क्या था साईमन_कमीशन?
जब बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर विदेश से पढकर भारत में बडौदा नरेश के यहां नौकरी करने लगे तो उनके साथ बहुत ज्यादा जातिगत_भेदभाव हुआ।
इस कारण उन्हें 11 वें दिन ही नौकरी छोड़कर बडौदा से वापस बम्बई जाना पड़ा। उन्होंने अपने समाज को अधिकार दिलाने की बात ठान ली।
उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को बार-बार पत्र लिखकर depressed class की स्थिति से अवगत करवाया और उन्हें अधिकार देने की माँग की।
बाबा साहेब के पत्रों में वर्णित छुआछूत व भेदभाव के बारे में पढकर अंग्रेज़ दंग रह गए कि क्या एक मानव दूसरे मानव के साथ ऐसे भी पेश आ सकता है।
बाबा साहेब के तथ्यों से परिपूर्ण तर्कयुक्त पत्रों से अंग्रेज़ी हुकूमत अवाक् रह गई और 1927 में depressed class की स्थिति के अध्ययन के लिए मिस्टर साईमन की अध्यक्षता में एक कमीशन का गठन किया गया।
जब कांग्रेस व महत्मा गांधी को कमीशन के भारत आगमन की सूचना मिली तो उन्हें लगा कि यदि यह कमीशन भारत आकर depressed class की वास्तविक स्थिति का अध्ययन कर लेगा तो उसकी रिपोर्ट के आधार पर अंग्रेजी हुकूमत इस वर्ग के लोगों को अधिकार दे देगी। कांग्रेस व महत्मा गांधी ऐसा होने नहीं देने चाहते थे।
अतः1927 में जब साईमन कमीशन अविभाजित भारत के लाहौर पहुंचा तो पूरे भारत में कांग्रेस की अगुवाई में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हुआ और लाहौर में मिस्टर साईमन को काले झंडे दिखा कर go_back के नारे लगाए गए। बाबा साहेब स्वयं मिस्टर साईमन से मिलने लाहौर पहुंचे और उन्हें400 पन्नों का प्रतिवेदन देकर depressed class की स्थिति से अवगत कराया।
कांग्रेस ने मिस्टर साईमन की आँखों में धूल झोंकने के लिए उनके सामने ब्राह्मणों को_depressed_class के लोगों के साथ बैठ कर भोजन करवाया (बाद में ब्राह्मण अपने घर जाकर गोमूत्र पीकर उससे नहाये)।
यह सब पाखण्ड देखकर बाबा साहेब मिस्टर साईमन को गांव के एक तालाब पर ले गये। उनके साथ एक कुत्ता भी था। वह कुत्ता अपने स्वभाव के मुताबिक सबके सामने उस तालाब में डुबकी लगाकर नहा कर बाहर आया।
तब बाबा साहेब ने एक depressed class के व्यक्ति को तालाब का पानी पीने के लिए कहा। उस व्यक्ति
ने घबराते हुए जैसे ही पानी पिया तो आसपास के ब्राह्मणों ने हमला बोल दिया।
आखिरकार बाबा साहेब सहित अन्य व्यक्तियों को पास की एक मुस्लिम बस्ती में शरण लेकर अपना बचाव करना पड़ा।
मिस्टर साईमन को सब कुछ समझ में आ गया। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंप दी। बाबा साहेब भी बार-बार पत्राचार करते रहे और उन्होंने लंदन जाकर अंग्रेजी हुकूमत के वरिष्ठ अधिकारियों व राजनेताओं को बार-बार भारत की depressed class को अधिकार देने की मांग की।
बाबा साहेब के तर्कों को अंग्रेजी हुकूमत नकार नहीं सकी और उसने भारत की depressed class को अधिकार देने के लिए 1930 में communal award (संप्रदायिक पंचाट) पारित किया।
Note÷ हमें विद्यालय में यह पढाया गया था कि कांग्रेस ने साईमन कमीशन को काले झंडे दिखा कर go_back के नारे लगाए। परंतु उसने वास्तव में ऐसा क्यों किया, यह नहीं पढाया गया।
डॉ बाबा साहेब आंबेडकर जी की किताबे अब पढना हुआ आसान केवल इस ऐप्लिकेशन को निःशुल्क डाऊनलोड करे जिसका लिंक यहा उपलब्ध है.
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.ictbbb
कैसे गांधी जी ने एक श्लोक और एक भजन को बदला देखें.......
भारत में महाभारत का एक श्लोक अधूरा पढाया जाता है क्यों ??
शायद गांधी जी की वजह से।
"अहिंसा परमो धर्मः"
जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है:-
"अहिंसा परमो धर्मः,
धर्महिंसा तदैव च l
अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है
और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है..🕉
#गांधीजी ने सिर्फ इस ☝श्लोक को ही नही बल्कि उसके अलावा उन्होंने एक प्रसिद्ध भजन को बदल दिया...
-'रघुपति राघव राजा राम'
इस प्रसिद्ध-भजन का नाम है.
."राम-धुन" .
जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था.. गाँधी ने इसमें परिवर्तन करते हुए अल्लाह शब्द जोड़ दिया..
गाँधीजी द्वारा किया गया परिवर्तन और असली भजन👇🏿
गाँधीजी का भजन
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज प्यारे तू सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान...
असली राम धुन भजन...
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालीग्राम
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम
बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी इस भजन को गलत गाते हैं, यहां तक कि मंदिरो में भी उन्हें रोके कौन?
