Tuesday 5 September 2017

देश में धार्मिक डेरे

देश में 6 हजार धार्मिक डेरे।
32 हजार धर्म गुरु।
अनगिनत धर्म स्थल और अनगिनत पुजारी।
वे दावा करते हैं कि हम समाज को दिशा दे रहे हैं।
शान्ति और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।
मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसी समाज में शांति कायम रखने के लिए पुलिस-फोर्स की जरूरत पड़ती है।
कानूनी डंडा चलाना पड़ता है। यहां धर्मों की विश्वसनीयता पर सवाल है।
सच तो ये है कि धर्मों ने मिलकर देश को खोखला किया है।
 वे देश की एकता में अड़चन हैं। हमें चीन और पाकिस्तान से खतरा नहीं।
असली खतरा धर्मों से है।
धर्म देश की आंतरिक सुरक्षा में बाधा हैं।
सरकारी तंत्र धर्मों के आगे कमजोर पड़ जाता है।
पहले बाबाओं की सुरक्षा में पुलिस लगाओ।
उनका रुतबा बढ़ जाएगा।
वे गलत काम करेंगे।
फिर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दौड़ाओ।
अजीब हालात हैं।
संत समाज खुद भटका नजर आता है।
वरना गुरुनानक देव, कबीर, फ़रीद, महात्मा बुद्ध को जेड सिक्योरिटी की जरुरत नहीं पड़ी। इसमें कसूर बाबाओं का नहीं, बल्कि हमारी अपनी कमजोरियां हैं।
क्योंकि हमारी अपनी बुद्धि गिरवी है।
धर्मों ने अंधा इतना बना दिया कि हम ठीक से सोच ही नहीं पा रहे। अहंकारी इतना बना दिया कि अपने खिलाफ भी नहीं सुन सकते।


*राम रहीम बलात्कारी*

जिस बात की आशंका थी वही हुआ,पूरा पंचकूला तहस नहस हो गया।

इस *हरामजादे बलात्कारी राम रहीम* की वजह से।किस बात की 21वीं सदी में हिंदुस्तान है।आज भी हम हूणों के शासन में जी रहे हैं।

*जब धारा 144 लागू थी तो तो इतने लठ्धारी जाहिल इकट्ठे कैसे हो पाए?*

मेरे एक मित्र ने फ़ोन पर बताया कि  *बाबा बलात्कारी* के ये चेले चेलियाँ पंचकूला के रियहायशी इलाकों में घुस के तोड़ फोड़ और लूट पाट कर रहे हैं।

*अगर ये काम मुसलमानों ने किया होता तो आज सारे मुसलमान कठघरे में खड़े कर दिए जाते।*

*शंकराचार्य को जब मर्डर केस में जेल भेज गया तो विरोध तो हुआ परंतु समर्थकों की इतनी मज़ाल नही हुई कि इस प्रकार पूरी कानूनी मशीनरी को पंगु बना सकें।*

*क्या मोदी जी,खट्टर जी,कैप्टन बोलेंगे की किसने पुलिस के हाथ बांध दिए।*

*कन्हैया,उमर खालिद ने आज़ादी मांगी तो ठोके गए।आज इस बाबा बलात्कारी के चेले चेलियाँ सरेआम कह रहे हैं कि,"अगर हमारे बाबाजी को सजा हुई तो इस इंडिया की ईंट से ईंट बजा देंगे।*

*इन्हीं बलात्कारियों ने निर्भया कांड किया,अभी वर्णिका कुंडू वाली घटना तो ताज़ा ही है।इतनी मोमबत्तियां जलीं, कानून बने,और इस बलात्कारी बाबा की चेलियाँ अपनी अस्मत लुटाने को अब भी आतुर हैं।*

*लानत है देश के नीति नियंताओं पर।सिर्फ वोट के लिए ऐसे बाबाओं को तरजीह दी गयी।बताइये इस हरामी बाबा को जेल ले जाने के लिए हेलीकाप्टर का सहारा लेना पड़ा।*

अभी अभी हाई कोर्ट हरयाणा,पंजाब ने इस बाबा की सारी संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया।अरे इसे तो चौराहे पर लटका देना चाहिए।

