आरक्षण क्यूँ ?
नवभारत टाइम्स के ब्लॉग पर आरक्षण के विषय में कुछ लेख पढ़ने को मिले और उन्हीं लेखों ने मुझे ये लेख लिखने को प्रेरित किया , जब बात आरक्षण की होती है तो सब भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित-जाति, जनजाति एवं अतिपिछड़ा वर्ग को मिले उस आरक्षण या विशेष अधिकारों की ही बात करतें हैं जिन्हें लागू हुए मुश्किल से 60 वर्ष ही हुए हैं ,कोई उस आरक्षण की बात नहीं करता जो पिछले 3000 वर्षों से भारतीय समाज में लागू थी
जिसके कारण ही इस आरक्षण को लागू करने की आवश्यकता पड़ी आज ''भारतीय गणराज्य का संविधान'' नामक संविधान, जिसका हम पालन कर रहें है जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ उससे पहले जो संविधान इस देश में लागू था जिसका पालन सभी राजा-महाराजा बड़ी ईमानदारी से करते थे उस संविधान का नाम था ''मनुस्मृति''
आधुनिक संविधान के निर्माता अंबेडकर ने सबसे पहले 25 दिसंबर 1927 को हज़ारों लोगों के सामने इस ''मनुस्मृति'' नामक संविधान को जला दिया, क्योंकि अब इस संविधान की कोई आवश्यकता नही थी भारतीय संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए दिया गया क्यूंकि इस देश की 85 प्रतिशत शूद्र जनसंख्या को कोई भी मौलिक अधिकार तक प्राप्त नहीं था, सार्वजनिक जगहों पर ये नहीं जा सकते थे मंदिर में इनका प्रवेश निषिद्ध था सरकारी नौकरियाँ इनके लिए नहीं थी , ये कोई व्यापार नहीं कर सकते थे , पढ़ नहीं सकते थे , किसी पर मुक़दमा नही कर सकते थे , धन जमा करना इनके लिए अपराध था , ये लोग टूटी फूटी झोपड़ियों में, बदबूदार जगहों पर, किसी तरह अपनी जिंदगियों को घसीटते हुए काट रहे थे और यह सब ''मनुस्मृति'' और दूसरे हिंदू धर्मशास्त्रों के कारण ही हो रहा था कुछ उदाहरण देखिए-
1.संसार में जो कुछ भी है सब ब्राह्मणों के लिए ही है क्यूंकि वो जन्म से ही श्रेष्ठ है(मनुस्मृति 1/100)
2.स्वामी के द्वारा छोड़ा गया शूद्र भी दासत्व से मुक्त नहीं क्यूंकि यह उसका कर्म है जिससे उसे कोई नहीं छुड़ा सकता (8/413)
3.यदि कोई नीची जाति का व्यक्ति ऊँची जाति का कर्म अपना ले तो राजा उसे देश निकाला देदे (10/95)
4.बिल्ली, नेवला चिड़िया मेंढक, गधा, उल्लू, और कौवे की हत्या में जितना पाप लगता है उतना ही पाप शूद्र (अनुसूचित-जाति, जनजाति एवं अतिपिछड़ा वर्ग) की हत्या में है (मनुस्मृति 11/131)
5.शूद्र का धन ब्राह्मण निर्भीक होकर छीन सकता है क्यूंकि उसको धन रखने का अधिकार नहीँ (8/416)
6. सब वर्णों की सेवा करना ही शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है (गीता,18/44)
7. जो अच्छे कर्म करतें हैं वे ब्राह्मण ,क्षत्रिय वश्य, इन तीन अच्छी जातियों को प्राप्त होते हैं जो बुरे कर्म करते हैं वो कुत्ते, सूअर, या शूद्र जाति को प्राप्त होते हैं (छान्दोन्ग्य उपनिषद् ,5/10/7)
8. पूजिए विप्र ग्यान गुण हीना, शूद्र ना पूजिए ग्यान प्रवीना,(रामचरित मानस)
9.ब्राह्मण दुश्चरित्र भी पूज्यनीए है और शूद्र जितेन्द्रीए होने पर भी तरास्कार योग्य है (पराशर स्मृति 8/33)
10. धार्मिक मनुष्य इन नीच जाति वालों के साथ बातचीत ना करें उन्हें ना देखें (मनुस्मृति 10/52)
11. धोबी , नई, बढ़ई, कुम्हार, नट, चंडाल, दास चामर, भाट, भील, इन पर नज़र पड़ जाए तो सूर्य की ओर देखना चाहिए और इनसे बातचीत हो जाए तो स्नान करना चाहिए (व्यास स्मृति 1/11-13)
12. अगर कोई शूद्र वेद मंत्र सुन ले तो उसके कान में धातु पिघला कर डाल देना चाहिए- गौतम धर्म सूत्र 2/3/4....
