Sunday 16 July 2017

राष्ट्रपति चुनाव पर है BJP की नजर

 अब राष्ट्रपति चुनाव पर है BJP की नजर, 
ग्राफिक्स के जरिए जानें पूरा समीकरण
ABP News


आठ राज्यों की दस विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. उपचुनाव की दस सीटों में से पांच सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. राजस्थान की धौलपुर सीट बीएसपी से बीजेपी ने छीनी, इसके अलावा मध्य प्रदेश-हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और असम की एक सीट भी बीजेपी के खाते में आई हैं.

आपको बता दें कि बीजेपी ने उपचुनाव में भी पूरा जोर इसलिए लगा रखा था क्योंकि नजरें राष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं जो तीन महीने बाद होने हैं. जानें राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को कितने वोट चाहिए और कितने वोट कम पड़ रहे हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा और राज्य सभा के 771 सांसदों के कुल 5 लाख 45 हजार 868 वोट हैं. 
जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5 लाख 47 हजार 786 वोट. इस तरह कुल वोट 10 लाख 93 हजार 654 हैं और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5 लाख 46 हजार 828 वोट चाहिए.

लोकसभा में अभी एनडीए के पास 339 सांसद हैं और राज्यसभा में 74 सांसद हैं. 
चूंकि मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं देते इसलिए लोकसभा के 337 सांसद और राज्यसभा के 70 सांसद वोट देंगे. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है इस हिसाब से लोकसभा में एनडीए के 2 लाख 38 हजार 596 वोट हैं और राज्यसभा में एनडीए के 49 हजार 560 वोट हैं. यानी एनडीए के सांसदों के 2 लाख 88 हजार 156 वोट हुए. लेकिन अब भी 2 लाख 58 हजार 672 वोट कम पड़ रहे हैं.

राष्ट्रपति चुनाव में विधायक भी वोट देते हैं. इसीलिए उपचुनाव भी मोदी सरकार के लिए इतना जरूरी था. 
अब जानिए उपचुनाव से बीजेपी को कितने वोट मिल रहे हैं. आपको बता दें कि दिल्ली के एक विधायक के वोट की कीमत 58 है. हिमाचल प्रदेश में एक विधायक के वोट का मूल्य 51 है. असम में एक विधायक का वोट मूल्य 116 है. राजस्थान में एक विधायक का वोट मूल्य 129 है और मध्यप्रदेश में एक विधायक का वोट मूल्य 131 है. यानी उपचुनाव से बीजेपी को 485 और वोट मिल गए.

हर राज्य के विधायक के वोट का मूल्य अलग होता है क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से विधायक के वोट का मूल्य तय होता है. 29 राज्यों में से 17 राज्यों में एनडीए की सरकार है. इस उपचुनाव को मिलाकर सभी राज्यों में एनडीए के 1810 विधायक हो गए जिनके वोट का मूल्य 2 लाख 44 हजार 921 वोट हुए. यानी जरूरी के 2 लाख 58 हजार 672 से अब भी 13 हजार 751 वोट कम हैं. अब ये वोट चुनाव से नहीं दलों को साथ लेकर ही एनडीए जुटा सकता है. 

2 comments:

  1. माननीय प्रणव मुखर्जी जी पॉच साल तक भारत के राष्ट्रपति रहे।लेकिन ९०% देशवासियो को उनकी जाति का पता नही लगा।
    माननीय रामनाथ कोविंद अभी राष्ट्रपति बने नही है।लेकिन उनकी जाति का ढोल पुरी दूनिया मे पिट दिया गया। जब कि वह जज रहे है
    हमारा दुर्भाग्य तो देखिये देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के चयन हेतु व्यक्ति की योग्यता से ज्यादा उसका दलित होना प्रचारित किया जा रहा है !
    कोई उसकी योग्यता के लिए नही बोल या सोच रहा है कि क्यू उन्हें चुना गया है बस लोगो को दलित दिख रहा है कि वो दलित है तभी चुना गया है मीरा कुमारी भी विदेश सेवा से है उन्हें भी दलित प्रचारित किया जा रहा है
    अगर यही सोच रहेगी की कोई व्यक्ति किसी उच्च पद पर पहुँचता है तो हम लोग यही देखेंगे कि वो दलित था इस वजह से पहुँच गया या आरक्षण की वजह से न की अपनी मेहनत से तो
    माफ कीजिएगा ये सोच रखने से भारत कभी जाति मुक्त नही हो सकता है क्यू की हम जाती से ऊपर उठ कर सोचते ही नही है

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  2. ऐसा व्यक्ति जो कांसीराम के मिशन के समय बीजेपी के साथ रहा हो और सन 84 के दसक में बामसेफ और bsp के विरोध में रहा हो वह आज आपके वोट बैंक के लिए राष्ट्रपति पद के रूप में लाया जा रहा।

    खतरे को महसूस करो। 2019 में राज्यसभा मे बहुमत के लिए लोक सभा का भी इलेक्शन जीतना ही bjp का अंतिम उद्देश्य है और उसके बाद आपका सबकुछ खत्म।


    यह राष्ट्रपति पद पर bjp द्वारा SC कैंडिडेट को लाना पूना पैक्ट का अब तक सबसे खतरनाक प्रयोग हो रहा है।

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