भारत का रतन केवल पंडा,पूजारीओंही है ???
आदिवासी नक्सलवादी है
मुसलमान आतंकवादी है
दलित आरक्षणवादी है
OBC जातिवादी है
मतलब 85 प्रतिशत लोग राष्ट्र की एकता और अखंडता
को खतरा है !
6 प्रतिशत बनिया समानतावादी है
6प्रतिशत राजपूत समाजवादी है
और
3 प्रतिशत ब्राह्मण सच्चे राष्ट्रवादी है
तो भारत रतन के असली हक़दार भी यही हुए !
भारत के अर्थमंत्री ने जारी किये गए एक रिपोर्ट के
अनुसार
देश की सालाना आय 1 लाख करोड़ से ज्यादा हैं और
भारत के मंदिरों की सालाना आय 22 लाख 50 हजार
करोड़ रूपये
हैं ।
मतलब देश आर्थिक उत्पन्न से कई गुना ज्यादा
भारत सरकार के पास
3 हजार 250 टन सोना पड़ा हैं
मंदिरों में 30,000 टन सोना पड़ा हैं
( ये दुनिया के बाकि देशो से ज्यादा हैं अमीरीका के
पास भी इतना सोना नहीं हैं )
-विदेशी देशो का हमारे देश पे 15 लाख करोड़ का
कर्जा हैं
देश के अकेले केरल स्थित पद्यनाम मंदिर में 25 करोड़ से
ज्यादा संपत्ति जमा हैं '
मतलब देश का अकेला मंदिर देश का कर्जा चुकाने में
सक्षम हैं ।
ऐसे ही शिर्डी, तिरुपति बालाजी,
सिद्दिविनायक , जैसे बिग बजेट वाले मंदिर भारत में
हैं ।
इन मंदिरों में अरबो - करोडो का सम्पत्ति हैं ।
शिर्डी के साईबाबा मदिर में गए 5 साल में डेढ हजार
करोड़ मिले हैं l मंदिर में पैसो के साथ साथ हजारो
एकर जमीन , हीरे , सोना , बोहत सी संपत्ति हैं
इन सब का पैसो का हिसाब लगाया जाय तो
calculator भी कुछ देर के लिए चकरा जायेगा।
जागतिक बैंक के रिपोर्ट के अनुसार --भारत के कुल लोक
संख्या के हिसाब से 41.6 लोग अभी भी गरीबी में
जीवन बसर कर रहे हैं ।
उनकी रोज की आय 20 ₹ से ज्यादा नहीं ।
National Council Of Uplide Economic
के रिपोर्ट के अनुसार देश के 11 करोड़ 50 लाख
परिवारों के एक माह का इनकम साडे सात हजार से
कम हैं ।
सेन गुप्ता रिपोर्ट के अनुसार देशातील 70% लोगो
का रोज की उत्पन्न 20 ₹ हैं।
एक तरफ देश के मंदिरों में पैसा पड़ा हैं वही दूसरी तरफ
देश के लोग भुखमरी के कगार पर हैं ।
कुछ लोग स्विच बैंक में पड़े काले लाने के पीछे पड़े हैं ।
मगर उन्हें मंदिरों में सड रहा पिला धन नजर नहीं आ
रहा !
स्विस बैंक में भारत का करीबन 2.8 लाख करोड़ ₹ है
ऐसा अंदाज लगाया जा रहा है ।
मंदिरों के धन के सामने काला धन कुछ भी नहीं ।
स्विस बैंक से काला धन जरुर लाये पहले मंदिरों में पड़े धन
निकालने की जरुरत हैं ।
गँभीरता से विचार करें।
सोचो और देश के आर्थिक परिस्थिती के अनुसार
फैसला लेँ।
ये बात वो सभी को भी पता है लेकिन वो इस बात पर
कभी नही बोलते l
इन्ही कारणों से मैं ब्राह्मणवाद का विरोधी हूँ।
🎯 ज्ञान का द्वीप जलाओ
आदिवासी नक्सलवादी है
मुसलमान आतंकवादी है
दलित आरक्षणवादी है
OBC जातिवादी है
मतलब 85 प्रतिशत लोग राष्ट्र की एकता और अखंडता
को खतरा है !
