#अंबेडकरवाद कया है ?
आज हर कोई कहता नज़र आता है कि मैं अम्बेडकरवादी हूँ.... लेकिन उसको ये बड़ी मुश्किल से पता होता है कि अम्बेडकरवाद असल में है क्या?
अम्बेडकरवाद किसी भी धर्म, जाति या रंगभेद को नहीं मानता, अम्बेडकरवाद मानव को मानव से जोड़ने या मानव को मानव बनाने का नाम है। अम्बेडकरवाद वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मानव के उत्थान के लिए किये जा रहे आन्दोलन या प्रयासों के नाम है।
अम्बेडकरवाद भारत के सविधान को भी कहा जा सकता है।
एक अम्बेडकरवादी होना तभी सार्थक है जब मानव वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपना कर समाज और मानवहित में कार्य किया जाये।
सुनी सुनाई या रुढ़िवादी विचारधाराओं को अपनाना अम्बेडकरवाद नहीं है।
आज हर तरफ तथाकथित अम्बेडकरवादी पैदा होते जा रहे है.... परन्तु अपनी रुढ़िवादी सोच को वो लोग छोड़ने को तैयार ही नहीं है। क्या आज तक रुढ़िवादी सोच से किसी मानव या समाज का उदधार हो पाया है ? ???
अगर ऐसा होता तो शायद अम्बेडकरवाद का जन्म ही नहीं हो पाता। अम्बेडकरवादी कहलाने से पहले रुढ़िवादी विचारों को छोड़ना पड़ेगा। वैज्ञानिक तथ्यों पर विचार करना पड़ेगा, तभी अम्बेडकरवादी कहलाना सार्थक होगा। अम्बेडकरवाद दुनिया की सबसे प्रतिभाशाली और विकसित विचारधारा का नाम है, दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान अम्बेडकरवाद में ना हो। आइये आपको अम्बेडकरवाद के बारे कुछ बताते है:
1. अपमानित, अमानवीय, अवैज्ञानिक, अन्याय एवं असमान सामाजिक व्यवस्था से दुखी मानव की इसी जन्म में आंदोलन से मुक्ती कर, समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री पुरुष समानता भी) के बीच सही सम्बन्ध स्थापित करने वाली नयी क्रांतिकारी मानवतावादी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है।
2. जाती-वर्ग-स्त्री-पुरुष-रंगभेद की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाकर एक न्यायमुक्त, समान, बराबरी, वैज्ञानिक, तर्कसंगत एवं मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाने वाले तत्वज्ञान को अम्बेडकरवाद कहते है। जिससे मानव को इसी जन्म में मुक्त किया जा सके।
3. व्यक्ति विकास के अंतिम लक्ष को प्राप्त करने की दृष्टी से समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व और न्याय इन लोकतंत्र निष्ठ मानवी मुल्यो को आधारभूत मानकर संपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन (समग्रक्रांती) लानेवाले दर्शन को (तत्वज्ञान) को अम्बेडकरवाद कहते है।
4. ब्राम्हणवाद पार आधारित गैरबराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर मानवतावादी व्यवस्था बनाने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है। संपूर्ण मानव का निर्माण समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व एवं न्याय के आधार पार करने वाली सामाजिक व्यवस्था बनाने की विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है। ऐसी व्यवस्था में सबको विकास एवं समान संधि मिलती है।
1. गैर बराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर मानवतावादी व्यवस्था की निर्मिती करना अम्बेडकरवाद है।
2. अम्बेडकरवाद यह मानव मुक्ति का विचार है, यह वैज्ञानिक दृष्टीकोन है।
3. इंसानियत का नाता ही अम्बेडकरवाद है।
4. मानव गरिमा (human dignity) के लिये चलाया गया आंदोलन फूल है।
. मानव का इसी जन्म में कल्याण करने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है।
सबकी मुक्ति का विकास और मानव कल्याण का मार्ग ही अम्बेडकरवाद है।
इंसान को जन्म देनेवाली, जीवन जिने का मार्ग देने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है।
मानसिक और सामाजिक उथान, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक बदलाव को अम्बेडकरवाद कहा जा सकता है।
. अम्बेडकरवाद एक ऐसा विचार एवं आंदोलन है, जो अन्याय और शोषण के खिलाफ है और उस की जगह एक मानवतावादी वैकल्पिक व्यवस्था बनाता है। यह संपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टीकोन पर आधारित है।
ब्राम्हणवाद का विनाश करने वाली क्रांतिकारी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है।
अम्बेडकरवाद केवल यह विचार का दर्शन ही नही है बल्की यह सामाजिक शैक्षणिक-धार्मिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में बदलाव लाने का एक संपूर्ण आंदोलन है।
अम्बेडकरवाद यह ऐसी विचारधारा है जो हमें मानवतावाद की ओर ले जाती है। व्यवस्था के गुलाम लोगो को गुलामी से मुक्त कर मानवतावाद स्थापित करना ही अम्बेडकरवाद है।
संपूर्ण मानव का निर्माण समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आधार पर करने वाली सामाजिक व्यवस्था बनाना ही अम्बेडकरवाद है !
