज्योतिबा फुले
जय अशोक........................🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*बौद्धो का पहला पतन*
मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक महान मोर्य जो नागवंशी थे उनके 11वें वंशज बौद्ध सम्राट *राजा बृहद्रथ मोर्य* की उसी के ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने पहले तो अपनी बहन का विवाह सम्राट बृहद्रथ मोर्य से किया और फिर सेनापति बन गया और सेना को अपने वश मे कर एक दिन परेड की सलामी लेते समय अचानक गला काटकर उनकी हत्या कर दी और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था। सेना अध्यक्ष होने के कारण किसी ने उसका विरोध नही किया। लेकिन जब वह सिहांसन पर बैठा और उसने अश्व मेघ यज्ञ किया तो बौद्ध प्रजा इस यज्ञ मे शामिल नहीं हुई। और यज्ञ कि बहिष्कार कर दिया।
*जिसके बाद उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक बौद्ध विहारों, स्तूपो को ध्वस्त करवा दिया था तथा लाखो बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम किया था।पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण धर्म कबूल करवाता था*।
दिव्यावदान' के अनुसार पुष्यमित्र बौद्धों से द्वेष करता था, और उसने सम्राट अशोक महान द्वारा बनवाये 84,000 बौद्ध स्तूपों को नष्ट करवाया था, और लाखो बौद्ध भिक्षुओं की हत्या करायी थी।
उत्तर पश्चिम क्षेत्र पर यूनानी राजा मिलिंद का अधिकार था जिसे मिलिण्डर भी कहा जाता है। राजा मिलिंद बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। जैसे ही राजा मिलिंद को पता चला कि पुष्यमित्र शुंग ,बौद्धों पर अत्याचार कर रहा है तो उसने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया।पाटलिपुत्र की जनता ने भी पुष्यमित्र शुंग के विरुद्ध विद्रोह खड़ा कर दिया इसके बाद पुष्यमित्र शुंग जान बचाकर भागा और उज्जैनी में जैन धर्म के अनुयायियों की शरण ली।
*जैसे ही इस घटना के बारे में कलिंग के राजा खारवेल को पता चला तो उसने अपनी स्वतंत्रता घोषित करके पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया*। *पाटलिपुत्र से यूनानी राजा मिलिंद को उत्तर पश्चिम की ओर धकेल दिया*।
इसके बाद ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी *साकेत को बनाया।पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया।* अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी...
दिव्यावदान को अनुसार राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति बौद्ध भिक्षु का सर(सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।
*इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ। राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे । इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे।राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा ,बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था* । *इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।
*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात "सरयू" हो गया*।
*इसी "सरयू" नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने "रामायण" लिखी थी।* *जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और दस सर वाले रावण के रूप में मौर्य सम्राट का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था।* यहा दस सर कि कल्पना को मोर्य वंश के दस पूर्वजों से जोड़ा गया है। पहले राजकवि द्वारा राजा कि प्रशंसा मे कविता ओर कहानियां लिखी जाती थी जिनमे राजा को महाबलशाली या देवता के रूप मे दिखाना आम बात थी। दक्षिण भारत मे यह बहुत ही आम बात थी कहानी जितनी सच्ची लगती थी ईनाम भी उतना ही बड़ा होता था। जैसे उत्तर मे अकबर के लिये अकबरनामा लिखा गया। और दक्षिण मे विजय नगर के राजाओ आदि के लिये लिखा गया साहित्य ।
इसी मे श्री लंका के प्राचीन द्रविड़ नागवंशी राजा रावण और श्री लंका के प्राचीन व्यापारिक मार्ग को बड़ी चालाकी से जोड़ा गया है। जिसे आज राम सेतु कहा जाता है। प्राचीन काल मे समुद्र का जल स्तर बड़ने से यह मार्ग डूब गया था। यह कोई तैरने वाले पत्थरों का पुल नही है अपितु समुद्र तल से जुडा चट्टानी मार्ग है। वैज्ञानिको के अनुसार आने वाले 50 सालो मे कई देश 20% तक डूब जायेगे।
