Tuesday 25 July 2017

राम की नहीं बौध विहार है

अब हमें भी मैदान में आना चाहिए *
रामजन्म भूमि , राम की नहीं बौध विहार है जिसे ब्राह्मणों ने तोडा था : वीरू कौशिक
अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत है। मौर्य शासनकाल तक इसका नाम साकेत ही था। यहाँ पर कोशल नरेश प्रसेनजित ने बावरी नाम के बौद्ध भिक्षु की मृत्य के पश्चात उसकी याद में "बावरी बौद्ध विहार" बनवाया था। राजा प्रसेनजित गौतम बुद्ध के समय में थे। इस बौद्ध विहार को ब्राह्मण राजा पुष्यमित्र शुंग(राम)ने ध्वस्त कर दिया था। यह स्थान बावरी नाम से विख्यात हो गया था।

बाद में राजा पुष्यमित्र शुंग (राम) ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से बदलकर साकेत किया और साकेत का नाम भी अयोध्या कर दिया । अयोध्या=बिना युद्ध के बनाई गयी राजधानी..


बाल्मीकि कवि ने अपने राजा पुष्यमित्र शुंग (राम) को खुश करने के लिए एक काव्य की रचना की जिसमे राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और रावण के रूप में मौर्य सम्राटो का वर्णन करके उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया।

बाद में राजा के निर्देश पर इस काव्य में कई दन्त कथाएं(बौद्ध धर्म की जातक कथाये) और काल्पनिक कथाएं,वंशावली आदि सम्मलित करके इसकी कथा में बदलाव किया और इसे धर्म ग्रन्थ बना लिया गया...

अयोध्या का बावरी नामक स्थान पर किसी मुस्लिम शासक ने मस्जिद का निर्माण कराया । यह मस्जिद बावरी नामक स्थान पर बनी होने के कारण बावरी मस्जिद कहलाती थी। कुछ दिनों में इसका नाम बिगड़कर बाबरी मस्जिद हो गया। यह मस्जिद बाबर ने नही बनवाई। अगर यह मस्जिद बाबर बनवाता तो मुगल काल में पैदा हुआ तुलसीदास भी अपनी रामचरित मानस में ज़रूर लिखते....


फिर unpaid police(अन्य पिछड़ा वर्ग) को आगे करके बाबरी मस्जिद को गिरा दिया। इसके बाद केस हाई कोर्ट में गया। पुरातत्व विभाग द्वारा इस स्थान की खुदाई की गयी लेकिन राम मंदिर का कोई प्रमाण नही मिला क्योकि वहाँ राम मंदिर नही था। खुदाई में बौद्ध विहार के अवशेष प्राप्त हुए तो उस स्थान की खुदाई रुकवा दी। हाई कोर्ट के वकील ने फैसला सुनकर इस जमीन के तीन हिस्से कर दिए।


हाई कोर्ट के वकील mr. Agrawal ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की यह स्थान मूलतः बौद्ध स्थल था।अब केस सुप्रीम कोर्ट में है।

इस बात की खबर बौद्ध धर्म के अनुयायियों को चली तो उन्होंने भी अपना दावा ठोक दिया। अब तीन लोग इस भूमि के दावेदार है।

मूलतः यह ज़मीन बौद्धों की है और अयोध्या में उस स्थान पर राम मंदिर नही बनेगा....

ये आरएसएस के लोग जानते है लेकिन हमारे लोग नही जानते है।

जय भिम, जय बुध्द, जय भारत


            जितेंद्र बौध्द

         सम्यक समाज संघ -(S3)
       प्रदेश प्रभारी (गुजरात),
भारत में आदिकाल से रहने वाला मुलनिवासी हो तो शेयर करों .विदेशी आर्यपुत तो डिलेट करने पर तुला है .     



 विद्रोही को भगवान बना देना ब्राह्मणवाद का ब्रह्मास्त्र है. यही बुद्ध के साथ हुआ. अब आम्बेडकर के साथ हो रहा है. अगर दलितों और आम्बेडकरवादियों ने पूरी ताक़त से इसका विरोध नहीं किया तो बाबासाहेब की मूर्तियां ही उनकी गुलामी का ज़रिया बन जाएंगी. Bhanwar Meghwanshi का आंखें खोलता लेख पढ़िए:



अम्बेडकरवाद का भक्तिकाल :

दलित गुलामी के नए दौर का प्रारम्भ  !