बीजेपी एन्ड कम्पनी की मुसीबत~
गुजरात सरकार के सामने एक अजीब मुसीबत आ गई है. चार लाख की मुसीबत. वजन के हिसाब से, कई क्विंटल मुसीबत. गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने आंबेडकर सालगिरह समारोह पर एक Quiz कराने का फैसला किया.
पांचवीं से आठवीं क्लास के बच्चों के लिए. इसके सवाल एक बुकलेट से आने थे. बुकलेट छपी गई. चार लाख कॉपी. इन्हें स्कूलों में बांटा जाना तय हुआ.
बुकलेट का नाम है- राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ. बी. आर. आंबेडकर.
लेखक हैं पी. ए. परमार. किताब सूर्या प्रकाशन ने छापी.
यहां तक दलित हितैषी बनने का एजेंडा सब ठीक चल रहा था. संघी तो पढ़ते नहीं हैं.
छपते समय तक किसी ने देखा नहीं, या कुछ समझ नहीं आया. छपने के बाद, किसी की नजर पुस्तिका पर पड़ी. देखते ही तन – बदन में आग लग गई.
किताब के आखिर में बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं छपी थीं. ये वे प्रतिज्ञाएं हैं, जो बाबा साहेब ने 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर, बौद्ध धम्म ग्रहण करते समय लाखों लोगों के साथ ली थीं.
सरकार ने आनन फानन में सारी पुस्तिकाओं को समेट लिया…. और इस तरह बीजेपी का दलित हितैषी बनने का एक और प्रोजेक्ट फेल हो गया…. यहां तक की खबर तो आप कुछ अखबारों में पढ़ चुके हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. अब दिक्कत यह है कि उन चार लाख पुस्तिकाओं का क्या किया जाए? फेंकना सही नहीं है. जलाने से भी हल्ला मचेगा. पानी में बहाने में भी वही दिक्कत है. रद्दी में बेचने से लोगों तक पहुंच जाएंगी…. आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी समस्या है! बड़ी ही नहीं, भारी भरकम समस्या है. कई क्विंटल की समस्या.
अब शायद आप सोच रहें होंगे कि बाबा सहाब की 22 प्रतिज्ञाओं में ऐसा क्या हैं ?? जिनकी वजह से पूरा संघ परिवार इतना डरा हुआ है तो आप नीचे स्वयं पढ़कर देख लिजिए :-
~~22 पवित्र प्रतिज्ञाएं ,जो बाबा सहाब ने अपने लाखो अनुयायीयो से 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर मे कराई थी ।
1👉मैं ब्रह्मा,विष्णू और महेश को कभी भी ईश्वर नही मानूंगा और न मैं उनकी पूजा करूँगा
2👉मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नही मानूँगा और उनकी पूजा कभी नही करूँगा
3👉मैं गौरी,गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी देवता को नही मानूँगा और न ही उनकी पूजा करूँगा
4👉ईश्वर ने अवतार लिया इस पर मेरा विश्वास नही
5👉मैं ऐसा कभी नही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार है, ऐसे प्रचार को मैं पागलपन और झूठा समझता हूँ
6👉मैं श्राद्ध कभी नही करूँगा,और न ही पिण्डदान करवाऊँगा
7👉मैं बुद्ध धम्म के विरूद्ध कभी कोई बात नही करूँगा
8👉मैं कोई भी क्रिया कर्म ब्राह्मणो के हाथो नही करवाउंगा
