पुराणों का परस्पर विरोधाभास
18 पुराणों में इतना विरोधाभास है कि एक बात अपनी दूसरी बात को ही काटती है। किसी एक पुराण में अपने इष्ट की स्तुति है तो अन्य दूसरे देवों की निंदा है। इससे स्पष्ट है कि ये पुराण (भागवत, शिव, मार्कण्डेय आदि) सांप्रदायिक लोगों के द्वारा रचित हैं। जिसमें अपने देव का बखान और दूसरों को नीच मानकर उनकी निंदा कि है। जैसे वैष्णव संप्रदाय शैवों की निंदा करते हैं तो शैव रामस्नेहीयों की, रामस्नेही गुसाँईयों की ऐसे ही ये पुराणों की रचना अपने देव तो श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए समय समय पर की जाती रही है।
पुराणों के विरोधाभास संक्षेप में कुछ इस प्रकार हैं -
शिव की प्रशंसा :-
- शिवजी संपूर्ण सदाचारियों में सर्वश्रेष्ठ थे। वे ब्रह्मचारी, लोकव्यवहार को जानने वाले, धर्मानुकूल आचरण करने वाले संपूर्ण धन और ऐश्वर्यों के स्वामी है। (शिव पुराण- अध्याय ४१ श्लोक १२,१०६)
- मुक्तिदेने वाले तो केवल शिवजी ही हैं। ब्रह्मा, विष्णु मुक्तिदाता नहीं हैं, वे केवल धर्म, अर्थ और काम को देने वाले ही हैं। (शिव पुराण- कोटि रुद्रसंहिता, अध्याय ४१, श्लोक ४ )
- जो मनुष्य अनन्य भक्ति के साथ शिवजी का भजन करता है उसकी अंत में मुक्ति हो जाती है, इसमें संशय नहीं है। (शिव पुराण- कोटि रुद्रसंहिता, अध्याय ४३ श्लोक ३६)
शिव की निंदा :-
- यह शिव लम्पट और महाव्याभिचारी है। (मत्स्य पुराण- अध्याय १५४, श्लोक ३१)
- जिस शिव का लिंग (मूतेन्द्रिय) दारुवन में जाने व व्याभिचार करने के कारण भृगु के शाप से कटकर गिर गया, उस शिव की जो लोग भक्ति करेंगे उन्हें सुख कैसे मिलेगा? (देवी भागवत पुराण- स्कन्द ५ अध्याय १९, श्लोक १९)
- लिंगरूपी शिव की पूजा पाखंडियों में ही मान्यता प्राप्त करेगी। (पद्म पुराण- उमा खण्ड, अध्याय २२५, श्लोक ४२)
- शिवजी कहते हैं कि मेरे उपर अर्पित किया कोई भी पदार्थ फल, फूल, नेवैद्य आदि ग्रहण करने योग्य नहीं है, मानो कि जैसे कूएँ में फेंकना है। (पद्म पुराण- पाताल खण्ड, अध्याय ११४ श्लोक २७५)
- शिव अपनी पत्नि सती के मर जाने पर कामातुर होकर भृगु के वन में गए और भृगु ने उनको शाप दिया जिससे कि उस निर्लज्ज शिव का लिंग कटकर भूमि पर गिर गया। (देवी भागवत पुराण- ४-२० श्लोक ३४,३६,३७)
ब्रह्मा की प्रशंसा :-
- ब्रह्मा जी ने सब शास्त्रों में से प्रथम पुराणों को बनाया जो कि नित्य एवं शब्दमय हैं और उनका विस्तार सौ करोड़ श्लोकों में है। भगवान ब्रह्मा इस भूलोक के पिता हैं, जिन्होंने सभी मनुष्यों को और जगत को उत्पन्न किया है।(मत्स्य पुराण ३/३-४)
ब्रह्मा की निंदा :-
- वेद का बनाने वाला जगत का रचयिता चार मूँह वाला ब्रह्मा भी अपनी ही पुत्री सरस्वती को देखकर कामदेव से विकल हो गया (देवी भागवत पुराण ४-२०/३३)
- ब्रह्मा जी ने अनेक बार शिवजी की माया से मोहित होकर आसक्त हुई अपनी पुत्री से भोग करने की इच्छा की। (शिव पुराण- उसा संहिता ४/२७)
विष्णु की प्रशंसा :-
