Saturday 21 October 2017

सन्त की मर्यादा

ब्राह्मण जब सन्त बनता है तो  तुलसीदास एवम शंकराचार्य बनते हैं। 

ये जातिवाद मात्र नहीं पर सन्त की मर्यादा में रहना सबके वश की बात नही।

चोला बदल कर बाबा तो बन जाओगे, पर ब्राह्मणों वाले संस्कार कहाँ से लाओगे।
अब आगे पढ़े।

1.निर्मल बाबा सिक्ख ब्राह्मण...

2.आशाराम सिन्धी ब्राह्मण...

3.रामरहीम भी सामान्य कटेगरी के सिक्ख है...

4.राधे मॉ ब्राह्मण है...

5.ब्राह्म कुमारी भी ब्राह्मण है...

6.रामबृक्ष यादव है'... ( ग्वाला कृष्ण का जाति )

7.चित्रकूट के बलात्कारी बाबा भीमानन्द ब्राह्मण है जिन्हे कोर्ट से आजीवन करावास की सजा हो चुकी है सेक्स रैकेट चलाते थे!

8.नित्यानन्द स्वामी ब्राह्मण है जिन्हे कोर्ट से सजा मिल चुकी है बलात्कार के केस मे!

9.साक्षी महराज सासद भाजपा ब्राह्मण ही है जिनके ऊपर दो दो बलात्कार के केस चल रहे है। एक तो दत्तक पुत्री ही थी जिसके साथ रेप किये है साक्षी महराजने!

10. स्वामी सदाचारी तथा स्वामी ओम दोनो ब्राह्मण है जो बलात्कार तथा देह व्यापार मे गिरप्तार किये जा चुके है जिनके ऊपर 1994 मे केस फाइल हुआ था!स्वामी  जो बेहद जाहिल किस्म का हरामखोर बाबा था जो महिलाओ से देह व्यापार करवाता था !

11.स्वामी प्रेमानन्द शर्मा जो सेक्स रैकेट चलाते थे जिन्हे सजा हो चुकी है यह भी ब्राह्मण थे!

12.जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य भी विवादो फस चुके थे यह भी ब्राह्मण ही है भारत की सभी शंकराचार्य आज तक ब्राह्मण ही बनाये जाते रहे है !

13.बाराबंकी वाले बाबा रामांनन्द तिवारी जो अभी हाल मे सेक्स रैकेट चलाते हुए पकडे है जेल मे है ये भी ब्राह्मण ही है

14.सुलतानपुर मे मयंक मझवारा मे कभी सेक्स रैकेट चलाने का काम संत ग्यानेस्वर यह भी तिवारी थे देवरियॉ जिले के ब्राह्मण ही है जो सपा विधायक इन्द्रभद्रसिंह की हत्या कराया था!
 यह भी सदैव लडकियो के साथ ही रहता था इलाहाबाद कुंभ से निकलते समय जब मारा गया तब भी 8 लडकियॉ साथ मे थी जो बाबा के साथ मारी गयी थी!

15.कृपालु जी महराज कुण्डा मनगढ प्रतापगढ के है ये तो बचपन से ही अय्याशी मे लिप्त रहते थे, तो प्रतापगढ छोडकर मथुरा मे बृन्दावन मे जाकर अंधभक्त बनाकर अपना धर्म के नाम का विजनेस शुरू किया था  जो जाति से ब्राह्मण ही है  जो पुर्तगाल मे होटल मे एक लडकी के साथ रेप किया था वहीं गिरप्तार हो गया था केस चल रहा था अब तो मृत्यु हो चुकी है !

एेसे हजारो उदाहरण है जहा पाखण्ड तथा धर्म का व्यापार हो रहा है  कौन कर रहा ये सब आप सबको पता है।
बाकी अयोध्या से लेकर काशी मथुरा विन्यांचल तक कितने बाबा अय्याशी तथा धनलोलुप्ता मे मे डूबे है ।        


अच्छा है कि बलात्कारी बाबाओ में कोई आरक्षण वाला बाबा नहीं है, 
वरना सभी कहते की आरक्षण की वजह से बलात्कार हो रहे हैं..✍

आज लोग कहते है की आरक्षण हटाओ।

मैं भी यही कहता हूँ।

पीछे आरक्षणधारी के पूर्वजो के साथ क्या हुआ । 
चलो ये भी मै भूलता हूँ।

चलो ये भी भूलता हूँ की कैसे उनके पीठ पर हांडी और पिछवाड़ा में झाड़ू लटकाये रहते थे। ताकि उनके पैरो के धूल अपवित्र न हो।

चलो ये भी भूलता हूँ की कैसे उनको सभी नदी और तालाबो में पानी पिने का अधिकार नही था क्योंकी पानी छूने से ही अपवित्र हो जाते थे।चाहे उसमे कुत्ते क्यों न पानी पी ले पर आरक्षणवादी पानी न पिए।