9👉मैं इस सिद्धान्त को मानूँगा कि सभी मनुष्य समान है
10👉मैं समानता की स्थापना का यत्न करूंगा
11👉मैं भगवान बुद्ध के अष्टांग मार्ग का पूरी तरह पालन करूंगा
12👉मैं भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई दस पारमिताओ का पालन करूंगा
13👉मैं प्राणी मात्र पर दया रखुंगा ,और उनका लालन पालन करूंगा
14👉मैं चोरी नही करूंगा
15👉मैं झूठ नही बोलूंगा
16👉मैं व्यभिचार नही करूंगा
17👉मैं शराब,नशा नही करूंगा
18👉मैं अपने जीवन को बुद्ध धम्म के तीन तत्वो प्रज्ञा,शील,करूणा पर ढालने का यत्न करूंगा
19 👉मैं मानव मात्र के विकास के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को उंच,नीच मानने वाले अपने पुराने हिंदू धर्म को पुर्णत : त्यागता हूँ,और बुद्ध धम्म को स्वीकार करता हूं
20👉मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि भगवान बुद्ध का धम्म ही सही धम्म है
21👉मैं यह मानता हूँ कि अब मेरा नवीन जन्म हो रहा है
22👉मैं यह पवित्र प्रतिज्ञा करता हूं कि आज से मैं बुद्घ घम्म के अनुसार आचरण करूंगा
निष्कर्ष👉🏾 हिन्दू धर्म में वर्ण, वर्ण में जाति, जाति में क्रमिक उंच नींच .... और ब्राह्मण के आगे सारे नींच अब आप ही बताईए ब्राह्मणों का हिन्दू धर्म जो ब्राह्मणों को तो सबकुछ देता है लेकिन शूद्र(obc/sc/st) का सब कुछ छीनता है, ऐसे में इस पाखण्डी धर्म को कौन मानेगा ??? जब विकल्प के तौर पर बौद्ध धर्म जैसा नैतिक और वैज्ञानिक धर्म सामने हो।
डा बाबा सहाब अम्बेडकर ने पंचशीलो के साथ 22 प्रतिज्ञा जोड़कर ब्राह्मण धर्म के ताबूद में आखरी कील ठोकी है जैसे-जैसे देश में जागरूकता बढ़ेगी वैसे वैसे बाबा सहाब अम्बेडकर और बुद्ध धम्म की दिनों दिन और ज्यादा प्रासंगिक बढ़ती जायेगी कुल मिलाकर ब्राह्मणवाद का खात्मा निश्चित है, क्योंकि ब्राह्मण धर्म ब्राह्मणों के ज्ञान पर नहीं बल्कि गैर ब्राह्मणों की मूर्खता पर टिका हुआ है ।
आज हर कोई कहता नज़र आता है कि मैं अम्बेडकरवादी हूँ.... लेकिन उसको ये बड़ी मुश्किल से पता होता है कि अम्बेडकरवाद असल में है क्या?
अम्बेडकरवाद किसी भी धर्म, जाति या रंगभेद को नहीं मानता, अम्बेडकरवाद मानव को मानव से जोड़ने या मानव को मानव बनाने का नाम है। अम्बेडकरवाद वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मानव के उत्थान के लिए किये जा रहे आन्दोलन या प्रयासों के नाम है।
अम्बेडकरवाद भारत के सविधान को भी कहा जा सकता है।
एक अम्बेडकरवादी होना तभी सार्थक है जब मानव वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपना कर समाज और मानवहित में कार्य किया जाये।
सुनी सुनाई या रुढ़िवादी विचारधाराओं को अपनाना अम्बेडकरवाद नहीं है।
आज हर तरफ तथाकथित अम्बेडकरवादी पैदा होते जा रहे है.... परन्तु अपनी रुढ़िवादी सोच को वो लोग छोड़ने को तैयार ही नहीं है। क्या आज तक रुढ़िवादी सोच से किसी मानव या समाज का उदधार हो पाया है ? ???
