🔥शूद्रो का शातिर दुश्मन कौन🔥
योगी और मोदी सरकार आने के बाद RSS &BHP काफी सक्रिय हो गई है और उनका पूरा एजेंडा आजकल मुसलमानो के प्रति नफरत फैला कर शूद्रो को हिन्दू बनाने और उनको एकजुट करने की कोशिश की जा रही है ।
शोसल मीडिया पर कभी शर्मा अलिखान बनकर हनुमान जी का अनादर करता है ,कभी बुर्का पहनकर मन्दिर मे मटन या मांस फेंकता है।कभी RSS की सदस्य पद्मावती हाथ मे कलावा पहने हुए बुर्का पहनकर मीडिया के सामने हनुमान चालीसा पढ़ती, गाय को चारा खिलाती, कभी आरती करती आदि कई रूपो मे मीडिया मे देखा गया है ।यह सभी कार्य बड़ी शान से बिना डर -लाज के किया जा रहा है क्योंकि पकड़े जाने पर सजा के बजाय उन्हे पुरस्कृत किया जाता है ।
हम यहा आकलन कर रहे है शातिर दुश्मन कौन? आज मेरी उम्र 67 की हो रही है । बचपन मे याद है एक देवकुर घर हुआ करता था। अनपढ़ गवार कोई भी पुरोहित ( पंडित ) हर एकादशी को शाम घर पर आता, पाव किलो देशी घी का हवन करता ।कुछ घी ले भी जाता था ।रूपये पैसे के अलावा दक्षिणा (चावल, आटा दाल) भी देना पड़ता था ।सभी छोटे बड़ो को तिलक लगाता और सभी लोग उसके पैर छूते और वह सबको आशीर्वाद देता था अर्थात सबको नीच बनाता था। बचपन मे कहानी भी सुनते थे "आन का आटा, आन का घी, शाबस -शाबस बाबा जी "
भगवान् के नाम पर एक सामाजिक धार्मिक परम्परा बन गई थी । इस तरह से ढोंगी पाखंडी काम, जैसे बच्चे के जन्म के समय मूर के रूप मे ,तो कभी नामकरण, कभी सत्यनारायण कथा आदि रूपो मे चलता रहता था । ब्राह्मण पाखंड ने हिन्दू धर्म मे जीवन पर्यन्त भरण पोषण का एक तरीका निकाला था जिसका नाम था "मां बाप का गुरू-मुख होना " इसके माध्यम से गुरु- मुख दम्पति की कमाई मे 25% की हर साल हिस्सेदारी देना और जब कभी गुरू-मुख पंडित जी सामने दिखाई दिए तो दंडवत प्रणाम करना अनिवार्य था अन्यथा अनर्थ होने का डर दिलो-दिमाग मे भर दिया गया था । दूध दही या कुछ दक्षिणा मांग दिया तो अपने बच्चे का हक्क मारकर उसको देना पहली प्राथमिकता होती थी । हमे याद आ रहा है आठवी (1966) तक हमलोगो (10 ) के साथ एक ब्राह्मण का लड़का भी पड़ता था वह कितना भी बदमाशी करता था, हमलोग उसे ,इस डर से कि बरम लगेगा, कभी उसे गाली या मारते नहीथे।
इसी तरह शादी -विवाह या मरने के बाद अन्तिम संस्कार मे भी भाज्ञ -भगवान्, पाप -पुन्य का डर और लालच दिखा कर जन्म से लेकर मरने तक आर्थिक, मानसिक, सामाजिक शोषण करता रहता है ।ब्राह्मण द्वारा अपने जजमान शूद्रो को नीच बनाकर उनका मनोबल गिराना और इस तरह उनको धार्मिक गुलाम बनाना, विश्व का सबसे बड़ा अपराध माना गया है ।
अफसोस हमलोग आज भी अज्ञानता और मूर्खता मे अपने पुर्वजो के अपराधियों को ही मान सम्मान देते चले आ रहे है ।
आज भी जब कभी मै गांव जाता हूं ,हमारे समकक्ष या छोटी उम्र का अनपढ़ गवार ब्राह्मण, सामने होने पर, जिज्ञासा भर यह उम्मीद करता है कि मै ही पहले उसे इज्जत देते हुए नमस्कार या पाय लागू बोलू ।
हिन्दू धर्म का मुख्य तत्व ज्ञान भी यही है कि ब्राह्मण सिर्फ मान सम्मान पाने का अधिकारी है, देने का नही ।
हमारा बचपन से लेकर आज तक मुसलमानो से नौकरी पेशा मे या सामाजिक जीवन चर्या मे हमेशा साथ रहा है। मै 1979 - 1998 तक मुस्लिम बहुल क्षेत्र जोगेश्वरी यादव नगर मे रहा हूं ।यादव नगर का अध्यक्ष होने के कारण भी मै यह दावा करता हूं कि, कभी किसी भी तरह से किसी को अनायास अपमानित नही किया है ।उल्टे जब भी सामना हुआ है ,हमे मान सम्मान और सहयोग ही दिया है और लिया भी है। कुछ असामाजिक तत्व तो हर समाज मे होते है, इसे नकारा नही जा सकता । कुछ लोग तो कुछ कारणो से इतने अच्छे होते है कि हम सोच नही सकते, जैसे ब्याज या सूद न लेना, दूध मे पानी न मिलाना, असहाय और गरीबो की यथाशक्ति मदद करना । मेरा साधारण अनुभव भी कहता है , यदि मुसलमानो के साथ राजनीतिक दुर्भावना, काश्मीर मसला और पर्सनल बाद -विबाद को न देखे ( जो कि हर परिवार मे भाई भतीजे के साथ सबसे ज्यादा होता है )तो कही कोसो दूर तक दुश्मनी का कारण नजर नही आता है ।
