प्राचीनकाल में संपूर्ण धरती में सिर्फ एशिया ही रहने लायक सबसे उत्तम जगह माना गया था। इस एशिया को हिन्दू पुराणों में जम्बूद्वीप कहा गया था। हालांकि इसमें योरप के कुछ हिस्से भी शामिल है।

हिन्दू शब्द की उत्पत्ति इंदु शब्द से हुई है यह इंदू ही इंडस हो गया। इंदु शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द है। आर्य किसी जाती का नहीं बल्कि वैदिक विचारधारा मानने वाले लोगों का नाम था जिसमें सभी जाती के लोग सम्मलित थे जैसे दास, वानर, किन्नर, द्रविड़, सुर, असुर आदि। जो लोग यह कहते हैं कि आर्य बाहर से आए थे उनका ज्ञान सही नहीं है या कि उनमें नफरत और साजिश की भावना है।
''हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थान प्रचक्षते॥- (बृहस्पति आगम)
अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है। इसका मतलब हिन्दुस्थान चंद्रगुप्त मौर्य के काल में था लेकिन आज जिसे हिन्दुस्थान कहते हैं वह क्या है? दरअसल यह हिन्दुस्थान का एक हिस्सा मात्र है।
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प्राचीन काल में संपूर्ण जम्बू द्वीप पर ही आर्य विचारधारा के लोगों का शासन था। जम्बू द्वीप के आसपास 6 द्वीप थे- प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। जम्बू द्वीप धरती के मध्य में स्थित है और इसके मध्य में इलावृत नामक देश है। इस इलावृत के मध्य में स्थित है सुमेरू पर्वत।
इलावृत के दक्षिण में कैलाश पर्वत के पास भारतवर्ष, पश्चिम में केतुमाल (ईरान के तेहरान से रूस के मॉस्को तक), पूर्व में हरिवर्ष (जावा से चीन तक का क्षेत्र) और भद्राश्चवर्ष (रूस), उत्तर में रम्यकवर्ष (रूस), हिरण्यमयवर्ष (रूस) और उत्तकुरुवर्ष (रूस) नामक देश हैं।
मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, इराक, इसराइल, कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया, चीन, बर्मा, इंडोनेशिया, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, हिन्दुस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का संपूर्ण क्षेत्र जम्बू द्वीप था।
अगले पन्ने पर तीसरा रहस्य.
हिन्दुस्थान बनने की कहानी महाभारत काल में ही लिख दी गई थी जबकि महाभारत हुई थी। महाभारत के बाद वेदों को मानने वाले लोग हमेशा से यवन और मलेच्छों से त्रस्त रहते थे। महाभारत काल के बाद भारतवर्ष पूर्णत: बिखर गया था। सत्ता का कोई ठोस केंद्र नहीं था। ऐसे में खंड-खंड हो चला आर्यखंड एक अराजक खंड बनकर रह गया था।

महाभारत के बाद : मलेच्छ और यवन लगातार आर्यों पर आक्रमण करते रहते थे। हालांकि ये दोनों ही आर्यों के कुल से ही थे। आर्यों में भरत, दास, दस्यु और अन्य जाति के लोग थे। गौरतलब है कि आर्य किसी जाति का नाम नहीं बल्कि वेदों के अनुसार जीवन-यापन करने वाले लोगों का नाम है। वेदों में उल्लेखित पंचनंद अर्थात पांच कुल के लोग ही यदु, कुरु, पुरु, द्रुहु और अनु थे। इन्हीं में से द्रहु और अनु के कुल के लोग ही आगे चलकर मलेच्छ और यवन कहलाए।

