योगी आदित्यनाथ के नाम एक खुला पत्र ।
रामनवमी की छुट्टी भी रद्द करोगे ?
प्रिय योगी जी,
आपके एक उपयोगी सुझाव को लेकर मैं बहुत उत्साहित हो गया हूँ और अब अतिउत्साह में यह चिट्ठी आपको लिख रहा हूँ।
आपने लखनऊ में आयोजित अम्बेडकर जयन्ती समारोह में कहा कि -" महापुरुषों की जयंती पर छुट्टियां रद्द कर देनी चाहिए "
आपका यह मानना बिल्कुल सही है कि साल में आधे से ज्यादा दिन छुट्टीयों में बीत जाते है ,इसलिए काम नहीं हो पाता है। सहमति । घनघोर सहमति ।
आपसे सिर्फ मेरी ही सहमति नहीं है बल्कि लगभग ऐसा ही राग यूपी के ही पूर्व सीएम और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने भी जयपुर में आयोजित अम्बेडकर जयन्ती समारोह के दौरान अलापा है । क्या गज़ब की ट्यूनिंग है ,वर्तमान और पूर्व सीएम साहबान की । एक जैसा सोचते है।
आप दोनों ही नहीं बल्कि आपकी दक्षिणपंथी विचारधारा के अधिसंख्य लोग बाबा साहब डॉ बी आर अम्बेडकर की जयंती पर इस भांति के सुर अक्सर निकालते रहते है।
भारत का लोकतंत्र हम सबको इस बात की इजाज़त देता है कि हम अपनी बात कहें ,असहमति को अभिव्यक्त करें पर सवाल तो इस बात को उठाने के अवसर का है कि हर बार महापुरुषों की जयंती के अवकाश समाप्त करने का राग अम्बेडकर जयंती पर ही क्यों निकाला जाता है ?
शायद इसलिए क्योंकि आप और आपकी तरह की सोच के लोगों के दिल और दिमाग में यह बात गहरे तक पैठी हुयी है कि अम्बेडकर सरीखे वंचित वर्ग से आने वाले महामानव इतने सम्मान के हकदार नहीं है कि उनके नाम पर अवकाश रखा जाये।इसलिए आप लोग हमारे ही मंचों पर आ कर हमारे ही गर्व गौरव दिवसों पर हमीं को चालाकी से गाली दे जाते है और हम शाश्वत मतिमंद लोग ताली बजा कर आल्हादित होने को अभिशप्त है ।
यह आपके लिए बहुत बढ़िया बात है कि हममें से कोई भी उठ कर यह नहीं कहता कि महामहिम राज्यपाल महोदय या माननीय मुख्यमंत्री महोदय आपकी बात तो ठीक है पर यह मांग आप दुर्गाष्टमी ,गणेश चतुर्थी ,हनुमान जयंती और रामनवमी पर क्यों नहीं उठाते कि केंसल करो सब छुट्टियां देश का नुकसान हो रहा है ?
योगी जी अगर हिम्मत है तो तमाम धार्मिक पर्व त्योहारों ,देवी देवताओं,पीर औलियाओं और जातीय प्रतीक पुरुषों के नाम पर होने वाले ऐच्छिक और अनिवार्य अवकाशों को रद्द करने की मांग भी उठाइये ,उनके ही मंचों पर जा कर ,मेरा दावा है कि अंध भक्त आपकी अक्ल ठिकाने लगा देंगे!
