हिन्दू गाली है
ऐसा ब्राम्हणो का नेता स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था। वे अपने आप को हिन्दू नही आर्य नस्ल के कहते थे,ब्राम्हण कहते थे। अब मोहन भागवत हिन्दू शब्द का प्रयोग क्यों करना चाहता है?
हिन्दू शब्द ब्राम्हणो के धर्म ग्रंथ में भी मिलता नही है।
रामायण,महाभारत,गीता,विष्णु पुराण,भागवत पुराण में भी हिन्दू शब्द नही मिलता, तो फिर हिन्दू है कौन?हिन्दू शब्द आया कहा से? हिन्दू शब्द पर्शियन भाषा का शब्द है।यह 12 वी शताब्दी में आया। हिन्दू शब्द का अर्थ काला चोर,काला डाकू,काले गुलाम और नाजायज यह होता है।इसके लिए सबूत के साथ यह पोस्ट कर रहा हु।
भारत के संविधान में हिन्दू शब्द नही है । sc, st, ओबीसी हिन्दू नही है। हिन्दू का अर्थ गंदी गालिया है। मोहन भागवत सबको हिन्दू क्यों कह रहा है?संविधान विरोधी शब्द हिन्दू,हिन्दुस्थान शब्दो का प्रयोग करके मोहन भागवत संविधान द्रोह कर रहा है फिर भी भागवत को राष्ट्रपति कोविंद जेल में क्यों नही डाल रहा है।
मोहन भागवत नाजायज ,चोर,डाकू,गुलाम हो सकता है भारत की प्रजा हिन्दू नही है।
विदेशी ब्राम्हणो ने evm पर नाजायज तरीके से कब्जा करने के कारण उनकी यह अवकाद बढ़ गयी है।
मोहन भागवत को खुली चुनोती किसी भी tv चनेल पर बहस करते है कि ब्राम्हण विदेशी है डीएनए के आधार पर और sc, st, ओबीसी हिन्दू नही।
एक बाप की अवलाद है तो बहस के लिए तैयार हो जा।
*-प्रा.विलास खरात.*
*जिस धर्म के धर्मसास्त्रों में ऐसी बातें लिखी है, क्या वह धर्म धर्माचरण करने लायक है*
जब हम पढ़े लिखे नहीं थे तो हमारी मजबूरी थी । लेकिन आज शिक्षित समाज को ऐसे धर्म के धर्माचरण क्यों करना चाहिए ?
1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरा द्वारा ही रचा गया है।
- :गीता 4-13
2 - मेरी शरण में आकर स्त्री ,वैश्य , शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुई है, परम गति को प्राप्त हो जाते है।
-:भगवत गीता 9-32
3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनों वर्णो की सेवा करना है।
-: महाभारत 4/50/6
4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये।
-: महाभारत 12/60/36
5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा।
-: वाo .रामायण 7/30/74
6- ढोल .गवार .शूद्र पशु नारी |
सकल ताड़ना के अधिकारी ||
-: रामचरित मानस 59/5
7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना।
-:रामचरितमानस 63-1
8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।
-: आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16
9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये।
- : कथक सन्हिता 3/1/2
10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार नही है।
-: एतरेय ब्राम्हण 2/29/4
11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये।
-: स्कंद पुरान 10/19
12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
-: गौतम धर्म शूत्र 12/6
13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण।
- : विष्णु स्मृति 5/115
14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे।
-: आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16
15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति राक्षस से हुई है।
-: तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7
17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है।
-: गौतम धर्म सूत्र 12/4/9
17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये।
-: शतपत ब्राम्हाण 3;1/10
18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है।
- : विष्णु पुराण 5/11
👉महाभारत"कहती है - शूद्र राजा नहीं बन सकता।
👉"गीता" कहती है - शूद्र को ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए ।
👉"रामायण" कहती है - शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।
👉"मनुस्मृति" के अनुसार - शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है - शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है। तीनों वर्णों की सेवा करना हीं उसका धर्म है ।
👉"पुराण" कहते हैं - शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।
👉"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है ।
फिर भी एक सहनशील "शूद्र" अब भी इन हिंसक धर्म ग्रंथो और इन देवी देवताओं को सीने से लगाए फिरता है ।
*जागो शुद्रों जागो*
*गुलामी की बेड़ियॉ तोड़ डालो*
*ब्राहमणवाद को इस देश से समाप्त कर डालो*
मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में प्रथम विश्व दलित सम्मेलन में साहब कांशीराम का भाषण..
*जातिविहीन समाज की स्थापना के लिए आपको देश का हुक्मरान बनना होगा* :
मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में प्रथम विश्व दलित सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर, मुख्या वक्त के रूप में मान्यवर कांशी राम जी ने जनता को सम्भोधित करते हुए कहा की सबसे पहले मै आपको जातिविहीन समाज के निर्माण की दिशा में इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने के लिए हार्दिक बधाई देना चाहता हुँ.. मुझे दुःख है की पार्टी के कार्यो में अति व्यस्तता के कारण मै इस अवसर पर दिए जाने वाले अपने भाषण को लिख नहीं पाया, इसलिए मै सीधे ही आपसे मुखातिब हो रहा हुँ.
जाती का विनाश :
सन 1936 में लाहौर के जात-पात तोड़क मंडल ने बाबासाहब अम्बेडकर से जाती विषय पर उनके द्वारा लिखे गए निबंध को मंडल के अधिवेशन में पढ़ने के लिए आमंत्रित किया.. लेकिन उस अधिवेशन में बाबासाहब अम्बेडकर को वह निबंध प्रस्तुत नहीं करने दिया गया, वह निबंध बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया, जिसका शीर्षक था, “एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट” (Annihilation of Caste) “अर्थात जाती का विनाश”. 1962-63 में जब मुझे इस पुस्तक को पढ़ने का मौका मिला, तो मुझे भी ऐसा महसूस हुआ की शायद जाती का विनाश संभव है, लेकिन बाद मै मैंने जाती व्यवस्था और जातीय आचरण का गहराई से अध्यन किया तो मेरी सोच में परिवर्तन आने लगा.. मैंने जाती का अध्यन महज किताबो से नहीं, बल्कि असल जिंदगी से किया है, जो लोग करोडो की संख्या में अपने-अपने गाँव छोड़कर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा अन्य बढे-बढे शहरो में आते है, वे अपने साथ और कुछ नहीं बल्कि अपनी जाती को लाते है.. वे अपने छोटे-छोटे झोपड़े छोटी-छोटी जमीने और मवेशी आदि सब कुछ पीछे गाँव में ही छोड़ आते है और केवल अपनी जाती को साथ लेकर ही शहर की गन्दी बस्तियों, नालो, रेल की पटरियों के किनारे बस जाते है.. अगर लोगो को अपनी जाती इतनी ही प्रिय है, तो हम जाती का विनाश कैसे कर सकते है? इसलिए मैंने जाती के विनाश की दिशा में सोचना बंद कर दिया..
आप लोगो ने जातिविहीन समाज की दिशा में बढ़ने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया है; मेरा उद्देश्य भी एक जाती-विहीन समाज की स्थापना करना है, लेकिन जाती कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे मात्र आपके चाहने भर से नष्ट किया जा सकता है.. जाती को नष्ट करना लगभग असंभव है, तो हमे क्या करना चाहिए ?
जाती के निर्माण के पीछे एक विशेष उद्देश्य है :
जाती का निर्माण बिना किसी उद्देश्य के नहीं किया गया है, इसके पीछे एक गहरा उद्देश्य और स्वार्थ छिपा हुआ है.. जब तक यह उद्देश्य अथवा स्वार्थ जिन्दा रहता है, जाती का विनाश नहीं किया जा सकता.. आप ब्राह्मणो अथवा सवर्ण जातियों को इस प्रकार जातीविहीन समाज की पुनरस्थापना के लिए सम्मेलन, विचार-गोष्ठी आदि आयोजित करते हुए नहीं देखेंगे.. ऐसा इसलिए है, क्योकि जाती का निर्माण इन्ही वर्गों द्वारा अपने नीच स्वार्थो की पूर्ति के लिए किया गया है, जाती के निर्माण के कारण केवल मुट्ठी भर सवर्ण जातियों को ही फायदा हुआ है और 85 प्रतिशत बहुजन समाज को पिछले हज़ारो वर्षो से पीढ़ी-दर-पीढ़ी नुक्सान ही होता रहा है और वे अपमान और शोषण का शिकार बनते रहे है.. अगर जाती के निर्माण से सवर्ण वर्गों को ही फायदा होता रहा है, तो भला वे इसके विनाश के लिए पहल क्यों करेंगे ? इस तरह की कॉन्फ्रेंस(सम्मेलन) केवल हम लोग ही आयोजित कर सकते है, क्योकि हम जाती व्यवस्था के शिकार है.. इसका फायदा पाने वालो को जाती के विनाश में कोई रूचि नहीं हो सकती, बल्कि वे तो जाती व्यवस्था को और अधिक मजबूत देखना चाहते है, ताकि जाती के आधार पर उन्हें मिलने वाली सभी सुविधाये भविष्य में भी जारी रहे..
इस सभाग्रह में जो लोग बैठे है, उनमे से अधिकांश शायद आज स्वयं परोक्ष रूप से जाती के शिकार न हो; लेकिन हम सभी का जन्म ऐसे लोगो अथवा समाज के बीच हुआ, जोकि जाती के शिकार है.. इसलिए हमे जाती के विनाश की दिशा में सोचने की जरुरत है..