सारे नियम कानून सिर्फ  मध्यवर्ग के लिए है जो रोटी के जुगाड़ में भगमभग कर रहे हैं।

*चाहे कोई पार्टी या नेता हो सब इन बाबाओं,मुल्लाओं,पादरियों  के आगे मत्था टेकते हैं, सिर्फ वोट के लिए।*

आप क्या कर लेंगे,मेहनत मशक्कत करके।25 प्रतिशत आबादी टैक्स देती है।कुछ विकास होता है तब तक ये साले जाहिल लोग और नेतागण मिल के पुंगी बजा देते हैं।

*मैं तहेदिल से मानता हूं कि केंद्र व राज्य की सरकारें बुरी तरह फेल हो गईं या वोट के स्वार्थ में ये होने दिया गया।*

6 comments:

  1. 👉बाबा जी को किसी भगवान पे विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है "
    अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, वे सोचते नहीं हैं....

    👉बाबा जी दौलत के ढेर पे बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया छोड़ दो "
    लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे.. अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, वे सोचते नहीं हैं.....

    👉भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं, लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं.. अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....

    👉भक्त बीमार होते हैं..डॉक्टर से दवा लेते हैं.. जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया " बाबा जी बीमार होते हैं तो बड़े डॉक्टरों से महंगे हस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं. अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....

    👉अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं...उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.

    👉लेकिन जब बाबा किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....

    👉इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं,लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती...

    *अतः तार्किक बनें❗अक्ल के अंधे नहीं❗*

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  2. *उजाला क्या करेंगे खुद, जो अंधेरों में रहते हैं,*
    *ये माला फेरने वाले, अजब फेरों में रहते हैं ।।*

    *लगा दो आग, ऐसे आस्था के शामियानों में,*
    *हवस के भेड़िये, छुप कर इन्हीं डेरों में रहते हैं ।।*

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  3. *हम तो काफी कन्फ्यूज्ड हो गये हैं समझ नहीं आती कौन सत्य है?*
    कहते हैं कण कण में भगवान है, और वह निराकार है एवं उसे कुछ नहीं चाहिए।
    पर, आलीशान मन्दिर बनवा उसे अपने रूप में आकर देते हैं। इन घटिया ब्राह्मणों के थोपे सोंच अनुसार कहीं शिव का लिंग तो कहीं योनि तो कहीं मेंस ब्लड तो कहीं जानवर का बलिदान तो कहीं इन्शान का बलि दे कर कर्मकांड बनाया है एवं पैसा एवं स्वास्थ्य को बर्बाद करवाया है।
    नीग्रो काला मूर्ति अपने वेश भूषा का, भारतीय अपने फेस अनुशार पत्थर या सोने की मूर्ति बैठा देवी को साड़ी तो देव को लँगोट एवं अपने पसंद अनुसार सुगन्ध का अगरबत्ती एवं लड्डू चढ़ा भगवान मान लेते हैं।
    कहते हैं भगवान को कुछ नहीं चाहिए, पर सोने चाँदी से लाद देते हैं। कहते हैं, जिसे कोई लोभ, लालच एवं सांसारिक मटेरिलज्म से दूर सादगी में रहते हैं उसे सन्त एवं साधु कहते हैं।
    पर, यहाँ साधू घोर लिप्सा में अकूत सम्पति, महंगी गाड़ी, सोने के पलंग, थाली एवं सुंदरियों के साथ अंतरंग रह सांसारिक सुखों में भाव विभोर हैं।
    कहते हैं भगवान सब के लिये बराबर है एवं सभी मनुष्य उनका अंश है, यहाँ कर्म ही धर्म है। पर, उसी माने हुये भगवान के पास किसी का इन्ट्री है तो कोई उनके लिये अछूत हैं तो कहीं महिला होने के नाते इनका मन्दिर एवं सामुहिक जगहोँ या प्रयोजनों में इन्ट्री बन्द है।
    भगवान के अंश वाले आदमी में ब्राहमण बिना कर्म एवं काम के धर्म के शिखर पर है जिसे बैठा कर मेवा मिष्टान खिलाते ही नहीं, उसे विभिन्न प्रयोजन में शाष्टांग दण्डवत कर केरल के नायर समाज में नई नवेली पत्नी को 10 दिनों तक धर्म के *सम्बन्धम*नाम पर नम्बूदरी ब्राहमण के रेप करने के बाद हीं पत्नी स्वीकार करने की परंपरा है।
    बताते हैं ख़ुशी में ढोल बाजे एवं भोज करना चाहिये, पर परिवार के सदस्य के मृत्यु शोक पर भी नगाड़े एवं भोज होता है।
    ऐसे अनेकों सांस्कृतिक विरासत हमें मिले हैं, जिसे ढो रहे हैं एवं इस ब्राह्मण धर्म एवं ब्राह्मणों को श्रेष्ठ मान कर गौरवान्वित हो रहे हैं। अब हमें बतायें कौन सिद्वयांत सत्य तो कौन झूठ है।
    *These brahminic garbage cultural legacies are great paradox for us.*
    डॉ निराला