जयपुर में आज 13 अप्रैल 2o17 को अम्बेडकर के नाम पर "भक्ति संध्या" होगी। दो केंद्रीय मंत्री इस  अम्बेडकर विरोधी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। अम्बेडकर जैसा तर्कवादी और भक्तिभाव जैसी मूर्खता ! इससे ज्यादा बेहूदा क्या बात होगी ?



भीलवाड़ा में बाबा साहब की जीवन भर विरोधी रही कांग्रेस पार्टी का एसी डिपार्टमेंट दूसरी मूर्खता करेगा। 126 किलो दूध से बाबा साहब की प्रतिमा का अभिषेक किया जायेगा। अभिषेक होगा तो पंडित भी आएंगे ,मंत्रोच्चार होगा,गाय के गोबर ,दूध ,दही ,मूत्र आदि का पंचामृत भी अभिषेक में काम में लिया ही जायेगा । अछूत अम्बेडकर कल भीलवाड़ा में पवित्र हो जायेंगे!



तीसरी वाहियात हरकत रायपुर में होगी 5100 कलश की यात्रा निकाली जाएगी। जिस औरत को अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहब ने मंत्री पद खोया ,उस औरत के सर पर कलश,घर घर से एक एक नारियल लाया जाएगा। कलश का पानी और नारियल आंबेडकर की प्रतिमा पर चढ़ाये जायेंगे। हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जायेंगे। जिस अम्बेडकर के समाज को आज भी नरेगा ,आंगनवाड़ी और मिड डे मील का मटका छूने की आज़ादी नहीं है ,उनके नाम पर कलश यात्रा ! बेहद दुखद ! निंदनीय !



एक और जगह से बाबा साहब की जयंती की पूर्व संध्या पर भजन सत्संग किये जाने की खबर आयी है। एक शहर में लड्डुओं का भोग भगवान आंबेडकर को लगाया जायेगा।



बाबा साहब के अनुयायी जातियों के महाकुम्भ कर रहे है ,सामुहिक भोज कर रहे है,जिनके कार्डों पर गणेशाय नमः और जय भीम साथ साथ शोभायमान है।भक्तिकालीन अम्बेडकरवादियों के ललाट पर उन्नत किस्म के तिलक लगाएं जय भीम बोलने वाले मौसमी मेढकों की तो बहार ही आयी हुयी है।



बड़े बड़े अम्बेडकरवादी हाथों में तरह तरह की अंगूठियां फसाये हुए है,गले में पितर भैरू देवत भोमियाजी लटके पड़े है और हाथ कलवों के जलवों से गुलज़ार है,फिर भी ये सब अम्बेडकरवादी है।



राजस्थान में बाबा साहब की मूर्तियां दलित विरोधी बाबा रामदेव से चंदा ले के कर डोनेट की जा रही है।इन मूर्तियों को देख़ कर ही उबकाई आती है। कहीं डॉ आंबेडकर को किसी मारवाड़ी लाला की शक्ल दे दी गयी है ,कहीं हाथ नीचे लटका हुआ है तो कहीं अंगुली "सबका मालिक एक है " की भाव भंगिमा लिए हुए है।



 ये बाबा साहब है या साई बाबा ? मत लगाओ मूर्ति अगर पैसा नहीं है या समझ नही है तो।



 कहीं कहीं तो जमीन हड़पने के लिए सबसे गन्दी जगह पर बाबा साहब की घटिया सी मूर्ति रातों रात लगा दी जा रही है।



बाबा साहब की मूर्तियां बन रही है ,लग रही है ,जल्दी ही मंदिर बन जायेंगे ,पूजा होगी ,घंटे घड़ियाल बजेंगे,भक्तिभाव से अम्बेडकर के भजन गाये जायेंगे। भीम चालीसा रच दी गयी है,जपते रहियेगा।