मेरी स्पष्ट मान्यता है कि योगी जी अगर आप रामनवमी का अवकाश रद्द करने का साहस करके दफ्तरों की कार्य संस्कृति को सुधारने की शुरुआत करते है तो यह एक सकारात्मक और क्रांतिकारी निर्णय होगा। इस शुरुआत के बाद कोई भी चूं तक नहीं करेगा। सब लोग बाकी के अवकाश रद्द किए जाने का भी स्वागत ही करेंगे। वैसे भी योगी महाराज आप तो रामजी के भक्त है,आपका तो उनसे डायरेक्ट कनेक्शन है तो आपके मर्यादा पुरुषोत्तम भी आपसे नहीं रुठेंगे और काम चल निकलेगा।
अगर यह साहस आप दिखा पाये तो हम अम्बेडकरवादी लोग भी पुरजोर शब्दों में यह मांग करेंगे कि साप्ताहिक अवकाश के अलावा के सारे अवकाश अविलंब रद्द कर दिए जाये। किसी को अपनी आस्तिकता का प्रदर्शन करना है या भावनाएं का प्रकटीकरण करना है तो वह अवैतनिक अवकाश ले ले और मजे से अपना दिन मनाये ।वैसे भी एक सेकुलर कंट्री में सरकारी खर्च पर क्यों किसी धर्म मज़हबी जयंती का भार यह राष्ट्र सहे ? राष्ट्रभक्ति तो यही कहती है ।
तो भाईसाहब योगिराज आदित्यनाथ जी कर दो शुरुआत । शुभस्य शीघ्रम । रामनवमी से शुरुआत कर दीजिए ,फिर तमाम महापुरुषो की जयंतियों के अवकाश भी रद्द कीजिये और जमकर काम करवाईये। ये जो दफ्तरों में नौकरशाही काम नहीं करती है और विधानसभाओं में विधायक गण पोर्न वीडियो देखते है ,इनको जवाबदेह बनाइये। इनके काम को भी नरेगा के मज़दूर की तरह किसी मैजेरमेन्ट बुक में अंकित करवाईये और टाइम या टास्क के मुताबिक इनको खर्चा -पानी , वेतनमान दीजिये ,ताकि भारत की वर्तमान निठल्ली संस्कृति कार्य की संस्कृति बन सके।
महोदय ,एक और सुझाव भी है आपके लिए, यह बहुत उत्पादक और उपयोगी साबित हो सकता है कि - बिना काम किये लाखों की तादाद में जो लोग आसन ,सिंहासनों पर आरूढ़ हो कर काल्पनिक प्रवचन पेलते है। जीवन भर धेले भर का भी काम नहीं करते है। ऐसे तमाम धर्म ध्वजा धारियों को भी काम पर लगा दीजिये। ज्यादा योग्यता नहीं हो तो छोटे मोटे काम के लिए डेली वेजेज पर ही रखवा लीजिये। आप तो भली भांति परिचित है कि इस निक्कमी फ़ौज की वजह से भी राष्ट्र को बहुत नुकसान हो रहा है।
आशा करता हूँ की आप मेरी भावना को अच्छे से समझ गए होंगे और जल्द ही रामनवमी ,उर्स सहित महापुरुषों की जयंतियों की तमाम छुट्टियां रद्द करने का ऐलान करेंगे ।
अंत में चलते चलते एक "मन की बात" भी कहता चलूं कि जब तक आपमें ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाने की क्षमता पैदा नहीं हो ,तब तक, बार बार सिर्फ और सिर्फ बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती समारोह में आकर छुट्टिया रद्द करने का ज्ञान देना आप स्थगित रखेंगे,क्योंकि इससे हमें यह संदेश मिलता है कि वंचित समुदायों से ताल्लुक रखने वाले महापुरुष इस लायक नहीं है कि उनके नाम पर एक अदद अवकाश भी रखा जा सके ।
उम्मीद है कि आप हमारी भावना को समझ गए होंगे ,क्योंकि आपकी भावनाएं जितनी कोमल है और बार बार आहत हो जाती है ,ऐसे ही इस देश के करोड़ों दलित, वंचित ,बहुजन ,मूलनिवासी जन की भावनाएं भी संविधान शिल्पी डॉ अम्बेडकर से जुडी हुई है। इन अहसासात को छेड़ेंगे तो बात बहुत दूर तलक जायेगी ।
हम राजनीतिक रूप से यूपी जरूर हारे होंगे ,मगर हमारी विचारधारा नहीं हारी है । अभी तो मनुवाद और अम्बेडकरवाद में निर्णायक जंग बाकी है। जिसका होना अवश्यम्भावी है।
यह मेरी आपको पहली चिट्ठी है ,जरुरत पड़ने पर बार बार ऐसी चिट्ठियां लिखी जाती रहेगी। आप पढ़ो या नहीं पढ़ो। हम लिखेंगे और आपको बताते रहेंगे ।
सादर
भंवर मेघवंशी
( स्वतंत्र पत्रकार एवम सामाजिक कार्यकर्ता )
रामनवमी की छुट्टी भी रद्द करोगे ?
