अक्ल के अंधो , देख लो .
पहले तो टीवी देखकर चौंक गया कि लखनऊ में स्मृति उपवन किधर है .बाद में पता चला कि यह स्मृति उपवन नहीं कांशीराम जी स्मृति उपवन है .
एक साथ सारे मिडिया में सहमति कैसे बन गयी कि कांशीराम जी स्मृति उपवन से केवल कांशीराम को निकाल कर बोलना है .उसे कांशीराम जी स्मृति उपवन नहीं ,बल्कि केवल स्मृति उपवन बोलना है . सोच लो इन ब्राह्मणवादियों का सोच कितना संगठित है .ये अगर कहें कि ई वी एम में घोटाला नहीं हुआ तो तुम मान लोगे ? आंख के सामने मनुवादी मीडिया वाले नाम में घोटाला कर दे रहे हैं और किसी को पता तक नहीं चलने दे रहे हैं कि असल में स्मृति उपवन का पूरा नाम कांशी राम जी स्मृति उपवन है ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शपथ ग्रहण समारोह स्थल का पूरा नाम लेते तो बहुजन जननायक मान्यवर कांशी राम साहब का नाम बार बार लेना पड़ता जिससे कि पूरे देश में यह एक संदेश के रूप में प्रचारित होता कि इतना बड़ा लोकस्थल किसी बहुजन समाज के जननायक के नाम पर बना है जो उनकी बहुजनों के लिए किये गये त्याग व तपस्या को दर्शाने के साथ यह भी प्रचारित करना पड़ता कि वास्तविक में इतना बड़ा लोक उपवन बहन मायावती जी के शासन काल में उनके द्वारा बनाये गये जो बहन मायावती जी के बहुजन समाज के प्रति सशक्त राजनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है जो कि यह मनुवादी मीडिया नहीं चाहता था और सारे मनुवादी मीडिया ने मिलकर मनुवादी सरकार के इशारे पर पिछले तीन दिनों से कांशी राम जी स्मृति उपवन को केवल स्मृति उपवन के नाम से ही प्रचारित करने का काम करते रहे।
चोट्टा मिडिया . सब केवल स्मृति उपवन बता रहा है क्योंकि कांशीराम साहब के नाम से ही मनुवादी मीडिया व मनुवादी सरकारों को डर लगने लग जाता है और नहीं तो क्या ?
21वीं सदी का भारत और शूद्रों की दशा-
1. मुख्यमंत्री आवास के शुद्धिकरण का आडंबर-
भाजपा से मुख्यमंत्री पहले भी बने लेकिन किसी ने भी ने मुख्यमंत्री आवास के शुद्धिकरण का इस कदर आडंबर नही किया।
क्योंकि यहाँ पिछड़े वर्ग से हाल ही के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और अनुसूचित जाति वर्ग से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी रह चुकी हैं।
भाजपा के नेताओं द्वारा पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग को किस तरह का संकेत है??
2. कांशीराम स्मृति उपवन के बजाय खाली "स्मृति उपवन" का उच्चारण
भाजपा मुख्यमंत्री शपथ समारोह में "कांशीराम स्मृति उपवन" के बजाय खाली "स्मृति उपवन" का उच्चारण करना किस मानसिकता का संकेत है?
3. चुनावी रणनीति
चुनाव में मुस्लिमों का डर दिखाकर वोटों का धुव्रीकरण करते समय भाजपा सभी वर्गों को हिन्दू हिन्दू का हल्ला मचाकर एकजुट कर लेती हैं और सम्मान और पद देते समय उनकी जातियाँ देखी जाती हैं।
जैसे पिछड़े वर्ग से मौर्य और अनुसूचित जाति वर्ग नेताओं के साथ अनदेखी हुई।
लोकतंत्र में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग को किस तरह का संकेत है??
यादव एक 'अशुद्ध' जाति है!