पुष्यमित्र के समय में यज्ञ प्रधान ब्रहमण धर्म का पुनरुत्थान शुरू हो गया था। उसके द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ ही इसके प्रमाण है।
*वायु और मत्स्य पुराण मे पुष्यमित्र शुंग का उल्लेख मिलता है। इसका अर्थ है कि ये पुराण इस अवधी मे या इसके बाद ही लिखे गये।*
*2500 साल पूर्व रावण नाम का राजा, गौतम बुद्ध के समय मे श्री लंका मे शासन किया करता था जिसे गौतम बुद्ध ने उपदेश भी दिया था। जिसका उल्लेख बौद्ध ग्रथों मे मिलता है। रावण का अर्थ राजा होता है। लेकिन रामायण के रावण के शासन काल का समय 7000 साल पहले बताया जाता है।जिस समय देवनागरी लिपि (लेखन कला) का विकास नहीं हुआ था। तब शुद्र वाल्मीकि ने रामायण संस्कृत मे कैसे लिख डाली यह सोचने वाली बात है। जबकी शुद्रो को पढ़ने लिखने कि अनुमति नही थी। और 5000 साल पुरानी दुनिया कि सबसे पुरानी सभ्यता की लिपि संस्कृत नहीं है। अर्थात संस्कृत का विकास बहुत बाद मे हुआ।यानी रामायण कि काल्पनिक कहानी का समय 7000 साल पुराना नहीं है। इस कहानी मे उस समय के स्थानो, नदियो, पहाड़ो के साथ मिथक मिला कर बड़ी चालाकी से जोड़ा गया है। ताकी विवाद पैदा हो और जब हम किसी मिथक(झूठ) पर विवाद करते हैं तो यह स्वयं सत्य साबित हो जाता है ।
*इतना ही नहीं, रामायण, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में "सरयू" नदी के किनारे हुई*।
*बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा' कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे* ?*
*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को बुद्ध कि मूर्ति से प्रेरणा लेकर मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रो को देवता बनाकर स्थापित कर दिया। और पूजा के नाम पर यहां दाव आने लगे*। इससे पहले ब्राह्मण धर्म मे ब्रह्म (भगवान) को निराकार रूप कि पूजा जाता था मूर्ति रूप मे नही। उस समय ब्राह्मण धर्म विद्यमान था। हिन्दू धर्म विद्यमान नही था।
हिन्दू धर्म का गठन आदि शंकराचार्य ने 84 धर्मों को मिला कर आज से 1200 साल पहले किया।
वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है जिसकी दो आंखे और सर पर बाल नही है। जिसे आज बलि का एक रूप भी माना जाता है ।
*पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी " सच्ची रामायण" पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।
*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है*।
*सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है कि " रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है*।
*अथार्त् फर्जी है*।
UP जल निगम में भ्रष्टाचार का खुला खेल, 58 अंक वाले सवर्ण बने इंजीनियर, 60 अंक वाले OBC फेल - नेशनल जनमत http://nationaljanmat.com/up-jal-nigam-bhrashtachar-je-general-pass-obc-fail-2013/
कुछ तो है जो अंदर ही अंदर सड़ रहा है, हाईकोर्ट के उत्पीड़न से परेशान OBC जिला जज ने दिया इस्तीफा - नेशनल जनमत http://nationaljanmat.com/istifa-district-judge-highcourt-obc-kamal-kishore-sharma/
आरक्षण खात्मे की ओर मोदी सरकार के बढ़ते कदम, UPSC में कमाडेंट पद पर OBC आरक्षण खत्म - नेशनल जनमत http://nationaljanmat.com/reservation-upsc-obc-cisf-commandant/
[ SC . St Obc . व धर्म प्रवर्तित मुस्लिम वर्ग ]*
भाईयो 2019 में Bjp . Rss . ई०वी० एम ०( मशीनो ) के द्धारा सरकार बनायेगी ।
2022 मे वर्तमान संविधान को खत्म कर के नया संविधान (जो मनुस्मृति पर आधारित होगा ) लागु होगा। तब राम राज्य आयेगा भाईयो तुम्हे वर्तमान संविधान से ओर ज्यादा अधिकार मिलेंगे और तुम्हारा दब कर विकास होगा।
*राम राज मे अधिकार इस प्रकार होंगे* ।
1. राम मन्दिर बन जायेगा ......
2. अहीर यादव भैस चरायेगा...
3. कुनभट खेती करेगा..............
4. मल्लाह मछली मारेंगे............
5. लोधा सब्जी बोऐगा.............
6. चमार मजदूरी करेंगा , मरे हुऐ जानवरों की खाल उतारेंगे......... . 7. धोबी कपडा धोयेग...............
8. नाई बाल काटेगा............
9. लुहार लोहा पिटेगा …..............
10. कुम्हार गधें हांकेगा.............
11. कहार पानी भरेगा..............
12. धुना रुई धुनेगा..................