ये उन असंख्य नियम क़ानूनों के उदाहरण मात्र थे, जो आज़ाद भारत से पहले देश में लागू थे ये अँग्रेज़ों के बनाए क़ानून नहीं थे ये हिंदू धर्म द्वारा बनाए क़ानून थे जिसका सभी हिंदू राजा पालन करते थे प्रारंभ में तो इन्हें सख्ती लागू करवाने के लिए सभी राजाओं के ब्राह्मणों की देख रेख में एक विशेष दल भी हुआ करता था
इन्ही नियमों के फलस्वरूप भारत में यहाँ की विशाल जनसमूह के लिए उन्नति के सभी दरवाजे बंद कर दिए गये या इनके कारण बंद हो गये, सभी अधिकार, या विशेष-अधिकार, संसाधन, एवं सुविधायें कुछ लोगों के हाथ में ही सिमट कर रह गईं, जिसके परिणाम स्वरूप भारत गुलाम हुआ।
भारत की इस गुलामी ने उन करोड़ों लोगों को आज़ादी का अवसर प्रदान किया जो यहाँ शूद्र बना दिए गये थे , इस तरह धर्मांतरण का सिलसिला शुरू हुआ , बड़ी संख्या में लोगों ने इस्लाम व ईसाइयत को अंगीकार किया , अंग्रेजों के शासन काल में उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ से यहाँ पुनर्जागरण काल का उदय हुआ जिसके नायक यहीं के उच्च वर्गिए लोग थे जो अँग्रेज़ी शिक्षा, संस्कृति से प्रभावित हो कर देश में बदलाव लाने को प्रयत्नशील हुए,
सती प्रथा को समाप्त किया गया स्त्री शिक्षा के द्वार खोले गये , शूद्रों को नौकरियों में स्थान दिया जाने लगा और कितनी ही क्रूर प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया ,कई परिवर्तनशील ,संगठनों का उदय हुआ ऐसे ही समय में अंबेडकर का जन्म हुआ , समाज में कई परिवर्तन हुए थे परंतु अभी भी शूद्रों के जीवन पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ।
अम्बेडकर का जीवन संघर्ष इस बात का उदहारण है , अम्बेडकर अपने समय के विश्व के पांच सबसे बड़े विद्वानों में से एक थे , अपने जीवन के कड़ें अनुभवों को ध्यान में रखकर उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सदियों से हिन्दू धर्म द्वारा दलित, उत्पीडित बहुसंख्य जनों के उत्थान को समर्पित करते हुए लम्बे संघर्ष में लगा दिया , जिस कारण दुनिया को पहली बार भारत के इस महान अभिशाप का ज्ञान हुआ और पशुओं का जीवन व्यतीत कर रहे उन करोड़ों लोगों को स्वाभिमान से जीवन जीने की ललक पैदा हुई , उन्होंने अपने जीवन के कीमती कई वर्ष हिन्दू समाज, हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू धर्म शाश्त्रों के अध्यन में लगाये ,
अम्बेडकर के प्रयासों का ही नतीजा था की भारत के राजनैतिक और सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने सात सदस्यीय साइमन कमीशन को भारत भेजा जिसका अम्बेडकर ने स्वागत किया लेकिन कांग्रेस ने इसका बहिष्कार कर दिया, और कांग्रेस वर्किंग कमिटी द्वारा 1928 में नए संविधान की रूप रेखा तैयार की गई जिसके लिए सभी धर्मो एवं सम्प्रदायों को बुलाया गया लेकिन अम्बेडकर को इससे दूर रखा गया
12 से 19 जनवरी 1939 को गोलमेज की प्रथम कांफ्रेंस में पहली बार देश से बाहर अम्बेडकर ने अपने विचार रखे , और शूद्रों की सही तस्वीर पेश की। इसी कांफ्रेंस में उन्होंने कानून के शासन और शारीरिक ताकत की जगह संवैधानिक अनुशासन की प्रतिष्ठा का दावा किया , सम्मलेन में जो 9 सब-कमिटी बनी उन सभी में उन्हें सदस्य बना लिया गया , उनकी योग्यता उनके सारपूर्ण वक्तव्यों की वजह से यह संभव हो पाया, फ्रेंचाइजी कमिटी में उन्होंने दलितों के लिए अलग चुनाव क्षेत्र की मांग की और उनकी सभी मांगों को अंग्रेजी सरकार को मानना पड़ा।
अम्बेडकर की इस अभूतपूर्व सफलता ने कांग्रेस की नींद हराम कर दी क्यूंकि सवर्णों की इस पार्टी को डर हुआ की सदियों से जिन्हें लातों तले दबा के रखा , उनसे अपने सभी गंदे से गंदे काम करवाए, अगर उन्हें सत्ता मिल गई तब तो हमारी आने वाली पीडिया बर्बाद हो जाएँगी , हमारा धर्म जो इनसे छीन कर हमें सारी सुविधाएं सदियों से देता आया है वो संकट में पड जायेगा , यही सब सोच कर कांग्रेस के इशारों पर गाँधी ने अम्बेडकर को मिले अधिकारों के विरूद्ध आमरण अनशन की नौटंकी शुरू कर दी, जिसके कारण अंत में राष्ट्र के दबाव में आकर अम्बेडकर को "POONA - PACT " पर हस्ताक्षर करने पड़े जिसके अनुसार अग्रिम संविधान बनाने का मौका अम्बेडकर को दिया जाना तय हुआ बदले में अम्बेडकर को गोलमेज में मिले अपने सभी अधिकारों को छोड़ना पड़ा
इस तरह वर्तमान संविधान का जो की मजबूरी में बना आधारशिला तैयार हुई जिसमें उन्होंने आरक्षण का प्रावधान डाला और दलितों के लिए सभी कानून बनाये अब जरा थोड़ी देर के लिए यह कल्पना कीजिये की अगर अम्बेडकर दलितों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण की मांग करते जो की उनका हक़ है तो क्या होता , परन्तु अम्बेडकर ने ऐसा नहीं किया ,
आज जब सरकारी नौकरियां वैश्वीकरण के नाम पर पूरे षड्यंत्रकारी तरीके से समाप्त की जा रहीं हैं , ऐसे में शूद्र एक बार फिर हाशिये पर आ गया है, ऐसे में ये कहना कि बचे खुचे आरक्षण को भी समाप्त कर दिया जाये, एक बार फिर से शूद्र को गुलाम बनाने की सोची समझी साजिश ही तो है।
आज जितने दलित अम्बेडकर के प्रावधानों के कारण सरकारी नौकरियों तक पहुचे हैं और सुख से दो जून की रोटी खा रहे हैं , उससे कहीं अधिक ब्राह्मण आज भी हिन्दू धर्म शास्त्रों के सदियों पुराने प्रावधानों के कारण देश के लाखों मंदिरों में पुजारी बन अरबों-खरबों के वारे न्यारे कर रहे हैं और देश की खरबों की संपत्ति पर कब्ज़ा जमाये बैठे हैं क्या किसी ने इस आरक्षण को समाप्त करने की बात की....?