लेकिन जब हम जाती के विनाश की बात करते है, तो इसके लिए भी सर्वप्रथम जाती के अस्तित्व को स्वीकारकरना होगा.. जाती की अनदेखी अथवा उपेक्षा करके हम जाती का विनाश नहीं कर सकते है..
हमारे अंदर जातीविहीन समाज का निर्माण करने की भावना हो सकती है, लेकिन इसके साथ यह भी सत्य है की निकट भविष्य में जाती के विनाश की सम्भावना लगभग न के बराबर है.. तो जब तक जाती का पूरी तरह विनाश न हो जाये, तब तक हमे क्या करना चाहिए ? मेरा यह मानना है की जब तक हम जातीविहीन समाज की स्थापना करने में सफल नहीं हो जाते, तब तक जाती का उपयोग करना होगा अगर ब्राह्मण जाती का उपयोग अपने फायदे के लिए कर सकते है, तो मै उसका इस्तेमाल अपने समाज के हित में क्यों नहीं कर सकता ?
दोधारी तलवार :
जाती एक दोधारी तलवार के समान है, जो दोनों तरफ से काटती है.. अगर आप इसे इस तरफ से चलाए(अपने हाथ को दाई तरफ ले जाते हुए), तो यह इस तरफ काटती है; अगर आप इसे दूसरी दिशा मे ले जाए(हाथ को बाई तरफ लहराते हुए),तो यह दूसरी तरफ से काटती है.. तो मैने जाती को दोधारी तलवार की तरह इस्तेमाल करना शुरू किया की इसका फ़ायदा बहुजन समाज को मिले और उच्च वर्ग को इसका फ़ायदा पहुँचना बंद हो जाए.. बाबासाहब अंबेडकर ने जाती के आधार पर ही अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति के लोगो को उनके सामाजिक और राजनैतिक अधिकार दिलाए.. जाती का सहारा लेकर ही उन्होने सन 1931/32 राउंड टेबल कान्फरेन्स मे इन वर्गो के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था करवाई.. लेकिन इस मुद्दे पर गाँधीजी के आमरण अनशन के कारण, इन वर्गो को पृथक निर्वाचन का अधिकार खोना पड़ा..
पृथक निर्वाचन :
कई लोग मुझसे अक्सर पूछते है की जिस तरह बाबासाहब अंबेडकर ने पृथक निर्वाचन के लिए संघर्ष किया, उसी प्रकार का संघर्ष आप भी क्यो नही शुरू करते ? आज तक मैने अपना एक भी मिनट पृथक निर्वाचन के मामले मे खराब नही किया है, अगर पृथक निर्वाचन अधिकार बाबासाहब अंबेडकर द्वारा ब्रिटिश शासन के दौरान भी संभव नही हो सका, तो आज यह मेरे लिए किस प्रकार संभव हो सकता है, जब की देश मे मनुवादी समाज के लोगो का राज है.. आज यह एकदम असंभव है..
जाती के विशेषज्ञ :
बाबासाहब अंबेडकर ने अनुसूचित जातियो और अनुसूचित जनजातियो के लोगो को जाती के हथियार का इस्तेमाल करने लायक बनाया था, इसी कारण वे ब्रिटिश हुकूमत से इन वर्गो के लिए कई सुविधाए जुटाने मे सफल रहे.. लेकिन अंग्रेज़ो के भारत छोड़ने के बाद केवल तीन लोग ही ऐसे रहे है, जिन्हे जाती के हथियार को इस्तेमाल करने मे महारत हासिल है, सबसे पहले व्यक्ति जवाहर लाल नेहरू थे, दूसरी श्रीमती इंदिरा गाँधी थी और तीसरा व्यक्ति कांशी राम है.. (तालिया)
नेहरू ने जाती के हथियार को इतनी निपुणता और कामयाबी के साथ इस्तेमाल किया की बाबासाहब अंबेडकर लगभग असहाय से हो गये.. नेहरू जाती के उपयोग एवम् मनुवादी सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की कला मे पारंगत थे, उनके बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी भी जाती का हथियार चलाने और ब्राह्माणवादी व्यवस्था को उसका लगातार फ़ायदा पहुँचाने के खेल मे माहिर थी.. लेकिन आज अगर दिल्ली के किसी भी कांग्रेसी से आप पूछे की क्या आपको जाती के इस्तेमाल से कोई फ़ायदा मिल रहा है ? तो वो यही कहेंगे, “नही हमें जाती का कोई लाभ नही मिल रहा है, हमें नही मालूम की किस तरह जाती से फ़ायदा उठाया जा सकता है, यह तो सिर्फ़ कांशीराम को मालूम है की किस तरह जाती का इस्तेमाल अपने हित मे किया जा सकता है
#ब्राह्मण (इस धरती के )शैतान हैं । कैसे ?
1) छूत - अछूत किसने बनाया* #ब्राह्मण* नें।
2 ) एकलव्य का अंगुठा किसनें काटा *#ब्राह्मण* नें।
3 ) वर्ण व्यवस्था किसने बनाई *#ब्राह्मण* नें।
4 ) वर्ण व्यवस्था मे शुद्रों को शिक्षा से वंचित किसने किया *#ब्राह्मण* नें।
5 ) शुद्रों को 6743 जातियों में किसने बाँटा *#ब्राह्मण* नें ।
6 ) छत्रपती शिवाजी महाराज को शुद्र कह कर राज्याभिषेक का विरोध एवं बायें पैर के अंगूठे से तिलक किसनें किया *#ब्राह्मण* नें।
7 ) छत्रपती शिवाजी महाराज की धोखे से हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
8 ) मौर्यवंश के अंतिम शासक बृहद्रथ मौर्य की हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
9) भगवान बुद्ध के देश को अन्धविश्वास और जातियों में किसने बांटा *#ब्राह्मण* नें ।
10 ) राष्ट्रपिता जोतीराव फुलें का विरोध किसने किया *#ब्राह्मण* नें ।
11 ) माता सावित्रीबाई फुलें को लड़कियों को शिक्षा देने की वजह से उनके ऊपर गोबर फेक कर किसने मारा *#ब्राह्मण* नें ।
12 ) गो हत्या पाप है , ऋग्वेद में विष्णु को गाय की बली देने का आदेश किसने दिया ।*#ब्राह्मण* नें।
13)भारत देश के मूलनिवासियों को गुलाम किसने बनाया *#ब्राह्मण* नें।
14 ) डॉ बाबासाहब आंबेडकर का विरोध कौन करता था *#ब्राह्मण*।
15 ) शुद्रों को मंदिर मे जाने से किसने रोका *#ब्राह्मण* नें।
16 ) भारत देश मे मनुस्मृति का कानून किसने लागू किया *#ब्राह्मण* नें।
17 ) संत तुकाराम महाराज की हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
18 ) मुगलों ( भारत के मुसलमान अपनें को मुगल न समझें , भारत के मुसलमान ओबीसी , एससी , एसटी से धर्म परिवर्तित लोग हैं ) द्वारा दी हुई गाली हिंदू जिसका अर्थ काला चोर , डाकू एवं काफिर होता है। हिन्दू शब्द का इस्तेमाल करके मुगलों की वफादारी कौन कर रहा है *#ब्राह्मण* ।
19 ) शुद्रों के गले मे मट्का , कमर में झाड़ू और सर पर चपल किसने लगवाया *#ब्राह्मण* नें।
20 ) 52 साल तक किसनें अपनें संगठन के मुख्यालय पर भारत देश का तिरंगा नहीं लहराया। 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से लहराना शुरू किया। *#ब्राह्मण* नें ।
इससे साबित है कि भारत देश के मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों के दुश्मन केवल और केवल ब्राह्मण हैं अन्य कोई नही!