एक अनुभव शेयर करना उचित समझता हं।
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुम्बई मे 1993 मे हिन्दू -मुस्लिम दंगा हो गया। यादव नगर के साथ साथ कुछ और हिन्दू बस्ती चारो तरफ से मुस्लिम बस्ती से घिरी हुई थी । यादव नगर के हनुमान मंदिर और सगुफा बिल्डिंग के मस्जिद की दीवार कामन थी। बाहर से असमाजिक कुछ लोग आते थे, तरह तरह के अफवाह फैला कर दंगा कराने की कोशिश करते थे। एक ब्राह्मण भी आता था उसको बराबर जबाब देकर मै भगा देता था । हिन्दू -मुस्लिम शान्ति एकता कमेटी भी बन गई थी । जोगेश्वरी रेल्वे स्टेशन आने जाने के लिए करीब 500 मीटर मुस्लिम बस्ती से ही गुजरना पड़ता था ।किसी हिन्दू को कोई नुकसान न हो, मुस्लिम भाई पूरे रास्ते की चौकसी करते हुए सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए हुए थे । मै भी कुछ लोगो के साथ यादव नगर के बाहर चौराहे पर ही हर समय चौकसी करता था ।पूरी एरिया मे शान्ति थी ।एक बार पुलिस की गाड़ी आई, मै खुद सामने आकर अधिकारी से बात किया और कहा साहब यहा सब नार्मल है। इतना कहते ही डंडे चला दिया और कहा यह तुम्हारा काम नही है घर के बाहर मत निकलो । उनके इरादो को समझते हुए भी अपना फर्ज निभाया और यादव नगर मे दंगा भड़काने के लाख कोशिश के बाद भी कही किसी को एक खरोच तक नही आई।
ठीक है मान लिया स्वतंत्रता से पहले तुम्हारा मनु सम्विधान था। तुमने शूद्रो को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक तथाकथित हिन्दू बनाकर शोषण किया। लेकिन आज भी समता, समानता और बन्धुत्व पर आधारित शूद्रो के मूलभूत सम्वैधानिक अधिकारो का हनन और बिरोध भी ब्राह्मण ही करता है जबकि मुसलमान सहयोगी और हमदर्द हर मौके पर दिखाई देता है ।
अब आकलन आप को करना है कि शूद्रो का शातिर दुश्मन कौन है?
शूद्र शिवशंकर सिंह यादव
🔥ब्राह्मण उच्च क्यों और कैसे 🔥
सच तो यह है कि ब्राह्मणो द्वारा लिखित पौराणिक कथाए कपोल कल्पित है, फिर भी उन्ही की प्राचीन कथाओ से शंकर भगवान डोम आदिवासी (शूद्र ) जाति के थे, जिसकी ब्राह्मण भी पूजा करता है।भगवान् श्रीकृष्ण यादव कुल मे पैदा हुए । महाकवि बाल्मीकि जिन्होंने बाल्मीकि रामायण की रचना की जो मुसहर जाति, ये सभी शूद्र थे।
तुलसी के अनुसार राम भगवान् नही पुरूषोत्तम थे । जीवनी,चरित्र और आचरण की समीक्षा करने पर तो आज के साधारण इन्सान की भी झलक नही दिखाई देती है ।कहावत है ,अन्धो मे काना राजा, इसलिए ईगो के कारण किसी भगवान् का नही, नकली भगवान् पैदाकर उसकी पूजा पाठ और राम का मन्दिर बनाने के लिए सत्याग्रह किए जा रहे है ।
ऐतिहासिक परिदृश्य से आकलन करेगे तो, सैकड़ो साल तक मुगलो -मुसलमानो का शासन -प्रशासन रहा जिनका ब्राह्मण हमेशा गुलामी और उनके तलवे चाटता रहा। जबकि उसी समय ब्राह्मणो के बिरोध के बावजूद क्षत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज की स्थापना की, वे भी शूद्र जाति के थे।
संत कबीर, संत रविदास जिन्होंने अपनी बाणी से ब्राह्मण बाद पर कुठाराघात किया ।ज्योतिबा फुले, क्षत्रपति शाहू महाराज, पेरियार रामास्वामी नायकर और मान्यवर कांशीराम ,ये सभी महापुरुष शूद्र समाज मे ही पैदा हुए थे ।
करीब 300 सालो तक अंग्रेजो ने शासन किया जिसे ब्राह्मण उन्हे मलिच्छ (शूद्र ) कहा करते थे ,जिन्होंने ही आधुनिक बैज्ञानिक, प्रगतिशील भारत को स्वरूप दिया ।
स्वतंत्र भारत की या उससे पहले की बात करेंगे तो, बाबा साहब अम्बेडकर जैसे बिद्वान भारत मे आज तक कोई पैदाही नही हुआ।
आज तक भारत का इतिहास सिर्फ हारने का इतिहास रहा है । इस कलंक को धोने और जीतने का सेहरा भी बाबू जगजीवन राम जो चमार (शूद्र ) जाति के थे, रक्षा मंत्री के रूप मे बंगाला देश की जीत का ताज भी उन्ही को शुसोभित कर रहा है ।
आप खुद आकलन करे पूरे इतिहास मे ब्राह्मण कहा है? क्या इस वर्ण मे कोई तथाकथित भगवान् पैदा हुआ है, कोई महापुरुष पैदा हुआ है, कोई विद्वान, वैज्ञानिक पैदा हुआ है? कडुआ सत्य है, कही भी नही,कभी भी नही। फिर क्यो मान-सम्मान देते हो?