क्या किसी ने आज भी दलितों पर होने वालें अत्याचारों को रोकने के लिए आमरण अनशन किया ? क्या किसी ने मिर्च पुर, गोहाना, खैरलांजी, झज्जर, के आरोपियों के लिए फांसी की मांग की ? क्यूँ नहीं पहले ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य अपने अपने जातीय पहचानों को समाप्त करते ? जाति स्वयं नष्ट हो जाएगी जाति नष्ट होते ही आरक्षण की समस्या सदा के लिए नष्ट हो जाएगी ,ऊपर की जाति वाले क्यूँ नहीं अपने बच्चों की शादियाँ दलितों के बच्चों संग करने की पहल करते ? लेकिन यहाँ तो बात ही दूसरी है इनके बच्चे अगर दलितों में प्रेम विवाह करना चाहें तो ये उनका क़त्ल कर देते हैं धन्य हैं
एक दलित मित्र अपने ब्लॉग में कहतें हैं कि अब तो ऐसा नहीं होता तो श्रीमान जी जरा अख़बार पढ़ा करो पता चल जायेगा आज भी इस देश में संविधान के इतने प्रावधानों के बावजूद प्रत्येक दिन तीन दलितों को उनकी जाति के कारण मार दिया जाता है प्रत्येक दिन एक दलित महिला से उसकी जाति के कारण बलात्कार होता है।
भारत की सवर्ण जातियों की शिकायत है कि
आरक्षण
की वजह से देश का विकास रुक गया है |
आरक्षण से पहले इन लोगो ने बहुत आविष्कार और खोजे
की
थी जो कि इस संसार में अन्य कहीं मिलना
नामुमकिन है |
आइए जानते है इनकी ऐसी ही कुछ खोजो
औरअविष्कारों
के बारे में
जिनसे इन्होने विश्व में देशका नाम रोशन किया हुआ
है ---
१. इनकी सबसे महत्त्वपूर्ण खोज वर्ण व्यवस्था और
जातियों की खोज थी | इन्होने मनुष्यों को ६७४३ से
अधिक जातियों में बाँट दिया | इतनी अधिक
जातियों
की खोज करना क्या कोई आसान काम है ?
सोचिये बेचारों को इतनी अधिक जातियों को खोजने में
कितना अधिक परिश्रम करना पड़ा होगा |
२. इनकी दूसरी महत्वपूर्ण खोज ३३ करोड़ देवी-
देवताओं की
खोज है | ये खोज इन्होने उस समय की, जब देश की
कुल
आबादी भी ३३ करोड़ नहीं थी|
सोचिये !!
इतने सारे देवी देवताओ की खोज में बेचारों को
कितना
पसीना बहाना पड़ा होगा ?
अजी रात दिन एक कर दिए होंगे बेचारों ने |
३. आज चाहे वैज्ञानिक अभी तक दूसरे ग्रहों पर
जीवन की
तलाश नहीं कर पाए लेकिन ये लोग बहुत पहले ही
ऐसे दो
लोकों की तलाश कर चुके हैं जहाँ पर जीवनमौजूद है
और वो
ग्रह
हैं --
स्वर्ग लोक जहाँ पर अलौकिक शक्तियों के
स्वामी देवता
निवास करते हैं |
३. विश्व के देशों ने चाहे कभी भी परमाणु
बम,हाइड्रोजन
बम जैसे विनाशकारी बमों का निर्माण किया हो
लेकिन
ये उससे बहुत पहले ही ऐसे ऐसे अस्त्र-शस्त्रों का
निर्माण कर
चुके थे जो पूरी सृष्टि का विनाश करने में सक्षम थे
| इन्होने
उसको नाम दिया ब्रह्मास्त्र |
इन्होने आज तक किसी आक्रमणकारी शत्रुओं के
खिलाफ
उसका प्रयोग क्यों नहीं किया ये अलग शोध का
विषय है|
बाहर से कुछ सौ हजारों की संख्या में आक्रमणकारी
आते
रहे और इनको ३३ करोड़ शस्त्रधारी देवताओं के साथ
धूल
चटाते रहे ये अलग बात है |
४. वैज्ञानिक बेशक आज तक मनुष्य की उम्र
बढ़ाने और
उसको अजर, अमर बनाने की औषधि नहीं खोज
पाए हो
लेकिन ये अब से कई युगों पहले मनुष्य को अमरता का
रसास्वादन करवा चुके है ये अलग बात है इनके
द्वारा अमर
किये गए अश्वत्थामा जैसे मानव कभी भी देखने
को नहीं
मिलते हैं |
५. बेशक विश्व में कभी भी आकाशवाणी का
प्रसारण
भारत से बाद में हुआ लेकिन ये उससे बहुत पहले ऐसी
व्यवस्था
का निर्माण कर चुके थे जिससे किसी युद्ध का
आँखों देखा
हाल बिना किसी भी कैमरा जैसे यंत्र की मदद
के
दिव्यदृष्टि के द्वारा किया जा सकता था
लेकिन उसके
बाद में उसका प्रयोग इन्होने क्यों नहीं किया ये
अलग एक
विचारणीय प्रश्न है.