- जो विश्वरूप प्रभु विश्व की स्थिति, उत्पत्ति और प्रलय का मूल कारण है उस भगवान विष्णु को नमस्कार है। (विष्णु पुराण १-२-४)
- भगवान विष्णु की आराधना करने से मनुष्य भूमण्डल सम्बन्धी समस्त मनोरथ, स्वर्ग, स्वर्गलोग निवासीयों के भी वन्दनीय ब्रह्मपद और परम निर्वाण को भी पा लेता है।(विष्णु पुराण- ३-८/६)
विष्णु की निंदा :-
- जिस विष्णु ने भृगु के शाप के कारण मत्स्य, कछुआ, सूअर और नरसिंह आदि अवतार लिया उसकी भक्ति जो करेगा वो क्यों न मृत्यु सागर में दुखित होगा ? (शिव पुराण- ११/१८)
- विष्णु तो शिवजी का नौकर है। (शिव पुराण- ४०/४)
तो बुद्धिमान लोग निश्चय करके हमें बता दें कि ऊपर किन बातों को माने और किनको न मानें ? कोई भी सूझवान व्यक्ति इसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि ये मानवतावादी ग्रंथ न होकर निकृष्ट कोटि के सांप्रदायिक ग्रंथ हैं।
ब्राहमणी भगवान...
ब्राह्मणी (हिन्दू) धर्म के भगवान् लोग ही औरतों की इज्जत नहीं करते तो उनको मानने वाले लोग क्या ख़ाक इज्जत करेंगे?
१. परशुराम : ब्राह्मण लोगों का और उनकी चाटने वालों का देवता, और मिस्टर विष्णु का अवतार परशुराम ने अपनी माँ का सर कुल्हाड़ी से उड़ा दिया था।
२. कृष्णा: विष्णु का अवतार। ये तो खुद औरतों को छेड़ता था।उनके कपडे नहाते समय लेके भाग जाता था। उनकी मटकिया फोड़ के उनको मानसिक कष्ट देता था (Mental Harassment) और मीरा को धोखा देके इसने राधा से ब्याह रचाया।
३. ब्रह्मा: सृष्टि की जिसने उत्पति की ब्रह्मा, ब्रह्मा ने तो अपनी पुत्री सरस्वती का ही बलात्कार कर डाला।
४. पांडव: पांडवों ने बेशर्मी की सभी हदें पार कर दी, अपनी बीवी को बेइज्जत करके, सरे आम उसको नीलाम कर दिया। दांव पे लगा दिया। जब उसकी इज्जत लूटी जा रही थी तो किसी ने भी अपनी पत्नी की इज्जत बचाने की कोशिश नहीं की, सब बेशर्मी से देखते रह गए।
५. राम: और एक विष्णु का अवतार, बहुत ही पॉपुलर, भगवान् श्री राम! पहले तो अपनी पत्नी सीता को अग्नि परीक्षा देने के लिए विवश किया, फिर भी इस भगवान का शक कम नहीं हुआ और एक धोबी के कहने पर अपनी पत्नी को घर से निकल दिया वो भी तब जब सीता गर्भवती थी। सीता को अग्नि से गुजार दिया लेकिन खुद कभी कोई परीक्षा नहीं दी।
ये सभी भगवानों के अवतार औरत जात की कोई इज्जत नहीं करते थे। उनको मानसिक कष्ट देना, उनकी बेइज्जती करना, उनका बलात्कार करना ये ही ब्रहमाणी धर्म (सनातन धर्म/वैदिक धर्म/हिन्दू धर्म) के देवता करते थे। जब ये भगवान खुद औरतों की छेड़खानी, बलात्कार, मानसिक उत्पीडन किया करते थे तो इनके भक्त इनकी ही राह पर ही तो चलेंगे ना? इसीलिए आज देखिये देश में औरतों पर अत्याचार कितना बढ़ रहा है, यह सब इन अवतारी भगवानों की ही देन, इन सभी अवतारी भगवानों ने मनुष्य जाति के प्रति अपराध किया है। (Crime Against Humanity)
