Saturday 21 October 2017

शिवसेना का चिन्ह #धनुष्यबाण क्यों है ?

शिवसेना का चिन्ह #धनुष्यबाण क्यों है ?

#छत्रपति #शिवाजीमहाराज की तलवार क्यों नहीं है?
शिवसेना का अर्थ क्या है ? 
यह पोस्ट महाराष्ट्र के मराठा लोगो के लिए है ।
शिवसेना सुनने से जो अर्थ ध्वनित होता है वह है शिवाजी की सेना । मगर सच्चाई में ऐसा है क्या ?
जब शिव सेना के 71 एम एल् ए चुनकर आए तब मराठा या ओबीसी को मुख्यमंत्री के रेस में नहीं उतरा बल्कि मनोहर जोशी और सुधीर जोशी यह कोकणस्थ ब्राम्हण में सीएम के लिए झगड़ा शुरू हुआ । 71 ओबीसी के सर पर बाल ठाकरे ने मनोहर जोशी को बिठा दिया ।दरअसल बाल ठाकरे के पिताजी ब्राम्हणो के खिलाफ लिखते थे ।इसलिए उन्हें प्रबोधनकार नाम से नवाजा गया।ब्राम्हणो ने बाल ठाकरे को उनके पिताजी के विचारों के खिलाफ खूब इस्तेमाल किया। और उन्होंने ब्राम्हणो को खुश रखा। 
बाल ठाकरे ने अगर जो संगठन या पार्टी महाराष्ट्र में मुम्बई स्तर बनायीं उस पार्टी का चिन्ह तलवार,भाला या ढाल या रायगढ़ का किला यह प्रतिक चिन्ह की तौर क्यों नहीं रखा? शिवसेना यह मराठा लोगो की पार्टी मानी जाती है मगर यह सवाल मराठा लोगो के दिमाग में क्यों नहीं आता? धनुष्य बाण का ताल्लुख छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ नहीं है । धनुष्य बाण का किसके साथ संबंध है ? धनुष्य बाण का सीधा संबंध यह परशुराम से है जो आतंकवादी विदेशी ब्राम्हणो का हिंसा का प्रतिक है।
परशुराम ब्राम्हणो का नायक क्यों है ? कहानी यह बताई जाती है कि क्षत्रियो की 21 बार हत्याएं इस परशुराम ने की थी जिसके हाथ में परशु यानि कुल्हाड़ी और एक हाथ में धनुष्य बाण होता है ।अब क्षत्रिय की हत्या क्यों की? दरअसल इस देश के जो नेटिव लोग यानि नाग लोग जो इस देश के प्राचीन शासक है और जिनका प्राचीन एक नाम पनि भी था।नाग लोग में मराठा भी थे ।उनका पुराना नाम कुर्मी और प्राचीन नाम नाग यह है।नाग लोगो की हत्याएं परशुराम ने की । भविष्य में ब्राम्हणो के वर्चस्व को कायम रखने के लिए ब्राम्हणो ने परशुराम की कहानी प्रचार में लायी जिसमे 21 बार हत्याएं जोड़ दिया। इसलिए विदेशी ब्राम्हण मराठा लोगो के घर,कुर्मियों के घर धार्मिक विधि करने जाता है तब वह 21 रुपये दक्षिणा इसलिए लेता जिससे वह उन्हें यह याद दिलाता है कि आपके पुरखों की हमारे परशुराम ने हत्या की है और 21 बार की है इसलिए हमें बक्षीस से रूप में 21 रुपये दो। भोले भाले लोग देते भी है । इसका सीधा मतलब यह है कि मराठा शूद्र है इसकी मान्यता ब्राम्हण उसे देता है। 
यह सिद्धान्त भारत के तमाम ओबीसी को शूद्र कहने के लिए है ।
शिवसेना के चिन्ह के माध्यम से ब्राम्हणो ने छत्रपति शिवाजी महाराज को भी शूद्र कहा और मराठा लोगो को भी शूद्र कहा। यह मानस बनाने के लिए ही धनुष्य बाण चिन्ह रखा। 
पूना की खोले बाई ने मराठा महिला अपर्णा यादव को खुल्लम खुल्ला शूद्र कहा तब शिव सेना  एक भी मराठा ने उस ब्राम्हण महिला का विरोध क्यों नहीं किया? खुद बाल ठाकरे या राज ठाकरे ने विरोध क्यों नहीं किया? जिबकी वे लोग मराठा लोगो के कारण नेता हुए है। यह बात तो छोटी है बड़ी बात देखो मासाहेब जिजाऊ का चरित्रहनन जिस पुरंदरे ने किया उस पुरंदरे को गुरु घोषित करनेवाले यह ठाकरे परिवार थे।
इस्लाम द्वेष करके मराठा लोगो को गुमराह किया जाता है ।और प्रचार मराठा लोगो को नीच ,शूद्र यह कहने के लिए शिव सेना कहा जाता है दरअसल यह परशुराम सेना है। यानि ब्राम्हण सेना है।महाराष्ट्र ने शिवाजी,फुले, शाहू,आंबेडकर की ब्राम्हण विरोधी विचारधारा को रोकने के लिए विदेशी ब्राम्हण शिव सेना का इस्तेमाल करते है। 
छत्रपति शिवाजी महाराज ही कहते थे ब्राम्हण हुआ तो क्या हुआ उसकी परवाह नहीं की जायेगी उसे बक्शा भी नहीं जायेगा। ठाकरे परिवार यह कायस्थ है यानि ब्राम्हणो के धर्म के अनुसार शूद्र है ।फिर सवाल खड़ा होता है कि फिर भी ठाकरे परिवार ने ब्राम्हणो के प्रतीक को चुनकर अपना स्वाभिमान क्यों बेचा? और ब्राम्हण उनको माध्यम करके किस तरह से ब्राम्हणवाद का प्रचार करता है इस बात का सबूत धनुष्य बाण है।इसलिए #शिवसेना को #परशुरामसेना कहो।

No comments:

Post a Comment