६. विश्व का कोई भी देश आज तक सूर्य पर नहीं
पहुँच सका
है लेकिन ये अबसे पहले सूर्य पर होकर आ चुके हैं।
७. सूर्य को फल की तरह खाया भी जा सकता है ये
भी
अकेली इनकी ही खोज थी |
८. बेशक राईट बंधुओ को हवाई जहाज के अविष्कार
के
निर्माण के श्रेय दिया जाता हो लेकिन ये उससे
बहुत पहले
ही पुष्पक विमान का निर्माण कर चुके थे |
उसके बाद
इनकी वायुयान निर्माण कला को क्या हुआ ये आज
तक
रहस्य है |
९. संजीवनी बूटी जैसी चमत्कारिक औषधि भी
इन्हीं की
खोज थी जिससे किसी भी मृत मनुष्य को जीवित
किया
जा सकता था लेकिन आज वो औषधि कहाँ हैं ये इनको
भी
आज तक नहीं पता है |
१०.आज बेशक देश में सूखा पड़ता हो और और लोग
पानी को
तरसते हो लेकिन ये अब से युगों पहले आकाश में तीर
मारकर
बारिश करवा सकते थे आज ये उसका प्रयोग क्यों
नहीं करते
ये भी एक रहस्य है।
११. एक गर्दन पर दस-दस तक सिर और एक कंधे
पर हजारों
हाथ उग सकते हैं ये भी इनकी ही बुद्धिमता
की खोज है |
१२. समुन्द्र यात्रा से मनुष्य गल जाता है ये भी
इनकी ही
महत्वपूर्ण खोज है |
१३. पशु पक्षियों में भी मानवीय संवेदना होती है
और वो
भी मानव की भाषा बोल और समझ सकते हैं ये भी
इनकी
ही खोज है |
१४. मानव क्लोन बनाने की कला में तो ये सिद्धहस्त
थे|
अगर किसी मनुष्य के रक्त की बूंदे धरती पर
पड़ जाती थी
तो जितनी बूंदे धरती पर पड़ती थी उसके उतने
ही क्लोन
पैदा हो जाते थे |
१५. मानव रक्त भी कोल्ड ड्रिंक और चाय की
तरह पिया
जा सकता है ये भी इनकी ही महत्त्वपूर्ण खोज
थी |
१६. बच्चे बिना औरत मर्द के पैदा भी किये जा
सकते है ये
भी इनकी ही खोज थी |
ये मानव शिशु छींक कर,
शरीर के मैल द्वारा,
पशु पक्षियो के गर्भ द्वारा भी पैदा करवा सकते
थे |
१७. वानर-रीछ जैसे जीव भी बिना पंखो के उड़
सकते हैं ये
भी इनकी ही खोज थी |
१८. एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के स्पर्श से, उसकी
छाया से भी
भ्रष्ट हो सकता है ये भी इनकी ही खोज थी |
१९. पशु मानव
(एस0सी0/एस0टी0/ओ0बी0सी0)
से ज्यादा शुद्ध और पवित्र होता है ये भी इनकी
ही खोज
थी|
२०. मानव के स्पर्श
(एस0सी0/एस0टी0/ओ0बी0सी0) से भ्रष्ट से हुआ
मनुष्य
पशुओं का मूत्र पीकर, या मूत्र छिड़ककर पवित्र
हो सकता
है ये भी इन्ही की खोज थी |
२१. स्त्री और शूद्र दोयम दर्जे के नागरिक है
इनकी अपनी
कोई इच्छा नहीं होती | इनके कोई अधिकार नहीं
होते |
इनको अपनी इच्छा के अनुसार प्रयोग किया जा
सकता है
ये भी इन्ही की खोज थी |
२२. पूजा-अर्चना और हवन के द्वारा भी बारिश
करवाई
और रोकी जा सकती है ये भी इन्ही की खोज थी
|
२३. अगर किसी स्त्री को एक ही पुरुष में
उपयुक्त पति नहीं
मिलता है तो वो पांच या उससे अधिक भी आदमियों को
अपने पतियों के रूप में स्वीकार कर सकती है ये
भी इन्ही
की खोज थी|
२४. माता एक औरत को पांच भाइयो के बीच में
किसी
वस्तु की तरह बाँट सकती है ये भी इन्ही की
खोज थी |
२५. अगर किसी औरत का गर्भपात हो जाता है तो
उसका
भ्रूण नष्ट होने से बचाया जा सकता है और उस भ्रूण को
सौ
टुकडो में बांटकर सौ या उससे अधिक संताने पैदा
की जा
सकती हैं ये भी इनकी ही खोजथी |
२६. मानव और जानवर के सिर आपस में बदले जा
सकते हैं ये
भी इनकी ही खोज थी |
२७. मानव और हाथी का रक्त ग्रुप एक होता है ये
भी
इनकी ही खोज थी |
२८. चूहे पर बैठकर भी मनुष्य सवारी कर सकता है
ये भी
इनकी ही खोज थी|
२९. वैज्ञानिक बेशक आज तक किसी मनुष्य का
भविष्य
बताने में सक्षम न हो लेकिन ये किसी का भी
भूत,भविष्य
और वर्तमान बताने में सक्षम है |
३०. पृथ्वी, सूर्य,चन्द्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति,
शुक्र, शनि,सोम
जैसे गृह भी जीवित प्राणी ही नहीं देवता भी हैं
जो
किसी का शुभ और अशुभ कर सकते हैं | ये भी
