Saturday 28 October 2017

बुद्ध से ब्राम्हण नाराज क्यों है ?

बुद्ध से ब्राम्हण नाराज क्यों है ????
*क्या अड़चन थी हिंदुओं को बुद्ध या महावीर के साथ : “महावीर और बुद्ध को हिन्दू समाज माफ़ नहीं कर सकता। आखिर क्यों? क्योंकि उन्होंने युवकों को सत्य और तर्क दिया, पाखंड और पाखंडियो से आजादी दी। बच्चे और युवक नैतिक और तर्कशील बन गए। वे बुद्ध बनने लगे। तो सदियों से ब्राह्मण हीत मे बनाया समाज का ढांचा बिखरने लगा। *ब्राह्मण पुरोहितों का क्या होगा। वह चाहता है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक वह तुम्हारा सारा क्रिया कांड करे। वह चाहता है जन्म से लेकर मृत्यु तक वह तुम्हारा शोषण करे। उसने इस तरह का जाल बिछाया है कि तुम पैदा हो तो उसकी जरूरत, नामकरण हो तो उसकी जरूरत, यज्ञोपवीत हो तो उसकी जरूरत, विवाह हो तो उसकी जरूरत, फिर तुम्हारे बच्चे पैदा हो तो उसकी जरूरत, उसने तुम्हारी पूरी जिंदगी को जकड लिया है। वह मर जाने के बाद भी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ता, तीसरा करवाएगा, तेरहवी करवाएगा इतना ही नहीं, वह हर साल पितृ पक्ष में तुम्हारा शोषण करेगा, मर गए उनको भी नहीं छोड़ता, जिन्दा है तो उनको तो कैसे छोड़ सकता है। बुद्ध और महावीर ने इनकी चार वर्ण व्यवस्था तोड़ दी। बुद्ध का अर्थ होता है जो ब्राह्मणों पंडित पुरोहितों से मुक्त हो गया। और बुद्ध का कोई धर्म नहीं होता। ब्राह्मणों की व्यवस्था वर्ण पर खड़ी थी। चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र। जैसे ही कोई व्यक्ति बुद्ध होता है। वह वर्ण से बाहर हो जाता है। फिर उस पर कोई पाखंड लागु नहीं होता। बुद्ध ने हिन्दू वर्ण व्यवस्था को इस कदर तोडा, फिर भी पंडितों के लिए उन्हें इंकार करना कोई साधारण बात नहीं थी। बुद्ध की महानता ही इतनी है कि अगर बुद्ध को इंकार कर दो तो भारत की प्रतिभा क्षीण हो जाती है आज दुनिया में भारत की अगर कोई प्रतिष्ठा है तो उसमें हाथ बुद्ध का है। अगर सारा विश्व भारत को सम्मान की दृष्टि से देखता है तो केवल और केवल बुद्ध के कारण। आज भी भारतीय अपनी पहचान विश्व में बुद्ध और बुद्ध की धरती से कराते हैं। ताजा उदाहरण नरेन्द्र मोदी का ही ले लो । विदेश जाकर अपने हर भाषण मे बुद्ध का सहारा लेते हैं । क्योंकि राम कृष्ण विष्णु को बाहर देशों में कोई नही जानता। ब्राह्मणों के लिए बुद्ध को इंकार करना संभव न था। और ब्राह्मणों को इससे बचने की तरकीब निकाल ली। तरकीब यह थी की हिंदुओं ने बुद्ध को विष्णु का नौंवा अवतार ही घोषित कर दिया”*


*जानिए अशोक चक्र की 24 तीलियों का अर्थ*

   महान बौद्ध सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर एक चक्र (पहिया) बना हुआ है इसे अशोक चक्र कहते हैं. यह चक्र *"धम्म चक्र"* का प्रतीक है। सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख (लॉयन कपिटल) एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है । भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को स्थान दिया गया है ।

*अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है ।* ये 24 तीलियाँ मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं । दूसरे शब्दों में इन्हें मनुष्य के लिए बनाए गए 24 धर्म मार्ग भी कहा जा सकता है, जो किसी भी देश को उन्नति के पथ पर पहुंचा सकते हैं। इसी कारण हमारे राष्ट्र ध्वज के निर्माताओं ने जब इसका अंतिम रूप फाइनल किया तो उन्होंने झंडे के बीच से चरखे को हटाकर इस अशोक चक्र को रखा था ।

  आइए, अब अशोक चक्र में दी गयी सभी तीलियों का अर्थ (चक्र के क्रमानुसार) जानते हैं -

1. पहली तीली :- *संयम* (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)
2. दूसरी तीली :- *आरोग्य* (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)
3. तीसरी तीली :- *शांति* (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)
4. चौथी तीली :- *त्याग* (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)
5. पांचवीं तीली :- *शील* (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)
6. छठवीं तीली :- *सेवा* (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)
7. सातवीं तीली :- *क्षमा* (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)
8. आठवीं तीली :- *प्रेम* (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)
9. नौवीं तीली :- *मैत्री* (समाज में मैत्री की भावना)
10. दसवीं तीली :- *बन्धुत्व* (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)
11. ग्यारहवीं तीली :-  *संगठन* (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)
12. बारहवीं तीली :- *कल्याण* (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)
13. तेरहवीं तीली :- *समृद्धि* (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)
14. चौदहवीं तीली :- *उद्योग* (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)
15. पंद्रहवीं तीली :- *सुरक्षा* (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)
16. सौलहवीं तीली :- *नियम* (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)
17. सत्रहवीं तीली :- *समता* (समता मूलक समाज की स्थापना करना)
18. अठारहवी तीली :- *अर्थ* (धन का सदुपयोग करना)
19. उन्नीसवीं तीली :- *नीति* (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)
20. बीसवीं तीली :- *न्याय* (सभी के लिए न्याय की बात करना)
21. इक्कीसवीं तीली :-  *सहयोग* (आपस में मिलजुल कार्य करना)
22. बाईसवीं तीली :- *कर्तव्य* (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना) 
23. तेईसवी तीली :- *अधिकार* (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)
24. चौबीसवीं तीली :- *बुद्धिमत्ता* (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)

   इस प्रकार अशोक चक्र में दी गई हर एक तीली का अपना अर्थ है, सभी तीलियाँ सम्मिलित रूप से देश और समाज के चहुमुखी विकास की बात करती हैं। ये तीलियाँ सभी देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में स्पष्ट सन्देश देने के साथ साथ यह भी बतातीं हैं कि हमें रंग, रूप, जाति और धर्म के अंतरों को भुलाकर पूरे देश को एकता के धागे में पिरोकर समृद्धि के शिखर तक ले जाने के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए ।


*निवेदन -* देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनिए, इस जानकारी को प्रत्येक नागरिक तक पहुचकर राष्ट्रभक्ति का परिचय दीजिए

1 comment:

  1. great information thank you for sharing
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