संसद में दिया गया यह भाषण कोई 'मीडिया' नहीं दिखा सकता
Created By : नेशनल दस्तक ब्यूरो
Date : 2017-03-24Time : 14:21:04 PM
नई दिल्ली।
जदयू के पूर्व अध्यक्ष व सांसद शरद यादव ने देश में इस समय चल रही पत्रकारिता और मीडिया के रवैये पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश में पत्रकारिता के नाम पर गोरखधंधा चलाया जा रहा है।
राज्यसभा में बुधवार को शरद यादव ने देश की मीडिया के रवैये पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में मीडिया के मालिक सरकार के ग़ुलाम बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि जो पत्रकार सरकार के खिलाफ लिखने का साहस करता है, उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि मीडिया के मालिक पत्रकारिता छोड़कर बाकी सारे धंधे कर रहे हैं। अब वह पूर्ण रूप से बिजनेसमैन बन चुके हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों के पेशे को दूषित करने का काम किया जा रहा है। सरकारों से सांठगांठ कर मीडिया मालिक राज्यसभा में घुस जा रहे हैं। यह देश के लिए बुरी खबर है।
शरद यादव ने कहा कि मीडिया देश की व्यवस्था का चौथा खंभा है, जिसपर मौजूदा दौर में पहरा बैठा दिया गया है। बीजेपी सरकार में पत्रकारिता इमजरेंसी का सामना कर रही है। शरद यादव ने इस दौरान मजीठिया कमेटी की सिफारिशों का समर्थन करते हुए कहा कि मीडिया मालिक आम पत्रकारों का शोषण कर रहे हैं, इसलिए सिफारिशें लागू होनी चाहिए।
मीडिया विजिल पर प्रकाशित शरद यादव के भाषण का एक अंश पढ़ें–
यह लोकशाही या लोकतंत्र जो खतरे में हैं, उसका एक कारण यह है कि हमने पत्रकार को ठेके में नहीं डाल दिया, बल्कि हायर एंड फायर एक नई चीज़ यूरोप से आई है यानी सबसेज्यादा हायर एंड फायर का शिकार यदि कोई है, तो वह पत्रकार है. मैं बड़े-बड़े पत्रकार के साथ रहा हूं, मैं बड़े-बड़े लोगों के साथ रहा हूं.
हमने पहले भी मीडिया देखा है, आज का मीडिया भी देखा है. उसकी सबसे बड़ी आत्मा कौन है? सच्ची खबर आये कहां से? राम गोपाल जी, जब पिछला चुनाव विधानसभा का हो रहा था, तो मैंने खुद जाकर चुनाव आयोग को कहा था कि यह पेड न्यूज है।
आज जो पत्रकार है, वे बहुत बेचैन और परेशान हैं, पत्रकार के पास ईमान भी है, लेकिन वह लिख नहीं सकता। मालिक के सामने उसे कह दिया जाता है कि इस लाइन पर लिखो, इस तरह से लिखो. उसका अपना परिवार है, वह कहां पर जाए? वह सच्चाई के लिए कुछ लिखना चाहता है।
हमारे लोकतंत्र में बाजार आया, खूब आए लेकिन यह जो मीडिया है, इसको हमने किनके हाथों में सौंप दिया है? यह किन-किन लोगों के पास चला गया है? एक पूंजीपति है इस देश का, उसने 40 से 60 फीसदी मीडिया खरीद लिया है। इस देश का क्या होगा?
अब हिंदुस्तान टाइम्स भी बिकने वाला है, कल बिक गया? कैसे चलेगा यह देश? यह चुनाव सुधार, यह बहस, ये सारी चीजें कहां आएंगी? कोई यहां पर बोलने के लिए तैयार नहीं है?
निश्चित तौर पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जो मीडिया है, लोकशाही में, लोकतंत्र में, यह आपके हाथ में है, इस पार्लियामेंट के हाथ में है। कोई रास्ता निकलेगा या नहीं निकलेगा? ये जो पत्रकार है, ये चौथा खंभा है, उसके मालिक नहीं हैं और हिंदुस्तान में जब से बाजार आया है, तब से तो लोगों की पूंजी इतने बड़े पैमाने पर बढ़ी है।
मै आज बोल रहा हूं, तो यह मीडिया मेरे खिलाफ तंज कसेगा, वह बुरा लिखेगा। लेकिन मेरे जैसा आदमी, जब चार-साढ़े चार साल जेल में बंद रहकर आजाद भारत में आया, तो अगर अब मैं रुक जाऊंगा तो मैं समझता हूं कि मैं हिंदुस्तान की जनता के साथ विश्वासघात कर के जाऊंगा।
सर, आज सबसे ज्यादा ठेके पर लोग रखे जा रहे हैं और पूरे हिंदुस्तान में लोगों के लिए कोई नौकरी या रोजगार नहीं पैदा हो रहा है। सब जगह पूंजीपति और सारे प्राइवेट सेक्टर के लोग हैं।
अखबार में सबसे ज्यादा लोगों को ठेके पर रखा जाता है. इस तरह मजीठिया कमीशन कौन लागू करेगा? इनके कर्मचारियों को कोई यूनियन नहीं बनाने देता है। आप किसी पत्रकार से सच्ची बात कहो, तो वह दहशत में आ जाएगा क्योेंकि उसका मालिक दूसरे दिन उसे निकाल कर बाहर करेगा। तो यह मीडिया कैसे सुधरेगा?