इन्ही की
खोज थी |
कितनी महान खोजे है इनकी जिनसे विश्व में
भारतका
नाम रोशन हुआ है लेकिन आरक्षण वालों ने आकर
इनकी
योग्यता को रोक का रख दिया है|
बेचारे अब ऐसे अविष्कार और खोजें नहीं कर सकते
है |
नवभारत टाइम्स के ब्लॉग पर आरक्षण के विषय में कुछ लेख पढ़ने को मिले और उन्हीं लेखों ने मुझे ये लेख लिखने को प्रेरित किया , जब बात आरक्षण की होती है तो सब भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित-जाति, जनजाति एवं अतिपिछड़ा वर्ग को मिले उस आरक्षण या विशेष अधिकारों की ही बात करतें हैं जिन्हें लागू हुए मुश्किल से 60 वर्ष ही हुए हैं ,कोई उस आरक्षण की बात नहीं करता जो पिछले 3000 वर्षों से भारतीय समाज में लागू थी
जिसके कारण ही इस आरक्षण को लागू करने की आवश्यकता पड़ी आज ''भारतीय गणराज्य का संविधान'' नामक संविधान, जिसका हम पालन कर रहें है जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ उससे पहले जो संविधान इस देश में लागू था जिसका पालन सभी राजा-महाराजा बड़ी ईमानदारी से करते थे उस संविधान का नाम था ''मनुस्मृति''
आधुनिक संविधान के निर्माता अंबेडकर ने सबसे पहले 25 दिसंबर 1927 को हज़ारों लोगों के सामने इस ''मनुस्मृति'' नामक संविधान को जला दिया, क्योंकि अब इस संविधान की कोई आवश्यकता नही थी भारतीय संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए दिया गया क्यूंकि इस देश की 85 प्रतिशत शूद्र जनसंख्या को कोई भी मौलिक अधिकार तक प्राप्त नहीं था, सार्वजनिक जगहों पर ये नहीं जा सकते थे मंदिर में इनका प्रवेश निषिद्ध था सरकारी नौकरियाँ इनके लिए नहीं थी , ये कोई व्यापार नहीं कर सकते थे , पढ़ नहीं सकते थे , किसी पर मुक़दमा नही कर सकते थे , धन जमा करना इनके लिए अपराध था , ये लोग टूटी फूटी झोपड़ियों में, बदबूदार जगहों पर, किसी तरह अपनी जिंदगियों को घसीटते हुए काट रहे थे और यह सब ''मनुस्मृति'' और दूसरे हिंदू धर्मशास्त्रों के कारण ही हो रहा था कुछ उदाहरण देखिए-
1.संसार में जो कुछ भी है सब ब्राह्मणों के लिए ही है क्यूंकि वो जन्म से ही श्रेष्ठ है(मनुस्मृति 1/100)
2.स्वामी के द्वारा छोड़ा गया शूद्र भी दासत्व से मुक्त नहीं क्यूंकि यह उसका कर्म है जिससे उसे कोई नहीं छुड़ा सकता (8/413)
3.यदि कोई नीची जाति का व्यक्ति ऊँची जाति का कर्म अपना ले तो राजा उसे देश निकाला देदे (10/95)
4.बिल्ली, नेवला चिड़िया मेंढक, गधा, उल्लू, और कौवे की हत्या में जितना पाप लगता है उतना ही पाप शूद्र (अनुसूचित-जाति, जनजाति एवं अतिपिछड़ा वर्ग) की हत्या में है (मनुस्मृति 11/131)
5.शूद्र का धन ब्राह्मण निर्भीक होकर छीन सकता है क्यूंकि उसको धन रखने का अधिकार नहीँ (8/416)
6. सब वर्णों की सेवा करना ही शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है (गीता,18/44)
7. जो अच्छे कर्म करतें हैं वे ब्राह्मण ,क्षत्रिय वश्य, इन तीन अच्छी जातियों को प्राप्त होते हैं जो बुरे कर्म करते हैं वो कुत्ते, सूअर, या शूद्र जाति को प्राप्त होते हैं (छान्दोन्ग्य उपनिषद् ,5/10/7)
8. पूजिए विप्र ग्यान गुण हीना, शूद्र ना पूजिए ग्यान प्रवीना,(रामचरित मानस)
9.ब्राह्मण दुश्चरित्र भी पूज्यनीए है और शूद्र जितेन्द्रीए होने पर भी तरास्कार योग्य है (पराशर स्मृति 8/33)
10. धार्मिक मनुष्य इन नीच जाति वालों के साथ बातचीत ना करें उन्हें ना देखें (मनुस्मृति 10/52)
11. धोबी , नई, बढ़ई, कुम्हार, नट, चंडाल, दास चामर, भाट, भील, इन पर नज़र पड़ जाए तो सूर्य की ओर देखना चाहिए और इनसे बातचीत हो जाए तो स्नान करना चाहिए (व्यास स्मृति 1/11-13)
12. अगर कोई शूद्र वेद मंत्र सुन ले तो उसके कान में धातु पिघला कर डाल देना चाहिए- गौतम धर्म सूत्र 2/3/4....