अगर ऐसा होता तो शायद अम्बेडकरवाद का जन्म ही नहीं हो पाता। अम्बेडकरवादी कहलाने से पहले रुढ़िवादी विचारों को छोड़ना पड़ेगा। वैज्ञानिक तथ्यों पर विचार करना पड़ेगा, तभी अम्बेडकरवादी कहलाना सार्थक होगा। अम्बेडकरवाद दुनिया की सबसे प्रतिभाशाली और विकसित विचारधारा का नाम है, दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान अम्बेडकरवाद में ना हो। आइये आपको अम्बेडकरवाद के बारे कुछ बताते है:
1. अपमानित, अमानवीय, अवैज्ञानिक, अन्याय एवं असमान सामाजिक व्यवस्था से दुखी मानव की इसी जन्म में आंदोलन से मुक्ती कर, समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री पुरुष समानता भी) के बीच सही सम्बन्ध स्थापित करने वाली नयी क्रांतिकारी मानवतावादी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है।
2. जाती-वर्ग-स्त्री-पुरुष-रंगभेद की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाकर एक न्यायमुक्त, समान, बराबरी, वैज्ञानिक, तर्कसंगत एवं मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाने वाले तत्वज्ञान को अम्बेडकरवाद कहते है। जिससे मानव को इसी जन्म में मुक्त किया जा सके।
3. व्यक्ति विकास के अंतिम लक्ष को प्राप्त करने की दृष्टी से समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व और न्याय इन लोकतंत्र निष्ठ मानवी मुल्यो को आधारभूत मानकर संपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन (समग्रक्रांती) लानेवाले दर्शन को (तत्वज्ञान) को अम्बेडकरवाद कहते है।
4. ब्राम्हणवाद पार आधारित गैरबराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर मानवतावादी व्यवस्था बनाने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है। संपूर्ण मानव का निर्माण समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व एवं न्याय के आधार पार करने वाली सामाजिक व्यवस्था बनाने की विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है। ऐसी व्यवस्था में सबको विकास एवं समान संधि मिलती है।
1. गैर बराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर मानवतावादी व्यवस्था की निर्मिती करना अम्बेडकरवाद है।
2. अम्बेडकरवाद यह मानव मुक्ति का विचार है, यह वैज्ञानिक दृष्टीकोन है।
3. इंसानियत का नाता ही अम्बेडकरवाद है।
4. मानव गरिमा (human dignity) के लिये चलाया गया आंदोलन फूल है।
. मानव का इसी जन्म में कल्याण करने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है।
सबकी मुक्ति का विकास और मानव कल्याण का मार्ग ही अम्बेडकरवाद है।
इंसान को जन्म देनेवाली, जीवन जिने का मार्ग देने वाली विचारधारा अम्बेडकरवाद है।
मानसिक और सामाजिक उथान, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक बदलाव को अम्बेडकरवाद कहा जा सकता है।
. अम्बेडकरवाद एक ऐसा विचार एवं आंदोलन है, जो अन्याय और शोषण के खिलाफ है और उस की जगह एक मानवतावादी वैकल्पिक व्यवस्था बनाता है। यह संपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टीकोन पर आधारित है।
ब्राम्हणवाद का विनाश करने वाली क्रांतिकारी विचारधारा को अम्बेडकरवाद कहते है।
अम्बेडकरवाद केवल यह विचार का दर्शन ही नही है बल्की यह सामाजिक शैक्षणिक-धार्मिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में बदलाव लाने का एक संपूर्ण आंदोलन है।
अम्बेडकरवाद यह ऐसी विचारधारा है जो हमें मानवतावाद की ओर ले जाती है। व्यवस्था के गुलाम लोगो को गुलामी से मुक्त कर मानवतावाद स्थापित करना ही अम्बेडकरवाद है।
संपूर्ण मानव का निर्माण समता–स्वतंत्र–बंधुत्व एवं न्याय के आधार पर करने वाली सामाजिक व्यवस्था बनाना ही अम्बेडकरवाद है !
बीजेपी एन्ड कम्पनी की मुसीबत~
गुजरात सरकार के सामने एक अजीब मुसीबत आ गई है. चार लाख की मुसीबत. वजन के हिसाब से, कई क्विंटल मुसीबत. गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने आंबेडकर सालगिरह समारोह पर एक Quiz कराने का फैसला किया.
पांचवीं से आठवीं क्लास के बच्चों के लिए. इसके सवाल एक बुकलेट से आने थे. बुकलेट छपी गई. चार लाख कॉपी. इन्हें स्कूलों में बांटा जाना तय हुआ.
बुकलेट का नाम है- राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ. बी. आर. आंबेडकर.
लेखक हैं पी. ए. परमार. किताब सूर्या प्रकाशन ने छापी.
यहां तक दलित हितैषी बनने का एजेंडा सब ठीक चल रहा था. संघी तो पढ़ते नहीं हैं.