प्रिय योगी जी,
आपके एक उपयोगी सुझाव को लेकर मैं बहुत उत्साहित हो गया हूँ और अब अतिउत्साह में यह चिट्ठी आपको लिख रहा हूँ।
आपने लखनऊ में आयोजित अम्बेडकर जयन्ती समारोह में कहा कि -" महापुरुषों की जयंती पर छुट्टियां रद्द कर देनी चाहिए "
आपका यह मानना बिल्कुल सही है कि साल में आधे से ज्यादा दिन छुट्टीयों में बीत जाते है ,इसलिए काम नहीं हो पाता है। सहमति । घनघोर सहमति ।
आपसे सिर्फ मेरी ही सहमति नहीं है बल्कि लगभग ऐसा ही राग यूपी के ही पूर्व सीएम और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने भी जयपुर में आयोजित अम्बेडकर जयन्ती समारोह के दौरान अलापा है । क्या गज़ब की ट्यूनिंग है ,वर्तमान और पूर्व सीएम साहबान की । एक जैसा सोचते है।
आप दोनों ही नहीं बल्कि आपकी दक्षिणपंथी विचारधारा के अधिसंख्य लोग बाबा साहब डॉ बी आर अम्बेडकर की जयंती पर इस भांति के सुर अक्सर निकालते रहते है।
भारत का लोकतंत्र हम सबको इस बात की इजाज़त देता है कि हम अपनी बात कहें ,असहमति को अभिव्यक्त करें पर सवाल तो इस बात को उठाने के अवसर का है कि हर बार महापुरुषों की जयंती के अवकाश समाप्त करने का राग अम्बेडकर जयंती पर ही क्यों निकाला जाता है ?
शायद इसलिए क्योंकि आप और आपकी तरह की सोच के लोगों के दिल और दिमाग में यह बात गहरे तक पैठी हुयी है कि अम्बेडकर सरीखे वंचित वर्ग से आने वाले महामानव इतने सम्मान के हकदार नहीं है कि उनके नाम पर अवकाश रखा जाये।इसलिए आप लोग हमारे ही मंचों पर आ कर हमारे ही गर्व गौरव दिवसों पर हमीं को चालाकी से गाली दे जाते है और हम शाश्वत मतिमंद लोग ताली बजा कर आल्हादित होने को अभिशप्त है ।
यह आपके लिए बहुत बढ़िया बात है कि हममें से कोई भी उठ कर यह नहीं कहता कि महामहिम राज्यपाल महोदय या माननीय मुख्यमंत्री महोदय आपकी बात तो ठीक है पर यह मांग आप दुर्गाष्टमी ,गणेश चतुर्थी ,हनुमान जयंती और रामनवमी पर क्यों नहीं उठाते कि केंसल करो सब छुट्टियां देश का नुकसान हो रहा है ?
योगी जी अगर हिम्मत है तो तमाम धार्मिक पर्व त्योहारों ,देवी देवताओं,पीर औलियाओं और जातीय प्रतीक पुरुषों के नाम पर होने वाले ऐच्छिक और अनिवार्य अवकाशों को रद्द करने की मांग भी उठाइये ,उनके ही मंचों पर जा कर ,मेरा दावा है कि अंध भक्त आपकी अक्ल ठिकाने लगा देंगे!