यहाँ तक की भगवान का नाम लेने पर जिव्हा काट लिए जाते थे क्योकि भगवान भी अपवित्र होते थे।
ये तो छोटी सी झलक है खैर छोड़ो अगर पूरा कथा लिखने बैठु तो शायद आपको पूरा दिन लग जाये पढ़ते पढ़ते।
पर उस वक़्त एक बाबा थे जिनके कारण ये क्रूरता बन्द हुयी।
वो थे बाबा भीम रॉव अम्बेडकर।
जिनको रक्त के हर कण कण से प्रणाम।
जिनकी वजह से लोग सामान्य एव सही मायने में स्वतन्त्र रूप से जीने लगे।
नही तो पहले अंग्रेज और बाद में ब्राह्मणवादी ने लोगो पर अत्याचार किया।

ऐसा आरक्षण लागु होने से पहले हुआ करता था एवम् संविधान बनने से पहले की कहानी है लेकिन उस कहानी में एक रोमांचक बात यह थी की अछूत के गुजरने से या छूने से लोग अपवित्र हो जाते थे पर उनकी बहू बेटियो के साथ जबरन सहवास करने से अपवित्र नही होते थे ।
ये कमाल की बात थी उसवक्त की।

हाँ तो हम थोड़ा फ्लेसबैक चले गए थे
हम कह रहे थे की आरक्षण समाप्त कर दिया जाये।
जातिवाद कार्य समाप्त किया जाये।
सभी को sc/st/obc/gen/hindu/alpsankhyak/muslim/shikh/isai जाति को समाप्त करते हुए मानव जाति की श्रेणी में रखा जाये।
जातिवाद काम को समाप्त करे।
apl/bpl अमीरी गरीबी का चोला समाप्त करे।
अपने हैसियत के हिसाब से अपने qualificationके हिसाब से कार्य करे।
जाति वादी काम अब जाति पर आश्रित न हो।
1.ज्ञान के अनुसार संस्कृत के ज्ञाता पूजा पाठ करे।
2.कोई भी गन्दी नाला/शौचालय टैंक साफ़ करे।(उसे मेहतर नही मानव जाति में डाला जाये इसे एक मजदूर समझा जाये )
3. शमशान मे कोई भी जाति हो मुखाग्नि करे और पोस्टमार्टम में लाश का चीरा लगाये।
(उसे डोम नही मानव जाति माना जाये इसे एक मजदूर समझा जाये )
4. कोई भी माला फूल का काम सिर्फ हुनर होना चाहिए (उसे माली नही मानव जाति माना जाये इसे एक व्यवसायी/मजदूर समझा जाये )
5. कोई भी चमरे का काम करे 
 (उसे चमार नही मानव जाति माना जाये इसे एक व्यवसायी/मजदूर समझा जाये )
6.कोई भी गन्दे कपड़े धोये।
 (उसे धोबी नही मानव जाति माना जाये इसे एक व्यवसायी/मजदूर समझा जाये )
7.कोई भी मिठाई की दुकान खोले। बारातों में पकवान बनाये।
 (उसे हलवाई नही मानव जाति माना जाये इसे एक व्यवसायी/मजदूर समझा जाये हुनर होनी चाहिए।)
other.....
ये तो चन्द जाति वादी कार्य थे बाकि और है जिनके बारे में सभी जानते है बताने का समय तो है पर शायद आपको पढ़ने का समय नही होगा इसलिए ज्यादा नही लिख रहा।

✍ आज हमारा देश 100% educated तो नही पर जितना भी है साक्षर की श्रेणी में है।
हमारा ज्ञान और हमारी सोच हमे सिखाती है की हमे इंसान बनना है ब्राह्मणवादी नही।
यहां जिनकी सोच घटिया होगी वो तुरन्त जाति विशेष पर चले जायेंगे यानि ब्राह्मणवादी लिखे तो ये ब्राह्मणों पर टोन है ऐसा नही ब्राह्मणवादी का तात्पर्य ऊँची और जाति वादी सोच रखने वाला सभ्यता का बिल फाड़ने वाला।
वो किसी भी जाति का हो सकता है।
जैसे sc/st/obc/gen/hindu/alpsankhyak/muslim/shikh/isai भी हो सकते है इनके दिमाग में जातपात/अमीरी गरीबी ही घर किया होगा।
✍ घृणा करे उनसे जो ऐसी सोच रखता हो।
✍ घृणा करे उनसे जो गन्दा रहता हो और समाज को गन्दा करता हो।
✍ कोई act लागु हो जो मानव जाति के आलावा किसी को कोई अन्य जाती से सम्बोधित करता है।
  
 जाती व्यवस्था नष्ट कीजिए।
न जाति रहेगी न जाति वाद
सभी भाईबन्धु रहेंगे
न हिन्दू होगा न मुसलमान न सिख न ईसाई
न बाबा रहेंगे न अन्धविश्वास

👻अधिकांश बाबा और उनकी करतूतें🙈🙉🙊


👉बाबाओं को किसी भगवान पे विश्वास नहीं होता ... बाबा जेड सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि,  "जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है "। उनकी ईश्वर आस्था सिर्फ लोगों को दिखने के लिये है।

हम अंधभक्त सिर्फ श्रद्धा से उन्हें सुनते हैं, मगर सोचते नहीं हैं ...

