पाखंडवाद
काल्पनिक पोथी पोंगी पुराणों के अनुसार जब लंका मे लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा तब उनके प्राण बचाने के लिये सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान जी "संजीवनी बूटी" लेने द्रोणागिरि पर्वत की ओर उड़े! लंका से द्रोणागिरि पर्वत की दूरी लगभग 3 हजार किमी० है!
हनुमान जी आधी रात को उड़े थे और रास्ते मे थोड़ा समय कालनेमी ने बर्बाद किया, लौटते समय भरत ने भी बाण मारकर कुछ समय नष्ट किया!
हनुमान जी ने आने--जाने मे 6 हजार किमी० की यात्रा की, अगर ऐसा माना जाये कि उन्हे छः घन्टे लगे तब भी औसत चाल हुयी एक हजार किमी० प्रति घंटा,
अब पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 13 करोड़ 80 लाख किमी० है, तो हनुमान को बचपन मे कितना दिन लगेगा सूर्य तक पहुँचने मे,और फिर वापस पृथ्वी पर आने मे।
तुलसीदास जी फेकने मे तो आप माहिर थे, अब जरा यह भी बताओ कि जो हनुमान जवानी मे हजार किमी० प्रति घंटा की चाल से उड़े, तो बचपन मे किस चाल से सूर्य की तरफ उड़े थे!
बाबा तुलसी का झूठ देखो कि लिखते है कि हनुमान सूर्य को निगलकर धरती पर वापस आकर बैठे थे और देवतागण विनती कर रहे थे कि सूर्य को बाहर निकालो! सूर्य, पृथ्वी से दर्जनो लाख गुना बड़ा है और उसे खाकर हनुमान जी पृथ्वी पर ही बैठे थे!
दूसरी बात कोई भी बन्दर अगर केला भी खाता है तो उसे चबाकर खाता है, और हनुमान सूर्य को बिना चबाये ही निगल गये फिर देवताओं के कहने पर उसी स्थिति मे बाहर भी निकाल दिया!
भला यह सम्भव है कि जो चीज मुँह से खायी जाये उसे मुँह से ही सही-सलामत वापस भी निकाल दिया जाये!
तुलसी बाबा झूठ की झड़ी!!!!
मनुवाद के झुठ ओर पाखंड जिन पर हम आँख बंद करके विशवास् कर लेते हैं।
आईये जानते है कुछ ऐसे ही झुठी कहानियों को।
1) भारत का ये सुपर मैन यानी हनुमैन जब ये उड़नछू बंदर अपने हाथ पर इतना बड़ा पहाड़ उठाकर किसी और जगह ले जा सकता था तो बंदरों की फौज लंका ले जाने के लिए समुंदर में पत्थरों से रास्ता क्यों बनाना पड़ा.???
सीधा सबको हाथ पर बिठाकर उड़ा क्यों नही ले गया...???
2) जब हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुह में दबा लिया था तब सिर्फ भारत में अंधेरा हुआ था या पूरे विश्व में।
3) कृष्ण जी की गेंद यमुना में कैसे डूब गई जबकि दुनिया की कोई गेंद पानी में नही डूब सकती।
और गेंद का अविष्कार कब हुआ????
4) कहा जाता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं जबकि उस समय भारत की कुल जनसंख्या भी 33 करोड़ नही थी????
5) भारत के अलावा और किसी देश में इन 33 करोड़ देवताओ में से सिर्फ भगवान बुद्ध के अलावा किसी देवताओ को नही पूजा जाता???
6) आरक्षण से पहले इनके बंदर भी उड़ते थे , ओर न जाने किस किस विधि से बच्चों का जन्म हो जाता था, परंतु जबसे आरक्षण लागू हुआ है इनके सारे आविष्कार बन्द हो गए???