मेरी स्पष्ट मान्यता है कि योगी जी अगर आप रामनवमी का अवकाश रद्द करने का साहस करके दफ्तरों की कार्य संस्कृति को सुधारने की शुरुआत करते है तो यह एक सकारात्मक और क्रांतिकारी निर्णय होगा। इस शुरुआत के बाद कोई भी चूं तक नहीं करेगा। सब लोग बाकी के अवकाश रद्द किए जाने का भी स्वागत ही करेंगे। वैसे भी योगी महाराज आप तो रामजी के भक्त है,आपका तो उनसे डायरेक्ट कनेक्शन है तो आपके मर्यादा पुरुषोत्तम भी आपसे नहीं रुठेंगे और काम चल निकलेगा।
अगर यह साहस आप दिखा पाये तो हम अम्बेडकरवादी लोग भी पुरजोर शब्दों में यह मांग करेंगे कि साप्ताहिक अवकाश के अलावा के सारे अवकाश अविलंब रद्द कर दिए जाये। किसी को अपनी आस्तिकता का प्रदर्शन करना है या भावनाएं का प्रकटीकरण करना है तो वह अवैतनिक अवकाश ले ले और मजे से अपना दिन मनाये ।वैसे भी एक सेकुलर कंट्री में सरकारी खर्च पर क्यों किसी धर्म मज़हबी जयंती का भार यह राष्ट्र सहे ? राष्ट्रभक्ति तो यही कहती है ।
तो भाईसाहब योगिराज आदित्यनाथ जी कर दो शुरुआत । शुभस्य शीघ्रम । रामनवमी से शुरुआत कर दीजिए ,फिर तमाम महापुरुषो की जयंतियों के अवकाश भी रद्द कीजिये और जमकर काम करवाईये। ये जो दफ्तरों में नौकरशाही काम नहीं करती है और विधानसभाओं में विधायक गण पोर्न वीडियो देखते है ,इनको जवाबदेह बनाइये। इनके काम को भी नरेगा के मज़दूर की तरह किसी मैजेरमेन्ट बुक में अंकित करवाईये और टाइम या टास्क के मुताबिक इनको खर्चा -पानी , वेतनमान दीजिये ,ताकि भारत की वर्तमान निठल्ली संस्कृति कार्य की संस्कृति बन सके।
महोदय ,एक और सुझाव भी है आपके लिए, यह बहुत उत्पादक और उपयोगी साबित हो सकता है कि - बिना काम किये लाखों की तादाद में जो लोग आसन ,सिंहासनों पर आरूढ़ हो कर काल्पनिक प्रवचन पेलते है। जीवन भर धेले भर का भी काम नहीं करते है। ऐसे तमाम धर्म ध्वजा धारियों को भी काम पर लगा दीजिये। ज्यादा योग्यता नहीं हो तो छोटे मोटे काम के लिए डेली वेजेज पर ही रखवा लीजिये। आप तो भली भांति परिचित है कि इस निक्कमी फ़ौज की वजह से भी राष्ट्र को बहुत नुकसान हो रहा है।
आशा करता हूँ की आप मेरी भावना को अच्छे से समझ गए होंगे और जल्द ही रामनवमी ,उर्स सहित महापुरुषों की जयंतियों की तमाम छुट्टियां रद्द करने का ऐलान करेंगे ।
अंत में चलते चलते एक "मन की बात" भी कहता चलूं कि जब तक आपमें ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाने की क्षमता पैदा नहीं हो ,तब तक, बार बार सिर्फ और सिर्फ बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती समारोह में आकर छुट्टिया रद्द करने का ज्ञान देना आप स्थगित रखेंगे,क्योंकि इससे हमें यह संदेश मिलता है कि वंचित समुदायों से ताल्लुक रखने वाले महापुरुष इस लायक नहीं है कि उनके नाम पर एक अदद अवकाश भी रखा जा सके ।
उम्मीद है कि आप हमारी भावना को समझ गए होंगे ,क्योंकि आपकी भावनाएं जितनी कोमल है और बार बार आहत हो जाती है ,ऐसे ही इस देश के करोड़ों दलित, वंचित ,बहुजन ,मूलनिवासी जन की भावनाएं भी संविधान शिल्पी डॉ अम्बेडकर से जुडी हुई है। इन अहसासात को छेड़ेंगे तो बात बहुत दूर तलक जायेगी ।
हम राजनीतिक रूप से यूपी जरूर हारे होंगे ,मगर हमारी विचारधारा नहीं हारी है । अभी तो मनुवाद और अम्बेडकरवाद में निर्णायक जंग बाकी है। जिसका होना अवश्यम्भावी है।
यह मेरी आपको पहली चिट्ठी है ,जरुरत पड़ने पर बार बार ऐसी चिट्ठियां लिखी जाती रहेगी। आप पढ़ो या नहीं पढ़ो। हम लिखेंगे और आपको बताते रहेंगे ।
सादर
भंवर मेघवंशी
( स्वतंत्र पत्रकार एवम सामाजिक कार्यकर्ता )
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