Friday 8 June 2018

पढालिखा होना और लिखापढा होना दोनो में अंतर होता है।

*पढालिखा होना और लिखापढा होना दोनो में अंतर होता है।*

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*किसी भी व्यक्ति के शिक्षा का स्तर इससे नहीं मापा जा सकता कि उसने कितनी डिग्रियां प्राप्त की हैं। या कौनसे युनिव्हर्सिटी में पढा है। और किसी भी व्यक्ति के शिक्षा का स्तर इससे भी पता नहीं चलता कि उसने कितनी किताबें पढ़ी हैं।*

*किसी भी व्यक्ति के शिक्षा का स्तर इससे पता चलता है कि उसने खुद की कितनी स्वतंत्र सोच विकसित की है। व्यक्ति चाहे कितनी भी डिग्रियां प्राप्त कर ले, अगर वह अपनी सोच को विकसित नहीं कर पाया तो इसका कोई भी मतलब नही है कि वो कितना पढ़ा है।*

अगर आपने स्कूल में पढ़ा हो की, रावण के दस सिर थे और आपने मान लिया तो आपकी शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। आपकी शिक्षा का मतलब तब है, जब आपने उस पर सवाल उठा दिया कि ऐसा कैसे संभव है? आपकी शिक्षा का पता तब चलता है, जब आपके यहाँ किसी बच्चे ने जन्म लिया और आप उसका नाम रखवाने के लिए ब्राह्मण के पास चल दिए। तो इससे पता चलता है कि आपने सिर्फ किताबें पढ़ी हैं लेकिन शिक्षित नहीं हुए। आपकी शिक्षा का पता तब चलता है, जब आप मृतक को स्वर्ग का टिकट दिलाने के यज्ञ और हवन करवाते हैं। 
*स्वतंत्र सोच का विकास करना ही शिक्षा है।*

 ये शिक्षा नहीं है, कि आपको बता दिया कि हरिश्चन्द्र एक सत्यवादी राजा था और आपने मान लिया। बल्कि शिक्षा ये है कि आपने सवाल उठा दिया कि वह राजा सत्यवादी कैसे हो सकता है? जिसने सिर्फ एक सपने के आधार पर अपना सब कुछ एक ब्राह्मण को दान दे दिया। ये सत्यवादिता नहीं बल्कि मूर्खता है। शिक्षा ये है कि आपने सवाल कर दिया कि अपनी पत्नी और बच्चे को बेचने वाला कोई भी आदमी सत्यवादी कैसे हो सकता है?
मूर्खता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि हम 15 - 20 साल पढ़ाई में ख़त्म करने के बाद एक पाँचवी फेल ब्राह्मण से सलाह लेते हैं।

कि हमको क्या करना चाहिए या क्या नही करना चाहिए?

मतलब आप IIT IIM से इंजिनियर है।  वकील, डॉक्टर, IAS IPS PCS नेता अभिनेता उद्योगपती बनकर भी इस लायक नही हुए कि अपना निर्णय खुद ले सकें। 
आपमें इतनी क्षमता विकसित नही हुई है, जितनी एक पांचवी फेल ब्राह्मण में है। आप अपनी कमाई के बीस पचीस लाख खर्च करके घर बनाना चाहते हैं, पैसे आपके और किसी ब्राह्मण से पूछते हैं कि घर कब बनाना है ?

*आप दिमाग से अपाहिज हैं जो अपने घर का निर्माण करने का निर्णय भी खुद नही कर सकते ?*

चले पूछने ब्राह्मण से घर कब बनेगा ?

और जब घर बनवाने की बारी आई, तब भी शुरुआत करने वो पाँचवी फेल  ब्राह्मण ही आएगा और उससेही आप पुचेंगे घर का मुख किस दिशा में होगा।

बच्चा आपने पैदा कर लिया लेकिन पंद्रह बीस साल उच्चशिक्षा पढेलिखे हो, फिर भी इतना नही सीख पाए कि अपनेही बच्चों का नाम भी खुद रख पायें । 

बच्चा आपका है या पांचवी फेल ब्राह्मण का?