मूलनिवासी बहुजन समाज के जो लोग ब्राह्मणों एवं उनके संगठनों / राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए हैं। ऐसे लोग ब्राह्मणों के दलाल , भड़वे एवं पिछलग्गू लोग हैं। यही लोग मूलनिवासी बहुजन समाज की बर्बादी के कारण हैं। ऐसे लोग ब्राह्मणों के पालतू कुत्ते हैं , जो ब्राह्मणों के तलवे चाटने का काम करते हैं और ब्राह्मणों के इशारे पर अपनें ही समाज के लोगों को काटनें का कार्य करते हैं। दुश्मनों से पहले मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को ऐसे दलाल , भड़वे एवं पिछलग्गुओं की खबर लेनी चाहिए। बोल 85 जय मूलनिवासी। ब्राह्मण विदेशी। 🙏🤝💪
** धर्म और ईश्वर **
मार्क्स ने कहा धर्म अफीम है। लेलिन ने कहा धर्म एक निजी मामला नहीं है। आज हमारे बीच ये लोग नहीं रहें। मगर धर्म है। मार्क्स- लेलिन के सिद्धांत पुराने पड़ चुके हैं। लेकिन धर्म पुराना हो कर भी खत्म नही हुआ। यह निरंतर फैल रहा है, या कहें हम धर्म को अपनी सुरक्षा के लिए फैला रहे है। हम डरे हुए हैं। धर्म से अलग नहीं होना चाहतें हैं। धर्म और ईश्वर हमारा सहारा है। यहां हर कोई धर्म और ईश्वर की छतरी में खुद को सुरक्षित महसूस करता है ।
धर्म कितना ही अफीम हो, मगर हम उसे खाने से कभी कोई कोताही नहीं बरतते। धर्म को जबरन निजी मामला बताकर अपनी धर्मांधता दुसरो पर थोपना चाहते हैं। हमें अपने माता-पिता के समक्ष नतमस्तक होने में परेशानी हो सकती है, मगर धर्म के नही। बेसक सदी और समय बदल रहा है, मगर धर्म नहीं । धर्म की प्रवृत्ति नहीं। धर्म के मान्यताएं नहीं। धर्म को हमने अफीम के सहारे लड़ने- मरने का हथियार बना लिया है। धर्म के बीच गहरी मगर घातक बहस चल पड़ी है कि उसका धर्म मेरे धर्म से श्रेष्ठ कैसे।
मैक्सिम गोर्की ने कहा था ईश्वर खोजें नहीं जाते, उनका निर्माण किया जाता है। हम ईश्वर को इस लिए खोजने जाते हैं, ताकि हमारा उद्धार हो सके। हम धर्म से चिपके रहते हैं, ताकि संकट से बचें रहे। कमाल देखिए हम २१ वीं सदी में भी धर्म और ईश्वर की खोज में व्यस्त हैं। ईश्वर प्रसन्न करने अमरनाथ तक हो आते है । धर्म बचा रहे इस लिए उसे बाजार से जोड़ रहे हैं। दिन के 24घंटे में से 23.99घंटे धर्म और ईश्वर की शरण में ही बिताना चाहते हैं। हमारे दिमाग में बेहद गहराई से यह भर दिया गया है कि खबरदार जो धर्म और ईश्वर से अलग हुए तो....... अनर्थ हो जायेगा। अनर्थ कहने बताने वाले खुब जमकर " पैसा " बटोर रहे हैं धर्म के जानकार शानदार गाड़ियों में घुम रहे हैं। लैपटॉप की सहायता से हमारा- आपका भविष्य बता रहे हैं। धर्म और ईश्वर उनके गुलाम है। उन्हें जब, जैसे, जहां चाहे चलाएं। जनता उनके लिए पागल है। लोग उनकी भविष्यवाणी में अपना सुख खोज रही है।
मार्क्स और लेनिन की धर्म पर दी गई स्थापनाएं अब किताबी से अधिक कुछ नहीं लगती । ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्म और ईश्वर के प्रति हमारी अंध-भक्ति ने हर प्रगतिशील विचारधारा को ध्वस्त कर दिया है धर्म इस लिए सफल हो सका क्योंकि हमने कुपमंडुता से बाहर निकल की कभी कोशिश ही नहीं की। जहां डर होगा, वहां ईश्वर होगा ही होगा, यह मानकर चलें।
आप मानकर चलें अब धर्म पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है। यह सहिष्णुता की हदों को पार कर चुका है। यहां भुख का भी धर्म है। बाजार का भी धर्म है। आतंकवाद का भी धर्म है।जाति का भी धर्म है। विचार और सोच का भी धर्म है। आज धर्म मार्क्स की अफीम से कहीं ज्यादा खतरनाक है। अब धर्म को राजनीति और आतंकवाद पाल रहे हैं।
जहां और जिसे डर लगता है बस धर्म और ईश्वर की शरण में चले जाओ। यही हमें हरदम पढ़या और सिखाया जा रहा है।अब खुद पर विश्वास करना बंद कर दिया है। क्योंकि हमारे डर के लिए धर्म और ईश्वर मौजूद है।
धर्म और ईश्वर की वहशियत में मर जाना मंजूर है, लेकिन उसे त्यागना नहीं।
हम नहीं समझ रहे हैं, मगर सौ फीसद सत्य है कि आंतकवाद धर्म के रास्ते ही हमारे बीच आया है। अब यह हमें निरंतर मार और परेशान कर रहा है। हद है कि हम न धर्म को छोड़ना चाहते हैं न ईश्वर को।तो ऐसे ही रोते-बिलखते रहिए, जब तक धर्म और ईश्वर का डर हमारे बीच मौजूद है ।
*🙏कैसे कह दूँ हम हिन्दू है?🙏*
*👉2⃣0⃣1⃣7⃣ की वो घटनाएं है जो अछूतों के साथ घटी है वह भी मुस्लिम द्वारा नही खुद हिंदुओं द्वारा।*
*1⃣राजा रावण के साथ बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को जलाया गया।*
*2⃣रावण दहन के समय ज्योतिबा फुले आदि की मूर्ति का भी दहन किया गया।*
*3⃣गुजरात में तो गरबा देखने में अछूत को मार ही डाला गया।*
*4⃣गांधीनगर, गुजरात में अछूतों के मूछ रखने पर हमला किया गया मारा पीटा गया।*
*5⃣भारत में ही अनेको जगह मंदिर जाने पर अछूतों को मारा पीटा गया।*
*6⃣भारत में ही मूर्ति विसर्जन करने पर अछूतों की मार पीटकर टाँगे तोड़ दी गई।*
*7⃣राजस्थान में अछूत की बेटी नल से पानी लेली तो सवर्णो ने उसे बुरी तरह पिट पिट कर अधमरा कर दिया।*
*8⃣आगरा में तो अछूत को नल से पानी नही भरने दिया गया उसके साथ भी मार पिट की गई।*
*👉और यह सब घटना को अंजाम देने वाले मुसलमान नही थे। अपने आपको हिन्दू कहने वाले लोग थे। फिर कैसे कह दूँ कि मुझे हिन्दू होने पर गर्व है? कोई बतायेगा?*
*👉हिन्दू राष्ट्र की कल्पना पाले बैठे हमारे देश के कई संगठन और राजनैतिक पार्टियां तथा व्यक्ति विशेष यह जान लें कि ऐसा हिंदुत्व तालिबान से भी खतरनाक है अछूतों के लिए।*
*👉👉आतंकवादी गतिविधियों से जितने पुरे विश्व में बेगुनाह मारे जाते हैं वह भारत में हिंदुत्व की वजह से मरने वाले बेगुनाहों का एक चौथाई हिस्सा है।*
*👉👉अब सोचिये विचार करिए की यह कैसा हिंदुत्व है? कैसी विचारधारा और संस्कार,हिन्दू धर्म का है?*
*👉इस हिंदुत्व में सबसे बड़ी बात यह है कि कोई भी संगठन, पार्टी, व्यक्ति इसके खिलाफ दो शब्द कहने को हिम्मत नही जुटा पाता। एक पहलू खान गाय के चक्कर में मारा गया, एक हिन्दू ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में रंगभेद की वजह से मारा गया, इण्डिया गेट में मोमबत्तियां जलती है, सोशल मीडिया में विरोध प्रकट होता है लेकिन एक व्यक्ति इसलिए मारा जाता है क्योंकि उसने गरबा देखा, मूँछे रखी, सोचिये कहाँ है हम? और कुछ भी नही होता। भारत के संविधान निर्माता का रावण के साथ फोटो जलाया जाता है इससे गिरा हुआ समाज कहीं और नही मिलेगा आपको।। हर व्यक्ति के मन केवल नफरत और जहर बढ़ रहा है बस और कुछ नही।*
फैसला आप को करना होगा
ऐसा ब्राम्हणो का नेता स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था। वे अपने आप को हिन्दू नही आर्य नस्ल के कहते थे,ब्राम्हण कहते थे। अब मोहन भागवत हिन्दू शब्द का प्रयोग क्यों करना चाहता है?
हिन्दू शब्द ब्राम्हणो के धर्म ग्रंथ में भी मिलता नही है।
रामायण,महाभारत,गीता,विष्णु पुराण,भागवत पुराण में भी हिन्दू शब्द नही मिलता, तो फिर हिन्दू है कौन?हिन्दू शब्द आया कहा से? हिन्दू शब्द पर्शियन भाषा का शब्द है।यह 12 वी शताब्दी में आया। हिन्दू शब्द का अर्थ काला चोर,काला डाकू,काले गुलाम और नाजायज यह होता है।इसके लिए सबूत के साथ यह पोस्ट कर रहा हु।
भारत के संविधान में हिन्दू शब्द नही है । sc, st, ओबीसी हिन्दू नही है। हिन्दू का अर्थ गंदी गालिया है। मोहन भागवत सबको हिन्दू क्यों कह रहा है?संविधान विरोधी शब्द हिन्दू,हिन्दुस्थान शब्दो का प्रयोग करके मोहन भागवत संविधान द्रोह कर रहा है फिर भी भागवत को राष्ट्रपति कोविंद जेल में क्यों नही डाल रहा है।
मोहन भागवत नाजायज ,चोर,डाकू,गुलाम हो सकता है भारत की प्रजा हिन्दू नही है।
विदेशी ब्राम्हणो ने evm पर नाजायज तरीके से कब्जा करने के कारण उनकी यह अवकाद बढ़ गयी है।
मोहन भागवत को खुली चुनोती किसी भी tv चनेल पर बहस करते है कि ब्राम्हण विदेशी है डीएनए के आधार पर और sc, st, ओबीसी हिन्दू नही।
एक बाप की अवलाद है तो बहस के लिए तैयार हो जा।
*-प्रा.विलास खरात.*
*जिस धर्म के धर्मसास्त्रों में ऐसी बातें लिखी है, क्या वह धर्म धर्माचरण करने लायक है*
जब हम पढ़े लिखे नहीं थे तो हमारी मजबूरी थी । लेकिन आज शिक्षित समाज को ऐसे धर्म के धर्माचरण क्यों करना चाहिए ?