क्या यादव जाति को इससे पहले कभी लगा था कि वह एक 'अशुद्ध' जाति है? अगर लगा था, तो मुझे नहीं पता! और नहीं लगा था तो वैदिक आचार्य रामअनुज त्रिपाठी के नेतृत्व में पांच पंडों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहुंचने से पहले उनके लिए मुख्यमंत्री आवास का 'शुद्धिकरण' करा दिया है तो अब पता हो जाना चाहिए! पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रहने से वह आवास 'अशुद्ध' हो गया था, इसलिए उसका शुद्धिकरण करवाया गया!
ब्राह्मणों ने जान की बाजी लगा कर अपनी पंडा व्यवस्था को बचाए रखने वाली क्षत्रिय जाति की 'शुद्धता' का खयाल हमेशा रखा है...!
बहरहाल, यह अब पुरानी खबर है! उम्मीद है कि चारों तरफ पसरी इस खबर पर यादव जाति से आने वाले तमाम बुद्धिजीवियों की भी नजर पड़ी होगी और उनमें से कुछ जो भाजपा की जीत के बाद पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री के लिए अभियान चला रहे थे, उन्हें यह अहसास हो रहा होगा कि हिंदू जाति-व्यवस्था में केवल उनसे 'नीचे' कही जाने वाली जातियां ही 'अशुद्ध' नहीं हैं, गैर-ब्राह्मण और ज्यादा से ज्यादा गैर-सवर्ण सभी जातियां 'अशुद्ध' हैं... ओबीसी में ऊंचे पायदान पर होने के बावजूद यादव भी 'अशुद्ध' है..! बिना इस 'शुद्ध' जाति और 'अशुद्ध' जाति की व्यवस्था के ब्राह्मण-धर्म जिंदा ही नहीं रह सकता...!
पता नहीं, उस मंच के शुद्धिकरण की क्या व्यवस्था थी, जिस पर मुलायम सिंह यादव मोदी से कान में कुछ बतिया रहे थे... धुरंधरों के पीछे दबे-छिपे हुए इनके साथ हवा में हाथ लहरा रहे थे...! वहां शायद 'डिजिटल शुद्धिकरण' हो रहा होगा...!
पहले तो टीवी देखकर चौंक गया कि लखनऊ में स्मृति उपवन किधर है .बाद में पता चला कि यह स्मृति उपवन नहीं कांशीराम जी स्मृति उपवन है .
एक साथ सारे मिडिया में सहमति कैसे बन गयी कि कांशीराम जी स्मृति उपवन से केवल कांशीराम को निकाल कर बोलना है .उसे कांशीराम जी स्मृति उपवन नहीं ,बल्कि केवल स्मृति उपवन बोलना है . सोच लो इन ब्राह्मणवादियों का सोच कितना संगठित है .ये अगर कहें कि ई वी एम में घोटाला नहीं हुआ तो तुम मान लोगे ? आंख के सामने मनुवादी मीडिया वाले नाम में घोटाला कर दे रहे हैं और किसी को पता तक नहीं चलने दे रहे हैं कि असल में स्मृति उपवन का पूरा नाम कांशी राम जी स्मृति उपवन है ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शपथ ग्रहण समारोह स्थल का पूरा नाम लेते तो बहुजन जननायक मान्यवर कांशी राम साहब का नाम बार बार लेना पड़ता जिससे कि पूरे देश में यह एक संदेश के रूप में प्रचारित होता कि इतना बड़ा लोकस्थल किसी बहुजन समाज के जननायक के नाम पर बना है जो उनकी बहुजनों के लिए किये गये त्याग व तपस्या को दर्शाने के साथ यह भी प्रचारित करना पड़ता कि वास्तविक में इतना बड़ा लोक उपवन बहन मायावती जी के शासन काल में उनके द्वारा बनाये गये जो बहन मायावती जी के बहुजन समाज के प्रति सशक्त राजनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है जो कि यह मनुवादी मीडिया नहीं चाहता था और सारे मनुवादी मीडिया ने मिलकर मनुवादी सरकार के इशारे पर पिछले तीन दिनों से कांशी राम जी स्मृति उपवन को केवल स्मृति उपवन के नाम से ही प्रचारित करने का काम करते रहे।
चोट्टा मिडिया . सब केवल स्मृति उपवन बता रहा है क्योंकि कांशीराम साहब के नाम से ही मनुवादी मीडिया व मनुवादी सरकारों को डर लगने लग जाता है और नहीं तो क्या ?
