सामाजिक गुलामी
आज का प्रश्न:-
15% लोग 85% पर शासन करते है क्यों? ❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓_
15% लोग 85% पर शासन करते है क्यों? ❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓❓_
उत्तर:- दुनियां में कोई किसी को गुलाम नही बना सकता जबतक उसमे गुलामी करने की ललक न हो।
उसके विपरीत दुनिया मे कोई किसी सामाज को आजाद नही कर सकता या हो सकता जबतक की आजादी होने के लिए ललक या ब्याकुलता ना हो।
सवाल उठता है ,
गुलाम किसने बनाया?
15% विदेशी वैदिक आर्य ब्राह्मण।न जबाब नही।
क्योकि कोई भी वैदिक ब्राह्मणवादी लोग लाठी लेकर दरवाजे पर नही खरा है। भारत के बहुजन मूलनिवासी को व नंदवंशी को समस्या क्या है पता नही। समाधन कभी नही मिलेगा।आदमी आदमी गुलाम नही बनाता ।उसकी विचारधारा गुलाम गुलाम बनाती है। वैदिक ब्राह्मण की विचारधारा हिन्दू विचारधारा है। मुगल लोग अपना विचारधारा दिया भारत के मूलनिवासी मुस्लिम विचारधारा में लोभ से डर गया या ब्राह्मण विचारधारा के डर से।ब्राह्मणी विचारधारा जिसमे ब्राह्मण श्रेष्ठ है। यह विचारधारा भारत के मूलनिवासी को नीच बोला,बताया यह भगवान ने तुम्हे नीच पैदा किया तुम शुद्र हो ।ऊपर के तीनों वर्ण का सेवा करना तुम्हारा धर्म है।यदि तुम सच्चे हृदय से सेवा करो तो मरने के बाद स्वर्ग मिलेगा।अगले जन्म में ब्राह्मण बनेगा।इसी लोभ से आज तक भारत के मूलनिवासी गुलामी कर रहा है।अब इसको अगला जन्म की चिंता है।गुलामी क्यों छोड़ेगा। पहले तो पढ़ा लिखा लोग नही था तो ब्राह्मण को समझना घर घर जाकर समझना परता था।आज कल लो मूलनिवासी पढ़ा लिखा विद्वान संगठन बनाकर गर्व कर रहा है कि हम हिन्दू है। विचारधारा दुश्मनो का मूलनिवासी समाज को संगठित करने में ज़ुरा है।भ्रम पाले हुए है कहते फिरता है 15% ने 85%को गुलाम बना लिया।यही समस्या है, मूलनिवासी का।
अगर इस सभी समस्याओं से निजात पाना चाहते हैं तो सर्व प्रथम अपने विचारधारा (मनुवादी) को बदले जो आपको गुलामी की ओर ले जा रहा है जब तक आप मनुवादी विचारधारा से जुड़े रहेगें तो आपको सिर्फ हिन्दुत्व दिखाई देखा इन्सानियत नहीं और ए हिंदू त्व हमारे समाज के दुश्मन हैं मानवता स्वतंत्रता बंधुता का। इसलिए परमपूज्य बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने संविधान में इसका कोई जगह नहीं दिए थे उन्होंने धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना कीए। ताकि हम स्वतंत्र हो हमारा समाज स्वतंत्र रहे।
तो दोस्तों मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहते हैं बस इतना ही कहुगा कि अगर अपने भविष्य तथा अपने आने वाले पिढीयो का भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको परम पूज्य बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के सिद्धांतों और विचारधाराओं अपनाना होगा तभी हमें मनुवादी व्यवस्था जातिवादी व्यवस्था ब्राह्मणवादी व्यवस्था से अजादी मिलेगी। और हम बाबासाहेब के सपने को साकार कर पाएंगे।!!
एक समय में ब्राह्मण के लिए शस्त्र को छुना तो एक ओर उसको देखना भी पाप था।किंतु स्मृतिकाल में ब्राह्मण ने न केवल शास्त्र उठाया,उस ने ब्रह्माणी प्रभुत्व के लिए हत्याये की और चातुर्वर्ण्यं व्यवस्था की स्थाई मजबूती के लिए तलवार से काम लिया।ब्राह्मण के उकसाने पर शूद्र तपस्वी शंबूक की हत्या इसका अकाट्य प्रमाण है।
अहिंसा को त्याग कर ब्राह्मण ने हिंसा का सिद्धांत अपनाया ।उसने देवताओ को छोड़ खून पीने वाली दुर्गा और काली जैसी देवियो की पूजा शुरू की।इस प्रकार ब्राह्मण ने शांति मार्ग त्याग कर शक्ति प्रयोग का रास्ता अपनाया।
ब्राह्मण शस्त्रधारी बने और शुद्र शस्त्रविहीन रखे गए।इसलिए वह क्रांति नही कर पाए।इतिहास की इस घटना को डॉ. अंबेडकर ने निम्नलिखित शब्दो मे ब्यान किया है-"संसार के अन्य देशों में समाजी इंकलाब आए... हिंदुस्तान में सामाजिक क्रांतियां क्यो नही हुई?केवल एक ही उत्तर है जो में दे सकता हु और वह यह है कि चातुर्वर्ण्यं की इस दुष्ट प्रणाली के कारण हिंदुओ की निचली जातीय हिंसक कार्यवाही करने को पूर्ण अयोग्य बना दी गयी थी।वे शस्त्र नही धारण कर सकते थे और हथियारों के बगैर बगावत नही कर सकते थे।वे सब के सब हल जोतने वाले या यूं कहिये हल जोतने वाले बनने के लिए मज़बुर लोग थे और कभी अपने हलो के फॉलो को तलवारो में तब्दील करने का अवसर न दिया गया।उनके पास कोई संगीन न थी ,अतः हर कोई जो चाहता था उन पर बैठ सकता था और बैठा। चातुर्वर्ण के कारण वे(शुद्र) विद्या प्राप्त न कर सकते थे।वे अपनी आजादी का मार्ग सोच और पा नही सकते थे।वे नीच बने रहने पर मज़बूर थे और बच निकलने की राह न पा कर और बच निकलने के साधन उपलब्ध न होने के कारण उन्होंने स्थाई गुलामी से समझौता कर लिया और इस स्थाई दासता को उन्होंने अपना भाग्य में लिया जिस से कोई छुटकारा न था।
यह सच है कि यूरोप में भी ताकतवरों ने नाजायज लाभ उठाने से संकोच नही किया किन्तु यूरोप में शक्तिशाली लोगो ने ऐसी बेशर्मी से कमजोर लोगो को उनके (यानी गरीबी) के ठगे जाने के मामले में लाचार बनाने की योजना नही बनाई जैसा कि हिंदुस्तान में हिन्दुओ के मामले में हुआ है"
*जय भीम जय भारत जय!! मुलनिवासी जय संविधान!*
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