ये उन असंख्य नियम क़ानूनों के उदाहरण मात्र थे, जो आज़ाद भारत से पहले देश में लागू थे ये अँग्रेज़ों के बनाए क़ानून नहीं थे ये हिंदू धर्म द्वारा बनाए क़ानून थे जिसका सभी हिंदू राजा पालन करते थे प्रारंभ में तो इन्हें सख्ती लागू करवाने के लिए सभी राजाओं के ब्राह्मणों की देख रेख में एक विशेष दल भी हुआ करता था
इन्ही नियमों के फलस्वरूप भारत में यहाँ की विशाल जनसमूह के लिए उन्नति के सभी दरवाजे बंद कर दिए गये या इनके कारण बंद हो गये, सभी अधिकार, या विशेष-अधिकार, संसाधन, एवं सुविधायें कुछ लोगों के हाथ में ही सिमट कर रह गईं, जिसके परिणाम स्वरूप भारत गुलाम हुआ।
भारत की इस गुलामी ने उन करोड़ों लोगों को आज़ादी का अवसर प्रदान किया जो यहाँ शूद्र बना दिए गये थे , इस तरह धर्मांतरण का सिलसिला शुरू हुआ , बड़ी संख्या में लोगों ने इस्लाम व ईसाइयत को अंगीकार किया , अंग्रेजों के शासन काल में उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ से यहाँ पुनर्जागरण काल का उदय हुआ जिसके नायक यहीं के उच्च वर्गिए लोग थे जो अँग्रेज़ी शिक्षा, संस्कृति से प्रभावित हो कर देश में बदलाव लाने को प्रयत्नशील हुए,
सती प्रथा को समाप्त किया गया स्त्री शिक्षा के द्वार खोले गये , शूद्रों को नौकरियों में स्थान दिया जाने लगा और कितनी ही क्रूर प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया ,कई परिवर्तनशील ,संगठनों का उदय हुआ ऐसे ही समय में अंबेडकर का जन्म हुआ , समाज में कई परिवर्तन हुए थे परंतु अभी भी शूद्रों के जीवन पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ।
अम्बेडकर का जीवन संघर्ष इस बात का उदहारण है , अम्बेडकर अपने समय के विश्व के पांच सबसे बड़े विद्वानों में से एक थे , अपने जीवन के कड़ें अनुभवों को ध्यान में रखकर उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सदियों से हिन्दू धर्म द्वारा दलित, उत्पीडित बहुसंख्य जनों के उत्थान को समर्पित करते हुए लम्बे संघर्ष में लगा दिया , जिस कारण दुनिया को पहली बार भारत के इस महान अभिशाप का ज्ञान हुआ और पशुओं का जीवन व्यतीत कर रहे उन करोड़ों लोगों को स्वाभिमान से जीवन जीने की ललक पैदा हुई , उन्होंने अपने जीवन के कीमती कई वर्ष हिन्दू समाज, हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू धर्म शाश्त्रों के अध्यन में लगाये ,
अम्बेडकर के प्रयासों का ही नतीजा था की भारत के राजनैतिक और सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने सात सदस्यीय साइमन कमीशन को भारत भेजा जिसका अम्बेडकर ने स्वागत किया लेकिन कांग्रेस ने इसका बहिष्कार कर दिया, और कांग्रेस वर्किंग कमिटी द्वारा 1928 में नए संविधान की रूप रेखा तैयार की गई जिसके लिए सभी धर्मो एवं सम्प्रदायों को बुलाया गया लेकिन अम्बेडकर को इससे दूर रखा गया
12 से 19 जनवरी 1939 को गोलमेज की प्रथम कांफ्रेंस में पहली बार देश से बाहर अम्बेडकर ने अपने विचार रखे , और शूद्रों की सही तस्वीर पेश की। इसी कांफ्रेंस में उन्होंने कानून के शासन और शारीरिक ताकत की जगह संवैधानिक अनुशासन की प्रतिष्ठा का दावा किया , सम्मलेन में जो 9 सब-कमिटी बनी उन सभी में उन्हें सदस्य बना लिया गया , उनकी योग्यता उनके सारपूर्ण वक्तव्यों की वजह से यह संभव हो पाया, फ्रेंचाइजी कमिटी में उन्होंने दलितों के लिए अलग चुनाव क्षेत्र की मांग की और उनकी सभी मांगों को अंग्रेजी सरकार को मानना पड़ा।
अम्बेडकर की इस अभूतपूर्व सफलता ने कांग्रेस की नींद हराम कर दी क्यूंकि सवर्णों की इस पार्टी को डर हुआ की सदियों से जिन्हें लातों तले दबा के रखा , उनसे अपने सभी गंदे से गंदे काम करवाए, अगर उन्हें सत्ता मिल गई तब तो हमारी आने वाली पीडिया बर्बाद हो जाएँगी , हमारा धर्म जो इनसे छीन कर हमें सारी सुविधाएं सदियों से देता आया है वो संकट में पड जायेगा , यही सब सोच कर कांग्रेस के इशारों पर गाँधी ने अम्बेडकर को मिले अधिकारों के विरूद्ध आमरण अनशन की नौटंकी शुरू कर दी, जिसके कारण अंत में राष्ट्र के दबाव में आकर अम्बेडकर को "POONA - PACT " पर हस्ताक्षर करने पड़े जिसके अनुसार अग्रिम संविधान बनाने का मौका अम्बेडकर को दिया जाना तय हुआ बदले में अम्बेडकर को गोलमेज में मिले अपने सभी अधिकारों को छोड़ना पड़ा
इस तरह वर्तमान संविधान का जो की मजबूरी में बना आधारशिला तैयार हुई जिसमें उन्होंने आरक्षण का प्रावधान डाला और दलितों के लिए सभी कानून बनाये अब जरा थोड़ी देर के लिए यह कल्पना कीजिये की अगर अम्बेडकर दलितों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण की मांग करते जो की उनका हक़ है तो क्या होता , परन्तु अम्बेडकर ने ऐसा नहीं किया ,
आज जब सरकारी नौकरियां वैश्वीकरण के नाम पर पूरे षड्यंत्रकारी तरीके से समाप्त की जा रहीं हैं , ऐसे में शूद्र एक बार फिर हाशिये पर आ गया है, ऐसे में ये कहना कि बचे खुचे आरक्षण को भी समाप्त कर दिया जाये, एक बार फिर से शूद्र को गुलाम बनाने की सोची समझी साजिश ही तो है।
आज जितने दलित अम्बेडकर के प्रावधानों के कारण सरकारी नौकरियों तक पहुचे हैं और सुख से दो जून की रोटी खा रहे हैं , उससे कहीं अधिक ब्राह्मण आज भी हिन्दू धर्म शास्त्रों के सदियों पुराने प्रावधानों के कारण देश के लाखों मंदिरों में पुजारी बन अरबों-खरबों के वारे न्यारे कर रहे हैं और देश की खरबों की संपत्ति पर कब्ज़ा जमाये बैठे हैं क्या किसी ने इस आरक्षण को समाप्त करने की बात की....?
