साथियों मै तुम्हें आज #पूर्वस्वादण# के बारे मे दो शब्द बताता हू !जिसका सम्बन्ध #पूर्वस्वाहण# से मिलता है !
वैदिक ब्राम्हण ख़ुद को भगवान मानते थे जो अन्य लोगो से श्रेष्ठ है !ऐसा समजते थे !ब्राम्हण मे एक प्रथा थी जो अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति से प्रजनन करवाना! इसके कुछ उदा.है......कुंती ने पांडु से विवाह करणे से पहेले अलग अलग लोगो से सम्भोग करके पुत्रों की प्राप्ति की !
मत्स्य गंधा ने भीष्म के पिता शंतनू से विवाह से पहेले पराशर के साथ सम्भोग किया! इसका वैदिक ब्राम्हण लोगो का सीधा सम्बन्ध है ##पूर्वस्वाहन# से
"साथियों आर्य स्त्री तब तक शादी विवाह नही कर सकती थी जब तक ओ अपना कौमार्य ब्राम्हण देव से भंग ना करवाय" जब उसका कोई ब्राम्हण कौमार्य भंग करेगा तभी वह लड़की किसी दूसरे ब्राम्हण से शादी कर सकती थी !जो ब्राम्हण उस लड़की का कौमार्य भंग करता था !ऐसा करणा उसका अधिकार है वह उसे अपना अधिकार मानता था !जिसे #पूर्वास्वाहन #कहा जाता था !
ब्राम्हण लड़की शादिके बिना कोई भी पुरुष के साथ सम्भोग कर सकती थी !और उससे संतती प्राप्त कर सकती थी !कन्या इस शब्द का मूल :ही काम है! जिसका अर्थ है किसी भी पुरुष को देह समर्पण करणा !
वैदिक ब्राम्हण प्राणियों से भी मैथुन करते थे! उदा..किंदम
ऋशी हिरणी के साथ सम्भोग करते पांडु के तीर से मरा था !सूरज घोड़ी के साथ सम्भोग करता था! और अश्व मेघ यज्ञ मे ब्राम्हण स्त्रिया घोड़े के साथ सम्भोग करती थी !
साथियों इतनी बेकार ब्राम्हण सांस्कॄति है फिर भी ब्राम्हण ऊपर मुँह उठाकर बोलते है की हमारी ही संस्क्रुति श्रेष्ठ है इन्हे सबक सिखाने का वक्त आगया साथियों ब्राम्हण यह सब लिखने से मना करते है ले।।।।
Jai bhim साथियों
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