गुलामी का नया दौर शुरू हो चुका है। जिन जिन चीजों के बाबा साहब सख्त खिलाफ थे ,वो सारे पाखण्ड किये जा रहे। बाबा साहब को अवतार कहा जा रहा है। भगवान बताया जा रहा है। यहाँ तक कि उन्हें ब्रह्मा विष्णु महेश कहा जा रहा है।



हम सब जानते है कि डॉ अम्बेडकर गौरी ,गणपति ,राम कृष्ण ,ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश ,भय ,भाग्य ,भगवान् तथा आत्मा व परमात्मा जैसी चीजों के सख्त खिलाफ थे।

वे व्यक्ति पूजा और भक्ति भाव के विरोधी थे। उन्होने इन कथित महात्माओं का भी विरोध किया ,उन्होंने कहा इन महात्माओं ने अछूतों की धूल ही उड़ाई है।


पर आज हम क्या कर रहे है बाबा साहब के नाम पर ? जो कर रहे है वह बेहद शर्मनाक है ,इससे डॉ अम्बेडकर और हमारे महापुरुषों एवम महस्त्रियों का कारवां हजार साल पीछे चला जायेगा। इसे रोकिये।



बाबा साहब का केवल गुणगान और मूर्तिपूजा मत कीजिये। उनके विचारों को दरकिनार करके उन्हें भगवान मत बनाइये । बाबा साहब की हत्या मत कीजिये।



आप गुलाम रहना चाहते है ,बेशक रहिये ,भारत का संविधान आपको यह आज़ादी देता है ,पर डॉ अम्बेडकर को प्रदूषित मत कीजिये।



आपका रास्ता लोकतंत्र और संविधान को खा जायेगा। फिर भेदभाव हो ,जूते पड़े,आपकी महिलाएं बेइज्जत की जाये और आरक्षण खत्म हो जाये तो किसी को दोष मत दीजिये।



 इन बेहूदा मूर्तियों और अपने वाहियात अम्बेडकरवाद के समक्ष सर फोड़ते रहिये।रोते रहिये और हज़ारो साल की गुलामी के रास्ते पर जाने के लिए अपनी नस्लों को धकेल दीजिये।गुलामों से इसके अलावा कोई और अपेक्षा भी तो नहीं की जा सकती है।



 जो बाबा साहब के सच्चे मिशनरी साथी है और  इस साजिश और संभावित खतरे को समझते है ,वो बाबा साहब के दैवीकरण और ब्राह्मणीकरण का पुरजोर विरोध करे।मनुवाद के इस स्वरुप का खुल कर विरोध करे।


अम्बेडकरवाद में भक्तिभाव  के लिए कोई जगह नहीं है ।   




 मित्रों आज एक और पाखंडवाद की पोल खोलते है... 

काल्पनिक पोथी  पुराणों के अनुसार जब लंका मे लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा तब उनके प्राण बचाने के लिये सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान जी "संजीवनी बूटी" लेने द्रोणागिरि पर्वत की ओर उड़े! लंका से द्रोणागिरि पर्वत की दूरी लगभग 3 हजार किमी० है!
हनुमान जी आधी रात को उड़े थे और रास्ते मे थोड़ा समय कालनेमी ने बर्बाद किया, लौटते समय भरत ने भी बाण मारकर कुछ समय नष्ट किया!

हनुमान जी ने आने--जाने मे 6 हजार किमी० की यात्रा की, अगर ऐसा माना जाये कि उन्हे छः घन्टे लगे तब भी औसत चाल हुयी एक हजार किमी० प्रति घंटा,
अब पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 13 करोड़ 80 लाख किमी० है, तो हनुमान को बचपन मे कितना दिन लगेगा सूर्य तक पहुँचने मे,और फिर वापस पृथ्वी पर आने मे।

तुलसीदास जी फेकने मे तो आप माहिर थे, अब जरा यह भी बताओ कि जो हनुमान जवानी मे हजार किमी० प्रति घंटा की चाल से उड़े, तो बचपन मे किस चाल से सूर्य की तरफ उड़े थे!

बाबा तुलसी का झूठ देखो कि लिखते है कि हनुमान सूर्य को निगलकर धरती पर वापस आकर बैठे थे और देवतागण विनती कर रहे थे कि सूर्य को बाहर निकालो! सूर्य, पृथ्वी से दर्जनो लाख गुना बड़ा है और उसे खाकर हनुमान जी पृथ्वी पर ही बैठे थे!