1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरा द्वारा ही रचा गया है।
- :गीता 4-13
2 - मेरी शरण में आकर स्त्री ,वैश्य , शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुई है, परम गति को प्राप्त हो जाते है।
-:भगवत गीता 9-32
3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनों वर्णो की सेवा करना है।
-: महाभारत 4/50/6
4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये।
-: महाभारत 12/60/36
5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा।
-: वाo .रामायण 7/30/74
6- ढोल .गवार .शूद्र पशु नारी |
सकल ताड़ना के अधिकारी ||
-: रामचरित मानस 59/5
7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना।
-:रामचरितमानस 63-1
8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।
-: आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16
9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये।
- : कथक सन्हिता 3/1/2
10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार नही है।
-: एतरेय ब्राम्हण 2/29/4
11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये।
-: स्कंद पुरान 10/19
12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
-: गौतम धर्म शूत्र 12/6
13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण।
- : विष्णु स्मृति 5/115
14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे।
-: आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16
15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति राक्षस से हुई है।
-: तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7
17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है।
-: गौतम धर्म सूत्र 12/4/9
17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये।
-: शतपत ब्राम्हाण 3;1/10
18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है।
- : विष्णु पुराण 5/11
👉महाभारत"कहती है - शूद्र राजा नहीं बन सकता।
👉"गीता" कहती है - शूद्र को ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए ।
👉"रामायण" कहती है - शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।
👉"मनुस्मृति" के अनुसार - शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है - शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है। तीनों वर्णों की सेवा करना हीं उसका धर्म है ।
👉"पुराण" कहते हैं - शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।
👉"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है ।
फिर भी एक सहनशील "शूद्र" अब भी इन हिंसक धर्म ग्रंथो और इन देवी देवताओं को सीने से लगाए फिरता है ।
*जागो शुद्रों जागो*
*गुलामी की बेड़ियॉ तोड़ डालो*
*ब्राहमणवाद को इस देश से समाप्त कर डालो*
मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में प्रथम विश्व दलित सम्मेलन में साहब कांशीराम का भाषण..
*जातिविहीन समाज की स्थापना के लिए आपको देश का हुक्मरान बनना होगा* :
मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में प्रथम विश्व दलित सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर, मुख्या वक्त के रूप में मान्यवर कांशी राम जी ने जनता को सम्भोधित करते हुए कहा की सबसे पहले मै आपको जातिविहीन समाज के निर्माण की दिशा में इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने के लिए हार्दिक बधाई देना चाहता हुँ.. मुझे दुःख है की पार्टी के कार्यो में अति व्यस्तता के कारण मै इस अवसर पर दिए जाने वाले अपने भाषण को लिख नहीं पाया, इसलिए मै सीधे ही आपसे मुखातिब हो रहा हुँ.
जाती का विनाश :
सन 1936 में लाहौर के जात-पात तोड़क मंडल ने बाबासाहब अम्बेडकर से जाती विषय पर उनके द्वारा लिखे गए निबंध को मंडल के अधिवेशन में पढ़ने के लिए आमंत्रित किया.. लेकिन उस अधिवेशन में बाबासाहब अम्बेडकर को वह निबंध प्रस्तुत नहीं करने दिया गया, वह निबंध बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया, जिसका शीर्षक था, “एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट” (Annihilation of Caste) “अर्थात जाती का विनाश”. 1962-63 में जब मुझे इस पुस्तक को पढ़ने का मौका मिला, तो मुझे भी ऐसा महसूस हुआ की शायद जाती का विनाश संभव है, लेकिन बाद मै मैंने जाती व्यवस्था और जातीय आचरण का गहराई से अध्यन किया तो मेरी सोच में परिवर्तन आने लगा.. मैंने जाती का अध्यन महज किताबो से नहीं, बल्कि असल जिंदगी से किया है, जो लोग करोडो की संख्या में अपने-अपने गाँव छोड़कर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा अन्य बढे-बढे शहरो में आते है, वे अपने साथ और कुछ नहीं बल्कि अपनी जाती को लाते है.. वे अपने छोटे-छोटे झोपड़े छोटी-छोटी जमीने और मवेशी आदि सब कुछ पीछे गाँव में ही छोड़ आते है और केवल अपनी जाती को साथ लेकर ही शहर की गन्दी बस्तियों, नालो, रेल की पटरियों के किनारे बस जाते है.. अगर लोगो को अपनी जाती इतनी ही प्रिय है, तो हम जाती का विनाश कैसे कर सकते है? इसलिए मैंने जाती के विनाश की दिशा में सोचना बंद कर दिया..
आप लोगो ने जातिविहीन समाज की दिशा में बढ़ने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया है; मेरा उद्देश्य भी एक जाती-विहीन समाज की स्थापना करना है, लेकिन जाती कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे मात्र आपके चाहने भर से नष्ट किया जा सकता है.. जाती को नष्ट करना लगभग असंभव है, तो हमे क्या करना चाहिए ?
जाती के निर्माण के पीछे एक विशेष उद्देश्य है :
जाती का निर्माण बिना किसी उद्देश्य के नहीं किया गया है, इसके पीछे एक गहरा उद्देश्य और स्वार्थ छिपा हुआ है.. जब तक यह उद्देश्य अथवा स्वार्थ जिन्दा रहता है, जाती का विनाश नहीं किया जा सकता.. आप ब्राह्मणो अथवा सवर्ण जातियों को इस प्रकार जातीविहीन समाज की पुनरस्थापना के लिए सम्मेलन, विचार-गोष्ठी आदि आयोजित करते हुए नहीं देखेंगे.. ऐसा इसलिए है, क्योकि जाती का निर्माण इन्ही वर्गों द्वारा अपने नीच स्वार्थो की पूर्ति के लिए किया गया है, जाती के निर्माण के कारण केवल मुट्ठी भर सवर्ण जातियों को ही फायदा हुआ है और 85 प्रतिशत बहुजन समाज को पिछले हज़ारो वर्षो से पीढ़ी-दर-पीढ़ी नुक्सान ही होता रहा है और वे अपमान और शोषण का शिकार बनते रहे है.. अगर जाती के निर्माण से सवर्ण वर्गों को ही फायदा होता रहा है, तो भला वे इसके विनाश के लिए पहल क्यों करेंगे ? इस तरह की कॉन्फ्रेंस(सम्मेलन) केवल हम लोग ही आयोजित कर सकते है, क्योकि हम जाती व्यवस्था के शिकार है.. इसका फायदा पाने वालो को जाती के विनाश में कोई रूचि नहीं हो सकती, बल्कि वे तो जाती व्यवस्था को और अधिक मजबूत देखना चाहते है, ताकि जाती के आधार पर उन्हें मिलने वाली सभी सुविधाये भविष्य में भी जारी रहे..
इस सभाग्रह में जो लोग बैठे है, उनमे से अधिकांश शायद आज स्वयं परोक्ष रूप से जाती के शिकार न हो; लेकिन हम सभी का जन्म ऐसे लोगो अथवा समाज के बीच हुआ, जोकि जाती के शिकार है.. इसलिए हमे जाती के विनाश की दिशा में सोचने की जरुरत है..
लेकिन जब हम जाती के विनाश की बात करते है, तो इसके लिए भी सर्वप्रथम जाती के अस्तित्व को स्वीकारकरना होगा.. जाती की अनदेखी अथवा उपेक्षा करके हम जाती का विनाश नहीं कर सकते है..
हमारे अंदर जातीविहीन समाज का निर्माण करने की भावना हो सकती है, लेकिन इसके साथ यह भी सत्य है की निकट भविष्य में जाती के विनाश की सम्भावना लगभग न के बराबर है.. तो जब तक जाती का पूरी तरह विनाश न हो जाये, तब तक हमे क्या करना चाहिए ? मेरा यह मानना है की जब तक हम जातीविहीन समाज की स्थापना करने में सफल नहीं हो जाते, तब तक जाती का उपयोग करना होगा अगर ब्राह्मण जाती का उपयोग अपने फायदे के लिए कर सकते है, तो मै उसका इस्तेमाल अपने समाज के हित में क्यों नहीं कर सकता ?
दोधारी तलवार :
जाती एक दोधारी तलवार के समान है, जो दोनों तरफ से काटती है.. अगर आप इसे इस तरफ से चलाए(अपने हाथ को दाई तरफ ले जाते हुए), तो यह इस तरफ काटती है; अगर आप इसे दूसरी दिशा मे ले जाए(हाथ को बाई तरफ लहराते हुए),तो यह दूसरी तरफ से काटती है.. तो मैने जाती को दोधारी तलवार की तरह इस्तेमाल करना शुरू किया की इसका फ़ायदा बहुजन समाज को मिले और उच्च वर्ग को इसका फ़ायदा पहुँचना बंद हो जाए.. बाबासाहब अंबेडकर ने जाती के आधार पर ही अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति के लोगो को उनके सामाजिक और राजनैतिक अधिकार दिलाए.. जाती का सहारा लेकर ही उन्होने सन 1931/32 राउंड टेबल कान्फरेन्स मे इन वर्गो के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था करवाई.. लेकिन इस मुद्दे पर गाँधीजी के आमरण अनशन के कारण, इन वर्गो को पृथक निर्वाचन का अधिकार खोना पड़ा..