(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)
Created By : नेशनल दस्तक ब्यूरो
Date : 2017-03-24Time : 14:21:04 PM
नई दिल्ली।
जदयू के पूर्व अध्यक्ष व सांसद शरद यादव ने देश में इस समय चल रही पत्रकारिता और मीडिया के रवैये पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश में पत्रकारिता के नाम पर गोरखधंधा चलाया जा रहा है।
राज्यसभा में बुधवार को शरद यादव ने देश की मीडिया के रवैये पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में मीडिया के मालिक सरकार के ग़ुलाम बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि जो पत्रकार सरकार के खिलाफ लिखने का साहस करता है, उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि मीडिया के मालिक पत्रकारिता छोड़कर बाकी सारे धंधे कर रहे हैं। अब वह पूर्ण रूप से बिजनेसमैन बन चुके हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों के पेशे को दूषित करने का काम किया जा रहा है। सरकारों से सांठगांठ कर मीडिया मालिक राज्यसभा में घुस जा रहे हैं। यह देश के लिए बुरी खबर है।
शरद यादव ने कहा कि मीडिया देश की व्यवस्था का चौथा खंभा है, जिसपर मौजूदा दौर में पहरा बैठा दिया गया है। बीजेपी सरकार में पत्रकारिता इमजरेंसी का सामना कर रही है। शरद यादव ने इस दौरान मजीठिया कमेटी की सिफारिशों का समर्थन करते हुए कहा कि मीडिया मालिक आम पत्रकारों का शोषण कर रहे हैं, इसलिए सिफारिशें लागू होनी चाहिए।
मीडिया विजिल पर प्रकाशित शरद यादव के भाषण का एक अंश पढ़ें–
यह लोकशाही या लोकतंत्र जो खतरे में हैं, उसका एक कारण यह है कि हमने पत्रकार को ठेके में नहीं डाल दिया, बल्कि हायर एंड फायर एक नई चीज़ यूरोप से आई है यानी सबसेज्यादा हायर एंड फायर का शिकार यदि कोई है, तो वह पत्रकार है. मैं बड़े-बड़े पत्रकार के साथ रहा हूं, मैं बड़े-बड़े लोगों के साथ रहा हूं.
हमने पहले भी मीडिया देखा है, आज का मीडिया भी देखा है. उसकी सबसे बड़ी आत्मा कौन है? सच्ची खबर आये कहां से? राम गोपाल जी, जब पिछला चुनाव विधानसभा का हो रहा था, तो मैंने खुद जाकर चुनाव आयोग को कहा था कि यह पेड न्यूज है।
आज जो पत्रकार है, वे बहुत बेचैन और परेशान हैं, पत्रकार के पास ईमान भी है, लेकिन वह लिख नहीं सकता। मालिक के सामने उसे कह दिया जाता है कि इस लाइन पर लिखो, इस तरह से लिखो. उसका अपना परिवार है, वह कहां पर जाए? वह सच्चाई के लिए कुछ लिखना चाहता है।
हमारे लोकतंत्र में बाजार आया, खूब आए लेकिन यह जो मीडिया है, इसको हमने किनके हाथों में सौंप दिया है? यह किन-किन लोगों के पास चला गया है? एक पूंजीपति है इस देश का, उसने 40 से 60 फीसदी मीडिया खरीद लिया है। इस देश का क्या होगा?
अब हिंदुस्तान टाइम्स भी बिकने वाला है, कल बिक गया? कैसे चलेगा यह देश? यह चुनाव सुधार, यह बहस, ये सारी चीजें कहां आएंगी? कोई यहां पर बोलने के लिए तैयार नहीं है?
