Tuesday, 5 September 2017

श्रीलंका

राम ने कौन सी ‘अयोध्या’ से किस ‘लंका’ पर चढ़ाई
की और वह ‘रामसेतु’ कहाँ बनाया ?
•-श्रीलंका का नाम ‘लंका’ 1972 में ही पड़ा, इससे पहले इस ‘श्रीलंका’ नाम का देश पूरे संसार में भी नही था !
•-‘अयोध्या’ को पहले ‘साकेत’ कहा जाता था। 2,000 साल
पूर्व अयोथ्या नाम का शहर भारत में नही था !
•-12,000 साल पूर्व ‘भारत’ से ‘श्रीलंका’, “सड़क-मार्ग” से जा सकते थे, क्योकि समुद्र का जलस्तर कम होने के कारण दोनो
देशों के बीच 1 to 80 किमी. तक चौड़ा जमीनी मार्ग था ।
ऐसे में 17,00,000 लाख साल पुर्व में जन्मे भगवान राम ने कौन सी ‘अयोध्या’ से किस ‘लंका’ पर चढ़ाई की और वह ‘रामसेतु’ कहाँ बनाया ? यह समझ परे की बात हैं !
-कहीं ऐसा तो नही की ‘रामायण’ कल्पनात्मक ढंग से
लिखी गई हो और प्रचार होने पर किसी शहर का नाम
‘अयोध्या’ तो किसी देश का नाम ‘श्रीलंका’ रख दिया
हो !
तथ्य और प्रमाण
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•-‘श्रीलंका’
अब चुंकी आम लोग नाम के आधार पर ‘श्रीलंका’ को ‘रावण’ की लंका मानते हैं और वहाँ स्थित प्राचीन बौद्ध-स्थलों
को भी रावण की राजधानी से जोड़ रहै हैं। पर शोधकर्ता
इससे सहमत नहीं हैं।
उस देश का नाम भी ‘श्रीलंका’ नही था! आप ‘श्रीलंका’
का इतिहास पढ़ सकते हैं। 1972 से पूर्व ‘श्रीलंका’ नाम से संसार में भी कोई देश नही था ।
भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र 31
किलोमीटर है। 1972 तक इसका नाम सीलोन
(अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे 1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द “श्री” जोड़कर श्रीलंका कर
दिया गया। आप इंटरनेट पर ‘श्रीलंका’ का इतिहास पढ़ सकते हैं । लंका से
पहले यह देश ‘सीलोंन’ नाम से जाना जाता था । ‘सीलोंन’ से पूर्व इसे ‘सिंहलद्वीप’ कहा जाता था । इससे भी पूर्व यह दीपवंशा, कुलावंशा, राजावेलिया इत्यादि नामों
से जाना जाता था।मगर ‘लंका’ कभी नही, क्योंकि स्वयं
‘लंकावासियों’ को भी राम, रामायण, और रावण का कोई
अता-पता नही था।
तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र
के यहां आने पर ‘बौद्ध धर्म’ का आगमन हुआ।
मगर भारत के ‘चोल’ शासकों का ध्यान जब इस द्वीप पर
गया तो वे इसका संबंध रावण की लंका से जोड़ने लगे ।
हालांकि तब भी श्रीलंकावासी स्वयं इस तथ्य से अनभिज्ञ
ही थे ।
‘रामायण’ में जिस ‘लंका’ का उल्लेख किया गया है वह
प्राचीन भारत का कोई ग्रामीण क्षेत्र था जो लंबे-चौड़े
नदी-नालों से आमजन से कटा हुआ था ।कई इतिहारकारों के
अनुसार यह स्थल ‘दक्षिण-भारत’ का ही कोई क्षेत्र था ।
*द्वितीय- भारत और ‘श्रीलंका’ के बीच में “कोरल्स” की
चट्टानें है उन्हें पत्थर नहीं कहा जा सकता है । इन ‘कोरल्स’
की संरचना ‘मधुमक्खियों’ के छत्ते के समान होती है, जिनमे
बारीक़ रिक्त स्थान होते है।
अतः किसी भी हल्की वस्तु का आयतन, पानी के घनत्व के
कम होने पर वह तैरने लगती है !!!
•-‘अयोध्या’
यहीं नही अपितु राम की कथित ‘अयोध्या’ भी दो हजार
वर्ष पूर्व अस्तित्व में नहीं थी।आज जिसे अयोध्या कहते है
उसे पहले ‘साकेत’ कहा जाता था ।
‘मौर्यकाल’ के बाद ‘शुंगकाल’ में ही “साकेत” का नाम
अयोध्या रखा गया।
बौद्धकालीन किसी भी ग्रंथ में अयोध्या नाम से कोई
स्थान नही था ।’साकेत’ का ही नाम बदलकर ‘अयोध्या’
रखा गया।
-उपरोक्त तथ्यों के अलावा भी तथ्य हैं ।
वैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर ‘आधुनिक-मानव’ (Homo-
sapiens) की उत्पति1 लाख, तीस-हजार साल पूर्व
‘अफ्रीका’ में हुई थी। कालांतर में आज से एक लाख साल पूर्व
वहां से मानव का भिन्न-भिन्न कबीलों के रूप में भिन्न-
भिन्न ‘द्वीपों’ और ‘महाद्वीपों’ की और अलगाव होता
रहा।
हमारे ‘भारत’ में मानव का 67,000 साल (सतसठ हजार) पूर्व
आना बताया गया है।
इन तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि जो घटनाये
आज समाज के सामने प्रस्तुत की जाती हैं उनका गहराई से
अध्यन ज़ुरूर करना चाहिये तभी सत्यता को समझा जा
सकता है।अन्यथा कल्पनाओ में डुबोकर लोगो को पांखण्ड और अंधविस्वास के सहारे सिर्फ मारा ही जा सकता है.
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Names_of_Sri_Lanka

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