8वी सदी से लेकर आज तक पश्चिमी सभ्यता के बैज्ञानिको ने मानव व पशु प्राणी कल्याण और शुख सुविधा के लिए लाखो करोड़ो रिसर्च करते आ रहे है और
वही हमारे देश के हरामखोर, ढोंगी, पाखंडी, तथाकथित भगवान् को भी बेवकूफ बनाने वाले , ज्ञान पैदा करने और बांटने वाले , ब्रह्म को जानने और मुख से पैदा होने वाले ,चुन्नीधारी सिर्फ एक ही रिसर्च (इन्सान को कैसे बेवकूफ बनाया जाय) सैकड़ो साल से आजतक करते चले आ रहे है ।
शूद्र साथियो अब आंखे खोलो, इतिहास का आकलन करो, तर्क करो, काल्पनिक पाखंड और अन्धविश्वास क्यो और कैसे, आज क्यो नही ,चल साबित कर ,अन्यथा जूते---अब इसके अलावा कोई पर्याय नही है ।
यदि थोड़ी समझदारी आ जाए तो यह प्रतिज्ञा करे कि आज के बाद हम ब्राह्मण को मान, दान और मतदान बन्द कर देगे ।
😌मनूवाद और अम्बेडकरवाद😌
साथियो ब्राह्मणबाद (मनुबाद) इतना कमजोर नही है कि कोइ जादू की छड़ी चलाएगा और वह खत्म हो जाएगा। जबतक इस देश मे ब्राह्मण रहेगा तबतक ब्राह्मणबाद भी रहेगा और प्रतिक्रिया मे अम्बेडकरबाद को भी कोई खत्म नही कर सकता है।
"बाद" कुछ नही एक विचारधारा है, व्यक्तिपूजा या भगवान पूजा नही है। ब्राह्मण भी अम्बेडकरबादी हो सकता है और शुद्र भी मनुबादी होता है। यह इतना गहरा है कि इसको नापना असंभव है। हर इन्सान के ब्लड हारमौन्स मे, ऊंच-नींच, जाति-पाति, पाप-पुण्य ,सुख-दुख की विडम्बना के साथ घुस गया है। इसमे सुधार लाने के लिए सैकड़ों साल से न जाने कितने महापुरुषों ने कोशिश की तथा अपनी जिन्दगी दाव पर लगा दी है। कुछ के अभी तक हमे जानकारी मिली है । कबीर, रहीम , सन्त रोहिदास, पेरियार, फुले, साहू, बाबा साहेब, ललई सिह यादव, काशीराम आदि अनेक--- लेकिन उसका परिणाम आप के सामने है । बाबा साहेब ने अपने जमाने के सभी महापुरुषो के अनुभव, ज्ञान और उनके कार्य को हासिल करते हुए एक अपना विचार दिया और मनु के सम्विधान को जलाकर इस देश को समता, समानता और बन्धुत्व की विचारधारा देकर ब्राह्मणवाद के विरोध मे भारतीय संविधान दिया है।
बाबा साहेब ने मनुवाद के सिद्धांत पर आधारित हज़ारों कथा स्म्रिति वेद पुराण आदि काल्पनिक कथाओ को नकारते हुए हमे सकारात्मक, बौद्धिक, तार्किक और विज्ञान-शोधित विचारधारा दिया है। समाजबाद और मंडलबाद भी इसका ही एक अंश है । इसी विचारधारा को आजकल अम्बेडकरबाद कहा जाता है।
इस विचारधारा मे सभी महापुरुषो का योगदान है और सभी महापुरुष हमलोगो के लिए पूज्यनीय है ।महापुरुष की कोइ जाति नही होती है और महापुरुषो को जाति के आधार पर छोटा बड़ा नही देखना है। यही देखना तो ब्राह्मणबाद है।
मिशन *गर्व से कहो हम शूद्र है* यह पूर्ण रुप से अम्बेडकर बाद पर ही आधारित है और इसकी प्राथमिकता भी धीरे-धीरे देर - सबेर स्वीकार करने का मन बनाना चाहिए, तभी हम सफल हो सकते है। अन्यथा एक-दूसरे जातिओ के महापुरुष और भगवानो को ऊंच-नीच की एलर्जी लेकर लड़ते रह जाएगे।
यह मिशन एक दो सालो का नही है , कई पीढ़ियो तक का संघर्ष है और चलता रहेगा। आप यह भी याद रखिए कि स्वतंत्रता से पहले सैकड़ो साल से शूद्र समाज मे देवी-देवता,भाज्ञ-भगवान,वेद-पुराणो को मानते हुए कितने हाईस्कूल,इन्टर बीए थे, कितने डा० ईन्जीनियर थे, कितने IAS IPS IFS थे, कितने वैज्ञानिक तथा कितने देश-विदेश मे व्यापार करते थे। यह कड़ुआ सत्य है ,कुछ भी नही थे तो क्यो नही थे और कितनी शूद्र जातियो के महापुरुषो की जय बोली जाती थी। यह आज सभी मान-संमान और अधिकार साहेब के दिऐ हुए संविधान की वजह से है।
यदि शूद्र समाज को अपना खोया हुआ मान-सम्मान वापस प्राप्त करना है तो एकजुट होकर पूरी आक्रमता के साथ उसी के दिए हुए द्विधारी हथियार से ब्राह्मणवाद पर प्रहार करना होगा।