निश्चित तौर पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जो मीडिया है, लोकशाही में, लोकतंत्र में, यह आपके हाथ में है, इस पार्लियामेंट के हाथ में है। कोई रास्ता निकलेगा या नहीं निकलेगा? ये जो पत्रकार है, ये चौथा खंभा है, उसके मालिक नहीं हैं और हिंदुस्तान में जब से बाजार आया है, तब से तो लोगों की पूंजी इतने बड़े पैमाने पर बढ़ी है।
मै आज बोल रहा हूं, तो यह मीडिया मेरे खिलाफ तंज कसेगा, वह बुरा लिखेगा। लेकिन मेरे जैसा आदमी, जब चार-साढ़े चार साल जेल में बंद रहकर आजाद भारत में आया, तो अगर अब मैं रुक जाऊंगा तो मैं समझता हूं कि मैं हिंदुस्तान की जनता के साथ विश्वासघात कर के जाऊंगा।
सर, आज सबसे ज्यादा ठेके पर लोग रखे जा रहे हैं और पूरे हिंदुस्तान में लोगों के लिए कोई नौकरी या रोजगार नहीं पैदा हो रहा है। सब जगह पूंजीपति और सारे प्राइवेट सेक्टर के लोग हैं।
अखबार में सबसे ज्यादा लोगों को ठेके पर रखा जाता है. इस तरह मजीठिया कमीशन कौन लागू करेगा? इनके कर्मचारियों को कोई यूनियन नहीं बनाने देता है। आप किसी पत्रकार से सच्ची बात कहो, तो वह दहशत में आ जाएगा क्योेंकि उसका मालिक दूसरे दिन उसे निकाल कर बाहर करेगा। तो यह मीडिया कैसे सुधरेगा?
(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)
कोई तो बता दे प्रमाण सहित :- पापी
ReplyDeleteमीडिया जो अपने को तीसमारखाँ समझती
है, योगी, ज्ञानी, ध्यानी, संत साधु , मुल्ला
काजी, पादरी, नागा, जैन मुनि, दलाई
लामा, वैज्ञानिकों , पढ़े लिखों, टीचरों
प्रोफेसरों, वकीलों, डॉक्टरों, इंनजीनियरों
, भ्रष्ट जजों, भ्रष्ट सरकारों , नेताओं,
साहित्यकारों, कथावाचकों, मुख्यतः
देवकीनंदन, रामदेव, आसाराम, श्री श्री,
शंकराचार्यों, साहिब बन्दगी, राम रहीम,
निर्मल बाबा, और जितने भी भगवा या सफेद
वस्त्र पहन कर प्रवचन करते रहते है आध्यात्मिक
सामाजिक चैनल्स पर,
ये सब बतायें कि :-
सृष्टि की रचना किसने और कैसे की ?
सबका मालिक एक कौन है , उनका नाम
पता ?
काल कौन है ? हमारी मृत्यु क्यों होती है ?
हमको जन्म देने और मारने में किसका फ़ायदा
है ?
भगवान- अल्लाह-रब-गॉड दिखाई क्यों नहीं
देते ?
परमात्मा साकार है कि निराकार ?
ब्रह्मा विष्णु महेश के माता पिता कौन है ?
दुर्गाजी का पति कौन है ? मुक्ति होती
क्या है ?
84 लाख योनियां क्यों बनी ?
मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
जब बनाने वाला एक है तो फिर बाटने वाला
कौन है ?
हड्डियां तो सबके 206 है और चमड़ी मांस भी
एक, बस रंग का थोड़ा फर्क फिर मानव से आप
लोग धर्मी कब बन गए और क्यों ?
कर्म के फल का सिद्धांत किसने और क्यों
तथा कब बनाया ?
स्वर्ग जाना मुक्ति है या सचखण्ड ?
परमात्मा एक है तो फिर भक्ति विधि अलग
अलग क्यों ?
एक सवाल का तो एक ही जवाब होगा न कि
सबके अलग जवाब होंगे ?????
भारतीय मीडिया में अगर दम है तो संत
रामपालजी vs / विश्व के सभी धर्म गुरू live
debate करवा दे,
और अगर मीडिया इस काम को नहीं करना
चाहती तो...ये मान लो मीडिया आपका
भला नहीं चाहती,
इनका काम खाली समाज में भ्रम और
अश्लीलता फैलाना है , लोगों को गुमराह
करती रहती है भारतीय मीडिया,
पर 100 में एक हर क्षेत्र में आज भी ईमानदार है ।
और अगर आप मांस खाते हो तो आपके बच्चे की
भी दुर्गति निश्चित है और आपकी नरक की
टिकट पक्की है , पर नरक से सिर्फ़ सृष्टि के
सृजनहार बचा सकते है , ब्रह्मा विष्णु महेश