13. जुलाहा कपडें बुनेगा...........
14. पासी सुअर चरायेगा..........
15. वैश्य कारखाने चलायेंगे व बडें बडें शोरूम व मौल चलायेंगे..16. क्षत्रिय राज्य करेंगा..........
17.. ब्राम्हण मन्दिरों मे धंटा बजायेंगा और कानुन बनायेंगा और - - - - - मूलनिवासीयों आप की आने वाली पीढ़ी इस सब की जिम्मेवार आपको मानेंगी और वो कहेगी की अगर हमारे मूलनिवासी लोग एक जुट होकर उन हालातों का मुकाबला करते तो शायद ये दिन नही आते। भाईयो अभी कुछ भी नही बिगड़ा है। भाईयो आप को पता है कि आप के एक भाई ने अकेले उस समय इन से टक्कर ली थी जब
हालात उन के विपरित थे। और आज तो हालात आप के साथ हैे। और भाईयो उसी आप के भाई ने रात दिन का चेन गवां कर परिवार का सुख नही देखा और आप के अधिकारों के लियें संविधान बनाया । आज स्थिति ऐसी हो गयी हैे कि एक दलित(राष्ट्रपति) आप का भाई ही अपने हाथों से उसी संविधान को खत्म करेगा और आप आवाज तक भी नही निकाल पाओगे। क्योकि वो भी दलित है।
भाइयों बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञा को नहीं मान पा रहे हो तो कम से कम दो प्रतिज्ञा ही मान लो मंदिरों में जाकर घंटा बजाना इनके तोहार बनाना छोड़ दो और संगठित रहो इतने में ही इनको समझ आ जाएगी।
जागो भाईयो जागो मूल निवासी हित में जारी
जय भीम नमौ बुद्धाय जय मुल निवासी जय भारत
जय शाहू जी महाराज जय रावण जय ज्योतिबा फुले
जय अशोक........................🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*बौद्धो का पहला पतन*
मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक महान मोर्य जो नागवंशी थे उनके 11वें वंशज बौद्ध सम्राट *राजा बृहद्रथ मोर्य* की उसी के ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने पहले तो अपनी बहन का विवाह सम्राट बृहद्रथ मोर्य से किया और फिर सेनापति बन गया और सेना को अपने वश मे कर एक दिन परेड की सलामी लेते समय अचानक गला काटकर उनकी हत्या कर दी और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था। सेना अध्यक्ष होने के कारण किसी ने उसका विरोध नही किया। लेकिन जब वह सिहांसन पर बैठा और उसने अश्व मेघ यज्ञ किया तो बौद्ध प्रजा इस यज्ञ मे शामिल नहीं हुई। और यज्ञ कि बहिष्कार कर दिया।
*जिसके बाद उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक बौद्ध विहारों, स्तूपो को ध्वस्त करवा दिया था तथा लाखो बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम किया था।पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण धर्म कबूल करवाता था*।
दिव्यावदान' के अनुसार पुष्यमित्र बौद्धों से द्वेष करता था, और उसने सम्राट अशोक महान द्वारा बनवाये 84,000 बौद्ध स्तूपों को नष्ट करवाया था, और लाखो बौद्ध भिक्षुओं की हत्या करायी थी।
उत्तर पश्चिम क्षेत्र पर यूनानी राजा मिलिंद का अधिकार था जिसे मिलिण्डर भी कहा जाता है। राजा मिलिंद बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। जैसे ही राजा मिलिंद को पता चला कि पुष्यमित्र शुंग ,बौद्धों पर अत्याचार कर रहा है तो उसने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया।पाटलिपुत्र की जनता ने भी पुष्यमित्र शुंग के विरुद्ध विद्रोह खड़ा कर दिया इसके बाद पुष्यमित्र शुंग जान बचाकर भागा और उज्जैनी में जैन धर्म के अनुयायियों की शरण ली।
*जैसे ही इस घटना के बारे में कलिंग के राजा खारवेल को पता चला तो उसने अपनी स्वतंत्रता घोषित करके पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया*। *पाटलिपुत्र से यूनानी राजा मिलिंद को उत्तर पश्चिम की ओर धकेल दिया*।
इसके बाद ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी *साकेत को बनाया।पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया।* अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी...
