Saturday 28 October 2017

अपना विवेक इस्तेमाल करें

*मैं उन बी जे पी केअंधभक्तों की आंख तो नहीं खोल सकता लेकिन चाहता हूं कि वे थोड़ी तर्क शक्ति का इस्तेमाल कर नीचे लिखी हुई बातों पर ध्यान दें और अपना विवेक इस्तेमाल करें*

*1*."डिजिटल इंडिया" का अगुवा रिलायंस - "जियो" बना, जबकि मौका बीएसएनएल / एमटीएनएल के पास पूरा था...!

*2.*कैशलेस इकोनॉमी का अवतार एनपीसीआई के "रुपए" को बनना चाहिए था... लेकिन बाज़ी सीधे-सीधे "पे-टीएम" के हाथ लगने दी गई...!

*3.*फ्राँस के रफेल फ़ाइटर जेट का भारतीय पार्टनर हिंदुस्तान एरोनौटिक्स लिमिटेड को होना चाहिए... लेकिन ऑर्डर मिला रिलायंस - "पिपावा डिफेंस"...!

*4*.भारतीय रेल को डीज़ल सप्लाई का ठेका इंडियन ऑइल कार्पोरेशन को मिलना चाहिए था लेकिन मिला रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स को..!

*5.*ऑस्ट्रेलिया की खानों के टेंडर में सरकार चाहती तो "एमएमटीसी" की बेंक गारंटी एसबीआई के जरिये दे सकती थी... लेकिन मिला अडानी ग्रुप को...!

*6.*सरकारी संस्थानों को जान-बूझकर प्राइवेट कंपनियों का पिछलग्गू बनाकर किसे फ़ायदा पहुँचाया जा रहा है...?

*7.*अब.अगर फ़िस्क़ल और मॉनेटरी पाॅलिसीज़ में चेंजेज़ आ ही रहे हैं, तो इसका मुनाफ़ा सरकारी उपक्रमों को मिलने के बजाय निजी हाथों में क्यों दे रहे रहो...?

सुनो, राजनीति और राष्ट्रहित कभी एक नहीं हो सकते... देशप्रेम और किसी व्यक्ति-विशेष का चारित्रिक पूजन करने में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है.. इस फ़र्क़ को समझना ज़रूरी है और असलियत के धरातल में रहना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है...
अंधभक्ति और जी-हुज़ूरी करना इसलिए भी ग़लत होता है क्योंकि वो आपसे आपका सवाल पूछने का अधिकार छीन लेता है...


आपनी वार्षिक रिपोर्ट में आखिरकार रिज़र्व बैंक आफ इंडिया ने यह घोषणा कर दी कि नोटबंदी के बाद बैंकों में कुल 99% पुराने ₹500 और ₹1000 के नोट वापस आए।

99% अर्थात प्रचलन में रहे ₹1544000 करोड़ के ₹500 और ₹1000 की करेन्सी का ₹1528560 करोड़ रुपया वापस आ गया अर्थात जिन अपेक्षित परिणामों को आधार बना कर नोटबंदी की गयी थी वह सभी परिणाम नहीं आए।

नोटबंदी बुरी तरह विफल हुई

सरकार अब कितना भी झूठ बोले परन्तु यदि जनता की फिलहाल याददास्त ठीक हो तो वह याद कर ले कि नोटबंदी लाने का मुख्य उद्देश यह था कि ₹15•44 लाख करोड़ की प्रचलित करेन्सी में कालाधान के रूप में घरों और तिजोरियों में रखे नोट ₹4 से 5 लाख करोड़ रूपये वापस नहीं आएँगे क्युँकि उसके पहले आयकर विभाग की दो-दो स्कीम लाईं गयीं थीं कि जिसके पास अघोषित सम्पत्ती हो वह घोषित करके इस स्कीम का लाभ उठाए और प्रचार माध्यमों से सरकार की तरफ से तमाम धमकियाँ भी दी गयीं।

फिर नोटबंदी इसलिए लागू की गयी कि स्कीम के बाद जिन लोगों की बैंक में जमा रकम अधिक होगी वह पकड़े जाएँगे या तो लोग बैंक में इसी पकड़े जाने के डर से जमा ही नहीं करेंगे, आतंकवादियों , पाकिस्तान और नक्सलवादियों के यहाँ मौजूद रूपया बर्बाद हो जाएगा और वह भी वापस नहीं आएगा और इस तरह कुल लगभग ₹4-5 लाख करोड़ करेन्सी वापस नहीं आएगी और यही कालाधन मानकर सरकार अपनी उपलब्धि बताएगी , और यदि ऐसा होता तो उपलब्धि होती भी। देश को ₹4-5 लाख करोड़ एक निर्णय से मिल जाए तो यह किसे अच्छा नहीं लगेगा ?