एक जुट होने के लिए सिर्फ अम्बेडकरबादी विचारधारा अपनाकर पूरे देश मे सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाना पड़ेगा। इसके बाद ही राजनीतिक परिवर्तन पूर्ण रुप से स्थाई हो सकता है। अनुभव को देखते हुए आने वाले समय मे ब्राह्मणबाद को टक्कर देने के लिए इसके अलावा दूसरा कोई बिकल्प नजर नही आ रहा है।
🔥क्या आप भगवान की
जन्मकुंडली जानते है?🔥
🔥पूरे विश्व मे सिर्फ, 002 % हिन्दू ही कई देवी -देवताओ और भगवानो (गाड्स ) की पूजा-पाठ करते और ब्राह्मण से करवाते रहते है ।
वैज्ञानिको द्वारा यह सत्य साबित हो गया है कि श्रृष्टि की संरचना समुद्र के पानी से ही शुरू हुई और समुद्र का पानी ही पृथ्वी के सभी भूभागो के सम्पर्क मे था । इसीलिए समान रूप से सभी भूभागो पर जीव जन्तु, पशु-पक्षी और बनिस्पतिया पैदा हुई।करोड़ो साल की प्रक्रिया के बाद बन्दर, बनमानुक फिर आदि मानव फिर मानव जाति की उत्पत्ति हुई है । कोलम्बस के नई दुनिया के खोज के पहले अमेरिका द्वीप और यूरोप के बीच किसी तरह का कोई सम्बन्ध नही था, यहा तक कि किसी तथाकथित भगवानो का भी नही था तो दोनो द्वीपो पर समान रूप से श्रृष्टि की रचना कौन किया ।चन्द्रमा पर कोई तथा कथित भगवान जीव पैदा क्यो नही किया, किसने रोका है?
तथाकथित भगवान मे विश्वास करने वालो से मै बार बार एक प्रश्न पूछता हूं (यदि आप या कोई जाड़े के दिन मे 10-12 दिन स्नान न करे और कपड़ा न बदले, तो शरीर मे एक जीव चिल्लर और सर के बालो मे ज्यू (ढील) पैदा हो जाते है । जरा सोचिए कौन पैदा करता है? आप या कोई भगवान? नही नेचर (प्रकृति )के द्वारा वैसे वातावरण बना तो जीव पैदा हो गया ।
अब भगवान के बारे मे मान्यताए देखिए ।
🔥मुसलमान अपने पैगंबर (गाड मैसेंजर ) मोहम्मद पैगम्बर की इबादत करते है ।यहां "अल्लाह हो अकबर" मतलब गाड इज ग्रेट" से है ।
🔥ईसाई भी अपने पैगम्बर (मैसेंजर ) ईसामसीह से दुवा और खुशहाली के लिए प्रार्थना करते है ।
🔥सिक्ख धर्म के लोग भी गुरु गोविंद साहब (गुरु) की गुरु वाणी से प्रार्थना करते है ।
🔥बुद्धिष्ट लोग भी गौतमबुद्ध (भगवान नही ) मैसेंजर की आदर भाव से प्रार्थना करते है ।
इसी तरह पूरी दुनिया मे धर्म गुरु, पैगम्बर या मैसेंजर ( गाड या भगवान के बिचारो को समाज तक पहुंचाने वाला ) की पूजा, अर्चना, प्रार्थना इबादत की जाती है और बदले मे कोई दान दक्षिणा या चढ़ावा नही ली जाती है ।
लेकिन हिन्दू धर्म का दुर्भाग्य है कि यहां ब्राह्मणी के पेट से जो भी अन्धा ,लंगड़ा, लूला ,पागल , बेवकूफ पैदा हो गया वे सभी मैसेंजर (पुजारी ) हो गये। जब सभी पुजारी हो गए तो स्वाभाविक है भगवान भी कई होने चाहिए। इसीलिये असली भगवान नही नकली हजारो देवी-देवताओ और भगवानो की पूजा करने और करवाने लगे तथा बदले मे पेट- पूजा के लिए दान दक्षिणा और चढ़ावा का प्रबंध करके भगवान् और भक्त दोनो को बेवकूफ बनाने लग गये।
योगी और मोदी सरकार आने के बाद RSS &BHP काफी सक्रिय हो गई है और उनका पूरा एजेंडा आजकल मुसलमानो के प्रति नफरत फैला कर शूद्रो को हिन्दू बनाने और उनको एकजुट करने की कोशिश की जा रही है ।
शोसल मीडिया पर कभी शर्मा अलिखान बनकर हनुमान जी का अनादर करता है ,कभी बुर्का पहनकर मन्दिर मे मटन या मांस फेंकता है।कभी RSS की सदस्य पद्मावती हाथ मे कलावा पहने हुए बुर्का पहनकर मीडिया के सामने हनुमान चालीसा पढ़ती, गाय को चारा खिलाती, कभी आरती करती आदि कई रूपो मे मीडिया मे देखा गया है ।यह सभी कार्य बड़ी शान से बिना डर -लाज के किया जा रहा है क्योंकि पकड़े जाने पर सजा के बजाय उन्हे पुरस्कृत किया जाता है ।