पृथक निर्वाचन :
कई लोग मुझसे अक्सर पूछते है की जिस तरह बाबासाहब अंबेडकर ने पृथक निर्वाचन के लिए संघर्ष किया, उसी प्रकार का संघर्ष आप भी क्यो नही शुरू करते ? आज तक मैने अपना एक भी मिनट पृथक निर्वाचन के मामले मे खराब नही किया है, अगर पृथक निर्वाचन अधिकार बाबासाहब अंबेडकर द्वारा ब्रिटिश शासन के दौरान भी संभव नही हो सका, तो आज यह मेरे लिए किस प्रकार संभव हो सकता है, जब की देश मे मनुवादी समाज के लोगो का राज है.. आज यह एकदम असंभव है..
जाती के विशेषज्ञ :
बाबासाहब अंबेडकर ने अनुसूचित जातियो और अनुसूचित जनजातियो के लोगो को जाती के हथियार का इस्तेमाल करने लायक बनाया था, इसी कारण वे ब्रिटिश हुकूमत से इन वर्गो के लिए कई सुविधाए जुटाने मे सफल रहे.. लेकिन अंग्रेज़ो के भारत छोड़ने के बाद केवल तीन लोग ही ऐसे रहे है, जिन्हे जाती के हथियार को इस्तेमाल करने मे महारत हासिल है, सबसे पहले व्यक्ति जवाहर लाल नेहरू थे, दूसरी श्रीमती इंदिरा गाँधी थी और तीसरा व्यक्ति कांशी राम है.. (तालिया)
नेहरू ने जाती के हथियार को इतनी निपुणता और कामयाबी के साथ इस्तेमाल किया की बाबासाहब अंबेडकर लगभग असहाय से हो गये.. नेहरू जाती के उपयोग एवम् मनुवादी सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की कला मे पारंगत थे, उनके बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी भी जाती का हथियार चलाने और ब्राह्माणवादी व्यवस्था को उसका लगातार फ़ायदा पहुँचाने के खेल मे माहिर थी.. लेकिन आज अगर दिल्ली के किसी भी कांग्रेसी से आप पूछे की क्या आपको जाती के इस्तेमाल से कोई फ़ायदा मिल रहा है ? तो वो यही कहेंगे, “नही हमें जाती का कोई लाभ नही मिल रहा है, हमें नही मालूम की किस तरह जाती से फ़ायदा उठाया जा सकता है, यह तो सिर्फ़ कांशीराम को मालूम है की किस तरह जाती का इस्तेमाल अपने हित मे किया जा सकता है
#ब्राह्मण (इस धरती के )शैतान हैं । कैसे ?
1) छूत - अछूत किसने बनाया* #ब्राह्मण* नें।
2 ) एकलव्य का अंगुठा किसनें काटा *#ब्राह्मण* नें।
3 ) वर्ण व्यवस्था किसने बनाई *#ब्राह्मण* नें।
4 ) वर्ण व्यवस्था मे शुद्रों को शिक्षा से वंचित किसने किया *#ब्राह्मण* नें।
5 ) शुद्रों को 6743 जातियों में किसने बाँटा *#ब्राह्मण* नें ।
6 ) छत्रपती शिवाजी महाराज को शुद्र कह कर राज्याभिषेक का विरोध एवं बायें पैर के अंगूठे से तिलक किसनें किया *#ब्राह्मण* नें।
7 ) छत्रपती शिवाजी महाराज की धोखे से हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
8 ) मौर्यवंश के अंतिम शासक बृहद्रथ मौर्य की हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
9) भगवान बुद्ध के देश को अन्धविश्वास और जातियों में किसने बांटा *#ब्राह्मण* नें ।
10 ) राष्ट्रपिता जोतीराव फुलें का विरोध किसने किया *#ब्राह्मण* नें ।
11 ) माता सावित्रीबाई फुलें को लड़कियों को शिक्षा देने की वजह से उनके ऊपर गोबर फेक कर किसने मारा *#ब्राह्मण* नें ।
12 ) गो हत्या पाप है , ऋग्वेद में विष्णु को गाय की बली देने का आदेश किसने दिया ।*#ब्राह्मण* नें।
13)भारत देश के मूलनिवासियों को गुलाम किसने बनाया *#ब्राह्मण* नें।
14 ) डॉ बाबासाहब आंबेडकर का विरोध कौन करता था *#ब्राह्मण*।
15 ) शुद्रों को मंदिर मे जाने से किसने रोका *#ब्राह्मण* नें।
16 ) भारत देश मे मनुस्मृति का कानून किसने लागू किया *#ब्राह्मण* नें।
17 ) संत तुकाराम महाराज की हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
18 ) मुगलों ( भारत के मुसलमान अपनें को मुगल न समझें , भारत के मुसलमान ओबीसी , एससी , एसटी से धर्म परिवर्तित लोग हैं ) द्वारा दी हुई गाली हिंदू जिसका अर्थ काला चोर , डाकू एवं काफिर होता है। हिन्दू शब्द का इस्तेमाल करके मुगलों की वफादारी कौन कर रहा है *#ब्राह्मण* ।
19 ) शुद्रों के गले मे मट्का , कमर में झाड़ू और सर पर चपल किसने लगवाया *#ब्राह्मण* नें।
20 ) 52 साल तक किसनें अपनें संगठन के मुख्यालय पर भारत देश का तिरंगा नहीं लहराया। 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से लहराना शुरू किया। *#ब्राह्मण* नें ।
इससे साबित है कि भारत देश के मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों के दुश्मन केवल और केवल ब्राह्मण हैं अन्य कोई नही!
मूलनिवासी बहुजन समाज के जो लोग ब्राह्मणों एवं उनके संगठनों / राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए हैं। ऐसे लोग ब्राह्मणों के दलाल , भड़वे एवं पिछलग्गू लोग हैं। यही लोग मूलनिवासी बहुजन समाज की बर्बादी के कारण हैं। ऐसे लोग ब्राह्मणों के पालतू कुत्ते हैं , जो ब्राह्मणों के तलवे चाटने का काम करते हैं और ब्राह्मणों के इशारे पर अपनें ही समाज के लोगों को काटनें का कार्य करते हैं। दुश्मनों से पहले मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को ऐसे दलाल , भड़वे एवं पिछलग्गुओं की खबर लेनी चाहिए। बोल 85 जय मूलनिवासी। ब्राह्मण विदेशी। 🙏🤝💪
** धर्म और ईश्वर **
मार्क्स ने कहा धर्म अफीम है। लेलिन ने कहा धर्म एक निजी मामला नहीं है। आज हमारे बीच ये लोग नहीं रहें। मगर धर्म है। मार्क्स- लेलिन के सिद्धांत पुराने पड़ चुके हैं। लेकिन धर्म पुराना हो कर भी खत्म नही हुआ। यह निरंतर फैल रहा है, या कहें हम धर्म को अपनी सुरक्षा के लिए फैला रहे है। हम डरे हुए हैं। धर्म से अलग नहीं होना चाहतें हैं। धर्म और ईश्वर हमारा सहारा है। यहां हर कोई धर्म और ईश्वर की छतरी में खुद को सुरक्षित महसूस करता है ।
धर्म कितना ही अफीम हो, मगर हम उसे खाने से कभी कोई कोताही नहीं बरतते। धर्म को जबरन निजी मामला बताकर अपनी धर्मांधता दुसरो पर थोपना चाहते हैं। हमें अपने माता-पिता के समक्ष नतमस्तक होने में परेशानी हो सकती है, मगर धर्म के नही। बेसक सदी और समय बदल रहा है, मगर धर्म नहीं । धर्म की प्रवृत्ति नहीं। धर्म के मान्यताएं नहीं। धर्म को हमने अफीम के सहारे लड़ने- मरने का हथियार बना लिया है। धर्म के बीच गहरी मगर घातक बहस चल पड़ी है कि उसका धर्म मेरे धर्म से श्रेष्ठ कैसे।
मैक्सिम गोर्की ने कहा था ईश्वर खोजें नहीं जाते, उनका निर्माण किया जाता है। हम ईश्वर को इस लिए खोजने जाते हैं, ताकि हमारा उद्धार हो सके। हम धर्म से चिपके रहते हैं, ताकि संकट से बचें रहे। कमाल देखिए हम २१ वीं सदी में भी धर्म और ईश्वर की खोज में व्यस्त हैं। ईश्वर प्रसन्न करने अमरनाथ तक हो आते है । धर्म बचा रहे इस लिए उसे बाजार से जोड़ रहे हैं। दिन के 24घंटे में से 23.99घंटे धर्म और ईश्वर की शरण में ही बिताना चाहते हैं। हमारे दिमाग में बेहद गहराई से यह भर दिया गया है कि खबरदार जो धर्म और ईश्वर से अलग हुए तो....... अनर्थ हो जायेगा। अनर्थ कहने बताने वाले खुब जमकर " पैसा " बटोर रहे हैं धर्म के जानकार शानदार गाड़ियों में घुम रहे हैं। लैपटॉप की सहायता से हमारा- आपका भविष्य बता रहे हैं। धर्म और ईश्वर उनके गुलाम है। उन्हें जब, जैसे, जहां चाहे चलाएं। जनता उनके लिए पागल है। लोग उनकी भविष्यवाणी में अपना सुख खोज रही है।
