Tuesday 26 September 2017

अमित शाह

सन 1964 में मुंबई के एक संपन्न गुजराती जैन परिवार में जन्मे अमित शाह के पिता का नाम अनिलचन्द्र शाह और माता का नाम कुसुमबा है.
https://www.youtube.com/watch?v=-aNc_LsWEX4

अपनी 6 बहनों के बीच अमित शाह एकलौते भाई हैं. अमित शाह के परिवार में उनकी पत्नी सोनल शाह, पुत्र जय शाह और पुत्रवधू हर्षिता शाह हैं. अमित शाह का विवाह 23 वर्ष की उम्र में सन 1987 में सोनल शाह के साथ हुआ था.

बायोकेमिस्ट्री में B.SC. डिग्री धारक अमित शाह राजनीति में आने से पहले प्लास्टिक और PVC पाइप का बिज़नस करते थे. इसके अतिरिक्त अमित शाह एक स्टॉक ब्रोकर भी रह चुके हैं.

बचपन में अमित के पिता अनिलचन्द्र ने अपनें 6 बेटीयों के पिछे अपने पुत्र को लगा दिया, 6 बहने क्या करती हैं, किससे मिलती है, यह सब अमित के जिम्मे था..यानी बचपन से ही महिला जासूस था...

इमरजेन्सी के बाद लापता मोदी जब अपने गृहराज्य को लौटे, अहमदाबाद में पढाई करने वाली छात्र सोनल नामक लडकी से प्यार हुआ...

सोनल मूलता महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली है, उनकी फैमिली बाद में अहमदाबाद शिफ्ट हुई.

सोनल के पिता संघ के सदस्य थे, 1980 से 1984 के दौर में मोदी का संघ में अच्छा प्रभाव था, उसी समय अमित शाह और मोदी के बिच गहरी दोस्ती हुई...

सोनल नरेंद्र से शादी करना चाहती थी, लेकिन मोदी अपने राजनितिक कारणों का हवाला देकर उससे पिछा छुड़ाते थे..

 जब सोनल को पता चला वह गर्भवती है, तब मोदी ने कहा के मै पहले से ही शादी शुदा हूँ...
मैंनें कुछ साल पहले ही संन्यास लिया है,


 तुमसे मेरा विवाह नहीं हो सकता... नरेंद्र ने तुरंत सोनल का गृभपात करवा कर सोनल से दूरी बना ली..

कुछ महिनों बाद नरेंद्र ने बडी चालाकी से अमित और सोनल को शादी के लिए मनवा लिया, जल्द ही सोनल और अमित विवाहसूत्र में बंध गये...

सोनल से मिलने और उसके करीब रहने के लिए नरेंद्र ने अमित से और ज्यादा गहरी दोस्ती बनाई...

आज नरेंद्र के ही बदौलत अमित इतनी बड़ी उंचाई को छू सका है..

अमित ने अब तक छोटे मोटे 40 चुनाव लढे, आज तक उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पडा..

1990-91 के दशक में मोदी ने अमित को लालकृष्ण आडवाणी के प्रचार की अहम जिम्मेदारी दी..

सोनल अपने पति के राजनैतिक भविष्य को उज्वल बनाने के लिए नरेंद्र का शिकार होती रही..

अमित को 1996 के अंत में मोदी और सोनल के नाजायज़ संबध का पता चला तब मोदी ने अमित के गुस्से को शांत करने के लिए  सरखेज उपचुनाव में विधायक का टिकट दिलवाने की बात कहकर उस मामलें को वहीं दबा दिया..

1997 में वह पहली बार विधायक के तौर पर चुने गए..

अमित शाह शंतरज के खिलाड़ी है. वह गुजरात स्टेट चेस असोसिएशन के चेअरमैन भी थे..

पार्टी हायकमान के आदेश पर मोदी मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए.. नरेन्द्र मोदी सोनल के प्यार में या फिर दबाव में मजबूरन अपने मंत्रीमंडल में अमित को भी जगह देनी पड़ी..


2003 में अमित गृहराज्य मंत्री बने,

2004-5  में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित रूप से एक फर्जी मुठभेड़ में 19 वर्षीय इशरत जहां, ज़ीशान जोहर और अमजद अली राणा के साथ प्रणेश की हत्या हुई थी। इस मामले में गोपीनाथ पिल्लई ने अदालत में एक आवेदन देकर मामले में अमित शाह को मुख्य आरोपी बनाने की अपील की थी..
गुजरात पोलिस के पास अमित शाह के खिलाफ कई सबूत थे..अमित शाह को उम्र कैद की सजा भी पक्की थी..

यह फर्जी मुठभेड़ मोदी के इशारों पर ही हुआ था, एक समय ऐसा भी आया था के जब मोदी अमित शाह को बली चढवाकर खुद इस केस से बचना चाहते थे..

लेकिन सोनल शाह के दबाव में आकर मोदी ने अपने मित्र अमित को इस केस से बचा लिया...

अमित शाह वही आतंकवादी है जो खुद अहमदाबाद में ब्लास्ट करवाकर 21 दिनों में केस सुलझाने का दावा किया था.
उस ब्लास्ट में 50 से ज्यादा लोंगों की मौत हुई थी.

फर्जी मुठभेड़ में 3 महिना जेल की हवा खाने बाद अदालत ने अमित को गुजरात से तडिपार इस लिए किया था के अमित किसी गवाह को नुकसान ना पहुंचा सके, लेकिन गुजरात के बाहर रहकर भी सारे रिकार्ड मिटाने में कामयाब रहे..

जब अमित तडिपार थे कभी दिल्ली कभी मुबंई भटक रहे थे, पत्नी सोनल ने मोदी को मजबूर करके दिल्ली में स्थित सरकारी गेस्ट हाउस (गुजरात भवन) में पूरे 6 महिने सुरक्षा के साथ सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई... एक आरोपी को मोदी ने सरकारी बंगले में रहने की परमिशन किस मजबूरी में दी...?

अमित शाह और मोदी के लिए सोनल हमेशा लकी साबित रही है..

अगर सोनल शादी के पहले मोदी के खिलाफ आवाज उठाती तो आज मोदी यह मुक्काम पर ना होता..??


अगर सोनल अमित शाह की बिवी ना बनती तो स्टाक ब्रोकर ही रहता..

नोट- ज्यादा से ज्यादा लोग शेअर करे, आखिर भक्तों को भी तो पता चले भारतीय राजनिती के चाणक्य ने यह मुक्काम हासिल करने क्या क्या दांव पे लगाया है..

1 comment:

  1. ब्राह्मण पुरुष ऐसा क्या खाते हैं कि तमाम निकम्मेपन के बावजूद BHU के लगभग 75% वाइस चांसलर ब्राह्मण पुरुष ही बने।

    डेढ़ परसेंट ब्राह्मण पुरुष आबादी 75% वाइस चांसलर दे रही है।

    ये जानना बहुत ज़रूरी है। शिक्षा की दुर्दशा के सूत्र यहीं छिपे हैं।

    इसी से यह भी पता चलेगा कि तमाम संसाधनों के बावजूद मानव विकास के UN इंडेक्स में भारत 130वें नंबर का देश क्यों है।

    सारा कचरा इन्होंने फैलाया है।

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