परन्तु हुआ क्या ? लगभग सभी पैसे बैंकों में आकर यह सिद्ध किया कि देश में काला धन है ही नहीं , जो 1% नहीं आया उसके लिए थोड़ा समय सरकार दे दे तो वह भी आ जाएगा और यदि नहीं भी आया तो वह रकम प्रधानमंत्री द्वारा मंगोलिया में गधे पर मोहित होकर मंगोलिया को मदद करने वाली रकम के बराबर है।

देश की अर्थव्यवस्था की की गयी इस डायलिस से देश के अर्थव्यवस्था का गुर्दा ही नहीं बल्कि हृदय और लीवर भी खराब हो गया , नोटबंदी के बाद सिर्फ़ अगले चार महीनों में 15 लाख लोगों की नौकरियाँ चलीं गयीं , यह आँकड़े केवल संगठित क्षेत्र के हैं , असंगठित क्षेत्र में इन 4 महीनों में यह संख्या करोड़ों में होगी। और एक वर्ष में यह आँकड़ा चार गुना होगा। 

देश का लगभग ₹10 हजार करोड़ नयी नोट की छपाई में लगा , बैंकों में कर्मचारियों को दी जाने वेली ओवरटाइम सेलरी , व्यापार खत्म होने से नुकसान हुआ राजस्व ( उत्पाद कर + केन्द्रीय कर + राज्य बिक्री कर + इनकम टैक्स) इत्यादि यदि मिला लिया जाय तो देश को लगभग ₹3 से 4 लाख करोड़ की चोट पहुँची है , परेशानियाँ अलग।

और एक महीने बाद नोटबंदी का एक वर्ष पूरा होने वाला है और व्यापार की स्थिति अब भी वैसी सी है , कोई सुधार नहीं , जिस देश में नेटवर्क देश के 15% हिस्से में हो उस देश में नोटबंदी के बाद कैशलेस इकानामी का प्रपंच फैला दिया गया , कैश ट्रान्जेक्शन पर तमाम टैक्स और चार्ज लगा कर कैश फ्लो रोक दिया गया , बाज़ार में कैश फ्लो का असर यह हुआ कि लोगों की खरीद क्षमता सीमित हो गयी और फिर बाजार अभी तक धराशायी है।

प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि उनको केवल 50 दिन दिए जाएँ , यदि वह देशवासियों को उनके सपनों का भारत 30 दिसंबर के बाद ना दे सके तो उनको जिन्दा जला दिया जाए।

क्या हुआ ? यही है सपनों का भारत ? कब जलाया जाएगा प्रधानमंत्री को जिन्दा ?

देश के प्रधानमंत्री के इसी वादे को पूरा करने के लिए देशवासियों को आने वाले दशहरा में रावण की जगह कम से कम नरेन्द्र मोदी का पुतला तो जला ही देना चाहिए।

150 लोगों की मौत , लाखों लोगों के विवाह में पैदा की समस्या , देशवासियों को पैसे पैसे के लिए मोहताज बना देने वाले और देश का उद्योग व्यापार चौपट कर देने वाले प्रधानमंत्री को जीवित भले ना जलाया जाए तो कम से कम रावण की जगह उनका पुतला तो जलाया ही जा सकता है क्युँकि यह कार्य भी देश में किसी राक्षसी प्रकोप से कम नहीं।

कहाँ गया देश में उपलब्ध काला धन ? कहाँ गया विदेश का काला धन ? कहाँ गयीं वह लम्बी लम्बी थोथी बातें ? 