हम यहा आकलन कर रहे है शातिर दुश्मन कौन? आज मेरी उम्र 67 की हो रही है । बचपन मे याद है एक देवकुर घर हुआ करता था। अनपढ़ गवार कोई भी पुरोहित ( पंडित ) हर एकादशी को शाम घर पर आता, पाव किलो देशी घी का हवन करता ।कुछ घी ले भी जाता था ।रूपये पैसे के अलावा दक्षिणा (चावल, आटा दाल) भी देना पड़ता था ।सभी छोटे बड़ो को तिलक लगाता और सभी लोग उसके पैर छूते और वह सबको आशीर्वाद देता था अर्थात सबको नीच बनाता था। बचपन मे कहानी भी सुनते थे "आन का आटा, आन का घी, शाबस -शाबस बाबा जी "
भगवान् के नाम पर एक सामाजिक धार्मिक परम्परा बन गई थी । इस तरह से ढोंगी पाखंडी काम, जैसे बच्चे के जन्म के समय मूर के रूप मे ,तो कभी नामकरण, कभी सत्यनारायण कथा आदि रूपो मे चलता रहता था । ब्राह्मण पाखंड ने हिन्दू धर्म मे जीवन पर्यन्त भरण पोषण का एक तरीका निकाला था जिसका नाम था "मां बाप का गुरू-मुख होना " इसके माध्यम से गुरु- मुख दम्पति की कमाई मे 25% की हर साल हिस्सेदारी देना और जब कभी गुरू-मुख पंडित जी सामने दिखाई दिए तो दंडवत प्रणाम करना अनिवार्य था अन्यथा अनर्थ होने का डर दिलो-दिमाग मे भर दिया गया था । दूध दही या कुछ दक्षिणा मांग दिया तो अपने बच्चे का हक्क मारकर उसको देना पहली प्राथमिकता होती थी । हमे याद आ रहा है आठवी (1966) तक हमलोगो (10 ) के साथ एक ब्राह्मण का लड़का भी पड़ता था वह कितना भी बदमाशी करता था, हमलोग उसे ,इस डर से कि बरम लगेगा, कभी उसे गाली या मारते नहीथे।
इसी तरह शादी -विवाह या मरने के बाद अन्तिम संस्कार मे भी भाज्ञ -भगवान्, पाप -पुन्य का डर और लालच दिखा कर जन्म से लेकर मरने तक आर्थिक, मानसिक, सामाजिक शोषण करता रहता है ।ब्राह्मण द्वारा अपने जजमान शूद्रो को नीच बनाकर उनका मनोबल गिराना और इस तरह उनको धार्मिक गुलाम बनाना, विश्व का सबसे बड़ा अपराध माना गया है ।
अफसोस हमलोग आज भी अज्ञानता और मूर्खता मे अपने पुर्वजो के अपराधियों को ही मान सम्मान देते चले आ रहे है ।
आज भी जब कभी मै गांव जाता हूं ,हमारे समकक्ष या छोटी उम्र का अनपढ़ गवार ब्राह्मण, सामने होने पर, जिज्ञासा भर यह उम्मीद करता है कि मै ही पहले उसे इज्जत देते हुए नमस्कार या पाय लागू बोलू ।
हिन्दू धर्म का मुख्य तत्व ज्ञान भी यही है कि ब्राह्मण सिर्फ मान सम्मान पाने का अधिकारी है, देने का नही ।
हमारा बचपन से लेकर आज तक मुसलमानो से नौकरी पेशा मे या सामाजिक जीवन चर्या मे हमेशा साथ रहा है। मै 1979 - 1998 तक मुस्लिम बहुल क्षेत्र जोगेश्वरी यादव नगर मे रहा हूं ।यादव नगर का अध्यक्ष होने के कारण भी मै यह दावा करता हूं कि, कभी किसी भी तरह से किसी को अनायास अपमानित नही किया है ।उल्टे जब भी सामना हुआ है ,हमे मान सम्मान और सहयोग ही दिया है और लिया भी है। कुछ असामाजिक तत्व तो हर समाज मे होते है, इसे नकारा नही जा सकता । कुछ लोग तो कुछ कारणो से इतने अच्छे होते है कि हम सोच नही सकते, जैसे ब्याज या सूद न लेना, दूध मे पानी न मिलाना, असहाय और गरीबो की यथाशक्ति मदद करना । मेरा साधारण अनुभव भी कहता है , यदि मुसलमानो के साथ राजनीतिक दुर्भावना, काश्मीर मसला और पर्सनल बाद -विबाद को न देखे ( जो कि हर परिवार मे भाई भतीजे के साथ सबसे ज्यादा होता है )तो कही कोसो दूर तक दुश्मनी का कारण नजर नही आता है ।
एक अनुभव शेयर करना उचित समझता हं।