7) जब एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति को बिना ग्रुप मिलाये हुए नही दिया जा सकता क्योंकि अगर A positive वाले व्यक्ति को सिर्फ आ A positive वाले व्यक्ति का खून दिया जा सकता है अगर दूसरा खून दिया गया तो उस व्यक्ति की मौत हो सकती है। फिर इंसान के शरीर पर हाथी की गर्दन कैसे फिट हो गयी????
8) 33 करोड़ देवी देवताओं के होते हुए भी भारत हजारों साल कैसे गुलाम हो गया???
9) कोई भी देवता किसी शुद्र के घर पर पैदा क्यों नही हुआ???
10) इतने सारे देवी देवताओं के होते हुए भी शुद्र का विकास क्यों नही हुआ। उनके साथ भेदभाव क्यो हुआ..??
ये फेसबुक बनाने वाला मार्क जुकेबर्क को सारी दुनिया जानती है लेकिन दुनिया बनाने वाले ब्रम्हा को सिर्फ भारत देश ही क्यों जानता है.????
🐘 🐘अम्बेडकर बूटी🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-६
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
-------------------------
वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
-------------------------
तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|🐘
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ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|
1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरा द्वारा ही रचा गया है।
- गीता 4-13
2 - मेरी शरण में आकर स्त्री, वेश्य, शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुई है परम गति को प्राप्त हो जाते है।
-भगवत गीता 9-32
3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनो वर्णो की सेवा करना है।
- महाभारत 4/50/6
4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये। - महाभारत 12/60/36
5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा।
- वा. रामायण 7/30/74
6- ढोल, गवार, शूद्र, पशु और नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
- रामचरित मानस 59/5
7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना।
-रामचरितमानस 63-1
8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।
- आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16
9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये। कथक सन्हिता 3/1/2
10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार नही है।
- एतरेय ब्राम्हण 2/29/4
11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये।
- स्कंद पुरान 10/19
12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
गौतम धर्म शूत्र 12/6
13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण।
विष्णु स्मृति 5/115
14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे।
आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16
15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति, राक्षस से हुइ है।
तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7
17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है।
गौतम धर्म सूत्र 12/4/9
17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये।
शतपत ब्राम्हाण 3;1/10
18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है।
विष्णु पुराण 5/11
👉"महाभारत" कहती है- शूद्र राजा नहीं बन सकता।
👉"गीता" कहती है- शूद्र को ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए ।
👉"रामायण" कहती है- शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।
👉"मनुस्मृति" के अनुसार- शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है- शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है।
👉"पुराण" कहते हैं- शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।
👉"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है।
फिर भी एक सहनशील "शूद्र" और अति-शुद्र अब भी इन हिंसक धर्म ग्रंथो और इन देवी देवताओं को सीने से लगाए फिरता है।