दिव्यावदान को अनुसार राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति बौद्ध भिक्षु का सर(सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।
*इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ। राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे । इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे।राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा ,बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था* । *इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।
*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात "सरयू" हो गया*।
*इसी "सरयू" नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने "रामायण" लिखी थी।* *जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और दस सर वाले रावण के रूप में मौर्य सम्राट का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था।* यहा दस सर कि कल्पना को मोर्य वंश के दस पूर्वजों से जोड़ा गया है। पहले राजकवि द्वारा राजा कि प्रशंसा मे कविता ओर कहानियां लिखी जाती थी जिनमे राजा को महाबलशाली या देवता के रूप मे दिखाना आम बात थी। दक्षिण भारत मे यह बहुत ही आम बात थी कहानी जितनी सच्ची लगती थी ईनाम भी उतना ही बड़ा होता था। जैसे उत्तर मे अकबर के लिये अकबरनामा लिखा गया। और दक्षिण मे विजय नगर के राजाओ आदि के लिये लिखा गया साहित्य ।
इसी मे श्री लंका के प्राचीन द्रविड़ नागवंशी राजा रावण और श्री लंका के प्राचीन व्यापारिक मार्ग को बड़ी चालाकी से जोड़ा गया है। जिसे आज राम सेतु कहा जाता है। प्राचीन काल मे समुद्र का जल स्तर बड़ने से यह मार्ग डूब गया था। यह कोई तैरने वाले पत्थरों का पुल नही है अपितु समुद्र तल से जुडा चट्टानी मार्ग है। वैज्ञानिको के अनुसार आने वाले 50 सालो मे कई देश 20% तक डूब जायेगे।
पुष्यमित्र के समय में यज्ञ प्रधान ब्रहमण धर्म का पुनरुत्थान शुरू हो गया था। उसके द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ ही इसके प्रमाण है।
*वायु और मत्स्य पुराण मे पुष्यमित्र शुंग का उल्लेख मिलता है। इसका अर्थ है कि ये पुराण इस अवधी मे या इसके बाद ही लिखे गये।*
*2500 साल पूर्व रावण नाम का राजा, गौतम बुद्ध के समय मे श्री लंका मे शासन किया करता था जिसे गौतम बुद्ध ने उपदेश भी दिया था। जिसका उल्लेख बौद्ध ग्रथों मे मिलता है। रावण का अर्थ राजा होता है। लेकिन रामायण के रावण के शासन काल का समय 7000 साल पहले बताया जाता है।जिस समय देवनागरी लिपि (लेखन कला) का विकास नहीं हुआ था। तब शुद्र वाल्मीकि ने रामायण संस्कृत मे कैसे लिख डाली यह सोचने वाली बात है। जबकी शुद्रो को पढ़ने लिखने कि अनुमति नही थी। और 5000 साल पुरानी दुनिया कि सबसे पुरानी सभ्यता की लिपि संस्कृत नहीं है। अर्थात संस्कृत का विकास बहुत बाद मे हुआ।यानी रामायण कि काल्पनिक कहानी का समय 7000 साल पुराना नहीं है। इस कहानी मे उस समय के स्थानो, नदियो, पहाड़ो के साथ मिथक मिला कर बड़ी चालाकी से जोड़ा गया है। ताकी विवाद पैदा हो और जब हम किसी मिथक(झूठ) पर विवाद करते हैं तो यह स्वयं सत्य साबित हो जाता है ।
*इतना ही नहीं, रामायण, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में "सरयू" नदी के किनारे हुई*।
*बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा' कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे* ?*
*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को बुद्ध कि मूर्ति से प्रेरणा लेकर मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रो को देवता बनाकर स्थापित कर दिया। और पूजा के नाम पर यहां दाव आने लगे*। इससे पहले ब्राह्मण धर्म मे ब्रह्म (भगवान) को निराकार रूप कि पूजा जाता था मूर्ति रूप मे नही। उस समय ब्राह्मण धर्म विद्यमान था। हिन्दू धर्म विद्यमान नही था।
हिन्दू धर्म का गठन आदि शंकराचार्य ने 84 धर्मों को मिला कर आज से 1200 साल पहले किया।
वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है जिसकी दो आंखे और सर पर बाल नही है। जिसे आज बलि का एक रूप भी माना जाता है ।
*पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी " सच्ची रामायण" पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।
*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है*।
*सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है कि " रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है*।
*अथार्त् फर्जी है*।
UP जल निगम में भ्रष्टाचार का खुला खेल, 58 अंक वाले सवर्ण बने इंजीनियर, 60 अंक वाले OBC फेल - नेशनल जनमत http://nationaljanmat.com/up-jal-nigam-bhrashtachar-je-general-pass-obc-fail-2013/
कुछ तो है जो अंदर ही अंदर सड़ रहा है, हाईकोर्ट के उत्पीड़न से परेशान OBC जिला जज ने दिया इस्तीफा - नेशनल जनमत http://nationaljanmat.com/istifa-district-judge-highcourt-obc-kamal-kishore-sharma/
आरक्षण खात्मे की ओर मोदी सरकार के बढ़ते कदम, UPSC में कमाडेंट पद पर OBC आरक्षण खत्म - नेशनल जनमत http://nationaljanmat.com/reservation-upsc-obc-cisf-commandant/
EVM कौन लाया इस देश मे, कब लाया, क्यों लाया?