क्या किसी ने आज भी दलितों पर होने वालें अत्याचारों को रोकने के लिए आमरण अनशन किया ? क्या किसी ने मिर्च पुर, गोहाना, खैरलांजी, झज्जर, के आरोपियों के लिए फांसी की मांग की ? क्यूँ नहीं पहले ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य अपने अपने जातीय पहचानों को समाप्त करते ? जाति स्वयं नष्ट हो जाएगी जाति नष्ट होते ही आरक्षण की समस्या सदा के लिए नष्ट हो जाएगी ,ऊपर की जाति वाले क्यूँ नहीं अपने बच्चों की शादियाँ दलितों के बच्चों संग करने की पहल करते ? लेकिन यहाँ तो बात ही दूसरी है इनके बच्चे अगर दलितों में प्रेम विवाह करना चाहें तो ये उनका क़त्ल कर देते हैं धन्य हैं
एक दलित मित्र अपने ब्लॉग में कहतें हैं कि अब तो ऐसा नहीं होता तो श्रीमान जी जरा अख़बार पढ़ा करो पता चल जायेगा आज भी इस देश में संविधान के इतने प्रावधानों के बावजूद प्रत्येक दिन तीन दलितों को उनकी जाति के कारण मार दिया जाता है प्रत्येक दिन एक दलित महिला से उसकी जाति के कारण बलात्कार होता है।
भारत की सवर्ण जातियों की शिकायत है कि
आरक्षण
की वजह से देश का विकास रुक गया है |
आरक्षण से पहले इन लोगो ने बहुत आविष्कार और खोजे
की
थी जो कि इस संसार में अन्य कहीं मिलना
नामुमकिन है |
आइए जानते है इनकी ऐसी ही कुछ खोजो
औरअविष्कारों
के बारे में
जिनसे इन्होने विश्व में देशका नाम रोशन किया हुआ
है ---
१. इनकी सबसे महत्त्वपूर्ण खोज वर्ण व्यवस्था और
जातियों की खोज थी | इन्होने मनुष्यों को ६७४३ से
अधिक जातियों में बाँट दिया | इतनी अधिक
जातियों
की खोज करना क्या कोई आसान काम है ?
सोचिये बेचारों को इतनी अधिक जातियों को खोजने में
कितना अधिक परिश्रम करना पड़ा होगा |
२. इनकी दूसरी महत्वपूर्ण खोज ३३ करोड़ देवी-
देवताओं की
खोज है | ये खोज इन्होने उस समय की, जब देश की
कुल
आबादी भी ३३ करोड़ नहीं थी|
सोचिये !!
इतने सारे देवी देवताओ की खोज में बेचारों को
कितना
पसीना बहाना पड़ा होगा ?
अजी रात दिन एक कर दिए होंगे बेचारों ने |
३. आज चाहे वैज्ञानिक अभी तक दूसरे ग्रहों पर
जीवन की
तलाश नहीं कर पाए लेकिन ये लोग बहुत पहले ही
ऐसे दो
लोकों की तलाश कर चुके हैं जहाँ पर जीवनमौजूद है
और वो
ग्रह
हैं --
स्वर्ग लोक जहाँ पर अलौकिक शक्तियों के
स्वामी देवता
निवास करते हैं |
३. विश्व के देशों ने चाहे कभी भी परमाणु
बम,हाइड्रोजन
बम जैसे विनाशकारी बमों का निर्माण किया हो
लेकिन
ये उससे बहुत पहले ही ऐसे ऐसे अस्त्र-शस्त्रों का
निर्माण कर
चुके थे जो पूरी सृष्टि का विनाश करने में सक्षम थे
| इन्होने
उसको नाम दिया ब्रह्मास्त्र |
इन्होने आज तक किसी आक्रमणकारी शत्रुओं के
खिलाफ
उसका प्रयोग क्यों नहीं किया ये अलग शोध का
विषय है|
बाहर से कुछ सौ हजारों की संख्या में आक्रमणकारी
आते
रहे और इनको ३३ करोड़ शस्त्रधारी देवताओं के साथ
धूल
चटाते रहे ये अलग बात है |
४. वैज्ञानिक बेशक आज तक मनुष्य की उम्र
बढ़ाने और
उसको अजर, अमर बनाने की औषधि नहीं खोज
पाए हो
लेकिन ये अब से कई युगों पहले मनुष्य को अमरता का
रसास्वादन करवा चुके है ये अलग बात है इनके
द्वारा अमर
किये गए अश्वत्थामा जैसे मानव कभी भी देखने
को नहीं
मिलते हैं |
५. बेशक विश्व में कभी भी आकाशवाणी का
प्रसारण
भारत से बाद में हुआ लेकिन ये उससे बहुत पहले ऐसी
व्यवस्था
का निर्माण कर चुके थे जिससे किसी युद्ध का
आँखों देखा
हाल बिना किसी भी कैमरा जैसे यंत्र की मदद
के
दिव्यदृष्टि के द्वारा किया जा सकता था
लेकिन उसके
बाद में उसका प्रयोग इन्होने क्यों नहीं किया ये
अलग एक
विचारणीय प्रश्न है.