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बौद्धकाल में विचारधाराओं की लड़ाई अपने चरम पर चली गई। ऐसे में चाणक्य की बुद्धि से चंद्रगुप्त मौर्य ने एक बार फिर भारतवर्ष को फिर से एकजुट कर एकछत्र के नीचे ला खड़ा किया। बाद में सम्राट अशोक तक राज्य अच्छे से चला। अशोक के बाद भारत का पतन होना शुरू हुआ।
नए धर्म और संस्कृति के अस्तित्व में आने के बाद भारत पर पुन: आक्रमण का दौर शुरू हुआ और फिर कब उसके हाथ से सिंगापुर, मलेशिया, ईरान, अफगानिस्तान छूट गए पता नहीं चला और उसके बाद मध्यकाल में संपूर्ण क्षेत्र में हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाने लगा और अंतत: बच गया हिन्दुस्तान। धर्मांतरित हिन्दुओं ने ही भारतवर्ष को आपस में बांट लिया।
जल प्रलय ने बदला धरती का इतिहास : जल प्रलय ने धरती की भाषा, संस्कृति, सभ्यता, धर्म, समाज और परंपरा की कहानी को नए सिरे से लिखा। इस जल प्रलय के कारण राजा मनु को एक नाव बनाना पड़ी और फिर वे उस नाव में लगभग 6 माह तक रहे और अंत में वे तिब्बत की धरती पर उतरे। वहीं से वे जैसे जैसे जल उतरने लगा उन्होने पुन: भारत की भूमि को रहने लायक बनाया।

राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं? माना जाता है कि नूह ही यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोई खास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में ‘हजरत नूह की नौका’ नाम से वर्णित की जाती है।

इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, श्रीलंका आदि द्वीपों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग भी इस घटना को हमें सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिलता है।
नूह की कहानी- उस वक्त नूह की उम्र छह सौ वर्ष थी जब यहोवा (ईश्वर) ने उनसे कहा कि तू एक-जोड़ी सभी तरह के प्राणी समेत अपने सारे घराने को लेकर कश्ती पर सवार हो जा, क्योंकि मैं पृथ्वी पर जल प्रलय लाने वाला हूँ।
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सात दिन के उपरान्त प्रलय का जल पृथ्वी पर आने लगा। धीरे-धीरे जल पृथ्वी पर अत्यन्त बढ़ गया। यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े-बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए। डूब गए वे सभी जो कश्ती से बाहर रह गए थे, इसलिए वे सब पृथ्वी पर से मिट गए। केवल हजरत नूह और जितने उनके साथ जहाज में थे, वे ही बच गए। जल ने पृथ्वी पर एक सौ पचास दिन तक पहाड़ को डुबोए रखा। फिर धीरे-धीरे जल उतरा तब पुन: धरती प्रकट हुई और कश्ती में जो बच गए थे उन्ही से दुनिया पुन: आबाद हो गई।
मनु की कहानी- द्रविड़ देश के राजर्षि स��

हिन्दू शब्द की उत्पत्ति इंदु शब्द से हुई है यह इंदू ही इंडस हो गया। इंदु शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द है। आर्य किसी जाती का नहीं बल्कि वैदिक विचारधारा मानने वाले लोगों का नाम था जिसमें सभी जाती के लोग सम्मलित थे जैसे दास, वानर, किन्नर, द्रविड़, सुर, असुर आदि। जो लोग यह कहते हैं कि आर्य बाहर से आए थे उनका ज्ञान सही नहीं है या कि उनमें नफरत और साजिश की भावना है।
''हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थान प्रचक्षते॥- (बृहस्पति आगम)
अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है। इसका मतलब हिन्दुस्थान चंद्रगुप्त मौर्य के काल में था लेकिन आज जिसे हिन्दुस्थान कहते हैं वह क्या है? दरअसल यह हिन्दुस्थान का एक हिस्सा मात्र है।
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प्राचीन काल में संपूर्ण जम्बू द्वीप पर ही आर्य विचारधारा के लोगों का शासन था। जम्बू द्वीप के आसपास 6 द्वीप थे- प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। जम्बू द्वीप धरती के मध्य में स्थित है और इसके मध्य में इलावृत नामक देश है। इस इलावृत के मध्य में स्थित है सुमेरू पर्वत।
इलावृत के दक्षिण में कैलाश पर्वत के पास भारतवर्ष, पश्चिम में केतुमाल (ईरान के तेहरान से रूस के मॉस्को तक), पूर्व में हरिवर्ष (जावा से चीन तक का क्षेत्र) और भद्राश्चवर्ष (रूस), उत्तर में रम्यकवर्ष (रूस), हिरण्यमयवर्ष (रूस) और उत्तकुरुवर्ष (रूस) नामक देश हैं।
मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, इराक, इसराइल, कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया, चीन, बर्मा, इंडोनेशिया, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, हिन्दुस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का संपूर्ण क्षेत्र जम्बू द्वीप था।
अगले पन्ने पर तीसरा रहस्य.
हिन्दुस्थान बनने की कहानी महाभारत काल में ही लिख दी गई थी जबकि महाभारत हुई थी। महाभारत के बाद वेदों को मानने वाले लोग हमेशा से यवन और मलेच्छों से त्रस्त रहते थे। महाभारत काल के बाद भारतवर्ष पूर्णत: बिखर गया था। सत्ता का कोई ठोस केंद्र नहीं था। ऐसे में खंड-खंड हो चला आर्यखंड एक अराजक खंड बनकर रह गया था।