👉बाबा दौलत के ढेर पे बैठकर बोलते हैं कि, 'मोह-माया छोड़ दो"।

लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे ...  हम अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, सोचते नहीं हैं ...।

👉भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले और मुसीबत बाबा हल कर सकते हैं, लेकिन जब बाबा जब मुसिबत में फंसते हैं, तब बाबा को भी बड़े वकीलों की मदद लेनी पड़ती है ... 

हम अंधभक्त बाबा के लिये दुखी होते हैं, मरने और मारने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन कभी भी सोचते नहीं हैं ...।

👉भक्त बीमार होते हैं ... डॉक्टर से दवा लेते हैं ... जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, "बाबा ने बचा लिया "।

बाबा जब बीमार होते हैं तो बड़े से बड़े डॉक्टरों से, महंगे से महंगे हस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं।

हम अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन कभी सोचते भी नहीं हैं ...।

👉हम अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं ... उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनते और सुनाते हैं।

👉लेकिन जब बाबा किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखा पाते है ... 

उनकी मुसीबतों में हम अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते रहते हैं, लेकिन हम फिर भी आगे-पीछे कुछ नहीं सोचते हैं ...।

👉इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं, लेकिन हम अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती ...।

*आईये, हम तार्किक बनें❗अक्ल के अंधे नहीं। विश्वाश और आस्था से अंधे नहीं। धर्म से जुडी सारी राजनीति और धंधों का बहिष्कार करें। धर्म के राजनितिक ठेकेदार और व्यापारी अरबों और खरबों का खेल खेलते हैं जिससे आधी गरीबी दूर हो सकती है। ज़रा सोचो। हमेशा सोचो। सचेत रहो। इनके चंगुल में मत फंसो।❗*

 वो बाबा किसी के घर नहीं गया था किसी को बुलाने और कहने की अपनी लड़की मुझे दे दो ।
बाबा ने जो किया गलत किया, लेकिन ये लड़कियाँ  जिनकी बेटियाँ है क्या इनके अच्छे बुरे की जिम्मेदारी उन माँ बाप की नहीं थी वो कैसे अपनी बेटी को उसके आश्रम में छोड़ आये ? भगवान के नाम पर । लड़कियों से छुटकारा पाने का एक शातिर तरीका अपना रखा है कुछ लोगों ने । धर्म के नाम पर कुछ भी कर लो, कोई कुछ कह ही नहीं सकता ।
लड़की शाम सहेलियों के साथ घर से बाहर जाने को या पिक्चर जाने को बोले तो घरवालो के सीने पर सांप लोट जाता है, 
छत की बालकनी में खड़ी हो जाए तो पूरे मोहल्ले में चर्चे होने लगते हैं,
किसी से हंस कर बात कर ले तो मां-बाप शर्मिंदा महसूस करते हैं,
रूढ़ियाँ बीच मे आ जाती है, 
परिवार की इज्जत पर बन आती है, 
- लेकिन उसी लड़की को साध्वी बनाकर ऐसे ढोंगियों के हवाले करते माँ बाप की इज्जत में बट्टा नहीं लगता ?
- अपने कलेजे के टुकड़े को बिना उसकी मर्जी के अपने से दूर कर किसी भेड़िए के पास छोड़ आते हैं तब तब इनकी आत्मा नहीं कचोटती ?
 "ढोंगी बाबओं से भी पहले ऐसे भक्तों को जेल में डालना चाहिए, ये सब बाबा इन्ही भक्तों के खड़े किए हुए राक्षस हैं"
ये राक्षस धर्म नाम की अफीम चटाते रहते हैं और लोग पागल हुए ,जयकारे लगाते घूमते रहते हैं । जितनी सजा बाबा को मिले उससे अधिक सज़ा ऐसे माँ बाप को भी मिलनी चाहिए ।
अपील"