दूसरी बात कोई भी बन्दर अगर केला भी खाता है तो उसे चबाकर खाता है, और हनुमान सूर्य को बिना चबाये ही निगल गये फिर देवताओं के कहने पर उसी स्थिति मे बाहर भी निकाल दिया!

भला यह सम्भव है कि जो चीज मुँह से खायी जाये उसे मुँह से ही सही-सलामत वापस भी निकाल दिया जाये!

तुलसी बाबा झूठ की झड़ी!!!!
मनुवाद के झुठ ओर पाखंड जिन पर हम आँख बंद करके विशवास् कर लेते हैं। 
आईये जानते है कुछ ऐसे ही झुठी कहानियों को।
1) भारत का ये सुपर मैन यानी हनुमैन जब ये  अपने हाथ पर इतना बड़ा पहाड़ उठाकर किसी और जगह ले जा सकता था तो बंदरों की फौज लंका ले जाने के लिए समुंदर में पत्थरों से रास्ता क्यों बनाना पड़ा.??? 
सीधा सबको हाथ पर बिठाकर उड़ा क्यों नही ले गया...??? 

2) जब हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुह में दबा लिया था तब सिर्फ भारत में अंधेरा हुआ था या पूरे विश्व में।

3) कृष्ण जी की गेंद यमुना में कैसे डूब गई जबकि दुनिया की कोई गेंद पानी में नही डूब सकती। 
और गेंद का अविष्कार कब हुआ????

4) कहा जाता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं जबकि उस समय भारत की कुल जनसंख्या भी 33 करोड़ नही थी????

5) भारत के अलावा और किसी देश में इन 33 करोड़ देवताओ में से सिर्फ भगवान बुद्ध के अलावा किसी देवताओ को नही पूजा जाता???

6) आरक्षण से पहले इनके बंदर भी उड़ते थे , ओर न जाने किस किस विधि से बच्चों का जन्म हो जाता था, परंतु जबसे आरक्षण लागू हुआ है इनके सारे आविष्कार बन्द हो गए???

7) जब एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति को बिना ग्रुप मिलाये हुए नही दिया जा सकता क्योंकि अगर A positive वाले व्यक्ति को सिर्फ  A positive वाले व्यक्ति का खून दिया जा सकता है अगर दूसरा खून दिया गया तो उस व्यक्ति की मौत हो सकती है। फिर इंसान के शरीर पर हाथी की गर्दन कैसे फिट हो गयी????

8) 33 करोड़ देवी देवताओं के होते हुए भी भारत हजारों साल कैसे गुलाम हो गया???

9) कोई भी देवता किसी शुद्र के घर पर पैदा क्यों नही हुआ???

10) इतने सारे देवी देवताओं के होते हुए भी शुद्र का विकास क्यों नही हुआ। उनके साथ भेदभाव क्यो हुआ..?? 

ये फेसबुक बनाने वाला मार्क जुकेबर्क को सारी दुनिया जानती है लेकिन दुनिया बनाने वाले ब्रम्हा को सिर्फ भारत देश ही क्यों जानता है.???? 

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  तिरुपति बालाजी मंदिर पहले बौद्ध विहार था...। 
सिर मुंडन💇 करने की प्रथा किसी भी हिन्दू मंदिर में नही है, ये प्रथा सिर्फ बौद्ध धम्म की है। बालाजी मंदिर में पहले जो भी भिक्खु बनने आता था उसका सर मुंडन किया जाता था। मुंडन की ये प्रथा आज भी चली आ रही है। 
तिरुपति बालाजी की जो मूर्ति है वो बुद्ध की ही है। समय के साथ ब्राह्मणों ने कब्जा करके बुद्ध को बालाजी बना दिया और अपना व्यसाय शुरू कर दिया।

उसी तरह पंडरपुर का मंदिर भी बौद्ध विहार था उसे भी ब्राह्मणों ने व्यसाय करने के लिए बुद्ध की मूर्ति को विट्ठल बना दिया। यदि मूर्ति का सभी कपडा हटा कर देखेंगे तो सच्चाई सामने आ जायेगी, तथा वहाँ के दिवालो में पाली भाषा में लिखा हुआ लेख भी बौद्ध विहार होने का पुष्टि करता है...