मार्क्स और लेनिन की धर्म पर दी गई स्थापनाएं अब किताबी से अधिक कुछ नहीं लगती । ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्म और ईश्वर के प्रति हमारी अंध-भक्ति ने हर प्रगतिशील विचारधारा को ध्वस्त कर दिया है धर्म इस लिए सफल हो सका क्योंकि हमने कुपमंडुता से बाहर निकल की कभी कोशिश ही नहीं की। जहां डर होगा, वहां ईश्वर होगा ही होगा, यह मानकर चलें।
आप मानकर चलें अब धर्म पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है। यह सहिष्णुता की हदों को पार कर चुका है। यहां भुख का भी धर्म है। बाजार का भी धर्म है। आतंकवाद का भी धर्म है।जाति का भी धर्म है। विचार और सोच का भी धर्म है। आज धर्म मार्क्स की अफीम से कहीं ज्यादा खतरनाक है। अब धर्म को राजनीति और आतंकवाद पाल रहे हैं।
जहां और जिसे डर लगता है बस धर्म और ईश्वर की शरण में चले जाओ। यही हमें हरदम पढ़या और सिखाया जा रहा है।अब खुद पर विश्वास करना बंद कर दिया है। क्योंकि हमारे डर के लिए धर्म और ईश्वर मौजूद है।
धर्म और ईश्वर की वहशियत में मर जाना मंजूर है, लेकिन उसे त्यागना नहीं।
हम नहीं समझ रहे हैं, मगर सौ फीसद सत्य है कि आंतकवाद धर्म के रास्ते ही हमारे बीच आया है। अब यह हमें निरंतर मार और परेशान कर रहा है। हद है कि हम न धर्म को छोड़ना चाहते हैं न ईश्वर को।तो ऐसे ही रोते-बिलखते रहिए, जब तक धर्म और ईश्वर का डर हमारे बीच मौजूद है ।
*🙏कैसे कह दूँ हम हिन्दू है?🙏*
*👉2⃣0⃣1⃣7⃣ की वो घटनाएं है जो अछूतों के साथ घटी है वह भी मुस्लिम द्वारा नही खुद हिंदुओं द्वारा।*
*1⃣राजा रावण के साथ बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को जलाया गया।*
*2⃣रावण दहन के समय ज्योतिबा फुले आदि की मूर्ति का भी दहन किया गया।*
*3⃣गुजरात में तो गरबा देखने में अछूत को मार ही डाला गया।*
*4⃣गांधीनगर, गुजरात में अछूतों के मूछ रखने पर हमला किया गया मारा पीटा गया।*
*5⃣भारत में ही अनेको जगह मंदिर जाने पर अछूतों को मारा पीटा गया।*
*6⃣भारत में ही मूर्ति विसर्जन करने पर अछूतों की मार पीटकर टाँगे तोड़ दी गई।*
*7⃣राजस्थान में अछूत की बेटी नल से पानी लेली तो सवर्णो ने उसे बुरी तरह पिट पिट कर अधमरा कर दिया।*
*8⃣आगरा में तो अछूत को नल से पानी नही भरने दिया गया उसके साथ भी मार पिट की गई।*
*👉और यह सब घटना को अंजाम देने वाले मुसलमान नही थे। अपने आपको हिन्दू कहने वाले लोग थे। फिर कैसे कह दूँ कि मुझे हिन्दू होने पर गर्व है? कोई बतायेगा?*
*👉हिन्दू राष्ट्र की कल्पना पाले बैठे हमारे देश के कई संगठन और राजनैतिक पार्टियां तथा व्यक्ति विशेष यह जान लें कि ऐसा हिंदुत्व तालिबान से भी खतरनाक है अछूतों के लिए।*
*👉👉आतंकवादी गतिविधियों से जितने पुरे विश्व में बेगुनाह मारे जाते हैं वह भारत में हिंदुत्व की वजह से मरने वाले बेगुनाहों का एक चौथाई हिस्सा है।*
*👉👉अब सोचिये विचार करिए की यह कैसा हिंदुत्व है? कैसी विचारधारा और संस्कार,हिन्दू धर्म का है?*
*👉इस हिंदुत्व में सबसे बड़ी बात यह है कि कोई भी संगठन, पार्टी, व्यक्ति इसके खिलाफ दो शब्द कहने को हिम्मत नही जुटा पाता। एक पहलू खान गाय के चक्कर में मारा गया, एक हिन्दू ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में रंगभेद की वजह से मारा गया, इण्डिया गेट में मोमबत्तियां जलती है, सोशल मीडिया में विरोध प्रकट होता है लेकिन एक व्यक्ति इसलिए मारा जाता है क्योंकि उसने गरबा देखा, मूँछे रखी, सोचिये कहाँ है हम? और कुछ भी नही होता। भारत के संविधान निर्माता का रावण के साथ फोटो जलाया जाता है इससे गिरा हुआ समाज कहीं और नही मिलेगा आपको।। हर व्यक्ति के मन केवल नफरत और जहर बढ़ रहा है बस और कुछ नही।*
फैसला आप को करना होगा
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ReplyDeletebhai agar himmat ho toh mere se debate kar..samaj ke saamne warna faltu ke post mat dala kar ...smjha
ReplyDeletejayda dikkat ho toh arya samaj ke pas ja aur unko jhutha sabit kar warna gandgi phelane ki jarurat nhi h ..murkh vyakti..
arya nam nasal sidh kar kon thi
angrez ki aulaad
इसने जो भी कहा है सच कहा है एक बार अपनी किताबों को अच्छे से पढ़
DeleteDemag mein afim hai दयानन्द सरस्वती ko pado to pata chal jayega sab kya hai dharm mein srif jhut aslilta aur kuch nhi
DeleteKhebar darre se jo ghuse the whi the aaryans...
Deleteread more about it here https://hi.letsdiskuss.com/why-is-abusing-hindu-deities-and-hindus-a-trend
ReplyDeletehttps://darkness2truth.wordpress.com/2019/01/08/hinduism-and-lust/amp/?__twitter_impression=true
Deleteधन्य है आपके माता पिता जिन्होंने आपको जन्म दिया। अरे अगर प्रचार करना है तो आपने धर्म का करो जिसको आप मानते हो, परन्तु हिन्दू सनातन धर्म का दुष्प्रचार करने का आपको कोई अधिकार नही है। सोच को सही करो और फिर पोस्ट लिखा करो। हिन्दू सनातन धर्म से बड़, प्राचीन और महान धरम इस सृष्टि पर दूसरा कोई नही है। इस बात को जितनी जल्दी समझ जाओ उतना अच्छा है। ब्राह्मणों और क्षत्रियों ने बहुत बलिदान दिए हैं इस हिन्दू सनातन धर्म को बचाने के लिए। तुम जैसो की बहू बेटियों की इज्जत बचाने के लिए, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान जैसे बहुत सारे योद्धा लड़े थे देश व धर्म की रक्षा के लिए।
Deleteअतः आपसे अनुरोध है इस तरह की बेकार की पोस्ट या आर्टिकल दोबारा मत पोस्ट करना। पढ़े लिखे और भी है इस देश मे, इस तरह अपना उपहास मत करवाओ।
तुम जैसे लोग खुद के लिए और अपने माता पिता के लिए एक गन्दी गाली हो और कुछ नही।
Understand, you better understand
हिन्दू सनातन धर्म की जय🙏🙏🙏🙏🙏💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪
भ्रमित लोग दूसरों को भी भ्रमित करते है। सनातन धर्म मानव केलिए धरोहर है जिसका आधार है जीवन का उद्देश्य निर्धारण । मनुष्य जीवन का उद्देश्य अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष सनातन संस्कृति की देन है । लेकिन हम अर्थ और काम को अपनाए हैं और धर्म मोक्ष पर भ्रमित है । धर्म मनुष्य का आन्तरिक गुण है जिससे वह मानव बना है । मोक्ष भी मानव का अधिकार है । इस विचार मे सनातन मे कोई जाति नहीं दिखाई गयी है। यह जाति प्रथा वैदिक काल में कर्म के आधार पर रही होगी और बाद में वह जन्म के आधार पर गिर आई है। इस बात को यदि समझकर हम सनातनसंस्कृति की मूल भावना को ध्यान में रखे तो हम सब.एक जाति विहीन संतुलित समाज पुनः बना सकते है और भ्रमित होने से बचे रह सखते है।
Deleteमहाशय आप जो फरमा रहे है वो सही है तो फिर जाति व्यवस्था को समाप्त करने में पहल क्यों नहीं करते !!