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  4. दलाल मीडिया कह रहा है कि लोग इतने अंधविश्वासि कैसे हो गए !

    अरे मूर्खोँ सुबह चैनल खोलते ही आरती, राशिफल, व्रत, त्योहार, हनुमान चालिसा, जय हनुमान, कृष्णा, हर हर महादेव, रामायण, महाभारत, बाबाओँ के प्रवचन, तथाकथित राधे माँ का रंगारंग शो !
    प्यासी चुड़ैल, नागिन का बदला, कंचना, स्वर्ग-नरक, शनि-देव तमाम अंधविश्वास पर आधारित कार्यक्रम दिन-रात चलाकर लोगों के दिमाग मे गोबर भरते हो और बेशरम बनकर टी वी पर चोटी कटवा जैसे मुद्दे पर डिबेट करवाते हो और पूछ रहे हो कि लोग अंधविश्वासि कैसे बन गए !

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  5. Himanshu Kumar की वाल से कॉपी

    गुरमीत राम रहीम के करोड़ों शिष्य थे,

    उनमें विज्ञान की पढ़ाई पढ़े हुए डाक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस, नेता, अफसर सभी थे,

    वह शराबी, अय्याश, गुंडा और बलात्कारी था,

    उसे यह सभी बुद्धिमान लोग भगवान मानते थे,

    और लोगों के मूर्ख बने रहने का सिलसिला कोई एक दो घंटे के लिए नहीं हुआ,

    लोग सत्ताईस साल तक मूर्ख बनते रहे,

    आज भी गुरमीत राम रहीम के भक्तों की संख्या में कमी नहीं आयी है,

    एक खबर देख रहा था कि पिछले हफ्ते गुरमीत राम रहीम के ऑन लाइन फालोवर्स की संख्या में लाखों लोगों का इजाफा हुआ है,

    कैसे हुआ यह जादू कि इतने करोड़ लोग मूर्ख बने रहे, और आज भी बन रहे हैं,

    ऐसा कीजिये किसी खुली टोकरी में कुछ केंकड़े रख दीजिये,

    देखिएगा उनमें से एक भी केंकड़ा निकल कर भाग नहीं पायेगा,

    क्योंकि जैसे ही कोई एक केंकड़ा आज़ाद होने के लिए ऊपर चढ़ेगा,

    दुसरे केंकड़े उसकी टांग पकड कर वापिस टोकरी के भीतर गिरा लेंगे,

    और इस तरह आपके सारे केंकड़े टोकरी में ही बने रहेंगे,

    गुरमीत राम रहीम के डेरे का कोई भी भक्त जब डेरा छोड़ना चाहता था तो बाकी के भक्त उसकी जान के दुश्मन बन जाते थे,

    इसके अलावा पूरा परिवार ही भक्त बनता था,

    व्यक्ति अपने परिवार से प्रेम के चलते परिवार का मन रखने के लिए गुरमीत राम रहीम का भक्त बना रहता था,

    मैं जब हिन्दू पंथ में फ़ैली कट्टरता और साम्प्रदायिकता के बारे में लिखता हूँ,
    तो मेरा विरोध कई सारे हिन्दू करते हैं,

    वो कहते हैं कि तुझे सारी बुराइयां हिन्दुओं में ही नज़र आती हैं ?