जो कि घोर मूर्खता के अलावा कुछ नही।
दिखावे पे मत जाओ-अपनी अकल लगाओ मेरे शुद्र (OBC), अति-शुद्र (SC/ST) समाज के लोगो।
तुलसी राक्षस कुल की क्रान्तिकारी कन्या थी। उसकी शादी यशस्वी मूलनिवासी राजा जालंधर के साथ हुई थी। वह विष्णु भक्त नही थी, बल्कि अपने कुलदेवता की पूजा करती थी। वह एक वैद्य थी तथा एक औषधीय पौधे की खोज की थी, जिसका नामकरण उसके नाम पर तुलसी किया गया। वह अपने राज्य की महिलाओ को जागरुक और स्वाभिमान बनाती थी। एक बार जालंधर के राज्य पर संकट आया । सीमा पर कथित देवताओ का आक्रमण हुआ। जालंधर युद्ध करने गये, राज्य की बागडोर अपनी काबिल पत्नी पर छोड़कर। सीमा पर भीषण संघर्ष हुआ। जालंधर विजयी हुए। देवताओ ने हारकर संधि कर ली। पराजित राजा ने संधि के कुछ दिनो के उपरांत जालंधर को अपने यहां पूजा मे शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। वे निमंत्रण स्वीकार करते हुए पूजा मे शामिल हुए, जहां धोखे से उनकी हत्या कर दी गई। और तुलसी के पास यह झूठी खबर भिजवाया गया कि राजा जालंधर रास्ते मे अचानक बीमार पड गये है सो आपको चिकित्सा के लिए बुलाया गया है। तुलसी अपने बिमार पति से मिलने गयी, जहां उसे कैद कर लिया गया। तुलसी सब बात समझ गयी। देवता के राजा ने जालंधर को मृत बताकर उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। उसने परिस्थिति को समझते हुए हामी भर दी तथा एक शर्त रखी की वह अपने मृत पति के शव के साथ अपने राज्य की जनता को यह बताना चाहती है कि अब उनके राजा जीवित नही रहे और अब आप इस राज्य के भी स्वामी होगे। वे तुरंत इस पर राजी हो गये। इस आयोजन हेतु उसने अपने पति के शव को कुछ दिनो के लिए सुरक्षित रखी थी। वह अपने पति के शव के साथ अपनी राजधानी मे अपने जनता के समक्ष उपस्थित हुई तथा अपने जनता को सम्बोधित करते हुए उसने आत्महत्या कर ली। इससे आक्रोशित जनता ने अपने होनेवाले नये स्वामी को घेरकर पीट पीट कर मार डाला।
उसी घटना की याद मे लोगो ने तुलसी द्वारा खोजे गये औषधीय पौधे की पूजा शुरु की। वह पत्थर उसी महान जालंधर का प्रतीक है न कि विष्णु का।
आज के ही दिन तुलसी सती हुई थी। और इस तरह सती प्रथा की शुरुआत का श्रेय भी तुलसी को ही जाता है।
काल्पनिक पोथी पोंगी पुराणों के अनुसार जब लंका मे लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा तब उनके प्राण बचाने के लिये सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान जी "संजीवनी बूटी" लेने द्रोणागिरि पर्वत की ओर उड़े! लंका से द्रोणागिरि पर्वत की दूरी लगभग 3 हजार किमी० है!
हनुमान जी आधी रात को उड़े थे और रास्ते मे थोड़ा समय कालनेमी ने बर्बाद किया, लौटते समय भरत ने भी बाण मारकर कुछ समय नष्ट किया!
हनुमान जी ने आने--जाने मे 6 हजार किमी० की यात्रा की, अगर ऐसा माना जाये कि उन्हे छः घन्टे लगे तब भी औसत चाल हुयी एक हजार किमी० प्रति घंटा,
अब पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 13 करोड़ 80 लाख किमी० है, तो हनुमान को बचपन मे कितना दिन लगेगा सूर्य तक पहुँचने मे,और फिर वापस पृथ्वी पर आने मे।
तुलसीदास जी फेकने मे तो आप माहिर थे, अब जरा यह भी बताओ कि जो हनुमान जवानी मे हजार किमी० प्रति घंटा की चाल से उड़े, तो बचपन मे किस चाल से सूर्य की तरफ उड़े थे!
बाबा तुलसी का झूठ देखो कि लिखते है कि हनुमान सूर्य को निगलकर धरती पर वापस आकर बैठे थे और देवतागण विनती कर रहे थे कि सूर्य को बाहर निकालो! सूर्य, पृथ्वी से दर्जनो लाख गुना बड़ा है और उसे खाकर हनुमान जी पृथ्वी पर ही बैठे थे!
दूसरी बात कोई भी बन्दर अगर केला भी खाता है तो उसे चबाकर खाता है, और हनुमान सूर्य को बिना चबाये ही निगल गये फिर देवताओं के कहने पर उसी स्थिति मे बाहर भी निकाल दिया!
भला यह सम्भव है कि जो चीज मुँह से खायी जाये उसे मुँह से ही सही-सलामत वापस भी निकाल दिया जाये!
तुलसी बाबा झूठ की झड़ी!!!!