उसी तरह जगननाथ पूरी का मंदिर भी बौद्ध विहार था,,,
अब इसके आगे एक ही शब्द है की पहले पूरा भारत बौद्धमय था,,,
धीरे धीरे लोग समझदार होंगे और कर्मकांडो से दूर होंगे तथा भारत फिर से बौद्धमय होगा,,,
🌹जय भिम🌹

(बाबासाहेब आंबेडकर writing and speeches, volume 18. Part 3 page no 424)        

5 comments:

  1. 🗼तिरुपति बालाजी मंदिर पहले बौद्ध विहार था...।
    सिर मुंडन💇 करने की प्रथा किसी भी हिन्दू मंदिर में नही है, ये प्रथा सिर्फ बौद्ध धम्म की है। बालाजी मंदिर में पहले जो भी भिक्खु बनने आता था उसका सर मुंडन किया जाता था। मुंडन की ये प्रथा आज भी चली आ रही है।
    तिरुपति बालाजी की जो मूर्ति है वो बुद्ध की ही है। समय के साथ ब्राह्मणों ने कब्जा करके बुद्ध को बालाजी बना दिया और अपना व्यसाय शुरू कर दिया।

    उसी तरह पंडरपुर का मंदिर भी बौद्ध विहार था उसे भी ब्राह्मणों ने व्यसाय करने के लिए बुद्ध की मूर्ति को विट्ठल बना दिया। यदि मूर्ति का सभी कपडा हटा कर देखेंगे तो सच्चाई सामने आ जायेगी, तथा वहाँ के दिवालो में पाली भाषा में लिखा हुआ लेख भी बौद्ध विहार होने का पुष्टि करता है...

    उसी तरह जगननाथ पूरी का मंदिर भी बौद्ध विहार था,,,
    अब इसके आगे एक ही शब्द है की पहले पूरा भारत बौद्धमय था,,,
    धीरे धीरे लोग समझदार होंगे और कर्मकांडो से दूर होंगे तथा भारत फिर से बौद्धमय होगा,,,
    🌹जय भिम🌹

    (बाबासाहेब आंबेडकर writing and speeches, volume 18. Part 3 page no 424)

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  2. पण्डित जी ट्रेन में राम कथा का *लंका का वृतांत* सुना रहे थे एक विज्ञानं के स्टूडेंट ने पूछा -

    *मैने पूछा* :- ये लंका किसकी थी ?
    *ब्राम्हण* :- रावण की
    *फिर पूछा मैंने* :- ये किस धातु की बनी थी ?
    *ब्राम्हण* :- सोने की
    *मैंने पूछा* :- इसे किसने जलाया ?
    *ब्राम्हण* :- हनुमान जी ने
    *मैंने कहा* :- तो वो सोना भी जल गया होगा ?
    *ब्राम्हण* :- हाँ
    *मैं बोला* :- अच्छा जी , तो बताइये सोने का melting point कितना होता है ?
    *ब्राम्हण* :- चुप हो जा अधर्मी . . . .
    *मैं बोला* :- तो सुनो रे ढोंगी ब्राम्हण सोने का melting point 1064.18°c होता है तथा boiling point 2970°c होता है तो लंका का सोना जला कैसे ?

    *मनुवादी* :- हे पापी तेरा सर्वनाश होगा . . . .
    *अम्बेडकरवादी*:- मान लो वहां इतना तापमान हो गया होगा तो फिर वहां बाकी लोग बचे
    कैसे ? ???????????????
    ?????????????????????