६. विश्व का कोई भी देश आज तक सूर्य पर नहीं
पहुँच सका
है लेकिन ये अबसे पहले सूर्य पर होकर आ चुके हैं।
७. सूर्य को फल की तरह खाया भी जा सकता है ये
भी
अकेली इनकी ही खोज थी |
८. बेशक राईट बंधुओ को हवाई जहाज के अविष्कार
के
निर्माण के श्रेय दिया जाता हो लेकिन ये उससे
बहुत पहले
ही पुष्पक विमान का निर्माण कर चुके थे |
उसके बाद
इनकी वायुयान निर्माण कला को क्या हुआ ये आज
तक
रहस्य है |
९. संजीवनी बूटी जैसी चमत्कारिक औषधि भी
इन्हीं की
खोज थी जिससे किसी भी मृत मनुष्य को जीवित
किया
जा सकता था लेकिन आज वो औषधि कहाँ हैं ये इनको
भी
आज तक नहीं पता है |
१०.आज बेशक देश में सूखा पड़ता हो और और लोग
पानी को
तरसते हो लेकिन ये अब से युगों पहले आकाश में तीर
मारकर
बारिश करवा सकते थे आज ये उसका प्रयोग क्यों
नहीं करते
ये भी एक रहस्य है।
११. एक गर्दन पर दस-दस तक सिर और एक कंधे
पर हजारों
हाथ उग सकते हैं ये भी इनकी ही बुद्धिमता
की खोज है |
१२. समुन्द्र यात्रा से मनुष्य गल जाता है ये भी
इनकी ही
महत्वपूर्ण खोज है |
१३. पशु पक्षियों में भी मानवीय संवेदना होती है
और वो
भी मानव की भाषा बोल और समझ सकते हैं ये भी
इनकी
ही खोज है |
१४. मानव क्लोन बनाने की कला में तो ये सिद्धहस्त
थे|
अगर किसी मनुष्य के रक्त की बूंदे धरती पर
पड़ जाती थी
तो जितनी बूंदे धरती पर पड़ती थी उसके उतने
ही क्लोन
पैदा हो जाते थे |
१५. मानव रक्त भी कोल्ड ड्रिंक और चाय की
तरह पिया
जा सकता है ये भी इनकी ही महत्त्वपूर्ण खोज
थी |
१६. बच्चे बिना औरत मर्द के पैदा भी किये जा
सकते है ये
भी इनकी ही खोज थी |
ये मानव शिशु छींक कर,
शरीर के मैल द्वारा,
पशु पक्षियो के गर्भ द्वारा भी पैदा करवा सकते
थे |
१७. वानर-रीछ जैसे जीव भी बिना पंखो के उड़
सकते हैं ये
भी इनकी ही खोज थी |
१८. एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के स्पर्श से, उसकी
छाया से भी
भ्रष्ट हो सकता है ये भी इनकी ही खोज थी |
१९. पशु मानव
(एस0सी0/एस0टी0/ओ0बी0सी0)
से ज्यादा शुद्ध और पवित्र होता है ये भी इनकी
ही खोज
थी|
२०. मानव के स्पर्श
(एस0सी0/एस0टी0/ओ0बी0सी0) से भ्रष्ट से हुआ
मनुष्य
पशुओं का मूत्र पीकर, या मूत्र छिड़ककर पवित्र
हो सकता
है ये भी इन्ही की खोज थी |
२१. स्त्री और शूद्र दोयम दर्जे के नागरिक है
इनकी अपनी
कोई इच्छा नहीं होती | इनके कोई अधिकार नहीं
होते |
इनको अपनी इच्छा के अनुसार प्रयोग किया जा
सकता है
ये भी इन्ही की खोज थी |
२२. पूजा-अर्चना और हवन के द्वारा भी बारिश
करवाई
और रोकी जा सकती है ये भी इन्ही की खोज थी
|
२३. अगर किसी स्त्री को एक ही पुरुष में
उपयुक्त पति नहीं
मिलता है तो वो पांच या उससे अधिक भी आदमियों को
अपने पतियों के रूप में स्वीकार कर सकती है ये
भी इन्ही
की खोज थी|
२४. माता एक औरत को पांच भाइयो के बीच में
किसी
वस्तु की तरह बाँट सकती है ये भी इन्ही की
खोज थी |
२५. अगर किसी औरत का गर्भपात हो जाता है तो
उसका
भ्रूण नष्ट होने से बचाया जा सकता है और उस भ्रूण को
सौ
टुकडो में बांटकर सौ या उससे अधिक संताने पैदा
की जा
सकती हैं ये भी इनकी ही खोजथी |
२६. मानव और जानवर के सिर आपस में बदले जा
सकते हैं ये
भी इनकी ही खोज थी |
२७. मानव और हाथी का रक्त ग्रुप एक होता है ये
भी
इनकी ही खोज थी |
२८. चूहे पर बैठकर भी मनुष्य सवारी कर सकता है
ये भी
इनकी ही खोज थी|
२९. वैज्ञानिक बेशक आज तक किसी मनुष्य का
भविष्य
बताने में सक्षम न हो लेकिन ये किसी का भी
भूत,भविष्य
और वर्तमान बताने में सक्षम है |
३०. पृथ्वी, सूर्य,चन्द्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति,
शुक्र, शनि,सोम
जैसे गृह भी जीवित प्राणी ही नहीं देवता भी हैं
जो
किसी का शुभ और अशुभ कर सकते हैं | ये भी
इन्ही की
खोज थी |
कितनी महान खोजे है इनकी जिनसे विश्व में
भारतका
नाम रोशन हुआ है लेकिन आरक्षण वालों ने आकर
इनकी
योग्यता को रोक का रख दिया है|
बेचारे अब ऐसे अविष्कार और खोजें नहीं कर सकते
है |
आरक्षण पर आपने ऐसा वीडियो कभी नही देख होगा jay bhim
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=uiLCt2vgeUY&feature=youtu.be
"बाबा साहब" और "मूलनिवासियों" का पूरा इतिहास" सुनकर दिल रो उठेगा । पूर्ण रुप से आज भी स्थापित है ☹
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=xVHs1kOU0IY&feature=youtu.be
सर आपके लेखनी को मेरा सलाम।
ReplyDeleteआपने लाजवाब साइड बनाई है।
तहे दिल से शुक्रिया