बीजेपी एन्ड कम्पनी की मुसीबत~
गुजरात सरकार के सामने एक अजीब मुसीबत आ गई है. चार लाख की मुसीबत. वजन के हिसाब से, कई क्विंटल मुसीबत. गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने आंबेडकर सालगिरह समारोह पर एक Quiz कराने का फैसला किया.
पांचवीं से आठवीं क्लास के बच्चों के लिए. इसके सवाल एक बुकलेट से आने थे. बुकलेट छपी गई. चार लाख कॉपी. इन्हें स्कूलों में बांटा जाना तय हुआ.
बुकलेट का नाम है- राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ. बी. आर. आंबेडकर.
लेखक हैं पी. ए. परमार. किताब सूर्या प्रकाशन ने छापी.
यहां तक दलित हितैषी बनने का एजेंडा सब ठीक चल रहा था. संघी तो पढ़ते नहीं हैं.
छपते समय तक किसी ने देखा नहीं, या कुछ समझ नहीं आया. छपने के बाद, किसी की नजर पुस्तिका पर पड़ी. देखते ही तन – बदन में आग लग गई.
किताब के आखिर में बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं छपी थीं. ये वे प्रतिज्ञाएं हैं, जो बाबा साहेब ने 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर, बौद्ध धम्म ग्रहण करते समय लाखों लोगों के साथ ली थीं.
सरकार ने आनन फानन में सारी पुस्तिकाओं को समेट लिया…. और इस तरह बीजेपी का दलित हितैषी बनने का एक और प्रोजेक्ट फेल हो गया…. यहां तक की खबर तो आप कुछ अखबारों में पढ़ चुके हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. अब दिक्कत यह है कि उन चार लाख पुस्तिकाओं का क्या किया जाए? फेंकना सही नहीं है. जलाने से भी हल्ला मचेगा. पानी में बहाने में भी वही दिक्कत है. रद्दी में बेचने से लोगों तक पहुंच जाएंगी…. आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी समस्या है! बड़ी ही नहीं, भारी भरकम समस्या है. कई क्विंटल की समस्या.
अब शायद आप सोच रहें होंगे कि बाबा सहाब की 22 प्रतिज्ञाओं में ऐसा क्या हैं ?? जिनकी वजह से पूरा संघ परिवार इतना डरा हुआ है तो आप नीचे स्वयं पढ़कर देख लिजिए :-
~~22 पवित्र प्रतिज्ञाएं ,जो बाबा सहाब ने अपने लाखो अनुयायीयो से 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर मे कराई थी ।
1👉मैं ब्रह्मा,विष्णू और महेश को कभी भी ईश्वर नही मानूंगा और न मैं उनकी पूजा करूँगा
2👉मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नही मानूँगा और उनकी पूजा कभी नही करूँगा
3👉मैं गौरी,गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी देवता को नही मानूँगा और न ही उनकी पूजा करूँगा
4👉ईश्वर ने अवतार लिया इस पर मेरा विश्वास नही
5👉मैं ऐसा कभी नही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार है, ऐसे प्रचार को मैं पागलपन और झूठा समझता हूँ
6👉मैं श्राद्ध कभी नही करूँगा,और न ही पिण्डदान करवाऊँगा
7👉मैं बुद्ध धम्म के विरूद्ध कभी कोई बात नही करूँगा
8👉मैं कोई भी क्रिया कर्म ब्राह्मणो के हाथो नही करवाउंगा
9👉मैं इस सिद्धान्त को मानूँगा कि सभी मनुष्य समान है
10👉मैं समानता की स्थापना का यत्न करूंगा
11👉मैं भगवान बुद्ध के अष्टांग मार्ग का पूरी तरह पालन करूंगा
12👉मैं भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई दस पारमिताओ का पालन करूंगा
13👉मैं प्राणी मात्र पर दया रखुंगा ,और उनका लालन पालन करूंगा
14👉मैं चोरी नही करूंगा