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुम्बई मे 1993 मे हिन्दू -मुस्लिम दंगा हो गया। यादव नगर के साथ साथ कुछ और हिन्दू बस्ती चारो तरफ से मुस्लिम बस्ती से घिरी हुई थी । यादव नगर के हनुमान मंदिर और सगुफा बिल्डिंग के मस्जिद की दीवार कामन थी। बाहर से असमाजिक कुछ लोग आते थे, तरह तरह के अफवाह फैला कर दंगा कराने की कोशिश करते थे। एक ब्राह्मण भी आता था उसको बराबर जबाब देकर मै भगा देता था । हिन्दू -मुस्लिम शान्ति एकता कमेटी भी बन गई थी । जोगेश्वरी रेल्वे स्टेशन आने जाने के लिए करीब 500 मीटर मुस्लिम बस्ती से ही गुजरना पड़ता था ।किसी हिन्दू को कोई नुकसान न हो, मुस्लिम भाई पूरे रास्ते की चौकसी करते हुए सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए हुए थे । मै भी कुछ लोगो के साथ यादव नगर के बाहर चौराहे पर ही हर समय चौकसी करता था ।पूरी एरिया मे शान्ति थी ।एक बार पुलिस की गाड़ी आई, मै खुद सामने आकर अधिकारी से बात किया और कहा साहब यहा सब नार्मल है। इतना कहते ही डंडे चला दिया और कहा यह तुम्हारा काम नही है घर के बाहर मत निकलो । उनके इरादो को समझते हुए भी अपना फर्ज निभाया और यादव नगर मे दंगा भड़काने के लाख कोशिश के बाद भी कही किसी को एक खरोच तक नही आई।
ठीक है मान लिया स्वतंत्रता से पहले तुम्हारा मनु सम्विधान था। तुमने शूद्रो को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक तथाकथित हिन्दू बनाकर शोषण किया। लेकिन आज भी समता, समानता और बन्धुत्व पर आधारित शूद्रो के मूलभूत सम्वैधानिक अधिकारो का हनन और बिरोध भी ब्राह्मण ही करता है जबकि मुसलमान सहयोगी और हमदर्द हर मौके पर दिखाई देता है ।
अब आकलन आप को करना है कि शूद्रो का शातिर दुश्मन कौन है?
शूद्र शिवशंकर सिंह यादव
🔥ब्राह्मण उच्च क्यों और कैसे 🔥
सच तो यह है कि ब्राह्मणो द्वारा लिखित पौराणिक कथाए कपोल कल्पित है, फिर भी उन्ही की प्राचीन कथाओ से शंकर भगवान डोम आदिवासी (शूद्र ) जाति के थे, जिसकी ब्राह्मण भी पूजा करता है।भगवान् श्रीकृष्ण यादव कुल मे पैदा हुए । महाकवि बाल्मीकि जिन्होंने बाल्मीकि रामायण की रचना की जो मुसहर जाति, ये सभी शूद्र थे।
तुलसी के अनुसार राम भगवान् नही पुरूषोत्तम थे । जीवनी,चरित्र और आचरण की समीक्षा करने पर तो आज के साधारण इन्सान की भी झलक नही दिखाई देती है ।कहावत है ,अन्धो मे काना राजा, इसलिए ईगो के कारण किसी भगवान् का नही, नकली भगवान् पैदाकर उसकी पूजा पाठ और राम का मन्दिर बनाने के लिए सत्याग्रह किए जा रहे है ।
ऐतिहासिक परिदृश्य से आकलन करेगे तो, सैकड़ो साल तक मुगलो -मुसलमानो का शासन -प्रशासन रहा जिनका ब्राह्मण हमेशा गुलामी और उनके तलवे चाटता रहा। जबकि उसी समय ब्राह्मणो के बिरोध के बावजूद क्षत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज की स्थापना की, वे भी शूद्र जाति के थे।
संत कबीर, संत रविदास जिन्होंने अपनी बाणी से ब्राह्मण बाद पर कुठाराघात किया ।ज्योतिबा फुले, क्षत्रपति शाहू महाराज, पेरियार रामास्वामी नायकर और मान्यवर कांशीराम ,ये सभी महापुरुष शूद्र समाज मे ही पैदा हुए थे ।
करीब 300 सालो तक अंग्रेजो ने शासन किया जिसे ब्राह्मण उन्हे मलिच्छ (शूद्र ) कहा करते थे ,जिन्होंने ही आधुनिक बैज्ञानिक, प्रगतिशील भारत को स्वरूप दिया ।
स्वतंत्र भारत की या उससे पहले की बात करेंगे तो, बाबा साहब अम्बेडकर जैसे बिद्वान भारत मे आज तक कोई पैदाही नही हुआ।
आज तक भारत का इतिहास सिर्फ हारने का इतिहास रहा है । इस कलंक को धोने और जीतने का सेहरा भी बाबू जगजीवन राम जो चमार (शूद्र ) जाति के थे, रक्षा मंत्री के रूप मे बंगाला देश की जीत का ताज भी उन्ही को शुसोभित कर रहा है ।
आप खुद आकलन करे पूरे इतिहास मे ब्राह्मण कहा है? क्या इस वर्ण मे कोई तथाकथित भगवान् पैदा हुआ है, कोई महापुरुष पैदा हुआ है, कोई विद्वान, वैज्ञानिक पैदा हुआ है? कडुआ सत्य है, कही भी नही,कभी भी नही। फिर क्यो मान-सम्मान देते हो?