दरअसल इसी सब कारणों से प्रधानमंत्री ने देश विदेश में अपनी गंभीरता खो दी है और वह सड़क पर तमाशा दिखाने वाले मदारी सा भाषा चरित्र और तमाशे से अधिक कुछ नहीं करते।

देश की जनता का बौद्धिक स्तर भी इनके द्वारा गिरा दिया गया जो सही और गलत की पहचान करने में भी आज असभर्थ है।


ज़ाहिद जी की वाल से



1. विकिपीडिया का पहला स्क्रीन शॉट बताता है कि जमशेद जी टाटा का जन्म बड़ोदा के नवसारी में 3 मार्च 1839 को हुआ था।

2. दूसरे स्क्रीन शॉट का प्रथम para बताता है कि 29 वर्ष की अवस्था में उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय से मुक्त अपनी प्रथम व्यवसाय ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना 1868 में की थी।

3. तीसरा व चौथा स्क्रीन शॉट बताता है कि 12 जनवरी 1863 को विवेकानंद जी का जन्म हुआ । 

अगर इन स्क्रीन शॉट्स से प्राप्त तिथियों का तथ्यात्मक व तुलनात्मक विश्लेषण करें तो ज्ञात होता है जब भारत के बड़ोदा नवसारी में जन्मे जमशेद जी टाटा अपना खुद का प्रथम व्यवसाय स्थापित किये थे तब विवेकानंद ( नरेन्द्रनाथ दत्त) की आयु तकरीबन 5 वर्ष थी।

यानि कि जब बाल नरेंद्रनाथ गणेश की मूर्ति के आगे से चूहे को लड्डू चुराते देख गणेश को अपने प्रसाद की रक्षा करने में असमर्थ पाते हुए देख उन्हें ईश्वर मानने से इनकार करने में अपने तर्क का प्रयोग करना सीख रहे होंगे। तब मोदी जी उनको टाटा को पत्र लिखता युवाओं को बता रहे हैं।
(ये दीगर बात है कि आज विवेकानंद के आभा मंडल को चुराने का प्रयास करने वाला छवि चुराऊ व्यक्ति इसी विज्ञान भवन में शाल्य चिकित्सकों को कुछ समय पहले गणेश के धड़ पर हाथी के सर को जोड़ना दुनिया की प्रथम शाल्य चिकित्सा बता रहा था! आप खुद सोचिए कि ये विवेकानंद को कितना समझते, जानते या मानते हैं।)

अब आज मोदी जी विज्ञान भवन में बैठे भारत के होनहार युवाओं को बता रहे हैं कि 5 वर्ष के बाल नरेंद्र ने विवेकानंद की हैसियत से विदेशी जमशेदजी टाटा को भारत में व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिए पत्र लिखा।

और भारत का दुर्भाग्य देखिए कि भारत का होनहार युवा इस तथ्य पर गले में भगवा गमछा डाल मोदी मोदी मोदी से विज्ञान भवन को गुंजायमान करने लगता है।

मैंं मोदी जी को दोष नहीं देता। अगला प्लेटफॉर्म पर चाय बेचने वाला व्यक्ति है, जिसकी डिग्रियां फ़र्ज़ी और विवादास्पद हैं। लेकिन दर्शक के रूप में बैठे युवा? और भारतीय पत्रकार?

कम से कम आज लालू की ये बात भी प्रमाणित होती है कि मोदी की सभाओं की आगे की पंक्तियों में ABVP के लोगों को बिठा कर मोदी मोदी करवाया जाता है। या ये लड़के किराए पर हॉल में बिठाए जाते हैं। दोनों हालात में उनका काम बस ताली बजाना और मोदी मोदी कर अपनी तिहाडी सीधी करना होता है।
वरना आज हालात ये हैं कि अपनी क्लास में छात्रों के समक्ष तथ्य प्रस्तुत करते समय मैं तक इतना सावधान रहता हूँ कि गलत बात बोली और स्मार्ट फ़ोन रखे कोई भी छात्र गूगल कर उसी क्लास के दौरान ही फौरन सही तथ्य लेकर आपके सामने आ खड़ा होगा।

खैर इन दोनों ही स्थितियों में आपको ABVP और मोदी जी के ज्ञान इतिहास बोध और झूठ प्रचार के ढोंग का तो पता चल ही जाता है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों का दुर्भाग्य देखिए अभी कुछ दिनों में ही इसी ABVP के लोगों को ये अपना नेता चुनेंगे।

यही फ़र्क़ JNU को देश की बाकी संस्थाओं से बौद्धिक रूप में अलग करता है।

JNU के छात्र ऐसी ही स्थिति में कांग्रेस के तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम से इतने क्रॉस प्रश्न किये की मंत्री जी को अपना भाषण बीच में ही छोड़ निकलना पड़ा था।


वर्तमान सरकारें शिक्षा के इसी लाभ प्रश्न करने की कला की हत्या कर देना चाहती हैं। मीडिया में प्रश्न करना ban हो ही चुका है। अब विद्यार्थियों का नंबर है।