मनुवाद के झुठ ओर पाखंड जिन पर हम आँख बंद करके विशवास् कर लेते हैं।
आईये जानते है कुछ ऐसे ही झुठी कहानियों को।
1) भारत का ये सुपर मैन यानी हनुमैन जब ये उड़नछू बंदर अपने हाथ पर इतना बड़ा पहाड़ उठाकर किसी और जगह ले जा सकता था तो बंदरों की फौज लंका ले जाने के लिए समुंदर में पत्थरों से रास्ता क्यों बनाना पड़ा.???
सीधा सबको हाथ पर बिठाकर उड़ा क्यों नही ले गया...???
2) जब हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुह में दबा लिया था तब सिर्फ भारत में अंधेरा हुआ था या पूरे विश्व में।
3) कृष्ण जी की गेंद यमुना में कैसे डूब गई जबकि दुनिया की कोई गेंद पानी में नही डूब सकती।
और गेंद का अविष्कार कब हुआ????
4) कहा जाता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं जबकि उस समय भारत की कुल जनसंख्या भी 33 करोड़ नही थी????
5) भारत के अलावा और किसी देश में इन 33 करोड़ देवताओ में से सिर्फ भगवान बुद्ध के अलावा किसी देवताओ को नही पूजा जाता???
6) आरक्षण से पहले इनके बंदर भी उड़ते थे , ओर न जाने किस किस विधि से बच्चों का जन्म हो जाता था, परंतु जबसे आरक्षण लागू हुआ है इनके सारे आविष्कार बन्द हो गए???
7) जब एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति को बिना ग्रुप मिलाये हुए नही दिया जा सकता क्योंकि अगर A positive वाले व्यक्ति को सिर्फ आ A positive वाले व्यक्ति का खून दिया जा सकता है अगर दूसरा खून दिया गया तो उस व्यक्ति की मौत हो सकती है। फिर इंसान के शरीर पर हाथी की गर्दन कैसे फिट हो गयी????
8) 33 करोड़ देवी देवताओं के होते हुए भी भारत हजारों साल कैसे गुलाम हो गया???
9) कोई भी देवता किसी शुद्र के घर पर पैदा क्यों नही हुआ???
10) इतने सारे देवी देवताओं के होते हुए भी शुद्र का विकास क्यों नही हुआ। उनके साथ भेदभाव क्यो हुआ..??
ये फेसबुक बनाने वाला मार्क जुकेबर्क को सारी दुनिया जानती है लेकिन दुनिया बनाने वाले ब्रम्हा को सिर्फ भारत देश ही क्यों जानता है.????
🐘 🐘अम्बेडकर बूटी🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-६
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-६
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|🐘
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परहेज नम्बर -१
ब्राह्मणवाद की हवा से बचो, यह दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा है, हिन्दु धर्म से बचो, वह सकल अमानवीयता की जड़ है, ब्राह्मणवाद केवल मन्त्र दे सकता है यन्त्र नहीं, मन्त्र से दुर्गति है, दीनता है, दरिद्रता है, मंत्र से भय है, भूख है, भ्रष्टाचार है|अम्बेडकर वाद एक यन्त्र है, जिसमें चेतना है, प्रज्ञा है, प्रगति है| गाय,गोबर और ब्राह्मण की पूजा बन्द करो|
परहेज नम्बर' २
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६ हजार देवियों, ८८ हजार रिषियों तथा ३३ करोड़ भगवानों से बचो|असली दुश्मन यही हैं,क्योंकि यही तुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं, क्या तुम अपने पूर्वजों के हत्यारों की पूजा करना चाहोगे यदि नहीं तो उनका वहिष्कार करो, पुरोहित स्वर्ग का डाकिया है, दलाल है, जिसके नाम पर भरता है वह ,केवल अपना उदर " डाकपेटी"इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-३
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महाभारत युद्ध में कृष्ण के दोनों सेनानायक बेटे अनिरुद्धऔर बहुलाष्व तथा पोता प्रदुम्न तीनो मारे गये,जिन्हे बचा नहीं सका कृष्ण और स्वयं एक अदना से बहेलिया द्वारा मारा गया|, इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर- ४