8वी सदी से लेकर आज तक पश्चिमी सभ्यता के बैज्ञानिको ने मानव व पशु प्राणी कल्याण और शुख सुविधा के लिए लाखो करोड़ो रिसर्च करते आ रहे है और
वही हमारे देश के हरामखोर, ढोंगी, पाखंडी, तथाकथित भगवान् को भी बेवकूफ बनाने वाले , ज्ञान पैदा करने और बांटने वाले , ब्रह्म को जानने और मुख से पैदा होने वाले ,चुन्नीधारी सिर्फ एक ही रिसर्च (इन्सान को कैसे बेवकूफ बनाया जाय) सैकड़ो साल से आजतक करते चले आ रहे है ।
शूद्र साथियो अब आंखे खोलो, इतिहास का आकलन करो, तर्क करो, काल्पनिक पाखंड और अन्धविश्वास क्यो और कैसे, आज क्यो नही ,चल साबित कर ,अन्यथा जूते---अब इसके अलावा कोई पर्याय नही है ।
यदि थोड़ी समझदारी आ जाए तो यह प्रतिज्ञा करे कि आज के बाद हम ब्राह्मण को मान, दान और मतदान बन्द कर देगे ।
😌मनूवाद और अम्बेडकरवाद😌
साथियो ब्राह्मणबाद (मनुबाद) इतना कमजोर नही है कि कोइ जादू की छड़ी चलाएगा और वह खत्म हो जाएगा। जबतक इस देश मे ब्राह्मण रहेगा तबतक ब्राह्मणबाद भी रहेगा और प्रतिक्रिया मे अम्बेडकरबाद को भी कोई खत्म नही कर सकता है।
"बाद" कुछ नही एक विचारधारा है, व्यक्तिपूजा या भगवान पूजा नही है। ब्राह्मण भी अम्बेडकरबादी हो सकता है और शुद्र भी मनुबादी होता है। यह इतना गहरा है कि इसको नापना असंभव है। हर इन्सान के ब्लड हारमौन्स मे, ऊंच-नींच, जाति-पाति, पाप-पुण्य ,सुख-दुख की विडम्बना के साथ घुस गया है। इसमे सुधार लाने के लिए सैकड़ों साल से न जाने कितने महापुरुषों ने कोशिश की तथा अपनी जिन्दगी दाव पर लगा दी है। कुछ के अभी तक हमे जानकारी मिली है । कबीर, रहीम , सन्त रोहिदास, पेरियार, फुले, साहू, बाबा साहेब, ललई सिह यादव, काशीराम आदि अनेक--- लेकिन उसका परिणाम आप के सामने है । बाबा साहेब ने अपने जमाने के सभी महापुरुषो के अनुभव, ज्ञान और उनके कार्य को हासिल करते हुए एक अपना विचार दिया और मनु के सम्विधान को जलाकर इस देश को समता, समानता और बन्धुत्व की विचारधारा देकर ब्राह्मणवाद के विरोध मे भारतीय संविधान दिया है।
बाबा साहेब ने मनुवाद के सिद्धांत पर आधारित हज़ारों कथा स्म्रिति वेद पुराण आदि काल्पनिक कथाओ को नकारते हुए हमे सकारात्मक, बौद्धिक, तार्किक और विज्ञान-शोधित विचारधारा दिया है। समाजबाद और मंडलबाद भी इसका ही एक अंश है । इसी विचारधारा को आजकल अम्बेडकरबाद कहा जाता है।
इस विचारधारा मे सभी महापुरुषो का योगदान है और सभी महापुरुष हमलोगो के लिए पूज्यनीय है ।महापुरुष की कोइ जाति नही होती है और महापुरुषो को जाति के आधार पर छोटा बड़ा नही देखना है। यही देखना तो ब्राह्मणबाद है।
मिशन *गर्व से कहो हम शूद्र है* यह पूर्ण रुप से अम्बेडकर बाद पर ही आधारित है और इसकी प्राथमिकता भी धीरे-धीरे देर - सबेर स्वीकार करने का मन बनाना चाहिए, तभी हम सफल हो सकते है। अन्यथा एक-दूसरे जातिओ के महापुरुष और भगवानो को ऊंच-नीच की एलर्जी लेकर लड़ते रह जाएगे।
यह मिशन एक दो सालो का नही है , कई पीढ़ियो तक का संघर्ष है और चलता रहेगा। आप यह भी याद रखिए कि स्वतंत्रता से पहले सैकड़ो साल से शूद्र समाज मे देवी-देवता,भाज्ञ-भगवान,वेद-पुराणो को मानते हुए कितने हाईस्कूल,इन्टर बीए थे, कितने डा० ईन्जीनियर थे, कितने IAS IPS IFS थे, कितने वैज्ञानिक तथा कितने देश-विदेश मे व्यापार करते थे। यह कड़ुआ सत्य है ,कुछ भी नही थे तो क्यो नही थे और कितनी शूद्र जातियो के महापुरुषो की जय बोली जाती थी। यह आज सभी मान-संमान और अधिकार साहेब के दिऐ हुए संविधान की वजह से है।