Deleteकेवल स्वर्णों ने ही देश के लिए बलिदान दिये तो फिर कैसे थोड़े से आक्रमण कारी भारत में आकर यहाँ के सम्राट बन गये और क्यों भारत के वीर क्षत्रियों , ब्राह्मण , वैश्यों (स्वणों) को सैंकड़ों वर्षो तक गुलाम बनाकर रखा महाशय ।
Deleteभारत देश में 15% स्वणों(क्षत्रियों , ब्राह्मण , वैश्यों ) ने स्वहित के लिए ही वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित बनाकर 85% भारत के मूलनिवासियों(शुद्रों ) का शोषण करने के लिए मनुस्मृति का संविधान लागू किया ।1) छूत - अछूत किसने बनाया* #ब्राह्मण* नें।
2 ) एकलव्य का अंगुठा किसनें काटा *#ब्राह्मण* नें।
3 ) वर्ण व्यवस्था किसने बनाई *#ब्राह्मण* नें।
4 ) वर्ण व्यवस्था मे शुद्रों को शिक्षा से वंचित किसने किया *#ब्राह्मण* नें।
5 ) शुद्रों को 6743 जातियों में किसने बाँटा *#ब्राह्मण* नें ।
6 ) छत्रपती शिवाजी महाराज को शुद्र कह कर राज्याभिषेक का विरोध एवं बायें पैर के अंगूठे से तिलक किसनें किया *#ब्राह्मण* नें।
7 ) छत्रपती शिवाजी महाराज की धोखे से हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
8 ) मौर्यवंश के अंतिम शासक बृहद्रथ मौर्य की हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
9) भगवान बुद्ध के देश को अन्धविश्वास और जातियों में किसने बांटा *#ब्राह्मण* नें ।
10 ) राष्ट्रपिता जोतीराव फुलें का विरोध किसने किया *#ब्राह्मण* नें ।
11 ) माता सावित्रीबाई फुलें को लड़कियों को शिक्षा देने की वजह से उनके ऊपर गोबर फेक कर किसने मारा *#ब्राह्मण* नें ।
12 ) गो हत्या पाप है , ऋग्वेद में विष्णु को गाय की बली देने का आदेश किसने दिया ।*#ब्राह्मण* नें।
13)भारत देश के मूलनिवासियों को गुलाम किसने बनाया *#ब्राह्मण* नें।
14 ) डॉ बाबासाहब आंबेडकर का विरोध कौन करता था *#ब्राह्मण*।
15 ) शुद्रों को मंदिर मे जाने से किसने रोका *#ब्राह्मण* नें।
16 ) भारत देश मे मनुस्मृति का कानून किसने लागू किया *#ब्राह्मण* नें।
17 ) संत तुकाराम महाराज की हत्या किसने की *#ब्राह्मण* नें।
18 ) मुगलों ( भारत के मुसलमान अपनें को मुगल न समझें , भारत के मुसलमान ओबीसी , एससी , एसटी से धर्म परिवर्तित लोग हैं ) द्वारा दी हुई गाली हिंदू जिसका अर्थ काला चोर , डाकू एवं काफिर होता है। हिन्दू शब्द का इस्तेमाल करके मुगलों की वफादारी कौन कर रहा है *#ब्राह्मण* ।
19 ) शुद्रों के गले मे मट्का , कमर में झाड़ू और सर पर चपल किसने लगवाया *#ब्राह्मण* नें।
20 ) 52 साल तक किसनें अपनें संगठन के मुख्यालय पर भारत देश का तिरंगा नहीं लहराया। 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से लहराना शुरू किया। *#ब्राह्मण* नें ।
भाई एक धर्म ग्रंथ पड लेना सब समज आ जायेगा ।।
DeleteBechara sataya hua lagta h
ReplyDeleteMurkh khin ka
Kon hai re aap?...
ReplyDeleteHindu ko glt bolne wale hote kon hai aap?
Aap insan hai ya janwar.😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡😡
हिन्दुओं को गाली देने वाले tera जन्म हिजड़ों के खानदान मे हुआ है क्या या तेरा पापा दलाल और माँ वेश्या h
ReplyDeleteYahi pahachn hai dharm ki tumhari galiya aise hi tumhara itihas hai खजुराहो के मंदिरों में
DeleteBajio apni baji ,khala ,aami ko vha
Deleteपाकिस्तान का पहला कानून मंत्री,,,पहला सविधान पीठ का अध्यक्ष,,,,जोगेश्वर नाथ मंडल के बारे में भी बतावें,,,,जिन लोगों को तुम विदेशी बोल रहे हो,,,वो आज भी सेना में सर्वाधिक है,,,और देश के लिए सर्वाधिक बलिदान दे रहें हैं,,,,,,आप नाम बदल सकते हो,,व्यवस्था नहीं,,,,,ये एससी,,एसटी,,ओबीसी,,जनरल,,एसबीसी,, एमबीसी,,माइनोरिटी क्या है,,,,ये फर्स्ट ग्रेड की नौकरी,,,सेकंड ग्रेड की नौकरी,,,थर्ड ग्रेड की नौकरी,,,फोर्थ क्लास,,,,ये क्या है,,,,ये तो सब सविधान के तहत ही है।
Deleteकांग्रेस की स्थापना क्रांतिकारियों के भय से अग्रेंज एवं देश के गद्दारों ने की जो भारतीय सनातन धर्म संस्कृति के दुश्मन जिन्होंने इतिहास में छेड़छाड़ कर शिक्षा, भाषा के माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति को समाज मे लाया गया समाज में कुप्रचार कर सनातन धर्म को हिन्दू, सिख, जैन बौद्ध में बांट फिर हिन्दूओं को जाति में बांटा गया, इस षड्यंत्र में मक्कार बामपंथियों लिबरलों का मुख्य हाथ रहा जिन्होंने भोले भाले लोगों में सनातन सामाजिक वर्णव्यवस्था में जाति छूआछूत का जहर घोल हिन्दू को हिन्दूओं से लड़वाया इन बामपंथी लिबरल मक्कारों को यह पता नहीं करोड़ों वर्षों में सनातन धर्म संस्कृति को मिटाने वाले कितने आये और जमीं दफन हो गये, सनातन धर्म जिसका ना आदि ना अंत जब तक दुनिया है सनातन धर्म संस्कृति रहेगी, इन गीदड़ों के कोसने से हाथी नहीं मरा करते हैं, अब इन षड्यंत्र कारियों बजूद मिटने वाला मगर सनातन धर्म सीना ताने पूरे विश्व छायेगा!
DeleteKon ha ye chutiya faltu ki post na karo
ReplyDeleteसच कड़वी होती है और ये अंध भक्तो को मिर्च के तरह तीखा लगता है और अपना आपा खोकर आप्सब्द बाते बोलने पर मजबुर हो जाता है गलती उस बंदे का नही गलती अंध भक्तो के मुल मन्त्र का है ये हर अंध भक्तो मे दिखता है सच तर्क के साथ पेस करो तो बड़ा तिलमिला कर लगता है अंध भक्तो को जय भीम जय मुल निवासी नमो बुद्धाय जय संविधान जय भारत 🙏🙏⚘⚘⚘
ReplyDeleteYah bhi sach hai ki akshar sabd ka arth kainial language me
DeleteKutte aur suvar ke virya se paida hone vala hota hai
इसका समाधान कैसे हो सकता है।
ReplyDeleteइस लेख को जिसने भी लिखा है उसने कर अपनी मां का दूध पिया है तो वह सिर्फ इतना बता दे या जिस जिस में भी कमेंट किया है हिंदुओं के खिलाफ और हमारे पुराणों के खिलाफ सिर्फ इतना बता दे कि भीमराव अंबेडकर का नाम क्या था अरे चमचो हिजड़ों की औलाद जिस भीम की जय जयकार करते हो उसके नाम से अंबेडकर हटा दो उसके बाद किसी ब्राह्मण को गाली देना किसी क्षत्रिय को गाली देना तुम्हारे इन्हीं हरकतों की वजह से तुम्हें शूद्र कहा जाता है अंबेडकर को अपने टाइटल किसने दिया एक ब्राह्मण ने अंबेडकर बाबा साहब किसने बनाया एक छत्रिय ने जहां भी जाओगे ब्राह्मण और क्षत्रियों का ही योगदान पाओगे मनुस्मृति कर्म प्रधान है ना की जाति प्रधान और तुम्हें कितने पैसे मिले हैं इसलिए को लिखने के लिए हिंदू विरोधियों से अभी 500 दलितों को धर्म की शिक्षा देकर देश का सबसे बड़ा मंदिर तिरुपति बालाजी मैं पुजारी नियुक्त किया गया है और 500 दलितों को धर्म की शिक्षा देकर धर्म ग गुरू बनाया गया है ताकि वह औरों को शिक्षित कर सके लेकिन तुम जैसे लोगों को कुछ समझ नहीं आएगा।
ReplyDeleteVery Nice 🥰 ye koi shudra hee hoga bechaara ... ya fir isko Rishvat mili hai aisi post daalne ke liye ...
Delete"Cow" ko maarne ki baat kon "Hindu" kr skta hai ... kuchh pta bhee hai "Hindu" ke baare mein ya nhi ...
ये मुस्लिम ह खुद ने साइट बनवाई है रिर्पोट करो
Deleteपर इन दो कौड़ी के नीच लोग को कोन समझाये ये चुटीए है इसीलिए इनको शुद्र कहा जाता है और सही कहते है
Deleteसुअर का बच्चा हे तु
ReplyDeleteतुमे बस यही पता ह अपनी बेटी से nekha करो तो ही अल्ला 72 हुरे देगा में एक student हु मगर आसमानी किताब को जलाना चाइए इसमें कोई sak bhi
ReplyDeleteहरमखोर अम्बेडकर ने करा कुछ नही जब देश आजाद हों रहा था डरपोक कही का
ReplyDeleteतेरा बाप हरामखोर् भोसडीके
ReplyDeleteअम्बेडकर चूतिया
ReplyDeleteSahi ha bhai
DeleteAk number...Aise gaandu hi samaj ko kalankit karte h... Bhagwan inko sadbuddhi de
DeleteHindu gali nhi h maderchod balki sahas or imandaari ka dusra naam h
ReplyDeleteMai dharm ke bare me jada nhi janti or na hi maine dharm granth padhe hai par ha mera dharm kisi galat baat ko hava nhi deta.