छपते समय तक किसी ने देखा नहीं, या कुछ समझ नहीं आया. छपने के बाद, किसी की नजर पुस्तिका पर पड़ी. देखते ही तन – बदन में आग लग गई.
किताब के आखिर में बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं छपी थीं. ये वे प्रतिज्ञाएं हैं, जो बाबा साहेब ने 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर, बौद्ध धम्म ग्रहण करते समय लाखों लोगों के साथ ली थीं.
सरकार ने आनन फानन में सारी पुस्तिकाओं को समेट लिया…. और इस तरह बीजेपी का दलित हितैषी बनने का एक और प्रोजेक्ट फेल हो गया…. यहां तक की खबर तो आप कुछ अखबारों में पढ़ चुके हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. अब दिक्कत यह है कि उन चार लाख पुस्तिकाओं का क्या किया जाए? फेंकना सही नहीं है. जलाने से भी हल्ला मचेगा. पानी में बहाने में भी वही दिक्कत है. रद्दी में बेचने से लोगों तक पहुंच जाएंगी…. आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी समस्या है! बड़ी ही नहीं, भारी भरकम समस्या है. कई क्विंटल की समस्या.
अब शायद आप सोच रहें होंगे कि बाबा सहाब की 22 प्रतिज्ञाओं में ऐसा क्या हैं ?? जिनकी वजह से पूरा संघ परिवार इतना डरा हुआ है तो आप नीचे स्वयं पढ़कर देख लिजिए :-
~~22 पवित्र प्रतिज्ञाएं ,जो बाबा सहाब ने अपने लाखो अनुयायीयो से 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर मे कराई थी ।
1👉मैं ब्रह्मा,विष्णू और महेश को कभी भी ईश्वर नही मानूंगा और न मैं उनकी पूजा करूँगा
2👉मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नही मानूँगा और उनकी पूजा कभी नही करूँगा
3👉मैं गौरी,गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी देवता को नही मानूँगा और न ही उनकी पूजा करूँगा
4👉ईश्वर ने अवतार लिया इस पर मेरा विश्वास नही
5👉मैं ऐसा कभी नही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार है, ऐसे प्रचार को मैं पागलपन और झूठा समझता हूँ
6👉मैं श्राद्ध कभी नही करूँगा,और न ही पिण्डदान करवाऊँगा
7👉मैं बुद्ध धम्म के विरूद्ध कभी कोई बात नही करूँगा
8👉मैं कोई भी क्रिया कर्म ब्राह्मणो के हाथो नही करवाउंगा
9👉मैं इस सिद्धान्त को मानूँगा कि सभी मनुष्य समान है
10👉मैं समानता की स्थापना का यत्न करूंगा
11👉मैं भगवान बुद्ध के अष्टांग मार्ग का पूरी तरह पालन करूंगा
12👉मैं भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई दस पारमिताओ का पालन करूंगा
13👉मैं प्राणी मात्र पर दया रखुंगा ,और उनका लालन पालन करूंगा
14👉मैं चोरी नही करूंगा
15👉मैं झूठ नही बोलूंगा
16👉मैं व्यभिचार नही करूंगा
17👉मैं शराब,नशा नही करूंगा
18👉मैं अपने जीवन को बुद्ध धम्म के तीन तत्वो प्रज्ञा,शील,करूणा पर ढालने का यत्न करूंगा
19 👉मैं मानव मात्र के विकास के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को उंच,नीच मानने वाले अपने पुराने हिंदू धर्म को पुर्णत : त्यागता हूँ,और बुद्ध धम्म को स्वीकार करता हूं
20👉मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि भगवान बुद्ध का धम्म ही सही धम्म है
21👉मैं यह मानता हूँ कि अब मेरा नवीन जन्म हो रहा है