6 प्रतिशत बनिया समानतावादी है
6प्रतिशत राजपूत समाजवादी है
और
3 प्रतिशत ब्राह्मण सच्चे राष्ट्रवादी है
तो भारत रतन के असली हक़दार भी यही हुए !
भारत के अर्थमंत्री ने जारी किये गए एक रिपोर्ट के
अनुसार
देश की सालाना आय 1 लाख करोड़ से ज्यादा हैं और
भारत के मंदिरों की सालाना आय 22 लाख 50 हजार
करोड़ रूपये
हैं ।
मतलब देश आर्थिक उत्पन्न से कई गुना ज्यादा
भारत सरकार के पास
3 हजार 250 टन सोना पड़ा हैं
मंदिरों में 30,000 टन सोना पड़ा हैं
( ये दुनिया के बाकि देशो से ज्यादा हैं अमीरीका के
पास भी इतना सोना नहीं हैं )
-विदेशी देशो का हमारे देश पे 15 लाख करोड़ का
कर्जा हैं
देश के अकेले केरल स्थित पद्यनाम मंदिर में 25 करोड़ से
ज्यादा संपत्ति जमा हैं '
मतलब देश का अकेला मंदिर देश का कर्जा चुकाने में
सक्षम हैं ।
ऐसे ही शिर्डी, तिरुपति बालाजी,
सिद्दिविनायक , जैसे बिग बजेट वाले मंदिर भारत में
हैं ।
इन मंदिरों में अरबो - करोडो का सम्पत्ति हैं ।
शिर्डी के साईबाबा मदिर में गए 5 साल में डेढ हजार
करोड़ मिले हैं l मंदिर में पैसो के साथ साथ हजारो
एकर जमीन , हीरे , सोना , बोहत सी संपत्ति हैं
इन सब का पैसो का हिसाब लगाया जाय तो
calculator भी कुछ देर के लिए चकरा जायेगा।
जागतिक बैंक के रिपोर्ट के अनुसार --भारत के कुल लोक
संख्या के हिसाब से 41.6 लोग अभी भी गरीबी में
जीवन बसर कर रहे हैं ।
उनकी रोज की आय 20 ₹ से ज्यादा नहीं ।
National Council Of Uplide Economic
के रिपोर्ट के अनुसार देश के 11 करोड़ 50 लाख
परिवारों के एक माह का इनकम साडे सात हजार से
कम हैं ।
सेन गुप्ता रिपोर्ट के अनुसार देशातील 70% लोगो
का रोज की उत्पन्न 20 ₹ हैं।
एक तरफ देश के मंदिरों में पैसा पड़ा हैं वही दूसरी तरफ
देश के लोग भुखमरी के कगार पर हैं ।
कुछ लोग स्विच बैंक में पड़े काले लाने के पीछे पड़े हैं ।
मगर उन्हें मंदिरों में सड रहा पिला धन नजर नहीं आ
रहा !
स्विस बैंक में भारत का करीबन 2.8 लाख करोड़ ₹ है
ऐसा अंदाज लगाया जा रहा है ।
मंदिरों के धन के सामने काला धन कुछ भी नहीं ।
स्विस बैंक से काला धन जरुर लाये पहले मंदिरों में पड़े धन
निकालने की जरुरत हैं ।
गँभीरता से विचार करें।
सोचो और देश के आर्थिक परिस्थिती के अनुसार
फैसला लेँ।
ये बात वो सभी को भी पता है लेकिन वो इस बात पर
कभी नही बोलते l
इन्ही कारणों से मैं ब्राह्मणवाद का विरोधी हूँ।
🎯 ज्ञान का द्वीप जलाओ
नीच मनुवादी
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