भारत सरकार में अगर हिम्मत है तो उसको चाहिए एक  ऐसा बिल पास करें ।जिससे  हमारे मन्दिरों- मस्जिदों के चढ़ावो का  50% हर माह हमारे देश का कर्ज उतारने एवं कर्ज से मरते किसानों पर सर्वे कराकर मानक के अनुकूल उनको सहायता दे। जिससे किसानों की दशा में  सुधार हो और उस पैसे को देस के विकाश पर खर्च करे ख़ासकर शिक्षा एवंम स्वास्थ।

प्राप्त सूचना के आधार पर भारत में कुछ मन्दिरों की
एक महीना की कमाई के ये आंकड़े आपको सोचने को मजबूर कर देंगे-

1. *तिरुपति बालाजी* 1 हजार 325 करोड़
2. *वैष्णौंदेवी* 400 करोड़ 
3. *रामकृष्ण मिशन* 200 करोड़
4. *जगनाथपुरी* 160 करोड़
5. *शिर्डी सांईबाबा* 100 करोड़
6. *द्वारकाधीश* 50 करोड़ 
7. *सिद्धी विनायक* 27 करोड़
8. *वैधनाथ धाम देवगढ* 40 करोड़
9. *अंबाजी गुजरात* 40 करोड़
10. *त्रावणकोर* 35 करोड़
11. *अयोध्या* 140 करोड़
12. *काली माता मन्दिर कोलकाता* 250 करोड़
13. *पदमनाभन* 5 करोड़
14. *सालासर बालाजी* 300 करोड़
इसके अलावा *भारत के छोटे बड़े मन्दिरों की सालाना आय 280 लाख करोड़*और *भारत का कुल बजट 15 लाख करोड़।*

*अगर हर आदमी  गरीब किसानों    की मदद करे तो भारत से गरीबी महज साल भर मे हट सकती है।

याद रहे भगवान तो केवल आपके प्यार का भूखा है, उसे पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।

*एक तरफ़ तो भगवान को दाता कहते हो दूसरी तरफ़ मंदिरो मे पैसे चढा कर उसी भगवान को भिखारी बना रखा है l* 

*वैसे भी आपके उस पैसे से भगवान नही भगवान के ठेकेदार  मौज उड़ा रहे है l*


 अगर आप सहमत है और भारत से गरीबी खत्म करना चाहते है ...तो सिर्फ पढ़ कर डिलीट ना करें इस पर अमल करने की कोशिश करें । इस पर आम सहमति बनाने की कोशिश करें । ये एक ऐसा मुद्दा है जिसे कोई भी नेता या राजनीतिक दल  उठाने की जुर्रत नहीं करेगा।केवल और केवल आप और हम ही इस जागरूकता अभियान को आगे बढ़ा सकते है । कोशिश तो कीजिए 



भारत में ऋषियों / बाबाओं द्वारा बलात्कार करना सनातनी परंपरा है । पराशर ऋषि पहले रेपिस्ट थे जो सत्या को पवित्र मुहुर्त का पाठ पढ़ाकर चलती नाव में बीच नदी में रेप किये थे जिससे महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ । 
वेद व्यास जी भी कम नहीं थे । वह नियोग प्रथा के नाम पर नैतिक बलत्कार करके धृतराष्ट्र ; पांडु और विदुर के पिता बन गये । 
मंदिरों की देवदासी परंपरा तो महज नैतिक बलत्कार ही था । बस सब ईश्वर के नाम पर पवित्र हो जाता था । 
अब जिस देश में बलात्कार करने की इतनी नैतीक और दैवीय परंपरा समृद्ध होती आ रही है । उस देश में ऋषियों बाबाओं द्वारा किया जाने वाला बलात्कार तो मूल अधिकार ही समझा जायेगा । 
सेक्स क्रेज के लिये तो कैलीफोर्निया ही फेमस है लेकिन सेक्स राइट के रूप में भारत के बाबागण ही फेमस है जो आये दिन भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी धरे दबोचे मारे पिटे जाते हैं । 
आज कल तो भाजपा भारतीय परंपरा के पुन: निर्माण में लगी है जिसके अंतर्गत बाबाओं द्वारा किया जाने वाला बलात्कार लीगल और श्रीराम की या इन्द्र देव की कृपा ही माना जायेगा । 
ये ऐसे ही विश्वगुरू नहीं है । यें बलात्कार को सहवास में बदलने की तंत्र मंत्र की कला के कारण विश्व गुरू है । 
नित्यानंद हो या आशाराम या रामरहिम हो । यें लोग तो हिंदुत्व को पुनर्निमित करने में लगे हैं । यह सब ईश्वर की इच्छा से हो रहा है । मनुष्य रूप में नित्यानंद ; रामरहिम तो मात्र एक माध्यम है ।।

चलिये । भारत माता की जय बोलीये और चौकी आगे बढ़ाते रहियें । वंदेमातरम् बोलते रहिये और चौकी आगे बढ़ाते रहिये ।।

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