'श्रीराम को सुमिरन' करने के इस भजन को जिन्होंने बनाया था उनका नाम था लक्ष्मणाचार्य
ये भजन
"श्री नमः रामनायनम"
नामक हिन्दू-ग्रन्थ से लिया गया है।
धन्यवाद
जब बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर विदेश से पढकर भारत में बडौदा नरेश के यहां नौकरी करने लगे तो उनके साथ बहुत ज्यादा जातिगत_भेदभाव हुआ।
इस कारण उन्हें 11 वें दिन ही नौकरी छोड़कर बडौदा से वापस बम्बई जाना पड़ा। उन्होंने अपने समाज को अधिकार दिलाने की बात ठान ली।
उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को बार-बार पत्र लिखकर depressed class की स्थिति से अवगत करवाया और उन्हें अधिकार देने की माँग की।
बाबा साहेब के पत्रों में वर्णित छुआछूत व भेदभाव के बारे में पढकर अंग्रेज़ दंग रह गए कि क्या एक मानव दूसरे मानव के साथ ऐसे भी पेश आ सकता है।
बाबा साहेब के तथ्यों से परिपूर्ण तर्कयुक्त पत्रों से अंग्रेज़ी हुकूमत अवाक् रह गई और 1927 में depressed class की स्थिति के अध्ययन के लिए मिस्टर साईमन की अध्यक्षता में एक कमीशन का गठन किया गया।
जब कांग्रेस व महत्मा गांधी को कमीशन के भारत आगमन की सूचना मिली तो उन्हें लगा कि यदि यह कमीशन भारत आकर depressed class की वास्तविक स्थिति का अध्ययन कर लेगा तो उसकी रिपोर्ट के आधार पर अंग्रेजी हुकूमत इस वर्ग के लोगों को अधिकार दे देगी। कांग्रेस व महत्मा गांधी ऐसा होने नहीं देने चाहते थे।
अतः1927 में जब साईमन कमीशन अविभाजित भारत के लाहौर पहुंचा तो पूरे भारत में कांग्रेस की अगुवाई में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हुआ और लाहौर में मिस्टर साईमन को काले झंडे दिखा कर go_back के नारे लगाए गए। बाबा साहेब स्वयं मिस्टर साईमन से मिलने लाहौर पहुंचे और उन्हें400 पन्नों का प्रतिवेदन देकर depressed class की स्थिति से अवगत कराया।
कांग्रेस ने मिस्टर साईमन की आँखों में धूल झोंकने के लिए उनके सामने ब्राह्मणों को_depressed_class के लोगों के साथ बैठ कर भोजन करवाया (बाद में ब्राह्मण अपने घर जाकर गोमूत्र पीकर उससे नहाये)।
यह सब पाखण्ड देखकर बाबा साहेब मिस्टर साईमन को गांव के एक तालाब पर ले गये। उनके साथ एक कुत्ता भी था। वह कुत्ता अपने स्वभाव के मुताबिक सबके सामने उस तालाब में डुबकी लगाकर नहा कर बाहर आया।
तब बाबा साहेब ने एक depressed class के व्यक्ति को तालाब का पानी पीने के लिए कहा। उस व्यक्ति
आखिरकार बाबा साहेब सहित अन्य व्यक्तियों को पास की एक मुस्लिम बस्ती में शरण लेकर अपना बचाव करना पड़ा।
मिस्टर साईमन को सब कुछ समझ में आ गया। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंप दी। बाबा साहेब भी बार-बार पत्राचार करते रहे और उन्होंने लंदन जाकर अंग्रेजी हुकूमत के वरिष्ठ अधिकारियों व राजनेताओं को बार-बार भारत की depressed class को अधिकार देने की मांग की।
बाबा साहेब के तर्कों को अंग्रेजी हुकूमत नकार नहीं सकी और उसने भारत की depressed class को अधिकार देने के लिए 1930 में communal award (संप्रदायिक पंचाट) पारित किया।
Note÷ हमें विद्यालय में यह पढाया गया था कि कांग्रेस ने साईमन कमीशन को काले झंडे दिखा कर go_back के नारे लगाए। परंतु उसने वास्तव में ऐसा क्यों किया, यह नहीं पढाया गया।
डॉ बाबा साहेब आंबेडकर जी की किताबे अब पढना हुआ आसान केवल इस ऐप्लिकेशन को निःशुल्क डाऊनलोड करे जिसका लिंक यहा उपलब्ध है.
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कैसे गांधी जी ने एक श्लोक और एक भजन को बदला देखें.......
भारत में महाभारत का एक श्लोक अधूरा पढाया जाता है क्यों ??
शायद गांधी जी की वजह से।
"अहिंसा परमो धर्मः"
जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है:-
"अहिंसा परमो धर्मः,
धर्महिंसा तदैव च l
अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है
और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है..🕉
#गांधीजी ने सिर्फ इस ☝श्लोक को ही नही बल्कि उसके अलावा उन्होंने एक प्रसिद्ध भजन को बदल दिया...
-'रघुपति राघव राजा राम'
इस प्रसिद्ध-भजन का नाम है.
."राम-धुन" .
जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था.. गाँधी ने इसमें परिवर्तन करते हुए अल्लाह शब्द जोड़ दिया..
गाँधीजी द्वारा किया गया परिवर्तन और असली भजन👇🏿
गाँधीजी का भजन
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज प्यारे तू सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान...
असली राम धुन भजन...
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालीग्राम
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम
बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी इस भजन को गलत गाते हैं, यहां तक कि मंदिरो में भी उन्हें रोके कौन?
'श्रीराम को सुमिरन' करने के इस भजन को जिन्होंने बनाया था उनका नाम था लक्ष्मणाचार्य
ये भजन
"श्री नमः रामनायनम"
नामक हिन्दू-ग्रन्थ से लिया गया है।
धन्यवाद
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