    और उसके बाद मेरे सामने मुसलमानों की बुराइयों की एक लम्बी लिस्ट रख दी जाती है और कहा जाता है कि इस पर बोल कर दिखा,

    कुछ लोग आकर कहते हैं कि हिन्दू इतने ही बुरे हैं तो अपना नाम बदल ले,

    कुछ लोग आकर कहते हैं कि मैं पाकिस्तान चला जाऊं वगैरह वगैरह,

    मेरी तरह ही मेरे कुछ मुसलमान दोस्त लेखक भी हैं,

    वो मुसलमानों के बीच फ़ैली हुई कुरीतियों के खिलाफ लिखते हैं,

    उनकी वाल पर जाकर मैं देखता हूँ तो उन्हें भी मुसलमान आकर उसी तरह डांट रहे होते हैं जैसे मुझे हिन्दू डांटते हैं,

    मुसलमानों की कुरीतियों के बारे में लिखने वाले मुसलमान दोस्तों को संघ का दलाल, मुसलमानों को बदनाम करने वाला, इस्लाम छोड़ दो, वगैरह वगैरह ऊलजुलूल कमेन्ट मिलते हैं,

    असल में हम सब गुरमीत राम रहीम के भक्तों जैसे दिमाग वाले लोग ही हैं,

    हम आज़ाद दिमाग से सही गलत का फैसला करने की समझ गँवा बैठते हैं,

    हम अपने सम्प्रदायों की गुलामी को ही धर्म समझ बैठे हैं,

    धर्म का नाम हिन्दू या मुसलमान नहीं है,

    दुनिया में धर्म तो एक ही हो सकता है,

    वह है इंसान का धर्म,

    हिन्दू मुसलमान सम्प्रदायों का नाम है,

    पूजा नमाज़, व्रत, रोज़ा, उपवास, टोपी, चोटी, दाढ़ी, बुरखा, घूँघट, बकरा, गाय, अरबी, संस्कृत का सम्बन्ध धर्म से है ही नहीं,

    जो लोग जिस सम्प्रदाय में पैदा हुए हैं और उसकी कुरीतियों के खिलाफ लिख बोल रहे हैं,

    वही लोग उस सम्प्रदाय के लोगों को अज्ञान से बाहर निकाल सकते हैं,

    दुसरे के सम्प्रदाय की बुराई देखने से आपका कोई फायदा नहीं होगा,

    जो मुसलमान लोग, हिन्दू सम्प्रदाय की बुराइयां देखते हैं इससे उनका अपना कोई भी फायदा नहीं होने वाला,

    इसी तरह जो हिन्दू लोग, मुसलमानों की बुराइयां खोजते रहते हैं वो हिन्दुओं का कोई भला नहीं कर रहे,

    भला तभी होता है जब आप अपनी कमी खोजते हो और उसे दूर करने की कोशिश करते हैं,

    मैं अपने मुस्लिम लेखक दोस्तों द्वारा मुसलमानों की कमियों पर लिखी गई किसी भी पोस्ट पर कभी कमेन्ट नहीं करता,

    क्योंकि उससे मुसलमान डर सकते हैं कि देखो ये हिन्दू लोग हमारी मज़ाक बना रहे हैं,

    इसी तरह से अगर हिन्दुओं की कुरीतियों के खिलाफ लिखी गई किसी पोस्ट पर मुसलमान आकर समर्थन में कमेन्ट करते हैं तो उससे हिन्दू डर जाते हैं कि देखो मुसलमान हमारी मज़ाक बना रहे हैं,

    इसलिए आपके अपने फायदे में यही है कि अपने बीच फ़ैली हुई बुराइयों को खोजिये और उन्हें जितनी जल्द हो छोड़ दीजिये,

    इसी में आपके समुदाय का फायदा है,

    दुसरे सम्प्रदायों की बुराइयां खोज कर खुद को ऊंचा समझने में इस दुनिया ने कई हज़ार साल बर्बाद कर लिए हैं,

