Sunday 25 February 2018

*पीपल और बौद्ध सभ्यता*

*पीपल  और बौद्ध सभ्यता*

पीपल में भूत बसते हैं । यह किस सभ्यता का विरोध है ? बौद्ध सभ्यता का ही तो है ।

मृतकों की आत्मा पीपल में बसती है । कौन टँगवाता है पीपल में घंट ? यह किस सभ्यता का विरोध है ?

वेदों का इंद्र पिपरु की हत्या करते हैं । पिपरु कौन था ? पीपल - पूजक ही तो था ।

बुद्ध को पीपल के नीचे क्यों मिला ज्ञान ? बुद्ध के गाँव का नाम आज पिपरहवा क्यों है ?

हिंदी क्षेत्र के पीपरा , पीपरी , पिपरियाँ जैसे गाँव किस सभ्यता के प्रतीक हैं ?

पीपल की उपाधि आज भी भारत के कौन से लोग धारण करते हैं ? वही शूद्र - अतिशूद्र ।

सिंधु घाटी की सभ्यता का सर्वाधिक पवित्र वृक्ष कौन है ? पीपल ही तो है ।

मोहनजोदड़ो - हड़प्पा नगरों की मुहरें , मिट्टी के बर्तनों पर किसके चित्र सर्वाधिक हैं ? वही पीपल की शाखाओं एवं पत्तों के ।

सिंधु सभ्यता के देवता सिर पर क्या लगाए हैं ? पीपल ही तो ।

मिथक इतिहास नहीं है , मगर संकेत तो देता ही है ।



बुद्ध से ब्राम्हण नाराज क्यों है ????

*क्या अड़चन थी ब्राह्मणनो को बुद्ध या महावीर के साथ : “महावीर और बुद्ध को ब्राह्मण (पोंगापंथी) समाज माफ़ नहीं कर सकता। आखिर क्यों? क्योंकि उन्होंने(सम्मयक सम्मबुद्ध औऱ महावीर) युवकों को सत्य और तर्क दिया, पाखंड और पाखंडियो से आजादी दी। बच्चे और युवक नैतिक और तर्कशील बन गए। वे बुद्ध बनने लगे। तो सदियों से ब्राह्मण हीत मे बनाया समाज का ढांचा बिखरने लगा। *ब्राह्मण पुरोहितों का क्या होगा। वह चाहता है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक वह तुम्हारा सारा क्रिया कांड करे। वह चाहता है जन्म से लेकर मृत्यु तक वह तुम्हारा शोषण करे। उसने इस तरह का जाल बिछाया है कि तुम पैदा हो तो उसकी जरूरत, नामकरण हो तो उसकी जरूरत, यज्ञोपवीत हो तो उसकी जरूरत, विवाह हो तो उसकी जरूरत, फिर तुम्हारे बच्चे पैदा हो तो उसकी जरूरत, उसने तुम्हारी पूरी जिंदगी को जकड लिया है। वह मर जाने के बाद भी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ता, तीसरा करवाएगा, तेरहवी करवाएगा इतना ही नहीं, वह हर साल पितृ पक्ष में तुम्हारा शोषण करेगा, मर गए उनको भी नहीं छोड़ता, जिन्दा है तो उनको तो कैसे छोड़ सकता है। बुद्ध और महावीर ने इनकी चार वर्ण व्यवस्था तोड़ दी। बुद्ध का अर्थ होता है जो ब्राह्मणों पंडित पुरोहितों से मुक्त हो गया। और बुद्ध का कोई धर्म नहीं होता। ब्राह्मणों की व्यवस्था वर्ण पर खड़ी थी। चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र। जैसे ही कोई व्यक्ति बुद्ध होता है। वह वर्ण से बाहर हो जाता है। फिर उस पर कोई पाखंड लागु नहीं होता। बुद्ध ने हिन्दू वर्ण व्यवस्था को इस कदर तोडा, फिर भी पंडितों के लिए उन्हें इंकार करना कोई साधारण बात नहीं थी। बुद्ध की महानता ही इतनी है कि अगर बुद्ध को इंकार कर दो तो भारत की प्रतिभा क्षीण हो जाती है आज दुनिया में भारत की अगर कोई प्रतिष्ठा है तो उसमें हाथ बुद्ध का है। अगर सारा विश्व भारत को सम्मान की दृष्टि से देखता है तो केवल और केवल बुद्ध के कारण। आज भी भारतीय अपनी पहचान विश्व में बुद्ध और बुद्ध की धरती से कराते हैं। ताजा उदाहरण नरेन्द्र मोदी का ही ले लो । विदेश जाकर अपने हर भाषण मे बुद्ध का सहारा लेते हैं । क्योंकि राम कृष्ण विष्णु को बाहर देशों में कोई नही जानता। ब्राह्मणों के लिए बुद्ध को इंकार करना संभव न था। और ब्राह्मणों को इससे बचने की तरकीब निकाल ली। तरकीब यह थी की हिंदुओं ने बुद्ध को विष्णु का नौंवा अवतार ही घोषित कर दिया”*:::::::

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