असल में या जो भगवानों के नाम आप सभी ने सुने है कृष्ण, राम, ब्रह्मा या विष्णु ये कोई भगवान या देवता नहीं थे और न ही किसी भगवान के कोई अवतार थे।यह सब शूद्रों अर्थत मूलनिवासियों के खिलाफ लड़ने वाले आर्य लोग थे जिन्हीने छल कपट से मूलनिवासी राजाओं को हराया और ब्राहमणी सता देश में स्थापित की। बाद में ब्राह्मणों ने इन को देवता घोषित कर दिया। ब्राह्मण धर्म में ऐसा कोई देवता या भगवान नहीं है जो औरत जात की इज्ज़त करता था। यहाँ तक ब्राह्मण धर्म के ऋषि मुनियों, जिनको ज्ञान का भंडार कहा जाता था वो भी कभी किसी भी स्त्री का कोई सम्मान नहीं करते थे। स्त्रियों को सिर्फ भोग की वस्तु समझते थे। स्त्रियों के शोषण के लिए बहुत से तरीके ईजाद किये गए थे। जैसे अश्वमेघ यज्ञ, पुत्रेष्ठि यज्ञ, नियोग प्रथा, योनी अयोनी प्रथा आदि इन सभी प्रथाओं के द्वारा स्त्रियों का बहुत बुरी तरह शोषण किया जाता था।
अब बाबाओं की बाबागिरी एक एक करके सबके सामने आने लगी है। एक बाबा का घिनौनापन अभी दिमाग से हटता नहीं कि दूसरे बाबा की दरिन्दगी सामने आ जाती है। ये लोग धर्म और आस्था के नाम पर लोगों के विश्वास का गला घोट देते हैं। नवरात्री में कन्याओं को ज्यादा महत्व दिया जाता है वहीं हमारे देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां आस्था के नाम पर लड़कियों के साथ जो किया जाता है उसे सुनकर आपकी रुह कांप जाएगी।
-
आस्था के नाम पर अश्लीलता:
*तमिलनाडू के मैदूर में स्थित* *मंदिर में 7 लड़कियों को 15* *दिनों तक देवी बना कर रखा* जाता है।गांव के लोग चुनी गई 7 लड़कियों को सबसे भाग्यवान मानती है। *गांव की सभी लड़कियों को पहले पंडित के सामने परेड करना होता है। परेड के बाद इन लड़कियों का चुनाव एक पुरुष पंडित करता है।*
15 दिन तक यहीं रूकती है लड़कियां:
*चुनी गई लड़कियों को मंदिर में 15 दिन रहना होता है। रहना तक तो ठीक हैं लेकिन इनको कमर से उपर तक निःवस्त्र किया जाता है। 15 दिनों तक मंदिर में कैद इन लड़कियों के पास कोई नहीं जा सकता। इस दौरान केवल पंडित ही उनकी देखरेख वहां रहकर करता है।* उनकी उम्र 10-14 साल होती है।
http://ucnews.ucweb.com/story/1573086986863137?lang=hindi&channel_id=102&app=browser_iflow&uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvpfmt&ver=11.4.5.1005&sver=inapppatch1&entry=browser&entry1=shareback&entry2=page_share_btn&comment_stat=1
18 पुराणों में इतना विरोधाभास है कि एक बात अपनी दूसरी बात को ही काटती है। किसी एक पुराण में अपने इष्ट की स्तुति है तो अन्य दूसरे देवों की निंदा है। इससे स्पष्ट है कि ये पुराण (भागवत, शिव, मार्कण्डेय आदि) सांप्रदायिक लोगों के द्वारा रचित हैं। जिसमें अपने देव का बखान और दूसरों को नीच मानकर उनकी निंदा कि है। जैसे वैष्णव संप्रदाय शैवों की निंदा करते हैं तो शैव रामस्नेहीयों की, रामस्नेही गुसाँईयों की ऐसे ही ये पुराणों की रचना अपने देव तो श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए समय समय पर की जाती रही है।
पुराणों के विरोधाभास संक्षेप में कुछ इस प्रकार हैं -
शिव की प्रशंसा :-
- शिवजी संपूर्ण सदाचारियों में सर्वश्रेष्ठ थे। वे ब्रह्मचारी, लोकव्यवहार को जानने वाले, धर्मानुकूल आचरण करने वाले संपूर्ण धन और ऐश्वर्यों के स्वामी है। (शिव पुराण- अध्याय ४१ श्लोक १२,१०६)