महाभारत के बाद : मलेच्छ और यवन लगातार आर्यों पर आक्रमण करते रहते थे। हालांकि ये दोनों ही आर्यों के कुल से ही थे। आर्यों में भरत, दास, दस्यु और अन्य जाति के लोग थे। गौरतलब है कि आर्य किसी जाति का नाम नहीं बल्कि वेदों के अनुसार जीवन-यापन करने वाले लोगों का नाम है। वेदों में उल्लेखित पंचनंद अर्थात पांच कुल के लोग ही यदु, कुरु, पुरु, द्रुहु और अनु थे। इन्हीं में से द्रहु और अनु के कुल के लोग ही आगे चलकर मलेच्छ और यवन कहलाए।

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बौद्धकाल में विचारधाराओं की लड़ाई अपने चरम पर चली गई। ऐसे में चाणक्य की बुद्धि से चंद्रगुप्त मौर्य ने एक बार फिर भारतवर्ष को फिर से एकजुट कर एकछत्र के नीचे ला खड़ा किया। बाद में सम्राट अशोक तक राज्य अच्छे से चला। अशोक के बाद भारत का पतन होना शुरू हुआ।
नए धर्म और संस्कृति के अस्तित्व में आने के बाद भारत पर पुन: आक्रमण का दौर शुरू हुआ और फिर कब उसके हाथ से सिंगापुर, मलेशिया, ईरान, अफगानिस्तान छूट गए पता नहीं चला और उसके बाद मध्यकाल में संपूर्ण क्षेत्र में हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाने लगा और अंतत: बच गया हिन्दुस्तान। धर्मांतरित हिन्दुओं ने ही भारतवर्ष को आपस में बांट लिया।
जल प्रलय ने बदला धरती का इतिहास : जल प्रलय ने धरती की भाषा, संस्कृति, सभ्यता, धर्म, समाज और परंपरा की कहानी को नए सिरे से लिखा। इस जल प्रलय के कारण राजा मनु को एक नाव बनाना पड़ी और फिर वे उस नाव में लगभग 6 माह तक रहे और अंत में वे तिब्बत की धरती पर उतरे। वहीं से वे जैसे जैसे जल उतरने लगा उन्होने पुन: भारत की भूमि को रहने लायक बनाया।

राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं? माना जाता है कि नूह ही यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोई खास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में ‘हजरत नूह की नौका’ नाम से वर्णित की जाती है।

इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, श्रीलंका आदि द्वीपों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग भी इस घटना को हमें सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिलता है।
नूह की कहानी- उस वक्त नूह की उम्र छह सौ वर्ष थी जब यहोवा (ईश्वर) ने उनसे कहा कि तू एक-जोड़ी सभी तरह के प्राणी समेत अपने सारे घराने को लेकर कश्ती पर सवार हो जा, क्योंकि मैं पृथ्वी पर जल प्रलय लाने वाला हूँ।
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सात दिन के उपरान्त प्रलय का जल पृथ्वी पर आने लगा। धीरे-धीरे जल पृथ्वी पर अत्यन्त बढ़ गया। यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े-बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए। डूब गए वे सभी जो कश्ती से बाहर रह गए थे, इसलिए वे सब पृथ्वी पर से मिट गए। केवल हजरत नूह और जितने उनके साथ जहाज में थे, वे ही बच गए। जल ने पृथ्वी पर एक सौ पचास दिन तक पहाड़ को डुबोए रखा। फिर धीरे-धीरे जल उतरा तब पुन: धरती प्रकट हुई और कश्ती में जो बच गए थे उन्ही से दुनिया पुन: आबाद हो गई।
मनु की कहानी- द्रविड़ देश के राजर्षि स��
एक दस साल का बच्चा पहली बार अपने पिता के साथ घूमने निकला । रास्ते में एक मंदिर मिला तो पिता जी ने कहा बेटा हाथ जोड़कर प्रणाम करो । बेटे ने पूछा किसको प्रणाम करूँ पापा ?
पापा : बेटा भगवान को प्रणाम करो । बेटा : लेकिन पापा भगवान है कहाँ ? पापा : बेटा वो मंदिर में हैं ? बेटा : पापा, मंदिर तो बंद है उसमे मोटा सा ताला लगा हुआ है । भगवान को किसने मंदिर में बंद कर दिया ? पापा : बेटा ये भगवान को मंदिर में बंद नही किया बल्कि मंदिर की सुरक्षा के लिए ताला लगाया हुआ है ।
बेटा : मंदिर में तो खुद भगवान रहते हैं, उनको किससे सुरक्षा की जरुरत है ? पापा : बेटा मंदिर में बहुत कीमती कीमती मूर्तियाँ रखी होते हैं और वो मूर्तियाँ कीमती गहने पहने होती है । चोर और तस्कर हमेशा उनको चोरी करने की फ़िराक में रहते हैं इसीलिए उनसे बचाने के लिए मंदिर को बंद किया जाता है ।
बेटा : लेकिन पापा वो तो खुद भगवान है । सब कुछ करने वाला है फिर कोई साधारण चोर उनको कैसे चुरा सकता है ? जब भगवान खुद को ही चोरी होने से नही बचा सकता है तो फिर मुझको या किसी और को क्या दे सकता है ? ऐसे भगवान को प्रणाम करने से क्या फायदा ?
पापा : बेटा ये बात तुम्हारे समझ में नही आएँगी । वैसे भी कोई जानवर जैसे कुत्ते बिल्ली आदि आकर गंदगी ना करें इसीलिए भी ताला लगाया जाता है । बेटा : पापा जब सभी जीव उसी की संतान हैं, तो उनको पता होना चाहिए कि यहाँ पर गंदगी नही करनी चाहिए । अगर वो ऐसा करते हैं तो ये झूठ है कि सभी प्राणी उसी के बनाये हुए है । अगर फिर भी उनको पता नही है तो भगवान को खुद उनको बताना चाहिए कि ऐसा नही करो या फिर उनको रोकना चाहिए लेकिन भगवान ऐसा भी नही कर सकता तो सीधा सा मतलब है भगवान ही नही है ।
पापा : बेटा अभी ये बाते तुम्हारी समझ में नही आएँगी और भगवान पर सवाल नही करते चुपचाप जैसे सुनते आये हो उसको ही सच मानो ।
बेटा : तो पापा हमको अपने दिमाग का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए और जानवरों जैसी जिन्दगी व्यतीत करनी चाहिए । अब पापा के गुस्से की हदें पार हो गयी । उसने बेटे के जोर का तमाचा मारते हुए कहा चुप कर भगवान पर सवाल उठाता है मेरा बाप बनने की कोशिश करता है नालायक । क्या यही कारण है…….. प्रश्न न पूछने का…….. क्या आप के पास है …उस बच्चे को जवाब देने लायक कोई उत्तर…..? नहीं……?
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