यदि शूद्र समाज को अपना खोया हुआ मान-सम्मान वापस प्राप्त करना है तो एकजुट होकर पूरी आक्रमता के साथ उसी के दिए हुए द्विधारी हथियार से ब्राह्मणवाद पर प्रहार करना होगा।
एक जुट होने के लिए सिर्फ अम्बेडकरबादी विचारधारा अपनाकर पूरे देश मे सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाना पड़ेगा। इसके बाद ही राजनीतिक परिवर्तन पूर्ण रुप से स्थाई हो सकता है। अनुभव को देखते हुए आने वाले समय मे ब्राह्मणबाद को टक्कर देने के लिए इसके अलावा दूसरा कोई बिकल्प नजर नही आ रहा है।
🔥क्या आप भगवान की
जन्मकुंडली जानते है?🔥
🔥पूरे विश्व मे सिर्फ, 002 % हिन्दू ही कई देवी -देवताओ और भगवानो (गाड्स ) की पूजा-पाठ करते और ब्राह्मण से करवाते रहते है ।
वैज्ञानिको द्वारा यह सत्य साबित हो गया है कि श्रृष्टि की संरचना समुद्र के पानी से ही शुरू हुई और समुद्र का पानी ही पृथ्वी के सभी भूभागो के सम्पर्क मे था । इसीलिए समान रूप से सभी भूभागो पर जीव जन्तु, पशु-पक्षी और बनिस्पतिया पैदा हुई।करोड़ो साल की प्रक्रिया के बाद बन्दर, बनमानुक फिर आदि मानव फिर मानव जाति की उत्पत्ति हुई है । कोलम्बस के नई दुनिया के खोज के पहले अमेरिका द्वीप और यूरोप के बीच किसी तरह का कोई सम्बन्ध नही था, यहा तक कि किसी तथाकथित भगवानो का भी नही था तो दोनो द्वीपो पर समान रूप से श्रृष्टि की रचना कौन किया ।चन्द्रमा पर कोई तथा कथित भगवान जीव पैदा क्यो नही किया, किसने रोका है?
तथाकथित भगवान मे विश्वास करने वालो से मै बार बार एक प्रश्न पूछता हूं (यदि आप या कोई जाड़े के दिन मे 10-12 दिन स्नान न करे और कपड़ा न बदले, तो शरीर मे एक जीव चिल्लर और सर के बालो मे ज्यू (ढील) पैदा हो जाते है । जरा सोचिए कौन पैदा करता है? आप या कोई भगवान? नही नेचर (प्रकृति )के द्वारा वैसे वातावरण बना तो जीव पैदा हो गया ।
अब भगवान के बारे मे मान्यताए देखिए ।
🔥मुसलमान अपने पैगंबर (गाड मैसेंजर ) मोहम्मद पैगम्बर की इबादत करते है ।यहां "अल्लाह हो अकबर" मतलब गाड इज ग्रेट" से है ।
🔥ईसाई भी अपने पैगम्बर (मैसेंजर ) ईसामसीह से दुवा और खुशहाली के लिए प्रार्थना करते है ।
🔥सिक्ख धर्म के लोग भी गुरु गोविंद साहब (गुरु) की गुरु वाणी से प्रार्थना करते है ।
🔥बुद्धिष्ट लोग भी गौतमबुद्ध (भगवान नही ) मैसेंजर की आदर भाव से प्रार्थना करते है ।
इसी तरह पूरी दुनिया मे धर्म गुरु, पैगम्बर या मैसेंजर ( गाड या भगवान के बिचारो को समाज तक पहुंचाने वाला ) की पूजा, अर्चना, प्रार्थना इबादत की जाती है और बदले मे कोई दान दक्षिणा या चढ़ावा नही ली जाती है ।
लेकिन हिन्दू धर्म का दुर्भाग्य है कि यहां ब्राह्मणी के पेट से जो भी अन्धा ,लंगड़ा, लूला ,पागल , बेवकूफ पैदा हो गया वे सभी मैसेंजर (पुजारी ) हो गये। जब सभी पुजारी हो गए तो स्वाभाविक है भगवान भी कई होने चाहिए। इसीलिये असली भगवान नही नकली हजारो देवी-देवताओ और भगवानो की पूजा करने और करवाने लगे तथा बदले मे पेट- पूजा के लिए दान दक्षिणा और चढ़ावा का प्रबंध करके भगवान् और भक्त दोनो को बेवकूफ बनाने लग गये।
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