22👉मैं यह पवित्र प्रतिज्ञा करता हूं कि आज से मैं बुद्घ घम्म के अनुसार आचरण करूंगा
निष्कर्ष👉🏾 हिन्दू धर्म में वर्ण, वर्ण में जाति, जाति में क्रमिक उंच नींच .... और ब्राह्मण के आगे सारे नींच अब आप ही बताईए ब्राह्मणों का हिन्दू धर्म जो ब्राह्मणों को तो सबकुछ देता है लेकिन शूद्र(obc/sc/st) का सब कुछ छीनता है, ऐसे में इस पाखण्डी धर्म को कौन मानेगा ??? जब विकल्प के तौर पर बौद्ध धर्म जैसा नैतिक और वैज्ञानिक धर्म सामने हो।
डा बाबा सहाब अम्बेडकर ने पंचशीलो के साथ 22 प्रतिज्ञा जोड़कर ब्राह्मण धर्म के ताबूद में आखरी कील ठोकी है जैसे-जैसे देश में जागरूकता बढ़ेगी वैसे वैसे बाबा सहाब अम्बेडकर और बुद्ध धम्म की दिनों दिन और ज्यादा प्रासंगिक बढ़ती जायेगी कुल मिलाकर ब्राह्मणवाद का खात्मा निश्चित है, क्योंकि ब्राह्मण धर्म ब्राह्मणों के ज्ञान पर नहीं बल्कि गैर ब्राह्मणों की मूर्खता पर टिका हुआ है ।
जिस तरह कहीं आतंकवाद पलता है ठीक उसी तरह भारत में ब्राह्मणवाद पल रहा है "आइऐ देखते हैं SC"ST"OBC के लोगो के अधिकारो रोजी-रोटी नोकरियो के उपर ब्राह्मणो का कहर " No 1' राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद 49' है जिसमे '45 ब्राह्मण "SC'ST 4" OBC 00 "
ReplyDeleteकुल पोस्ट 7 'जिसमें ब्राह्मण 7 "SC00''ST00" ईसा पूर्व 00 में No2 उपराष्ट्रपति सचिवालय
"No3 मंत्रियो के कैबिनेट सचिव कुल पद 20 ' जिसमे 19 ब्राह्मण "SC'ST 1 "OBC 00 "
No4 प्रधानमंत्री कार्यालय मे कुल पद 35 जिसमे 33 ब्राह्मण "SC'ST 2" अन्य पिछड़ा वर्ग के 00 "
कोई 5 कृषि एवं सिचंन विभाग मे कुल पद 274 "जिसमे 259 ब्राह्मण" SC'ST 15 "अन्य पिछड़ा वर्ग के 00" कोई 6 रक्षा मंत्रालय मे कुल पद है 1379 जिसमे 1331 ब्राह्मण "SC'ST 48" अन्य पिछड़ा वर्ग के 00 है "में
No 7 समाज कल्याण एवं हैल्थ मंत्रालय कुल पद 209 जिनमे 192 ब्राह्मण "SC'ST 17 "OBC 00 है
No 8 वित्त मंत्रालय मे कुल पद है 1008 " जिसमे 942 ब्राह्मण "SC'ST 66 " OBC 00 है
No 9 ग्रह मंत्रालय मे कुल पद है 409 जिसमें 377 ब्राह्मण " SC'ST 19" OBC 13 है
No 10 श्रम मंत्रालय मे कुल पद है 74 जिसमे 70 ब्राह्मण "SC'ST 4" OBC 00 है
No 11 रसायन एवं पेट्रोलियम मंत्रालय मे कुल पद है 121 जिसमे 112 ब्राह्मण " SC'ST 9" OBC 00 है
No 12 राज्यपाल एवं उपराज्यपाल कुल पद है 27 जिसमे 25 ब्राह्मण SC'ST 00" OBC 2
No 13 विदेश मे राजदूत 140 जिसमे 140 ही ब्राह्मण है "SC'ST 00 " OBC 00 है
No 14 विश्वविद्यालय के कुलपति पद 108 जिसमे 108 ही ब्राह्मण है " SC'ST 00" OBC 00 है
No 15 प्रधान सचिव के पद है 26 जिसमे 26 ही ब्राह्मण है " SC'ST 00" OBC 00 है
No 16 हाइकोर्ट के न्यायाधीश है 330 जिसमे 326 ब्राह्मण " SC'ST 4" OBC 00 है
No 17 सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 23 जिसमे 23 ही ब्राह्मण " SC'ST 00" OBC 00 है
कोई 18 आईएएस अधिकारी 3600 जिसमे 2950 ब्राह्मण "SC'ST 600" अन्य पिछड़ा वर्ग के 50 है
कोई 19 "PTI कुल पद 2700 जिसमे 2600 ब्राह्मण" SC'ST 00 "अन्य पिछड़ा वर्ग के 00 है" में
No 20 शंकराचार्य कुल 05 जिसमे 05 ही ब्राह्मण है" SC'ST 00 OBC 00 है ।