*_कांशीराम जी के बढ़ते प्रभाव और उभरती राजनेतिक ताकत का अनुमान इंदिरा गांधी हो गया था। लोगो की जागरूकता देख कांग्रेस का खत्म होना सुनिश्चित था। तब इंदिरा गांधी देश मे EVM लेकर आई।_*
*वो अपनी साजिशों में कामयाब होती इससे पहले उसकी हत्या हो गई। और उसके बाद OBC को आरक्षण मिल गया। अगर इंदिरा न मरती तो OBC को कभी आरक्षण नहीं मिल पाता। और EVM के खेल से कभी कोई दूसरी गैर ब्राह्मण राजनैतिक पार्टी पनप ही नहीं पाती।*
*इस साजिश को समझना जरुरी है। कि आखिर क्यों कांग्रेस दबी जुबान में BJP द्वारा EVM धांधली किये जाने की बात तो बोल रही है पर EVM का विरोध नहीं कर रही?*
आज जहाँ BJP नहीं वहां कांग्रेस है, जहाँ कांग्रेस नहीं वहाँ अब BJP है। उत्तर भारत में ये प्रयोग सफल रहा... अब दक्षिण भारत की तरफ इसे आजमाया जाएगा, और क्षेत्रीय पार्टियों को समाप्त कर सिर्फ BJP कांग्रेस को ही संसद विधान सभा तक पहुंचाया जाएगा।
जम्मू कश्मीर में इसे आजमाया जाता मगर, जान का रिस्क लेने की औकात नहीं है संघीयों में इसलिए मिलीजुली सरकार का नाटक करने के लिए मामूली धांधली की गई।
आप खुद सोचिये, कांग्रेस का जनाधार खत्म हो रहा है या क्षेत्रीय पार्टियों का?
जब लगभग पूरे देश में EVM का विरोध हो रहा है तब BJP EVM के बिना चुनाव करवाने को तैयार नहीं, कांग्रेस भूले से भी EVM का विरोध नहीं करेगी।
कुछ और तथ्य जो आपको जानने चाहिए... जैसे कि..
1.
मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति वही IAS है जिन्होंने मोदी को गुजरात 2002 हत्याकांड में क्लीन चिट दिलवाई थी।
*इनकी नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात के पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने ट्वीट किया था, _‘गुजरात सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एके जोती नये मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे. भारत को अब स्वतंत्र और स्वच्छ चुनाव को अलविदा कह देना चाहिए.’_*
2.
पिछले 3 सालों में जहाँ जहाँ भी जो चुनाव बेलेट पेपर से हुए, BJP न सिर्फ चुनाव हारी है बल्कि 3-4 नं पर लुढ़क गई है।
3. विश्व भर के 195 देशों में सिर्फ 24 देशो में चुनाव EVM से होते है।
चीन, जापान, इंग्लैंड, फ्रांस, रूस, अमेरिका जैसे देशो की जनता EVM से चुनाव नहीं होने देती। भक्तो को मिर्ची लगेगी जब उनको पता चलेगा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी चुनाव बेलेट पेपर से होता है।
*अमेरिका की जनता ने EVM से चुनाव करवाने की कोशिशों को नकार कर सरकार को मजबूर किया कि चुनाव बेलेट पेपर से ही हो।*
EVM से चुनाव में सिर्फ लोकतंत्र की हत्या ही होगी। ब्राह्मण वर्चस्व कायम किया जाएगा। जब प्रशासन तंत्र में ब्राह्मणवादी विचारधारा के लोग स्थापित हो जाएंगे, संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिए जाएंगे। जैसा कि RSS अपनी विचारधारा में बतला भी चुका है।
http://m.indiatimes.com/news/india/bjp-has-most-number-of-mps-mlas-with-cases-of-crime-against-women-followed-by-shiv-sena-328843.html?utm_source=FB&utm_medium=paid
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