- मुक्तिदेने वाले तो केवल शिवजी ही हैं। ब्रह्मा, विष्णु मुक्तिदाता नहीं हैं, वे केवल धर्म, अर्थ और काम को देने वाले ही हैं। (शिव पुराण- कोटि रुद्रसंहिता, अध्याय ४१, श्लोक ४ )
- जो मनुष्य अनन्य भक्ति के साथ शिवजी का भजन करता है उसकी अंत में मुक्ति हो जाती है, इसमें संशय नहीं है। (शिव पुराण- कोटि रुद्रसंहिता, अध्याय ४३ श्लोक ३६)
शिव की निंदा :-
- यह शिव लम्पट और महाव्याभिचारी है। (मत्स्य पुराण- अध्याय १५४, श्लोक ३१)
- जिस शिव का लिंग (मूतेन्द्रिय) दारुवन में जाने व व्याभिचार करने के कारण भृगु के शाप से कटकर गिर गया, उस शिव की जो लोग भक्ति करेंगे उन्हें सुख कैसे मिलेगा? (देवी भागवत पुराण- स्कन्द ५ अध्याय १९, श्लोक १९)
- लिंगरूपी शिव की पूजा पाखंडियों में ही मान्यता प्राप्त करेगी। (पद्म पुराण- उमा खण्ड, अध्याय २२५, श्लोक ४२)
- शिवजी कहते हैं कि मेरे उपर अर्पित किया कोई भी पदार्थ फल, फूल, नेवैद्य आदि ग्रहण करने योग्य नहीं है, मानो कि जैसे कूएँ में फेंकना है। (पद्म पुराण- पाताल खण्ड, अध्याय ११४ श्लोक २७५)
- शिव अपनी पत्नि सती के मर जाने पर कामातुर होकर भृगु के वन में गए और भृगु ने उनको शाप दिया जिससे कि उस निर्लज्ज शिव का लिंग कटकर भूमि पर गिर गया। (देवी भागवत पुराण- ४-२० श्लोक ३४,३६,३७)
ब्रह्मा की प्रशंसा :-
- ब्रह्मा जी ने सब शास्त्रों में से प्रथम पुराणों को बनाया जो कि नित्य एवं शब्दमय हैं और उनका विस्तार सौ करोड़ श्लोकों में है। भगवान ब्रह्मा इस भूलोक के पिता हैं, जिन्होंने सभी मनुष्यों को और जगत को उत्पन्न किया है।(मत्स्य पुराण ३/३-४)
ब्रह्मा की निंदा :-
- वेद का बनाने वाला जगत का रचयिता चार मूँह वाला ब्रह्मा भी अपनी ही पुत्री सरस्वती को देखकर कामदेव से विकल हो गया (देवी भागवत पुराण ४-२०/३३)
- ब्रह्मा जी ने अनेक बार शिवजी की माया से मोहित होकर आसक्त हुई अपनी पुत्री से भोग करने की इच्छा की। (शिव पुराण- उसा संहिता ४/२७)
विष्णु की प्रशंसा :-
- जो विश्वरूप प्रभु विश्व की स्थिति, उत्पत्ति और प्रलय का मूल कारण है उस भगवान विष्णु को नमस्कार है। (विष्णु पुराण १-२-४)
- भगवान विष्णु की आराधना करने से मनुष्य भूमण्डल सम्बन्धी समस्त मनोरथ, स्वर्ग, स्वर्गलोग निवासीयों के भी वन्दनीय ब्रह्मपद और परम निर्वाण को भी पा लेता है।(विष्णु पुराण- ३-८/६)
विष्णु की निंदा :-
- जिस विष्णु ने भृगु के शाप के कारण मत्स्य, कछुआ, सूअर और नरसिंह आदि अवतार लिया उसकी भक्ति जो करेगा वो क्यों न मृत्यु सागर में दुखित होगा ? (शिव पुराण- ११/१८)
- विष्णु तो शिवजी का नौकर है। (शिव पुराण- ४०/४)
तो बुद्धिमान लोग निश्चय करके हमें बता दें कि ऊपर किन बातों को माने और किनको न मानें ? कोई भी सूझवान व्यक्ति इसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि ये मानवतावादी ग्रंथ न होकर निकृष्ट कोटि के सांप्रदायिक ग्रंथ हैं।
ब्राहमणी भगवान...
