Sunday, 25 February 2018

गुमराह OBC

*डॉ. बाबासाहब आंबेडकरजी की हत्या होने के कारण भारतिय लोकतंत्र मे सबसे बडा नुकसान OBC का हुआ!*
इसका मूलकारण बाबा साहब अम्बेडकर के बारे मे और OBC के लिए बाबा साहब अम्बेडकर के संघर्ष के बारे मे OBC को ब्राहम्णों ने जानकारी नहीं होने दी और ब्राहम्ण धर्म के जाल और उंच निच मे फंसा कर रखा

इसको मात्र एक सामान्य उदाहरण से समझा जा सकता है

ब्राहम्णों ने पिछडा वर्ग को शूद्र बनाया
शूद्र नामकरण किया
और शिक्षा सम्पत्ति और आत्मरक्षा के अधिकार से वंचित किया(गुलाम बनाया)

दूसरी तरफ़
बाबा साहब अम्बेडकर ने पिछडे वर्ग को OBC संवैधानिक नाम दिया

 उसके लिए संविधान मे आर्टिकल 340 लिखा
जिसके अन्दर उनको सामाजिक और शैक्षणिक पिछडेपन कि वजह से शासन प्रशासन मे अपनी जनसंख्या के अनुसार भागीदारी का अधिकार लिखा

इसी आर्टिकल 340 के अनुसार बाबा साहब के दबाव मे इनको काका कालेकर कमीशन बनाना पडा
परन्तु उसको लागू नहीं किया
बाबा साहब के परिनिर्वाण के बाद
इस कमिशन को लागू करनेवाले के बजाय ठंडे बस्ती मे डाल दिया

काका कालेलकर कमीशन की जगह ओबीसी नेताओं के दबाव मे मंडल कमीशन बनाया और उसको लागू नहीं किया

मान्यवर काशीराम जी ने इसको लागू कराने के लिए पुरे देशभर मे आंदोलन चलाया

वीपी सिंह को मंडल कमीशन लागू करना पडा

परन्तु इसमें भी फिर षड्यंत्र किया

1931 कि जनगणना के अनुसार ओबीसी 52% है तो आर्टिकल 340 के अनुसार जनसंख्या के अनुसार 52% शासन प्रशासन मे भागीदारी मिलनी चाहिए
परन्तु ओबीसी को इसका आधा 27% प्रतिनिधित्व दिया

उस आधे प्रतिनिधित्व मे भी कोर्ट के माध्यम से संविधान के विरोध मे क्रिमलेयर(आर्थिक आधार) लगाया
जबकि भारतिय संविधान मे आर्टिकल 340 ओबीसी को सामाजिक और शैक्षणिक पिछडेपन की वजह से शासन प्रशासन और शिक्षा मे जनसंख्या के अनुसार भागीदारी की बात करता है

तिसरा षड्यंत्र नौकरियों मे भागीदारी दी परन्तु शिक्षा मे लागू नहीं किया

फिर चौथा षड्यंत्र SC/ST कि तरह प्रमोशन मे भागीदारी नहीं दी तो ऊंचे पद जहां पर सिर्फ प्रमोशन से पहुचां जा सकता है
वहाँ ओबीसी का प्रतिनिधि नहीं पहुंचा और जहां देश कि नितियां बनती है
वहां नहीं गया और देश का निति निर्माता ब्राहम्ण ही बना और 
2017 आते आते ओबीसी की भागीदारी मात्र 2% कर दी जिसका उदाहरण नीट मेडिकल परीक्षा है

सुनिए लिंक पर जाकर बाबरी मस्जिद 6 दिसम्बर को क्यों गिराई गई।इसका मकसद बाबा साहब का परिनिर्वाण दिवस को धूमिल करना  नहीं बल्कि मंडल कमीशन को लागू करते समय ओबीसी को क्रिमलेयर(आर्थिक आधार)का षड्यंत्र ना पता हो
इसलिए 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद गिराई गई
इतना भयंकर षड्यंत्र ओबीसी के साथ हुआ
परन्तु अभी भी ओबीसी इस षड्यंत्र को समझ कर अपने ही भाइयों का आंदोलन मे साथ देने को तैयार नहीं है
यही सबसे बडा दुर्भाग्य है
नहीं तो 52% ओबीसी आज लोकतंत्र मे बहुमत के आधार पर देश का शासक होता
https://youtu.be/CzcZoJmRLYI

कन्हैय्या कुमार की असलियत.