 देश बेच रहा है मोदी, और देश द्रोही कोई और है? 
1: यह व्यक्ति 3 साल पहले तक #GST के नुक्सान बता रहा था अब लाभ बता रहा है।
2. कुछ समय पहले तक यह व्यक्ति #आधार_कार्ड को देश के लिए खतरा बता रहा था, अब आधार कार्ड लेकर नाँच रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फटकार से भी इसे फ़र्क़ नहीं पड़ता और अब तो "सुलभ" शौचालय के लिए भी आधार कार्ड को ज़रूरी कर रहा है !!
3: यह व्यक्ति 2 साल पहले #मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं का प्रतीक बता रहा था अब देश हित में बता रहा है।
4: यह व्यक्ति 3 साल पहले तक पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजाने जा रहा था अब दुश्मन की माँ का पैर छूकर केक खा रहा है।
5: यह व्यक्ति 3 साल पहले तक अविवाहित हुआ करता था अब #विवाहित हो चुका है।
6: यह व्यक्ति 3 साल पहले सत्ता में आने के बाद #धारा_370 को ख़त्म करने की बात कर रहा था अब इसको सांप सूंघ गया है। उलट अलगावादियों के साथ सरकार सरकार खेल रहा है।
7: यह व्यक्ति #FDI को देश के लिए अपघात बता रहा था अब इसके फायदे गिना रहा है।
8: यह व्यक्ति कुछ साल पहले #शहीद_करकरे को देश का सपूत बता रहा था अब उनकी नियत पर सवाल उठा रहा है।
9: यह व्यक्ति जो खुद बता चुका है की उसने स्कूल तक शिक्षा ली है आज #दिल्ली_विश्वविद्यालय की बीए डिग्री दिखा रहा है और MA की भी डिग्री दिखा रहा है।
10: यह व्यक्ति का पहले #बीफ_एक्सपोर्ट के कारण इसका कलेजा रोता था, पिंक रेवोल्यूशन पर चिंता व्यक्त करता था। अब खुद बीफ कंपनियों से चंदा ले रहा है और भारत बीफ एक्सपोर्ट में नंबर एक के पायदान पर है और इसकी पार्टी लुंगी डांस कर रहा है।
11: यह व्यक्ति #रुपया_डॉलर के मुकाबले गिरने पर फड़फड़ाता था अब उसको साँप सूंघ गया है।
12: यह व्यक्ति पहले हर मुद्दे पर बयान देता था या #ट्वीट करता था अब खुद मुद्दों पर चुप्पी साध लेता है।
13. यह व्यक्ति प्रति वर्ष 2 करोड़ रोजगार सृजन का वायदा किया था, और अब तमाम सरकारी नौकरियाँ ख़त्म करते हुए सिर्फ #रेलवे से 4 लाख नौकरियों की कटौती किया है। 
14. यह व्यक्ति खुद को #OBC बताते हुए वोट माँगा था, और अब पिछड़े वर्ग और दलित समुदाय के लिए तमाम आरक्षण धीरे धीरे समाप्त कर रहा है। मंडल कमीशन को निरस्त करने का कानून बना रहा है।
15. #शिक्षा की प्रसार का बात करता था, अब #जेएनयू #दिल्ली_विश्वविद्यालय में आधी सीटें ख़त्म कर दिया और #आईआईटी जैसे सरकारी शिक्षण संस्थाओं में 20 गुणा फीस बढ़ा दिया है।
16. यह व्यक्ति पहले खुद की बेहद साधारण और सादगी का प्रतीक कहता था, और अब 10 लाख का सूट पहनता है। RTI से सूचना के मुताबिक दो वर्षो में साहब ने 70 करोड़ का सिर्फ कपड़ा पहना है।
17. विदेश से काला धन लेकर प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये देने का वायदा था, अब इसे 'जुमला' कह रहा है।
18. "कांग्रेस मुक्त भारत" का नारा दिया और फिर तमाम भ्रष्ट कांग्रेसियों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। 
19. अडवाणी जी को गुरु कहा और अब अडवाणी जी का राजनीति पर फुल स्टॉप लगा दिया है। 
20. नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, चीन की युद्ध की धमकियों आदि पर रोज झूठ बोल रहा है।
अन्य कई मुद्दों पर थूक कर, यू टर्न ले लिया है।
और बोलता था की 56 इंच का सीना है मेरा
ना खाऊंगा ना खाने दुँगा...
कॉर्पोरेट, खास तौर से अम्बानी और अडानी को देश बेच रहा है। 
क्या आप ऐसे व्यक्ति को जानते हैं ?