ब्राह्मणी (हिन्दू) धर्म के भगवान् लोग ही औरतों की इज्जत नहीं करते तो उनको मानने वाले लोग क्या ख़ाक इज्जत करेंगे?
१. परशुराम : ब्राह्मण लोगों का और उनकी चाटने वालों का देवता, और मिस्टर विष्णु का अवतार परशुराम ने अपनी माँ का सर कुल्हाड़ी से उड़ा दिया था।
२. कृष्णा: विष्णु का अवतार। ये तो खुद औरतों को छेड़ता था।उनके कपडे नहाते समय लेके भाग जाता था। उनकी मटकिया फोड़ के उनको मानसिक कष्ट देता था (Mental Harassment) और मीरा को धोखा देके इसने राधा से ब्याह रचाया।
३. ब्रह्मा: सृष्टि की जिसने उत्पति की ब्रह्मा, ब्रह्मा ने तो अपनी पुत्री सरस्वती का ही बलात्कार कर डाला।
४. पांडव: पांडवों ने बेशर्मी की सभी हदें पार कर दी, अपनी बीवी को बेइज्जत करके, सरे आम उसको नीलाम कर दिया। दांव पे लगा दिया। जब उसकी इज्जत लूटी जा रही थी तो किसी ने भी अपनी पत्नी की इज्जत बचाने की कोशिश नहीं की, सब बेशर्मी से देखते रह गए।
५. राम: और एक विष्णु का अवतार, बहुत ही पॉपुलर, भगवान् श्री राम! पहले तो अपनी पत्नी सीता को अग्नि परीक्षा देने के लिए विवश किया, फिर भी इस भगवान का शक कम नहीं हुआ और एक धोबी के कहने पर अपनी पत्नी को घर से निकल दिया वो भी तब जब सीता गर्भवती थी। सीता को अग्नि से गुजार दिया लेकिन खुद कभी कोई परीक्षा नहीं दी।
ये सभी भगवानों के अवतार औरत जात की कोई इज्जत नहीं करते थे। उनको मानसिक कष्ट देना, उनकी बेइज्जती करना, उनका बलात्कार करना ये ही ब्रहमाणी धर्म (सनातन धर्म/वैदिक धर्म/हिन्दू धर्म) के देवता करते थे। जब ये भगवान खुद औरतों की छेड़खानी, बलात्कार, मानसिक उत्पीडन किया करते थे तो इनके भक्त इनकी ही राह पर ही तो चलेंगे ना? इसीलिए आज देखिये देश में औरतों पर अत्याचार कितना बढ़ रहा है, यह सब इन अवतारी भगवानों की ही देन, इन सभी अवतारी भगवानों ने मनुष्य जाति के प्रति अपराध किया है। (Crime Against Humanity)
असल में या जो भगवानों के नाम आप सभी ने सुने है कृष्ण, राम, ब्रह्मा या विष्णु ये कोई भगवान या देवता नहीं थे और न ही किसी भगवान के कोई अवतार थे।यह सब शूद्रों अर्थत मूलनिवासियों के खिलाफ लड़ने वाले आर्य लोग थे जिन्हीने छल कपट से मूलनिवासी राजाओं को हराया और ब्राहमणी सता देश में स्थापित की। बाद में ब्राह्मणों ने इन को देवता घोषित कर दिया। ब्राह्मण धर्म में ऐसा कोई देवता या भगवान नहीं है जो औरत जात की इज्ज़त करता था। यहाँ तक ब्राह्मण धर्म के ऋषि मुनियों, जिनको ज्ञान का भंडार कहा जाता था वो भी कभी किसी भी स्त्री का कोई सम्मान नहीं करते थे। स्त्रियों को सिर्फ भोग की वस्तु समझते थे। स्त्रियों के शोषण के लिए बहुत से तरीके ईजाद किये गए थे। जैसे अश्वमेघ यज्ञ, पुत्रेष्ठि यज्ञ, नियोग प्रथा, योनी अयोनी प्रथा आदि इन सभी प्रथाओं के द्वारा स्त्रियों का बहुत बुरी तरह शोषण किया जाता था।