साथीयों,
कन्हैया कुमार झा यह बिहार का ब्राम्हण है | और वह ब्राह्मणों की कम्युनिष्ट पार्टी के SFI संघटन का जेएनयु यूनिवर्सिटी मे कार्य कर्ता भी है |

हमारे एससी, एसटी, ओबीसी लोगों को गुमराह करणे के लिए आजतक आरएसएस के द्वारा बहुत सारे आंदोलन चलाये थे |

१) अण्णा हजारे - अण्णा हजारे ने आरएसएस के कहने पर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाया | लेकिन वह आंदोलन भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन नही था | बल्की ओबीसी की जातिनिहाय गिणती रोखणे का आंदोलन था | यह आंदोलन चलाणे की वजह से कुछ दिनों के लिए मिडीया ने अण्णा हजारे को महत्मा गांधी बनाया था | लेकीन अण्णा हजारे यह ओबीसी होणे के कारण आज वह कहाँ है?

२) अरविंद केजरीवाल - अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस के कहने पर ही अण्णा हजारे का साथ दिया था | उसने अण्णा हजारे ने बनाये हुये माहौल का पुरी तरह से इस्तेमाल करके अपनी खुद्द की पार्टी बनाई | उस वक्त मिडीया ने बडी चलाखी से अण्णा को दिखाना कम किया और कजरी को ही ज्यादा दिखाया | जिसका नतिजा यह हुआ की कजरी दिल्ली का मुख्यमंत्री बन गया | केजरीवाल बनिया होणे के कारण आज वह कहा है?

३) हार्दिक पटेल - हार्दिक पटेल ने भी पाटीदारो को आरक्षण मिलना चाहिए यह आंदोलन आरएसएस के कहने पर चलाया | मिडीया ने उसे बहोत बडा किया | लेकिन आज वह कहा है?

बिल्कुल वैसे ही डॉ. रोहित वेमुला कि हत्या का मुद्दा दबाने / दिशा बदलने / ध्यान हटाने / नजर हटाने / भटकाव मे चले जाने के लिए ही आरएसएस ने कन्हैय्या कुमार को बडा किया है |

यह बात मै दावे के साथ इसलिए कह रहा हुँ | क्योंकी आज तक जितने भी ब्राह्मण - बनियों की चैनल ने कन्हैय्या कुमार को लाईव दिखाया है | उन सबके मालिक बीजेपी / आरएसएस से मिले - जुले है | इसलिए कन्हैय्या कुमार आंदोलन भी अण्णा हजारे, अरविंद केजरीवाल, हार्दिक पटेल की तरह ही बाय प्रोडक्ट है |

डॉ. रोहित वेमुला की हत्या के बाद मैने निरंतर लोगों को देश मे चल रही माहौल की असलियत बताने काम किया है | मैने और कुछ कार्यकर्ताओं ने भी आज तक बहुत सारे सवाल भी उठाये थे | वही हमारे कुछ साथीयों के / मेरे सवाल और कुछ जानकारी को मै फिरसे दोहरणा चाहता हुँ |

१) डॉ. रोहित वेमुला की माताजी रोहित की हत्या हुयी यह बात हमेशा कहती है | हम सब भी जानते है की, उसकी हत्या ही हुयी है | फिर भी कन्हैय्या कुमार डॉ. रोहित वेमुला के हत्या को बार - बार आत्महत्या क्यों बोलता है?

२) कन्हैय्या कुमार नागपुर मे १४ एप्रिल को किसकी जयंती मनाने गया था? क्योंकी उसी दिन उसके संघटन के पूर्व मार्गदर्शक पी. सी. जोशी का भी जन्मदिन था | यदी वह बाबासाहब की ही जयंती मनाना चाहता था तो उसने अपने भाषण में ऐसा क्यों कहाँ की, आज जैसे बाबासाहब की जयंती है बिल्कुल वैसेही आज पी. सी. जोशी की भी जयंती है | तो सवाल यह निर्माण होता है की, उसने बाबासाहब कि जयंती दिन पर एक जोशी नामक ब्राह्मण को याद क्यो किया? आँखिर क्या कारण हो सकता है?

३) कन्हैय्या कुमार ने नागपुर में बाबासाहब की जयंती दिन पर ही ऐसा क्यों कहाँ की, राम हमारी कण कण में बसे है | और हम उनकी संतान है | क्या यह बनायेगे मंदिर का नारा देणेवाली बीजेपी और आरएसएस को खुश करणे जैसा नही है? १५ एप्रिल को रामनवमी आती है | यह जानते हुये भी उसने एक दिन पहले काळाराम मंदिर का सत्याग्रह करणेवाले / मंदिर को ताला लगाने वाले डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की जयंती दिन पर ही राम क्यों याद किया? क्या यह डॉ बाबासाहब आंबेडकर की बाविस प्रतिज्ञा के खिलाफ नही है? उसने बाबासाहब की राम के खिलाफ दि हुयी प्रतिज्ञा क्यों नही कही? आँखिर कौनसा कारण हो सकता है?