21वीं सदी का भारत और शूद्रों की दशा-
1. मुख्यमंत्री आवास के शुद्धिकरण का आडंबर-
भाजपा से मुख्यमंत्री पहले भी बने लेकिन किसी ने भी ने मुख्यमंत्री आवास के शुद्धिकरण का इस कदर आडंबर नही किया।
क्योंकि यहाँ पिछड़े वर्ग से हाल ही के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और अनुसूचित जाति वर्ग से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी रह चुकी हैं।
भाजपा के नेताओं द्वारा पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग को किस तरह का संकेत है??
2. कांशीराम स्मृति उपवन के बजाय खाली "स्मृति उपवन" का उच्चारण
भाजपा मुख्यमंत्री शपथ समारोह में "कांशीराम स्मृति उपवन" के बजाय खाली "स्मृति उपवन" का उच्चारण करना किस मानसिकता का संकेत है?
3. चुनावी रणनीति
चुनाव में मुस्लिमों का डर दिखाकर वोटों का धुव्रीकरण करते समय भाजपा सभी वर्गों को हिन्दू हिन्दू का हल्ला मचाकर एकजुट कर लेती हैं और सम्मान और पद देते समय उनकी जातियाँ देखी जाती हैं।
जैसे पिछड़े वर्ग से मौर्य और अनुसूचित जाति वर्ग नेताओं के साथ अनदेखी हुई।
लोकतंत्र में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग को किस तरह का संकेत है??
यादव एक 'अशुद्ध' जाति है!
क्या यादव जाति को इससे पहले कभी लगा था कि वह एक 'अशुद्ध' जाति है? अगर लगा था, तो मुझे नहीं पता! और नहीं लगा था तो वैदिक आचार्य रामअनुज त्रिपाठी के नेतृत्व में पांच पंडों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहुंचने से पहले उनके लिए मुख्यमंत्री आवास का 'शुद्धिकरण' करा दिया है तो अब पता हो जाना चाहिए! पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रहने से वह आवास 'अशुद्ध' हो गया था, इसलिए उसका शुद्धिकरण करवाया गया!
ब्राह्मणों ने जान की बाजी लगा कर अपनी पंडा व्यवस्था को बचाए रखने वाली क्षत्रिय जाति की 'शुद्धता' का खयाल हमेशा रखा है...!
बहरहाल, यह अब पुरानी खबर है! उम्मीद है कि चारों तरफ पसरी इस खबर पर यादव जाति से आने वाले तमाम बुद्धिजीवियों की भी नजर पड़ी होगी और उनमें से कुछ जो भाजपा की जीत के बाद पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री के लिए अभियान चला रहे थे, उन्हें यह अहसास हो रहा होगा कि हिंदू जाति-व्यवस्था में केवल उनसे 'नीचे' कही जाने वाली जातियां ही 'अशुद्ध' नहीं हैं, गैर-ब्राह्मण और ज्यादा से ज्यादा गैर-सवर्ण सभी जातियां 'अशुद्ध' हैं... ओबीसी में ऊंचे पायदान पर होने के बावजूद यादव भी 'अशुद्ध' है..! बिना इस 'शुद्ध' जाति और 'अशुद्ध' जाति की व्यवस्था के ब्राह्मण-धर्म जिंदा ही नहीं रह सकता...!
पता नहीं, उस मंच के शुद्धिकरण की क्या व्यवस्था थी, जिस पर मुलायम सिंह यादव मोदी से कान में कुछ बतिया रहे थे... धुरंधरों के पीछे दबे-छिपे हुए इनके साथ हवा में हाथ लहरा रहे थे...! वहां शायद 'डिजिटल शुद्धिकरण' हो रहा होगा...!
No comments:
Post a Comment