    *ब्राम्हण* :- तेरी °°°°
    *मैंने कहा* :- हनुमान कैसे बचा उस की तो पूँछ में आग लगी थी ?
    *ब्राम्हण* :- चुप होजा°°°°°°
    *मैंने कहा* :- भाई अब तुम फिरकी लेना बंद करो।
    बहुत हो गया तुम्हारा पाखंड, अब हम गौतम बुद्ध जी वाला logic लगाते हैं ।

    👉तो पाखण्ड वाद से सावधान रहो और अपने विवेक-सुबुद्धि-तर्क का प्रयोग करो । आगे बढ़ते रहे । खुद सतर्क रहे और समाज को भी इनसे बचायें ।

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  3. *पूरी रामायण और महाभारत 3-3 बार पढ़ा और यही समझा की।*

    *1-जिस देश के महापुरुष ने छोटी सी बात पर स्त्री के नाक काट दिए थे वहां के समाज में तेजाब फेकना कौन सी बड़ी बात है।*


    *2-जिस देश के महापुरुष ने केवल इस बात पे एक शुद्र की हत्या कर दी थी की उसने यज्ञ किया था वहाँ शूद्रों को मन्दिर में जाने से रोकना कौन सी बड़ी बात है।*

    *3-पाँच पाँच पतियों के होते हुए अगर स्त्री का चिरहरण पुरे सभा के बिच में हो सकता है वहाँ के समाज में बलात्कार और छेड़छाड़ तो मामूली बात होगी*


    *4-जहाँ स्त्री को ही हर बार अग्निपरीक्षा देनी पड़ी हो वहां के समाज में पुरुष के सामने स्त्री की कोई औकात नही ये कौन सी बड़ी बात है।*


    *5-जहां देवता ही बलात्कार करता हो और दंड भुगतना पड़ता हो स्त्री को उस समाज में स्त्री हमेशा प्रताड़ित हो कौन सी बड़ी बात है (अहिल्याव् गौतम )*


    *6-जहाँ गुरु ने सिर्फ इस बात पे शिष्य का अंगूठा काट लिया हो की वह शुद्र है वहाँ इनके पढने से रोका जाये कौन बड़ी बात है*

    *एक और बड़ी बात------*

    *दोनों ग्रन्थों में कोई भी normal तरीके से नही पैदा हुआ है कोई आम से तो कोई सूर्य से तो कोई मछली से पता नही कहाँ कहाँ से.....और हम विश्वास करते हैं ।*

    *हमे पागल समझ रखा है क्या।*

    *देश को आगे बढाना है तो कचरे को छोड़कर संविधान पढो*

    *संविधान पढ़ने से सबकुछ अपने से ठीक होना चालू हो जायेगा*


    *"सारी समस्या का एक समाधान संविधान का सच्चा ज्ञान"*

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  4. जीसस बुद्ध की तुलना में बचकाने है मेरी इन बातों ने पश्चिम को घबरा दिया । OSHO Hindi Speech

    https://youtu.be/WFXqP_Wusag

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  5. हमारे कमर से झाड़ू , गले से मटका हटाने कोई भगवान नही आया ।_*


    *_गन्दी नाली, और तालाबों का पानी पिने जब मजबूर किया गया तब कोई जल देवता हमे पानी पिलाने अवतार नही लिया ।_*

    *_जब हमारी ज़िन्दगी जंगलो में काटने, कन्द-मूल और जानवरों का कच्चा मांस खाने को मजबूर किया गया, खतरनाक जानवरों से बचाने कोई भगवान् नही आया ।_*

    *_जब हमे मैला ढोने और गुलामी करने को मज़बूर किया गया तब हमारे लिए भगवान् ने अवतार नही लिया ।_*

    *_आज भी शुद्र समाज प्रतिदिन जातीय आधार पर होने वाले अपमान के कारण अपमानित हो रहा हैं, हमे सम्मान दिलाने कोई भगवान् अवतरित नही हो रहा हैं ।_*


    *_फिर हम किस आधार पर पत्थर की मूर्तियों में, काल्पनिक भगवान का अस्तित्व ढूंढकर पूजा-पाठ करें ?_*

    *सीधी सी बात -*

    *_कल तक भगवान् को हम पसन्द नही थे इसलिए आज हमें काल्पनिक भगवान् बिलकुल पसन्द नही हैं । खेल ख़तम ।।।।_*

    *_आज हमें जो कुछ भी मिला हैं वह हमारे महापुरुषों के त्याग, मेहनत, बलिदान और " बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर " जी के संविधान की बदौलत मिला हैं !_*

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