अब बाबाओं की बाबागिरी एक एक करके सबके सामने आने लगी है। एक बाबा का घिनौनापन अभी दिमाग से हटता नहीं कि दूसरे बाबा की दरिन्दगी सामने आ जाती है। ये लोग धर्म और आस्था के नाम पर लोगों के विश्वास का गला घोट देते हैं। नवरात्री में कन्याओं को ज्यादा महत्व दिया जाता है वहीं हमारे देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां आस्था के नाम पर लड़कियों के साथ जो किया जाता है उसे सुनकर आपकी रुह कांप जाएगी।
-
आस्था के नाम पर अश्लीलता:
*तमिलनाडू के मैदूर में स्थित* *मंदिर में 7 लड़कियों को 15* *दिनों तक देवी बना कर रखा* जाता है।गांव के लोग चुनी गई 7 लड़कियों को सबसे भाग्यवान मानती है। *गांव की सभी लड़कियों को पहले पंडित के सामने परेड करना होता है। परेड के बाद इन लड़कियों का चुनाव एक पुरुष पंडित करता है।*
15 दिन तक यहीं रूकती है लड़कियां:
*चुनी गई लड़कियों को मंदिर में 15 दिन रहना होता है। रहना तक तो ठीक हैं लेकिन इनको कमर से उपर तक निःवस्त्र किया जाता है। 15 दिनों तक मंदिर में कैद इन लड़कियों के पास कोई नहीं जा सकता। इस दौरान केवल पंडित ही उनकी देखरेख वहां रहकर करता है।* उनकी उम्र 10-14 साल होती है।
http://ucnews.ucweb.com/story/1573086986863137?lang=hindi&channel_id=102&app=browser_iflow&uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvpfmt&ver=11.4.5.1005&sver=inapppatch1&entry=browser&entry1=shareback&entry2=page_share_btn&comment_stat=1
👉🏻जब शुद्र को पढ़ना भी पाप था तब बंदर भी पत्थर पर जय श्री राम लिख रहे थे तब बंदर को एजुकेशन किसने दिया?
ReplyDeleteBIGGEST LOL
👉🏻कोई बता सकता है कि लक्ष्मण रेखा के अन्दर कोनसा Software था जिस से रेखा को पता चलता कि ऊसे पार करने वाला कोन है, रावण पार करता तो जल जाता पर सीता पार कर गयी, अगर रेखा मे ईतनी शकती थी तो युद्ध मे लक्ष्मण ने रेखा का इसतमाल क्यों नही किया बड़े बड़े दानवो को तो वो रेखा ख़ींचकर ही जला सकता था,
laser,,,
Delete👉🏻अमेरीका की जनसंख्या 32 करोड, हमारे पास तो भगवान ही ३३ करोड!
ReplyDeleteफिर भी अमेरीका हमसे आगे, क्यों !!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयह शिव लम्पट और महाव्याभिचारी है। (मत्स्य पुराण- अध्याय १५४, श्लोक ३१)
ReplyDeleteकहीं भी नही लिखा ऐसा, इस श्लोक में ऐसा कुछ भी नही लिखा है, पढ़ा आपने है नही, और श्लोक का नाम लिखर दिखा कुछ ओर रहे हो।
गीता प्रेस में बहुत सी बातें छुपाई हउ। संस्कृत वाली मैन होगा
Delete*पद्म पुराण* में उमा खंड कहां है,या किसी कहते है उमा खंड,,6 खंड है वहां उनके नाम तो एक भी नहीं ,कृपया बताए उमा खंड कौन सा है।।
ReplyDeleteअब ब्राम्हणो ने new versions में बहुत काट झाट किया है ।
ReplyDelete