अगर मुसलमान ना होते तो हिन्दु भी ना होते,
यकीन ना हो तो मुसलमानों के भारत में आने से पहले के शास्त्र देख लो,
कहीं हिन्दु शब्द था ही नहीं,
हम क्षत्रीय, ब्राहमण, शूद्र, शैव, वैष्णव, गोंड, भील, बौद्ध, जैन थे,
लेकिन कोई भी हिन्दु नहीं था,
आज भी कोई हिन्दु नहीं है,
कल्पना कीजिये अगर भारत में मुसलमान ना रहें,
और दलितों का आरक्षण समाप्त कर दिया जाय,
तो क्या सवर्ण जातियां दलितों को पूरी मज़दूरी देने लगेंगी ?
क्या दलितों की पिटाई और उनकी बस्तियां जलाना बन्द हो जायेगा,
क्या सवर्णों की लड़कियां दलित युवकों से प्रेम विवाह करेंगी तो सवर्ण लोग राष्ट्र एकता के वास्ते उसे खुशी खुशी स्वीकार करेंगे ?
नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा ?
बस यही होगा कि तुम्हारी फर्जी श्रेष्ठता का घमंड जो मुसलमानों से नफरत की गन्द में मजा ले रही है,
मुसलमानों की बजाय दलितों से नफरत में मजा लेने लगेगी,
लेकिन घबराओ मत, सिर्फ तुम ही इस बीमारी से पीड़ित नहीं हो,
गोरा काले से खुद को श्रेष्ठ मानता है,
शिया सुन्नी से सुन्नी शिया से,
कैथोलिक प्रोटेस्टेंट से, यूरोपियन अफ्रीकी से, खुद को श्रेष्ठ मानता है,
यह बीमारी इतनी ज्यादा है कि हम जो ब्राह्मण है वह अपने से अलग तरह के ब्राह्मणों को अपने से नीच मानते हैं,
जैसे हम सनाढ्य है तो हम कान्यकुब्ज मैथिल सारस्वत उत्कल बंग सभी ब्राह्मणों को अपने से नीच मानते हैं,
तो यह जो अपने को ऊंचा मानने की बीमारी है इसका कोई अंत नहीं है,
इसलिए हे मूर्ख हिंदुओं,
अपनी बीमारी को पहचान लो और मुसलमानों, ईसाईयों और दलितों से नफरत करना बंद कर दो और इंसान बन जाओ,
यकीन ना हो तो मुसलमानों के भारत में आने से पहले के शास्त्र देख लो,
कहीं हिन्दु शब्द था ही नहीं,
हम क्षत्रीय, ब्राहमण, शूद्र, शैव, वैष्णव, गोंड, भील, बौद्ध, जैन थे,
लेकिन कोई भी हिन्दु नहीं था,
आज भी कोई हिन्दु नहीं है,
कल्पना कीजिये अगर भारत में मुसलमान ना रहें,
और दलितों का आरक्षण समाप्त कर दिया जाय,
तो क्या सवर्ण जातियां दलितों को पूरी मज़दूरी देने लगेंगी ?
क्या दलितों की पिटाई और उनकी बस्तियां जलाना बन्द हो जायेगा,
क्या सवर्णों की लड़कियां दलित युवकों से प्रेम विवाह करेंगी तो सवर्ण लोग राष्ट्र एकता के वास्ते उसे खुशी खुशी स्वीकार करेंगे ?
नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा ?
बस यही होगा कि तुम्हारी फर्जी श्रेष्ठता का घमंड जो मुसलमानों से नफरत की गन्द में मजा ले रही है,
मुसलमानों की बजाय दलितों से नफरत में मजा लेने लगेगी,
लेकिन घबराओ मत, सिर्फ तुम ही इस बीमारी से पीड़ित नहीं हो,
गोरा काले से खुद को श्रेष्ठ मानता है,
शिया सुन्नी से सुन्नी शिया से,
कैथोलिक प्रोटेस्टेंट से, यूरोपियन अफ्रीकी से, खुद को श्रेष्ठ मानता है,
यह बीमारी इतनी ज्यादा है कि हम जो ब्राह्मण है वह अपने से अलग तरह के ब्राह्मणों को अपने से नीच मानते हैं,
जैसे हम सनाढ्य है तो हम कान्यकुब्ज मैथिल सारस्वत उत्कल बंग सभी ब्राह्मणों को अपने से नीच मानते हैं,
तो यह जो अपने को ऊंचा मानने की बीमारी है इसका कोई अंत नहीं है,
इसलिए हे मूर्ख हिंदुओं,
अपनी बीमारी को पहचान लो और मुसलमानों, ईसाईयों और दलितों से नफरत करना बंद कर दो और इंसान बन जाओ,
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