15👉मैं झूठ नही बोलूंगा
16👉मैं व्यभिचार नही करूंगा
17👉मैं शराब,नशा नही करूंगा
18👉मैं अपने जीवन को बुद्ध धम्म के तीन तत्वो प्रज्ञा,शील,करूणा पर ढालने का यत्न करूंगा
19 👉मैं मानव मात्र के विकास के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को उंच,नीच मानने वाले अपने पुराने हिंदू धर्म को पुर्णत : त्यागता हूँ,और बुद्ध धम्म को स्वीकार करता हूं
20👉मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि भगवान बुद्ध का धम्म ही सही धम्म है
21👉मैं यह मानता हूँ कि अब मेरा नवीन जन्म हो रहा है
22👉मैं यह पवित्र प्रतिज्ञा करता हूं कि आज से मैं बुद्घ घम्म के अनुसार आचरण करूंगा
निष्कर्ष👉🏾 हिन्दू धर्म में वर्ण, वर्ण में जाति, जाति में क्रमिक उंच नींच .... और ब्राह्मण के आगे सारे नींच अब आप ही बताईए ब्राह्मणों का हिन्दू धर्म जो ब्राह्मणों को तो सबकुछ देता है लेकिन शूद्र(obc/sc/st) का सब कुछ छीनता है, ऐसे में इस पाखण्डी धर्म को कौन मानेगा ??? जब विकल्प के तौर पर बौद्ध धर्म जैसा नैतिक और वैज्ञानिक धर्म सामने हो।
डा बाबा सहाब अम्बेडकर ने पंचशीलो के साथ 22 प्रतिज्ञा जोड़कर ब्राह्मण धर्म के ताबूद में आखरी कील ठोकी है जैसे-जैसे देश में जागरूकता बढ़ेगी वैसे वैसे बाबा सहाब अम्बेडकर और बुद्ध धम्म की दिनों दिन और ज्यादा प्रासंगिक बढ़ती जायेगी कुल मिलाकर ब्राह्मणवाद का खात्मा निश्चित है, क्योंकि ब्राह्मण धर्म ब्राह्मणों के ज्ञान पर नहीं बल्कि गैर ब्राह्मणों की मूर्खता पर टिका हुआ है ।
गुजरात सरकार के सामने एक अजीब मुसीबत आ गई है. चार लाख की मुसीबत. वजन के हिसाब से, कई क्विंटल मुसीबत. गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने आंबेडकर सालगिरह समारोह पर एक Quiz कराने का फैसला किया.
पांचवीं से आठवीं क्लास के बच्चों के लिए. इसके सवाल एक बुकलेट से आने थे. बुकलेट छपी गई. चार लाख कॉपी. इन्हें स्कूलों में बांटा जाना तय हुआ.
बुकलेट का नाम है- राष्ट्रीय महापुरुष भारत रत्न डॉ. बी. आर. आंबेडकर.
लेखक हैं पी. ए. परमार. किताब सूर्या प्रकाशन ने छापी.
यहां तक दलित हितैषी बनने का एजेंडा सब ठीक चल रहा था. संघी तो पढ़ते नहीं हैं.
छपते समय तक किसी ने देखा नहीं, या कुछ समझ नहीं आया. छपने के बाद, किसी की नजर पुस्तिका पर पड़ी. देखते ही तन – बदन में आग लग गई.
किताब के आखिर में बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं छपी थीं. ये वे प्रतिज्ञाएं हैं, जो बाबा साहेब ने 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर, बौद्ध धम्म ग्रहण करते समय लाखों लोगों के साथ ली थीं.
सरकार ने आनन फानन में सारी पुस्तिकाओं को समेट लिया…. और इस तरह बीजेपी का दलित हितैषी बनने का एक और प्रोजेक्ट फेल हो गया…. यहां तक की खबर तो आप कुछ अखबारों में पढ़ चुके हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. अब दिक्कत यह है कि उन चार लाख पुस्तिकाओं का क्या किया जाए? फेंकना सही नहीं है. जलाने से भी हल्ला मचेगा. पानी में बहाने में भी वही दिक्कत है. रद्दी में बेचने से लोगों तक पहुंच जाएंगी…. आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़ी समस्या है! बड़ी ही नहीं, भारी भरकम समस्या है. कई क्विंटल की समस्या.