    गुरमीत राम रहीम के चेलों जैसे मत बनिये जो अपनी बुराइयों को देखने में असमर्थ हो गए और अपने गुरु पर लगे बलात्कार के आरोप से गुस्सा होकर शहर में आग लगाने और दूसरों को मारने के लिए निकल पड़े थे,

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  6. Counter of Brahman

    निर्मल बाबा सिक्ख ब्राह्मण है
    आशाराम सिन्धी ब्राह्मण
    रामरहीम भी सामान्य कटेगरी के सिक्ख है !
    राधे मॉ ब्राह्मण है
    ब्राह्म कुमारी भी ब्राह्मण है
    रामबृक्ष यादव है'
    चित्रकूट के बलात्कारी बाबा भीमानन्द ब्राह्मण है जिन्हे कोर्ट से आजीवन करावास की सजा हो चुकी है सेक्स रैकेट चलाते थे!
    नित्यानन्द स्वामी ब्राह्मण है जिन्हे कोर्ट से सजा मिल चुकी है बलात्कार के केश मे!
    साक्षी महराज सासद भाजपा ब्राह्मण ही है जिनके ऊपर दो दो बलात्कार के केश चल रहे है एक तो दत्तक पुत्री ही थी जिसके साथ रेप किये है साक्षी महराज!
    स्वामी सदाचारी तथा स्वामी ओम दोनो ब्राह्मण है जो बलात्कार तथा देह व्यापार मे गिरप्तार किये जा चुके है जिनके ऊपर 1994 मे केश फाइल हुआ था!
    स्वामी जो बेहद जाहिल किस्म का हरामखोर बाबा था जो महिलाओ से देह व्यापार करवाता था !
    स्वामी प्रेमानन्द शर्मा जो सेक्स रैकेट चलाते थे जिन्हे सजा हो चुकी है यह भी ब्राह्मण थे!
    जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य भी विवादो फस चुके थे यह भी ब्राह्मण ही है भारत की सभी शंकराचार्य आज तक ब्राह्मण ही बनाये जाते रहे है !
    बाराबंकी वाले बाबा रामांनन्द तिवारी जो अभी हाल मे सेक्स रैकेट चलाते हुए पकडे है जेल मे है ये भी ब्राह्मण ही है
    सुलतानपुर मे मयंक मझवारा मे कभी सेक्स रैकेट चलाने का काम संत ग्यानेस्वर यह भी तिवारी थे देवरियॉ जिले के ब्राह्मण ही है जो सपा विधायक इन्द्रभद्रसिंह की हत्या कराया था!
    यह भी सदैव लडकियो के साथ ही रहता था इलाहाबाद कुंभ से निकलते समय जब मारा गया तब भी 8 लडकियॉ साथ मे थी जो बाबा के साथ मारी गयी थी!
    कृपालु जी महराज कुण्डा मनगढ प्रतापगढ के है ये तो बचपन से ही अय्याशी मे लिप्त रहते थे ;तो प्रतापगढ छोडकर मथुरा मे बृन्दावन मे जाकर अंधभक्त बनाकर अपना धर्म के नाम का विजनेस शुरू किया था जो जाति से ब्राह्मण ही है जो पुर्तगाल मे होटल मे एक लडकी के साथ रेप किया था वहीं गिरप्तार हो गया था केश चल रहा था अब तो मृत्यु हो चुकी है !

    एेसे हजारो उदाहरण है जहा पाखण्ड तथा धर्म का व्यापार हो रहा है कौन कर रहा ये सब आप सबको पता है

    इन सबकी कटेगरी तथा जाति पता कर सकते है जनसूचना अधिकार के तहत !
    बाकी अयोध्या से लेकर काशी मथुरा विन्यांचल तक कितने बाबा अय्याशी तथा धनलोलुप्ता मे मे डूबे है सबकी जाति पता कर सकते है कि किस जाति के लोग यहा पंण्डागीरी कर रहे है !
    बाबाओ तथा मन्दिरो मे पूरे भारत मे 1% को छोडकर 99% ब्राह्मणो का ही कब्जा है

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