४) कन्हैय्या कुमार ने नागपुर दिये हुये भाषण मे ही बाबासाहब की जयंती दिन पर गांधी का समर्थन क्यों किया? क्या वजह हो सकती है?

५) कन्हैय्या कुमार नागपुर मे आरएसएस का मुख्यालय है यह बात जानते हुये भी उसने ऐसा क्यों कहाँ की, मैं आरएसएस का विरोधी नहीं हुँ | उनके सिद्धान्त के विरोध में हुँ | यह बात क्या दर्शाती है?

६) १४ अप्रैल बाबासाहब के जयंती दिन के अवसर पर ही डॉ. रोहित वेमुला कि माँ और भाई ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी | मिडीया ने  उन्हे लाईव दिखाने के बजाये सिर्फ कन्हैय्या कुमार को ही लाईव दिखाया | आँखिर क्या कारण हो सकता है?

साथीयो,
ईस सवाल के जवाब मै कन्हैय्या कुमार का समर्थन करणे वाले लोगों से माँगणा चाहता हुँ |

जितने भी लोगों ने डॉ. रोहित वेमुला हत्या के बाद अपनी - अपनी तरीके से लिखा है | ऐसा नही है की, मै उन सभी दोस्तों की प्रतिक्रिया / राय / सुझाव से सेहमत नही हुँ | मै सेहमत हुँ | किंतु उन्हे भी मेरी बातों पर गौर से सोचना ही होगा |

देखना / याद रखना..! अब यह वक्त ही तय करेगा की, कन्हैय्या कुमार का आंदोलन कितना ईमानदार था? और है?

डॉ. रोहित वेमुला हो | चाहे मुझफ्फरनगर के पिडीत मुसलमान लोगों को न्याय दिलाने के लिए चला हुआ आंदोलन हो | ईस मुल इश्यू को आरएसएस के लोगो द्वारा रोहित वेमुला कि हत्या करकर उसके देशव्यापी इश्यू को नॉन इश्यू बनाकर कन्नैया कुमार के नॉन इश्यू को ब्राह्मणी मिडिया ने देशव्यापी इश्यू बनाया है | ईस बात पर भी हमे गंभीरता से सोचना ही होगा |

क्योंकी, यह सोचने का और सोचकर निर्णय लेणे का ही वक्त है | नही तो आपका इस्तेमाल होणा तय है |

इसलिए मै सवाल पुँछना चाहता हुँ उन लोगों से जो इश्यू को छोडकर नॉन इश्यू का समर्थन करते है | तो क्या ऐसा समर्थन गलत नही है?

देशव्यापी संघटन का नेतृत्व करना तो दूर कि बात है | यहा हमारे लोगों को इश्यू और नॉन इश्यू को पहचानना भी नही आ रहा है | अर्थात यह समजने के लिए दुरदृष्टी और तर्कबुध्दी की बहुत ही आवश्यकता है | जो की हमारे लोगों के पास नही है | यही हमारी सबसे बडी दुख की बात है |

आज तक का आरएसएस का इतिहास देखा जाये तो वह किसी भी इश्यू को नॉन इश्शू बनाकर समाज और देश भर में प्रचलित करते आये है | और हमारे लोग भी उनके षढयंत्र को फँसते ही गये है |

इसलिए जो लोग अपनी देश मे सामाजिक तथा समाज का कार्य करणा चाहते है ऐसे लोगों को देश और समाज का आकलन होणा जरुरी है | क्योंकी, जिसके पास ये आकलन नही होता वह शत्रू के षडयंत्र के झाँसें मे आकर अपनी खुद्द की तो खुद्दखुशी करता ही है, साथ में अपने समाज का भी सत्यानाश करता है.

कही कन्हैय्या कुमार का आंदोलन हमारे लोगों की खुद्दखुशी और सत्यानाश का कारण तो नही बन रहा है | अगर ऐसा है तो हमे सावधानी बरतकर डॉ. रोहित वेमुला की आंदोलन पर फिरसे वापस आणे की जरुरत है. ऐसा मेरा स्पष्ट रुप से कहना है.

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