अब शायद आप सोच रहें होंगे कि बाबा सहाब की 22 प्रतिज्ञाओं में ऐसा क्या हैं ?? जिनकी वजह से पूरा संघ परिवार इतना डरा हुआ है तो आप नीचे स्वयं पढ़कर देख लिजिए :-
~~22 पवित्र प्रतिज्ञाएं ,जो बाबा सहाब ने अपने लाखो अनुयायीयो से 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर मे कराई थी ।
1👉मैं ब्रह्मा,विष्णू और महेश को कभी भी ईश्वर नही मानूंगा और न मैं उनकी पूजा करूँगा
2👉मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नही मानूँगा और उनकी पूजा कभी नही करूँगा
3👉मैं गौरी,गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी देवता को नही मानूँगा और न ही उनकी पूजा करूँगा
4👉ईश्वर ने अवतार लिया इस पर मेरा विश्वास नही
5👉मैं ऐसा कभी नही मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार है, ऐसे प्रचार को मैं पागलपन और झूठा समझता हूँ
6👉मैं श्राद्ध कभी नही करूँगा,और न ही पिण्डदान करवाऊँगा
7👉मैं बुद्ध धम्म के विरूद्ध कभी कोई बात नही करूँगा
8👉मैं कोई भी क्रिया कर्म ब्राह्मणो के हाथो नही करवाउंगा
9👉मैं इस सिद्धान्त को मानूँगा कि सभी मनुष्य समान है
10👉मैं समानता की स्थापना का यत्न करूंगा
11👉मैं भगवान बुद्ध के अष्टांग मार्ग का पूरी तरह पालन करूंगा
12👉मैं भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई दस पारमिताओ का पालन करूंगा
13👉मैं प्राणी मात्र पर दया रखुंगा ,और उनका लालन पालन करूंगा
14👉मैं चोरी नही करूंगा
15👉मैं झूठ नही बोलूंगा
16👉मैं व्यभिचार नही करूंगा
17👉मैं शराब,नशा नही करूंगा
18👉मैं अपने जीवन को बुद्ध धम्म के तीन तत्वो प्रज्ञा,शील,करूणा पर ढालने का यत्न करूंगा
19 👉मैं मानव मात्र के विकास के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को उंच,नीच मानने वाले अपने पुराने हिंदू धर्म को पुर्णत : त्यागता हूँ,और बुद्ध धम्म को स्वीकार करता हूं
20👉मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि भगवान बुद्ध का धम्म ही सही धम्म है
21👉मैं यह मानता हूँ कि अब मेरा नवीन जन्म हो रहा है
22👉मैं यह पवित्र प्रतिज्ञा करता हूं कि आज से मैं बुद्घ घम्म के अनुसार आचरण करूंगा
निष्कर्ष👉🏾 हिन्दू धर्म में वर्ण, वर्ण में जाति, जाति में क्रमिक उंच नींच .... और ब्राह्मण के आगे सारे नींच अब आप ही बताईए ब्राह्मणों का हिन्दू धर्म जो ब्राह्मणों को तो सबकुछ देता है लेकिन शूद्र(obc/sc/st) का सब कुछ छीनता है, ऐसे में इस पाखण्डी धर्म को कौन मानेगा ??? जब विकल्प के तौर पर बौद्ध धर्म जैसा नैतिक और वैज्ञानिक धर्म सामने हो।
डा बाबा सहाब अम्बेडकर ने पंचशीलो के साथ 22 प्रतिज्ञा जोड़कर ब्राह्मण धर्म के ताबूद में आखरी कील ठोकी है जैसे-जैसे देश में जागरूकता बढ़ेगी वैसे वैसे बाबा सहाब अम्बेडकर और बुद्ध धम्म की दिनों दिन और ज्यादा प्रासंगिक बढ़ती जायेगी कुल मिलाकर ब्राह्मणवाद का खात्मा निश्चित है, क्योंकि ब्राह्मण धर्म ब्राह्मणों के ज्ञान पर नहीं बल्कि गैर ब्राह्मणों की मूर्खता पर टिका हुआ है ।
*पोल_खोल नंबर*..1
ReplyDeleteसब के मन में यह सवाल बार बार उठता होगा *नरेंद्र मोदी अपने पिता का नाम क्यों नहीं लेत*... रेल्वे स्टेशन पर चाय बेचते समय किसीका पॉकेट गूम हुआ था, 😠*उसमें 300 रू थे दामोदर जी ने *लौटाने के बजाय अपने जेब मे डाल दिया था*...