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बाहुबली भीम, युधिष्ठर,कर्ण आदि पाण्डवों को हिमालय की गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा| राम के दोनों बेटे लव और कुश को आंधार के दो बाहुवलि जय और अजय योद्धाओं ने तक्षशिला तक खदेड़कर,मार डाला था| नहीं बची सका राम |और राम,लक्ष्मण और भरत को स्वयं सरयू में डूबकर मरना पड़ा था| सोचो! इसस् परहेज करो| इन्द्र गुरू मात दुष्कर्मी था| जिसे सम्बर ने डुबा- डुबाकर मारा था काली नदी में| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-५
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बड़ा भरोसा था गांधी को राम पर ,छाती पर गीता चिपकाये बोल रहे थे- कृष्ण दुनिया की रक्षा करता है, राम दुनिया की रक्षा करता है, तभी नाथूराम गोडसे ने गोली मारी,गोली गीताऔर छाती दोनों को फाड़ हो गई कलेजा फाड़| सोचो ये क्या करेंगे तेरा उद्धार!! इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-६
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चन्द्रस्वामी जैसे गये हवालात में जबकि ब्राह्म के समान दी गई थी सौगात उन्हें| जगत गुरू शंकराचार्य जैसे गये जेल,हिंसा, हत्या और व्याभिचार के खेल में| देख लो यह सृष्टिकर्ताओं के कारनामें,पूरी आस्तीन तक सॉप भरे हैं यामे| इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-७
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वेद,पुराण,रामायण, गीता आदि सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थों से बचो,ये सारे हिन्दु धर्म ग्रन्थ यातना शिविर हैं| ढ़ोंग,ढकेसला,अन्धविश्वास,सारे हिन्दु पर्व त्यौहार विष- बेल हैं| ये तुम्हारे पूर्वजों के कत्ल की वो तिथियाँ हैं जिन पर त्यौहारों के नाम पर जश्न मनाया जाता है| क्या तुम उनमें शामिल होना चाहोगे, यदि नहीं तो इनसे परहेज करो|
परहेज नम्बर-८
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तेरी रोटी,बेटी और लंगोटी हिन्दुओं ने छीना है,सामन्तों ने छीना है, पूँजीपतियों ने छीना है, ब्राह्मणवाद ने छीना है इनका प्रतिरोध करो| सिर पर कफन बांध लो कल यह धरती तुम्हारी होगी| बस आगे बढ़ो ,नोच लो यह उदारवाद का मुखौटा| धर्म की आड़ में सिर्फ भेड़िये है | सत्ता से धर्म स्थापित होता है धर्म और सत्ता के लिए संघर्ष करो, सद्धर्म स्वत; स्थापित हो जायेगा|
1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरा द्वारा ही रचा गया है।
- गीता 4-13
2 - मेरी शरण में आकर स्त्री, वेश्य, शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुई है परम गति को प्राप्त हो जाते है।
-भगवत गीता 9-32
3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनो वर्णो की सेवा करना है।
- महाभारत 4/50/6
4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये। - महाभारत 12/60/36
5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा।
- वा. रामायण 7/30/74
6- ढोल, गवार, शूद्र, पशु और नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
- रामचरित मानस 59/5
7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना।
-रामचरितमानस 63-1
8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।
- आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16
9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये। कथक सन्हिता 3/1/2
10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार नही है।
- एतरेय ब्राम्हण 2/29/4
11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये।
- स्कंद पुरान 10/19
12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
गौतम धर्म शूत्र 12/6
13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण।
विष्णु स्मृति 5/115
14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे।
आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16
15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति, राक्षस से हुइ है।
तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7
17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है।
गौतम धर्म सूत्र 12/4/9
17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये।
शतपत ब्राम्हाण 3;1/10
18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है।
विष्णु पुराण 5/11
👉"महाभारत" कहती है- शूद्र राजा नहीं बन सकता।
👉"गीता" कहती है- शूद्र को ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए ।
👉"रामायण" कहती है- शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।
👉"मनुस्मृति" के अनुसार- शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है- शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है।
👉"पुराण" कहते हैं- शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।
👉"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है।
फिर भी एक सहनशील "शूद्र" और अति-शुद्र अब भी इन हिंसक धर्म ग्रंथो और इन देवी देवताओं को सीने से लगाए फिरता है।
जो कि घोर मूर्खता के अलावा कुछ नही।
दिखावे पे मत जाओ-अपनी अकल लगाओ मेरे शुद्र (OBC), अति-शुद्र (SC/ST) समाज के लोगो।
तुलसी राक्षस कुल की क्रान्तिकारी कन्या थी। उसकी शादी यशस्वी मूलनिवासी राजा जालंधर के साथ हुई थी। वह विष्णु भक्त नही थी, बल्कि अपने कुलदेवता की पूजा करती थी। वह एक वैद्य थी तथा एक औषधीय पौधे की खोज की थी, जिसका नामकरण उसके नाम पर तुलसी किया गया। वह अपने राज्य की महिलाओ को जागरुक और स्वाभिमान बनाती थी। एक बार जालंधर के राज्य पर संकट आया । सीमा पर कथित देवताओ का आक्रमण हुआ। जालंधर युद्ध करने गये, राज्य की बागडोर अपनी काबिल पत्नी पर छोड़कर। सीमा पर भीषण संघर्ष हुआ। जालंधर विजयी हुए। देवताओ ने हारकर संधि कर ली। पराजित राजा ने संधि के कुछ दिनो के उपरांत जालंधर को अपने यहां पूजा मे शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। वे निमंत्रण स्वीकार करते हुए पूजा मे शामिल हुए, जहां धोखे से उनकी हत्या कर दी गई। और तुलसी के पास यह झूठी खबर भिजवाया गया कि राजा जालंधर रास्ते मे अचानक बीमार पड गये है सो आपको चिकित्सा के लिए बुलाया गया है। तुलसी अपने बिमार पति से मिलने गयी, जहां उसे कैद कर लिया गया। तुलसी सब बात समझ गयी। देवता के राजा ने जालंधर को मृत बताकर उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। उसने परिस्थिति को समझते हुए हामी भर दी तथा एक शर्त रखी की वह अपने मृत पति के शव के साथ अपने राज्य की जनता को यह बताना चाहती है कि अब उनके राजा जीवित नही रहे और अब आप इस राज्य के भी स्वामी होगे। वे तुरंत इस पर राजी हो गये। इस आयोजन हेतु उसने अपने पति के शव को कुछ दिनो के लिए सुरक्षित रखी थी। वह अपने पति के शव के साथ अपनी राजधानी मे अपने जनता के समक्ष उपस्थित हुई तथा अपने जनता को सम्बोधित करते हुए उसने आत्महत्या कर ली। इससे आक्रोशित जनता ने अपने होनेवाले नये स्वामी को घेरकर पीट पीट कर मार डाला।
उसी घटना की याद मे लोगो ने तुलसी द्वारा खोजे गये औषधीय पौधे की पूजा शुरु की। वह पत्थर उसी महान जालंधर का प्रतीक है न कि विष्णु का।
आज के ही दिन तुलसी सती हुई थी। और इस तरह सती प्रथा की शुरुआत का श्रेय भी तुलसी को ही जाता है।
very good knowledge . Er/ Pandit ( not brahmin) ghanshyam Ahirwar 9868175650
ReplyDeleteग्रेट राइटिंग
ReplyDeleteISI vicharon ko aage badhane ki jarurat hai soya hua samaj jagega
ReplyDeleteपढेंगा समाज बढेगा समाज
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