ReplyDeleteब्राह्मणवादी के बारे में अनेक वीडियो डालने हैं और लोगों को बताएं धर्म के बारे में कि हिंदू धर्म क्या है अपने लोगों को समझाना भी है यह बात तो सही है
ReplyDeleteउपरोक्त पोस्ट बहुत गलत है । हिंदू और शास्त्रों के बारे में आपको गहरी सोंच गहन अध्ययन कि जरुरत है ।
ReplyDeleteSabri kon thi
ReplyDeleteKewat kon tha
Raja guh kon tha
Vishwamitra kon the
Sugriva ki jati kya thi
Ravidas jayanti kyo manate hi
Bahut udahran hi
Kuch pard v liya kro gani baba
Hindu Dharm hai koi majhab nhi hai. Hindu ko jab Geeta me bta hi diya hai to kon log ho tum Hindu Dharm ke baare me puchne wale ki Hindu kon hai . Jab MahaBharat me bta diya hai ki har ek vyakti Hindi Dharm me kuch kaam karta hai, usme Brahman kya karega , shatriya kya karega, vaishya kya karega aur shudr kya karega, to isme kisi bhi aurko jo ki manav hai usko puchne ka kya adhikar hai. Jab koi bhi Dharm nhi tha tab Hindu tha aur Tumhare khud ke bataye huve shabdo ke according bhi Hindu ko Bhagvan ne bataya hai ki maine Banaye hai Hindu. Hindu ka matlab hai "Sindhu" jisko samudra jitni takat ka title diya gya hai usko tum kuch samajhdar log ab puchte ho ki Hindu kon hai . Jab se Hindu tha tab aur kisi bhi dharam ka ek bhi vyakti bhi huva hi nhi tha . Aur vo puchte hai ki tum kon ho . Sc st aadi naam bhi abhi ke hai pehle inka apne kaam ke according naam tha aur jisme jitni bhi kaam karne ki samajh thi uske hisab se ve sab apna apna kaam tha aur unko jab kisi bhi dharam ke hisaab se na baata tha kisi ne aur na hi unko dabaya gaya tha apne hisab se sab kaam karte the aur ek healthy and happy samaj tha . Lekin koi aur majhab kahi dikhai nhi deta tha aur isko kehte the "Aadi Sanatan" dharam . Sanatan ka matlab hi hai lagataar . Aadi ka matlab Starting matlab Starting Satyug se yahi ek dharam tha sabka . Koi bhi bhed bhav jo ab tum kuch log kar rhe ho vo nhi tha . Devi Devta the har kaam ko karne waale log tum kya samjhoge Hindu dharam ko . Tum jis bhi dharam ke ho uske granth hi thik tarah se padhkar batao ki usme kya achi baat hai jisse ham Hindu dharam wale kam se kam ye jaan sake ki tumhare dharam me bhi kuch aisi baate hai jo tumhare palle padti hai . Dusre dharam ki burai apne shabdo me karne ka hi kaam hai kya tumko . And Bharatiya tha pehle Hindu ka matlab and Hindu ka matlab tha Bhartiya . Bhul gaye kya Hindustan aur Bharatvarsh ek hi desh ka naam hai . Jo post kiya hai usme se bhi dikh rha hai kuch aur manipulation kar lete to kam se kam dikhta to nhi abhi kehte ho ki Bhagvan ne banaya aur abhi kehte ho ki kon hai . Pehle apna dharam padho fir uski achhai batao aur kami ho to pehle usko dur karo fir Bhagvaan par sawaal uthane aana . Hamne bhagvan keh diya to problem to nhi honi chahiye kisi ko . Kyoki Bhagvan jis soch se Hindu kehta hai , dusra koi usi bhavna se usko hi bulata hai apni apni bhasha Language ke according . Jaise Allah, God, ....
ReplyDeleteKisi bhi group me koi bhi kaam thopa nhi gaya hai aur tum ye keh bhi nhi sakte Bhagvaan ke according . Jab kisi ki khud ki marji hogi to hi diya hoga . Bhagvaan ko halke me le rhe ho tum log . Bhagvaan kisi ko bhi un satisfied kaam nhi diya hai jab poora sansaar bnaya hai to
ReplyDeleteBrahman tumhara baap ha
ReplyDeleteBraman sabka kya usko apna baap ka pta nhi
DeleteDNA report jaan ly tumara baap kon hai
Ye Google pe Se hata do
ReplyDeleteक्यो बात सही है तो गांड में मिर्ची लग रही है
DeleteMadharchod teri ammi ke gand main bambu
ReplyDeleteसच्ची बाते कड़वी लगती है।
ReplyDeleteअरब आक्रांताओं ने सर्वप्रथम ज्ञान के स्रोत नालन्दा विश्वविद्यालय को पूरी तरह से खत्म कर दिया ताकि इससे विद्वान न निकल सकें। छठवीं सदी में यहां पर अरब और तुर्क के मुसलमानों ने आक्रमण करना शुरू किए और बड़ी संख्या में तबाही मची। आज भी यहां पर तोड़ी हुई मूर्तियों और बौद्ध प्रतिमाओं के अवशेष मिलते हैं.
ReplyDeleteइसी प्रकार प्राचीन भारत में नालंदा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विश्व विख्यात केन्द्र था। यह दुनिया का सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक है। महायान बौध धर्म के इस विश्वविद्यालय में हीनयान बौद्ध धर्म के साथ अन्य धर्मों की शिक्षा दी जाती थी और अनेक देशों के छात्र पढ़ने आते थे। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं सदी में भारत भ्रमण के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसाँग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। चीनी यात्री ह्वेनसाँग ने यहां लगभग साल भर शिक्षा ली थी।
1193 में तुर्क सेनापति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था। ऐसा माना जाता है धार्मिक ग्रंथों के जलने के कारण भारत में एक बड़े धर्म के रूप में उभरते हुए बौद्ध धर्म को सैकड़ों वर्षों तक का झटका लगा था और तब से लेकर अब तक यह पूर्ण रूप से इन घटनाओं से नहीं उभर सका है। ऐसा कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय में इतनी किताबें थीं कि वह तीन महीने तक जलती रहीं। इसके बाद खिलजी के आदेश पर तुर्की आक्रमणकारियों ने नालंदा के हजारों धार्मिक विद्वानों और भिक्षुओं की भी हत्या कर दी। तबाकत-ए-नासिरी नामक पुस्तक में फारसी इतिहासकार 'मिनहाजुद्दीन सिराज' ने नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में भी बताया है कि खिलजी और उसकी तुर्की सेना नें हजारों भिक्षुओं और विद्वानों को जला कर मार दिया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म का विस्तार हो। वह इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहता था। नालंदा की लाइब्रेरी में उसने आग लगवा दी, सारी पांडुलिपियों को जला दिया और कई महीनों तक आग जलती रही। इसी प्रकार 1203 ई. में बख़्तियार ख़िलजी के आक्रमण के परिणामस्वरूप विक्रमशिला विश्वविद्यालय नष्ट हो गया। इस सन्दर्भ में भी 'तबकाते नासिरी' से जानकारी मिलती है। सम्भवतः इस विश्वविद्यालय को दुर्ग समझ कर नष्ट कर दिया गया
बामियान के बुद्ध चौथी और पांचवीं शताब्दी में बनी बुद्ध की दो खडी मूर्तियां थी जो अफ़ग़ानिस्तान के बामयान में स्थित थी। मुगल शासक औरंगज़ेब और फ़ारसी शासक नादिर शाह ने इन मूर्तियों पर हमला करके उन्हें क्षतिग्रस्त किया। अंतत: मार्च २००१ में अफ़ग़ानिस्तान के जिहादी संगठन तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के कहने पर डाइनेमाइट से उडा दिया गया।
ऐसे लोगो को धर्म के बारे में कुछ पता होता नही ह बेवकूफ वाली बात करते है
ReplyDeleteतेरे को बहुत पता हैं
Deletekya yar bevkufi wali bate post kar rahe ho. aj duniya me jo bhi ho rha hai wah sab sanatan dharm ki den hai.
ReplyDeletehamari education system duniya ka sabse achchha system tha tere jaise soch walo ne hi us purane system ko khatm kiya hai. tumhari soch swarthi aur gandi hai.
Bhai kya dalit apne aap me mcd(madherchoudh) ki gali nahi hai jise aap garv se kaha rahe ho. Aap narrow mind hindu kya aapko Malum hi nahi aapse jyada to non hindu ko hai.
ReplyDeleteAise murkho ne Hamara gala ghonth rakha hai Malum Karo ye log khin isis/isi ke agent ho kyonki itna kam knowledge inke pas hi ho sakta hai.
ReplyDeleteHo sakta ye log ABD(SAHAB) ka istemal Kar rahe ho. If these moments are in circulate so they are very dangerous for our nation/country/our socializim.
ReplyDeleteThe Bahujan Moveement........ke khilaph FIR.HONI CHAHIYE
ReplyDeleteYes/no
ReplyDeleteVery nice good jay bhim
ReplyDeletePagal admi jis language ki baat kar raha hai uski utpati hi hindu ke baad hui
ReplyDeleteYe sab fake fake mat likh
Mere se debet kar kutte ki aulad
9372736394