उस समय 300 रू तीस हजार समान थे, *पोलिस ने तलाशी कर दामोदर जी को पकडा था*... 6 महिने की सजा भी हुई थी....यह जानकारी पूर्णता सत्य है, जिस किसी को शंका हो वे वडनगर के पोलिस स्टेशन में RTI डालकर पता कर सकते हैं..
*नरेन्द्र मोदी जी के पिता की मौत नरेंद्र मोदी के वजह से हुई थी*... पॉकेट मारी, रेलवे का लोहा, कोयला चुराकर गहने खरीद लिये थे दामोदर जी ने... नरेंद्र जी ने मौका देखकर घर से सारा सोना चुरा लिया और घर से भाग निकले थे... जब यह घटना दामोदर जी को पता चली उन्हें 1 St हार्ट अटैक आया.. *घरवालो ने मिलकर नरेंद्र मोदी के नाम पर FIR भी दर्ज की* थी..दामोदर जी पैसों कि किल्लत की वजह से अपना इलाज ढंग से ना करवा पाये 8 महिनों बाद उनका निधन हुआ... आज भी नरेंद्र मोदी के भाई बहन नरेंद्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते हैं..... *वडनगर पोलिस स्टेशन* से 1996 को मोदी के FIR की फाईल को अटल जी ने बंद करवा दिया था......
Check via RTI
सलवार दिवस है
ReplyDeleteआज ही के दिन 2011 में .... आधी रात को ....
विदेशों में जमा भारत का (4 लाख करोड़) का कालाधन 1 महीने में वापस लाने का सरकार को अल्टीमेटम देकर आंदोलन कर रहे
बाबा से उद्योग पति बने
*रामदेव*
सलवार पहन कर भागे थे ....
6वें *सलवार दिवस* की सबको हार्दिक बधाई.....!
6 साल बीत गए
अब बाबा को कालाधन वापसी से कोई सरोकार नही है।
अब वे अपने उत्पादों की ब्रांडिंग कर धन कमाने में बिजी है।
चार लाइने रामदेव बाबा के लिए।
*नफ़रत के शबब उठी वो ललकार किसकी थी*
*हमारे खून को प्यासी, वो तलवार किसकी थी*
*हमे बस इतना बता दीजिए रामदेव बाबा जी*
*जिसे तुम पहन कर भागे थे,वो सलवार किसकी थी*...
सब के मन में यह सवाल बार बार उठता होगा नरेंद्र मोदी अपने पिता का नाम क्यों नहीं लेते... रेल्वे स्टेशन पर चाय बेचते समय किसीका पॉकेट गूम हुआ था, उसमें 300 रू थे दामोदर जी ने लौटाने के बजाय अपने जेब मे डाल दिया था...
ReplyDeleteउस समय 300 रू तीस हजार समान थे, पोलिस ने तलाशी कर दामोदर जी को पकडा था... 6 महिने की सजा भी हुई थी....यह जानकारी पूर्णता सत्य है, जिस किसी को शंका हो वे वडनगर के पोलिस स्टेशन में RTI डालकर पता कर सकते हैं..
नरेन्द्र मोदी जी के पिता की मौत नरेंद्र मोदी के वजह से हुई थी... पॉकेट मारी, रेलवे का लोहा, कोयला चुराकर गहने खरीद लिये थे दामोदर जी ने... नरेंद्र जी ने मौका देखकर घर से सारा सोना चुरा लिया और घर से भाग निकले थे... जब यह घटना दामोदर जी को पता चली उन्हें 1 St हार्ट अटैक आया.. घरवालो ने मिलकर नरेंद्र मोदी के नाम पर FIR भी दर्ज की थी..दामोदर जी पैसों कि किल्लत की वजह से अपना इलाज ढंग से ना करवा पाये 8 महिनों बाद उनका निधन हुआ... आज भी नरेंद्र मोदी के भाई बहन नरेंद्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते हैं.....वडनगर पोलिस स्टेशन से 1996 को मोदी के FIR की फाईल को अटल जी ने बंद करवा दिया था......https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1961054354130014&set=a.1385998944968894.1073741827.100006764045734&type=3&permPage=1