अब बात शादी की आई तो ये भी तय आप नही कर सकते कि आप शादी कब करोगे ? 
आपको शादी कब करनी है ये भी एक पांचवी फेल ब्राह्मण बताएगा ?
आपको लड़की / लड़का पसंद है, आपके परिवार वालों को भी पसंद है लेकिन एक पांचवी फेल ब्राह्मण ने कह दिया कि इससे शादी करना अच्छा नही होगा इसकी जन्मपत्री में मंगल है। और आप शादी तोड देते हो तो आप पंद्रह बीस साल खर्च करके पढे हो फिर भी उस पांचवी फेल ब्राह्मण से तुच्छ ही साबित हुए । 

आप जीवन भर पाँचवी फेल ब्राह्मणों के आगे झुकते रहे लेकिन जब मरोगे तब भी ये ही पांचवी फेल ब्राह्मण तय करेगा कि आपका श्राद्ध कैसे होगा ? अस्थियों को गंगा में बहाना होगा या कुंवे में बहाना होगा? 

अब इससे ज्यादा मूर्खता के प्रमाण और क्या दूं ?

लगता है हम और आप बीमार हैं ब्राह्मणवाद से।
https://youtu.be/AphakaJsGNY


जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर *मैं Rs.3000 की घड़ी पहनू या Rs.30000 की* दोनों *समय एक जैसा ही बताएंगी* ..!
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मेरे पास *Rs.3000 का बैग हो या Rs.30000 का*, इसके *अंदर के सामान* मे कोई परिवर्तन नहीं होंगा। !

मैं *300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के* मकान में, *तन्हाई का एहसास* एक जैसा ही होगा।!

आख़ीर मे मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं *बिजनेस क्लास में यात्रा करू या इक्नामी क्लास*, मे अपनी *मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा*।!

इस लिए _ *अपने बच्चों को अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें उसकी कीमत को नहीं* _ .... ..

फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था

 *ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों से पैसा निकालना होता है लेकिन गरीब इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं*।

क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू ताकि लोग मुझे *बुद्धिमान और समझदार मानें?*

क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना *Mac या Kfc में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ?*


क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन दोस्तों के साथ *उठक बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ* ताकि लोग यह समझें कि *मैं एक रईस परिवार से हूँ?*

क्या यह आवश्यक है कि मैं *Gucci, Lacoste, Adidas या Nike के कपड़े पहनूं ताकि जेंटलमैन कहलाया जाऊँ?*

क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार *अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं?*

क्या यह आवश्यक है कि मैं *Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ?*

_*नहीं यार !!!*_


मेरे कपड़े तो *आम दुकानों* से खरीदे हुए होते हैं,

दोस्तों के साथ किसी *ढाबे* पर भी बैठ जाता हूँ,

भुख लगे तो किसी *ठेले* से  ले कर खाने मे भी कोई अपमान नहीं समझता,
अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलता हूँ। चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है
_*लेकिन ....*_

मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो *मेरी Adidas से खरीदी गई एक कमीज की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।*

मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे *एक Mac बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।*

बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि *पैसा ही सब कुछ नहीं है* जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।
*मानव मूल की असली कीमत उसकी _नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सुल्ह-रहमी, सहानुभूति और भाईचारा है_। ना कि उसकी मोजुदा शक्ल और सूरत* ... !!!



*सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति मे मेरी जगह कौन कार्य करेगा?*
*समस्त विश्व मे सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी  कोने से एक आवाज आई।*
*दीपक ने कहा "मै हूं  ना"*   
*मै अपना पूरा  प्रयास  करुंगा ।* 

*आपकी सोच  में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा -बड़ा होने से फर्क  नहीं पड़ता,सोच  बड़ी  होनी चाहिए। मन के भीतर  एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।*
जय भीम जय भारत ।

1 comment:

  1. Very nice information sir, thank you very much. namo buddhay jai bhim jai constitution jai science

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