अगर जान गए हैं तो शायद 2019 में देश बच जाए।


बीजेपी के कुछ नालायक नेताओं की करतूतें :---
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(1) नरेंद्र मोदी :-- नरेंद्र मोदी जी काफी सारे दंगों में आरोपी रहे हैं ।

मंदिर निर्माण के लिए होने वाली रथयात्राओं में शामिल होकर मोदी जी ने भी कई बार साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ा है ।

नरेंद्र मोदी जी जिन दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्ही दिनों  आशाराम बापू गुजरात में काफी सारे कुकर्म करता रहा, लेकिन नरेंद्र मोदी जी आँखें बन्द करके सोते रहे ।

और अब प्रधानमन्त्री बनकर  पिछले 3 साल में नरेंद्र मोदी जी ने सरकारी खर्चे से इस दुनिया के काफी सारे देशों की यात्रा करके आम जनता के धन को खूब बर्बाद किया है ।

विदेशों में मोदी जी ऊँची इमारतों और खूबसूरत औरतों को देखकर तो आ जाते हैं, लेकिन वहाँ से कुछ भी अच्छा सीखकर नही आते ।

यही कारण है, कि मोदी जी भारत वापिस आकर भी भारत के उन नालायकों नही सुधारते, जो नालायक अभी भी SC, ST, OBC और मुस्लिमो से नफ़रत करते हैं ।

सबसे बड़ी बात यह है कि आम जनता तो गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और गौरक्षकों से परेशान है, लेकिन मोदी जी अभी भी पूरी बेशर्मी से बुलेट ट्रेन की बातें करते हैं ।

(2) स्मृति ईरानी :--- स्मृति ईरानी जी तो नकली डिग्री खरीदकर शिक्षा मंत्री बन गयी थीं ।

वैसे स्मृति ईरानी जी ने अपनी ही सहेली के पति को फंसाकर अपनी मक्कारी और अपने कमीनेपन की एक काफी बड़ी मिसाल पेश कर दी है, पूरी दुनिया के सामने ।

(3) वरुण गांधी :--- वरुण गांधी ने मुस्लिमो को कई बार बेहद गन्दी गालियाँ देकर अपने आपको एक महान देशभक्त साबित करने की कोशिश की थी ।

लेकिन वरुण गांधी एक बार भारत सरकार की तरफ से विदेश गए थे, रक्षा उपकरणों की खरीद करने ।

परन्तु सरकारी खर्चे से विदेश जाकर,  विदेश में एक विदेशी वैश्या से सेक्स करके आ गए ।

उनकी सेक्सी फोटो आप इंटरनेट पर देख लीजिये, उसी विदेशी वैश्या के साथ ।

(4) अमित शाह :-- अमित शाह एक गुंडे और मक्कार नेता माने जाते हैं ।

बीजेपी की जीत के लिए अमित शाह कई तरह के हथकण्डे अपनाते रहे हैं ।

मुज़फ्फर नगर में हुए हिन्दू मुस्लिम दंगों में आज भी अमित शाह ही सबसे बड़े जिम्मेदार माने जाते हैं ।

(5) मनोहर लाल खट्टर :-- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बेहद नालायक प्रशासक साबित हुए हैं ।

बाबा राम रहीम अपने डेरों और आश्रमों में एक के बाद एक काण्ड करता रहा, लेकिन मनोहर लाल खट्टर बार बार बाबा राम रहीम के चरण छूते रहे ।

मनोहर लाल खट्टर  की इसी लापरवाही का फायदा उठाकर बाबा राम रहीम सीना तानकर घूमता रहा ।

वैसे आरएसएस और बीजेपी के ज्यादातर नेताओं का हमेशा ही पाखण्डी और बलात्कारी बाबाओं से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है ।

लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी बाजपेयी, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मोहन भागवत जैसे नेता कई बार आशाराम बापू और बाबा राम रहीम जैसे बलात्कारी बाबाओं के चरण छूते रहे हैं ।

आरएसएस और बीजेपी के कुछ नेता तो राधे माँ के साथ नाच भी चुके हैं ।

सच यही है कि, आरएसएस और बीजेपी में एक से बढ़कर एक नालायक नेता भरे हुए हैं ।

लेकिन मनुवादी मिडिया तो मायावती, डी राजा, लालू यादव, करिया मुंडा और ओवेसी जैसे नेताओं को ही ज्यादा बदनाम करता है ।

डी के सन्त

9868208249

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